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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

Shetan

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आगे का प्रोग्राम -

मुम्बई



cst-victoria.jpg


उन्होंने उस फोन को रखा ही था की नीला फोन बजा और आवाज आयी , सेकेण्ड फ्लोर पर आ जाइये।

सेकेण्ड फ्लोर पर , जिनसे मुलाकात हुयी , वो ज्वाइंट सेक्रेटरी रेवेन्यू थे , स्टॉक एक्सचेंज , बैंक और इंश्योरेंस कम्पनी उन्ही के एरिया में पड़ते थे।


उन्होंने भी सिर्फ इंस्ट्रक्शन दिए और बातें बताई ,

" टेक ओवर बिड के पेपर उनकी राइवल ने प्रोसेस करने शुरू कर दिये हैं और कल सेबी में वो प्रेजन्ट होने वाले हैं , पर सेबी उसे कुछ दिन के लिए ऑब्जेक्शन लगा क्र रोक सकती है , एक उनके बॉर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग भी कल काल की गयी है , उसे भी टालना होगा। आज शाम को मुंबई में सेबी , एल आई सी और एक मेजर एन बी ऍफ़ सी से उनकी मीटिंग वो शेड्यूल कर रहे हैं। उन्हें छह बजे तक मुम्बई पहुंच जाना है , जहाँ ये मीटिंग होगी।

शेयर मार्केट के ट्रेंड को बुलिश करने के लिए एक मिस्टर सांगी से भी मीटिंग शेड्यूल है , रात में साढ़े बारह बजे। जुहू होटल मैरियट के काफी शाप में कोई १२ बजे मिलेगा जो उन्हें ले जाएगा।

उनके बारे में इन्होने उड़ती खबर सुनी थी शार्ट टर्म के लिए वो बहुत ही वेव्स पैदा करता है लेकिन गेंस का ५० % उसका , और ये बुलिश ट्रेंड चार पांच दिन तक तो रहता है है , लेकिन उसे कॉन्टैक्ट करना बहुत टेढ़ा है ,

इसके अलावा भी ढेर सारे इकोनामिक डिटेल्स उन्होंने , जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करने की कोशिश कर रही है , उसके दिए .

यह मीटिंग लम्बी चली , और इसके अंत में उन्होने कुछ डिमांड भी नहीं पेश की।

हाँ उनकी कांस्टीट्यूशन क्लब की मीटिंग कैंसल हो गई थी और उसके बदले में उन्हें करोल बाग़ के पास एक सामाजिक राष्ट्रवादी संगठन में किसी से मिलना था ,



यह मीटिंग आखिरी थी लेकिन सबसे इम्पोर्टेंट

उन्हें बताया गया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में एक डायरेक्टर उनका होगा।

उन्हें नाम भी बता दिया गया , और यह भी कल आफ्टरनून के पहले उसकी फाइलिंग सेबी के आफिस में हो जाए।

लेकिन चलने के पहले एक बात उन्होंने यह भी बोली ,

" उन्हें मालूम है की पैरेंट कम्पनी की भी शेयर होल्डिंग डायरेक्टली या इनडायरेक्टली बढ़ेगी , तो उनकी कम्पनी भी एक डायरेक्टर चेंज कर सकती है ,

कुछ देर यह चुप रहे फिर उनके कंधे पर हाथ रख कर बोले ,



"अगर वह आदमी तुम हो तो सेबी को कोई आब्जेक्शन नहीं होगा। , उसकी फाइलिंग भी वो साथ साथ कर सकते हैं। "



करोल बाग़ के पास से एयर पोर्ट ,... एक आदमी बल्कि लड़की से उन्होंने मीटिंग प्रेस क्लब में रखी थी , पर उस लड़की ने खुद बोला की वो लाउंज में एयरपोर्ट पर मिल जायेगी ,



आज रात से सारे इकनॉमिक साइट्स , न्यूज पेपर्स में क्या जाना है , ये सब उन्होंने डिसकस कर लिया , और कल सुबह से जितने चैनल हैं , सी एन बी ऍफ़ सी से लेकर एन डी टी वी बिजनेस तक ,...





फ्लाइट पौने छह बजे टर्मिनल टू पर पहुंच गयी , और उस के पहले उन्हें शेड्यूल मिल गया ,




१ - ७. ३० सेबी - बॉम्बे जिमखाना



२. ८. ४० , एल आई सी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टस ,



३. ९. ३० एन बी ऍफ़ सी -यॉट क्लब




गनीमत है तीनों कोलाबा में थे , अमेरिकन कांसुलेट में उन्हें साढ़े ग्यारह के आस पास पहुँचना था , तबतक पैरेंट कम्पनी के आफिस खुल जाते , अमेरिका में।



एक सरप्राइज मीटिंग उन्हें वेट कर रही थी।
Amezing update Komalji. Aap apne consept par bahot mahenat karti ho. Halaki zut nahi bolungi. Trading share market jese topic par muje koi gyan nahi hai. Par aap ye vale updates se muje bhi kuchh kuchh knowledge huaa.

3811f17d0b3235a4da4327a7886c0af8
 

komaalrani

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Ek baat janna tha kya sach me patni apne pati se pyar karti hai ki shirf ek shart jitne ke liye vo ye sab kar rahi hai kya vo abhi apne pati ko dusri aurto ke sath sula kar usko baad me insult feel kareygi or use gay bane par majboor karegi
मैंने कई बार कहा की मेरी कहानी खुद अपनी बात कहती है और मैं अगर उस में कुछ जोडू, घटाऊ तो वो कहानी की कमी ही कही जाएगी। लेकिन आपने कुछ बाते कहीं है तो मैं कुछ तथ्य रखना चाहती हूँ,

पिछली पोस्ट और आज की पोस्ट के बीच करीब ४५ हजार लोगों ने यह कहानी पढ़ी, और मैं यह नहीं कहती की सब को अच्छी ही लगी होगी। कुछ को अच्छी लगी होगी, कुछ को शायद इस कहानी की कुछ बातें न पसंद आयी हों और कुछ लोग निश्चित रूप से कथानक से, पात्रों के गठन और उनके स्वरूप से नाराज भी हैं। मेरे मन में मेरे सभी पाठकों के प्रति सम्मान है, आदर है। जो अपना समय निकाल के यहाँ आता है, कुछ सोच के हजारो कहानियों के बीच इस कहानी को पढ़ता है और उसकी कुछ अपेक्षा है वह नहीं पूरी होती है तो उसका फ्रस्ट्रेट होना स्वाभाविक है और कई बार वह गुस्सा कुछ ज्यादा तीखे कमेंट में आ जाती है।

मेरा मानना है की अगर प्रशंसा के फूलो को मैं आँचल फैला के ख़ुशी ख़ुशी रोप लेती हूँ तो क्रोध में कहे गए या नापंसंदगी में कही गयी बातों को उसी सम्मान के साथ ग्रहण कर लेना चाहिए, बजाय जवाब देने के।

दूसरी बात यह मैं कहना चाहती हूँ की यह एक कहानी नहीं उपन्यास है, २३६ भाग पोस्ट हु चुके हैं और अगर कभी ये किताब की तरह छपे तो शायद ५०० पन्नो की मोटी किताब बन जाए। इसलिए आप जहाँ पढ़ रहे हैं, और कहानी अभी जहाँ है बहुत बदलाव है, चरित्रों में पात्रों और नयी नयी घटनाये जुडी है। मैं अपनी कहानी की बात नहीं करती, लेकिन कोई भी कहानी, उपन्यास या मूवी हो राय अंत तक देख के ही बनानी चाहिए। हो सकता है कोई कहे की पिक्चर इतनी खराब थी की मैं नहीं झेल पाया लेकिन फिर ऐसे दर्शक को बिना पूरी पिक्चर देखे समीक्षा लिखने का अधिकार देना उचित नहीं होगा।

तीसरी बात मैं मानती हूँ की दो व्यक्तियों ( और मैं जान बूझ के व्यक्ति शब्द इस्तेमाल कर रही हूँ ) के बीच संबंध में देह सिर्फ एक सीढ़ी होती है असली दरवाजे तो मन के खुलते और बंद होते हैं लेकिन क्योंकि अडल्ट फोरम है और अधिक तर कहानियां देह के स्तर पर ही रहती हैं , कई मित्रों के लिए वही पैमाना होता है और कुछ के लिए तो एक ख़ास परफॉर्मेंस ही हीरो की निशानी।

मैं आपके सिर्फ एक सवाल का जवाब दे रही हूँ, जो आपने बार बार पुछा है क्या पत्नी पति को प्यार करती है ? मैं नहीं समझती की किसी भी स्त्री या पुरुष को प्यार को सिद्ध करने के लिए बार बार कुछ कहना पड़ता है, फ़िल्मी गाने गाने होते हैं या कसम खानी होती है। लेकिन परेशानी यही की कई बार तेज मसालों के चक्कर में हलके मसालों की महक और उनका स्वाद दब जाता है बस उसी तरह एक इरोटिका होने के कारन , देह की प्रधानता होने के चक्कर में मन की बातें जो एक दो लाइनों में इस कहानी के स्त्री चरित्र में बार बार आती हैं, वो बिसरा दी जाती हैं

मैं उदाहरण के तौर पर कुछ लाइने उद्धृत करना चाहती हूँ और ये उन पार्ट्स के हैं जो आपने पढ़ रखे हैं

। पृष्ठ पांच -भाग ५ - बन गए जोरू के गुलाम - उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।

और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।

२, भाग ९ - अँधेरे बंद कमरे मन के -बात ये है की मैं एक सीढ़ी ढूंढ रही थी , ऊपर चढ़ने वाली नहीं नीचे उतरने वाली।बात करते करते वो अक्सर 'आफ ' हो जाते थे , कई बार मुझे लगता था की वो मेरे पास हैं लेकिन ,मेरे पास नहीं है।
चारो ओर जैसे रौशनी की दरिया बह रही हो ,
लेकिन बीच में अँधेरे के बड़े बड़े द्वीप होंऔर वो वहां ये ग़ुम हो जाते हों।अब हम दोनों एक दुसरे से बहुत खुल गए थे फिर भी ,

मेरे उनका रिश्ता नार्मल हसबैंड वाइफ से थोड़ा हटकर था।

और दो बाते हमारे रिश्ते को गवर्न करती थीं ,

पहली तो ये की मैं उन्हें बेइंतहा प्यार करती थी , बस बता नहीं सकती। और वो भी , अपने ढंग से मुझे।
और अब धीमे धीमे वह हर चीज के लिए मुझ पे रिलाई करते थे।

दूसरी बात ये की मैंने ये मान लिया था की मेरा साजन सिर्फ मेरा है।इसलिए वो जो भी चाहता है , खुले मन से , छुप छुप कर , अवचेतन में सब पूरा कराने की ,


अगर कोई किसी होटल को देखता है , बार बार देखता है ,

महीने में एकाध बार खाना खा लेगा , उसका मन भर जाएगा।

लेकिन उसे मना करो , तो वो रोज वही सोचेगा।

इसलिए कोई भी फैंटेसी अगर कभी कभार थोड़ा बहुत पूरी हो जाय , खुल के हंसी मजाक में ही सही , उस पे बात हो , तो वो रिप्रेस्सेड नहीं होगा।

और ये रिप्रेसन , पर्सनल रिलेशन पर , काम काज में हर जगह अपना काला साया छोड़ता है।

इसलिए मैंने तय कर लिया , कि ,…

३, पृष्ठ ९ की कविता - Would You Follow Me?

Would you follow me as if we were so close
That I held your beating heart in my hand.

4और वहीँ एक सवाल के जवाब में मैंने लिखा है उसी पृष्ठ पर
ek intresting sawal hai , aakhir Gulaam hai kaun ,... vo jo khawaish , fantasies , unfulfilled desire poora karne men lagi hai ya , jiski fantasies khawaihsn poori ki jaa rhai hain ,

pati patni ka rishta aisa hi ki , ... bas

asal men shyad is kahani ka ek aur title ho skata tha ,... Made for each other ya ..Each is for बोथ

अपनी ओर से जो मैं कह सकती थी मैंने कह दिया लेकिन अब भी मैं यही कहूँगी की कहानी के साथ बने रहिये, कहानी खुद ही आपै बात कहेगी, लेकिन जो धीमी आवाज में फुसफुसा के कही गयी हों उन्हें भी सुनिए और पूर्वाग्रहों को कहानी के दरवज्जे में घुसने के पहले बाहर ही छोड़ने की कोशिश करिये तो शायद यह कहानी की असफलता है और उसके लिए मैं जिम्मेदार हूँ और किसी भी जवाब से मैं उसे पूरा नहीं कर पाउंगी

एक बार फिर धन्यवाद







Thanks Thank You GIF by Lumi
 

Sutradhar

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आगे का प्रोग्राम -

मुम्बई



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उन्होंने उस फोन को रखा ही था की नीला फोन बजा और आवाज आयी , सेकेण्ड फ्लोर पर आ जाइये।

सेकेण्ड फ्लोर पर , जिनसे मुलाकात हुयी , वो ज्वाइंट सेक्रेटरी रेवेन्यू थे , स्टॉक एक्सचेंज , बैंक और इंश्योरेंस कम्पनी उन्ही के एरिया में पड़ते थे।


उन्होंने भी सिर्फ इंस्ट्रक्शन दिए और बातें बताई ,

" टेक ओवर बिड के पेपर उनकी राइवल ने प्रोसेस करने शुरू कर दिये हैं और कल सेबी में वो प्रेजन्ट होने वाले हैं , पर सेबी उसे कुछ दिन के लिए ऑब्जेक्शन लगा क्र रोक सकती है , एक उनके बॉर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग भी कल काल की गयी है , उसे भी टालना होगा। आज शाम को मुंबई में सेबी , एल आई सी और एक मेजर एन बी ऍफ़ सी से उनकी मीटिंग वो शेड्यूल कर रहे हैं। उन्हें छह बजे तक मुम्बई पहुंच जाना है , जहाँ ये मीटिंग होगी।

शेयर मार्केट के ट्रेंड को बुलिश करने के लिए एक मिस्टर सांगी से भी मीटिंग शेड्यूल है , रात में साढ़े बारह बजे। जुहू होटल मैरियट के काफी शाप में कोई १२ बजे मिलेगा जो उन्हें ले जाएगा।

उनके बारे में इन्होने उड़ती खबर सुनी थी शार्ट टर्म के लिए वो बहुत ही वेव्स पैदा करता है लेकिन गेंस का ५० % उसका , और ये बुलिश ट्रेंड चार पांच दिन तक तो रहता है है , लेकिन उसे कॉन्टैक्ट करना बहुत टेढ़ा है ,

इसके अलावा भी ढेर सारे इकोनामिक डिटेल्स उन्होंने , जो कम्पनी इन्हे एक्वायर करने की कोशिश कर रही है , उसके दिए .

यह मीटिंग लम्बी चली , और इसके अंत में उन्होने कुछ डिमांड भी नहीं पेश की।

हाँ उनकी कांस्टीट्यूशन क्लब की मीटिंग कैंसल हो गई थी और उसके बदले में उन्हें करोल बाग़ के पास एक सामाजिक राष्ट्रवादी संगठन में किसी से मिलना था ,



यह मीटिंग आखिरी थी लेकिन सबसे इम्पोर्टेंट

उन्हें बताया गया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में एक डायरेक्टर उनका होगा।

उन्हें नाम भी बता दिया गया , और यह भी कल आफ्टरनून के पहले उसकी फाइलिंग सेबी के आफिस में हो जाए।

लेकिन चलने के पहले एक बात उन्होंने यह भी बोली ,

" उन्हें मालूम है की पैरेंट कम्पनी की भी शेयर होल्डिंग डायरेक्टली या इनडायरेक्टली बढ़ेगी , तो उनकी कम्पनी भी एक डायरेक्टर चेंज कर सकती है ,

कुछ देर यह चुप रहे फिर उनके कंधे पर हाथ रख कर बोले ,



"अगर वह आदमी तुम हो तो सेबी को कोई आब्जेक्शन नहीं होगा। , उसकी फाइलिंग भी वो साथ साथ कर सकते हैं। "



करोल बाग़ के पास से एयर पोर्ट ,... एक आदमी बल्कि लड़की से उन्होंने मीटिंग प्रेस क्लब में रखी थी , पर उस लड़की ने खुद बोला की वो लाउंज में एयरपोर्ट पर मिल जायेगी ,



आज रात से सारे इकनॉमिक साइट्स , न्यूज पेपर्स में क्या जाना है , ये सब उन्होंने डिसकस कर लिया , और कल सुबह से जितने चैनल हैं , सी एन बी ऍफ़ सी से लेकर एन डी टी वी बिजनेस तक ,...





फ्लाइट पौने छह बजे टर्मिनल टू पर पहुंच गयी , और उस के पहले उन्हें शेड्यूल मिल गया ,




१ - ७. ३० सेबी - बॉम्बे जिमखाना



२. ८. ४० , एल आई सी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टस ,



३. ९. ३० एन बी ऍफ़ सी -यॉट क्लब




गनीमत है तीनों कोलाबा में थे , अमेरिकन कांसुलेट में उन्हें साढ़े ग्यारह के आस पास पहुँचना था , तबतक पैरेंट कम्पनी के आफिस खुल जाते , अमेरिका में।



एक सरप्राइज मीटिंग उन्हें वेट कर रही थी।
वाह कोमल मैम वाह

क्या बात है !!! कुछ कहते ही नहीं बन रहा

कंपनी के टेकओवर का तो पता नहीं पर हमारे दिमाग का का टेकओवर तो आपने कर लिया।

क्या जबरदस्त ताना बाना बना रचा है।

अब आप ही बताइए कि अपडेट का इंतजार नहीं करे तो क्या करें ??

सादर
 
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Gumnam1221

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Komal ji aap to har kahani me bechari Guddi ko randi banane pe tuli huyi hai Kahin aap ki koyi guddi naam ki nanad to nhi Jiska gussa aap yahan nikalti hai usko sabse se chudwa ke😂😂

Khair aap bahut hi pyara likhti hai maine is tarah ki writing kahin nhi dekhi har update erotic hota hai

Thode aur jyada updates padh lu Fir apna review deta hu
 
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Shetan

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मैंने कई बार कहा की मेरी कहानी खुद अपनी बात कहती है और मैं अगर उस में कुछ जोडू, घटाऊ तो वो कहानी की कमी ही कही जाएगी। लेकिन आपने कुछ बाते कहीं है तो मैं कुछ तथ्य रखना चाहती हूँ,

पिछली पोस्ट और आज की पोस्ट के बीच करीब ४५ हजार लोगों ने यह कहानी पढ़ी, और मैं यह नहीं कहती की सब को अच्छी ही लगी होगी। कुछ को अच्छी लगी होगी, कुछ को शायद इस कहानी की कुछ बातें न पसंद आयी हों और कुछ लोग निश्चित रूप से कथानक से, पात्रों के गठन और उनके स्वरूप से नाराज भी हैं। मेरे मन में मेरे सभी पाठकों के प्रति सम्मान है, आदर है। जो अपना समय निकाल के यहाँ आता है, कुछ सोच के हजारो कहानियों के बीच इस कहानी को पढ़ता है और उसकी कुछ अपेक्षा है वह नहीं पूरी होती है तो उसका फ्रस्ट्रेट होना स्वाभाविक है और कई बार वह गुस्सा कुछ ज्यादा तीखे कमेंट में आ जाती है।

मेरा मानना है की अगर प्रशंसा के फूलो को मैं आँचल फैला के ख़ुशी ख़ुशी रोप लेती हूँ तो क्रोध में कहे गए या नापंसंदगी में कही गयी बातों को उसी सम्मान के साथ ग्रहण कर लेना चाहिए, बजाय जवाब देने के।

दूसरी बात यह मैं कहना चाहती हूँ की यह एक कहानी नहीं उपन्यास है, २३६ भाग पोस्ट हु चुके हैं और अगर कभी ये किताब की तरह छपे तो शायद ५०० पन्नो की मोटी किताब बन जाए। इसलिए आप जहाँ पढ़ रहे हैं, और कहानी अभी जहाँ है बहुत बदलाव है, चरित्रों में पात्रों और नयी नयी घटनाये जुडी है। मैं अपनी कहानी की बात नहीं करती, लेकिन कोई भी कहानी, उपन्यास या मूवी हो राय अंत तक देख के ही बनानी चाहिए। हो सकता है कोई कहे की पिक्चर इतनी खराब थी की मैं नहीं झेल पाया लेकिन फिर ऐसे दर्शक को बिना पूरी पिक्चर देखे समीक्षा लिखने का अधिकार देना उचित नहीं होगा।

तीसरी बात मैं मानती हूँ की दो व्यक्तियों ( और मैं जान बूझ के व्यक्ति शब्द इस्तेमाल कर रही हूँ ) के बीच संबंध में देह सिर्फ एक सीढ़ी होती है असली दरवाजे तो मन के खुलते और बंद होते हैं लेकिन क्योंकि अडल्ट फोरम है और अधिक तर कहानियां देह के स्तर पर ही रहती हैं , कई मित्रों के लिए वही पैमाना होता है और कुछ के लिए तो एक ख़ास परफॉर्मेंस ही हीरो की निशानी।

मैं आपके सिर्फ एक सवाल का जवाब दे रही हूँ, जो आपने बार बार पुछा है क्या पत्नी पति को प्यार करती है ? मैं नहीं समझती की किसी भी स्त्री या पुरुष को प्यार को सिद्ध करने के लिए बार बार कुछ कहना पड़ता है, फ़िल्मी गाने गाने होते हैं या कसम खानी होती है। लेकिन परेशानी यही की कई बार तेज मसालों के चक्कर में हलके मसालों की महक और उनका स्वाद दब जाता है बस उसी तरह एक इरोटिका होने के कारन , देह की प्रधानता होने के चक्कर में मन की बातें जो एक दो लाइनों में इस कहानी के स्त्री चरित्र में बार बार आती हैं, वो बिसरा दी जाती हैं

मैं उदाहरण के तौर पर कुछ लाइने उद्धृत करना चाहती हूँ और ये उन पार्ट्स के हैं जो आपने पढ़ रखे हैं

। पृष्ठ पांच -भाग ५ - बन गए जोरू के गुलाम - उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।

और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।

२, भाग ९ - अँधेरे बंद कमरे मन के -बात ये है की मैं एक सीढ़ी ढूंढ रही थी , ऊपर चढ़ने वाली नहीं नीचे उतरने वाली।बात करते करते वो अक्सर 'आफ ' हो जाते थे , कई बार मुझे लगता था की वो मेरे पास हैं लेकिन ,मेरे पास नहीं है।
चारो ओर जैसे रौशनी की दरिया बह रही हो ,
लेकिन बीच में अँधेरे के बड़े बड़े द्वीप होंऔर वो वहां ये ग़ुम हो जाते हों।अब हम दोनों एक दुसरे से बहुत खुल गए थे फिर भी ,

मेरे उनका रिश्ता नार्मल हसबैंड वाइफ से थोड़ा हटकर था।

और दो बाते हमारे रिश्ते को गवर्न करती थीं ,

पहली तो ये की मैं उन्हें बेइंतहा प्यार करती थी , बस बता नहीं सकती। और वो भी , अपने ढंग से मुझे।
और अब धीमे धीमे वह हर चीज के लिए मुझ पे रिलाई करते थे।

दूसरी बात ये की मैंने ये मान लिया था की मेरा साजन सिर्फ मेरा है।इसलिए वो जो भी चाहता है , खुले मन से , छुप छुप कर , अवचेतन में सब पूरा कराने की ,


अगर कोई किसी होटल को देखता है , बार बार देखता है ,

महीने में एकाध बार खाना खा लेगा , उसका मन भर जाएगा।

लेकिन उसे मना करो , तो वो रोज वही सोचेगा।

इसलिए कोई भी फैंटेसी अगर कभी कभार थोड़ा बहुत पूरी हो जाय , खुल के हंसी मजाक में ही सही , उस पे बात हो , तो वो रिप्रेस्सेड नहीं होगा।

और ये रिप्रेसन , पर्सनल रिलेशन पर , काम काज में हर जगह अपना काला साया छोड़ता है।

इसलिए मैंने तय कर लिया , कि ,…

३, पृष्ठ ९ की कविता - Would You Follow Me?

Would you follow me as if we were so close
That I held your beating heart in my hand.

4और वहीँ एक सवाल के जवाब में मैंने लिखा है उसी पृष्ठ पर
ek intresting sawal hai , aakhir Gulaam hai kaun ,... vo jo khawaish , fantasies , unfulfilled desire poora karne men lagi hai ya , jiski fantasies khawaihsn poori ki jaa rhai hain ,

pati patni ka rishta aisa hi ki , ... bas

asal men shyad is kahani ka ek aur title ho skata tha ,... Made for each other ya ..Each is for बोथ

अपनी ओर से जो मैं कह सकती थी मैंने कह दिया लेकिन अब भी मैं यही कहूँगी की कहानी के साथ बने रहिये, कहानी खुद ही आपै बात कहेगी, लेकिन जो धीमी आवाज में फुसफुसा के कही गयी हों उन्हें भी सुनिए और पूर्वाग्रहों को कहानी के दरवज्जे में घुसने के पहले बाहर ही छोड़ने की कोशिश करिये तो शायद यह कहानी की असफलता है और उसके लिए मैं जिम्मेदार हूँ और किसी भी जवाब से मैं उसे पूरा नहीं कर पाउंगी

एक बार फिर धन्यवाद







Thanks Thank You GIF by Lumi
Amezing Komalji. Aap ka reply bhi kisi update ke kisse se kam nahi hai. Aap ki har story ka maksad alag alag hai. Chahe natija sirf khushiya ho. Kamukhta bhi is prakar ki hosh uda de. Fir bhi risto ki garima barkarar raheti hai. Upar se agar romance ka tadka laga deti ho to kahena hi kya. Kabhi kishori ke shararat ke pal to kabhi bin byahe us vivahit jivan ki becheni. Kahi pati patni ke prem me kamukhta shararat aur kamukhta ka mila jula sangam to kabhi kisi riste me anubhav aur anushasan. Aap amezing ho.

6e401edcf30541a6f925d61870a9bb4e
 

komaalrani

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Ye pichhle 2 bar pichhe vale update me bhi ye plan padha tha. Message D melo ka cousin direct flight pakad kar Delhi aaega fir gajiyabad se vapas train me. Aur vo bhi dusre dibbe se hote hue utar jaega. Tab tak vo sath honge.
Upar se nude mahendi ka teej program. Aur vo bhi nae nae rasgulle vali. Dress cord me bhi na male ko aur na hi female ko kachha baniyan pahen ne ki ijajat nahi.

Jab tak aap pura parda nahi utthaoge makashad pata karna mere bas ki to nahi hai. Magar fir bhi bahot romanchak lag raha hai. Amezing komalji. Aap ke consept amezing hi hote hai.

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Ekdam sahi kaha aapne story ki continuity ke liye baat vahi se shuru huyi jahan pichali baar chhuti thi, lekin aage ke posts men delhi men kya hua iska detail varana hai . Thanks so much for regular comments
 
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