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जोरू का गुलाम भाग २२८ -
गुड्डी की रगड़ाई
२८,५०,६१४
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खाने के पहले बहुत मजा आया ,
असल में खाने के दौरान भी और खाने के बाद भी लेकिन सब मजा गुड्डी के खर्चे पे
गुड्डी टेबल लगाने के बाद हम लोगों की ओर आयी , और रीनू उसके पीछे पड़ गयी ,
" अरे यार खाने के पहले एक बार ,.... अपने बचपन के यार से, ...तेरे पिछवाड़े को देख कर ही...देख . कैसा मस्त खड़ा है। "
अपने जीजू के खूँटे को शार्ट से निकाल कर मुठियाते , गुड्डी को दिखाते रीनू बोली ,
अजय और ये साथ साथ बैठे थे।
" अच्छा , भइया से मन न कर रहा तो मेरे जीजू से करवा लो , गुड्डी यार गांड तो तेरी मारी ही जायेगी , चाहे रीनू के जीजू से मरवा ले , या मेरे जीजू से , च्वायस तेरी। "
अजय के खूंटे को मसलते रगड़ते मैं बोली।
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गुड्डी ने आँखे तरेर कर देखा।
चल तो पा नहीं रही थी, कोई डिश ले के आती तो लड़खड़ाने लगती, कभी टेबल का सहारा लेती, तो कभी दीवाल का, लग रहा था अभी भी पिछवाड़े मोटा सा लकड़ी का टुकड़ा घुसा है।
किचेन में जो कुछ हुआ भैया बहिनी के बीच, कुछ गुड्डी ने खुद और कुछ रीनू मेरी कमीनी बहन ने बता दिया था. किचेन में दो बार उसके भैया ने गाँड़ मारी, एक बार तो निहुरा के और दूसरी बार खड़े खड़े ही मार ली। और उसके पहले भी सुबह से दो बार उस टीनेजर का, अपनी छुटकी बहिनिया का उसके भैया कर चुके थे, मतलब सुबह से चार बार भाई ने बहन की गाँड़ मार ली और अभी दोपहर बहुत दूर थी।
दर्द के मारे गुड्डी की भले हालत खराब थी, लेकिन चेहरे से ख़ुशी जलेबी की चाशनी की तरह टपक रही थी और उन दोनों से ज्यादा कोई खुश था तो मैं,
मेरे सोना मोना को अब खुल के पिछवाड़े का गोल दरवाजे का चस्का लगा गया था,
जीजू तो चार दिन की चांदनी है,... और अगर मेरे वाले को गोलकुंडा में मजा आने लगा था तो मतलब अब रात बिरात दिन दहाड़े, मेरे पिछवाड़े का भी नंबर लगता रहेगा। मैं खुश भी थी और चकित भी, गुड्डी को देख देख के, अगर कोई 'छिनार ननद' का मेडल होता तो मैं उसे तुरंत पहना देती,
सुबह से माना कमल जीजू ने भी मेरे कोमल कोमल पिछवाड़े का दो बार भुर्ता बनाया और उसके पहले अजय ने। लेकिन गुड्डी 4-3 से आगे थी। गुड्डी के भैया ने चार बार सुबह से उसके पिछवाड़े अपना मूसला पेला था और यहाँ दो बार कमल जीजू और एक बार अजय जीजू।
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और चारो बार उसके " सीधे साधे " भैया ने, पिछली बार जब कमल जीजू आये थे तो दोनों, उन्होंने और अजय ने मिल के पिछवाड़े का न सिर्फ रास्ता खोला था बल्कि ५-६ बार, पर ये लड़की, कल शाम को ही तो इसके पिछवाड़े पहली बार कमल जीजू का और उसके बाद से अबतक सात आठ बार पिछवाड़े मूसल घोंट चुकी थी।
तो अगर वो दर्द के मारे बेहाल थी, पिछवाड़े अब ऊँगली भी नहीं घोंट सकती थी तो मैं समझ सकती थी
लेकिन ननदों की हालत कितनी भी खराब हो, भाभियों को उन्हें चिढ़ाने से कौन रोक सकता है
अभी तक कल्ला रही थी बेचारी की , लेकिन थी असली ननद , हम दोनों को छेड़ते बोली ,
' चलिए भाभी आप भी क्या याद करेंगी कैसी ननद से पाला पड़ा था , .... अबकी आप दोनों मरवा लीजिये , दो खूंटे तन्नाए ,... दो भाभियाँ ,... "
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" चल यार छोटी ननद है तू , लेकिन उसके बाद किसी चीज के लिए मना मत करना , .... " रीनू ने चारा फेंका।
सच में हांका कर के शिकार को फंसाने में मेरी कमीनी बहन का कोई मुकाबला नहीं था।
" एकदम भाभी , ... बस अभी नहीं "
खाने के दौरान भी छेड़छाड़ मस्ती चालू रही, कमल जीजू इनके बगल में ही बैठे थे और उनकी गोद में उनकी छोटी साली, मैं और इनकी गोद में इनकी साली, रीनू, सर्व करने का काम गुड्डी का था और उसको सब लोग छेड़ रहे थे और बाद में वो भी अजय जीजू की गोद में,
खाने के बाद अजय ने वहीँ टेबल पर अपनी पेसल सिगरेट निकले और एक दो सुट्टा मारा होगा की गुड्डी ने उनसे छीन ली और क्या कस के दम मारा, जैसे साधू लोग चिलम पीते हैं एकदम उसी स्टाइल में, अजय ने सिखा दिया था गुड्डी को,
पर थोड़ी देर में हम सब लिविंग रूम में गद्दे पे , रीनू व्हिस्की को बोतल उठा लायी थी और सीधे बोतल से ही हम चारो, लेकिन थोड़ी देर में पोजीशन बदल गयी, मैं अजय की गोद में, रीनू इनकी गोद में और गुड्डी बहुत देर से कमल जीजू के सिंहासन पर नहीं चढ़ी थी तो वो वहां,
पन्दरह बीस मिनट की मस्ती के बाद रीनू ने गुड्डी के बचपन के यार का खूंटा शार्ट से निकाल लिया और गुड्डी को दिखाते हुए बोली,
" फाइनल ऑफर, लेगी पिछवाड़े, अपने भैया का ,"
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जिस तरह से वो देख रही थी, सुबह से चार बार अपने भैया का अपने पिछवाड़े घोंट चुकी थी और जरा भी ताकत होती तो वो एक बार और, लेकिन उससे हिला भी नहीं जा रहा था, उसने जोर जोर से ना में सर हिलाया
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गुड्डी की रगड़ाई
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खाने के पहले बहुत मजा आया ,
असल में खाने के दौरान भी और खाने के बाद भी लेकिन सब मजा गुड्डी के खर्चे पे
गुड्डी टेबल लगाने के बाद हम लोगों की ओर आयी , और रीनू उसके पीछे पड़ गयी ,
" अरे यार खाने के पहले एक बार ,.... अपने बचपन के यार से, ...तेरे पिछवाड़े को देख कर ही...देख . कैसा मस्त खड़ा है। "
अपने जीजू के खूँटे को शार्ट से निकाल कर मुठियाते , गुड्डी को दिखाते रीनू बोली ,
अजय और ये साथ साथ बैठे थे।
" अच्छा , भइया से मन न कर रहा तो मेरे जीजू से करवा लो , गुड्डी यार गांड तो तेरी मारी ही जायेगी , चाहे रीनू के जीजू से मरवा ले , या मेरे जीजू से , च्वायस तेरी। "
अजय के खूंटे को मसलते रगड़ते मैं बोली।
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गुड्डी ने आँखे तरेर कर देखा।
चल तो पा नहीं रही थी, कोई डिश ले के आती तो लड़खड़ाने लगती, कभी टेबल का सहारा लेती, तो कभी दीवाल का, लग रहा था अभी भी पिछवाड़े मोटा सा लकड़ी का टुकड़ा घुसा है।
किचेन में जो कुछ हुआ भैया बहिनी के बीच, कुछ गुड्डी ने खुद और कुछ रीनू मेरी कमीनी बहन ने बता दिया था. किचेन में दो बार उसके भैया ने गाँड़ मारी, एक बार तो निहुरा के और दूसरी बार खड़े खड़े ही मार ली। और उसके पहले भी सुबह से दो बार उस टीनेजर का, अपनी छुटकी बहिनिया का उसके भैया कर चुके थे, मतलब सुबह से चार बार भाई ने बहन की गाँड़ मार ली और अभी दोपहर बहुत दूर थी।
दर्द के मारे गुड्डी की भले हालत खराब थी, लेकिन चेहरे से ख़ुशी जलेबी की चाशनी की तरह टपक रही थी और उन दोनों से ज्यादा कोई खुश था तो मैं,
मेरे सोना मोना को अब खुल के पिछवाड़े का गोल दरवाजे का चस्का लगा गया था,
जीजू तो चार दिन की चांदनी है,... और अगर मेरे वाले को गोलकुंडा में मजा आने लगा था तो मतलब अब रात बिरात दिन दहाड़े, मेरे पिछवाड़े का भी नंबर लगता रहेगा। मैं खुश भी थी और चकित भी, गुड्डी को देख देख के, अगर कोई 'छिनार ननद' का मेडल होता तो मैं उसे तुरंत पहना देती,
सुबह से माना कमल जीजू ने भी मेरे कोमल कोमल पिछवाड़े का दो बार भुर्ता बनाया और उसके पहले अजय ने। लेकिन गुड्डी 4-3 से आगे थी। गुड्डी के भैया ने चार बार सुबह से उसके पिछवाड़े अपना मूसला पेला था और यहाँ दो बार कमल जीजू और एक बार अजय जीजू।
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और चारो बार उसके " सीधे साधे " भैया ने, पिछली बार जब कमल जीजू आये थे तो दोनों, उन्होंने और अजय ने मिल के पिछवाड़े का न सिर्फ रास्ता खोला था बल्कि ५-६ बार, पर ये लड़की, कल शाम को ही तो इसके पिछवाड़े पहली बार कमल जीजू का और उसके बाद से अबतक सात आठ बार पिछवाड़े मूसल घोंट चुकी थी।
तो अगर वो दर्द के मारे बेहाल थी, पिछवाड़े अब ऊँगली भी नहीं घोंट सकती थी तो मैं समझ सकती थी
लेकिन ननदों की हालत कितनी भी खराब हो, भाभियों को उन्हें चिढ़ाने से कौन रोक सकता है
अभी तक कल्ला रही थी बेचारी की , लेकिन थी असली ननद , हम दोनों को छेड़ते बोली ,
' चलिए भाभी आप भी क्या याद करेंगी कैसी ननद से पाला पड़ा था , .... अबकी आप दोनों मरवा लीजिये , दो खूंटे तन्नाए ,... दो भाभियाँ ,... "
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" चल यार छोटी ननद है तू , लेकिन उसके बाद किसी चीज के लिए मना मत करना , .... " रीनू ने चारा फेंका।
सच में हांका कर के शिकार को फंसाने में मेरी कमीनी बहन का कोई मुकाबला नहीं था।
" एकदम भाभी , ... बस अभी नहीं "
खाने के दौरान भी छेड़छाड़ मस्ती चालू रही, कमल जीजू इनके बगल में ही बैठे थे और उनकी गोद में उनकी छोटी साली, मैं और इनकी गोद में इनकी साली, रीनू, सर्व करने का काम गुड्डी का था और उसको सब लोग छेड़ रहे थे और बाद में वो भी अजय जीजू की गोद में,
खाने के बाद अजय ने वहीँ टेबल पर अपनी पेसल सिगरेट निकले और एक दो सुट्टा मारा होगा की गुड्डी ने उनसे छीन ली और क्या कस के दम मारा, जैसे साधू लोग चिलम पीते हैं एकदम उसी स्टाइल में, अजय ने सिखा दिया था गुड्डी को,
पर थोड़ी देर में हम सब लिविंग रूम में गद्दे पे , रीनू व्हिस्की को बोतल उठा लायी थी और सीधे बोतल से ही हम चारो, लेकिन थोड़ी देर में पोजीशन बदल गयी, मैं अजय की गोद में, रीनू इनकी गोद में और गुड्डी बहुत देर से कमल जीजू के सिंहासन पर नहीं चढ़ी थी तो वो वहां,
पन्दरह बीस मिनट की मस्ती के बाद रीनू ने गुड्डी के बचपन के यार का खूंटा शार्ट से निकाल लिया और गुड्डी को दिखाते हुए बोली,
" फाइनल ऑफर, लेगी पिछवाड़े, अपने भैया का ,"
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जिस तरह से वो देख रही थी, सुबह से चार बार अपने भैया का अपने पिछवाड़े घोंट चुकी थी और जरा भी ताकत होती तो वो एक बार और, लेकिन उससे हिला भी नहीं जा रहा था, उसने जोर जोर से ना में सर हिलाया
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