
बहुत बढ़िया अपडेट है कोमल जी। gaand marne ke fayade to sachmuch kamal के है आपके. और फिर एक बार गांड का स्वाद लग जाए तो फिर ना मारे बिना और ना ही मरवाये बिना मजा आता है।.जोरू का गुलाम भाग २२८ -
गुड्डी की रगड़ाई
--
--
image hosting
खाने के पहले बहुत मजा आया ,
असल में खाने के दौरान भी और खाने के बाद भी लेकिन सब मजा गुड्डी के खर्चे पे
गुड्डी टेबल लगाने के बाद हम लोगों की ओर आयी , और रीनू उसके पीछे पड़ गयी ,
" अरे यार खाने के पहले एक बार ,.... अपने बचपन के यार से, ...तेरे पिछवाड़े को देख कर ही...देख . कैसा मस्त खड़ा है। "
अपने जीजू के खूँटे को शार्ट से निकाल कर मुठियाते , गुड्डी को दिखाते रीनू बोली ,
अजय और ये साथ साथ बैठे थे।
" अच्छा , भइया से मन न कर रहा तो मेरे जीजू से करवा लो , गुड्डी यार गांड तो तेरी मारी ही जायेगी , चाहे रीनू के जीजू से मरवा ले , या मेरे जीजू से , च्वायस तेरी। "
अजय के खूंटे को मसलते रगड़ते मैं बोली।
The last update, गुड्डी की रगड़ाई
is on the previous page, page 1332. Please read, enjoy, like and comment.
Ufff kya scene create riya hai Komalji. Aapko in sabre bahut achhha practical experience hai.जोरू का गुलाम भाग २२६ -गेम टाइम
गुड्डी चढ़ी, भैया के भाले पर
२७,२७,७३६
![]()
और नाश्ते के बाद --गेम के सारे रूल्स रीनू ने ही तय किया ,
उन तीनो की बहन , गुड्डी , सिर्फ हाथ से मुठिया कर , झंडा खड़ा करेंगी , और उसके बाद गुड्डी बारी बारी से तीनों के खूंटे पर चार चार मिनट के लिए ,..... जो पहले झड़ेगा वो गेम से बाहर ,... और बचे दोनों लोगो के लिए रीनू आगे बताएगी।
तीनो लोग सोफे पर बैठे , ... और गुड्डी सबसे पहले अपने बचपन के यार के खूंटे पर ही चढ़ी ,... नीचे से ये उचका उचका कर ,...
रीनू तो टाइमकीपर थी लेकिन मैं तो खाली थी ,
मैं क्यों छोड़ देती मजा लेना अपने जीजू लोगों से और मैंने कमल जीजू को टारगेट किया ,... डंडा जब गुड्डी के बिल में होता तो रसगुल्ले मेरे मुंह में
![]()
और जो वो अजय या इनके खूंटे पर चढ़ी होती तो मैं पूरा लंड , ... जितना मैं चाटती थी उससे ज्यादा जोर से कमल जीजू मेरा मुंह चोदते थे , एकदम हलक तक ,...
तीन राउंड गुड्डी तीनो के खूंटे पर चार चार मिनट तक चढ़ी , चौथे राउंड में कमल जीजू ,...लेकिन मैंने फिर बेईमानी की ,
वही पिछवाड़े ऊँगली , प्रोस्ट्रेट मसाज ,... जो मम्मी ने शादी के पहले मुझे सिखाया था ,...
और कमल जीजू झड़ते नहीं तो गेम आगे कैसे बढ़ता , सारी मलाई गुड्डी रानी की बुर में ,
और अब जब वो अजय के खूंटे पर बैठने लगी तो रीनू ने थोड़ा सरका दिया , अबकी पिछला छेद
![]()
( ऑफ कोर्स बट प्लग निकल चुका था )
अजय ने जोर लगाकर पूरा गुड्डी की पतली कमर पकड़ कर नीचे की पर खींचा , रीनू ने जोर से कंधे दबाये , ...और गुड्डी ने भी ,.... तिल तिल करके
अब गांड मरौव्वल का समय छ मिनट का था , उसके बाद गुड्डी अपने बचपन के यार , मेरे सोना मोना के खूंटे पर ,...
मान गयी मैं गुड्डी को , दो तीन मिनट में इनका बालिश्त भर का खूंटा उसकी गांड के अंदर ,...
गुड्डी का चेहरा दर्द से डूबा हुआ था , वो पसीने पसीने हो रही थी , तब भी वो नयी लौंडिया , किशोरी , अपनी पूरी ताकत से दोनों हाथों से इनके खूंटे पर बैठने की अपने कैसे पिछवाड़े के छेद में इनके मोटे कड़े लंड को घोंटने की कोशिश कर रही थी , दोनों हाथों से उस बांकी छोरी ने सोफे को पकड़ कर पूरा जोर लगा कर नीचे की ओर अपनी देह को पुश कर रही थी। और उसके भैय्या भी उसकी पतली २४ इंच की कमरिया पकड़ कर , उचक उचक कर अपना चर्मदण्ड अपनी बहन की कसी गांड में पूरी ताकत से ठेल रहे थे ,
![]()
रीनू अलग हो गयी थी , अब सिर्फ भाई बहन ही ,... वो घुसेड़ रहे थे , वो घुसवा रही थी।
लाख कोशिश करने पर भी , दांतों से कस के होंठों को काटने पर भी गुड्डी के होंठों से चीख निकल जा रही थी।
दोनों लोगो की मेहनत , और चार पांच में पूरा ८ इंच , गुड्डी की गांड के अंदर ,... दर्द के बावजूद एक मुस्कान मेरी ननद के चेहरे पर बिखर गयी।
![]()
पर अभी तो चार आने का ही खेल हुआ था , गांड में घुस भले गया था पर अभी तूफानी गांड मरौव्वल शुरू नहीं हुयी थी ,
और वो भी शुरू हो गयी , ...
ये गुड्डी की कमर पकड़ कर धक्के पे धक्का , सटासट उस किशोरी की गांड में , अपनी ममेरी बहन के पिछवाड़े ये मस्ती से अपना खूंटा धकेल रहे थे ,
वो कभी सिसकती तो कभी चीखती लेकिन उनके हर धक्के का जवाब बराबर , और जब एक बार जड़ तक उसके भइया का औजार घुस जाता तो , धीमे धीमे कमर उठाकर बाहर भी निकाल लेती।
गुड्डी कभी उन्हें उकसाती कभी दर्द से चीखती,
" भैया पूरा डालो न, और कोई बहन भी नहीं है तेरी जिसके लिए बचा के रखे हो, और भौजी का चक्कर छोड़ दो उनके तो दो दो जीजा हरदम खूंटा खड़ा किये रहते हैं, अपनी साली के लिए "
और जब ये नीचे से ताकत लगा के ठेलते, फाड़ते दरेरते भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की कसी कसी गांड़ में घुसता तो बेचारी गुड्डी चिल्ला पड़ती,
" उईईई भैया, लगता है, तेरा वो बहुत मोटा है नहीं जा पायेगा पूरा। "
" जाएगा, जाएगा, मेरी बहिनिया बहुत बहादुर है, बस थोड़ा सा और, हाँ ऐसे ही पुश कर नीचे, हाँ थोड़ा और जोर लगा, अंदर से ढीली कर "
ये बोलते और कुछ वो जोर लगाती, कुछ उसके भैया, तिल तिल करके मेरे मरद का मोटा मूसल मेरी ननदिया अपनी गांड़ में मेरे सामने लील रही थी।
लेकिन रीनू जोर से गरियाती गुड्डी को,
" स्साली छिनार, मस्त ले रही है गांड़ में और नाम लेने में सब चरित्तर, बोल साफ़ साफ़ वरना मैं मन कर दे रही हूँ, जीजू को "
लेकिन रीनू इन्हे मना करे उसके पहले गुड्डी बोल देती,
" नहीं नहीं मीठी भौजी, बोलती हूँ, वही बोलूंगी। भैया पेलो न अपना लंड पूरा जड़ तक ठेलो "
![]()
दर्द भूल के गुड्डी इन्हे उकसाती और एक दिन में ही ये गोल दरवाजे के इतने बड़े रसिया, दोनों हाथ से बहन के बस आ रहे जोबन पकड़ के वो करारा धक्का मारते, की गुड्डी की एक बार फिर से चीख निकल जाती।
कौन भौजाई नहीं होगी जिसे मजा नहीं आएगा ये देखने में की कैसे उसका मरद उसके सामने अपनी बहिनिया की गांड़ मार रहा है, बल्कि फाड़ रहा है।
ये देख कर अजय जीजू का भी खूंटा एक दम टनाटन ,
जैसे मेरे जीजू बीबी और साली में भेद नहीं करते थे , उसी तरह मैं भी ,आखिर वो दोनों लोग मेरे मेहमान थे , और अतिथि सेवा परमोधर्म ,
मैं भी अजय जीजू के खूंटे पर , अब मेरे जीजू मुझे और ये अपनी बहन को ,
हम दोनों के पिछवाड़े मोटे मोटे खूंटे , ... फिर तो तो जैसे बदकर , ननद भौजाई का शानदार जानदार मुकाबला ,
![]()
मैं और गुड्डी दोनों , अपने हाथों के बल पर नीचे दबाकर घोंटते , और फिर ऊपर निकालकर , साथ में ये लोग भी पूरी ताकत से ,
Bahut hi kamuk tarike se likh rahi Komal ji. Mera khunta bhi masta raha hai.गुड्डी और उसके भैया -गोल छेद के रसिया
![]()
पांच छ मिनट इसी तरह से ,... गपागप , गपागप , सटासट , सटासट ,...
गुड्डी मुझे देख के सीख भी रही थी,...कैसे मैंने दोनों हाथों से जोर लगा के कभी पुश करके ऊपर उठती तो कभी उन्ही हाथों से कस के पकड़ के अजय जीजू के बांस पर बैठती, तो गुड्डी भी उसी तरह अपने भैया के खूंटे पे
गुड्डी को दिखा के कभी मैं ऊपर नीचे करना रोक देती और बस गोल गोल अपनी पतली कटीली कमरिया घुमाती, और पिछवाड़े की प्रेम गली में जीजू का बांस वो रगड़ खाता की मैं भी झूम उठती और जीजू भी
गुड्डी भी उसी तरह गोल गोल कमर घुमा के,
पीटी और योग दोनों में अपने स्कूल में फर्स्ट आती थी
![]()
और कमर तो उसकी मुट्ठी में आ जाती थी, इसलिए ३२ के जोबन भी उसके ३६ से ज्यादा आग लगाते थे,
मैं अजय जीजू को गरियाती थी, चिढ़ाती थी, उकसाती थी,
" अरे इतना जोर का धक्का मार रहे हो कहीं अपनी महतारी क चौड़ा चूतड़ याद आ रहा है की ताल पोखरा अस भोंसड़ा। पेलो कस के मायके में बचपन में बहुत बहिन महतारी चोदे होंगे, सब भूल जाओगे, देखे क्या सिखाया है रीनू की सास ने "
![]()
और अजय कस के नीचे से पेलते, ठेलते बोलता,
" स्साली तेरा भोंसड़ा कर के जाऊँगा, मेरी महतारी का तो बच्चो को जन के भोंसड़ा हुआ तेरा अभी दो दिन में अगवाड़ा पिछवाड़ा उनके भोंसडे से चाकर "
और ये कह के सच्च में इतना कस के धक्का मारता की मेरे आँखों में आंसू तैर जाते,
और गुड्डी भी अपने भैया की गोद में बैठी, खूंटा अंदर पिछवाड़े घोंटे, उन्हें बोलती,
" भैया ओह्ह, बहुत मजा आ रहा है, स्साले अब तक क्यों नहीं किया इधर, मैं दर्जा नौ में आयी तब से तेरे लिए चियार के बैठी थी, रोज विट लगा के चिकना रखती थी, "
![]()
" उह मेरी प्यारी दुलारी बहिनिया, मैं भी तेरे कच्चे टिकोरे देख के ललचाता था, लेकिन चल अब सब सूद ब्याज समेत, और ये पिछवाड़ा तो अब रोज कम से कम दो बार और वो पांच दिन वाली छुट्टी में तो तीन बार, चार बार, चोद चोद के, पेल पेल के तेरा, ..."
उसकी बस छोटी छोटी अमिया दबाते, मसलते गुड्डी के भैया ने अपना प्रोग्राम बता दिया और जैसे किसी ने मेरे कान में शहद डाल दिया हो, यही तो मैं सुनना चाहती थी, खुल के सब के सामने।
लेकिन गुड्डी सच में मेरी नन्द थी, एकदम असली वाली। इत्ती आसानी से इन्हे नहीं छोड़ने वाली थी, जोर जोर से अपने भैया के खूंटे पे उछलते बोली,
" पेल पेल के क्या, पेल पेल के मेरी गांड़ का क्या, बोल न, मेरी बुआ का ( गुड्डी की बुआ मतलब इनकी महतारी )"
![]()
" तेरी बूआ का भोंसड़ा "
बोल के उन्होंने जो करारा धक्का मारा इनका मोटा लंड इनकी बहिनिया की गुड्डी की गांड़ में जड़ तक,
" उईईई " गुड्डी जोर से चीखी, फिर बोली,
“ मैं समझ गयी, भौजी पक्का तुझे मादरचोद बना के छोड़ेंगी, और वो भी मेरे सामने "
![]()
उस के बाद तो गोद में उठा उठा के वो उन्होंने पेला, धकेला, गुड्डी कभी चीखती, कभी सिसकती।
रीनू ने झुक कर अपने जीजू के कान में कुछ कहा , ... वो मुस्कराये , एकदम स्साली के चमचे , मेरी निगाह नहीं पड़ी , लेकिन जब रीनू ने अपनी ननदिया को छेड़ा तो मैंने भी देखा ,
उसके भइया ने कब का धक्के मारना बंद कर दिया था और गुड्डी खुद अपनी गांड में घुसे भैय्या के लंड पर , ऊपर नीचे सटासट , सटासट ,
जैसे कोई नटिनी की बेटी बांस पर ऊपर नीचे , ऊपर नीचे , मजे से , बिना डर के चढ़ उतर रही हो ,
" बहुत मजा आ रहा है न भइया से गांड मरवाने में छिनार रंडी रानी , अरे और तेज धक्के मार , ले ले घोंट ,... "
रीनू के चिढ़ाने पर शरमाकर एक पल के लिए वो रुक गयी
पर उसके भैय्या के दोनों हाथ अब गुड्डी रानी के कच्चे टिकोरों को रगड़ मसल रहे थे , कभी सर झुका के कुतर भी लेते , वो गुड्डी के गाल चूमते बोले ,
" रुक क्यों गयी , कर न बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही करती रह न ,."
![]()
बस गुड्डी एक बार फिर से चालू हो गयी , और थोड़ी देर में वो भी , नीचे से धक्के पर ,
" अरे जीजू , इस कुतिया की गांड जब तक कुतिया बना के नहीं मारोगे इस कुतिया को मजा नहीं आएगा , स्साली कातिक की कुतिया से भी ज्यादा गर्मायी है , ... "
इनकी साली ने चढ़ाया
![]()
और अगले पल गुड्डी रानी कुतिया बनी निहुरी ,और ये खचखच गांड मार रहे थे ,
अजय ने भी मुझे , ... दोनों साथ ,...
इनकी गांड चुदाई इतनी जबरदस्त थी गुड्डी रानी दो बार सिरफ गांड मरवाने में झड़ गयी।
![]()
कमल जीजू उन्हें उकसा भी रहे थे , कसी कच्ची गांड मारने के लिए टिप्स भी दे रहे थे।
अजय और ये साथ साथ झड़े ,अजय मेरे पिछवाड़े और ये अपनी ममेरी बहन के ,...\
हम दोनों के पिछवाड़े में मलाई भरी थी।
![]()
गुड्डी अब सीख चुकी थी , पिछवाड़े से निकलने के बाद खूंटा कहाँ जाता है , खुद उसने अपने भइया का अपनी गांड से निकले लथपथ , सीधे अपने मुंह में
कमल जीजू ने मुझे जबरदस्त आँख मारी,
और मैं सुबह की बात की याद कर के मुस्करायी ,
मैं रीनू और कमल जीजू साथ बैठे थे ,आज सुबह ही
रीनू बोली , देखो जाने से पहले मैं तेरी इस ननद को गांड मरवाने में पक्की बना दूंगी , खुद ही गांड फैला कर लंड पर बैठेगी।
कमल जीजू बोले , और मैं तेरे वाले को , सिर्फ लौंडियों की ही नहीं , कच्ची उमर के लौंडो की भी नेकर सरका के , निहुरा के ,... सच्ची अगर तुझे एतराज न हो तो
मैं बड़ी जोर से मुस्करायी। जोर से कमल जीजू की चुम्मी ली , पहले होंठों पर फिर शार्ट के ऊपर से खूंटे पर ,
" अरे जीजू , आपके मुंह में घी शक्कर , नेकी और पूछ पूछ ,... "
![]()
खिलखिलाते हुए मैं बोली , फिर जोड़ा ,
" जीजू अगर आपने ये कर दिया न तो बस ,... " और उन्हें समझाया , देखिये कांस्टीट्यूशन में लिखा है जेंडर डिस्क्रिमेंशन नहीं होना चाहिए , अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया , ३७७ का भी डर नहीं , फिर जब मैं अपनी ननद और ननद के भाई दोनों से मजा ले सकती हूँ , तो ये क्यों नहीं ,..."
रीनू ने कमल जीजू को और चढ़ाया,
" देखिये और आप मेरा मरद तो,...बस यही बेचारा बचा हुआ है। अब आप के लिए चैलेंजे है, हम दोनों की ओर से पक्की वाली हाँ, और अगर आप ने नहीं किया न, तो आप दुनिया के पहले जीजू होंगे जो दो दो सालियों के कहने पे भी,... "
![]()
और सच में कमल जीजू की संगत में उनपर भी पूरा असर आ रहा था ,...
आज खाना बनाने की जिम्मेदारी उन्ही की थी , साथ में उनकी साली और बहन , किचेन में
और मैं अपने दोनों जीजू के साथ , फुल टाइम मस्ती ,... अजय , कमल मैं
कमल जीजू ने बोला ही था , जाने से पहले तेरी गाँड़ कम से कम दर्जन भर मार के जाऊंगा।
जब मेरी और गुड्डी की गांड की कुटाई चल रही थी, अजय जीजू मेरे पिछवाड़े और मेरा मरद अपनी बहन की गांड फाड़ फाड़ के चौड़ा करने में, (सच में रीनू ने मेरे मरद, अपने जीजू को गोल छेद का आशिक बना दिया था), कमल जीजू मेरे पिछवाड़े ललचायी निगाह से बार बार देख रहे थे तो मैं आँखों ही आँखों में उनसे कह रही थी,
" मिलेगी मिलेगी, तुझे भी इतना लिबराओ मत। तेरी छोटी साली हूँ, साली वो जो देते देते न थके भले जीजा लेते लेते थक जाय "
Shaandat ghutai ho rahi hai do do lundon ki.. जीजू और साली
![]()
तो जैसे गुड्डी, रीनू और ये किचेन में गए मैं और मेरे दोनों जीजू, लिविंग रूम में, वहां से किचेन के अंदर क्या हो रहा है, कुछ कुछ दिखता भी था और आवाज भी सुनाई पड़ती थी और किचन से भी लिविंग रूम का हालचाल पता चलता रहता था।
" हे तुम दोनों बदमाशों अभी कुछ नहीं करोगे, जो करुँगी मैं करुँगी " मैंने आँख नचाते हुए कमल और अजय जीजू को बोल दिया।
" मंजूर " दोनों एक साथ शैतान बच्चों की तरह चिल्लाये।
" लेकिन, "
एक नदीदे बच्चे की तरह ललचाते कमल जीजू बोले और उनकी निगाह, और मैं बदमाशी का मौका क्यों छोड़ती, पीछे मुड़ी अपने दोनों नितम्बों को उन्हें दिखा के मटकाया, और अपने हाथ से ही दोनों चूतड़ फैला के, आँख मार के बोली
" मिलेगा मुन्ना, मिलेगा, जितनी बार, और जैसे मेरा मुन्ना चाहेगा वैसे ही मिलेगा "
![]()
और मैं घुटने के बल बैठ गयी और एक एक कर के दोनों की जींस खोल दी और फिर अंडरवियर, और दोनों मुस्टंडो के मुस्टंडे निकल कर बाहर,
लम्बाई में तो अजय जीजू का बांस शायद २० हो पर मोटाई में तो, कमल जीजू ,…
![]()
कमजोर दिल वाली लड़की देख के दहस जाय, फनफनाने के बाद तो मुट्ठी में नहीं पकड़ में आता था और ऊपर से सुपाड़ा और गोल छतरी की तरह, लंड से भी चौड़ा लगता था, हरदम खुला, हरदम मस्ताया, और शौक,… सबसे ज्यादा पिछवाड़े की नन्ही मुन्नी छोटी छोटी गोल सुरंग में घुसने का,
एक हाथ से मैंने अजय के लंड को मुठियाना शुरू किया और जीभ निकाल के सीधे कमल जीजू के सुपाड़े पे फिरा रही थी, फिर जीभ की टिप सीधे पेशाब के छेद में, मुझे पता चल गया था की ये कमल जीजू का सबसे कमजोर प्वाइंट है वहां सुरसुरी करने से सीधे उनके मूसल चंद बौरा जाते हैं,
![]()
और जब तक लंड बौराये नहीं तब तक उससे गांड मरवाने का क्या मजा।
मैंने खूब बड़ा सा मुंह फैलाया, जैसे एक बार में लड्डू गप्प करना हो और होंठों के सहारे कमल जीजू के सुपाड़े पे जोर बढ़ाया, स्साला बहुत मोटा, कितनी बार तो घोंट चुकी थी, और हर छेद में , लेकिन अभी भी लगता था स्साला मोटू फाड़ के रख देगा।
![]()
चूत तो चलिए फ़ैल जाती है, इत्ते मोटे मोटे बच्चे निकाल देती है, खुद गीली भी हो जाती है, लेकिन मेरे कमल जीजू के जो पंसदीदा छेद थे वो न फैलते थे अपने आप न जल्दी रास्ता देते थे, पर मैं सबसे छोटी साली तो, वो साली कौन जो जीजू के पंसद का ख्याल न रखे,
और धीरे धीरे करते मैंने कमल जीजू का सुपाड़ा आधे से ज्यादा घोंट लिया,
अपने सर का पूरा जोर लगा के, मेरी जीभ नीचे से मोटे मांसल सुपाड़े को चाट रही थी, होंठ कस कस के चूस रहे थे और एक हाथ से मैं कमल जीजू का लंड अपने मुंह के अंदर ठेल रही थी, और दूसरी ओर अपने सर का पूरा जोर लगा रही थी, लेकिन तब भी बड़ी मुश्किल से आधा, और साथ में मेरी बदमाश आँखे जीजू की आँखों में देख रही थीं, उन्हें चिढ़ा रही थीं, उकसा रही थीं,
और फिर वही हुआ जो मैं जानती थी होगा और उससे बढ़कर, चाहती थी, हो।
कमल जीजू ने कस के अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ के अपने मोटे लंड पे खींचा और जोर का कमर का धक्का मारा, स्साली से ज्यादा कौन जानता है जीजू की कमर की ताकत, मैं गों गों करती रही, कमल जीजू का मोटा सुपाड़ा अदंर घुसता गया और मारे जोश के कमल जीजू गाली भी दे रहे थे,
" स्साली घोंट पूरा, पेल पेल के तेरा मुंह और गांड तेरी महतारी के भोसड़े से भी चौड़ी कर दूंगा, खोल और मुंह, ले जड़ तक "
![]()
मैं जवाब दे पाती तो जरूर देती उनकी मौसिया सास का भोंसड़ा नहीं अभी भी कसी कसी बुर है, आखिर सिर्फ मैं ही तो निकली थी वहां से बल्कि वो भी सिजेरियन, न हो तो जिसने डुबकी मारी है उस कुंवे में, अपने छोटे साढ़ू, मेरे मरद से पूछ लें। और चौड़ा करना हो तो करें न मैं कौन मना कर रही हूँ,
लेकिन मुंह में तो कमल जीजू का मोटा बांस भरा था। गाल फूला हुआ आँखे बाहर निकली हुयी, साँस लग रहा था अब रुकी तब रुकी,
लेकिन कमल जीजू नहीं रुके और इसी लिए तो उनके साथ एक अलग सा मजा आता था जो वो डॉमिनेट करते थे, जबरदस्ती करते थे, गाली देते थे और, …
ऐसा नहीं था मैं अपनी ओर से कोशिश नहीं कर रही थी। मैं भी उनके लंड को कस के पकड़ के अपने मुंह में ठेल रही थी, मुंह में लार निकाल के उसे गीली कर रही थी और जो चोकिंग की फीलिंग आती है उसे तो मैं कब का कंट्रोल कर चुकी थी। धीरे धीरे वो हलक तक पहुँच गया। एकदम जड़ तक मैंने घोंट लिया लेकिन बिना कमल जीजू की जबरदस्ती के वो होता नहीं।
" चूस स्साली चूस, कस कस के चूस, बहुत चूतडा मटका मटका के चलती है न आज तेरी ऐसी गाँड़ मारूंगा की हफ्ते भर बैठ नहीं पाएगी, उन चूतड़ों पे, "
कस कस के मेरे बाल पकड़ के मेरे मुंह में और कस के पेलते वो बोले, और कमल जीजू मुंह में लंड चुसवाते नहीं थे, हचक के मुंह चोदते थे, और वैसे जैसे किसी आधे दर्जन बच्चे निकाल चुकी खूब खेली खायी औरत का भोंसड़ा चोद रहे हों।
![]()
लेकिन मैं भी तो उन्ही की साली थी, वो भी सबसे छोटी,
तो मेरे ऊपर भी उनका असर आ गया था, तो जब वो खूंटा बाहर निकलते, सिर्फ सुपाड़ा मुंह में फंसा के रखते तो मैं उनका चूतड़ पकड़ के अपनी पूरी ताकत से अपना सर पुश करती तो पूरा नहीं तो आधा फिर से अंदर और बाकी के लिए कमल जीजू के धक्के, जैसे चुदाई के समय कोई गर्मायी सुहागिन चूतड़ उठा उठा के अपने मरद के धक्के का जवाब धक्के से दे,
लेकिन पांच छह मिनट में मेरे गाल थकने लगे और मैं और कमल जीजू दोनों जानते थे की असली खेल तो दूसरे छेद का है गोल दरवाजे का,
फिर एक लड़का ललचायी निगाह से मुझे मस्ती से लॉलीपॉप चूसते देख रहा था, अजय जीजू,
तो फिर मैंने कमल जीजू का औजार निकाल लिया, गालों को थोड़ा आराम दिया पर मेरी लपलपाती जीभ कभी कमल जीजू के सुपाड़े पे तो कभी अजय जीजू के सुपाड़े पे। सबसे छोटी स्साली का फायदा, एक साथ दो दो जीजू का मजा।
![]()
मैंने सुबह ही दोनों लौंडो को बोल दिया था, कम से काम आज शाम तक मेरी सैंडविच नहीं बनेगी, लेना हो तो जितनी बार लें, जैसे चाहें ले, जो चीज चाहें ले, लेकिन बारी बारी से। रहें दोनों साथ, लेकिन कम से कम नीचे वाले दोनों छेदो में से एक बार में एक ही,
ऐसा नहीं था की सैंडविच में मजा नहीं आता था, क्या मसल के दोनों रगड़ाई करते थे मेरी, मेरे दोनों जीजू। लेकिन बात सिर्फ दो थी, एक तो कल रात भर दोनों मुस्टंडो ने मिल के जम के मेरी ली, मेरी सैंडविच बनाई, डबल पेन्ट्रेशन, दूसरे जब दोनों एक साथ मेरे अंदर होते थे, तो मेरे पास मजा लेने के लिए कुछ नहीं बचता था।
हाँ मेरे ऊपर कोई रोक नहीं थी, मैं साली थी वो भी छोटी, तो मैं अब एक साथ दो दो लंड का मजा ले रही थी।
एक लौंड़ा हाथ में दूसरा मुंह में और अब तो दोनों के सुपाड़े एक साथ जीभ से चाट रही थी।
फिर मैंने ढेर सारा थूक लिया, अपने हाथ पर थूका, अजय जीजू को दिखा के और फिर सब का सब उनके खूंटे और फिर दुबारा थूका तो वो थूक कमल जीजू के मोटे मुस्टंडे पे। और दाएं हाथ में एक जीजू का खूंटा और बाएं में दूसरे का, स्साली मेरी बहने देखतीं तो जल भुन जातीं, और बारी बारी से दोनों के सुपाड़े मुंह के अंदर, थोड़ी देर चुभलाती अजय का खूंटा, फिर कमल जीजू का नंबर, लेकिन कमल जीजू तो मेरा मुंह हचक के चोद चुके थे इसलिए थोड़ी देर मैंने अजय जीजू पे ध्यान लगाया, लेकिन मुंह में नहीं लिया।
मेरे होंठ अजय जीजू की गोलियों पे पर बजाय चूसने के मेरी जीभ जस्ट लटकती हुयी बड़ी बड़ी गोलियों को बस लिक कर रही थी
![]()
फिर जीभ वहां से निकल कर लंड और बॉल्स के जोड़ पे, वहां सुरसुरी करने लगी और एक बार फिर मैंने ढेर सारे थूक का बबल बनाया और अजय को दिखाते हुए सब उसके बांस पे। बहुत लम्बा था स्साले का।
लेकिन अबकी बजाय हाथों से फ़ैलाने से होंठो और जीभ से चूमते चाटते मै फैला रही थी।
अजय और कमल दोनों का एकदम फनफनाया, लेकिन अबकी मैंने अजय का गप्प से मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
![]()
मैं देख रही थी की अजय की निगाह मेरी चूँचियों पर चिपकी, और मेरी चूँचिया थी भी जबरदंग उस बेचारे का कोई दोष नहीं, साइज तो ३४ सी ही थी लेकिन २६ की कमर पर वही खूब बड़ी बड़ी लगती थीं, एकदम गोल, उभरी, कड़ी भी मांसल भी।
Komaliya masti se leti hai gaand me .. कमल जीजू -लैपटॉप
![]()
लेकिन अब कमल जीजू से रहा नहीं गया, वो वहीँ गद्दे पर बैठ गए, और जैसे ही मैंने अजय जीजू का मुंह से बाहर निकाला, खींच के मुझे गोद में
"नहीं जीजू ऐसे नहीं घुस पायेगा,"
मैं उनका इरादा समझ के चिल्लाई।
" अरे कल की लौंडिया, गुड्डी,अभी कल शाम को उसकी गाँड़ फटी, वो घोंट रही थी तो तेरा नखड़ा नहीं चलेगा, मुझे आता है घोटाना "
जब कोई मरद किसी की गाँड़ मारने के लिए बेचैन हो तो न वो कुछ सुनता है न समझता है , और अगर वो आदमी कमल जीजू ऐसा हो जो गोल दरवाजे के रसिया और पिछवाड़ा उनकी छोटी स्साली का हो, तो फिर बातचीत एकदम बेकार।
अब उन्हें कौन समझाए गुड्डी की दो भाभियाँ पूरी ताकत से उसे बांस के ऊपर पुश कर रही थीं। रीनू अपनी पूरी ताकत से गुड्डी के कंधे दबा रही थी और मैंने अपने हाथ से गुड्डी के गुदा द्वार को फैला के अपने जीजू के लंड को सेट किया था,
कमल जीजू ने मेरे गुदा द्वार को फैला के अपने लंड को, अपनी साली के पिछवाड़े सेट कर दिया।
आग लग गयी, एक बार टच होते ही, मेरे तन बदन में बस यही एक बात ये अंदर जाए, अंदर जाए, फटनी हो तो आज फट जाए लें जीजू की तो मैं ले के छोडूंगी,
कुछ मैंने पुश किया नीचे की ओर, कुछ जीजू ने कमर पकड़ के और नीचे से धक्का दे के, और आधा सुपाड़ा अंदर था।
![]()
और अब कमल जीजू ने छिनरपन शुरू किया,
" हे स्साली अब आगे का तुम खुद घोंटो, "
मैं चूतड़ मटका रही थी, आगे पीछे गोल गोल लेकिन उनका सुपाड़ा इतना मोटा, कैसे अंदर जाय, और मैं गरियाने लगी,
" ये छिनरपन अपनी महतारी से सीखा है की बहिनिया से, घुसाओ ठीक से जीजू, अपनी गाँड़ की सारी ताकत अपनी महतारी के भोंसडे में निकाल के आये हो का की बहिनिया की गाँड़ में, जो धक्का नहीं लगा पा रहे हो "
बस कमल जीजू ने दो काम किये, मेरा मुंह बंद करवाया, अजय जीजू को इशारा किया, एक हाथ से कमल जीजू ने कस के मेरा गालदबोचा पूरी ताकत से
और चिरैया की तरह मैंने मुंह खोल दिया और अजय जीजू का बांस मेरे मुंह के अंदर ,
![]()
अब ऊपर का मोर्चा छोटे जीजू के हाथ, दोनों सर पकड़ के क्या पेला उन्होंने दो धक्के में सीधे मेरे हलक तक, बोल क्या निकलते, खाली गों गों की आवाज निकल रही थी।
और दूसरा काम किया, मेरी दोनों चूँची पकड़ के कस के मसलते हुए गरियाया,
" और गरियाओ हमारी बहन महतारी, अरे परसों जाने के पहले तोहरी महतारी के भोंसडे से चाकर कर के जाऊंगा तेरी गाँड़, खुद गाँड़ फैला के बैठोगी मेरे और अजय के लंड पे, महतारी ने गाँड़ में लंड लेना नहीं सिखाया क्या ? "
और दोनों चूँची पकड़ के नीचे से क्या धक्का मारा कमल जीजू ने,... दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार।
![]()
अगर मुंह में अजय का लंड नहीं होता तो मैं इतनी जोर से चिल्लाती की पूरे टाउनशिप में सुनाई पड़ता। पूरी देह दर्द में डूबी हुयी थी। और गलती मेरी ही थी, कमल जीजू के पास आने के पहले मैं कम से कम १०० ग्राम पीली सरसों का तेल अपने पिछवाड़े दस मिनट तक डाल के या के वाई जेली की एक ट्यूब पिचका के आती थी। मैं जानती थी गाँड़ बचेगी तो है नहीं और बचाना चाहती भी नहीं थी, लेकिन आज उस साली गुड्डी के चक्कर में कुछ भी तैयारी करना भूल गयी।
पल भर के लिए कमल जीजू रुके होंगे, और उन्होंने नीचे से चूतड़ उठा उठा के और दो चार मिनट में मैंने भी ऊपर से जोर लगा रही थी, आधा से ज्यादा करीब साढ़े चार पांच इंच अंदर घुस गया होगा तब तो रुके और फिर अजय जीजू ने मेरा मुंह चोदना शुरू किया।
एक नया जोश मेरे अंदर आ गया और मैं खुद ऊपर ऊपर नीचे कर के ऑलमोस्ट पूरा, और तब अजय जीजू ने अपना बांस बाहर निकाला
लेकिन कुछ देर बाद कमल जीजू ने पॉजिशन बदल दी,
अभी मेरी पीठ उनकी ओर थी लेकिन अब मैं उन्हें फेस कर के, लेकिन मानना पड़ेगा जीजू को, एक इंच भी खूंटा मेरी गाँड़ से बाहर नहीं निकल। पर मेरे मजे आ गए, मैं अब कस के कमल जीजू को पकडे थी अपनी दोनों चूँचिया उनके सीने पे रगड़ रही थी, उन्हें चूम रही थी, गरिया रही थी, और उनके मोटे लंड पर फिसल रही थी,
" बहिन महतारी की गाँड़ मारने में ज्यादा मजा आया था की स्साली की "और उन्हें चिढ़ा रही थी, उकसा रही थी।
![]()
" यार जो मजा मेरी इस छोटी स्साली की गाँड़ में है वो दुनिया की किसी गाँड़ में नहीं, न लौंडे की न लौंडिया की " वो नीचे से धक्के लगाते बोले
चार धक्का मैं ऊपर से मारती तो चार वो नीचे से,
लेकिन जीजू के हाथ खाली थे तो मेरी गुलाबो की भी हालचाल ली जा रही थी, कभी ऊँगली अंदर, कभी क्लिट की रगड़ाई, मैं दो बार झड़ी और फिर जीजू ने मुझे नीचे लिटा दिया ।
मेरे चूतड़ के नीचे और तकिये लगा दिए, फिर क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, एकदम तूफानी सैकड़ों धक्के, मैं कभी दर्द से चीखती कभी मजे से जब कमल जीजू मेरे अंदर झड़े तो मैं तीसरी बार झड़ रही थी।
लेकिन अजय अपने इन्तजार में और उसके बोले बिना मैं समझ गयी रीनू के मरद को क्या चाहिए था।
टिट फक।
Superb tit fuck.टिट फक
![]()
अजय जब से आया, नदीदो की तरह मेरे जोबन देख रहा था। जो हालत मेरे पिछवाड़े को देख के कमल जीजू की होती थी वही उभारों को देख के अजय जीजू की और मैंने दोनों को ललचाती थी, तड़पाती थी। जितना तड़पेंगे उतना ही हचक हचक के लेंगे और कौन रोज रोज जीजा साली की मुलाकात होती है, तो मैं तो मानती हूँ जब भी जीजा साली मिले कभी भी एक मिनट भी मौका न गंवाएं, सीधे मुद्दे पे,
कमल जीजू तो लेटे थे, मैंने अजय को भी धक्का देके उन्ही के बगल में गिरा दिया, और हाथ में दोनों जोबन अपने पकड़ के उभार के उकसाते बोली,
" क्यों जीजू चाहिए "
![]()
" स्साली, अब ललचा मत " लिबराते अजय बोला।
" हिलना मत स्साले, वरना कमल जीजू स्टाइल में तेरी गांड पहले मारूंगी, चूँचिया बाद में दूंगी। " मैंने उन्हें हड़काया और उनके ऊपर, मेरे जोबन अजय के होंठों से बस एक इंच की दूरी पे और मैं बोली,
" स्साली के जोबन का रस चाहे मुंह से लो चूस चूस के, "
![]()
और फिर अजय के हाथों में मैंने अपने दोनों उभार पकड़ा दिए और बोली,
" चाहे हाथ से ले लो, मसल रगड़ के "
और फिर हाथ जीजू के झटक के हटा दिए। और अब मैं उनकी देह पर उनके ऊपर रगड़ती, फिसलती, सरकती, मेरे कड़े कड़े जोबन, गोल गोल, रसीले उनके सीने को सहलाते, पेट पे और फिर सीधे, ज्यादा जागे, थोड़ा सोये, अंगड़ाई लेते लम्बे बांस पे, मेरे निपल्स बस उसे सहला रहे थे और मैंने अगली बात बोली,
" चाहे, " और बात पूरी की टुकुर टुकुर देखते कमल जीजू ने
" लंड से ले ले पेल, पेल के "
![]()
"एकदम जीजू "
मैं हंस के बोली, क्या कोई स्साली थाईलैंड वाली बॉडी टू बॉडी मसाज करेगी और अजय जीजू का फनफना के खड़ा होगा। जीजू का लंड खड़ा हो तो कौन साली मौका छोड़ती है, और मैं तो कभी नहीं।
और मैंने अपने दोनों हाथों में अपने उभारो के पकड़ के उसमें अजय जीजू के, रीनू के मरद के खूंटे को दबोच लिया और लगी टिट फक करने
पहले हलके हलके, फिर थोड़ी जोर से कस कस के ,जिस तरह से मेरी चूत जीजू के लंड को दबोचती है बस एकदम उसी तरह से मेरी दोनों चूँचिया अजय के खूंटे को दबोचे, सावन से भादो दूबर,...
कभी दबाते रुक जाती तो कभी कसर मसर, कसर मसर जोर जोर से आगे पीछे,
![]()
" हाँ ऐसे ही कर, ऐसे ही बहुत मजा आ रहा है स्साली " अजय जीजू बोल रहे थे।
जीजा हो और साली बदमाशी न करे, मैंने अपने बड़े बड़े एक इंच के खड़े निपल को अजय के बौराये सुपाड़े के पेशाब के छेद में रगड़ के बोला
" जीजू किस चीज में मजा आ रहा है, जरा खुल के बोल न "
![]()
" अरे स्साली तेरी मस्त मस्त चूँची चोदने में," अजय बोले।
" अरे जीजू चूँची वो भी स्साली की होती ही इसलिए, चाहे चूसो चाहे रगड़ो, चाहे हचक के चोदो"
" एकदम स्साली और वो भी तेरी चूँची, रात भर चोद के भी थका लंड तेरी चूँची के बारे में सोच के खड़ा हो जाता है "
मुस्कराते हुए वो बोले लेकिन अब कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली, मैं नीचे लेटी वो ऊपर और अब वो टिट फक कर रहे थे।
खूंटा तो उनका बांस ऐसा था ही तो सुपाड़ा बाहर निकला मेरी बड़ी बड़ी चूँचियो से और मैं कभी जीभ निकाल के चाट लेतीं, कभी चूम लेतीं
और थोड़ी देर में मैंने चूसना भी शुरू कर दिया, मुस्टंडे का मुंह मेरे मुंह में और बाकी देह मेरी चूँचियों के बीच दबी रगड़ी जा रही थी
![]()
बहुत ताकत थी अजय की देह में दस बारह मिनट पूरी ताकत से मेरी चूँची चोदने के बाद ही वो झड़ा और सारी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पे ।
लेकिन अजय जीजू का मन एक कटोरी मलाई मेरी दोनों चूँचियों पर बरसा के नहीं भरा, और अपनी पिचकारी को जो उन्होंने हाथ में लेके पुचकारा, दबाया तो दो बार फचर फचर कर के ढेर सारी रबड़ी मलाई फिर और वो मेरे दोनों निपल्स पे, मेरे बड़े बड़े निपल्स भी उनसे एकदम ढंक गए, वीर्य से ढंके, मेरे दोनों जोबन एकदम दूध के कटोरे लग रहे थे जिस पर मोटी गाढ़ी मलाई की परत जमी हो,
![]()
लेकिन मैं कमल जीजू को भूली नहीं थी।
हाथ और मुंह तो मझले जीजा के खूंटे का रस ले रहे थे, लेकिन पैर तो खाली था न, तो बस पैर के अंगूठे से खोद खोद के मैंने उसे जगाया।
और जब जग गया तो दोनों तलुवों के बीच कसर मसर कसर मसर, फ़ीट मसाज, मेरे दोनों महावर लगे पैर, और उन पैरों की पायल की झंकार और बिछुओं की खनक ही मर्दों की नींद उड़ाने के लिए काफी थी लेकिन वो दोनों पैर जब जीजू लिंग मर्दन में लगे हो तो जीजू की क्या औकात, पागल न हो जाए।
![]()
कमल जीजू भी पागल हो गए, कभी सिसकते कभी मुझसे रुकने के लिए बोलते
" स्साली, लगता है एक बार गांड मरवा के तेरा मन नहीं भरा, अबकी फाड़ना ही पडेगा "
" अरे जीजू, एक बार में किसका मन भरता है और वो भी अगर मेरी ऐसी छोटी स्साली हो तो फिर तो कतई नहीं, और फाड़ने की धमकी किसे देते हैं, ये स्साली डरने वाली नहीं है। फाड़ दीजिये, मेरी एक डाक्टर सहेली हैं, डाकटर गिल, बिना पैसे के सील देंगी और एकम नयी टाइट कसी कसी। अपनी बहन महतारी को भी भेज दीजियेगा, जिनके चिथड़े चिथड़े आप ने कर दिए, उनकी भी सिलवा दूंगी। "
![]()
मैं कौन डरने वाली थी, पलट के बोली।
पता नहीं क्या होता है सब मर्दो में, माँ का नाम लो, जरा सा गरियाओ, बस सब का सोया थका भी फनफना के उठ खड़ा होता है, चाहे ये या मेरे दोनों जीजू ।
पता नहीं बचपन की फैंटेसी या कुछ और, लेकिन कुछ तो है, इस फोरम में भी सबसे ज्यादा डिमांड भी और इन्सेस्ट के मोहल्ले में जाइये तो हर दूसरी कहानी माँ के नाम
कमल जीजू का भी बौरा गया था, महतारी की गारी सुन के,
लेकिन मैं भी उन्ही की साली थी कौन घबड़ाने वाली, दोनों तलुओं के बीच दबा के कस कस के मसलने लगी और जोर से,
![]()
इसलिए जैसे ही अजय जीजू अपनी मलाई निकाल के, मेरी चूँची चोद के हटे, कमल जीजू पहले से तैयार थे और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
लेकिन मैं अबकी तैयार थी, इसलिए की अबकी बार अंदर तक कमल जीजू की मलाई मेरे पिछवाड़े बजबजा रही थी और मरद की मलाई से बढ़कर लुब्रिकेशन कोई नहीं होता।
Waiting for Guddi's episode.मस्ती जीजू स्साली की
---
-------
![]()
कमल जीजू ने मुझे पकड़ कर दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, अब तक मैंने सुना था, खड़े खड़े चोद दूंगा, लेकिन खड़े खड़े पेलने की वो भी पिछवाड़े,
पर कमल जीजू तो कमल जीजू तो कमल जीजू थे, पिछवाड़े के मास्टर और मेरे, अपनी छोटी स्साली के पिछवाड़े के दीवाने, मैं दीवाल से चिपक के खड़ी और मुझसे चिपक के कमल जीजू और उनका बालिश्त भर का पगलाया खूंटा मेरे चूतड़ के बीच धक्का मारता,
हालत सिर्फ जीजू के खूंटे की नहीं खराब थी,
मेरी गोल सुरंग में भी बड़ी बड़ी चींटियां काट रही थी, सोच रही थी, अब जीजू का मूसल घुसा, अब घुसा,
![]()
लेकिन, बस वो रगड़ रहा था, छेद खोज रहा था।
कमल जीजू वैसे बहुत ज्यादा फोरप्ले के कायल नहीं हैं, सीधे पेलने में और सीधे से नहीं तो जबरदस्ती वाले हैं।
पर कल रीनू के जीजू और मेरे मरद ने जिस तरह खिला खिला के रीनू को पागल कर दिया, उनके घुसड़ने के पहले ही उनकी स्साली दो बार झड़ गयी, वो देख के, या फिर जो मैंने उनके मोटे मूसल को अपने तलुवों से रगड़ रगड़ कर तंग कर रही थी वो भी,
उनका पहला चुम्मा मेरे कंधे पे, फिर गले पर पीछे से और उनके होंठ कभी चूमते कभी चाटते, नीचे की ओर, दायां हाथ उनका कस कस के मेरे चूतड़ दबा रहा था, मसल रहा था, मुझे पागल कर रहा था और बायां हाथ मेरे चेहरे को सहला रहा था,
फिर उसी बाएं हाथ की दो उँगलियाँ मेरे मुंह में होंठों के बीच।
मैं समझ गयी और मौका क्यों छोड़ती, जैसे थोड़ी देर पहले मैं अपने जीजू का मोटा लंड चूस रही थी, उसी तरह अब एक बार उनकी दोनों उँगलियाँ खूब थूक, लार लगा के। धीरे धीरे जीजू ने भी वो दोनों उँगलियाँ जड़ तक अंदर कर दी , टिपिकल कमल जीजू मुंह में हो या पिछवाड़े या बुर में वह पहला मौक़ा पाते ही जड़ तक ठेल देते थे, चुम्मा चाटी बाद में।
कमल जीजू ने मुझे कस के दीवाल से चिपका के दबा रखा था।
![]()
मेरी दोनों चूँचियाँ एकदम दीवाल में दबी मसली, पिसी, जा और पीछे से रगड़ती मसलती कमल जीजू की देह अपनी पूरी ताकत से, मैं कस कस के कमल जीजू की दोनों मेरे मुंह में घुसी उँगलियों को चूस रही थी। अचानक मेरे मुंह से निकाल के जबतक मैं समझूं, सम्ह्लूं, दोनों मेरे थूक से गीली उंगलिया, मेरे पिछवाड़े,
गच्चाक,
सट्ट से उन्होंने ऊँगली घुसाई मेरी गांड में और फिर कलाई के जोर से धीरे धीरे जड़ तक अंदर, कभी गोल गोल घुमाते, कभी कैंची की फाल की तरह फैला देते और मेरी गोल कसी संकरी सुरंग फ़ैल जाती,
" ओह्ह जीजू, क्या कर रहे हो " थोड़ा चीखते, थोड़ा सिसकते मैं बोली
![]()
अब उन्होंने दोनों अपनी उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ लिया और मेरी पिछवाड़े की सुरंग की दीवालों को पूरी तरह करोचते बोले,
" स्साली, तेरी ऐसी मस्त मस्त माल साली के साथ जो हर जीजू को करना चाहिए "
" तो वो करिये न " मैंने उनके खड़े खूंटे पे अपने मोटे मोटे चूतड़ों को रगड़ते हुए अपना मन जाहिर किया।
" जो चाहिए वो बोल न, तब मिलेगा "
जीजू आज मुझे तंग करने पे तुले थे, लेकिन कमल जीजू की संगत में मैं अभी अब एकदम बेशर्म पीछे हाथ कर के मैंने उनका खूंटा पकड़ लिया और बोली
" जिज्जू, आपकी स्साली को ये चाहिए "
![]()
" ये क्या, कहाँ, साफ़ साफ़ बोल स्साली " कमल जीजू, खूब गरमाये हुए, आज मस्ती के मूड में थे।
अबकी दूसरी ओर की पिछवाड़े की अंदर की दीवार उनकी मुड़ी हुयी उँगलियाँ करोच रही थीं। पर जब तक मैं कुछ बोलती, वो दोनों उंगलिया मेरे नितम्बो के बीच की दरार से निकल कर, मेरे मुंह में। बिना कुछ सोचे समझे मैं एक बार फिर कस कस के उन्हें चूस रही थी।
उन उँगलियों का असर ये हुआ था की मेरे पिछवाड़े की दरार अब हलके गोल छेद में बदल गयी थी , दोनों तीन बार वो उँगलियाँ मुंह से पिछवाड़े और फिर वापस,
लेकिन जिस स्साली को कमल जीजू का कलाई से भी मोटा खूंटा पसंद आ जाये उसका ऊँगली से क्या काम चलेगा,
पर खड़े, खड़े मेरा छेद एकदम टाइट था, और मेरे बिना किये कुछ होने वाला नहीं था।
मैंने कस के अपने दोनों हाथों से अपने नितम्बो को पकड़ के पूरी ताकत से चियारा,
![]()
जीजू ने एक हाथ से अपना मूसल पकड़ के सटाया, कुछ धक्का उन्होंने मारा, कुछ मैंने और सुपाड़ा फंस गया। लेकिन अभी भी पूरी तरह घुस नहीं पा रहा था, स्साला मुस्टंडा था ही इतना मोटा। एकदम मेरी मुट्ठी की तरह।
लेकिन जीजू पिछवाड़े के उस्ताद और मेरी मम्मी ने जो बचपन में मुझे जिम्नास्टिक और योग की क्लास में दाखिला दिलवाया था और मैं आके शिकायत करती थी की कितना ज्यादा टाँगे फैलवाते हैं तो वो चिढ़ा के गाल पे चिकोटी काट के बोलतीं, जवान होगी तो इसका फायदा समझ में आएगा,
तो बस जीजू ने मेरी एक टांग उठा के दीवाल के सहारे, खूब फैला के, मैंने भी उनका साथ दिया
![]()
और अब जो उन्होंने करारा धक्का मारा, वो मोटू मुस्टंडा मेरे पिछवाड़े के अंदर, जैसे बरमे या आगर से गोल गोल घुमा के लकड़ी में छेद कर देते हैं न बिलकुल उसी तरह से
कमल जीजू ने और जब खैबर का दर्रा आया तो फिर उन्होंने कस के धक्का मारा,
" उययी जीजू जान गयी " मैं दर्द से चीखी।
" इत्ती जल्दी जान नहीं जायेगी तेरी अभी तो तुझे अपने इस जीजू से बहुत गांड मरवानी है "
हँसते हुए वो बोले और दूसरा धक्का पहले से भी तेज था। आधा मूसल अंदर।
लेकिन थोड़ी देर में मेरी फैली हुयी टांग में दर्द होने लगा तो उन्होंने छोड़ दिया पर तबतक आलमोस्ट पूरा अंदर, इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती।
मुझसे एकदम चिपके, मेरे अंदर घुसे मेरे जीजू और मैं पिछवाड़े उन्हें महसूस कर रही थी। गोल दरवाजा अच्छी तरह फैला था सुरंग फटी पड़ रही थी, लेकिन इतना अच्छा लग रहा था। वो धक्के नहीं मार रहे थे, सिर्फ मुझे महसूस कर लेने दे रहे थे अपने मोटे मुस्टंडे को मेरी गांड के अंदर।
![]()
प्रेम गली को तो मैं खूब कस के निचोड़ लेतीं थी आज मैंने पिछवाड़े की सुरंग को भी ट्राई किया, और मस्ती के मारे जीजू उछल गए
" निचोड़ स्साली निचोड़, तेरी माँ का भोंसड़ा, माँ की लौंड़ी ओह्ह और कस के "
मैंने ढीला कर दिया और फिर दुबारा पहले से भी ज्यादा ताकत से जीजू के लंड को अपनी गांड के छेद के अंदर निचोड़ने लगी और उनकी बात का जवाब देती बोली,
" एकदम सही बोल रहे हैं जीजू, मेरी माँ का भोंसड़ा नहीं होता तो आपकी ये स्साली निकलती किधर से "
और असली बात ये थी की ये सब ट्रिक मुझे मम्मी ने ही सिखाई थीं। लेकिन उस ट्रिक का खामियाजा मैं भुगत रही थी, जीजू जोश में आ गए और क्या धक्के मारने लगे, लेकिन तभी मुझे बगल की खिड़की नजर आयी और जीजू मुझे उधर देखते ही समझ गए।
बांस अंदर किये वो खिड़की के पास सरक लिए और मैं खिड़की पकड़ के थोड़ा सा, बस थोड़ा झुक गयी, डौगी पोज में नहीं, खड़े खड़े ही लेकिन बस हलके से खिड़की पकड़ के निहुरने का सहरा मिला गया।
![]()
मैंने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की खुली खिड़की से किचेन दिखता था जहाँ ये गुड्डी और रीनू थे, या वो सब मुझे देख सकते थे। मुझे तो सिर्फ पिछवाड़े घुसा मजा देता जीजू का मूसल याद आ रहा था।
जीजू एक बार झड़ चुके थे तो इतना जल्दी तो झड़ते नहीं और दूसरे जब तक तीन चार आसन बदल बदल के वो नहीं पेलते थे वो झड़ नहीं सकते थे ,
थोड़ी देर में मैं गद्दे पे पेट के बल लेटी थी और कमल जीजू हुमच हुमच के पीछे से, बस पेट के नीचे मेरी एक तकिया उन्होंने लगा दिया जिसे नितम्ब थोड़े उठे थे,
![]()
पर मैं भी कम बदमाश नहीं, इशारे से मैंने अजय जीजू को बुलाया।
देख देख के उनका भी खड़ा हो गया था बस मैंने हाथ से पकड़ के सीधे अपने मुंह में और हलके हलके बस चूस रही थी, चुभला रही थी।
थोड़ी देर बाद जब कमल जीजू झड़े तो अजय का मूसल एकदम खड़ा स्साली की सेवा करने को।
अजय मेरी हालत समझ रहा था। जिस तरह से हचक हचक के खड़े खड़े कमल जीजू ने मेरे पिछवाड़े को कूटा था, न मैं निहुर सकती थी, न ज्यादा एक्टिव हो सकती थी और मैं भी उस की हालत समझ रही थी, जिस तरह से उसका खूंटा खड़ा था, मुझे अंदर तो उसे लेना ही था।
अजय ने एकदम टिपिकल पहली रात वाली पोज का इस्तेमाल किया, मरद ऊपर, औरत नीचे। औरत आराम आराम से लेटी, सिर्फ जाँघे फैला दे, टाँगे उठा के मरद के कंधो के सिंहासन पर रख दे, और बाकी काम मरद जाने। साथ में चुम्मा चाटी, चूँची रगड़ी जाने का पूरा मजा। धक्के भी कस के लगते हैं।
![]()
तो बस उसी तरह, लेकिन कुछ देर में ही में दुहरी थी।
ये स्साले मर्दों को सबर कहाँ होता हैं और अगर जीजा का रिश्ता है तो फिर तो जो जो चीज कभी सपने में सोचे होंगे वो सब, पर मजा सालियों को कौन कम आता है, चाहे कोरी कुँवारी हों या लरकोर बियाहता। जीजा को देखते ही सालियों की दस साल उमर घट जाती है, तो मेरी भी थकान कम हो गयी। नीचे से मैं भी चूतड़ उठा उठा के और अजय को चिढ़ाने लगी,
" ये जोर जोर धक्का पहले अपनी महतारी के साथ सीखे या बहिनिया के साथ "
" तोहरी बहिनिया के साथ " अजय कौन चुप रहने वाला था लेकिन फिर जोड़ा,
" और अब अपनी एकलौती छोटी साली के साथ "
खुश हो मैंने नीचे से एक जबरदस्त धक्का मारा और जवाब में कचकचा के अजय ने मेरा गाल काट लिया। मैं चीख उठी। लेकिन बिना चीख के चुदाई अच्छी थोड़े ही लगती है, खास तौर से जीजू लोगों के साथ,
" जीजू गाल जिन काटो, दाग पड़ जाएगा "
![]()
झूठ मूठ का गुस्सा करते मैं बोली। और अजय जीजू ने दूसरा गाल भी कस के काट लिया और चिढ़ाया,
" ऐसे कचकचौवा गाल हो साली के तो न काटने पे साली गुस्सा हो जाएगी, और चलो दूसरे गाल पर भी काट लिया, हिसाब बराबर "
मैंने अपने ढंग से जवाब दिया। मेरे नाख़ून अजय जीजू के कंधे पर धंस गए और सीना उठा के मैंने अपने भारी भारी जोबन, अजय जीजू की छाती पे रगड़ने लगी, चूत मैंने कस के अजय जीजू के लम्बे बांस पे निचोड़ ली।
" निचोड़ स्साली, और कस के निचोड़ "
अजय अब अपनी उँगलियों से मेरी क्लिट को रगड़ रहे थे, मूसल जड़ तक घुसा था और बेस बुर पे रगड़ रहा था।
जीजू की बात टालूँ, मैं उन सालियों में नहीं थीं, तो मेरी चंद्रमुखी, कभी हलके से छोड़ती फिर दुगुने जोश से अजय के खूंटे को निचोड़ लेटी। जीजू के चेहरे की ख़ुशी, मस्ती मजा देखते ही मेरा जोश और दूना हो रहा था।
कुछ देर बात जब अजय का नंबर आया,
बोला तो था उसका मूसल बांस था एकदम, खूब लम्बा और कड़ा। इसलिए हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे पड़ता था, और अजय ने कस कस के दस धक्के सीधे मेरी बच्चेदानी पे, पांचवें छठवें के बाद ही मैं कांपने लगी, चेहरे पे पसीना आ गया। फुद्दी की फांके फूल रही थीं, सिकुड़ रही थीं, मैं झड़ रही थी बारबार।
अजय का भी दूसरी बार था इसलिए उसे भी टाइम तो लेना ही था। मैं झड़ के थेथर हो गयी, तो भी वो नहीं रुका और पेलता रहा धकेलता रहा।
और साथ में दोनों जोबन की मसलाई, चुदाई जल्दी ही फिर पूरे जोश में और मैं दुबारा, अजय भी किनारे पर पहुँचने ही वाला था। लेकिन अबकी जैसे उसने बांस बाहर निकाला,
![]()
रीनू की आवाज आयी, " खाना तैयार है, खिलाड़ियों बाहर आओ "
और मैंने अजय जीजू का मूसल हाथ में ले लिया और पकड़ के सीधे मुंह में, मैं पूरी ताकत से चूस रही थी, साथ में हाथ से मुठिया रही थी। अब मेरी मुनिया में और धक्के सहने की ताकत नहीं थी लेकिन जीजू का भी तो,...
अजय ने थोड़ी देर में रबड़ी मलाई छोड़नी शुरू की, वो बाहर निकालना चाहता था लेकिन मैंने इशारे से मना कर दिया और कटोरी भर माल मुंह में, दो चार बूँद रिस कर ठुड्डी पर आ गया लेकिन मैंने एक बूँद भी घोंटा नहीं।
![]()
गाल मेरे दोनों फूले फूले।
और उन मुस्टंडो ने मुझे कपडे पहनने से भी, सिर्फ के साडी और बाहर रीनू भी खट खट कर रही थी, तो बस साडी लपेट के मैं निकली, किसी तरह। खड़ा नहीं हुआ जा रहा था , दोनों लड़कों ने पकड़ के खड़ा किया , पिछवाड़े तो अभी भी लग रहा था लकड़ी का किसी ने खूंटा थोक रखा हो
लेकिन बाहर निकल टेबल सेट करती हुयी गुड्डी को मैंने देखा तो उसकी हालत तो मुझसे भी खराब थी, रुक रुक के खड़ी हो जाती थी। रोकने पर भी सिसकी निकल जाती थी जैसे जोर की चिल्ख उठ रही हो, उसकी ये हाल उसके भैया और रीनू ने मिल के की थी।
क्या किया गुड्डी के भैया ने गुड्डी के साथ, अगले भाग में। बस इतना बता सकती हूँ की जितना मेरे दोनों जीजू ने मिल के मेरी रगड़ाई की उससे बहुत ज्यादा, मेरे मरद ने मेरी ननद की रगड़ाई की। जैसा मैं चाहती थी उससे भी बहुत ज्यादा।
इसलिए तो मैं कहती हूँ, मेरा मरद, मेरा मरद है। सारी दुनिया एक तरफ, मेरा मरद अकेले,
Next post is भाग २२७ - गुड्डी रानी की रगड़ाई -किचेन में मस्ती on page 1318