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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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Abhi to guddi hi legi, bhabhi to baad me. Pehle guddi ki guda ko 2-3 round le baad kisi or chij ka no. Lgega
Ekdam shi kaha aapne aakhir chhoti nanad hai to Nanad ka number hardam pahle aayega aur mard 3 nanad ek to ek ek round to pichvaade ka sabka banta hai naa
 

komaalrani

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Each part captivates the readers.
The real beauty is of Guddi ka Pichvada

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main to sirf bakhna kar rahi hun
 
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komaalrani

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शुरूआती झटके के बिना प्रवेश संभव नहीं था...
बाद में उन्हीं छिले हुए पर रगड़-रगड़ के हलाल...
एकदम सही कहा आपने

एक साथ दोनों का मज़ा, झटके का भी हलाल का भी, मर्द कौन जो दर्द न दे, इसी मीठे मीठे दर्द के लिए तो कुछ दिन इन्तजार में कट जाते हैं और कुछ उनकी यादों में

और दर्द देने में तो कमल जीजू कमाल के हैं
 

komaalrani

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और पांच दिन की छुट्टी ने KLPD..
लेकिन इस बार रीनू के जीजा, सूद ब्याज के साथ वसूलेंगे,

अपनी सगी भौजाई पर फिर बहन पर चढ़ कर शेर आदमखोर, मेरा मतलब औरतखोर हो गया है अबकी रीनू जी की जबरदस्त रगड़ाई तय है।
 

komaalrani

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डॉ तो जहाँ दरार भी नहीं वहाँ चीर कर .. सिलती है..
यहाँ तो दरार जरा सा फैल गई है...
एकदम सही कहा आपने और डाक्टर साहिबा तो वैसे ही नारी रोगों की नारी देह की एक्सपर्ट हैं
 

komaalrani

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इन अपडेट्स से कुछ समय के लिए हिंडोले पर झूलने का आनंद मिल सकता है...
लेकिन फुलटूस मजे के लिए कहानी को जल्द से जल्द शुरू करें...
बस दो दिन में १४ फरवरी को पहला भाग पोस्ट हो जाएगा।
 

komaalrani

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Are maza aa gaya. akhir guddi rani ki pichhe ki nath utar hi gai. Bas jo kam Komaliya ko karna tha. Vo ritu ne kar diya. Jabardast

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ये काम, ये रसम भाभी ही करती है, चाहे ननदोई से चाहे जीजू से ननद का उद्घाटन करवाना

और रीनू भी तो गुड्डी की भाभी ही हैं
 

komaalrani

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इसका एक फायदा है कि कहानी एक बार में इकट्ठी पढ़ने को मिलेगी...
लेकिन नुकसान ये है कि पार्ट्स में पढ़ने वाले इतने लंबे नॉवेल को इग्नोर ना कर दें...
आपने इस खतरे को एकदम सही रेखांकित किया

ख़ास तौर पर इस कहानी में देह संबंध काफी अंतराल के बाद में आते हैं और अगर हर पोस्ट में देह संबध कोई ढूंढता है तो उसे निराशा होगी।
 

Shetan

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वही होगा जो मंजूरे कमल जीजा होगा

सिंगल लेन से गुड्डी का सुपर एक्सप्रेसवे

अधिकतम चौड़ीकरण - कोचिंग के लड़को का काम पार्टी में आसान हो जाएगा।
Komalji aap daylog west mat karo. Aap sayad janti nahi ho par jo skills me aap ke daylog jo chemistry banate he. Vo sab se alag he.

Mela chhonu monu.

Khuta. Kache tikore, bahot sare he. Jise padhte hi ehsas ho jata he ki vo komalrani ko padh raha he. Jis wakt koi redar aap ko padh raha hota he. Us wakt uske face pe smaile hoti he. Aur me aap ki comments tak ko padh kar maza leti hu.

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arushi_dayal

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मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने मेरी पिछली कविता पर अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे प्रेरित किया। आज एक नई कविता शुरू कर रही हूं जो एक कहानी से प्रेरित है जो मैंने यहां ससुर और बहू (कंचन और ससुर) के बीच यौन संबंधों पर पढ़ी है। इसलिए सारा श्रेय उस कहानी के लेखक को जाता है जिसने मुझे यह कविता लिखने के लिए प्रेरित किया

Part 1
मेरे ससुर का पति को आया फोन इस रविवार

बहू को जल्दी भेज दो गांव को सासु है बीमार

अनिल को काम के कारण अभी नहीं था जाना

लेकिन मुझे सुबह की ट्रेन से किया गया रवाना

पूरे रास्ते मैं रही सोचती अब कैसे कटेंगे ये दिन

मेरी चूत तो ना रह पाती थी पति के लन के बिन

औरत तो रह सकती है बिन पिए या बिन खाए

लेकिन अपने तन की भूख औरतसे सही ना जाए

इसी सोच में डूबी -2 मैं फ़िर पहुंच गई ससुराल

और घर जाते ही मैं लगी पूछने सासु माँ का हाल

शाम हुई तो ससुर जी खेतो से घर को आये लौट

पा ससुर को सामने झट से करली घूँघट की ओट

जैसी झुकी मैं छूने को पाँव पल्लू मेरा सरक गया

देख मेरी गोल चुचिया धोती में लौड़ा फ़रक गया

अच्छा किया बहू तुम आ गयी एक बार बुलाने पे

इतनी संस्कारी बहू कहां मीले आज इस जमाने में

आपके जैसे सास ससुर पाये मैने अच्छे थे मेरे कर्म

आप दोनो की नित सेवा करना ही अब है मेरा धर्म

दिन तो अच्छे से गुजर रहे थे पर ये भी थी सच्चाई

पिछले तीन महीने से मेरी चूत की हुई नहीं ठुकाई

इस् गांव की मिट्टी की खुशबू और ठंडी मस्त हवाएँ

मुझको हर पल अपने ही पतिदेव की याद दिलाये

अगली बार मैं अगर पति देव के संग यहां पर आई

तो कभी बाग में और कभी खेत में होगी मेरी ठुकाई

दिन तो युही गुजर जाताथा मेरा पर रातों की तन्हाई

मुझे सपनों में बड़ी याद आती थी मेरी कड़क ठुकाई

पतिदेव से फ़ोन पे मेरी जब भी होती थी कुछ बातें

उनको कहती जल्दी से आ जाओ कट ती नहीं है रातें

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