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जोरू का गुलाम भाग १२६
जेठानी की चल निकली, डबलिंग
जेठानी जी अपनी नथ उतराई की बात पूरी कर के चुप हो गयीं , इतनी लम्बी बात के बाद कोई भी थक जाता।
लेकिन मुझे तो अभी और उन के यारों के बारे में रिकार्ड करना था सब के नाम पते पिनकोड , कहाँ कहाँ कब उन्होंने लहंगा पसारा अपना।
ये तो अपनी भौजाई को वाइन का एक पेग पिला के उनका गला तर करने में लग गए और मैंने अगले सवाल सोच लिए कैसे उन्हें उकसा उकसा कर उनकी सारी लाइफ हिस्ट्री रिकार्ड करनी है।
मैंने माइक आफ कर दिया और पूछ लिया।
………………
" अरे दीदी आपके तो मजे होगये , रोज बिना नागा "
" अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं ,... " वो टिपिकल जेठानी मोड में आ गयी जिसे हर बात काटनी है और जो कभी खुश नहीं हो सकती।
" हफ्ते में पांच छह बार बस , सन्डे को तो स्कूल बंद ही रहता था फिर कभी ये छुट्टी वो छुट्टी और शाम को कभी मम्मी उसे किसी काम से कहीं भेजने वाली होतीं तो वो दिन भी ऐसे ही , ...
" दीदी सिर्फ सामू से ही या किसी और से भी ,... "
मुझे तो पूरी हाल रिकार्ड करनी थी उनकी। मैंने फिर उकसाया. माइक दुबारा ऑन था जेठानी के हाईस्कूल के दिनों की रिकार्डिंग फिर से चालू थी.
" अरे सामू तो खुद ही पीछे पड़ा रहता था मेरे की औरों से भी मैं , और एकदिन उसी सामू के चक्कर में , ...मेरी हालत वैसे भी बहुत खराब थी उस दिन। "
" क्यों क्या हो गया था भौजी। "
उन्होंने बोला पर मैंने झट से माइक पर हाथ रख दिया,
" तुम नहीं समझोगे ये सब औरतों लड़कियों वाली बातें है। उस दिन मेरा पांच दिन का उपवास ख़तम हुआ था इसलिए बहुत जोर की खुजली मच रही थी और दिन शाम को स्कूल से लौटते हुए कहीं जुगाड़ भी नहीं हो रहा था क्योंकि कोई सामू से लस लिया था। पर , हो गया। "
" कैसे क्या " वो फिर बोले।
" अरे यार बहुत तेज बारिश हो गयी ,मैं और सामू एकदम भीग गए ,बारिश में रास्ता भी नहीं सूझ रहा था , तभी वो जगह दिखी ,जहां सांड़ को मैंने बछिया पर चढ़ते देखा था , गर्भाधान केंद्र। मैंने ही सामू को बोला ,और हम दोनों वहीँ अंदर। "
जेठानी एक बार फिर से अपने घर के हरवाहे से कैसे क्या क्या , सब हाल खुलासा सुना रही थीं.
शाम हो रही थी केंद्र तो कब का बंद हो चुका था ,पर दरवाजा खुला था। सामू अंदर पीछे पीछे मैं। और अंदर वही एक ,अरे सामू का दोस्त , उसी की उमर का जो ,जब मैं पहली बार आयी थी एक से एक भद्दे खुले मजाक मुझे देख के कर रहा था ,बेशर्मी से मेरे टिकोरे घूर रहा था ,बस वही था और कोई नहीं।
उसने सामू को देखा ,मुझे नहीं , मैं सामू के पीछे थी। बोला ,
" अरे सेंटरवा तो कब का बंद हो गया लेकिन बारिश के चक्कर में मैं निकल नहीं पाया ,अच्छा हुआ तुम आगये , चलो बारिश बंद होती है तो निकलेंगे। "
तब तक मैं पीछे से सामू के बगल में , मेरी हालत देख के उसकी हालत खराब। भीग कर के मेरा टॉप ,स्कर्ट सब देह से चिपके , ब्रा ,चड्ढी सब साफ़ दिख रही थी।
एक पल वो सकपकाया , फिर आदत से मजबूर ,सामू से पूछा ,
" हे बछिया पर अभी तक सांड़ चढ़ा की नहीं ?"
सामू का हाथ अब तक मेरे कंधे पर था और वो खुल के ऊपर ऊपर से मेरे टिकोरे टीपता ,मींजता , हंस के बोला ,
" बछिया से ही पूछ लो न तेरे सामने है "
और मेरे टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए सामू ने।और साथ में ब्रा भी सरका के , एक उभार एकदम बाहर
" बोल ,साँड़ चढ़ा की नहीं अब तक "
अब वो सीधे मुझसे पूछ रहा था और सामू का एकहाथ अब मेरी स्कूल के टॉप के अंदर ,
" धत्त ,.. " मैं शर्मा के बोली।
अब तक पाजामे में उस का खूंटा भी खड़ा हो गया था , उसे मसलता बोला वो ,
" अच्छा चलो बोलो इस सांड का ट्राई कर लो , बोल करेगी। "
सामू के सामने इस तरह लेकिन सामू पता नहीं पर
सामू ने ही मुझे उकसाया ,उसके सामने मुझे कस के चूम के बोला ,
" अरे मेरा यार कुछ पूछ रहा है बोल न। "
" मुझे क्या पता "
मैंने टालने की कोशिश की पर मुझे हंसी आ गयी , उस का खूंटा देख के। जिस तरह से अब वो पाजामें में हाथ डाल के मुठिया रहा था।
" अरे यार हंसी तो फंसी ,अच्छा सुन मेरी चिरैया , जा ज़रा दरवाजा बंद कर दे अच्छी तरह से ,और वो जो बड़ा वाला ताला रखा है न मेज पे, वो भी अंदर से लगा दे। चाभी ऊपर ताखे पर रख देना "
वो बोला।
और मैंने दरवाजा बंद भी कर दिया , ताला भी लगा दिया तब सामू की आवाज सुनाई दी ,"अरे स्साली गीले कपडे में बीमार पड़ जायेगी ,कपडे उतार के दे दे यही फ़ैलाने को ,जब तक हम चलेंगे सूख जांयेंगे। "
सामू की बात टालने की मेरी हिम्मत नहीं थी। टॉप के बटन तो उसने पहले ही खोल दिए थे मैं मुड़ी ,सीधे उसके दोस्त के सामने , और अपनी टॉप उतार के उसके हाथ में , फिर स्कर्ट भी।
जेठानी की चल निकली, डबलिंग
जेठानी जी अपनी नथ उतराई की बात पूरी कर के चुप हो गयीं , इतनी लम्बी बात के बाद कोई भी थक जाता।
लेकिन मुझे तो अभी और उन के यारों के बारे में रिकार्ड करना था सब के नाम पते पिनकोड , कहाँ कहाँ कब उन्होंने लहंगा पसारा अपना।
ये तो अपनी भौजाई को वाइन का एक पेग पिला के उनका गला तर करने में लग गए और मैंने अगले सवाल सोच लिए कैसे उन्हें उकसा उकसा कर उनकी सारी लाइफ हिस्ट्री रिकार्ड करनी है।
मैंने माइक आफ कर दिया और पूछ लिया।
………………
" अरे दीदी आपके तो मजे होगये , रोज बिना नागा "
" अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं ,... " वो टिपिकल जेठानी मोड में आ गयी जिसे हर बात काटनी है और जो कभी खुश नहीं हो सकती।
" हफ्ते में पांच छह बार बस , सन्डे को तो स्कूल बंद ही रहता था फिर कभी ये छुट्टी वो छुट्टी और शाम को कभी मम्मी उसे किसी काम से कहीं भेजने वाली होतीं तो वो दिन भी ऐसे ही , ...
" दीदी सिर्फ सामू से ही या किसी और से भी ,... "
मुझे तो पूरी हाल रिकार्ड करनी थी उनकी। मैंने फिर उकसाया. माइक दुबारा ऑन था जेठानी के हाईस्कूल के दिनों की रिकार्डिंग फिर से चालू थी.
" अरे सामू तो खुद ही पीछे पड़ा रहता था मेरे की औरों से भी मैं , और एकदिन उसी सामू के चक्कर में , ...मेरी हालत वैसे भी बहुत खराब थी उस दिन। "
" क्यों क्या हो गया था भौजी। "
उन्होंने बोला पर मैंने झट से माइक पर हाथ रख दिया,
" तुम नहीं समझोगे ये सब औरतों लड़कियों वाली बातें है। उस दिन मेरा पांच दिन का उपवास ख़तम हुआ था इसलिए बहुत जोर की खुजली मच रही थी और दिन शाम को स्कूल से लौटते हुए कहीं जुगाड़ भी नहीं हो रहा था क्योंकि कोई सामू से लस लिया था। पर , हो गया। "
" कैसे क्या " वो फिर बोले।
" अरे यार बहुत तेज बारिश हो गयी ,मैं और सामू एकदम भीग गए ,बारिश में रास्ता भी नहीं सूझ रहा था , तभी वो जगह दिखी ,जहां सांड़ को मैंने बछिया पर चढ़ते देखा था , गर्भाधान केंद्र। मैंने ही सामू को बोला ,और हम दोनों वहीँ अंदर। "
जेठानी एक बार फिर से अपने घर के हरवाहे से कैसे क्या क्या , सब हाल खुलासा सुना रही थीं.
शाम हो रही थी केंद्र तो कब का बंद हो चुका था ,पर दरवाजा खुला था। सामू अंदर पीछे पीछे मैं। और अंदर वही एक ,अरे सामू का दोस्त , उसी की उमर का जो ,जब मैं पहली बार आयी थी एक से एक भद्दे खुले मजाक मुझे देख के कर रहा था ,बेशर्मी से मेरे टिकोरे घूर रहा था ,बस वही था और कोई नहीं।
उसने सामू को देखा ,मुझे नहीं , मैं सामू के पीछे थी। बोला ,
" अरे सेंटरवा तो कब का बंद हो गया लेकिन बारिश के चक्कर में मैं निकल नहीं पाया ,अच्छा हुआ तुम आगये , चलो बारिश बंद होती है तो निकलेंगे। "
तब तक मैं पीछे से सामू के बगल में , मेरी हालत देख के उसकी हालत खराब। भीग कर के मेरा टॉप ,स्कर्ट सब देह से चिपके , ब्रा ,चड्ढी सब साफ़ दिख रही थी।
एक पल वो सकपकाया , फिर आदत से मजबूर ,सामू से पूछा ,
" हे बछिया पर अभी तक सांड़ चढ़ा की नहीं ?"
सामू का हाथ अब तक मेरे कंधे पर था और वो खुल के ऊपर ऊपर से मेरे टिकोरे टीपता ,मींजता , हंस के बोला ,
" बछिया से ही पूछ लो न तेरे सामने है "
और मेरे टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए सामू ने।और साथ में ब्रा भी सरका के , एक उभार एकदम बाहर
" बोल ,साँड़ चढ़ा की नहीं अब तक "
अब वो सीधे मुझसे पूछ रहा था और सामू का एकहाथ अब मेरी स्कूल के टॉप के अंदर ,
" धत्त ,.. " मैं शर्मा के बोली।
अब तक पाजामे में उस का खूंटा भी खड़ा हो गया था , उसे मसलता बोला वो ,
" अच्छा चलो बोलो इस सांड का ट्राई कर लो , बोल करेगी। "
सामू के सामने इस तरह लेकिन सामू पता नहीं पर
सामू ने ही मुझे उकसाया ,उसके सामने मुझे कस के चूम के बोला ,
" अरे मेरा यार कुछ पूछ रहा है बोल न। "
" मुझे क्या पता "
मैंने टालने की कोशिश की पर मुझे हंसी आ गयी , उस का खूंटा देख के। जिस तरह से अब वो पाजामें में हाथ डाल के मुठिया रहा था।
" अरे यार हंसी तो फंसी ,अच्छा सुन मेरी चिरैया , जा ज़रा दरवाजा बंद कर दे अच्छी तरह से ,और वो जो बड़ा वाला ताला रखा है न मेज पे, वो भी अंदर से लगा दे। चाभी ऊपर ताखे पर रख देना "
वो बोला।
और मैंने दरवाजा बंद भी कर दिया , ताला भी लगा दिया तब सामू की आवाज सुनाई दी ,"अरे स्साली गीले कपडे में बीमार पड़ जायेगी ,कपडे उतार के दे दे यही फ़ैलाने को ,जब तक हम चलेंगे सूख जांयेंगे। "
सामू की बात टालने की मेरी हिम्मत नहीं थी। टॉप के बटन तो उसने पहले ही खोल दिए थे मैं मुड़ी ,सीधे उसके दोस्त के सामने , और अपनी टॉप उतार के उसके हाथ में , फिर स्कर्ट भी।
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