फिल्मों में बचपन के बिछड़े बड़े होने पर मिलते हैं...जोरू का गुलाम - भाग २२९
बहिनिया बनी रंडी -गुड्डी बाई
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ब्ल्यू फिल्म ख़तम हो गयी थी , व्हिस्की की दो बोतलें भी।
" हे चलते हैं आज शाम को कोई पिक्चर देखने , " कोई बोला।
गुड्डी एकदम उछल पड़ी ,
वाह , मजा आएगा , कौन सी पिक्चर, ...उसने कम टू माई शो खोल लिया था
और जीजू ने उसके उभरते हुए उभार कस के मसल कर बोला ,
" अरे गुड्डी रानी ,... कोई सी भी पिक्चर , पिक्चर नहीं पिक्चर हाल इम्पोर्टेन्ट हैं , हाँ एकदम खाली खाली सा , लास्ट रो छह सीटें ,.... हम तुम साथ साथ होंगे तो परदे वाली पिक्चर किसे देखनी है ,...
और अब गुड्डी समझ गयी की पिकचर , परदे पर नहीं , हाल की आखिरी सीटों पर चलनी है , और हीरोइन वही होगी , हाँ हीरो तीन तीन , उसके भइया लोग,
" तो इम्पीरिअल ठीक रहेगा , ... एकदम उसी तरह का है , भोजपुरी या डब्ड पिक्चर लगती हैं , ... " वो बोले और उनकी सेक्सी बहिनिया फिर उछल पड़ी
" पर भइया वो तो ,... उस जगह ,.... " ब्लश भी कर रही थी।
ननद और उसके भइया को रगड़ने का ये मौका मैं नहीं छोड़ सकती थी ,
" साफ़ साफ़ काहें नहीं बोलती की रंडी बाजार के ठीक बीचो बीच हैं और उसमे रंडी और भंडुए ,... अच्छा तो है की तू और तेरे सो काल्ड भइया अपनी बहनों से भी मिल लेंगे , पता नहीं कब की बिछुड़ी होंगी ...: मैं ने उसे चिढ़ाया।
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तो सिनेमाघर के बहाने उनसे मुलाकात...