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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

motaalund

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जोरू का गुलाम - भाग २२९


बहिनिया बनी रंडी -गुड्डी बाई



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ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी , व्हिस्की की दो बोतलें भी।

" हे चलते हैं आज शाम को कोई पिक्चर देखने , " कोई बोला।
गुड्डी एकदम उछल पड़ी ,

वाह , मजा आएगा , कौन सी पिक्चर, ...उसने कम टू माई शो खोल लिया था

और जीजू ने उसके उभरते हुए उभार कस के मसल कर बोला ,

" अरे गुड्डी रानी ,... कोई सी भी पिक्चर , पिक्चर नहीं पिक्चर हाल इम्पोर्टेन्ट हैं , हाँ एकदम खाली खाली सा , लास्ट रो छह सीटें ,.... हम तुम साथ साथ होंगे तो परदे वाली पिक्चर किसे देखनी है ,...

और अब गुड्डी समझ गयी की पिकचर , परदे पर नहीं , हाल की आखिरी सीटों पर चलनी है , और हीरोइन वही होगी , हाँ हीरो तीन तीन , उसके भइया लोग,



" तो इम्पीरिअल ठीक रहेगा , ... एकदम उसी तरह का है , भोजपुरी या डब्ड पिक्चर लगती हैं , ... " वो बोले और उनकी सेक्सी बहिनिया फिर उछल पड़ी

" पर भइया वो तो ,... उस जगह ,.... " ब्लश भी कर रही थी।

ननद और उसके भइया को रगड़ने का ये मौका मैं नहीं छोड़ सकती थी ,


" साफ़ साफ़ काहें नहीं बोलती की रंडी बाजार के ठीक बीचो बीच हैं और उसमे रंडी और भंडुए ,... अच्छा तो है की तू और तेरे सो काल्ड भइया अपनी बहनों से भी मिल लेंगे , पता नहीं कब की बिछुड़ी होंगी ...: मैं ने उसे चिढ़ाया।

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Last update is on page 1348

please, read, enjoy, like and comment

like aur comment jarror kijiye
फिल्मों में बचपन के बिछड़े बड़े होने पर मिलते हैं...
तो सिनेमाघर के बहाने उनसे मुलाकात...
 

motaalund

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कोमल मैम

आपकी सभी कहानियों के अपडेट लाजवाब ही होते हैं, एक से बढ़कर एक।

सादर
सचमुच बेजोड़ अपडेट्स.....
 

motaalund

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आपने एकदम कहानी का मर्म समझ लिया

असली खेल तो ननद भौजाई का ही है , गुड्डी और उसके भैया तो तीन साल से एक दूसरे को देख के ललचा रहे थे, जब से गुड्डी की कच्ची मैया आनी शुरू हुयी और नीचे केसर क्यारी, लेकिन मिलन भाई बहन का तो भौजाई ने ही कराया, अपनी ननद को अपने सैंया के सेज पे सुला के,

और जीजा साली के रिश्ते का भी और इस प्रंसग में तो तिहरे मजे एक साथ चल रहे हैं

जीजा साली का, रीनू का इनके साथ और फिर कमल जीजू तो कमल जीजू है

भैया बहिनी का गुड्डी का इनके साथ और आग में घी डालने वाली इनकी साली जो सुबह से चार बार भैया को अपनी बहिनी के पिछवाड़े चढ़ा चुकी है और इनको भी गोल दरवाजे का चस्का लगा दिया

और फिर ननद भौजाई - ननद एक भौजाई दो दो

एक बार फिर से धन्यवाद इतने अच्छे कमेंट के लिए

Pitchfork Music Festival Thank You GIF by Pitchfork
फील्ड ट्रेनिंग जरुरी है.. कुछ कमी बेशी हो तो... पूरा किया जा सके...
 

motaalund

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अगली बार ए आई की मदद से एक पीपीटी जोड़ने की कोशिश करुँगी
फिर तो ट्रेनिंग लेने वालों का तांता लग जाएगा...😉😉
 

motaalund

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तौलिया टांगने के साथ सुखा भी सकते हैं

( यह उदाहरण आप ही के सौजन्य से
)
स्टेमिना...
 

motaalund

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ननद के ऊपर मरद चढ़े ये तो हर भौजाई चाहती है लेकिन साथ में जीजू लोग भी चढ़ जाये ये असली बोनस है
और यहाँ तो डबल बोनस है...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने हर मार्केट का चैनल मॅनेजमनेट अलग होता है

और इसलिए पहले दल्ले आये, लेकिन फिर होलसेलर वाली गुलाब बाई मिल गयीं न और जिसपे गुलाब बाई का हाथ पड़ जाए बाकी सब किनारे हो जाते हैं

" मेरा नाम मेरा नाम गुलाब बाई है,सब मौसी बोलते हैं, बीस साल से यही काम कर रही हूँ नया पंछी देखने का,... जिसको जिसको कोठे पे बैठाया, उसका उसका डंका बज गया, ...तेरा नाम क्या है "
और गुलाब बाई की ये बात तो मार्केटिंग का असली ज्ञान है


" एकदम सही कहा तूने, बाजार की चीज बाजार में ही बिकती है, किसी को कोई चीज लेनी हो तो मालूम होगा जहाँ मिलती है वहीँ जाएगा न और जब से गली गली में स्पा, पार्लर खुल गए हैं और होटल वाले कस्टरमर सब वही, हजार पांच सौ में सर्विस के नाम पे सब मिल जाता है। लेकिन तूने सही किया, देख चीज तेरी है तो बेचने का हक़ तेरा, और वो स्साला तेरा भंडुआ, लौंडा टाइप उसके बस का कुछ नहीं है , कोई भंडुआ उसको पुलिस का डर दिखा के तुझे गड़प कर देगा या वो तुझे खुद ही औने पौने किसी कोठे पे बेच देगा। और मान लो तेरे होटल में रोज कोई पकड़ के ले भी आया तो वो स्साला बहनचोद कितना देगा, पांच सौ, हजार, दो हजार और यहाँ तो चार पांच घंटे में तू कमा लेगी इस रूप और जोबन पे। " गुलाब बाई बोली,
मार्केटिंग का गुरु ज्ञान...
 

motaalund

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अरे एपेटाइजर का भी अलग मजा है, कई लोग स्टार्टर से काम चला लेते हैं और यहाँ दावत तो घर पे ही होनी थी
लेकिन हर स्थान का अपना अलग जोशो-खरोश और उत्तेजना है..
कभी पूल में.. कभी कार में.. कभी खुले में... कभी जंगल में... कभी पकड़े जाने का डर..
 
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