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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Sauravb

Victory 💯
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दिया-छन्दा


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" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,

" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "


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अब छन्दा रानी की चमकी ,,चमक के बोली वो ,

" अच्छा भाभी , हमारे ऊपर हमारे ही भैय्या को चढ़ाना चाहती हैं। माना आपके मायके का चलन है ये ,दिन में भइया रात में सैयां वाला ,हमारे यहाँ नहीं ,... "


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लेकिन उसकी बात दिया ने काट दी और मेरे बगल में आके खड़ी होके बोली ,


" तू भी छन्दा ,न यार हर लड़का तो किसी न किसी का भइया होगा ही। ऐसे बारिश के मौसम में ऐसा ऑफर , एकदम मंजूर है भाभी हमें हो जाय अदला बदली"
( गुड्डी ने मुझे बताया था की दिया तो अपने एकलौते सगे भाई से कब से फंसी है ,रोज रात बिना कबड्डी खेलती है और अगले दिन स्कूल में सहेलियों को अनसेंसर्ड वर्ज़न, छन्दा का कोई सगा भाई था नहीं तो वो पिछले साल ही अपने एक फूफेरे भाई से और अबतक तो मौसेरे ,चचेरे , कोई कजिन नहीं बचे हैं )

गुड्डी हम लोगो की छेड़छाड़ से अब तक सूखी बची थी ,उसे क्यों मैं छोड़ती। उससे बोली ,


" अरे गुड्डी कुछ सीख अपनी सहेलियों से , देखो मेरा एक स्पेशल ऑफर है सिर्फ तुम जैसे छिनार ननदों के लिए , एडवांस में अदलाबदली। चलो अभी तुम मेरे वाले से मजा ले लो ,और फिर जिस तुम पटाओगी ,उसके साथ मैं। अब ऐसे मौसम में भाभी दिन रात मजे ले और बिचारि ननदें सावन में प्यासी रहें , तो बोलो है न मंजूर। "

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गुड्डी शरमा गयी ,वो मेरी बात साफ़ साफ़ समझ रही थी , पर दिया उन सबों की लीडर , सब की ओर से बोली।

"एकदम भाभी मंजूर। लेकिन ये बताइये आप हम ननदों के लिए लायी क्या हैं। "

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" तेरे भैय्या को लाइ हूँ न ,सावन के मौसम में इससे बढ़िया गिफ्ट क्या हो सकती है , " हँसते हुए मैंने चिढ़ाया। फिर गुड्डी को देखते हुए बोला ,

" आगे से पीछे से ,ऊपर से नीचे ,.. हर मुंह में ,...चाहे दबवाओ ,चाहे डलवाओ। चाहे चूसो चाहे चुसवाओ। "मैंने छेड़ा।
"नहीं नहीं भाभी " दिया और छन्दा एक साथ चीखीं।

और मैंने दराज से दो मोटी लम्बी हैंड कार्व्ड कैंडल्स निकालीं।


"चलो तुम्हारी बात मान ली , भैया भी तुम्हारे चार दिन की चांदनी ,.. कुछ दिन बाद तो मैं ले के फुर्र हो जाउंगी , फिर बिचारि तुम ननदें ,तब के लिए है न मस्त देखो। "

और मोटी कैंडल अपनी मुट्ठी में मैं उन दोनों को दिखाते, चिढ़ाते ऐसे मुठिया रही थी जैसे कोई मस्त मोटा लंड हो.


थी भी वो दोनों कैंडले ,साढ़े साथ इंच से थोड़ी ज्यादा ही लम्बी ,तीन इंच मोटी देखने में छूने में पकड़ने में एकदम मस्त मोटे लंड को मात करती। आगे का हिस्सा खूब मोटे फूले हुए कड़क सुपाड़े की तरह ,यहाँ तक की जैसे खड़े लंड में जैसे फूली फूली हलकी वेन्स दिखती हैं ,उस तरह की वेन्स भी , हाँ बेस पे एक बहुत बड़ा सा चौड़ा , इस तरह से डिजाइन किया था की चाहे टेबल पर रखना हो या पकड़ना हो।

" है न एकदम मस्त ,एकदम तेरे भैय्या की शेप और साइज का है , उसी पे मॉडल किया है देख एकदम सटासट जायेगा , हैं न

चिकना "

उन दोनों को ललचाती मैं बोलीं।



दिया की आँखे तो एकदम मोटी कैंडल पर चिपकी ,अविश्वास में ,लेकिन छन्दा के मुंह से निकल गया ,

"क्या सच में भाभी ,... "

" और क्या तभी तो मैं इतना मस्त मानसून ऑफर तुम ननदों को दे रही थी ,चाहे तो नाप के ,चाहे पकड़ के ,चाहे घोंट के ,चाहे चूस के ,... देख लेना। हाँ बदले में जब तुम यार पटाओगी तो मैं भी बिना चखे नहीं छोडूंगी। आखिर सलहज का तो ननदोई पर ननद से पहले हक़ होता है। "

अपनी ननदों को, गुड्डी की सहेलियों को , छेड़ते मैं बोली। फिर गुड्डी से कहा ,

" यार तुझे तो मालूम है तेरे भैय्या कंडोम कहाँ रखते हैं ,ज़रा निकाल न। "

Condom-kamasutra-condoms-dotted-condom-nirodh-buy-online-free-shipping-1.jpg


गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,

अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "

जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी

" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।


Candle-download.jpg


पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।

दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।


और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहलेही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "

Teej-a9145d8e4c6433c59821c32514e01482.jpg


और उसी समय



फटा पोस्टर निकला हीरो।



उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
Super erotic update...ladkiyan iss tarah baate karta dekh maza ageya..
 
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Black horse

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एक बात लेखिका की समझ नही आई कि कोमल के गाव मे चुदाई का इतना खुला माहौल है

कोमल के अपने गाँव में , साथ ही आसपास के गाँव के लडके और आदमी कोमल या उसकी बहनो को शादी होने तक कुवांरी कैसे छोड़ दिए ?

कोमल के गाँव मे तो भाभियाँ अपनी ननदो को अपने पति से चुदवाये है तो कोमल या उसकी बहने शादी होने तक "बिना चुदी" कैसे थी ? क्या गाँव मे उनकी कोई भाभी नही लगती थी ?

कोमल के गाँव की भाभियाँ तो अपनी ननदो को अपने मायके ले जाकर पूरे गाँव से चुदवाये थी ( वही से तो
कोमल सीख कर अपनी ननद गुड्डी को ले जा रही है )
तो कोमल या उसकी बहने शादी होने तक "कुवांरी" कैसे थी ?

ऐसा कैसे सऺभव है कि गन्नै के खेत की, आम के बाग की, पठानटोले,भरौटी आदि से चुदने की फेसेलिटी सिर्फ कोमल और उसकी बहनों को नही मिली ?
या
कोमल चुदी सबसे,
पर नायिका को बेहतर दिखाने के लिए उसे सुहागरात तक कुवांरी दिखाकर सबको चुतिया बनाया गया ? :lotpot:
यहाँ लोग ध्यान से पढ़ते नहीं, और लेखक की गलती निकाल देते हैं। इससे ऊपर के update में तुम्हारे सवाल का जवाब हैं, ध्यान से पढो तो
Copy paste kar diya hai tumhare liye.


शीला भाभी मुझसे ५-६ साल बड़ी होंगी और हम लोगों के गांव वाले घर की जिम्मेदारी सब उनके ही ऊपर थी और वो रहती भी वहीँ थीं। ((मम्मी तो ज्यादातर समय हम लोगों के लखनऊ वाले घर में ( वहां विंडसर पैलेस में एक हमारा पुराना बंगला था , खूब बड़ा सा ) और अब अक्सर बिजेनस के चक्कर में मुंबई में ( ब्रीच कैंडी में ) और इसलिए मेरी पढाई भी बचपन में तो लोरेटो में लखनऊ में और कालेज की सोफिया में मुम्बई में हुयी ).
 

Black horse

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Chutiya Reader:

राइटर से रिक्वेस्ट है जो सत्य हो वही लिखे। झूठा नहीं लिखे क्योकी यहां कुछ लोग UPSC की तैय्यारी भी कर रहे हैं, और यहां मानव प्रजनन का अध्याय पढ़ने आते हैं।
यदी परीक्षा मे गलत हुआ तो लेखक को ही पेलेंगे।:)

कल्पना नहीं लिखे। बच्चों का भविष्य खराब न करे।

स्पाइडरमैन को कोई दीवाल पर चडा दे कोई आपत्ति नहीं। मगर यहां xforum लोगो को Reality चाहिए। भाई राइटर स्टॉप कर दो लिखना।
मगर तब भी आराम नहीं, बिना पढ़े पानी जो नहीं निकलेगा इनका।
फिर बोलेंगे अपडेट दो - अपडेट दो पानी नहीं निकल रहा मेरा।
समझ में नहीं आता यहाँ आते ही क्यों है लोग एन्जॉय करने या गलत और सही का चुनाव करने।

Conclusion:
यही नेगेटिव कमेंट की वजह से राइटर लिखना बंद कर देता है।

2 Saal me samaj nhi badal sakte, magar superheros ko udta hua dekhne ke liye 15 din pahle ticket book kar lenge, aur rating bhi denge 5 star ki.
xforum par hilate samay wah-wah aur pani nikalne ke baad "bhosadi ka writer sab jhoot likha, milta to yhi pel dete".
Fir to ye forum band ho jayega.।।।।।।।।
 
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Black horse

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बहिनिया की


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लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।

" देख कित्ती गीली हो रही तेरी बहिनिया की बुर तेरे लंड के बारे में सोच सोच के। एकदम पनिया गयी है " मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी।

अब आधे से ज्यादा ,एकदम भीगी गीली चूत दिख रही थी।

" है न एकदम मक्खन मलाई मस्त चिकनी ,चूत तेरी बहना की ,खूब चोदने लायक ,"

मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी और अब चूत की दरार साफ़ साफ़ दिख रही थी।

उनकी आँखे फ़ैल गयीं।



वो गुलाबी पंखुड़ियां ,जैसे सुबह सुबह ओस से गीली हों , हलकी हलकी रस से भीगी , उस कारूं के खजाने को दबोचे भींचे जिसपर कितने ही लोग निगाहे गड़ाए बैठे थे ,लेकिन मिलने वाला था वो मेरे सैंया को ही। हलकी हलकी दरार , उस प्रेम गली की जिसमें घुसने के लिए पूरा शहर बेचैन था , जब से हाईस्कूल में आयी तब से आग लगा रखी थी उसने , लेकिन उसमे उसके प्यारे प्यारे ,सीधे साधे भैय्या को ही,...


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खूब कसी ,कुँवारी लसलसाती अनचुदी,.

बहुत हलके से उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने अपनी लम्बी पतली उंगली उन फांको के बीच में , दरार हलकी सी बहुत मुश्किल से खुली , उसके अंदर मांसल गुलाबी लसलसी सी , ऊँगली मैंने थोड़ा और धकेला।

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गुड्डी के भैय्या , मेरे सैंया की आँखे बस वहीँ धंसी चिपकी।

ऊँगली कुछ और अंदर , एक पोर पूरा और फिर मैंने धीमे धीमे गोल गोल ,घुमाना चालू किया।

उनकी हालत खराब।

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और गुड्डी के चूत रस से भीगी ऊँगली ,पहले मैंने उनके नाक के पास लगायी।

उस कुँवारी बिनचूदी चूत के रस की महक ,

एकदम तड़प उठे वो ,

और फिर मैंने हलके से गुड्डी रस से भीगी ऊँगली ,उनके प्यासे होंठों पर टच कराया और ,

नदीदे वो ,झट से ऊँगली मेरी चूसने लगे ,जैसे अपनी बहन की चूत चूस रहे हों।

और अपने दूसरे हाथ से वो गुड्डी की दो अंगुली की लेसी रुपहली पैंटी एकदम साइड में सरका दी ,चूत पूरी तरह खुल गयी।

कल रात को जो उन्होंने पिक्चर पर गुड्डी का अपने नाम सन्देश देखा था ,जिसमे वो अपने दोनों किशोर हाथों से अपनी कुँवारी चूत के गुलाबी मांसल होठों को खुल्द फैला के उन्हें बुला रही थी ,उकसा रही ,

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" भइया , आओ न ,भैय्या कैसी है तेरी बहना की चूत। बोलो चोदोगे इसको , चोदो न भैय्या मेरी चूत "

एकदम क्लोज अप में कल रात उन्होंने उस इंटरवाली की अनफक्ड चूत देखी थी और आज सुबह सुबह उनके सामने खुली फैली।

उनके होंठ बहन की चूत का रस चूस रही थीं और आँखे बहन की चूत चोद रही थीं।

खूंटा एकदम तन्नाया , बौराया।



मैं उनके इस नए 'बहन प्रेम ' का मुस्कराते हुए मजा ले रही थी , और गुड्डी के होंठों का भी।

गुड्डी मेरी जाँघों के बीच फंसी दबी अपनी भाभी की बुर हलके हलके चूस रही थी।


और अब मैं 69 की पोज में ,मेरी बुर गुड्डी के होंठों को रगड़ती और मैं ,

झुक के उसके भइया को दिखाते तड़पाते , मैंने बस अपनी जीभ की टिप से गुड्डी की क्लिट को छू भर दिया।

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और तेज हवा में जैसे कोई फूल शाख पर काँप उठे वो दोशीजा हिल गयी।

और अबकी मेरे होंठों ने ,



नहीं नहीं गुड्डी के निचले होंठों को न चूमा न चूसा ,बस छू भर दिया।


और जैसे तूफ़ान आ गया।



गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,



और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,

खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।


मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।





और बस क़यामत नहीं हुयी।
सच में, बस कयामत ही नहीं हुई ।
उसके लिए अगले भाग का इंतज़ार है।
 
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Black horse

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बहुत बहुत धन्यवाद, आपके कमेंट्स और हौसला अफ़जाई के बिना ये कहानी अधूरी अधूरी सी रहती है, ...
आपकी कहानी का साथ अंत तक देंगे, बेफ़िकर रहें
 
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Incestlala

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दिया-छन्दा


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" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,

" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "


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अब छन्दा रानी की चमकी ,,चमक के बोली वो ,

" अच्छा भाभी , हमारे ऊपर हमारे ही भैय्या को चढ़ाना चाहती हैं। माना आपके मायके का चलन है ये ,दिन में भइया रात में सैयां वाला ,हमारे यहाँ नहीं ,... "


Diya-guddi-frnd-Actress-Anshu-Hot-Stills-2.jpg



लेकिन उसकी बात दिया ने काट दी और मेरे बगल में आके खड़ी होके बोली ,


" तू भी छन्दा ,न यार हर लड़का तो किसी न किसी का भइया होगा ही। ऐसे बारिश के मौसम में ऐसा ऑफर , एकदम मंजूर है भाभी हमें हो जाय अदला बदली"
( गुड्डी ने मुझे बताया था की दिया तो अपने एकलौते सगे भाई से कब से फंसी है ,रोज रात बिना कबड्डी खेलती है और अगले दिन स्कूल में सहेलियों को अनसेंसर्ड वर्ज़न, छन्दा का कोई सगा भाई था नहीं तो वो पिछले साल ही अपने एक फूफेरे भाई से और अबतक तो मौसेरे ,चचेरे , कोई कजिन नहीं बचे हैं )

गुड्डी हम लोगो की छेड़छाड़ से अब तक सूखी बची थी ,उसे क्यों मैं छोड़ती। उससे बोली ,


" अरे गुड्डी कुछ सीख अपनी सहेलियों से , देखो मेरा एक स्पेशल ऑफर है सिर्फ तुम जैसे छिनार ननदों के लिए , एडवांस में अदलाबदली। चलो अभी तुम मेरे वाले से मजा ले लो ,और फिर जिस तुम पटाओगी ,उसके साथ मैं। अब ऐसे मौसम में भाभी दिन रात मजे ले और बिचारि ननदें सावन में प्यासी रहें , तो बोलो है न मंजूर। "

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गुड्डी शरमा गयी ,वो मेरी बात साफ़ साफ़ समझ रही थी , पर दिया उन सबों की लीडर , सब की ओर से बोली।

"एकदम भाभी मंजूर। लेकिन ये बताइये आप हम ननदों के लिए लायी क्या हैं। "

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" तेरे भैय्या को लाइ हूँ न ,सावन के मौसम में इससे बढ़िया गिफ्ट क्या हो सकती है , " हँसते हुए मैंने चिढ़ाया। फिर गुड्डी को देखते हुए बोला ,

" आगे से पीछे से ,ऊपर से नीचे ,.. हर मुंह में ,...चाहे दबवाओ ,चाहे डलवाओ। चाहे चूसो चाहे चुसवाओ। "मैंने छेड़ा।
"नहीं नहीं भाभी " दिया और छन्दा एक साथ चीखीं।

और मैंने दराज से दो मोटी लम्बी हैंड कार्व्ड कैंडल्स निकालीं।


"चलो तुम्हारी बात मान ली , भैया भी तुम्हारे चार दिन की चांदनी ,.. कुछ दिन बाद तो मैं ले के फुर्र हो जाउंगी , फिर बिचारि तुम ननदें ,तब के लिए है न मस्त देखो। "

और मोटी कैंडल अपनी मुट्ठी में मैं उन दोनों को दिखाते, चिढ़ाते ऐसे मुठिया रही थी जैसे कोई मस्त मोटा लंड हो.


थी भी वो दोनों कैंडले ,साढ़े साथ इंच से थोड़ी ज्यादा ही लम्बी ,तीन इंच मोटी देखने में छूने में पकड़ने में एकदम मस्त मोटे लंड को मात करती। आगे का हिस्सा खूब मोटे फूले हुए कड़क सुपाड़े की तरह ,यहाँ तक की जैसे खड़े लंड में जैसे फूली फूली हलकी वेन्स दिखती हैं ,उस तरह की वेन्स भी , हाँ बेस पे एक बहुत बड़ा सा चौड़ा , इस तरह से डिजाइन किया था की चाहे टेबल पर रखना हो या पकड़ना हो।

" है न एकदम मस्त ,एकदम तेरे भैय्या की शेप और साइज का है , उसी पे मॉडल किया है देख एकदम सटासट जायेगा , हैं न

चिकना "

उन दोनों को ललचाती मैं बोलीं।



दिया की आँखे तो एकदम मोटी कैंडल पर चिपकी ,अविश्वास में ,लेकिन छन्दा के मुंह से निकल गया ,

"क्या सच में भाभी ,... "

" और क्या तभी तो मैं इतना मस्त मानसून ऑफर तुम ननदों को दे रही थी ,चाहे तो नाप के ,चाहे पकड़ के ,चाहे घोंट के ,चाहे चूस के ,... देख लेना। हाँ बदले में जब तुम यार पटाओगी तो मैं भी बिना चखे नहीं छोडूंगी। आखिर सलहज का तो ननदोई पर ननद से पहले हक़ होता है। "

अपनी ननदों को, गुड्डी की सहेलियों को , छेड़ते मैं बोली। फिर गुड्डी से कहा ,

" यार तुझे तो मालूम है तेरे भैय्या कंडोम कहाँ रखते हैं ,ज़रा निकाल न। "

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गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,

अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "

जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी

" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।


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पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।

दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।


और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहलेही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "

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और उसी समय



फटा पोस्टर निकला हीरो।



उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
Superb update
 
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komaalrani

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यहाँ लोग ध्यान से पढ़ते नहीं, और लेखक की गलती निकाल देते हैं। इससे ऊपर के update में तुम्हारे सवाल का जवाब हैं, ध्यान से पढो तो
Copy paste kar diya hai tumhare liye.


शीला भाभी मुझसे ५-६ साल बड़ी होंगी और हम लोगों के गांव वाले घर की जिम्मेदारी सब उनके ही ऊपर थी और वो रहती भी वहीँ थीं। ((मम्मी तो ज्यादातर समय हम लोगों के लखनऊ वाले घर में ( वहां विंडसर पैलेस में एक हमारा पुराना बंगला था , खूब बड़ा सा ) और अब अक्सर बिजेनस के चक्कर में मुंबई में ( ब्रीच कैंडी में ) और इसलिए मेरी पढाई भी बचपन में तो लोरेटो में लखनऊ में और कालेज की सोफिया में मुम्बई में हुयी ).
अब मैं क्या कहूं , आपने सब बात कह दी,

बोलूंगी तो बोलेगें की बोलती है,...

सिर्फ एक पोस्ट और उस की कुछ लाइनें पढ़ के,... कुछ भी,...

कभी मज़ाक में , चिढ़ाने में या गुस्से में ही सही, अगर कोई कहानी में सहेली किसी सहेली से कह दे, ... " मैं तेरा खून पी जाउंगी " तो शायद दो चार लोग यह कहना शुरू कर देंगे अरे इस कहानी की ये पात्र तो नर/नारीभक्षी है, रक्तपिपासु है.


और यह दुःख तब और बढ़ जाता है जब कोई समझदार, कहानी का प्रशंसक पाठक/पाठिका यह कह दे की कहानी में तो सिर्फ,...
लेकिन आप ऐसे सुह्रदय पाठकों का साथ अब इस कहानी को आगे बढ़ा रहा है,

जैसे चातक चन्द्रमा को देख कर,... बस लगता है कुछ पाठक हैं जो कहानी से न सिर्फ जुड़े हैं बल्कि अंत तक साथ निभाएंगे, ...

बस साथ बनाये रखिये, मैं कोशिश करुँगी की कहानी इस बार जरूर पूरी हो।
 

komaalrani

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सच में, बस कयामत ही नहीं हुई ।
उसके लिए अगले भाग का इंतज़ार है।
अगला भाग बहुत जल्द
 
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chodumahan

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ए जिज्जी... कैसन बा...

हम तो अबहीं दिवाली कि सफाई मे लगीं थीं... अउर मौका मीलते ही आ गई तुह्मरे थ्रेड पर...

जैठानी को अच्छे से बिगाड़ रही हो...

देवर कि परिभाषा भी नयी है... संस्कृत मै ऐसा कोंनो श्लोक तो अम्मा और गुरु जी ने नहीं सिखाया...

और का कहें... अभी युनिक स्टार जी के थ्रेड पर तुम्हारे अद्भुत लेखन को पढे... ए जिज्जी... तुम तो बहुते ही अच्छा अच्छा लिखती हौ... हमकों बहुते ही अभीमान हुआ है जिज्जी...

:rock1:
"हम हैं राही प्यार के" फ़िल्म का एक डायलोग था जिसमें बारिश में भीगते आमिर खान को छोटा वाला भांजा बोलता है
"लगता है मामा सुधर गए हैं"
यहाँ भी जेठानी जी सुधार अभियान चालू है...
और जब तक पूर्ण रूप से सुधर नहीं जाती ये कार्यक्रम चलते रहना चाहिए...
 
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komaalrani

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आपकी कहानी का साथ अंत तक देंगे, बेफ़िकर रहें
thanks so much
 
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