Shetan
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Matlab saf tha ki market karas hone se Market me company ke shares ka dam girenge. Aur vahi shares vo company kharidne ke plan me hai. Company ke sare bade ki holders par najar rakhi ja rahi hai. Jisme vo bhi samil hai. Lekin unka kya dimag hai. Amezing komalji.गाजियाबाद,-- दिल्ली - मंगल का दिन,
डबल डिकॉय इस्तेमाल हुआ जिसकी जानकारी सिर्फ मिसेज डी मेलो को थी ( मुझे भी बाद में पूरा किस्सा पता चला ।
क्योंकि उन्होंने मुझे फोन पर कहा था की फ्लाइट से दिल्ली जाना है और किसी ने वो फोन हैक किया हो, तो दिल्ली का एक फ्लाइट का टिकट बाकयदा इनके नाम से बुक हुआ, ये इन्शियल्स ही इस्तेमाल करते थे वही आई डी में था। बोर्डिंग पास भी जारी हुआ और उसी इन्शियल वाला एक कोई उसी फ्लाइट से उस टिकट पर गया भी, वो भी कम्पनी की गाडी से। दिल्ली में भी कंपनी की ओर से होटल और गाडी बुक हुयी
एक तो डिकॉय ये था, जो आफिस में कुछ लोगो को पता था लेकिन सिर्फ ये की किसी मीटिंग में इन्हे जाना था लेकिन इनकी जगह वो आदमी जा रहा है और इन्हे कुछ परसनल काम आ गया था जिस वजह से ये नहीं जा पा रहे हे हैं।
दूसरे डिकॉय का कुछ हिस्सा किसी को नहीं मालूम था ये उस जगह पहंचे कैसे जहाँ इन्हे ट्रेन में बैठना था, मिसेज डी मेलो के साथ,। बाजार में एक मॉल में इनका एक दोस्त जिसका कम्पनी से कोई लेना देना नहीं था, वो मिला और उन्हें अपनी बाइक के पीछे बैठा के एक जगह छोड़ के आ गया। वहां से किसी कामर्सियल टैक्सी, जिसमे ४ की जगह ठूंस के ८ आदमी बैठाये जाते वो वहां पहुँच गए। और वहां पर फर्स्ट ऐसी के कूपे में, तबतक टिकट चेक हो चुका था और ये चुपचाप ऊपर की बर्थ पर लेट गए कंबल ओढ़ कर, गाजियाबाद तक दो तीन स्टापेज ही थे और कूपे में किसी को आना नहीं था।
तो अगले दिन सुबह यह गाजियाबाद पहुँच गए।
गाजियाबाद में उतर कर वो सीधे बाहर नहीं निकले , एक वेटिंग रूम में जाकर पहल फ्रेश होकर , दस मिनट बाद एक आटो से नोयडा , मेट्रो से कनाट प्लेस और फिर वहां से टैक्सी ,
आज और आनेवाला कल का दिन कम्पनी के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट थे और उनके इस रिजक्यू मिशन के बारे में मुम्बई के कारपोरेट हेडक्वार्टर को भी ज्यादा जानकारी नहीं थी, सिर्फ ग्लोबल स्ट्रेजटजिक टीम को और वो भी थोड़ी बहुत।
सुबह की मीटिंग में रिस्क असेसमेंट, थ्रेट परसेप्शन और वर्स्ट सिनेरियो के बारे में डिटेल बातचीत हुयी। और बहुत सी बात बिना बात के भी समझ ली गयी।
उसमें से एक यह था की बिना जो कॉरिडोर्स आफ पावर में हैं बिना उनके सपोर्ट के इस रिस्क से बचना बड़ा मुश्किल है , और उनके साथ निगोशिएशन्स के लिए निगोशियेटिंग स्किल के साथ, गिव एंड टेक की पावर, तुरंत डीसीजन लेने की क्षमता भी होनी चाहिए।
उनकी इंडियन कम्पनी एक बड़ी ग्लोबल कम्पनी की मेजारटी सब्सिडियरी थी, यानी मेजॉरिटी शेयर उनकी अमेरिकन कम्पनी के थे लेकिन बहुत सी और कंपनियों के शेयर थे और अभी कुछ ग्लोबल कंडीशन के चलते अक्वीजिशन का खतरा हो गया था। उन्होंने काफी स्टेप्स लिए थे लेकिन कहीं कुछ लीकेज था या कुछ और बातें हुयी, जिससे ये नयी सिचुएशन पैदा हुयी।
उनकी कम्पनी के पास कुछ इंटलेक्चुअल असेट थे जो अभी मॉनिटाइज नहीं किये जा सकते थे, पर कुछ और सपोर्टिंग रिसर्च के चलते अगले पांच छह महीनो में उनकी वैल्यू बहुत बढ़ने वाली थी और लगता था उनके बारे में कुछ कम्पनी को पता चल गया था और उन्होंने ये स्टेप्स लिए थे, जिसमे कुछ ग्लोबल और कुछ इंडियन कम्पनी की मिलीभगत थी।
लेकिन सब बातों को उन्होंने झटक के अलग किया, लिव इन द मोमेंट। प्रजेंट इस मोस्ट इम्पोर्टेन्ट , पास्ट इज पास्ट एंड फ्यूचर इज अनसर्टेन
बस आज और अभी , और ईश्वर में और खुद में विश्वास