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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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छुटकी, और श्वेता -
होली की मस्ती
" दी, आप जिन मोटे मोटे लौंड़ो की बात कर रही नहीं है, असल में केंचुआ छाप टाइप, वाला, जो मेरी फाड़ेगा न वो उन सबसे बीस नहीं पच्चीस होगा, और वो तय भी है की कौन होगा। मेरी क्लास में भी कितनों की चिड़िया उड़ रही है लेकिन मैं रोज अपनी सुंदरी को, इस सहेली को समझातीं हूँ, थोड़ा सबर कर, जिसे गुड्डी दी पटाएंगीं न, जिससे उनकी गाँठ जुड़ेगी, मेरे जीजू,…. गुड्डी दीदी से पहले मेरे साथ, ….सगाई के दिन ही, ..."
लेकिन श्वेता कौन जल्दी हार मानने वाली थी, छुटकी को छेड़ते बोली,
" हे इतना मोटा होगा तो बहुत दर्द होगा तुझे, फट के हाथ में आ जाएगी, और मान लो जो छोटे छोटे चूतड़ मटका के चलती है न तू, कहीं तेरी गांड न मार लें, तेरे जीजू "
छुटकी खुश , लेकिन बनावटी गुस्से से श्वेता दी से बोली,
" देखिए दी, आप मेरी दी भी हैं पक्की सहेली भी लेकिन इसका मतलब ये नहीं की, " और छुटकी ने मुंह फुला लिया और फिर जोड़ा, " और चाहे आप हों , चाहे गुड्डी दी खुद, साली और जीजू के बीच कोई नहीं आ सकता जो मेरे जीजू की मर्जी, करें, और जीजू कौन जो साली से पूछे या साली के मना करेने से मान जाए "
संध्या दी, गुड्डी की छोटी बहन, छुटकी और श्वेता की छेड़छाड़ सुना रही थीं,
मुझे कल रात की चंदा भाभी की बात याद आ रही थी की कैसे जब वो गूंजा भी से छोटी थीं, छुटकी के आसपस की उम्र की, पड़ोस के एक जिज्जा ने होली में अपनी सलहज के साथ मिल के उनका फीता काट दिया था, फिर मुस्करा के कहने लगीं चंदा भाभी बोलीं, अब जीजा साली की नहीं फाड़ेगा तो कौन लेगा।
संध्या भाभी ने फिर श्वेता की बात सुनाई, की कैसे वो पलटा मार गयी और कुछ छुटकी को मनाते कुछ गुड्डी की मम्मी को सुनाते बोलीं,
" चल यार बात तेरी एकदम सही है, सबसे छोटी साली है तू तो तेरा हक़ सबसे पहले, लेकिन साली तो मैं भी हूँ, छोटी न सही बड़ी ही सही तो क्या मैं छोडूंगी उस स्साले को बिना घोंटे "
अब छुटकी मान गयी और हँसते हुए बोली ,
" ये बात हुयी न मेरी दी वाली, एकदम सही कहा आपने, अगर कहीं ज्यादा शर्मायेंगे, न तो बस हम सब बहने मिल के रेप कर देंगे उनका। और हक़ तो आपका है, पूरा है , लेकिन पहले मेरा नंबर, उसके बाद मंझली का फिर जीजू आपके हवाले, गुड्डी दी का नंबर सबसे बाद में "
और अब गुड्डी की मम्मी भी मैदान में आ गयीं, गचागच श्वेता की बुर में दो दो ऊँगली एक साथ पेलते बोलीं,
" बात तुम दोनों सही कह रही हो, जीजा का हक़ तो है ही सालियों पे चाहे छोटी हो बड़ी, लेकिन छोटी का नंबर पहले, और ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ेगा तुम दोनों को,
“ स्साली छिनार, गुड्डी के मरद का लम्बा मोटा घोंटने के लिए तैयार बैठी हैं बुर फैलाय के अभी से,… और यहाँ ऊँगली घोटने में गाँड़ फटी जा रही है। अबे स्साली, तेरे जीजू का काम आसान कर रही हूँ, घोंट ,…घोंट न"
चंदा भाभी बोलीं और झट से एक ऊँगली छुटकी की बिल में दो पोर तक, वो पैर पटकती रही लेकिन जैसे चूड़ी वाली चूड़ी पहनाती हैं उसी तरह बड़ी उमर की लड़कियां, चिढ़ा के, खिला के, कच्ची कलियों की बिल में ऊँगली कभी कभी गोल गोल घुमा के, कभी धीमे धीमे सरका के, आराम आराम से तो पहले एक ऊँगली का दो पोर, फिर दो उँगलियाँ, लेकिन उनका आधा पोर हो घुस पाया।
और अब श्वेता की रगड़ाई अगले लेवल पे पहुँच गयी थी। गुड्डी की मम्मी कस के दो ऊँगली से उसकी बोल चोदते बोलीं,
" अरे श्वेता उस उमर में तूने चार चार लौंड़े घोंटे थे तो अब तो दो चार का नाश्ता कर लेती होगी और चंदा भाभी से बोलीं," सुन यार इस श्वेता की गांड और बुर दोनों में मुट्ठी करनी होगी इसकी मस्ती ऊँगली से नहीं निकलेगी। "
अब श्वेता भी घबड़ायी और मैं भी। मैंने पूछा
" क्या सच में मुट्ठी हुयी ?
" अरे नहीं " खिलखिलाती हुयी संध्या भाभी बोलीं और फिर ज्ञान दिया,
" कुंवारियों की कभी नहीं होती और शादी शुदा की भी,… एक बच्चे के हो जाने के बाद ही लेकिन श्वेता को डरा के गुड्डी की मम्मी ने और चंदा भाभी ने बड़ी मस्ती की। दोनों लोग मेरी भी लेने के चक्कर में थी तो थोड़ी देर बाद दूबे भाभी के चंगुल से मैं छूटी तो वो दोनों लोग इन्तजार ही कर रही थीं, दोनों ने मुझे दबोच लिया एक साथ लेकिन गुड्डी की मम्मी ने श्वेता को बोला
" सुन स्साली, अगर मुट्ठी से बचना है तो दस मिनट में छुटकी को पकड़ के,... " और आगे की बात चंदा भाभी ने पूरी की
" चूस चूस के झाड़ दो, वरना तेरी गांड और बुर दोनों में मुट्ठी एक साथ होगी "
कहानी में मोड़ आ गया था और मैं धयान से सुन रहा था।
छुटकी तेज शोख, श्वेता को अंगूठा दिखा के भागी और श्वेता पीछे पीछे, कभी छुटकी कन्नी काट के निकल जाती तो कभी पास में आके चिढ़ाती और दूर भाग जाती। लेकिन अंत में पकड़ी गयी,पटकी गयी और दोनों जाँघे फैला के श्वेता ने चूसना शुरू किया और साथ में हल्की हलकी ऊँगली। नयी लड़की चार पांच मिनट में ही झड़ गयी, पर श्वेता ने छोड़ा नहीं चूसती रही जब तक छुटकी थेथर नहीं हो गयी और फिर खुद उसके ऊपर चढ़ के अपनी बुर भी सबके सामने उससे चुसवाई।
मुझे याद आया कल शाम को ही तो, जब मैं और गुड्डी, मम्मी से वीडियो काल पे बात कर रहे थे, और वीडियों काल में छुटकी और श्वेता भी दिख रही थीं। छुटकी चिढ़ा रही थी,
" मैं जीत गयी, मैं जीत गयी दी, हार गयीं "
और श्वेता उसे गुदगुदाते हुए बोल रही थी, तूने बेईमानी की है , तूने पत्ते छिपाये थे मैं तेरी तलाशी लूंगी अभी देख मैं निकलती हूँ तेरी चड्ढी से, वहीँ छुपाये हैं तूने "
और जैसे श्वेता ने अंदर हाथ डाला चड्ढी के, वो बड़ी जोर से उछली,
" दी, वहां नहीं, वहां नहीं, बदमाशी नहीं अंदर नहीं, निकाल लीजिये, प्लीज अंदर नहीं "
लेकिन श्वेता और, ....
कुछ देर बाद छुटकी बोली, " दी आपने देख लिया, चेक कर लिया, अब तो हाथ निकाल लीजिये "लेकिन श्वेता और मस्ती के मूड में थी। छुटकी की मंम्मी भी देख रही थी लेकिन मुस्करा रही थीं।
तो ये चक्कर था, छुटकी और श्वेता एक और इसकिये मम्मी भी बजाय कुछ बोलने के नयन सुख ही ले रही थीं।
लेकिन छुटकी और श्वेता के इस लेस्बियन दंगल और जिस तरह से डिटेल में संध्या भाभी उस कच्ची कली की चिपकी चिपकी एकदम कसी गुलाबी मुलायम टाइट फुद्दी की फूली फूली भरी भरी फांको की बात कर रही थीं, जंगबहादुर फनफना गए।
और उनके बौराने का एक कारण संध्या भाभी के नरम गरम चूतड़ भी थे, जिस तरह से वो अपने चूतड़ मेरे खड़े खूंटे पे रगड़ रही थीं उसी से अंदाजा लग रहा था की कितनी गरमा गयीं, बुर उनकी एकदम पनिया गयी थी। मैंने अपने दोनों हाथों से भौजी के जुबना मीस रहा था और वो सिसकते हुए बोल रहीं थी,
" उस स्साली छुटकी के कच्चे टिकोरे भी ऐसी ही कस कस के मसलना और कुतरना जरूर।
और मेरे सामने सुबह की वीडियो काल में दिख रही छुटकी याद आ रही थी, छुटकी के दोनों मूंगफली के दाने ऐसे, घिसे हुए टॉप से साफ़ साफ रहे थे दोनों, बस मन कर रहा था मुंह में लेके कुतर लूँ, ऊँगली में ले के मसल दूँ, दोनों छोटे छोटे आ रहे दानों को ।आँखे मेरी बस वही अटकी थीं, छुटकी और मम्मी के, कबूतरों पे,
एक कबूतर का बच्चा, अभी बस पंख फड़फड़ा रहा था और दूसरा, खूब बड़ा तगड़ा, जबरदस्त कबूतर, सफ़ेद पंखे फैलाये,
२८ सी और ३८ डी डी दोनों रसीले जुबना,
साइज अलग, शेप अलग पर स्वाद में दोनों जबरदस्त,
बस मन कर रहा था कब मिलें, कब पकड़ूँ, दबोचूँ, रगडूं, मसलु, चुसू, काटूं,
और संध्या भाभी की बात एकदम सही थी, स्साली गरमा भी रही थी, तैयार भी थी, सुबह जिस तरह मम्मी के वीडियो काल से जाने के बाद छुटकी ने फोन थोड़ा टिल्ट करके दोनों चोंचों का क्लोज अप एकदम पास से दिखाया, झुक के क्लीवेज का दर्शन कराया, लेकिन अभी तो सामने संध्या भाभी थीं, तो बस,...