बात आपकी काफी हद तक सही है, कहानी कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गयी है
पर एक तरीके से देखें तो यह कहानी नहीं उपन्यास है वो भी अच्छा खासा मोटा उपन्यास, पेपरबैक नहीं
और हीरोइन उसकी कहानी कहने वाली है, क्योंकि कहानी में शुरू से अभी तक वही है और हाँ गुड्डी एकदम गायब नहीं है, अभी पिछला भगा गुड्डी के बारे में और अगल दो भाग तो गुड्डी की जुबानी और पात्र इतने हैं तो कुछ कभी आते हैं कुछ कभी, कम से कम २० -२५ स्त्री पात्र आ चुके हैं अब तक मैं शुरू के कुछ गिना देती हूँ, पत्नी जो कहानी सुना रही है के अलावा
गुड्डी, जेठानी, सास, मिसेज खन्ना, मिसेज मोइत्रा, मिसेज दीर्घलिंगम, माँ , गीता, मंजू, नैंसी, तनु, सुजाता, रीनू, चीनू, मिसेज मोइत्रा के दोनों रसगुल्ले , छन्दा और दिया, गुड्डी की दोनों सहेलियां, गुलबिया, जेठानी के फलैशबैक में, नगमा, जेठानी की सहेली, मिसेज महलोत्रा स्काई कोचिंग की, डाक्टर गिल, गुड्डी की कोचिंग की सहेलियां, शेयर मार्केट वाले मामले में मीनल शाह
तो बस वही बात
तो बस पंद्रह बीस भगा और करीब २७५-२८० के बाद यह उपन्यास सम्पात होगा, और तब तक शायद ४५ लाख व्यूज हो जाएँ जो किसी ऐसी कहानी के लिए जिसमे इन्सेस्ट न हो या नहीं के बराबर हो, एक संतोष की बात होगी और वैसे भी अब यह एक फाइनेंसियल थ्रिलर बन चुकी है
धन्यवाद आपके सुझावों का ध्यान रखूंगी बस साथ बनाये रखें और हो सके तो बाकी कहानियों पर भी नजर डाले