Incestlala
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Superb update दीदी superbचंदू भैया
मेरी चीखें भी अब थक थक कर सूख गई थीं । बस मैं सिर्फ तड़प रही थी, आँखों से हल्के हल्के आंसू छलक रहे थे।
और एक बार फिर आलमोस्ट पूरा का पूरा बाहर निकाल कर जो ठेला उन्होंने तो तो,
पर तभी मेरे चीखने के पहले , मेरे होंठों पर होंठ , ये होंठ तो मैं सपने में भी पहचान लेती, .... आज सुबह होली में इन होंठों ने मेरे हर जगह का रस लूटा था और मेरे होंठों को चूसना चूमना सिखाया था।
चन्दा भाभी थीं ।
चूमकर उन्होंने पूछा
“ हे ननद रानी, तूने बताया नहीं किसका मेरा भइया या तेरा भइया?”
पूछने की बात थी, चुन्नू के साथ तो एक राउंड कबड्डी खेल भी चुकी थी, लेकिन मैं बोलने में शर्मा रहे थी, मेरे कोई सगा भाई तो था नहीं , तो हर बार इन्ही भैया को राखी बांधती थी , भाभी के सामने भी और आज... पर भाभी बिना मेरे मुंह से सुने,... अबकी चन्दा भाभी ने कचकचा कर मेरी चूची काट ली
“बोल न, वरना इन दोनों को छोड़ मैं तेरी गाण्ड मार लूंगी …”
बड़ी मुश्किल से तो ज्योति के जिज्जा से अपना पिछवाड़ा बचा के आयी थी।
और दर्द के बावजूद मैं मुस्कराकर बोल पड़ी “भइया…”
“भैया की सैंया?” मेरे कान में फुसफसा के बोली भौजी, और चिढ़ाया
“अरे सुबह होली में यही तो कह रही थी मैं ननदी सैंया से सैंया बदल लो…”
दर्द से मैं डूबी पड़ रही थी लेकिन भाभी को छेड़ने का मौका कौन ननद छोड़ती है जो मैं छोड़ती, मैंने चिढ़ाया ,
" ठीक है भौजी,... मैं तो अपने भैया के साथ करवा ही रही हूँ , आप भी चुन्नू के साथ,... फिर रात में दोनों मिल के,... अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों "
मैं समझ गई मेरी चन्दा भौजी की पहली पहली रतिया में क्या हाल हुयी होगी , उनकी तो एकदम कोरी थी।
हम ननदे बाहर से कान लगाकर,,,, और सुबह जब मैं उनको लेने गई तो उनकी हांलत सेज पर कुचले मसले फूलों से भी ज्यादा, उठा नहीं रहा जा रहा था , लेकिन खूब खुश मुस्कराते । जब हम सबने उन्हें छेड़ा , जबरन उनकी गुलाबो को उनका लहंगा उठाकर देखने की कोशिश की ,... तब चन्दा भाभी बोली
“चलो एक रात तुम भी अपने भैय्या के साथ गुजार लो न फिर पूछूूँगी मैं रात का हाल चाल,... ” छेड़ने में तो वो माहिर थी हीं,
दर्द भी भी बहुत हो रहा था, मजा भी बहुत आ रहा था, बारी बारी से, एक बार चन्दा भाभी के भैया, फिर मेरे भैया , हाँ भौजी ने मेरी आँखों का पर्दा थोड़ा सरका दिया था, पर खोला नहीं था, साफ़ दिख रहा था कब भैया चोद रहे हैं कब चुन्नू ,...
और जब दोनों झड़े, पहले चुन्नू ही , तो थोड़ा सा भौजी ने मेरी बुर में, वरना दोनों की पिचकारी ने जमकर ने मेरी देह से होली खेली ।
खूब ढेर सारी सफ़ेद मलाई सफ़ेद गाढ़ी रबड़ी मलाई, चेहरे पर, बालों पर,
जुबना पर, देर तक।
जब भाभी ने मेरी आँखे खोलीं , पकड़ के मुझे पलंग से धीरे धीरे सम्हाल के उठाया तो कमरे में मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था। चुन्नू जो मैंने उसका मेकअप किया था उसे छुड़ाने बाथरूम गया था।
चंदू भैया बाहर।
और मैं चिल्ला पड़ी। दीवाल घड़ी साढ़े आठ बजा रही थी। मेरी पूरे चेहरे पर भैया की मलाई पुती पड़ी थी पर भाभी बोलीं अरे अब उसे छुड़ाने का टाइम नहीं ,
... चुन्नू ने पूरे बाल में अपनी पिचकारी का सफ़ेद रंग।
गाूँव में तो आठ बजे ही सोता पड़ जाता है । घर में भी सब लोग सो गए होंगे , आज खूब डांट पड़ेगी। जल्दी जल्दी मैंने शलवार कुर्ती देह पर डाली, हां चन्दा भाभी ने मेरी ब्रा पैंटी जब्त कर ली, और वो मलाई भी नहीं छुड़ाने दी।
बाहर निकलते , दालान में चंदू भैया थे, उनसे आँखे चार हुईं , उड़ती हुयी चुम्मी भी।
सच में चारों ओर अूँधेरा था, सिवाय पूनो की चांदनी के, हम लोगों का घर थोड़ा ही दूर था।
दबे पाँव घर में घुसी मैं, की कहीं मम्मी जग न जांयें , उनके कमरे में हल्की रौशनी भी थी।
मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने के लिए , अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ी पर पैर रखने ही वाली थी की एक आवाज सुनाई पड़ी।
“आ जा मेरे लौंड़े पर बैठ जा…”
और मेरे पैर ठिठक गए , एक बार मैं फिर मम्मी के कमरे की ओर मुड़ गयी, आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , फूफा जी की थी।