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जोरू का गुलाम भाग १४०,...
आजा , मेरे,... पर बैठ जा,...
![Teej-Bra-283932224-5270701909654447-8331564553340319405-n.jpg](https://i.ibb.co/WnZHyyf/Teej-Bra-283932224-5270701909654447-8331564553340319405-n.jpg)
मम्मी
गाँव में तो आठ बजे ही सोता पड़ जाता है । घर में भी सब लोग सो गए होंगे , आज खूब डांट पड़ेगी। जल्दी जल्दी मैंने शलवार कुर्ती देह पर डाली, हां चन्दा भाभी ने मेरी ब्रा पैंटी जब्त कर ली, और वो मलाई भी नहीं छुड़ाने दी।
बाहर निकलते , दालान में चंदू भैया थे, उनसे आँखे चार हुईं , उड़ती हुयी चुम्मी भी। सच में चारों ओर अँधेरा था, सिवाय पूनो की चांदनी के, हम लोगों का घर थोड़ा ही दूर था। दूर हमारी आम की बगिया, आस पास के घर , वो बड़ा सा नीम का पेड़,...सब बस धुंधली परछाई की तरह, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, सिर्फ मैं दिख रही थी, जल्दी जल्दी डग भरते, पेड़ों की छाँहों में छिटकी, बिखरी जुन्हाई को पार करते , एकदम दबे पांव मैं घर में घुसी,
![shalwar-6396452ff820bdddc41c95270d31a3f2.jpg](https://i.ibb.co/sRgZ4RK/shalwar-6396452ff820bdddc41c95270d31a3f2.jpg)
जरा भी आवाज न होने पाए की कहीं मम्मी जग न जाएँ , बस मैं चुपके से सीढ़ी चढ़ के छत पर के अपने कमरे में,... एक बार अपने कमरे में पहुँच गयी फिर तो,..., पूरे घर में अँधेरा था , बस सीढ़ी पर चढ़ने वाली रौशनी ....
मैंने दबे पाँव सीढ़ी पर पैर रखने के पहले मम्मी के कमरे की ओर देखा, उसी के बगल में वो कमरे थे , जिसमें बूआ, मौसी लोग, सब के सब अँधेरे में,...पर मम्मी के कमरे में हल्की रौशनी थी। दरवाजा उनके कमरे का भी अच्छी तरह से बंद था। मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने के लिए , अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ी पर पैर रखने ही वाली थी की एक आवाज सुनाई पड़ी।
“आ जा मेरे लौंड़े पर बैठ जा…”
और मेरे पैर ठिठक गए , एक बार मैं फिर मम्मी के कमरे की ओर मुड़ गयी, आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , फूफा जी की थी, ये तो मुझे मालूम ही था की फूफा जी , उनके एक दोस्त और मौसा जी शाम के पहले आने वाले थे , बुआ और मौसी जी तो कल रात ही आ गयी थीं।
दरवाजा खिड़की सब बंद, एक बार तो मैंने सोचा की सीधे ऊपर अपने कमरे में चलूँ , लेकिन नहीं रहा गया,... इत्ती रात को , और मुझे पक्का लग रहा था की आवाज फूफा जी की मम्मी के ही कमरे से आयी है,... मैं मम्मी के कमरे के बाहर एकदम दबे पाँव, ... पर दरवाजा खिड़की सब अच्छी तरह बंद , दरवाजे में थोड़ी सी फांक थी इसी से कमरे की रौशनी हल्की हल्की छलक कर बाहर आ रही थी. देखने का मन तो हो रहा था पर डर भी लग रहा था ,
![Girl-281168276-2115516298601370-6294911984062734450-n.jpg](https://i.ibb.co/9V6BJS3/Girl-281168276-2115516298601370-6294911984062734450-n.jpg)
किसी ने देख लिया तो,... दरवाजा तो एकदम लेकिन खिड़की में हल्का सा एक छेद था , और मैंने वहां आँख लगाई तो सब दिखने लगा , आवाज भी साफ़ साफ़,
मैं सन्न रह गयी।
फूफा जी माँ से कह रहे थे, और माँ उनका मोटा लौंड़ा हाथ में लेकर मुठिया रही थीं और उन्हें गरिया रही थी,
![Joru-K-holding-cock-11.gif](https://i.ibb.co/mGZPm7W/Joru-K-holding-cock-11.gif)
वो सिर्फ एक साड़ी बस कमर में एक पतले से छल्ले की तरह लपेटे,... माँ के साथ मौसी और और बूआ भी उसी हालत में ,
फूफा जी के साथ उनके कोई दोस्त और मौसा जी,...
लेकिन माँ बूआ और मौसी से कितनी गुना ज्यादा,... मस्त मस्त , जबकि दोनों से चार पांच साल बड़ी होंगी, पर भले उम्र उनकी ३६-३७ हो लेकिन ३० से ऊपर एक दिन की नहीं लगती थीं,... सबसे बढ़कर उनके जोबन बहुत गद्दर,... ३६ या ३८ लेकिन इस समय ब्लाउज से बाहर भी एकदम गोल गोल गोरे कड़े , खड़े , दोनों निपल्स एकदम गोली दागने को तैयार,
![Guddi-nips-eeb367aae65dcdf1f0eeca64b8dd34e7.jpg](https://i.ibb.co/WkpwsnL/Guddi-nips-eeb367aae65dcdf1f0eeca64b8dd34e7.jpg)
मैंने कितनी बार देखा था बात करते करते कभी गलती से उनका आंचल छलक गया तो ब्लाउज से उनकी गोलाइयों को देख के सामने जो हो ,... ब्लाउज पहनती भी थी वो एकदम टाइट देह से चिपका खूब लो कट,... सामने वाले की हालत खराब ,
![teej-Cleavage-70ddfa977a97cc271cc652a7d30c58fc.jpg](https://i.ibb.co/QPw3w3P/teej-Cleavage-70ddfa977a97cc271cc652a7d30c58fc.jpg)
और यहाँ तो एकदम उनके उभार,... बुआ और मौसी भी उसी हालत में थीं पर फूफा जी , उनके दोस्त और मौसा जी सबकी निगाह मम्मी के उभारों पर, एकदम चिपकी
फूफा जी को वो गरिया रही थी उनके तो नन्दोई ही लगते थे, मुठियाते हुए वो बोलीं,
" हे खूंटा पे सबसे पहले किसको बैठाये थे अपनी महतारी को की बहिनिया को,... अरे अभी बैठूंगी भी, घोटूँगी भी निचोड़ के सब रस निकालूंगी भी , तोहार महतारी बहिन , हमार ननद रोज मजा लेती हैं तो आज सलहज का नंबर है,... "
![holding-cock-jkg-5.jpg](https://i.ibb.co/nfx3gcs/holding-cock-jkg-5.jpg)
फूफा जी कम बदमाश नहीं थे एक बहिन से लंड मुठियवा रहे थे तो दूसरी, ऊँगली छोटी बहिनिया की बुर में,... मेरी मौसी के बिल में ऊँगली करते उन्होंने माँ से पूछा,...
" हे हमारी छुटकी सलहज कहाँ चल गयीं , "
चाची के बारे में वो पूछ रहे थे , तो बुआ को अपनी ननद को गरियाने का मौका मिल गया, ... वो हँसते हुए बोलीं ,
" अरे तोहरे साली सलहज के बिना अपने भैया से चोदवाये, ... अपने मायके गयी हैं भैया लोगन से चोदवावे के लिए,... उनके भाई आये थे लेने के लिए ,... "
मैं समझ गयी चाची का मायका पास ही के गाँव में तो था , घंटा भर भी नहीं लगता था , पक्की सड़क उनके दरवाजे तक,... लेकिन मौसी थी न चाची की ओर बोलने के लिए ,... आखिर माँ के रिश्ते से तो एक तरह से बहन ही लगती थीं,... बस वो बोलने लगीं,...
" अरे तो कौन बुराई है भाई बहन के चुदवाने में अरे जितना मजा भाई बहन की चुदाई में फिर भाई का हक,... घर क माल घर में... अरे न कोई शक करने वाला है न पूछने वाला, न गन्ना अरहर ढूंढने की जरूरत,... जब चाहो जहाँ टांग उठाओ, अरे जहाँ बहिन जवान होने लगी, बाहर चक्कर काटने वाले,... तो अगर भाई घर में, घर की फसल घर में काट लिया तो कौन बुराई है,...
आजा , मेरे,... पर बैठ जा,...
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मम्मी
गाँव में तो आठ बजे ही सोता पड़ जाता है । घर में भी सब लोग सो गए होंगे , आज खूब डांट पड़ेगी। जल्दी जल्दी मैंने शलवार कुर्ती देह पर डाली, हां चन्दा भाभी ने मेरी ब्रा पैंटी जब्त कर ली, और वो मलाई भी नहीं छुड़ाने दी।
बाहर निकलते , दालान में चंदू भैया थे, उनसे आँखे चार हुईं , उड़ती हुयी चुम्मी भी। सच में चारों ओर अँधेरा था, सिवाय पूनो की चांदनी के, हम लोगों का घर थोड़ा ही दूर था। दूर हमारी आम की बगिया, आस पास के घर , वो बड़ा सा नीम का पेड़,...सब बस धुंधली परछाई की तरह, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, सिर्फ मैं दिख रही थी, जल्दी जल्दी डग भरते, पेड़ों की छाँहों में छिटकी, बिखरी जुन्हाई को पार करते , एकदम दबे पांव मैं घर में घुसी,
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जरा भी आवाज न होने पाए की कहीं मम्मी जग न जाएँ , बस मैं चुपके से सीढ़ी चढ़ के छत पर के अपने कमरे में,... एक बार अपने कमरे में पहुँच गयी फिर तो,..., पूरे घर में अँधेरा था , बस सीढ़ी पर चढ़ने वाली रौशनी ....
मैंने दबे पाँव सीढ़ी पर पैर रखने के पहले मम्मी के कमरे की ओर देखा, उसी के बगल में वो कमरे थे , जिसमें बूआ, मौसी लोग, सब के सब अँधेरे में,...पर मम्मी के कमरे में हल्की रौशनी थी। दरवाजा उनके कमरे का भी अच्छी तरह से बंद था। मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने के लिए , अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ी पर पैर रखने ही वाली थी की एक आवाज सुनाई पड़ी।
“आ जा मेरे लौंड़े पर बैठ जा…”
और मेरे पैर ठिठक गए , एक बार मैं फिर मम्मी के कमरे की ओर मुड़ गयी, आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , फूफा जी की थी, ये तो मुझे मालूम ही था की फूफा जी , उनके एक दोस्त और मौसा जी शाम के पहले आने वाले थे , बुआ और मौसी जी तो कल रात ही आ गयी थीं।
दरवाजा खिड़की सब बंद, एक बार तो मैंने सोचा की सीधे ऊपर अपने कमरे में चलूँ , लेकिन नहीं रहा गया,... इत्ती रात को , और मुझे पक्का लग रहा था की आवाज फूफा जी की मम्मी के ही कमरे से आयी है,... मैं मम्मी के कमरे के बाहर एकदम दबे पाँव, ... पर दरवाजा खिड़की सब अच्छी तरह बंद , दरवाजे में थोड़ी सी फांक थी इसी से कमरे की रौशनी हल्की हल्की छलक कर बाहर आ रही थी. देखने का मन तो हो रहा था पर डर भी लग रहा था ,
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किसी ने देख लिया तो,... दरवाजा तो एकदम लेकिन खिड़की में हल्का सा एक छेद था , और मैंने वहां आँख लगाई तो सब दिखने लगा , आवाज भी साफ़ साफ़,
मैं सन्न रह गयी।
फूफा जी माँ से कह रहे थे, और माँ उनका मोटा लौंड़ा हाथ में लेकर मुठिया रही थीं और उन्हें गरिया रही थी,
![Joru-K-holding-cock-11.gif](https://i.ibb.co/mGZPm7W/Joru-K-holding-cock-11.gif)
वो सिर्फ एक साड़ी बस कमर में एक पतले से छल्ले की तरह लपेटे,... माँ के साथ मौसी और और बूआ भी उसी हालत में ,
फूफा जी के साथ उनके कोई दोस्त और मौसा जी,...
लेकिन माँ बूआ और मौसी से कितनी गुना ज्यादा,... मस्त मस्त , जबकि दोनों से चार पांच साल बड़ी होंगी, पर भले उम्र उनकी ३६-३७ हो लेकिन ३० से ऊपर एक दिन की नहीं लगती थीं,... सबसे बढ़कर उनके जोबन बहुत गद्दर,... ३६ या ३८ लेकिन इस समय ब्लाउज से बाहर भी एकदम गोल गोल गोरे कड़े , खड़े , दोनों निपल्स एकदम गोली दागने को तैयार,
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मैंने कितनी बार देखा था बात करते करते कभी गलती से उनका आंचल छलक गया तो ब्लाउज से उनकी गोलाइयों को देख के सामने जो हो ,... ब्लाउज पहनती भी थी वो एकदम टाइट देह से चिपका खूब लो कट,... सामने वाले की हालत खराब ,
![teej-Cleavage-70ddfa977a97cc271cc652a7d30c58fc.jpg](https://i.ibb.co/QPw3w3P/teej-Cleavage-70ddfa977a97cc271cc652a7d30c58fc.jpg)
और यहाँ तो एकदम उनके उभार,... बुआ और मौसी भी उसी हालत में थीं पर फूफा जी , उनके दोस्त और मौसा जी सबकी निगाह मम्मी के उभारों पर, एकदम चिपकी
फूफा जी को वो गरिया रही थी उनके तो नन्दोई ही लगते थे, मुठियाते हुए वो बोलीं,
" हे खूंटा पे सबसे पहले किसको बैठाये थे अपनी महतारी को की बहिनिया को,... अरे अभी बैठूंगी भी, घोटूँगी भी निचोड़ के सब रस निकालूंगी भी , तोहार महतारी बहिन , हमार ननद रोज मजा लेती हैं तो आज सलहज का नंबर है,... "
![holding-cock-jkg-5.jpg](https://i.ibb.co/nfx3gcs/holding-cock-jkg-5.jpg)
फूफा जी कम बदमाश नहीं थे एक बहिन से लंड मुठियवा रहे थे तो दूसरी, ऊँगली छोटी बहिनिया की बुर में,... मेरी मौसी के बिल में ऊँगली करते उन्होंने माँ से पूछा,...
" हे हमारी छुटकी सलहज कहाँ चल गयीं , "
चाची के बारे में वो पूछ रहे थे , तो बुआ को अपनी ननद को गरियाने का मौका मिल गया, ... वो हँसते हुए बोलीं ,
" अरे तोहरे साली सलहज के बिना अपने भैया से चोदवाये, ... अपने मायके गयी हैं भैया लोगन से चोदवावे के लिए,... उनके भाई आये थे लेने के लिए ,... "
मैं समझ गयी चाची का मायका पास ही के गाँव में तो था , घंटा भर भी नहीं लगता था , पक्की सड़क उनके दरवाजे तक,... लेकिन मौसी थी न चाची की ओर बोलने के लिए ,... आखिर माँ के रिश्ते से तो एक तरह से बहन ही लगती थीं,... बस वो बोलने लगीं,...
" अरे तो कौन बुराई है भाई बहन के चुदवाने में अरे जितना मजा भाई बहन की चुदाई में फिर भाई का हक,... घर क माल घर में... अरे न कोई शक करने वाला है न पूछने वाला, न गन्ना अरहर ढूंढने की जरूरत,... जब चाहो जहाँ टांग उठाओ, अरे जहाँ बहिन जवान होने लगी, बाहर चक्कर काटने वाले,... तो अगर भाई घर में, घर की फसल घर में काट लिया तो कौन बुराई है,...
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