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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Polakh555

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जोरू का गुलाम भाग १०७


स्ट्रटेजी


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क्या गड़बड़ हुआ , क्या गलत हुआ ,मैं सोचे जा रही थी।

फिर मैंने सोच बदली ,सबसे पहला काम ,मम्मी ,... स्ट्रेटजिक थिंकिंग का काम उनका था।

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लेकिन मम्मी भी न ऐन मौके पर गायब , ये तो मुझे मालूम था की वो आजकल बॉम्बे में होंगी लेकिन न उनका पर्सनल फोन उठ रहा था न ऑफिसियल. अंत में उनकी सेक्रेटरी को मैंने पकड़ा तो पता चला की वो यंग इन्टप्रेन्योर्स को एड्ड्रेस करने गयी हैं और वहां फोन नहीं लगता। हाँ सेशन के बाद वो उन्हें मेसेज कर देगी , अभी ४२ मिनट बाकी हैं।


४२ मिनट बहुत होते हैं क्राइसिस में।

मैंने जेठानी जी के बारे में सोचना बंद किया और अपना वीक प्वाइंट सोचने लगी , क्या हो सकता है वर्स्ट केस सिनेरियो।

और पांच मिनट में मेरी चमकी।



गुड्डी।

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वर्स्ट केस सिनेरियो , जेठानी जी गुड्डी को हमारे साथ नहीं जाने देंगी।

कैसे ये सब अलग बात थी। लेकिन यही था वर्स्ट केस। और अगर मैं आपरेशन गुड्डी में फेल होती तो इनके मायके में , मेरी बड़ी थू थू होने वाली थी।

गुड्डी को तो मुझे भूलना ही पड़ता ,उसके जरिये जो इनकी बाकी कजिन्स की टाँगे फैलवाने के चक्कर में थी वो सब भी।


और गुड्डी बिचारी भी , जेठानी जी उसकी जम के लेतीं। एकदम उसे बहिन जी बना के छोड़तीं।

और फिर ये भी एक बार वापस अपने कोकून में।



मैंने कई बार जेठानी जी की स्वाट ऐनेलिस फिर से करने की कोशिश की।


स्ट्रेंथ , क्या है उनकी स्ट्रेंथ ,


सास ,मेरी सास।


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मुझे याद आया , खाते समय उन्होंने पूछा था ,

" तूने गुड्डी के ले जाने का प्रोग्राम सासु जी को बताया है न ?"


और मैंने बात टाल दी थी। उन्हें उनकी फेवरिट कड़वे करेले की सब्जी ऑफर कर के।


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और मैंने अब जेठानी जी के एक एक शब्द पर गौर करना शुरू किया ,

ऊंच नीच ,बदनामी , खर्चा

बस यही तीन चीजें वो सासु माँ को समझाती। और यह भी की ये सब हमारे फायदे के लिए है ,

जवान लड़की कहीं ऊंच नीच हो जाय , कितनी बदनामी होगी ,फिर नहीं कोई सोचेगा बेचारी भाभी तो उसके फायदे के लिए ले ले गयी थी सब भैय्या भाभी को ही दोस देंगे लड़की की जब्बर जवानी और उसका खोट कोई नहीं देखेगा। फिर कोचिंग की फ़ीस , अब उसके घरवाले तो भरेंगे नहीं ,इतनी फ़ीस लगती है आज कल , फिर क्या सब लड़कियां डाक्टर इंजीनयर बनती हैं ,और जितनी पढ़ी लिखी लड़की उतना ही पढ़ा लिखा लड़का ढूंढो। जितना पढ़ा लिखा लड़का उतना बड़ा दहेज़ , फिर कहाँ से आएगा पैसा। और नहीं तो कुँवारी बैठी रहो पढ़ लिख कर।



मेरा दिमाग अब तेजी से चलने लगा था।



मैंने परकाया प्रवेश कर लिया था और अब मैं जेठानी जी की तरह सोच रही थी खास तौर से जब वो एकदम कार्नर्ड हों।

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और क्या बातें कर के वो सासु जी को गुड्डी के हम लोगों के साथ जाने के खिलाफ कर सकती थीं। एक बात साफ़ थी की इसमें वो कोई ऐसी बात नहीं करेंगी जो मरे या इनके खिलाफ हो। क्योंकि सासु जी इसे तुरंत जेठानी देवरानी वाली बात मान लेती। हाँ वो हमारे फायदे की बात कह के ही उनसे हमारा नुकसान करवाने वाली थीं।

मेरे मन में बार बार ये बात बात आती थी की इस जेठानी की कैसे जबरदस्त ठुकाई की जाई की इनकी सात पुश्त याद रखें , लेकिन किसी तरह उस ख्याल को मैंने दिमाग से निकाला ,.


अभी सिर्फ और सिर्फ डिफेन्स , हमारी 'क्वीन ' खतरे में थी , उसे बचाना फर्स्ट टारगेट था।


अब प्राबलम कुछ कुछ समझ में आ रही थी ,लेकिन करूँ क्या , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

और मम्मी भी उन नए लौंडों को , यंग एंटरप्रेन्योर्स ,... तभी फोन बजा , मम्मी का मेसेज बहुत शार्ट



एनीथिंग अर्जेन्ट

यस , मैंने तुरंत जवाब भेजा।
शानदार लिखावत । सलीके से लिखी गई अपडेट थी । क्या गुप्त योजना बन रही है ? आपकी लेखनी के लिए तालिया :applause: :applause: :applause:
 
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komaalrani

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शानदार लिखावत । सलीके से लिखी गई अपडेट थी । क्या गुप्त योजना बन रही है ? आपकी लेखनी के लिए तालिया :applause: :applause: :applause:
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार , पढ़ने के लिए साथ देने के लिए और कमेंट्स के लिए,

नयी पोस्ट जल्द
 

komaalrani

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स्ट्रेटजी -मूंग का हलवा




साढ़े चार बजने वाले थे , यानी मेरी जेठानी का टी टाइम।

ज्यादा दूध की उनकी पसंद की चाय बना के , और फ्रेश कूकीज के साथ ,

जब मैं उनके कमरे में पहुंची तो वो बस आँखे खोल रही थीं।

टी टाइम मैंने अनाउंस किया ,और आँखे खोल दी मेरी जेठानी ने।




चाय के साथ उनकी फेवरिट सीरियल्स , घर की पंचायत , और फिर नाश्ते का टाइम ,



" दी आप ने लास्ट टाइम जो मूंग का हलवा बनाना सिखाया था न ,मैं सोचती हूँ आज ट्राई करती हूँ लेकिन प्लीज आप साथ रहिएगा , कुछ कम ज्यादा हो तो ,... और साथ में,... "




" पकौड़ियाँ ,... वो तो तुम अपने आप अच्छी बना लेती हो। बारिश होने वाली है ,अच्छा लगेगा। "

जेठानी बोली।



अब उनका मूड एकदम ठीक लग रहा था लेकिन मेरी निगाह मोबाइल पर थी। मैं उन्हें मोबाइल पे अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी।

किचेन में पहुंचते ही उन्होंने पहला सवाल दाग दिया ,

" मूंग मतलब कैसी मूंग ?

और मैंने एकदम अनजान बन के नौसिखिये की तरह बोली ,

" मूंग क्या ,मूंग मतलब मूंग "



यही तो स्कूल में पढ़ने लिखने और घर के काम का फरक है , हँसते हुए वो बोलीं।



अरे धुली मूंग समझाया उन्होंने।

और मैं कृतज्ञता से उनकी ओर देखती रही।

लेकिन मैंने उन्हें कोई काम नहीं करने दिया, सब काम खुद , साथ में तारीफ़

" अरे आप का बनाया हलवा तो आज तक ये याद करते हैं , एक बार एक आफिस की पार्टी में, फाइव स्टार कैटरर थे, और मूंग का हलवा, इनके बॉस ने भी बड़ी तारीफ़ की , लेकिन इनसे तो नहीं रहा गया, वो वहीँ पार्टी में , सबके सामने, अपने बॉस के ऊपर जाकर,... बोल पड़े, ' ठीक है , लेकिन जो मेरी भाभी मूंग का हलवा बनाती हैं न उसका तो कोई जवाब नहीं , लोग ऊँगली चाटते रहते हैं,... बाद में वो होटल के शेफ ने भी इनसे पूछा की आपकी भाभी के हलवे का सीक्रेट क्या है, तो उससे भी बोले , मेरी भाभी अपने सीक्रेट किसी को नहीं बताती। दस बार मुझसे बोला था उन्होंने यहां आने के पहले, अबकी कुछ भी भूल जाओ लेकिन भाभी से हलवा बनाना सीखना मत भूलना,... "

जेठानी एकदम खुश, बोलीं ,

"सच में, ये एकदम अलग ही तरीका है, मैंने भी अपनी मम्मी से सीखा था , उनकी एक गाने की कॉपी है उसी में पीछे लिखा भी है, लेकिन असल में आता तो बनाने से है, मूंग का हलवा।"

" एकदम दी, इसलिए आज हुकुम आप करेंगी , बोलेंगी आप,.... करुँगी मैं, आपकी छोटी हूँ आपसे चार साल बाद इस घर में आयी हूँ , सिखने का काम मेरा सिखाने का आप का "





मैंने जो रोल उन्होंने मेरे लिए सोचा था एकदम उसी तरह से,... यहाँ तक की अलमारी से सामान निकालने का काम भी,

मूंग की दाल, चीनी , देसी घी, इलायची बादाम सब कुछ, ...

वो बस हुकुम चला रही थीं, ओर बीच बीच में नुस्ख निकाल रही थीं , कभी मेरे मायके वालों को दोस देतीं कभी मम्मी को , एकदम शुरू के दिनों की तरह लेकिन आज मैं बजाय उदास होने के खूब ख़ुशी उनकी चमचागिरी कर रही थी, उन्हें बातों में लगाए हुए थी.

मम्मी की बातों से मैं दो तीन बात समझ गयी थी, पहली तो जेठानी जी को फोन से जितना हो सके उतनी दूर रखो, उनके मायके से कोई अडवाइजर न सलाह दे सकेगा , न वो मांग सकेगीं, फिर गुड्डी के घर वालों से बात करके वो कुछ उलटा सीधा पढ़ा नहीं सकेंगी। साथ में मेरी सास को भी कोई फोन करके हम लोगों के प्लान में बिघ्न नहीं डाल पाएंगी।

और दूसरी बात अगर मैं एक सुशील संस्कारी बहू की तरह रहूंगी तो उन्हें ये नहीं लगेगा की मेरे पर निकल आये हैं, थोड़ा वो कम्फर्ट जोन में रहेंगी। और तीसरी बात जो इन्हे इनकी सास ने काम पकड़ाया था, गुड्डी के घर में तीन चार घंटे बिताने का,... अगर कोई उल्टा सीधा फोन वहां आया तो उसे वो इंटरसेप्ट कर लेंगे , हाँ मैंने उन्हें अच्छी तरह समझाया था की कोचिंग के या उसके हम लोगों के साथ जाने के बारे में आज एकदम बात न करें।

कड़ाही में चलाते समय एक दो बार जरूर उन्होंने कलछुल पकड़ कर दिखाया, ऐसे पकड़,... और बीच बीच में ज्ञान गंगा भी बरस रही थी, अरे नहीं और देर तक हाँ , रुक रुक कर,



हलवा अच्छा बना , खूब स्वादिष्ट और जेठानी जी ने खाया भी लेकिन तारीफ़ मैंने उनके सिखाने की खूब की।



" आज खाना मैं बनाउंगी और आप से लौकी के कोफ्ते भी सीखूंगी " मैंने उनसे कहा।




न सिर्फ जेठानी जी को बल्कि मेरी सास को भी लगता था की कोफ्ते उनकी बड़ी बहू ऐसा कोई नहीं बना सकता।



मेरा पर्पज कोफ्ते सीखने के साथ जेठानी को खुश रखना भी था और उन्हें मोबाइल से दूर रखना भी और उन पर निगाह भी रखना की वो सासू जी से बात तो नहीं कर रही हैं।



बाहर पानी तेज बरस रहा था , मेरी जेठानी को सिर्फ मेरी एक चीज पसंद थी मेरा गाना और मैंने एक के बाद एक आधे दर्जन गाने बारिश के उन्हें सुनाये और दो चार कजरियाँ उनकी भी आवाज में सुनी।



तबतक वो आगये ,एकदम भीगी बिल्ली बने ,लेकिन बहुत खुश दूर से ही उन्होंने थम्स अप का साइन दिया।



पर उनका क्या क्या ठिकाना कहीं कुछ मुंह से निकल जाए , मैंने उन्हें जोर से बोल के कहा , अरे आपके कपडे एकदम गीले हैं ,जल्दी से जाके ऊपर बदल आइये। बस खाना लगने वाला है। आज आपकी भाभी जी के डायरेक्शन में खाना बना है।



खाना खाते समय भी वो तारीफ़ करते रहे और मैं उन्हें छेड़ती रही ,



" कल छुट्टी ख़तम हो रही है भौजाई की इसलिए आज से ही पटा रहे हो क्या ?"
 
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komaalrani

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खाना खाते समय भी वो तारीफ़ करते रहे ख़ास तौर से लौकी के कोफ्ते की, बस एक बार इनके मुंह से निकलते निकलते रह गया एकदम मटन के कोफ्ते लग रहे हैं मैंने जोर से लात मारी टेबल के नीचे से तो ये सम्हले,

, और मैं उन्हें छेड़ती रही ,

" कल छुट्टी ख़तम हो रही है भौजाई की इसलिए आज से ही पटा रहे हो क्या ?"



खाने के बाद जेठानी को मैंने उनके हवाले किया और खुद ऊपर।

बहाना था की मुझे जेठानी जी की सिखाई कजरियाँ नोट करनी है कहीं भूल न जाऊं।


पर मुझे मम्मी से बात करनी थी ,उन्होंने साढ़े नौ बजे से पौने दस बजे के बीच का स्लॉट दिया था।

और गुड्डी से भी ,फिर दस बजे छुटकी।



चार घंटे तक जेठानी जी की चमचागिरी कर के मेरी हालत भी खराब हो गयी।
जेठानी जी के भी फेवरिट सीरियल शुरू होने वाले थे , ग्यारह बजे तक।

इसलिए उनके देवर को मैंने ये काम सौंपा की वो उनके साथ सीरियल देखें , थोड़ा उनका मन बहलायें और उन्हें कही ज्यादा बात न करने दें ,लगाने बुझाने वाली।


मैं ऊपर।

पहले तो रगड़ रगड़ के मैं नहायी , बाल धो के , फिर अपनी फेवरिट पिंक नाइटी पहनी और मम्मी को फोन लगाया।



गुड्डी का भी दो मेसेज था ,कुछ ख़ास नहीं।

लेकिन इनकी मेल , दिल खुश हो गया। अब जेठानी जी के सामने तो ये बता नहीं सकते थे तो इन्होने एक मेल कर दी थी ,
 

Incestlala

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खाना खाते समय भी वो तारीफ़ करते रहे ख़ास तौर से लौकी के कोफ्ते की, बस एक बार इनके मुंह से निकलते निकलते रह गया एकदम मटन के कोफ्ते लग रहे हैं मैंने जोर से लात मारी टेबल के नीचे से तो ये सम्हले,

, और मैं उन्हें छेड़ती रही ,

" कल छुट्टी ख़तम हो रही है भौजाई की इसलिए आज से ही पटा रहे हो क्या ?"



खाने के बाद जेठानी को मैंने उनके हवाले किया और खुद ऊपर।

बहाना था की मुझे जेठानी जी की सिखाई कजरियाँ नोट करनी है कहीं भूल न जाऊं।


पर मुझे मम्मी से बात करनी थी ,उन्होंने साढ़े नौ बजे से पौने दस बजे के बीच का स्लॉट दिया था।

और गुड्डी से भी ,फिर दस बजे छुटकी।



चार घंटे तक जेठानी जी की चमचागिरी कर के मेरी हालत भी खराब हो गयी।
जेठानी जी के भी फेवरिट सीरियल शुरू होने वाले थे , ग्यारह बजे तक।

इसलिए उनके देवर को मैंने ये काम सौंपा की वो उनके साथ सीरियल देखें , थोड़ा उनका मन बहलायें और उन्हें कही ज्यादा बात न करने दें ,लगाने बुझाने वाली।


मैं ऊपर।

पहले तो रगड़ रगड़ के मैं नहायी , बाल धो के , फिर अपनी फेवरिट पिंक नाइटी पहनी और मम्मी को फोन लगाया।



गुड्डी का भी दो मेसेज था ,कुछ ख़ास नहीं।

लेकिन इनकी मेल , दिल खुश हो गया। अब जेठानी जी के सामने तो ये बता नहीं सकते थे तो इन्होने एक मेल कर दी थी ,
Superb update
 
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komaalrani

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komaalrani

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Thanks snighda ji for liking this post but miss very badly your comment in Hindi that flavour,

" जिज्जी "


बहुत खालीपन लगता है , उसके बिना
 

snidgha12

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ऐ जिज्जी... बहुते दिन बाद कछु लिखैं ऐसा मन हुआ... वैसे तो रोज ही आती रहीं

बहुते दिनन कै बाद कछु अच्छा लिख्खै ऐसा लगा... ऐसन ही लिख्खै जाओ...

पर जेठानी के मायके के ज्ञानीयों से बचना है और अपने मायके का ज्ञान लगाना है... हुं अच्छा और अद्भुत ज्ञान है...
 
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