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जेठानी वैसे तो असुधारणीय हैं लेकिन पूरी कोशिश होगी उन्हें सुधारने की, साम दाम दंड भेद सभी, ... और जम कर होगी, खाने पीने की आदतें कुछ तो सुधर ही गयी हैं , बाकी भी सुधर जाएंगी, उनके देवर की सहायता से"हम हैं राही प्यार के" फ़िल्म का एक डायलोग था जिसमें बारिश में भीगते आमिर खान को छोटा वाला भांजा बोलता है
"लगता है मामा सुधर गए हैं"
यहाँ भी जेठानी जी सुधार अभियान चालू है...
और जब तक पूर्ण रूप से सुधर नहीं जाती ये कार्यक्रम चलते रहना चाहिए...
150 पृष्ठ और अपडेट का शतक होने की बधाई...जोरू का गुलाम -१००वां भाग
अगला दिन
जागो सोनेवालों , जागो ,
और साथ में गर्म चाय की प्याली।
आज बजाय उनके देवर के मैं उन्हें बेड टी देने आयी थी।
उनके तकिये के पास ही मेरी जेठानी का मोबाइल पड़ा था , बस क्या था मेरी उँगलियाँ तो मोबाइल को देख के ही मचल जाती थी। उनका मोबाइल मेरे हाथों में और बहुत कुछ मेरे मोबाइल से उनके मोबाइल में।
वो कुनमुना रही थीं , और मैंने सीधे उनके गाल पे हलके से पिंच किया ,
" हटो सोने दो न , " उन्होंने करवट लेने की कोशिश की।
चुट चुट , चुटपुटिया बटन चट पट उनकी ब्लाउज की खुल गयी ,एक दो तीन ,सिर्फ नीचे की एक बटन उनके कसे कसे ब्लाउज को किसी तरह सम्हाले थी
गोरी गोरी भारी भारी ३६ डी
पुच्च पुच्च ,मेरे होंठ सीधे मेरी जेठानी के होंठों पे और जबरदस्त किस्सी ,मेरा एक हाथ ब्लाउज में।
सच में गोलाइयाँ उनकी मस्त थीं ,एकदम प्रौढ़ा खेली खायी मार्का , कड़ी भी बड़ी भी।
होंठ छुड़ाते हुए मस्ती से बिना आँखे खोले वो बोलीं ,
" देख रही हूँ तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो ,...छोड़ सुबह सुबह जूठा कर दिया। "
" दीदी आपके देवर नहीं मैं हूँ , और वो आपके देवर तो आपके नीचे वाले होंठों पर घात लगाए बैठे हैं ,आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन और कल चलेगा मूसल रात भर इसी कमरे में घचाघच्च घचाघच्च। "
जोर से उनके बड़े बड़े मूंगफली के दानों के साइज के निपल को पिंच करते मैं बोली।
और जेठानी जी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे पट्ट से खोल दीं।
तुम , तो आज देवर जी,आज कल तो बेड टी का काम तुमने उनके जिम्मे ,... " चौंक के मेरी जेठानी बोलीं।
" अरे दी आज कल कुछ बांटा रहता है क्या ,ख़ास कर मेरे उनके बीच में , कभी उनका काम मैं कर देती हूँ तो कभी मेरा काम वो , फिर कल रात आप के साथ गरम गरम पिक्चर देखकर गरम हो गए थे की पूरी रात , एक मिनट भी चैन नहीं लेने दिया , अभी थोड़े देर पहले ही उनकी आँख लगी थी। फिर मैंने ये भी सोचा की आज सो लें , कल की रात तो वैसे ही आप के साथ पूरी रात कबड्डी खेलनी है ,इसलिए। "
अपनी जेठानी की घुंडी घुमाते हुए मैंने किस्सा पूरा बयान कर दिया और एक बार फिर कस के सीधे लिप्स पे लिप्पी
और अबकी मेरी जेठानी ने हल्का ही सही ,रिस्पांस दिया।
और मैंने सोचा सही है बॉस इसका मतलब ये भी थोड़ी थोड़ी ही सही कन्या रस वाली ये भी हैं।
और मैंने चाय का प्याला अपनी जेठानी के सामने पेश कर दिया।
चाय का प्याला उनके हाथ में और उनका मोबाइल मेरे हाथ में ,
एक व्हाट्सएप ग्रुप उनके मायकेवालियों का था , उनकी बहने भौजाइयां और क्या खुल के एक से एक वल्गर बातें होती थीं , खुल के एकदम शादी शुदा तो छोड़िये कुंवारियां भी। और सुबह सुबह यही सवाल ,रात में कितने राउंड हुए ,
ज्वाइन करते ही इनकी भौजाई ( यानी मेरी जेठानी ) की भौजाई ने यही सवाल दाग दिया ,
" क्यों ननद रानी रात कित्ती बार ,... "
पहले सैड वाली स्माइली और फिर , अपनी जेठानी की ओर से जवाब ,मैंने भेज दिया , तुरंत
" क्या भाभी , सब आप की तरह से थोड़े ही , अरे आपके ननदोई मेरी सास को चार दिन से तीर्थ कराने गए हैं और ऊपर से वो पांच दिन वाली छुट्टी भी चल रही है "/
मैंने जेठानी को दिखाया , वो तो महाखुश और अपनी भौजाइयों से उन्होंने भी दो चार बातें कर के उन्होंने फोन मुझे वापस कर दिया।
लेकिन बारह आने का खेल तो अभी बाकी था।
मैंने उनके मोबाइल के दो चार बटन और दबाये चाय की चुस्की लेते हुए और मोबाइल उनकी ओर बढ़ा दिया
" दीदी आपके मोबाइल पर तो आपने एक से एक एक सेक्सी फोटुएं लगा रखी हैं ,अपने देवर के साथ "
एक फोटो में मेरे वो अपनी उँगलियों से उनका निपल मरोड़ रहे थे ,जेठानी का चेहरा ,निपल्स के क्लोज अप एकदम साफ़ साफ़।
दूसरी पिक्चर तो और , उनके देवर के होठ अपनी भौजाई के जोबना पर और भौजाई का हाथ अपने देवर के तने खूंटे को पकडे ,
कुल ९ फोटुएं थी और ६ उनकी सेल्फी आलमोस्ट टॉपलेस वाली
लेकिन सबसे बढ़कर एक छोटा सा एम् एम् एस भी जिसमें मेरी जेठानी अपने देवर को देवर का देवर का मतलब समझा रही थी , लिम्का में मिली वोडका का असर साफ़ साफ़ था
" देवर मतलब , जो अपनी भाभी से बार बार बोले , भाभी , दे बुर ,दे बुर। "
" तो भाभी दीजिये न , आपने कभी दिया नहीं। " उनके देवर की आवाज थी।
" तूने कभी माँगा ही नहीं , ... " खिलखिलाते हुए वो बोली।
" तो अब से मांग लेता हूँ न , भाभी दे बुर ,दे बुर। "
"अरे देवर जी अभी तो छुट्टी चल रही है बस परसों रात को छुट्टी ख़तम और फिर आप छुट्टे सांड की तरह ,... " उनकी आवाज।
" अरे ये सब क्या है डिलीट कर उसको " जेठानी की आवाज बड़ी तल्खी और बेचारगी से भरी थी।
" अरे दीदी आपका फोन है आप डिलीट कर दीजिये न " सीरियसली मैंने फोन उन्हें दे दिया।
और बेचारी उन्होंने डिलीट कर दिया एक एक ,लेकिन उससे क्या फरक ,
मैंने चेक करने के बहाने उनके फोन को लिया और फिर उन्हें वापस , अरे ये तो फिर आ गयी लगता है आपने ठीक से डिलीट नहीं किया /
बिचारि ,एक दो बार उन्होंने फिर से कोशिश किया लेकन ,
चाय हम दोनों की कब की ख़तम हो चुकी थी।
" अरे दी चिंता छोड़िये आपके व्हाट्सएप ग्रुप में डाल देती हूँ " कह के जैसे मैंने बटन की तरफ हाथ बढ़ाया बिचारि जेठानी एकदम ,... "
अरे दी मैं तो मजाक कर रही थी लीजिए अपना फोन " कह के मैंने उन्हें फोन वापस कर दिया और भोलेपन से बोली
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
इन सब सपनों का सच होना बनता है...सपने में गुड्डी -
मेरी ननदिया, मेरे मायके में
दुहरे अटैक का असर तुरंत हुआ ,गुड्डी की गुलाबी कसी किशोर चूत एक तार की गाढ़ी चाशनी छोड़ने लगी।
उधर शेरा को भी महक मिल रही थी ,वो बार बार कुतिया की तरह निहुरी गुड्डी को देख रहा था
और गुड्डी भी चोरी चोरी चुपके चुपके उसके बित्ते भर से भी बड़े तन्नाए पगलाए लंड को देखने में मगन ,
लेकिन गुलबिया भौजी से किसी की चोरी छिपती है क्या , खास तौर से छिनार ननदों की.
"अरे बहुत तकम तककौवल होय गइल ,अब चोदम चुदऊवल क बारी हौ." उन्होंने गुड्डी को चिढ़ाया
गुड्डी की चूत झड़ने के कगार पर थी , पानी का पनारा छोड़ रही थी , गुलबिया ने सब कुछ अपनी उँगलियों पर लपेट के सीधे शेरू के नथुनों पे ,
अब तो शेरू एकदम पागल ,सीधे गुड्डी की फैली खुली जाँघों के बीच शेरू की लम्बी खुरदुरी जीभ ,
सडप सड़प ,जोर जोर से निहुरि हुयी गुड्डी की चूत वो चाट रहा था और गुड्डी मस्ती से सिसक रही थी।
" अरे बहुतों से चटवाया होगा लेकिन अइसन मजा नहीं मिला होगा "
शीला भाभी ने गुड्डी को चिढ़ाया।
दो चार मिनट में ही गुड्डी की ऐसी की तैसी हो गयी ,सिसक रही थी मस्ता रही थी।
शीला भाभी ने गुलबिया को इशारा किया की वो शेरू को , ... लेकिन मुस्करा के गुलबिया ने मना कर दिया ,बोली
गरमाने दो स्साली को ,
और जब गुड्डी की हालत एकदम खराब हो गयी तो गुलबिया भौजी ने शेरू को ,एक दो बार शेरू ने इधर उधर ,लेकिन फिर गुलबिया भौजी ने शेरू का शिश्न पकड़ के सीधे गुड्डी के छेद पर ,पहले धक्के में ही तिहाई लंड अंदर और अब लाख चूतड़ पटकती शेरू निकालने वाला नहीं था।
गुड्डी की तेज चीख आधे गाँव में ,... लेकिन यही चीख तो सब सुनने को बेताब थे। और शेरू ने दूसरा धक्का मार दिया।
गुलबिया शेरू को सहला रही थी उकसा रही थी पांच छह धक्के में पूरा ९ इंच अंदर ,लेकिन अभी तो खेल शुरू हुआ था। बारह आने का खेल तो बाकी था ,शेरू का शिश्न एकदम जड़ तक गुड्डी की बुर में जड़ा धंसा और कुछ देर में उसके लंड कब्ज पर गाँठ फूलने लगी।
बिचारी गुड्डी की हालत खराब ,
सबों का खिलखिलाते हुए बुरा हाल , अब सच में वो कुतिया बन गयी थी।कुछ ही देर में क्रिकेट की बाल जैसे गुड्डी की बुर में फंस गयी हो , चार साढ़े चार इंच डायमीटर की नाट गुड्डी की बुर के जड़ पे ,
हम सब जानते थे अब शेरू से वो आधे पौन घंटे से पहले नहीं छूट सकती थी।
" अरे रानी एक बार एहसे चुदवाय लिया न तो अब किसी का भी लंड हँसते हँसते घोंट लोगी। " शीला भाभी बोलीं।
" अरे एक बार काहें ,अरे अब रोज कम से कम दो तीन बार ,अरे बाहर क मरद मजा मारें और हमरे घरे क मरद भूखा रहे ,देखा रोज खुदे आइके ई शेरू से चोदवायेगीं। "
गुड्डी हलके से बोली नहीं ,नहीं
उसे चिढ़ाते हुए मैं जोर से बोली , हाँ हाँ। ( सपने का क़ानून कायदा तो होता नहीं कोई कभी भी कभी पहुँच जाता है तो मैं भी अपने मायके में ननद रानी की हालचाल लेने, )
...
और तब तक मेरी नींद खुल गयी , कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा था ,
एकदम अगली पोस्ट तुरंतइन सब सपनों का सच होना बनता है...
बेसब्री से आगे की इन घटनाओं की प्रतीक्षा रहेगी..
इस बार छंदा और दिया की बचत नहिहोनी चाहिए..जोरू का गुलाम भाग १०२
शलवार सूट
टाइट शलवार सूट में गुड्डी आज एकदम जान मारु लग रही थी। चुन्नी थी लेकिन एकदम गले से चिपकी और कसे कसे कुर्ते से दोनों कबूतर उड़ने के लिए बेचैन दिखाई दे रहे थे। और उसके जोबन थे भी तो एकदम मस्त ,उसके साथ के इंटर में पढनेवालियों से २० नहीं एकदम २२। इनकी गलती नहीं थी की ये इन उभारो पर फ़िदा हो गए थे ,ये क्या पूरा शहर मरता था उन गोलाइयों पर। मेरी निगाहें भी उसे ही सहला रही थीं।
पर गुड्डी अपनी बात में मगन ,एक बदमाश लट चुपके से उसके गोरे गुलाबी गालों को चूमने की कोशिश कर रही थी। वो मुझे समझा रही थी ,
" अरे नहीं भाभी ,मैं तो एकदम ठीक दस बजे पहुँच गयी होती , पर सुबह सुबह थोड़ी फंस गयी थी इसलिए लेट हो गयी थी। भैय्या को तो फोन करके बताया था और आप सो रही थी इसलिए ,..आप को भी मेसेज दिया था। "
उसकी बातें कौन सुन रहा था मैं तो उसके रसीले गुलाबी होंठों के जादू में खोयी हुयी थी और बार बार मेरी आँखों में वही सपना घूम रहा था , गुड्डी मेरे गाँव के आँगन में निहुरि हुयी ,शेरू उसपर चढ़ा हुआ ,उसकी मोटी गाँठ गुड्डी की बुर में धंसी फंसी,और गुड्डी को अपनी बाँहों में भींच के सुबह की पहली चुम्मी उसके होंठों पर मैंने कस कस के ले ली और उसे छेड़ा ,
" क्या कहा ,कहीं फंस गयी थी ,कौन था वो छैला। एक़दम गलत अब तुझे मेरे इनके सिवाय कही और फंसने की इजाजत एकदम नहीं है। फिर दोतीन दिनमेंतोतुझे मैं ले उड़ूँगी , और उसके बाद तो ,... कौन था किस बहेलिये ने फंसा लिया था मेरी सोन चिरैया को?
और फिर एक चुम्मी ,और अबकी उसने भी हलके से ही सही मेरे किस का जवाब दिया और फिर छुड़ाते हुए खिलखिला के वो फुलझड़ी बोली ,
" नहीं भाभी ,था नहीं थी बल्कि थीं। मेरी दोनों सहेलियां ,... आप मिली तो हैं दोनों से चंदा और दिया। दोनों आप जानती ही हैं नम्बरी। बताया तो था आपको दिया तो अपने सगे भाई से ही पिछले दो साल से ,रोज रात बिना नागा कबड्डी होती है और अगले दिन स्कूल में हम सब लोगों को फुल डिटेल ,
और चंदा का कोई सगा भाई तो है नहीं तो वो अपने जीजू से ही ,पिछले साल होली में और एक बार दूकान खुल गयी तो फिर तो उसका कोई कजिन बचा नहीं ,चचेरे ,मौसेरे , आधे दर्जन से तो ज्यादा ही होंगे ,...
बस वही दोनों चुड़ैले , सुबह से जिद कर के रख दी की आपसे मिलने चलेंगी मेरे साथ। भाभी से मिलना है , भाभी से मिलना है ,किसी तरह पीछा छुड़ाया उन छिनारों से फिर आयी हूँ। "
उसके काली रात से भी काले बालों को सहलाती मैं बोली ,
" सच सच बोल , वो तेरी सहेलियां तेरी भाभी से मिलना चाहती थीं या तेरे भैय्या कम सइंया से। "
गुड्डी के कुर्ते को फाड़ते उभारों को कस कस के दबाते मैंने हंस के पूछा।
" भाभी आप भी न, आप तो सर्वज्ञ हो , कल से फेसबुक पे भैय्या की फोटो देख के ही उन दोनों की कौन कहे वो तो मेरी पक्की सहेलियां हैं , बाकी सहेलियों के भी चींटे कांट रहे हैं , २७ के एस एम् एस आ चुके यार बस एक बार मिलवा दो। सब सालियाँ लार टपका रही हैं ,और उसके बाद से जब से मेरा वो स्काई कोचिंग में एड्मिसन पक्का हुआ है न ,सब को मालुम पड़ गया है की वो कर्टसी मेरे भैया ,भाभी के और मैं आप सब के साथ जा रही हूँ कोचिंग में तब से तो और,... "
उस की बात काटते और संभावनाएं देखते मैं बोली ,
" अरे यार वो स्साली तेरी सहेलियां , जब एक बार तेरे भैय्या तेरे ऊपर चढ़ जाएंगे न तो उनकी तो सालीयां ही लगेंगी न। दिलवा देना उनकी भी। "
" आप भी भाभी ,अरे दिलवा देना , वो तो खुद ही खोल के अपने हाथ से फैला के खड़ी हैं ,अगर गलती से भी भैय्या ने थोड़ा लिफ्ट दे दिया न तो बस देखिएगा खुद ही खोल के चढ़ जाएंगी ,मेरे भैय्या को कुछ कहना भी नहीं पडेगा। "
हंसती हुयी वो हंसिनी बोली।
गुड्डी के मस्त नए नए आये उभारों को सहलाते मैं बोली ,
" लेकिन इस जुबना को पाने के लिए तो तेरे भैय्या को जो कुछ भी कहना पडेगा ,कहेंगे वो। अच्छा क्या तुम इस लिए शलवार सूट पहन के आयी हो की आज बच जाओगी ? "
" क्या पता "
हंस के वो शोख बोली , फिर उसकी लम्बी उंगलिया मेरे उभार पे , चिढ़ाते हुए बोली ,
" भाभी आप ने भी तो शलवार सूट पहन रखा है तो क्या आप बच जाती है मेरे भइया से "?
" अरे यार तेरे भैय्या सीधे हैं लेकिन इत्ते सीधे भी नहीं , अब तो तू चल ही रही है हम लोगों के साथ देखेगी ही। तेरे भैय्या २४/७ वाले हैं ,न दिन देखते हैं न रात , चाहे बेडरूम हो या किचेन , और मूसल भी उनका हरदम तन्नाया रहता है। कोई बचत नहीं। लेकिन यार इत्ता मजा आता है चुदवाने में स्साला बचना भी कौन चाहता है ,एक बार तू भी चुद लेगी न उनसे तो देखना हरदम चींटे काटेंगे तेरी चूत में। "
मैं बोली और सोच लिया की उसे ज़रा शलवार सूट उतरवाने का प्रैक्टिकल कर के दिखा दूँ।
गुड्डी से छेड़छाड़ मैंने जारी रखी। उसके टेनिस बाल से टीनेजर बूब्स को हलके हलके सहलाते मैं बोली , और अगर कभी दो तीन राउंड के बाद वो ब्रेक लेने लगे तो तू है ही मेरे पास।
" मतलब ,भाभी " गुड्डी ने बड़ी बड़ी आँखे फैला के पूछा।
जोर से गुड्डी के जुबना दबा के मैं बोली ,
" अरे यार तेरे भैय्या तेरे इन छोटे छोटे जुबना के इत्ते दीवाने हैं न की ,बस कभी अगर जोर जोर से मेरे पकड़ के रगड़ते मसलते हैं ,तो बस मैं छेड़ देती हूँ ,अपने उस बचपन के माल का समझ के दबा रहे हो क्या अरे उसके तो कबसे दबाने लायक हो गए हैं। और अगर कभी तेरा नाम ले के गाली दे दी उन्हें ,बहनचोद बोल दिया , फिर तो वो कितने भी थके हों ,मेरी ऐसी की तैसी श्योर. तेरे नाम का असर उनके ऊपर वियाग्रा से भी ज्यादा होता है। "
" अरे मेरी मीठी मीठी भौजी ,अगर आप उन की बहन का नाम ले के छेड़ेंगी तो आप की ऐसी की तैसी तो होनी ही है। " हंसती हुयी अब मेरी ननद भी अपने भइया की तरह मेरे उभारों को दबाने लगी थी। गुड्डी के खुश खुश चेहरे से ये बात साफ़ झलक रही थी की ये बात सुन के की ,उसके भइया का उसका नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है कैसा लग रहा है।
मैंने अपनी दोनों टाँगे गुड्डी की टांगों के बीच घुसेड़ कर फैला दी थीं और अब कोशिश कर के भी गुड्डी रानी अपनी जाँघों को सिकोड़ नहीं सकती थी। धीरे धीरे मेरी गुलाबो ने शलवार के अंदर ढंकी छुपी ननद की सोनचिरैया को रगड़ना शुरू कर दिया। हलके हलके मैंने अपनी प्यारी दुलारी ननद की ड्राई हंपिंग शुरू कर दी।
असर तुरंत हुआ , गुड्डी की पकड़ मेरे उभारों पर बढ़ गयी , पर अपने भइया की तरह बात बदलने में वो भी माहिर , बोली ,
" भाभी आपने ये नहीं बताया की शलवार सूट में आप क्या बच पाती हैं। " मुझे छेड़ते हुए वो शोख बोली।
" अरे यार शादी के शुरू के दिनों में तो मैं हरदम साडी में और फिर जब देखो तब , ज़रा सा भी मौका मिला निहुरा के ,साडी कमर तक उठा के , बस सटाया घुसेड़ा और तेरे भइया चालू , और अगर कही बेड पे बैठी दिख गयी तो बस हल्का सा धक्का देके ,मैं पलंग पे गिरती उसके पहले वो मेरी टाँगे अपने कंधे पर ,और साडी तो अपने आप कमर तक,प्रेमगली खुल जाती और तेरे भइया का मोटा मूसल अंदर। लेकिन तेरे भैय्या इत्ते सीधे नहीं है जितने दिखते हैं , सूट में भी बस मौका मिलते ही वो पीछे से पकड़ लेते और बस दोनों हाथ मेरे बूब्स पे और रगड़ाई मसलाई चालू। पीछे से उनका मोटा तन्नाया खूंटा ,गांड की दरार में धक्के मारता ,लगता की शलवार फाड़ के गांड में घुसा देगें। ऊपर से ही वो ड्राई हंपिंग चालू कर देते। "
मेरी ननद मेरी बातों में उलझी हुयी थी। मेरा एक हाथ उसके गदराये जोबन को सहला रहा था और नीचे मैंने ड्राई हंपिंग की रफ़्तार तेज कर दी. एक हाथ गुड्डी के टीन उभारों पर और दूसरे ने मौक़ा देखकर ,
एक झटके में , गुड्डी के शलवार का नाड़ा खोल दिया। जबतक गुड्डी रानी सम्हलें सम्हलें ,शलवार घुटनो के नीचे।
बीच में मैंने टांग भी फंसा रखी थी ,इसलिए उसके लिए कुछ करना भी मुश्किल था। अपने पैर से उसके फंसे पायँचों को भी मैंने नीचे,
गुड्डी के दोनों हाथ शलवार को बचाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे।
" तेरे भैय्या ऐसे ही मेरी शलवार उतार देते हैं। " हंस के मैं बोली।
और गुड्डी के टाइट कुर्ते के बटन भी खोल दिए ,जब तक वो बिचारी सम्हले ,समझे मेरे दोनों हाथों ने एक झटके से उसके कुर्ते को भी उतार कर,और वो फर्श पर वहीँ ,जहाँ उसकी जोड़ेदार मैचिंग शलवार पड़ी थी।
गुड्डी सिर्फ ब्रा और पैंटी में ,