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Achha tease karvaya hai laundo ko.Madak update cycle aur dande ka kya combination banaya haiजोरू का गुलाम भाग १३४
होली के रसरंग
और गाँव के लौंडे
अभी तक मैं सामू ,जुगनू ,संदीप के साथ लेकिन ,गाँव के किसी लौंडे के साथ ,... हालाँकि लाइन मारने वालों की कमी नहीं थी।
मैं शार्ट कट के चक्कर में आज भरौटी के बगल की एक संकरी पगडण्डी से जा रही थी की दो लौंडे दिखे ,धुत्त देसी पिए ,
एक बोला ,
" बोला बोला देबू देबू की जइबू थाना में ,... बोला हो ,... "
" अरे छोट छोट जोबना दाबे में मजा देया ,मिजवाय ला हो ,.. "
दूसरा दिन होता तो मैं सर झुका के रास्ता बदल के निकल जाती , लेकिन आज मैं पहले तो हलके से बनावटी गुस्से से दोनों को देखा फिर चुन्नी ठीक करने के बहाने एक बार फिर जोबन दर्शन कराया
और जब थोड़ा आगे निकल गयी तो मुड़ के उनकी ओर देख के हलके से मुस्करायी ,और कसी शलवार में चूतड़ मटकाते,
थोड़ी हाँ ,थोड़ी ना ,लौंडे पटाने के गुलबिया की सीख पर आज मैंने पहली बार अमल किया था।
रस्ते में आज ५-६ बार ,और हर बार यही ,
असल में पहले मैं गाँव के आस पास के टोलों के लौंडों से बचती थी, लौंडे तो पहले से ही जोबन देखकर आय बायं बोलते थे, पर कब से समुआ चढ़ा मेरे ऊपर और रोज बिना नागा कस कस के जोबन मसले रगड़े जाने लगे, लौंडो को देख के ही जोबन कसमसाने लगता था.
ऊपर से समुआ अब सहर चला गया था, जुगनू भी चोरी छिपे सुबह सबेरे, और फिर गर्मी क छुट्टी कुछ दिन में तो स्कूल में भी ताला, और मेरी दोनों जांघो के बीच वाली क्लास में तो जबतक रोज क्लास न चले बल्कि एक्स्ट्रा क्लास भी,..
और आज होली में जब कहारिन भौजी ने बोल दिया,
" हे ननदों , अगली होली तक यह गाँव का, कुल टोलों क कौनों लौंडा बचना नहीं चाहिए सब का लंड,... यह बुरिया में नहीं तो जैसे तोहरी बूआ क गंडिया फट रही है वैसे तोहरो फ़ाड़ल जाई एको लौंडा अगर बची तो,... "
बगल में मम्मी बूआ के पिछवाड़े मुट्ठी पूरी पेली हुयी थीं और पूरी तरह भौजी की बात सुन रही थीं, मुस्करा रही थीं, बल्कि उनकी बात को और आगे बढ़ाते उनसे बोलीं,
" अरे यह गाँव में पैदा हुयी कउनो लड़की अइसन नहीं होगी जिसका मन गाँव के लौंडन क लंड खाने के लिए नहीं ललचाता होगा, और तू बड़की भौजी हो , सब भौजियों में सबसे बड़ी, तोहार जिम्मेदारी बचनी नहीं चाहिए, न माने तो जबरदस्ती चढ़ाओ गाँव क लौंडन क, अरे बाहर वाले मजे मारें , डुबकी मारें और बेचारे हमरे गाँव क लौंडे अस मस्त माल रहते, मुट्ठ मारें,... बहुत नाइंसाफी है। "
और नाइंसाफी मम्मी को सख्त नापसंद थी।
मेरी उमर वाली थोड़ी बहुत छोट बड़ी,... कउनो बची नहीं, भौजाइयां जब ऊँगली करती थीं ,
जम के रगड़ती थीं तो सबसे पहले कबुलवाती थीं नहीं तो चूतड़ पे तमाचा कस कस के और हड़काना , दोनों मुट्ठी पेलूँगी एक साथ ,... और सिर्फ नाम लेने से काम नहीं चल रहा था , हाल पूरा बताओ, लंड क लम्बाई मोटाई, झांटे रखता है की साफ़ हैं, कहाँ कहाँ कब चुदी,..सब और हमरी समौरिया कउनो नहीं बची जो चार पांच से कम गाँव के लौंडों का घोंटी हो , दखिन पट्टी वाली , एक हमसे छह महीने बड़ी खाली , सात लौंडो क नाम बतायी गाँव के,... और जोर जोर से नाम ले रहीं थीं सब सुन रहे थे,...
फिर चंदा भाभी, हमार नयकी भौजी,... हम समझ गए थे हमरे ऊपर अपने और हमरे दोनों के भाई को चढ़ाना चाहती थीं,
गुलबिया तो रोज समझाती थी,
अरे जरा लौंडों को लाइन मारो , उनके इशारों का हल्का फुल्का ही जवाब दो , थोड़ा जोबना क जलवा देखाओ, तारीफ़ नहीं करती झूठी मैं तो दस बीस गाँव में आती जाती हूँ , तोहरे अस मस्त जोबन किसी लड़की को नहीं आया है,...
तो उसी से , अरे मैं नहीं कह रही हूँ सबके आगे टांग पसार दो, नाड़ा खोल दो,... लेकिन कम से कम आठ दस को लाइन मारो,... तो फिर दो चार मिल जाएंगे ऐसे जिनके साथ टांग उठा सकती हो,... "
तो मैं भी आज ,
और सबसे बड़ी बात , भौजाइयों ने होली में,... कितनों को तो मैंने चूस चूस के झाड़ा , पर वो सब छिनार , खूब ऊँगली की , रगड़ी लेकिन झड़ने नहीं देतीं थी , इसलिए मैं इस समय गर्मायी भी बहुत थी,...
इसलिए आज मैंने तय कर लिया था बेचारे गाँव के बाकी टोलों के लौंडो को भी आखिर थोड़ा बहुत होली का परसाद, छुआ छुवअल नहीं तो चक्षु चोदन ही सही, साले मेरा नाम लेकर मुट्ठ ही मार लें,...
तो बजाय इग्नोर करने के, गुस्सा होने के आज मैंने तय कर लिया था,...
दो तीन लड़के तो लगता था पाउच चढ़ाये थे, ' उसे ' मसलते हुए मुझे देखकर , दिखाकर बोले,...
" अरे हमरो पिचकरिया बहुत मोट बा, बहुत रंग बा "
मैं थोड़ा ही दूर आगे निकल के रूक गयी , फिर उनकी ओर मुड़ के देखा, मुस्करायी , फिर झुक के जैसे चप्पल ठीक कर रहूं हूँ , दुपट्टा तो घर से बाहर निकलते ही गले में चिपक गया था, होना न होना बराबर,.. और झुकने से जोबन का उभार और साफ़ साफ़,... और उठने के साथ एक बार उन सबों को देख के मुस्करायी और चल दी , चूतड़ थोड़ा ज्यादा ही मटकाते ,..
एक दो लड़के साइकिल वाले , अरे हमरे डंडा पे बैठ जा न , खूब तेज चलती है साइकिल ,...
बस उन सबों को भी पहले तो मुस्कान, फिर चुन्नी ठीक करने के बहाने जोबन दर्शन,...
बीसों लौंडे,... और सबको,... पक्का था दस बारह तो आज मेरा नाम ले के मुट्ठ मारेंगे ,
दस मिनट का रसता पार करने में २५ मिनट लगे।
और मैं ज्योति के घर पहुँच गयी।
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