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काली देसी गाय का हो और पूनम को बियाई हो, तो और अच्छा है,...ऐ जिज्जी, कबहुं try कि हौ का, गाय का घि दो उंगल से अंदर...
Superb update दीदीसामू संग
जब तक मैं दूध गटक रही थी , तब तक बाहर से जीप आने की आवाज आयी।
" मुझको आने में हो सकता है शाम को थोड़ा देर हो जाए ,बल्कि रात ही हो जायेगी,आज तो तेरा हाफ डे ही होगा न , तीन बजे तक आ जाएगी ,गुलबिया को मैंने बोल दिया है वो घर में ही रहेगी। " मुझे समझाते हुए वो बाहर निकलने लगीं।
गुलबिया को देख के मुझे याद आया ,एक काम असली काम तो रही गया था और दूध ख़तम एक झटके में ख़तम करके ,मैं दौड़ते हुए ऊपर ,
मम्मी ने निकलते निकलते टोका ,
" अब क्या हो गया? "
" अरे पेन भूल गयी थी "
" ये लड़की भी न ,कब बड़ी होगी। " वो बोलीं और बाहर निकल गयीं।
सोनचिरैया को तो नाश्ता कराना रह ही गया था।
जाने के पहले ,गुलबिया ने कितनी बार समझाया था , दो चम्मच गाय का घी अंदर ऊँगली डाल के ,
बिना दरवाजा बंद किये झट से मैंने चड्ढी उतारी और बोतल से गाय का देसी घी अपनी ऊँगली में ले कर ,
दो ऊँगली की मेरी हिम्मत तो नहीं पड़ी लेकिन एक ऊँगली से , अंदर की दीवालों पर अच्छी तरह से चुपड़ लिया। दो चम्मच से भी ज्यादा ,
नीचे से फिर कोई आवाज दे रहा था ,अरे सामू खड़ा है , स्कूल की देर हो जायेगी।
मैं दुगुनी तेजी से नीचे उतरी नाश्ते की मेज से स्कूल बैग उठाया और बाहर ,
मम्मी जीप से जा रही थीं ,दूर से उन्होंने हाथ हिलाया ,मैंने भी।
और सामू की साइकिल के डंडे पे बैठ गयी।
तब मुझे याद आया चड्ढी तो मैंने पहनी नहीं ,घी लगाने के बाद ,
लेकिन सामू की साइकिल चल पड़ी थी।
….और अब मैं दूसरी सोच में पड़ गयी थी , आज कहाँ ले जाएगा वो।