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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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Last update is on page 1184

जोरू का गुलाम भाग २१७

गुड्डी का पिछवाड़ा




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गुड्डी की किस तरह , क्या कोई धुनिया रुई धुनता होगा , जिस तरह गुड्डी रानी की गांड धुनी जा रही थी , साथ में जीजू की उंगलिया तेजी से गुड्डी की सहेली के अंदर बाहर ,
गुड्डी काँप रही थी और थोड़ी देर में वो झड़ने लगी , लेकिन कमल जीजू की रफ़्तार नहीं कम हुयी

न गुड्डी की चूत में अंदर बाहर होती उनकी ऊँगली धीमी हुयी न गुड्डी की गांड में अंदर बाहर होता उनका मोटा खूंटा ,...

और बस पांच छः मिनट के अंदर गुड्डी फिर दुबारा झड़ रही थी और साथ में ,... कमल जीजू , खूंटा पूरी तरह अंदर घुसा ,... वो झड़ते हुए रुक गए , फिर दुबारा और ,... अब गुड्डी के पैरों ने जैसे जवाब दे दिया और वो वही गद्दे पर कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी।

कमल जीजू भी साथ साथ ,...




Please do read, enjoy like and comment.
 

arushi_dayal

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कहानी के मूल रूप को बना कर भी इतने कम शब्दों में उसे कविता का रूप देना और जो आपकी काव्य कथा का सबसे बडा चिन्ह है, स्त्री मन की बात बताना,

भौतिक घटनाएं, तन की गर्मी, सम्भोग तो बहुत लिख लेते हैं लेकिन काम शब्दों में नारी मन की चाह, उसके अंतर्मन की व्यथा आप की ही कलम पकड़ पाती है , इस पोस्ट में भी ये लाइने कहानी का उत्स हैं


औरत तो रह सकती है बिन पिए या बिन खाए

लेकिन अपने तन की भूख औरतसे सही ना जा


----


दिन तो युही गुजर जाताथा मेरा पर रातों की तन्हाई

मुझे सपनों में बड़ी याद आती थी मेरी कड़क ठुकाई


पतिदेव से फ़ोन पे मेरी जब भी होती थी कुछ बातें

उनको कहती जल्दी से आ जाओ कट ती नहीं है रातें



और इसी के साथ आपने आने वाले भाग की पीठिका भी तैयार कर दी, पाठकों में उत्सुकता भी जगा दी

बहुत ही बढ़िया शुरुआत


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Part 2

घर में एक रखी थी बाई बिमला था जिस का नाम

बिमला चाची करती थी घर के सारे छोटेमोटे काम

बिमला चाची सासु के घर में सुबह शाम थी आती

नमक मिर्च लगाकर पूरे गांव की बातें खूब सुनाती

धीरे-धीरे बिमला चाची से मेरी अच्छी हो गई यारी

मुझको उसकी सारी बातें अब लगने लगी थी प्यारी

कभीकभी जब मैं थक जाती तो वो मेरे पांव दबाती

कभी कभी जाने अनजाने मेरे कोमल अंग सहलाती

कंचन बहू सच में आपकी चुची कितनी है सुडोल

इन्हें देख कर किसी भी मर्द का मन जाएगा डोल

पतली कमर के नीचे आपके नितंब है कितने भारी

अनिल भैया ने शायद इन पर मेहनत बहुत है मारी

इस परिवार के मर्दो को कुछ वरदान मिला है ऐसा

शायद अनिल भैया बिलकुल हैं अपने बाप केजैसा

पहले मैं चकरायी की ये बिमला चाची क्या बोलीं

मेरे बहुत उक्साने पर ही फिर पोल थी उसने खोली

बहू रानी ये ससुर आपके सच में बहुत बड़े हैं ठरकी

पूरे गाँव को चोदा है इसने क्या औरत क्या लड़की

दस इंच से भी लंबा लौड़ा और टट्टे गजब विशाल

एक बार जो चढ़ जाए वोह तो बदल के रख दे चाल

गाँव की कोई औरतजब आपके ससुर के नीचे आये

फिर वो औरत किसी और मर्द से वैसा मजा ना पाये

बहूरानी तुमभी बचकर ही रहना अचुक है उनका वार

कहीं किसी दिन आपकी भी वो ना खोल दे सलवार

बिमला तुम क्या बोल रही हो मैं हूं उनकी बेटी जैसी

मुझे यकीन है मेरे ऊपर ना रखेंगे वो नज़र कोई ऐसी

देख के लम्बा मोटा लौड़ा फिसल जाये कोई भी नारी

लंड और चूत का रिश्ता होता है सब रिश्तों पर भारी

बेमतलब से तुम ना उलझो सोच इन रिश्तो की बातें

लंड और चूत का सच्चा रिश्ता बाकी सब झूठे है नाते


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komaalrani

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सकल बन फूल रही सरसों

सकल बन फूल रही सरसों।
बन बिन फूल रही सरसों।

अम्बवा फूटे, टेसू फूले,
कोयल बोले डार-डार,
और गोरी करत सिंगार,

मलनियाँ गेंदवा ले आईं कर सों,
सकल बन फूल रही सरसों।

तरह तरह के फूल खिलाए,
ले गेंदवा हाथन में आए।
निजामुदीन के दरवज़्ज़े पर,
आवन कह गए आशिक रंग,
और बीत गए बरसों।


सकल बन फूल रही सरसों।

बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार -महागाथा

पहला भाग पोस्ट हो गया।


फागुन के दिन चार भाग 1

फागुन की फगुनाहट


update posted, please do read, enjoy, like and post your comments.
 
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komaalrani

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बसंत पंचमी की शुभकामनाएं



बसंत का दिन हो और मन्मथ का जिक्र न हो, फूलों का जिक्र न हो

मदन के पांच शर फूलों के ही तो थे, अशोक, अरविन्द ( श्वेत कमल ), निलोत्प्ल ( नील कमल ) नवमल्लिका (चमेली) और आम्र मंजरी और धनुष गन्ने का बना हुआ।

लेकिन जब कंदर्प भस्म हुए, उनका उनका रत्नमय धनुष टूटकर खंड-खंड हो धरती पर गिर गया। जहाँ मूठ थी, वह स्थान रुक्म-मणि से बना था, वह टूटकर धरती पर गिरा और चंपे का फूल बन गया!

हीरे का बना हुआ जो नाह-स्थान था, वह टूटकर गिरा और मौलसिरी के मनोहर पुष्पों में बदल गया!

इंद्रनील मणियों का बना हुआ कोटि देश भी टूट गया और सुंदर पाटल पुष्पों में परिवर्तित हो गया।

लेकिन सबसे सुंदर बात यह हुई कि चंद्रकांत-मणियों का बना हुआ मध्य देश टूटकर चमेली बन गया और विद्रुम की बनी निम्नतर कोटि बेला बन गई, स्वर्ग को जीतनेवाला कठोर धनुष, जो धरती पर गिरा तो कोमल फूलों में बदल गया!


संहार में सृजन का इससे अच्छा उदाहरण क्या मिलेगा, खुद नष्ट होकर जहाँ एक आयुध भी फूलों की रचना करता है।

वह देह विहीन हो कर भी हर विवाह मंडप में अपने वाहन शुक के रूप में नव वर वधू के मन में कामना का संचार करता है, उनका वंश अक्षुण रहे, मानव जाति बनी रहे, इसका वर, वर वधू को देते हैं।

उन मन्मथ और रति की कृपा इस कथा यात्रा पर हो और इस कथा के सह यात्रियों पर भी ,

सभी पाठक मित्र, उनके प्रियजन, परिजन पर उनके अक्षुण आशीष की वर्षा हो


Mango-Baur-esy-005382606.jpg



बसंत पंचमी की शुभकामनाये



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फागुन के दिन चार -पहला भाग बस थोड़ी देर,
Champa-Nature-Rabbit-Plumeria-Yellow-Plant.jpg



Marigold-licensed-image.jpg


First part of Phagun ke Din char has been posed, please do read, like and share your comments.

 

komaalrani

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Part 2

घर में एक रखी थी बाई बिमला था जिस का नाम

बिमला चाची करती थी घर के सारे छोटेमोटे काम

बिमला चाची सासु के घर में सुबह शाम थी आती

नमक मिर्च लगाकर पूरे गांव की बातें खूब सुनाती

धीरे-धीरे बिमला चाची से मेरी अच्छी हो गई यारी

मुझको उसकी सारी बातें अब लगने लगी थी प्यारी

कभीकभी जब मैं थक जाती तो वो मेरे पांव दबाती

कभी कभी जाने अनजाने मेरे कोमल अंग सहलाती

कंचन बहू सच में आपकी चुची कितनी है सुडोल

इन्हें देख कर किसी भी मर्द का मन जाएगा डोल

पतली कमर के नीचे आपके नितंब है कितने भारी

अनिल भैया ने शायद इन पर मेहनत बहुत है मारी

इस परिवार के मर्दो को कुछ वरदान मिला है ऐसा

शायद अनिल भैया बिलकुल हैं अपने बाप केजैसा

पहले मैं चकरायी की ये बिमला चाची क्या बोलीं

मेरे बहुत उक्साने पर ही फिर पोल थी उसने खोली

बहू रानी ये ससुर आपके सच में बहुत बड़े हैं ठरकी

पूरे गाँव को चोदा है इसने क्या औरत क्या लड़की

दस इंच से भी लंबा लौड़ा और टट्टे गजब विशाल

एक बार जो चढ़ जाए वोह तो बदल के रख दे चाल

गाँव की कोई औरतजब आपके ससुर के नीचे आये

फिर वो औरत किसी और मर्द से वैसा मजा ना पाये

बहूरानी तुमभी बचकर ही रहना अचुक है उनका वार

कहीं किसी दिन आपकी भी वो ना खोल दे सलवार

बिमला तुम क्या बोल रही हो मैं हूं उनकी बेटी जैसी

मुझे यकीन है मेरे ऊपर ना रखेंगे वो नज़र कोई ऐसी

देख के लम्बा मोटा लौड़ा फिसल जाये कोई भी नारी

लंड और चूत का रिश्ता होता है सब रिश्तों पर भारी

बेमतलब से तुम ना उलझो सोच इन रिश्तो की बातें

लंड और चूत का सच्चा रिश्ता बाकी सब झूठे है नाते


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अगर कंचन और ससुर कहानी के लेखक आपकी इस कविता को पढ़ रहे होंगे तो निश्चित ही आपके आभारी होंगे।

उस कथा के उसी रूप को आपने बरक़रार रखा है और हर पात्र को इस रूपांतरण में जगह दी, विमला जिसने कंचन के मन में आग सुलगायी उसका भी आपने बहुत अच्छा निरूपण किया है। और आखिरी की चार पंक्तियों में कहानी का सार निचोड़ के रख दिया है।

देख के लम्बा मोटा लौड़ा फिसल जाये कोई भी नारी
लंड और चूत का रिश्ता होता है सब रिश्तों पर भारी

बेमतलब से तुम ना उलझो सोच इन रिश्तो की बातें
लंड और चूत का सच्चा रिश्ता बाकी सब झूठे है नाते


अगली पोस्ट का इन्तजार रहेगा

और आपको बसंत पंचमी की शुभ कामना

और इस शुभ दिन मैंने फागुन के दिन चार को पोस्ट करना शुरू कर दिया, ये लम्बी कहानी है, आपके साथ की अपेक्षा रहेगी।

लिंक शेयर कर रही हूँ।
 

komaalrani

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Razi Di…you are not Diya…you are a bright shining sun which gives light and inspiration to all. So please suggest a pure incest relationship and some good title for komal ji to apply her excellent writing skills to unwind a new story for all of is
Truer words were never spoken.

🙏🙏
 

komaalrani

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Yes they were. Stop exaggerating. And when's the next post comng up
After I read your comment on the previous post or maybe earlier. Your last comment on this thread came in December, to be precise 28th December. Mnay posts have been posted since, please do read and share your views.
 
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