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बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।
क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ,
बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।
इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,
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गुड्डी, ये और रीनू के हवाले आज किचेन था और लंच की जिम्मेदारी।
और सबसे ज्यादा काम गुड्डी के जिम्मे,
इसलिए की गुड्डी के आने के बाद, गीता के लिए दरवाजा वही खोलती थी और गीता ने धीरे धीरे किचेन के काम के साथ झाड़ू पोछा, सफाई सब काम गुड्डी को पकड़ा दिया लेकिन सिखाया भी अच्छे ढंग से, तो किचेन में कौन सी चीज कहाँ रखी है, खड़े मसाले कहाँ है, पिसी धनिया किधर है,... सब गुड्डी को मालूम था।
हाँ, इस सीखने के बदले में रोज सुबह सुबह गुड्डी को, गीता की चुनमुनिया की सेवा करनी पड़ती थी, चूस चूस के चाट के और अब वो पक्की चूत चटोरी हो गयी थी। और इनाम में गीता की चाशनी और कभी कभी साथ में खारा शरबत निकल गया तो वो भी, ...लेकिन किचेन के मामले अब गुड्डी एकदम पक्की थी।
गुड्डी के भाई कम भतार ज्यादा, ये।
इन्होने तो अवधी और मुगलाई दोनों नान -वेज डिशेज का कोर्स कर रखा था और उससे भी बढ़ के इनकी सास ने इन्हे किचेन में कुछ स्पेशल डिशेज भी बनानी सिखा दी थीं और रीनू इसलिए की कंट्रोल तो उसी का होना था अपने जीजू और उनकी बहिनिया पे और उससे भी बढ़कर इसलिए की उसके जीजू ने, इन्होने अपनी साली से हैदराबादी बिरयानी बनाने की फरमाइश की थी।
बहुत निहोरा करवाने के बाद साली मान तो गयी लेकिन इस शर्त के साथ ये भी रहेंगे किचेन में उसके साथ और उनकी रंडी बहिनिया भी।
तो बस ये तीनो किचेन में और आते ही रीना ने हुकुम सुना दिया,
" जीजू, रंडियां क्या कपड़ों में अच्छी लगती हैं ? "
ये भी सिर्फ बॉक्सर शार्ट में थे, बहुत हो छोटा, आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट, जो इनकी सास इनके लिए लायी थीं और ये अपना इनाम में जीता पिंक एप्रन पहन रहे थे, गुड्डी ने भी अपना एप्रन निकाल लिया था।
किस जीजू की हिम्मत होगी जो साली की बात काटे और ये तो रीनू के पक्के चमचे, तुम दिन को कहो रात तो रात कहेंगे टाइप। तुरंत रीनू की बात में हामी भरी,
"एकदम नहीं "
गुड्डी एक छोटे से टॉप और स्कर्ट में थी और टॉप के ऊपर वो अपना एप्रन पहन रही की रीनू ने हुकुम सुना दिया, " हे रंडी, उतार कपडे , किचेन में खराब हो जाएंगे, सिर्फ एप्रन। "
और रीनू किचेन में ड्राअर खोल खोल के कुछ ढूंढ रही थी, टॉप उतार कर एप्रन बांधती गुड्डी बोली,
" मीठी भाभी, क्या ढूंढ रही हैं ? "
" कैंची " रीनू बोली।
" सबसे नीचे वाली ड्राअर में " गुड्डी ने बताया और अपनी छोटी सी स्कर्ट भी खोलने लगी, भाभी ने बोला था सिर्फ एप्रन।
और कैंची लेकर रीनू अपनी ननद के पास, और उसके भाई को सुनाते बोली,
" रंडी, ये जोबन किस लिए आतें हैं "
" दिखाने के लिए, लौंडों को लचाने के लिए, दबवाने, मसलवाने और रगड़वाने के लिए "
गुड्डी बोल रीनू से रही थी लेकिन उसकी निगाहें अपने बचपन के यार को देख रही थीं, उकसा रही थीं, बुला और ललचा रही थीं।
" तो इतना लम्बा एप्रन क्यों "
रीनू बोली और कैंची ले के काट दिया, अब एप्रन सिर्फ गुड्डी के उभारों के ऊपर, और वो भी पूरी तरह से से नहीं, जहाँ से उभार उभरना शुरू हो रहे थे, वो हिस्सा तो साफ़ साफ़ दीखता था और रीनू ने एप्रन ऐसे टाइट बाँधा की दोनों टनाटन निप्स साफ़ दिख रहे थे।
कोई एक जवान होती मस्त लौंडिया हो, टीनेजर, बल्कि टीन ऑफ़ टीन्स, मिडल ऑफ़ टीन, और सिर्फ एक छोटा सा कपडा, जो मुश्किल से उसके उभरते उभारों को ढक रहा हो, कड़े कड़े खड़े खड़े सैल्यूट मारते निपल, उस एप्रन को फाड़ के निकलने के लिए बेचैन, गोरा चिकना पेट, गहरी नाभी, पतली कमरिया,
जस्ट एक पतली सी थांग आगे दो इंच की पिछवाड़े तो बस एक पतले धागे सी, कसी दरार में धंसी, लम्बी लम्बी टाँगे,
कौन साला न दीवाना हो जाए,
और जवान होती लड़कियों के जोबन पे सबसे पहले नजर पड़ती है उसके भाई की, उसका ही मुर्गा फड़फड़ाता है, और यहाँ तो भाई, भतार ज्यादा था, तो उनके शार्ट का तम्बू तनने लगा।
और जिस को देख के तन रहा था, सबसे पहले उसी की नजर पड़ी, गुड्डी की और उसने एक फ्लाईंग किस अपने भैया को दिया और दूसरा भैया के पप्पू को।
रीनू सब गुड्डी की शैतानी देख रही थी, पर उसके दिमाग में कुछ और शैतानी चल रही थी,
" हे रंडी रानी, जरा एक सेल्फी खिंच, हाँ थोड़ा किस लेती हुयी, एक और,..." रीनू बोली,
गुड्डी को कहने की देर थी, उसके उम्र की लड़कियां सेल्फी खींचने, में एकदम एक्सपर्ट, एक से एक सेक्सी,
"रंडी रानी, अब यार सुबह जो चौदह यार बनाये थे, चुदवाने को, समोसे की दूकान पे अपने समोसे दिखा के, भेज दे उन सब को, अरे यार लौंडो को लगातार चारा डालना पड़ता है। "
गुड्डी ने पिक तो भेजी ही साथ में कमेंट भी हुकुमनामा भी,
"अभी किचेन में हूँ अकेली, और शाम तक कम से कम अपने जैसे, तेरे ऐसे तो मिलने मुश्किल हैं लेकिन उन्नीस बीस भी चलेगा, कम से कम पचास को भेजो, इंस्टा पे लाइक भी कम से कम १००"
और वो सारी की सारी गुड्डी के एक अलग इंस्टा अकाउंट पे जो उसने खाली लौंडो के लिए बनाया था, गुड्डी की कुछ सहेलियां भी थी कुछ कोचिंग वाली, कुछ पुरानी, दिया, छन्दा ऐसी।
तबतक गुड्डी की निगाह एक थाली में रखे बैंगन पे पड़ गयी और वो रीनू के पीछे पड़ गयी, " मीठी भाभी, मैंने सुना है की आप बैगन की कलौंजी बहुत अच्छा बनाती हैं, मुझे सिखा दीजिये न "
" रंडी स्साली सीखेगी, सोच ले, फिर मैं जो जो कहूँगी तुझे और तेरे इस गंडुवे, भंड़ुवे को भी सब करना पडेगा "
" मंजूर " चहक के गुड्डी बोली और अपने बचपन के यार की ओर देख के उनकी साली से कहा, " और इनकी हिम्मत है की बात टालें "
" हे इस रंडी के भंड़ुवे, तो चल पहले चार बैगन छांट छांट के निकाल " रीनू ने अब अपने जीजू को हुकुम सुनाया और उन्होंने चुन के चार सबसे लम्बे लम्बे बैगन छांट लिए।
" वाह भैया, सब आप अपने साइज के छांटे हैं, कोई भी एक बित्ते से कम नहीं है "
गुड्डी खिलखिलाते हुए अपने बचपन के यार से बोली।
( वैसे असली बात ये थी की गुड्डी ने सच में अपने भैया का नापा था, इंच टेप ले के, इंच में भी, सेंटीमीटर में भी, लम्बाई भी मोटाई भी, ...इसलिए बोल रही थी )
रीनू ने अपनी ननद को मजेदार चिढ़ाती हुयी आँखों से गुड्डी को देखते हुआ बोला,
" अब इसे मैरीनेट करना पड़ेगा, हर बैगन को कम से कम १५-२० मिनट तक "
" कैसे "
ये पैदायशी बुद्धू पूछ बैठे। लेकिन गुड्डी को कुछ कुछ अंदाजा अब हो गया था, सुबह इन्ही उसकी मीठी भाभी ने खुद अपने हाथ से मोटा खीरा छील के उसकी बिल में पेला था, और उसी की सैंडविच,
रीनू ने बुद्धू जीजू को नजरअंदाज कर दिया और गुड्डी से बोली, " चल स्साली रंडी, ऊपर, और टाँगे फैला ले और थांग बस सरका ले "
गुड्डी, रीनू की चमची, झट्ट से उछल कर किचेन के स्लैब पे, और टाँगे फैला के, गुलाबी गुलाबी चुनमुनिया खोल के , दोनों फांको ने कस के दरवाजा बंद कर के रखा था, बस बड़ी मुश्किल से कसी कसी पतली दरार दिखती थी उस इंटर वाली टीनेजर की।
" चल अब अपने भैया को बोल आगे क्या करना है"
रीनू ने अपने जीजू को एक बैगन जो उन्होंने छांटा था पकड़ाते हुए गुड्डी को बोलै।
" भैया, इसे मेरी, " और उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की रीनू ने आग्नेय नेत्रों से घूरा और कस के हड़काया, " स्साली, रंडी, ये होती है रंडी की जुबान, " और गुड्डी सच में एकदम से
" हे मेरे बचपन के यार, चल इधर आ और पेल दे इसे अपनी बहन की बुरिया में " गुड्डी उन्हें अपनी ओर इशारा करके बुला के बोली
लेकिन बैगन मोटा था, कुछ चिकनाई भी नहीं लगी और सबसे बड़ी बात की थांग घुटनो के पास फंसी तो वो टीनेजर अपनी मखमली जाँघे भी पूरी तरह नहीं फैला सकती थी, पर उसके भैया भी १७० + आई क्यू वाले और सबसे बड़ी बात चूत चाटने के रसिया और चूत कुँवारी इंटर वाली छुटकी बहिनिया की हो तो कौन भाई मौका छोड़ता है। तो वो भी बस लग गए,
" हे पांच मिनट के अंदर बैगन घुस जाना चाहिए, भाई बहन की रास लीला के लिए टाइम नहीं है बहुत काम है किचेन में "
रीनू ने हड़काया।
जीभ भाई की कभी बहन की बुर के ऊपर सपड़ सपड़ तो कभी अंदर घुस के जिस चूत की झिल्ली कुछ दिन पहले ही उन्होंने फाड़ी थी, उसकी हाल चाल लेती।
गुड्डी भी अपने भाई का पूरा हाथ बटा रही थी, कस के उनका सर पकड़ के अपनी चूत पे चिपका, कभी खुद निचले होंठों को उनके होंठों पर रगड़ के
" उय्य्यी, हाँ भैया, हां बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह्ह ऐसे ही चूस न स्साले, ओह्ह "
वो सिसक रही थी अपनी चंद्रमुखी को उनके मुंह पे रगड़ रही थी। और थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलनी शुरू हो गयी और वैसे, जैसे उसके भैया को इशारा था गेयर चेंज करने के लिए। जीभ का साथ देने के लिए दोनों उँगलियाँ भी आ गयी। उँगलियाँ भरतपुर स्टेशन के अंदर घुस गयी दोनों और जीभ स्टेशन के बाहर लगे सिग्नल को , गुड्डी की क्लिट को, और फिर दोनों होंठ। होंठ क्लिट को कस कस के चूसते,जीभ उसे फ्लिक करती और बुर के अंदर दोनों उँगलियाँ लंड को मात कर रही थीं।
बस थोड़ी देर में झरना फूट पड़ा, चूत एकदम गीली आस पास भी, और गुड्डी के भैया ने बैगन पकड़ के पुश करना शुरू कर दिया। गुड्डी ने भी अपने दोनों हाथों से अपनी फांको को पकड़ के फ़ैलाने की कोशिश की और बैगन की टिप घुस गयी लेकिन रीनू की आवाज
" स्साले गंडुए, पेलना नहीं आता क्या, खाली पेलवाना जानते हो। पेल कस के एक मिनट टाइम है बस, वरना मैं आती हूँ और बैगन की जगह अपनी मुट्ठी पेलूँगी पूरी कोहनी तक। "
और उन्होंने पूरी ताकत से ठेलना धकेलना, शुरू किया। दर्द के मारे गुड्डी की जांघें फटी पड़ रही थी लेकिन वो जानती थी की एक चीख और उसके भैया के बस का कुछ नहीं होगा, उसका क्या वो किसी का दर्द नहीं बरदाश्त कर सकते। गुड्डी ने स्लैब कस के पकड़ लिया और बूँद बूँद कर के दर्द पी गयी।
कभी गोल गोल घुमा के कभी ताकत से ठेल के अपनी बहन की बुर में ऑलमोस्ट पूरा बैगन वो ठेल के माने।
और रीनू ने आगे का इंस्ट्रक्शन दे दिया
" गुड गर्ल, चल अब अपनी थांग ठीक कर और कस के इसे १५ मिनट अपने अंदर भींच के रखना, निकलने न पाए और मुझे बिरयानी का मसाला निकाल के दे "
काम का बटवारा ये था की, रीनू को हैदराबादी बिरयानी बनानी थी, भुना गोश्त और हांडी चिकेन इनके जिम्मे, स्वीट डिश गुड्डी के जिम्मे और गुड्डी हर काम में इन दोनों लोगों की हेल्प भी करती।
बदमाशी शुरू की गुड्डी ने ही।
कुछ तो उस इंटर वाली टीनेजर की बिल में जो मोटा बैगन धंसा था उसका दोष, चूत रिस रही थी, बूँद बूँद कर के और उतनी ही तेज चींटिया भी काट रही थीं, अंदर। दूसरे उसे अपने भैया को छेड़ने में बहुत मजा आता था, बेचारे आधे टाइम बोल ही नहीं पाते थे और अभी तो उनके दोनों हाथ फंसे थे, इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते थे।
वो दोनों हाथों से चिकेन वाश कर रहे थे, रगड़ रगड़ कर, गुड्डी उन्हें हेल्प कर रही थी,सबसे पहले अभी हांडी चिकेन ही बनाना था।
लेकिन गुड्डी का एक हाथ तो खाली था और उस शोख, चुलबुली टीनेजर ने हाथ का सही इस्तेमाल किया जो हर बहन बचपन से करना चाहती है।
भैया के बॉक्सर शार्ट में हाथ डाल के अपनी फेवरेट ' मटन पीस ' को पकड़ लिया और बस हलके हलके, न दबाया, न रगड़ा, बस बहुत धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, छू के ही मन डोल रहा था।
अब तक गुड्डी तीन मर्दों का घोंट चुकी थी, अपने भैया के अलावा, भाभी के दोनों जीजू, और अगले हफ्ते कोचिंग की पार्टी में पता नहीं कितने, उसकी सहेली रानी का एक पार्टी में ६ का, ६ बार नहीं ६ लड़कों का रिकार्ड था और वो तो उसे तोड़ना ही था। फिर मीठी भाभी तो गली मोहल्ले के भी कितने लौंडो पे दाना डलवा रही थीं, रोज के लिए चार पांच का इंतजाम, मीठी भाभी सच में बहुत अच्छी हैं।
लेकिन जो मजा भैया में है, हर चीज में,... उन्हें छेड़ने में, उकसाने में, चिढ़ाने में, वो किसी में नहीं। पहले भी उनके बारे में सोच सोच के गुड्डी की चूत में चींटी काटती थी और अब जब घोंट लिया भैया का तो और,... भैया के बारे में सोच के बुरिया में आग लग जाती है
लेकिन गुड्डी अकेले नहीं थी, जवान होती हर टीनेजर बहन की यही हालत होती है, भाई के और ' भाई का ' सोच के।
" हे गुड्डी क्या कर रही है " उन्होंने झिड़का। दोनों हाथ तो मटन को पकडे थे, कुछ कर तो सकते नही थे और गुड्डी भी इस बात को जानती थी। अब वो खुल के मुठियाते बोली,
" क्या कर रही हूँ ? जो एक बहन का हक़ है, वो कररही हूँ। नहीं अच्छा लग रहा हो मना कर दीजिये " अपनी शोख अदा में आँख नचा के उस शैतान ने चिढ़ाया।
" मेरे हाथ खाली होने दो तो बताता हूँ "
वो भी अब मूड में आ रहे थे, लेकिन गुड्डी जानती थी आज उसके भैया के जिम्मे बहुत काम है इसलिए उसका ज्यादा कुछ वो बिगाड़ नहीं पाएंगे इसलिए और उकसा रही थी। और गुड्डी ने अपनी बात ही आगे बढ़ाई,
" और भैय्या, मना करियेगा न तो आपके मना करने से कौन मैं मानने वाली हूँ ? करुँगी तो अपने मन की और हाथ खाली हो के भी आप का कर लेंगे मेरा ? उस टीनेजर ने अब खुल के चैलेन्ज दिया।
" भूल गयी अभी, दो दो बार सुबह से, " हिम्मत से वो बोले।
लेकिन गुड्डी की भाभी से तो कभी जीत नहीं पाए और अब उन्ही भाभी की सिखाई पढ़ाई ननदिया से भी जीतना मुश्किल था,
रीनू की निगाहें भी ननद के गोल दरवाजे से चिपकी लेकिनी उससे ज्यादा वो गुड्डी के भैया, अपने जीजू को देख रही थी, कैसे उस सेक्सी टीनेजर के गोलकुंडा के लिए ललचा रहे थे। यही तो वो चाहती थी, इन्हे पिछवाड़े का न सिर्फ मजा आने लगे बल्कि गोलकुंडा के जबरदस्त दीवाने हो जाएँ। रीनू ने गुड्डी को ललकारा
" गुड्डी यार मत देना, जबतक ये न बोले क्या चाहिए "
" बोल न भैया, मेरे प्यारे अच्छे भैया क्या चाहिए बस एक बार खुल के बोल दो, तेरी बहन कभी मना नहीं करेगी, मन की बात बोल देनी चाहिए " गुड्डी भी बड़ी मीठी सेक्सी आवाज में प्यार से दुलराते, हस्की सेक्सी आवाज में बोली।
" तेरा, तेरी, वो तेरा गोल, " किसी तरह थूक निगलते वो बोले और गुड्डी ने हड़काया
" साफ़ साफ़ बोलो न भैया मैं तुझे अच्छी नहीं लगती, तेरा लेने का मन नहीं कर रहा, नाम लेने में तो तेरी फट रही है लोगे क्या, लास्ट चांस "
और ये कह के गुड्डी ने अपना पिछवाड़ा एक इंच चौड़ी थांग से ढक लिया,
" नहीं नहीं, अपनी, अपनी गाँड़ " हिम्मत कर के वो बोले।
" अरे तो गाँड़ मारने का मन कर रहा है अपनी छुटकी बहिनिया का तो साफ़ साफ़ बोलो न, मैं मना थोड़े ही करुँगी और वैसे भी बुरिया में तो स्साले तूने बैगन घुसेड़ दिया है बस अब पिछवाड़ा बचा है, ले ले न लेकिन जरा प्यार दुलार से, ऐसे नहीं "
और ग्रीन सिग्नल की तरह उसी तरह झुके झुके उस टीनेजर ने अपनी थांग एक बार सरका दी।
एकदम टाइट गोल गोल छेद, बस बहुत हल्का सा, जैसी दो पहाड़ियों के बीच पतली पगडंडी हो, देख के ही लग रहा था ऊँगली भी नहीं घुस सकती, बस एक हलकी सी दरार, और गुड्डी ने दोनों हाथों से अपने दोनों चूतड़ों को फैला के गोलकुण्डा का दरवाजा भैया को दिखाया,
खूंटा पागल हो रहा था, शार्ट से बाहर लेकिन उनकी स्साली ने भी गुड्डी वाली बात दुहरायी,
" पहले प्यार दुलार, चुम्मा चाटी, फिर खुल के मांगो तब देगी मेरी ननद, वो कोई ५ रूपये वाली रंडी नहीं है की जब चाहा जैसे चाहा ठोंक दिया "
और प्यार दुलार में तो उनका कोई मुकाबला नहीं, बस भैया ने अपनी बहिन के पैरों को सीधे टखनों से चूमना चाटना शुरू कर दिया और उनके हाथ भी कभी सहलाते, कभी छू के छोड़ देर कभी उँगलियाँ सीधे गोल गोल नितम्बो तक, लेकिन फिर सरक के घुटनों के पास,
गुड्डी के लिए एक नया अनुभव था, कल शाम को ही तीन बार उसकी गाँड़ मारी गयी थी लेकिन इस तरह से मान मनौवल के बाद, पहली बार. वो सिसक रही थी, पागल हो रही थी,
" हाँ भैया, हाँ उह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह करो न, ले लो भैया, "
और अब उसके भैया के होंठ उस टीनेजर के, मिडल आफ टीन, वाली बहिनिया के गोल गोल चूतड़ों पर पहुंच गए थे, वो नितम्बो पर चुंबन की बारिश कर रहे थे। चुम्मे धीरे धीरे उस गोल दरवाजे के पास और अपनी लम्बी जीभ निकाल के गोलकुंडा के गोल दरवाजे की गुड्डी के भैया ने, सांकल खड़का दी।
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गुड्डी को जैसे ४४० वाल्ट का करेंट लगा हो, उसकी पूरी देह तड़प उठी, क्या कोई मछली पानी से बाहर निकलने के बाद उछलती होगी उस तरह से वो किशोरी पागल हो गयी जब पहली बार भैया की जीभ ने वहां टच किया
" भैया, मेरे भैय्या " बस यही निकल पाया मुंह से।
इनकी सास ने अपनी बड़ी बड़ी गाँड़ चटवा के इन्हे रीमिंग में ट्रेन कर दिया था और आज उस पढ़ाई का फायदा अपनी बहन के साथ ये उठा रहे थे।
जीभ कभी दरार से ऊपर नीचे होती बस जस्ट छूती हुयी तो कभी सपड़ सपड़ जैसे लड़कियां चाट ख़तम होने के बाद भी पत्ते को चाटती हैं उस तरह, चाटती,
और फिर होंठ भी मैदान में आ गए, उँगलियों से हलके से गुड्डी के भैया ने अपनी बहन के गोल छेद को फैलाया और खुले छेद पर अपने होंठ चिपका दिए, और ढेर सारा थूक जीभ के सहारे अंदर धकेल दिया। फिर क्या कोई वैक्यूम क्लीनर सक करेगा जिस तरह से उनके होंठ सक कर रहे थे,
गुड्डी जोरजोर से चूतड़ पटक रही थी, बस उसका एक मन कर रहा था, बस भैया पेल दें, ठेल दें, वो भी अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ों को पकड़ के फैला रही थी,
मन तो उनका भी कर रहा था गुड्डी की गाँड़ लेने का लेकिन आज अपनी बहन को सारा मजा वो देना चाहते थे, खूंटा उनका भी फनफना रहा था और अब उन्होंने सुपाड़ा गुड्डी की गाँड़ में लगाया,
गुड्डी सोच रही थी अब घुसेगा तब घुसेगा, वो कमल जीजू और अजय जीजू का भी घोंट चुकी, एक बार पिछले दरवाजे के पास पहुँचने के बाद कोई मरद अपने को रोक नहीं पाता, बस ठेलने के धकेलने के चक्कर में रहता है, लेकिन ये बार बार खड़े सुपाड़े को पिछवाड़े के छेद पर बार बार रगड़ के और आग लगा रहे थे साथ में होंठ कभी कमर पे चुम्मा लेते तो कभी कंधे पे,
" करो न भैय्या " गुड्डी से नहीं रहा गया, वो बड़ी मुश्किल से बोली,
जवाब में उसके भैया ने बहिनिया के नमकीन गाल पे एक कस के चुम्मा लिया और पीठ पे जीभ से सहलाते पूछा
" का करूँ बोल न मेरी बहिनिया "
" अरे पेल न अपना मोटा लौंडा अपनी बहिनिया की गाँड़ में " गुड्डी चीख के बोली और उसके बाद कौन भाई रुकता है।
गप्पाक
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रीनू देख रही थी, मुस्करा रही थी, अब स्साला मेरा जीजू सच में पिछवाड़े का रसिया बन गया है, उसके चेहरे से और धक्के के जोर से लग रहा है।
पिछवाड़े का बेसिक फंडा ननद के भैया ने सीख लिया, पेलना, ठेलना, और धकेलना, न की आगे पीछे करते हुए चोदना। और दूसरी बात जिसकी मारी जा रही हो, उसके तड़पने, चीखने चिल्लाने की एकदम परवाह न करना,
गुड्डी निहुरि हुयी थी, और उसके भैया उसकी पतली २४ इंच की कमर पकडे, हचक के धक्के मार रहे थे, घुसेड़ रहे थे, ठेल रहे थे, पेल रहे थे । लेकिन चार पांच धक्को के बाद वो रुक गए, वो भी समझ गए और उनकी छिनार बहिनिया भी,... की अब होगा असली इम्तहान, गांड का छल्ला, खैबर का दर्रा, जिसको दरेरते हुए, छीलते हुए जब खूंटा अंदर घुसता है तो एक से एक पुराने गांडू भी चीख पड़ते हैं,
" उई ईई नहीं ओह्ह्ह भैया, मेरे अच्छे भैया, नहीं भैया, जान गयी, बस एक मिनट रुक जाओ, ओह्ह " गुड्डी चीख पड़ी
लेकिन वो अब सीख गए थे, ये मौका पेलने का है, ठेलने का है, मजा लेने का है और कमर पकड़ के दूनी जोर से धक्का मारा की छल्ला पार , लेकिन जिस तरह दरेरते, फाड़ते रगड़ते घुसा, गुड्डी चीख पड़ी,
" उह्ह्ह नहीं भैया, तुम बहुत गंदे हो, बदमाश, एक मिनट, बस एक मिनट "
अगर एक मिनट का इन्तजार मारने वाला करे न तो न किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए न लौंडिया की, और उन्होंने भी नहीं किया बस ठेलते रहे , और दो चार मिनट में भाला अंदर जड़ तक धंस गया। और अब गुड्डी, उनकी बहन सिसक रही थी, मजे ले रही थी, कौन बहन नहीं खुश होगी अगर उसके भैया का बित्ते भर का खूंटा उसके पिछवाड़ा धंसा होगा,
" ओह्ह भैया बहुत अच्छा लग रहा है, तुम बहुत अच्छे हो, मेरे प्यारे भइया "
झुक के प्यार से उन्होंने उस टीनेजर के गुलाबी गोरे गोरे गाल कचकचा के काटते चिढ़ाया,
" क्या अच्छा लग रहा है मेरी प्यारी मीठी बहिनिया को, बोल न "
" धत्त " वो इंटर वाली वो किशोरी, एकदम मिडिल ऑफ़ टीन्स, शरमा गयी।
" बोल न, नहीं तो मैं निकाल लूंगा, " उन्होंने धमकाया और कस के बहन के कच्चे टिकोरों को मसल दिया, निप्स पकड़ के पुल कर लिया।
गुड्डी उनसे भी दो हाथ आगे थी ऊपर से रीनू की संगत, और गालियों की अच्छी ट्रेनिंग उसकी मीठी भाभी ने दी थी,
" स्साले, तेरी महतारी के भोंसडे में मेरे बचपन के यार का लंड, खबरदार जो लंड आपने निकाला " गुड्डी मुस्करा के बोली और इससे ज्यादा कौन बहन अपने भाई को उकसा सकती थी।
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क्या मस्त गाँड़ मारी उन्होंने अपनी बहन की, धक्के पे धक्के, साथ में छोटी छोटी चूँचियों की रगड़ाई। और गुड्डी भी उसी तरह कभी चीखती सिसकती कभी उन्हें गरियाती,
पर बित्ते भर के औजार और लम्बी रेस के घोड़े होने के साथ एक और गुण था उनमे जो, एक बार उनके साथ सोया वो जिंदगी भर के लिए उनका दीवाना हो जाता था, और वो था किस लड़की के देह में कौन काम बिंदु है उन्हें मिनट भर में मालूम हो जाता था फिर उन जगहों पर भी,
तो गुड्डी के साथ भी, कभी वो अपने बहन की चूँची रगड़ते कभी, जाँघों को छूते सहलाते और उनकी उँगलियाँ गुड्डी की बिल में घुसे मोटे बैगन पे पड़ गयी, बस उनकी बदमाश उँगलियाँ बस।
बैगन ने बहिनिया की बुर में बगावत मचा रही थी। कलाई से मोटा बैगन, बित्ते से लंबा, बहिनिया की बुर में बच्चेदानी तक घुसा, अटका, बुर एकदम फैली, जैसे फट रही हो, रुक रुक कर गुड्डी बहिनिया की बुरिया में चींटिया काट रही थी,
जब तक पिछवाड़े वाले छेद में गुड्डी के भैया के मूसल ने तूफ़ान मचा रखा था, गुड्डी बैगन को भूल गयी थी, लेकिन अब भैया ने अपना मूसल गाँड़ में जड़ तक पेल के छोड़ दिया था और बहिन के अगवाड़े ध्यान लगा दिया था और एक बार फिर से बिलिया में आग लग गयी थी।
बस अपने दाएं हाथ से बहन के बुर में घुसे बैगन को उन्होंने पकड़ के धीरे धीरे आगे पीछे घुमाना शुरू किया
और वो इंटर वाली टीनेजर सिसकने लगी,
" ओह्ह उफ्फ्फ, भैया, मेरे प्यारे भैया, ओह्ह करो न और जोर से करो न, सब ताकत चूस ली है किसी ने क्या, करो न भैया कस कस के "
कौन भाई अपनी उस बहन की बात ठुकरा सकता है जो बचपन से कलाई पे राखी बाँध रही हो,
बस कस कस के उन्होंने बैगन को आगे पीछे करना शुरू कर दिया और बायां हाथ बहन के कच्चे टिकोरे, उम्र ही क्या था, एकदम मिडल आफ टीन्स, गाल भी कचकचा के काट रहे थे,
" क्यों बहिनिया मजा आ रहा है " कस के गाल काट के उन्होंने गुड्डी से पुछा,
" हाँ भैया, हाँ ऐसे ही करते रहो, ओह्ह बहुत अच्छा लग रहा है "
लेकिन वो पक्के बदमाश, उनको अंदाज लग गया था की उनकी बहिनीया एकदम झड़ने के कगार पे है बस एक बार बैगन उन्होंने जड़ तक पेला और अपना मोटा लंड, बहन के पिछवाड़े से धीरे धीरे सरका के निकाला, पूरा नहीं, सुपाड़ा अभी भी अंदर तक धंसा, लेकिन करीब ६ इंच से ज्यादा मूसल पिछवाड़े के बाहर,
और अब आगे उन्होंने बैगन को आलमोस्ट बाहर निकाल के बस दो चार बार गोल गोल घुमा के छोड़ दिया,
" करो न भैया, प्लीज भैया, बस मैं एकदम कगार पे हूँ, बस दो मिनट भैया " गुड्डी एकदम झड़ने के किनारे पे बार बार अपने भैया इ गुहार कर रही थी, निहोरा कर रही थी।
लेकिन वो बदमाशी पे, गुड्डी के कान में वो बोले फिर साफ़ साफ़,
" तू भी कर न, बस थोड़ी देर "
मज़बूरी गुड्डी की और अब गुड्डी खुद अपने मोटे मोटे चूतड़ पीछे पुश कर के अपने भैया का मोटा लंड धीरे धीरे घोंट रही थी, इंच इंच लंड अंदर जा रहा था, लेकिन वो सिर्फ अपनी बहन की कमर पकडे थे घोंटे का काम बहन ही कर रही थी।
" यार बहुत मजा आता है तेरी गाँड़ मारने में " आज अपनी मन की बात उन्होंने प्यारी बहन की गालों को चूम कर के कह दिया।
" पहले तो कभी गोल दरवाजे की ओर झांकते भी नहीं थे और अब " गुड्डी ने चिढ़ाया और एक धक्का मारा पीछे और अब आधा से ज्यादा खूंटा गुड्डी की गाँड़ में,
" अब बहुत अच्छा लगता है गोल दरवाजे वाली गली में , " हलके से धक्के मारते हुए वो भी बोले,
" अरे भैया तो मैं कौन सा ताला लगा के रखती हूँ, चल तूने अपने मन की बात बता दी न, अब मैं अपनी सहेलियों को भी बुला के लाऊंगी, सब एक से एक मस्त माल हैं, " गुड्डी ने जबरदस्त ऑफर दिया।
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' लेकिन वो पिछवाड़े, " गुड्डी के भैया ने अपना शक जाहिर किया,
" अरे मैं पहले बोल दूंगी, अगवाड़े चाहिए तो पिछवाड़े पहले घोंटना पडेगा, और न मानेगी स्साली तो जबरदस्ती पेल देना, तुम भी भइया,एक तो तूने बात कही " गुड्डी बोली और गुड्डी की बात से खुश होके उन्होंने कस के बैगन को एक बार फिर से गुड्डी की बिल में आगे पीछे करना शरू कर दिया और थोड़ी देर में गुड्डी झड़ने लगी, लेकिन उन्होंने बुर की चोदाई नहीं रोकी,
" हाँ भैया हाँ, ओह्ह बहुत अच्छा लगा रहा है "
गुड्डी दो बार झड़ गयी उसके बाद ही वो रुके लेकिन फिर उन्होंने पिछवाड़े ह्च्चक ह्च्चक के, लेकिन उनके जोश के साथ उनकी बहन भी पूरा साथ दे रही थी, कभी कस के खूंटा निचोड़ लेती तो कभी धक्के का जवाब धक्के से देती तो कभी गरियाती तो कभी लालच देती,
" हाँ भैया, हाँ ऐसे ही, बहुत मजा आ रहा है, बोल लेना है मेरी सहेलियों की, मेरी कोचिंग वालियों की, "
" एकदम, नेकी और पूछ पूछ लेकिन मुझे ये लेना है उन सबकी " और ये कह के कस के दोनों जोबन पकड़ के अपनी बहन के पिछवाड़े धक्का मारते,
" अबे स्साले, साफ़ काहें नहीं कहता की गाँड़ मारनी है, एकदम दिलवाऊंगी, और सिर्फ मेरी क्लास वालियां ही नहीं है, एक से एक माल है कोचिंग में, अब नौवीं दसवीं वाली भी आती हैं, एकदम चूँचिया उठान, और चूतड़ ऐसे छोटे छोटे की लौंडे भी मात, मुंह खोल के बोल, आता हैं न मजा, "
गुड्डी ने और उकसाया।
"एकदम यार सच में बहुत मजा आ रहा है तेरी गाँड़ मारने में, एक बार दिलवा दे न,... उन सबकी गाँड़ मारूंगा, ओह्ह्ह उफ़ "
वो बोले और अब वो भी झड़ने के कगार पे थे, और जब झड़े थे तो खूंटा उन्होंने अंदर धकेल रखा था, गुड्डी ने कस के भींच रखा था वो भी झड़ रही थी।
चार पांच मिनट बाद जब उन्होंने निकाला, तो उन्हें याद आया हांडी चिकेन, और उनकी निगाह घडी की ओर पड़ी, लेकिन गुड्डी उन्हें छेड़ने से कैसे छोड़ती, उनकी ओर अपने ब्वाइश चूतड़ दिखा के दोनों नितम्बो को फैलाया, और धीरे धीरे उसके भैया का वीर्य, सरसराता हुआ बहन की गाँड़ से सरकता हुआ बूँद बूँद बहन की जांघ पे
मन तो उनका कर रहा था की पटक के बहन की गाँड़ दुबारा मार ले लेकिन घड़ी रानी कह रही थी बस दो मिनट बचे हैं हांडी चिकेन उतरने में
गुड्डी और उन्होंने मिल के हांडी चिकेन उतार लिया उसकी महक पूरे किचेन में फ़ैल रही थी , और रीनू ने आके गुड्डी की बिल से बैगन निकाल लिया और बोला की बिरयानी में अभी भी करीब पौन घंटे से लेकर एक घंटे लगेगें,
यही तो गुड्डी सुनना चाहती थी और गुड्डी से ज्यादा उनकी साली रीनू, वो वहीँ से बोली, " जीजू छोड़ना मत इस रंडी को, कड़ाही मैं देख लुंगी "
बस, न उनकी ताकत में कोई कमी थी न आसन के ज्ञान में, रीनू के जीजा ने अपनी बहन की दोनों टांगों के बैच अपनी टाँगे डाल के फैलाया और गुड्डी की की जाँघे नितम्ब सब फ़ैल गए, फिर एक ऊँगली पर दूसरी ऊँगली चढ़ाकर एक साथ जड़ तक गुड्डी की गाँड़ में पेल दी।
" उयी उह्ह्ह उईईईईई नहीं भैया "
गुड्डी कुछ दर्द से चीखी कुछ अपने भैया को जोश दिलाने के लिए, लेकिन गुड्डी भी जब से जवानी का पहला पानी चढ़ा था उसके ऊपर तभी से अपने भैया को देख के चींटिया काटती थीं, और अब भैया का साथ दिलाने के लिए, गुड्डी ने अपने दोनों नितम्ब पूरी ताकत से फैला लिए और बस इतना मौका काफी थी,
उँगलियाँ बाहर, सुपाड़ा अंदर, और अबकी गुड्डी वास्तव में दर्द से चिलायी
" ओह्ह भैया, नहीं, उफ्फ्फ, भैया तेरा कित्ता मोटा है, ओह्ह बहुत दर्द हो रहा है "
लेकिन अब उसका भाई उसके दर्द की चिंता नहीं कर रहा था उसे बस मस्ती की पड़ी थी, अगला धक्का और जोरदार और सुपाड़ा अंदर "
" बस बहना, घबड़ा मत तेरे प्यारे मोटू का सुपाड़ा अंदर चला गया है, अब तो रास्ता वो बना लेगा, बस दो मिनट और बर्दास्त कर ले"
और कचकचा के गुड्डी के मालपुआ वैसे गाल उन्होंने काट लिए, निपल पे पिंच कर लिया, एक हाथ बुलबुल को सहला रहा था
जैसे मछली को तैरना नहीं सिखाना पड़ता वैसे ननदों को छिनरपन नहीं सिखाना पड़ता, और गुड्डी तो छिनार में छिनार, उसने खुद एक टांग फैला के थोड़ी ऊपर दीवाल के सहारे, और भैया उसके इशारा समझने लग गए थे।
रस्ता थोड़ा चौड़ा हुआ और घुड़सवार दौड़ पड़ा, सामने खैबर का दर्रा था, एकदम संकरा, लेकिन उसके पार थी मस्ती की घाटी। सवार ने घोड़े को एड मारी और घुसा दिया दर्रे में,
उयी उयी नहीं ऑगगग उफ्फफ्फ्फ़ गुड्डी चीख रही थी, उसकी चीख कान बेध रही थी, लगा रहा था जैसे कसी भोंथरे चाकू से नन्हे मेमंने को हलाल किया जा रहा हो।
लेकिन यही चीखें तो और ऐड लगाती है घोड़े को, बिना घुड़सवार के कहे घोडा सुन के जोश में आ जाता है, खैबर का दर्रा पार हुआ और धीरे धीरे पूरा अंदर,
वो ठेलते गए, पेलते गए, ढकेलते गए, बहना चीखती रही, जल बिन मीन की तरह तड़पती रही, लेकिन उनकी जबरदस्त पकड़। मछली तड़प सकती थी, फिसल सकती थी, चंगुल से बाहर नहीं निकल सकती थी।
जब मंजिल तक, पूरे एक बित्ते उनकी बहन का यार, उनका मोटू अंदर घुस गया जड़ तक तब वो रुके और कुछ देर बाद गुड्डी की चीखे बंद हुयी, पहले सुबकियों में बदलीं फिर सिसकियों में।
और अब उनकी दो ऊँगली भी गुलाबो के अंदर और वो लंड से कम मजा नहीं दे रही थीं उन्हें एक एक नर्व एंडिंग जी प्वाइंट सब मालूम था
कभी गोल गोल कभी चम्मच की तरह मोड़ के, और दो मिनिट में ही बहिनिया पिघलने लगी, मस्ती बुर में आ रही थी और सिकोड़ वो गाँड़ रही थी,
लेकिन तभी एक चीख की आवाज सुनाई पड़ी, गुड्डी की कोमल भाभी की, उस खिड़की से लिविंग रूम काफी कुछ दिखता था जिसमे गुड्डी की भाभी और उनके दोनों जीजू, और उस चीख के बाद कमल जीजू की हलकी सी आवाज,
और भाभी और उनके जीजू भी हलके से दिखे, मतलब भाभी की भी उनके जीजू खड़े खड़े ले रहे थे .
गुड्डी एकदम सोच के गरमा गयी
लेकिन उससे ज्यादा असर उसके भैया पर पड़ा, वो धक्के उन्होंने अपनी बहिनिया के पिछवाड़े मारने शुरू किये की जैसे आज गुड्डी की गाँड़ का गोदाम बना के ही छोड़ेंगे, हर धक्का जड़ तक, पूरा बांस बाहर तक निकाल के एक धक्के में और ये चौथी बार थी जो आज गुड्डी की उसके भैया ले रहे थे तो गुदा सुरंग में जहाँ कहीं भी छिला था, चमड़ी खुली थी, फटी थी, उसे दरेरते रगड़ते
गुड्डी अब थोड़ा झुक गयी थी, खिड़की पकड़ के
और उसको भी आराम हो गया था और उसके यार और भतार को भी, धक्के और धुआंधार हो गए थे, लेकिन गुड्डी भी अब गुदा द्वार का मजा लेना मरवा मरवा के एक दिन के अंदर सीख गयी थी, कभी सिकोड़ती, कभी फैलाती कभी खुद धक्के मारती तो कभी भाई को उकसाती,
" हाँ भैया ऐसे ही, सच्ची तुझे अपने कोचिंग वालियों की अपनी सहेलियों की भी दिलवाऊंगी, एकदम कच्ची कलियाँ, दर्जा नौ दस वाली, दोनों ओर बिन फटी, अगवाड़े की भी झिल्ली फाड़ना और पिछवाड़े की भी, स्साली चिचियायेंगी बहुत लेकिन मैं रहूंगी न हाथ पैर पकड़ के, और एक बात बताऊँ राज की, लेकिन एकदम अपने तक रखना, "
" बोल न, " कमर पकड़ के सुपाड़ा ऑलमोस्ट बाहर निकाल के उसके भैया बोले,
" स्साला एक बार मादरचोद, तेरा पानी जिस लौंडिया के पिछवाड़े गिरा न, खुद हाथ पैर जोड़ेगी, अपनी छोटी बहनों को सहेलियों को ले आएगी बहुत असर है मेरे प्यारे अच्छे भैया के पानी में " मस्त बहन बोली और खुद पीछे धक्का मारा
और खूंटा फिर अंदर, गप्प
बस आगे दोनों ऊँगली बिल में और लंड बहन की गाँड़ में थोड़ी देर में गुड्डी झड़ रही थी, पर उन्होंने ऊँगली बाहर नहीं निकाली और निकाली तो बहन के मुंह में और पीछे के धक्को की स्पीड बढ़ा दी, पांच सात मिनट के बाद जब वो बहन की गाँड़ में झड़े तो गुड्डी भी दुबारा झड़ रही थी।
लेकिन अब उन दोनों के पास बहुत टाइम नहीं था, रीनू की आवाज आयी, हे बहनचोद, भाई चोद, अब आधे घंटे टाइम मुश्किल से बचा है, मेरी बिरयानी तैयार हो गयी है, चलो काम पे लग जाओ।
" हे रंडी रानी, अभी तुझे स्वीट डिश बनानी है, टेबल सेट करनी है " रीनू ने गुड्डी के चूतड़ों पे प्यार से एक हाथ कस के मारते हुए बोला,
और गुड्डी के पिछवाड़े से एक कतरा भाई की मलाई का निकल पड़ा, वो मीठी निगाह से अपने भाई की ओर देखते, बोली, " मीठी भाभी, चल मैं तो रंडी हूँ, लेकिन वो रंडी का भाई क्या हुआ ?"
" भंडुआ, बहन का दल्ला और क्या " हँसते हुए रीनू बोली,
" हे भंडुए चल जरा अपनी बहन की हेल्प कर, वो पांच छ दसहरी आम निकाल के उनकी लम्बी लम्बी स्लाइस काट ले, " गुड्डी ने अपने भैया को स्वीट डिश बनाने के काम पे लगा दिया और बाकी काम में वो खुद,
" थोड़ा मैरीनेट तो करा दे भैया ज्यादा टैंगी हो जाएगा, भैया मेरे "
गुड्डी ने अपनी चम्पाकली की दोनों फांको को फैला के अपने भाई को लुहकाया और कौन भाई छोड़ देता तो बस एक साथ दो तीन लम्बी लम्बी आम की फांके गुड्डी रानी की चूत में,
" चल फ़ास्ट मैरीनेट करा देता हूँ "
हँसते हुए उसके भाई ने बोला और गुड्डी की सीधे क्लिट चूसने लगा और साथ में उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ने लगा, और चासनी निकलने लगी, आम की फांके चूत रस में भीग उठीं।
भाई बहन की ये टीम, भाई के जिम्मे अभी भुना गोश्त बनाना बाकी था। अपनी चूत में आम की फांके घुसाए गुड्डी अपने भैया के के लिए सब मसाले, 2-3, तेज पत्ता, 4 लौंग, लंबी ,¼ इंच दालचीनी छड़ी, 2-3 हरी मिर्च, आधी तोड़ी हुई, हरी मिर्च, 4 मध्यम प्याज, कटा हुआ, प्याज. 1 बड़ा चम्मच नरम धनिया का तना, मोटा कटा हुआ, धनिया के दाने,1 ½ बड़ा चम्मच धनिया पाउडर,1 छोटा चम्मच देगी लाल मिर्च पाउडर, दे, गी लाल मिर्च पाउडर½ छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, हल्दी पाउडर, 1 चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट
जिस काम में दस पंद्रह मिनट लगता, भाई बहन ने मिल के ५ मिनट में निबटा दिया और फिर जब तक उसका भाई गोश्त भुनने में लगा था गुड्डी स्वीट डिश के बाकी काम में
चल भैया तुझे स्वीट डिश टेस्ट कराती हूँ, गुड्डी उछल के भाई के बगल में ,
क्या मस्त स्वीट डिश थी, भाई स्पेशल,
गुड्डी ने अपनी कसी चूत में आम की लम्बी फांके, खोंस रखी थी और उसके ऊपर क्रीम, ढेर सारी लथेड़ दी थी। और उसके भाई चूस चाट रहे थे। आम की सारी फांके भाई के मुंह में और क्रीम चेहरे पे
रीनू अपने जीजू की मस्ती देख रही थी और गुड्डी की हेल्प में स्वीट डिश सेट कर रही थी, वाइन के प्याले में क्रीम , मैंगो की लम्बी लम्बी फांके, ग्रेप्स के टुकड़े और सबसे ऊपर गारिंश के लिए एक चेरी।
जब तक गुड्डी और रीनू ने मिल के टेबल सेट की, भुना गोश्त और रोगन जोश भी तैयार था। बैगन की कलौंजी रीनू ने पहले ही तैयार कर दी थी।
लेकिन गुड्डी की हालत खराब थी, वो चल नहीं पा रही थी, कभी दीवाल का सहारा लेती तो कभी टेबल का, सुबह से चार बार उसके पिछवाड़े मोटा बांस जा चका था और किचेन में तो और रगड़ के ली गयी, फिर चार मोटे बैगन भी, एकदम जड़ तक, जोर जोर की चिल्ख उठ रही थी.
और थोड़ी देर में सभी लोग लंच के लिए टेबल पे, टंकी सब की खाली हो गयी थी, दो दो राउंड मलाई निकल गयी थी, दिन अभी बाकी था।
असल में खाने के दौरान भी और खाने के बाद भी लेकिन सब मजा गुड्डी के खर्चे पे
गुड्डी टेबल लगाने के बाद हम लोगों की ओर आयी , और रीनू उसके पीछे पड़ गयी ,
" अरे यार खाने के पहले एक बार ,.... अपने बचपन के यार से, ...तेरे पिछवाड़े को देख कर ही...देख . कैसा मस्त खड़ा है। "
अपने जीजू के खूँटे को शार्ट से निकाल कर मुठियाते , गुड्डी को दिखाते रीनू बोली ,
अजय और ये साथ साथ बैठे थे।
" अच्छा , भइया से मन न कर रहा तो मेरे जीजू से करवा लो , गुड्डी यार गांड तो तेरी मारी ही जायेगी , चाहे रीनू के जीजू से मरवा ले , या मेरे जीजू से , च्वायस तेरी। "
चल तो पा नहीं रही थी, कोई डिश ले के आती तो लड़खड़ाने लगती, कभी टेबल का सहारा लेती, तो कभी दीवाल का, लग रहा था अभी भी पिछवाड़े मोटा सा लकड़ी का टुकड़ा घुसा है।
किचेन में जो कुछ हुआ भैया बहिनी के बीच, कुछ गुड्डी ने खुद और कुछ रीनू मेरी कमीनी बहन ने बता दिया था. किचेन में दो बार उसके भैया ने गाँड़ मारी, एक बार तो निहुरा के और दूसरी बार खड़े खड़े ही मार ली। और उसके पहले भी सुबह से दो बार उस टीनेजर का, अपनी छुटकी बहिनिया का उसके भैया कर चुके थे, मतलब सुबह से चार बार भाई ने बहन की गाँड़ मार ली और अभी दोपहर बहुत दूर थी।
दर्द के मारे गुड्डी की भले हालत खराब थी, लेकिन चेहरे से ख़ुशी जलेबी की चाशनी की तरह टपक रही थी और उन दोनों से ज्यादा कोई खुश था तो मैं,
मेरे सोना मोना को अब खुल के पिछवाड़े का गोल दरवाजे का चस्का लगा गया था,
जीजू तो चार दिन की चांदनी है,... और अगर मेरे वाले को गोलकुंडा में मजा आने लगा था तो मतलब अब रात बिरात दिन दहाड़े, मेरे पिछवाड़े का भी नंबर लगता रहेगा। मैं खुश भी थी और चकित भी, गुड्डी को देख देख के, अगर कोई 'छिनार ननद' का मेडल होता तो मैं उसे तुरंत पहना देती,
सुबह से माना कमल जीजू ने भी मेरे कोमल कोमल पिछवाड़े का दो बार भुर्ता बनाया और उसके पहले अजय ने। लेकिन गुड्डी 4-3 से आगे थी। गुड्डी के भैया ने चार बार सुबह से उसके पिछवाड़े अपना मूसला पेला था और यहाँ दो बार कमल जीजू और एक बार अजय जीजू।
और चारो बार उसके " सीधे साधे " भैया ने, पिछली बार जब कमल जीजू आये थे तो दोनों, उन्होंने और अजय ने मिल के पिछवाड़े का न सिर्फ रास्ता खोला था बल्कि ५-६ बार, पर ये लड़की, कल शाम को ही तो इसके पिछवाड़े पहली बार कमल जीजू का और उसके बाद से अबतक सात आठ बार पिछवाड़े मूसल घोंट चुकी थी।
तो अगर वो दर्द के मारे बेहाल थी, पिछवाड़े अब ऊँगली भी नहीं घोंट सकती थी तो मैं समझ सकती थी
लेकिन ननदों की हालत कितनी भी खराब हो, भाभियों को उन्हें चिढ़ाने से कौन रोक सकता है
अभी तक कल्ला रही थी बेचारी की , लेकिन थी असली ननद , हम दोनों को छेड़ते बोली ,
' चलिए भाभी आप भी क्या याद करेंगी कैसी ननद से पाला पड़ा था , .... अबकी आप दोनों मरवा लीजिये , दो खूंटे तन्नाए ,... दो भाभियाँ ,... "
" चल यार छोटी ननद है तू , लेकिन उसके बाद किसी चीज के लिए मना मत करना , .... " रीनू ने चारा फेंका।
सच में हांका कर के शिकार को फंसाने में मेरी कमीनी बहन का कोई मुकाबला नहीं था।
" एकदम भाभी , ... बस अभी नहीं "
खाने के दौरान भी छेड़छाड़ मस्ती चालू रही, कमल जीजू इनके बगल में ही बैठे थे और उनकी गोद में उनकी छोटी साली, मैं और इनकी गोद में इनकी साली, रीनू, सर्व करने का काम गुड्डी का था और उसको सब लोग छेड़ रहे थे और बाद में वो भी अजय जीजू की गोद में,
खाने के बाद अजय ने वहीँ टेबल पर अपनी पेसल सिगरेट निकले और एक दो सुट्टा मारा होगा की गुड्डी ने उनसे छीन ली और क्या कस के दम मारा, जैसे साधू लोग चिलम पीते हैं एकदम उसी स्टाइल में, अजय ने सिखा दिया था गुड्डी को,
पर थोड़ी देर में हम सब लिविंग रूम में गद्दे पे , रीनू व्हिस्की को बोतल उठा लायी थी और सीधे बोतल से ही हम चारो, लेकिन थोड़ी देर में पोजीशन बदल गयी, मैं अजय की गोद में, रीनू इनकी गोद में और गुड्डी बहुत देर से कमल जीजू के सिंहासन पर नहीं चढ़ी थी तो वो वहां,
पन्दरह बीस मिनट की मस्ती के बाद रीनू ने गुड्डी के बचपन के यार का खूंटा शार्ट से निकाल लिया और गुड्डी को दिखाते हुए बोली,
जिस तरह से वो देख रही थी, सुबह से चार बार अपने भैया का अपने पिछवाड़े घोंट चुकी थी और जरा भी ताकत होती तो वो एक बार और, लेकिन उससे हिला भी नहीं जा रहा था, उसने जोर जोर से ना में सर हिलाया
रीनू के जीजू , रीनू के पिछवाड़े , और अजय जीजू मेरे पिछवाड़े ,... दोनों चालू हो गए ,
और गुड्डी लगी चिढ़ाने
" हाँ भाभी मजा आ रहा है न मेरे भाइयों से मरवाने में , अरे भाभियों को हम ननदे लाती ही इसलिए हैं , की हमारे भाइयों से अगवाड़े पिछवाड़े मरवाएँ , और भाभियों को खुजली भी इतनी मचती है , अपने माई बाप को छोड़ के चुदवाने , मरवाने आ जाती है ननदों के पास। "
अजय और इनके बीच में जैसे बाजी लगी थी , दोनों अपने सालियों की गांड से ऐसे हचक के मार रहे थे की चीख निकल जाती ही थी, और गुड्डी को हम दोनों को चिढ़ाने का खूब मौका मिल रहा था।
मैं मरवा तो अजय जीजू से रही थी लेकिन देख इनकी ओर रही थी,
असल में हम तीनो बहनो की बचपन की शर्त के मुताबिक़ जब बहने और जीजू सामने हों तो, मरद के नंबर लगने का तो चांस ही नहीं, जीजू और सिर्फ जीजू। इसलिए न रीनू अजय के साथ और न मैं इनके साथ, लेकिन मुझे एक बात बहुत अच्छी लग रही थी,
इनके चेहरे की ख़ुशी देखते ही बनती थी,
और मेरे लिए इनकी ख़ुशी से बढ़कर कोई ख़ुशी नहीं थी, चूत चोदने में तो इनका कोई मुकबला नहीं था, मैं तो खैर इनके अलावा सिर्फ अपने दोनों जीजू के साथ, लेकिन इनकी साली, मेरी कमीनी बहन, जिसने गिनती गिननी छोड़ थी, एक दिन में ही मान गयी और बोली, स्साला, चोदू नम्बर वन भी तेरे हाथ लगा।
पर पिछवाड़े की ओर ये मुंह भी नहीं, ...मेरा मतलब आप समझ ही गए होंगे, ...
लेकिन मेरी कमीनी बहन और उससे बढ़कर इनकी छिनार बहन ने क्या जादू किया था की अब ये पिछवाड़े के ही पीछे, जिस तरह से हचक के धक्के मार रहे थे, अपनी साली की गांड में image hosting
' क्यों भाभी मजा आ रहा है न , अरे अंदर तक , मथानी चलेगी तो अभी मक्खन निकलेगा भी। "
गुड्डी ने बाण चलाया
लेकिन सामने मेरी कमीनी बहन और गुड्डी की मीठी भौजी थी और वो बिना जवाब दिए कहाँ रहने वाली थी,
" मन कर रहा है क्या, मुंह में पानी आ रहा है भाई चोद, ....सुबह से चार बार गांड मरवा चुकी हो अपने भाई से , पर अभी भी प्यारे प्यारे भैया का खड़ा लंड देख के लिबरा रही हो। "
" अरे मीठी भौजी, मन कभी भरता है क्या, वो भी भाइयों से? पिछवाड़े, आपके इस स्साले जीजा ने इतना कस के न ठूंसा होता,... सब चमड़ी छील गयी है, चला नहीं जा रहा है, वरना मैं अपने भाई को कभी भी और किसी भी चीज के लिए ना नहीं करती। मैं तो दर्जा नौ से ही वीट लगा के चिक्क्न मुक्कन कर के, अपने इस भैया के लिए तैयार थी, अगर अभी पिछवाड़े, "
वो शोख टीनेजर मुस्कराकर अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के बोली.
असल में खाने के दौरान भी और खाने के बाद भी लेकिन सब मजा गुड्डी के खर्चे पे
गुड्डी टेबल लगाने के बाद हम लोगों की ओर आयी , और रीनू उसके पीछे पड़ गयी ,
" अरे यार खाने के पहले एक बार ,.... अपने बचपन के यार से, ...तेरे पिछवाड़े को देख कर ही...देख . कैसा मस्त खड़ा है। "
अपने जीजू के खूँटे को शार्ट से निकाल कर मुठियाते , गुड्डी को दिखाते रीनू बोली ,
अजय और ये साथ साथ बैठे थे।
" अच्छा , भइया से मन न कर रहा तो मेरे जीजू से करवा लो , गुड्डी यार गांड तो तेरी मारी ही जायेगी , चाहे रीनू के जीजू से मरवा ले , या मेरे जीजू से , च्वायस तेरी। "
चल तो पा नहीं रही थी, कोई डिश ले के आती तो लड़खड़ाने लगती, कभी टेबल का सहारा लेती, तो कभी दीवाल का, लग रहा था अभी भी पिछवाड़े मोटा सा लकड़ी का टुकड़ा घुसा है।
किचेन में जो कुछ हुआ भैया बहिनी के बीच, कुछ गुड्डी ने खुद और कुछ रीनू मेरी कमीनी बहन ने बता दिया था. किचेन में दो बार उसके भैया ने गाँड़ मारी, एक बार तो निहुरा के और दूसरी बार खड़े खड़े ही मार ली। और उसके पहले भी सुबह से दो बार उस टीनेजर का, अपनी छुटकी बहिनिया का उसके भैया कर चुके थे, मतलब सुबह से चार बार भाई ने बहन की गाँड़ मार ली और अभी दोपहर बहुत दूर थी।
दर्द के मारे गुड्डी की भले हालत खराब थी, लेकिन चेहरे से ख़ुशी जलेबी की चाशनी की तरह टपक रही थी और उन दोनों से ज्यादा कोई खुश था तो मैं,
मेरे सोना मोना को अब खुल के पिछवाड़े का गोल दरवाजे का चस्का लगा गया था,
जीजू तो चार दिन की चांदनी है,... और अगर मेरे वाले को गोलकुंडा में मजा आने लगा था तो मतलब अब रात बिरात दिन दहाड़े, मेरे पिछवाड़े का भी नंबर लगता रहेगा। मैं खुश भी थी और चकित भी, गुड्डी को देख देख के, अगर कोई 'छिनार ननद' का मेडल होता तो मैं उसे तुरंत पहना देती,
सुबह से माना कमल जीजू ने भी मेरे कोमल कोमल पिछवाड़े का दो बार भुर्ता बनाया और उसके पहले अजय ने। लेकिन गुड्डी 4-3 से आगे थी। गुड्डी के भैया ने चार बार सुबह से उसके पिछवाड़े अपना मूसला पेला था और यहाँ दो बार कमल जीजू और एक बार अजय जीजू।
और चारो बार उसके " सीधे साधे " भैया ने, पिछली बार जब कमल जीजू आये थे तो दोनों, उन्होंने और अजय ने मिल के पिछवाड़े का न सिर्फ रास्ता खोला था बल्कि ५-६ बार, पर ये लड़की, कल शाम को ही तो इसके पिछवाड़े पहली बार कमल जीजू का और उसके बाद से अबतक सात आठ बार पिछवाड़े मूसल घोंट चुकी थी।
तो अगर वो दर्द के मारे बेहाल थी, पिछवाड़े अब ऊँगली भी नहीं घोंट सकती थी तो मैं समझ सकती थी
लेकिन ननदों की हालत कितनी भी खराब हो, भाभियों को उन्हें चिढ़ाने से कौन रोक सकता है
अभी तक कल्ला रही थी बेचारी की , लेकिन थी असली ननद , हम दोनों को छेड़ते बोली ,
' चलिए भाभी आप भी क्या याद करेंगी कैसी ननद से पाला पड़ा था , .... अबकी आप दोनों मरवा लीजिये , दो खूंटे तन्नाए ,... दो भाभियाँ ,... "
" चल यार छोटी ननद है तू , लेकिन उसके बाद किसी चीज के लिए मना मत करना , .... " रीनू ने चारा फेंका।
सच में हांका कर के शिकार को फंसाने में मेरी कमीनी बहन का कोई मुकाबला नहीं था।
" एकदम भाभी , ... बस अभी नहीं "
खाने के दौरान भी छेड़छाड़ मस्ती चालू रही, कमल जीजू इनके बगल में ही बैठे थे और उनकी गोद में उनकी छोटी साली, मैं और इनकी गोद में इनकी साली, रीनू, सर्व करने का काम गुड्डी का था और उसको सब लोग छेड़ रहे थे और बाद में वो भी अजय जीजू की गोद में,
खाने के बाद अजय ने वहीँ टेबल पर अपनी पेसल सिगरेट निकले और एक दो सुट्टा मारा होगा की गुड्डी ने उनसे छीन ली और क्या कस के दम मारा, जैसे साधू लोग चिलम पीते हैं एकदम उसी स्टाइल में, अजय ने सिखा दिया था गुड्डी को,
पर थोड़ी देर में हम सब लिविंग रूम में गद्दे पे , रीनू व्हिस्की को बोतल उठा लायी थी और सीधे बोतल से ही हम चारो, लेकिन थोड़ी देर में पोजीशन बदल गयी, मैं अजय की गोद में, रीनू इनकी गोद में और गुड्डी बहुत देर से कमल जीजू के सिंहासन पर नहीं चढ़ी थी तो वो वहां,
पन्दरह बीस मिनट की मस्ती के बाद रीनू ने गुड्डी के बचपन के यार का खूंटा शार्ट से निकाल लिया और गुड्डी को दिखाते हुए बोली,
जिस तरह से वो देख रही थी, सुबह से चार बार अपने भैया का अपने पिछवाड़े घोंट चुकी थी और जरा भी ताकत होती तो वो एक बार और, लेकिन उससे हिला भी नहीं जा रहा था, उसने जोर जोर से ना में सर हिलाया
रीनू ने तय कर लिया था जाने के पहले अपने जीजू को, पिछवाड़े का, गोल दरवाजे का जबरदस्त रसिया बना के मानेगी,
और काफी कुछ उसका मिशन कामयाब भी हो गया, आज सुबह से इन्होने जिस तरह से अपनी कुँवारी कमसिन कच्ची उमर वाली बहन की चार बार गाँड़ मारी थीं, साफ़ था अब वो भी गोलकुंडा के दीवाने हो रहे थे,
लेकिन उस इलाके के असली मास्टर तो कमल जीजू थे और जब अब अजय और गुड्डी बाहर चले गए थे, सिर्फ मैं और ये , रीनू और कमल जीजू बचे थे तो बात उसी ओर मुड़ गयी या मोड़ दी गयी। मैंने और रीनू दोनों ने कमल जीजू को बोल रखा था और कमल जीजू से बड़ी अथॉरिटी कौन था पिछवाड़े के मामले में तो बात उन्होंने शुरू की,
" कल से कितनी बार गांड मारी , ... " व्हिस्की इनके ग्लास में ढालते हुए कमल जीजू ने साफ़ साफ़ पूछ लिया।
" , सात बार , , पांच बार अपनी बहिनिया की, और दो बार इनकी बहिनिया की, "
मेरी ओर इशारा करके, मुस्कराते हुए उन्होंने कन्फेस किया... "
" मजा आया न ,... " अपना पेग बनाते हुए कमल जीजू ने फिर पूछा।
थोड़ा सा ब्लश किया उन्होंने फिर कबूला , ... " हाँ बहुत ,... "
" देखो क्या चीज़ तुम मिस कर रहे थे यार , अच्छा बोल , चोदने में ज्यादा मजा आता है या गांड मारने में " कमल जीजू आज उन्हें छोड़ने के मूड में नहीं थे ,
" दोनों का अलग अलग मजा है ,... लेकिन गांड मारने में सच में बहुत मजा आया , एकदम कसी कसी और जब वो भींच लेती है कस के , तो रगड़ रगड़ के जबरदस्ती कर के ठोंकने का ,... और जब वो छल्ला पार होता है , मजे से उस समय ,... " उन्होंने कबूला।
और थोड़ी रीनू और मेरे ग्लास में और व्हिस्की गटकते हुए रीनू अपने जिज्जा पर चालू हो गयी,
" अरे जीजू स्साले, भँड़वे, बचपन के गँड़वे, स्साला लजा किस बात पे रहा है , मेरे सामने अपनी उस कच्ची कोरी बहिनिया की हचक के गाँड़ मारी , वो भी एक दो बार नहीं चार बार, सुबह सुबह गुड मॉर्निंग भी अपनी बहन की गाँड़ में पेल के किया और किचेन में खाना बनाते समय भी उस की दो बार मारी, तो गाँड़ मारने में लाज नहीं और बोलने बताने में लाज, खुल के बोल न "
और अपने मुंह में रखी हुयी सारी व्हिस्की इनके मुंह में
और साली का बात कौन टालता है और अब इनकी झिझक भी पूरी तरह से खुल गयी थीं,
" सच में बहुत मजा आया, और ये मत पूछिए की कब आया, ये पूछिए की कब नहीं आया। "
ये बोल के उन्होंने रीनू की ग्लास से व्हिस्की का एक घूँट मारा, उनका एक हाथ रीनू के कंधे पर था, तो कस के अपनी साली का जोबन मसलते रीनू से बोला,
"देख यार, पहले तो घुसेड़ते हुए, ...एकदम कसा कसा गोल गोल छेद "
और रीनू ने जोर से इन्हे घूरा, रीनू सिर्फ इनकी पिछवाड़े की आदत ही नहीं भाषा भी सुधारने के चक्कर में थी,
और ये मुस्करा के फिर से बोले, " कसी कसी गाँड़ में, घुसेड़ते हुए एकदम अलग मजा आता है, फिर घुसते ही सुपाड़ा जिस तरह से वो गच्छ से दबोच लेती है, बचपन में जैसे कोई मुलायम हाथ से लंड को पकड़ के दबाये और हलके हलके मुठ मारें एकदम उसी तरह से बाकि उससे भी सौ गुना ज्यादा, जैसे मखमल में लपेट के मुट्ठ मार रहे हों "
हम सब इनकी बात मजे ले के सुन रहे थे,
और रीनू ने एक बार फिर अपने मुंह से इनके मुंह में एक पेग व्हिस्की, और ये हर बार क्वाटिफाई कर के तो इन्होने प्वाइंट वाइज, गांड मारने के मजे बताने शुरू किये,
" ये मेरी साली न होती न तो अब तक मैं भी इत्ते अच्छे मजे से, बचा रहता, सब क्रेडिट मेरी साली की । तीन मजे तो एकदम साफ़, पहली बात, गोल छेद का पेलने का मजा भी अलग, दूसरी बात की बुर में तो एक बार ठेल दो, सुपाड़ा घुस गया बस खाली धक्के देना है, यहाँ सुपाड़ा घुसने के बाद भी असली मेहनत और मजा तो जब गाँड़ का छल्ला पार करता है, "
कमल जीजू एक्सपर्ट थे तो उन्होंने एक्सपर्ट कमेंट किया
" एकदम सही कह रहे हो, असली मजा तो उसी में आता है जिसकी मारी जाती है न चाहे लौंडा हो या लौंडिया, उसी समय चिंचियाती है लेकिन एक बार घुस जाए न तो बस थोड़ी देर रुक जाओ, एक बार गाँड़ को लंड की आदत लग जाए, फिर आगे पीछे, आगे पीछे कर के सुपाड़े को उसी छल्ले पे बार बार बार रगड़ो "
कमल जीजू उनकी समझा रहे थे और मैं सिसक रही थी,सोच सोच के. सच में उस समय,... बस जान नहीं निकलती, मजे से भी दर्द से भी।
लेकिन मैंने बात आगे बढ़ाई,
" और तीसरा फायदा "
" पांच दिन वाली छुट्टी नहीं होती पिछवाड़े, " व्हिस्की ख़तम करते वो हंस के बोले
" एक्जैक्टली ,... यही बात तो मैं कह रहा हूँ यार , जब दो मजे मौजूद हैं तो सिर्फ एक तरह के मजे का क्या मलतब ,... " कमल जीजू ने थोड़ी दारु और इनके ग्लास में डाली।
" पर ,... " वो थोड़ा हिचकते बोले।
उनके साथ यही परेशानी थी उनका कान्शंस , हर बार चीन की दीवाल बन कर आड़े आ जाता था। इस चक्कर में गुड्डी उन्हें हाईस्कूल से ही लाइन दे रही थी , पर उसकी टांग तभी फैली जब मैं आयी तभी वो ,... "
" पर वर कुछ नहीं ,... देख यार ये तेरा माल , तेरी बहन इत्ते दिन से यहाँ है तूने उसकी चुनमुनिया रोज ली होगी , लेकिन पिछवाड़ा ,... नहीं लिया था न। और एक बार कल कल पिछवाड़े का मजा लिया तो आज फिर सुबह सुबह उसकी गांड मार ली न , हैं न। "कमल जीजू ने फिर समझाया
एक बार, अरे सुबह से चार बार गाँड़ मार चुके हैं उसकी, हँसते हुए उनकी साली बोली
" हाँ " माना उन्होंने। " और मजा भी बहुत आया " हँसते हुए जोड़ा उन्होंने।
" और अब , किसी दिन छोड़ेगा उसके पिछवाड़े को ,... "
" एकदम नहीं बल्कि पहले पिछवाड़े से ही शुरुआत करूँगा , दिन रात ,.... सच में आपकी बात सही है ,एकदम अलग ही मजा है , ... वो चिंचियाती बहुत है ,... लेकिन ,... "
और उनकी बात मैंने पूरी की ,... कमल जीजू के ग्लास से सीधे दारु एक बार में घुटक गयी ,...
" लेकिन देती तो है न , ... आज सुबह कैसे मजे में गांड मरवा रही थी , तुमसे मेरे और रीनू के सामने। बिना चीख पुकार के गांड मरौवल थोड़े ही होती है। "मैं बोली ,
कमल जीजू ने मुझसे प्रॉमिस किया था की जाने से पहले 'लौंडो की नेकर सरकाकर निहुराकर वाला मजा ' न सिर्फ मेरे हबी को दिला देंगे , बल्कि जेंडर डिस्क्रिमिनेशन की उनकी आदत भी ख़तम करा देंगे।
अबकी उन्होंने, अपनी और कमल जीजू की ग्लास में व्हिस्की डाली।
" देख यार अब तो सुप्रीम कोर्ट भी मान गयी , ३७७ का भी खतरा नहीं है , है न। तो कभी किसी लौंडे के साथ , अरे यार वो मजा अलग ही है , तेरी इस बहन के उमर के बल्कि उससे भी कच्ची उमर के , नेकर सरका के , जबरदस्ती निहुरा के ठोंकने का मजा ,.... तुझे तो मालूम ही है ,..."
कमल जीजू ने इन्हे समझाने की कोशिश की लेकिन लॉ का ज्ञान इनका, अच्छे अच्छे वकील हार मान जाते, हँसते हुए कमल जीजू की बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,
" एकदम सही कहा आपने, बल्कि नए वाले कानून में, BSS में तो सोडोमी, और उनकी एक निगाह अपनी साली पर पड़ गयी और भाषाः सुधारते बोले ,
“गाँड़ मरौव्वल, लौंडो के साथ की तो कोई धारा भी नहीं न लौंडो के साथ न जानवरो वाली, मतलब अगर जबरदस्ती भी कोई किसी चिकने लौंडे की गाँड़ मार ले,... "
कमल जीजू जोर से हँसे, बोले
" चल इसी बात पे कल तुझे एक चिकने की गाँड़ दिलवाता हूँ, इस का भी मजा ले ले "
और अपनी बात पर जोर डालने के लिए इन्हे फिर समझाना शुरू किया
" देख यार बिना ट्राई किये किसी चीज को अच्छा बुरा कैसे कह सकते हो , एक बार ट्राई कर लो ,... लौंडों के साथ ,... देख कल तक तुमने उस लौंडिया की गांड नहीं मारी थी तो तुम्हे मजा भी नहीं मालूम था पिछवाड़े का ,... और अब सुबह सुबह अपनी बहन के पिछवाड़े ,... चार बार अपनी बहन की गाँड़ मार चुके हो तो, छेद तो वही है, बनावट वही है, उसी तरह कसी कसी, कस के दबोचती, मखमल सी मुलायम, दुबदुबाती, एक बार मार लो लौंडे की गाँड़, नहीं मजा आएगा, तो आगे मत मारना लेकिन मेरी गारंटी है मजा जरूर आएगा ,…और खुद कह रहे हो की अब आगे से , पीछे पहले ,... "
कमल जीजू की कन्विंसिंग पावर बहुत थी , झूठे ही नहीं एक मल्टीनेशनल में वो वाइस प्रेजिडेंट मार्केटिंग थे , वो एस्किमो को भी बर्फ बेच सकते थे , मेरे ये तो ,...
और मैं भी कमल जीजू का साथ दे रही थी, ऊपर से ,...एक बार फिर मैंने कमल जीजू की ग्लास से दारु गटकी और बोली ,
" जीजू सही तो कह रहे हैं , देख यार मैं तेरी बहन के साथ मजे लेती हूँ की नहीं , रगड़ रगड़ कर उसे , चूसती चटवाती हूँ की नहीं ,... तेरे सामने ही , पहली रात ही , चूस चूस कर , .... वो तेरा भी चूसती है मेरी सहेली को भी ,... और अब तुझे गोल छेद का मजा आने लगा है तो जैसे तेरी छिनार भाई चोद बहिनिया की गाँड़ है वासी उस स्साले चिकने की भी होगी, तो एक बार में कोई गे थोड़ी हो जाता है, चूको मत चौहान।
" हाँ वो तो है। " वो बोले ,...
" और तेरी बहन भी , ... तो बस जैसे छेद छेद में अंतर नहीं करने का , उसी तरह लौंडे लौंडिया में अंतर नहीं करने का ,... और गलत होता तो जज लोग हाँ करते ,... मेरी बात मान लो , दो चार बार ट्राई कर ले , ... मेरे सोना मोना , न मजा आये , ... तो ,... "
अब मैं उनके पीछे पड़ गयी।
और वो कुछ बोल पाते उसके पहले चुम्मा लेकर मैंने होंठ बंद करा दिए .मैं, कमल जीजू और रीनू उनकी साली तीनो उनके पीछे पड़े थे
लेकिन इनकी असली नस पकड़ी थी या तो इनकी सास ने या इनकी साली ने। समझाने से ज्यादा इनपर असर होता था, सीधे हुकुम देने का, और रीनू ने वही किया,
" कल सीधे से जाके कमल जीजू के साथ, चिकने की गाँड़ मार के, और तूने जरा भी नखड़ा किया न तो कमल जीजू उसी चिकने के सामने तेरी मार लेंगे, और एक क्यों, सुबह से चार घंटे में चार बार अपनी बहिनिया की गाँड़ मार लिए तो कम से कम तीन चार लौंडे, वरना सोच लो, लौट के आओगे तो मेरे पास ही न "
और कमल जीजू ने फैसला भी सुना दिया ,
" और ये मत बोलना की कहाँ , कैसे ,... मेरे एक दोस्त ने यहाँ एक स्पा खोला है , माइकोनास ,... . एक से एक चिकने , ... सोना , डार्क रूम , स्टीम ,... और सन्डे को उसके यहाँ डार्क नाइट होती है , बस कल चलते हैं ,ज्यादा नहीं दो तीन घण्टे , तुझे भी नया स्वाद दिलवा दूंगा ,... और उसके बाद तो तू खुद ही पटा लेगा , ... मैं उसको अभी टेक्स्ट करता हूँ। "
उधर कमल जीजू टेक्स्ट कर रहे थे
इधर ये कुछ सोच रहे फिर बोले, नाम सुना लग रहा है, किसका है "
" अरे तुझे याद होगा, तुझसे एक साल ही तो सीनियर था, रणवीर, " कमल जीजू बोले और उनके साथ ये भी फ्लैश बैक में चले गए, मुस्कराते हुए बोले
" एकदम याद है, खूब गोरा चिकना, हाईस्कूल में उसकी टाइटिल थी, ' है शूकर की तू है लड़का " जबरदस्त नमकीन, आपका लौंडा "
" वही " हँसते हुए कमल जीजू बोले, इन्वेस्टमेंट बैंकर हो गया था, पांच साल अमेरिका में रहा, खूब पैसा कमाया, और अब यहाँ आके मेल स्पा खोल लिया है, जब उसे पता चला की मैं आ रहा हूँ तो एकदम पीछे पड़ गया। तो कल वहीँ, ले चलूँगा तुझे,
और प्राइवेसी एकदम है, मोबाइल तो रखवा ही लेते हैं, जैमर भी लगा रखा है, बिना आई डी के एंट्री नहीं है, सिर्फ मेंबर्स या गेस्ट या स्टाफ। कपडे वपड़े भी सब लॉकर में और उसकी दी हुयी टॉवेल, जिसपे माइकोनस लिखा होता है, और लाकर की चाभी एक कलाई में बंधी रिंग में, मसाज के लिए एक से एक स्टड हैं जिन्हे टॉप चाहिए और कमसिन चिकने भी। मुझसे बोल रहा था तीन चार एक दम नए चिकने हैं आप के लिए तो बस उन्ही में से, "
" एकदम जीजू " मैं और रीनू एक साथ बोले, और रीनू ने इनसे बोला, " स्साली की नाक न कटवाना " और मेरा हाथ दबा दिया।
मैं समझ रही थी रीनू की प्लानिंग, उसके असली निशाने पे गुड्डी थी, वो सब जो खेल खिलौने ले आयी थी, फिर किंक वाली हरकते, ये तीनो मरद घर से चार पांच घंटे के लिए गायब होते तभी हो सकता था तो ये लोग मेल स्पा में और यहाँ लड़कियों का खेल, हम दोनों बहने मिल के इनकी बहन की,
मैं गुड्डी के बारे में सोच ही रही थी की,
गुड्डी और अजय जीजू एक साथ कमरे में दाखिल हो गए, फोटोशूट पूरी कर के
और रीनू अपने सिंहासन पर , इनकी गोद में , ... गुड्डी भी अपने भइया के बगल में ,... इनके और अजय जीजू के बीच में दबी चिपकी , मजा लेती ,
गुड्डी मुस्कराते हुए इनके और अजय की गोद में बैठे बैठे देख रही थी , बोतल उसी के हाथ में थी , कभी ये कभी अजय सीधे बोतल से ही , और गुड्डी भी।
गोल्डन शावर की सीन चल रही थी , एक लड़की , एक लड़के के खुले मुंह में ,...
सीधे छरर छरर सुनहरी शराब , ... कभी वो शरारत से इधर उधर , उसके चेहरे को भी अपने ,...
और गुड्डी के भैया बहुत ध्यान से देख रहे थे। उनके चेहरे को देख के लग रहा था की उन्हें बहुत मजा आ रहा है, ये देखने में।
गुड्डी ने शरारत से उनकी ओर मुस्करा कर देखा जैसे कह रही हो , भैय्या ,… सुबह की बेड टी।
सुबह सुबह, गुड्डी ने उठ के अपने भैया कम भतार ज्यादा के मुंह में एकदम उसी तरह से, जिस तरह से पिक्चर में लड़की लड़के के ऊपर बैठ के, और शरारत थी इनकी साली की, जिसने गुड्डी को उकसा के,
पर रीनू उनकी साली इतनी आसानी से अपने जीजू को छोड़ने वाली नहीं थी , ...
" जीजू , सुबह का स्वाद याद है ,मन नहीं भरा ,... गुड्डी यार एक राउंड हो जाय और ,... "
गुड्डी ने बोतल से सीधे व्हिस्की गटकी नीट और अपनी मीठी भौजी को बोतल पकड़ाती इनसे बोली ,
"भइया मुझे कोई ऐतराज नहीं है , और मैं अपनी मीठी भाभी की क्यों बात टालती नहीं , .... "
लेकिन तब तक सीन बदल गया था , एक लड़का लड़की के मुंह में सीधे ,... और गुड्डी को अपने भइया को चिढ़ाते बोली
" भइया देखिये, सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़के भी ,... "
और वो लड़का थोड़ी दूर से ,... रीनू बोली " स्साले का निशाना कितना पक्का है , गुड्डी तेरे भइया ने कभी तेरे साथ ,... "
गुड्डी ने बुरा सा मुँह बनाया , चेहरा लटका लिया ,
" कहाँ भाभी आपके जीजू तो बस ,... एकदम कंजूस , ... इसमें भी कंजूसी ,.... "
एक बार फिर रीनू इनके ऊपर चढ़ गयी।
" मेरी ननद एकदम सही शिकायत कर रही है , जीजू लगता है आप अपनी बहन को एकदम प्यार नहीं करते , चलिए कल , मेरे सामने ,... पक्का "
पिक्चर में एक से एक सीन थीं ,
इनके सामने एक दो बार मैंने इस तरह की पिक्चर लगाई थीं लेकिन इन्हे एकदम , पसंद नहीं थी, इन्हे सिर्फ स्ट्रेट सेक्स वाली xxx लेकिन आज सबसे ज्यादा मजे ले ले के यही देख रहे थे।
बोल सब रहे थे, सब से ज्यादा लेकिन गुड्डी फिर रीनू ,
एक सीन बाथरूम का था , उसमें तीन लड़के , एक लड़की को ,... गोल्डन शावर ,...
" देखो भइया , अब ,... इसमें लड़के सब एक लड़की के साथ ,... और आप पूछ रहे थे , ऐसा होता है क्या ,... "
गुड्डी ने उन्हें फिर छेड़ा , लेकिन रीनू अबकी अपने जीजू के साथ
" अरे गुड्डी बाई साफ़ साफ़ काहें नहीं कहती तेरा भी मन कर रहा है , मर्द तीन मेरी किशोर ननद अकेली ,...चल हम सब लोग कल साथ साथ नहाएंगे और तेरे साथ एकदम इसी तरह ,...
अजय और कमल जीजू तो एकदम उछल पड़े , हाँ एकदम दोनों ने बोला , पर ये एकदम चुप
पर गुड्डी उनको कोंचती बोली , " भइया आप भी तो बोलो न हाँ या नहीं , बोल न। "
गुड्डी की ओर मुड़कर देखा इन्होने और मुस्करा के बोल दिया , " हाँ , चलो , ... "
आउट डोर सीन भी थे , .. और स्कैट जब सीन आयी तो ये अनकम्फर्टेबल फील कर रहे थे , पर मुझे तो मालूम ही था की जब पहली बार मंजू बाई के यहाँ गए थे तो मंजू और गीता ने मिल कर ,.. कुछ भी नहीं छोड़ा था दोनों ने।
" क्यों मंजू की याद आ रही है क्या , ... " उनके कान में चिढ़ाते हुए मैंने पूछा।
वो बस मुस्करा दिए ,
आज बंद बाथ रूम से जब गुड्डी शरमाती हुयी रीनू के साथ निकली थी , एकदम उसी तरह ,... और मैंने गुड्डी से पूछ लिया , " हे कैसा था स्वाद ,... "
और वो रीनू दोनों साथ साथ मुस्करायीं।
" जंगल में मोर नाचा किसने देखा ,... " मैंने रीनू से शिकायत की।
" चल यार कल मोर तेरे सामने नाचेगा , ... क्यों गुड्डी " रीनू बोली , और गुड्डी ने मुस्करा कर हामी भरी।
-
तब तक एनिमल वाले सीन शुरू हो गए थे , कुत्ता गधा क्या क्या नहीं था ,...
गुड्डी बोली , भाभी गदहों के साथ भी ,...
" यानी कुत्ते के साथ तुझे ऐतराज नहीं है ,... " रीनू ने चिढ़ाया उसे।
" नहीं बात दूसरी है मेरी ननद जिस गली में रहती हैं उसे गदहे वाली गली भी कहते हैं , शुरू में ही एक दो घर धोबी के घर हैं और वहीँ गदहे बंधे रहते हैं , बस बचपन से उनका ,... देख देख कर ललचाती रहती है बेचारी , ... " मैंने मामला साफ़ किया।
ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी , व्हिस्की की दो बोतलें भी।
" हे चलते हैं आज शाम को कोई पिक्चर देखने , " कोई बोला।
गुड्डी एकदम उछल पड़ी ,
वाह , मजा आएगा , कौन सी पिक्चर, ...उसने कम टू माई शो खोल लिया था
और जीजू ने उसके उभरते हुए उभार कस के मसल कर बोला ,
" अरे गुड्डी रानी ,... कोई सी भी पिक्चर , पिक्चर नहीं पिक्चर हाल इम्पोर्टेन्ट हैं , हाँ एकदम खाली खाली सा , लास्ट रो छह सीटें ,.... हम तुम साथ साथ होंगे तो परदे वाली पिक्चर किसे देखनी है ,... "