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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग १४०,...

आजा , मेरे,... पर बैठ जा,...

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मम्मी

गाँव में तो आठ बजे ही सोता पड़ जाता है । घर में भी सब लोग सो गए होंगे , आज खूब डांट पड़ेगी। जल्दी जल्दी मैंने शलवार कुर्ती देह पर डाली, हां चन्दा भाभी ने मेरी ब्रा पैंटी जब्त कर ली, और वो मलाई भी नहीं छुड़ाने दी।



बाहर निकलते , दालान में चंदू भैया थे, उनसे आँखे चार हुईं , उड़ती हुयी चुम्मी भी। सच में चारों ओर अँधेरा था, सिवाय पूनो की चांदनी के, हम लोगों का घर थोड़ा ही दूर था। दूर हमारी आम की बगिया, आस पास के घर , वो बड़ा सा नीम का पेड़,...सब बस धुंधली परछाई की तरह, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, सिर्फ मैं दिख रही थी, जल्दी जल्दी डग भरते, पेड़ों की छाँहों में छिटकी, बिखरी जुन्हाई को पार करते , एकदम दबे पांव मैं घर में घुसी,

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जरा भी आवाज न होने पाए की कहीं मम्मी जग न जाएँ , बस मैं चुपके से सीढ़ी चढ़ के छत पर के अपने कमरे में,... एक बार अपने कमरे में पहुँच गयी फिर तो,..., पूरे घर में अँधेरा था , बस सीढ़ी पर चढ़ने वाली रौशनी ....

मैंने दबे पाँव सीढ़ी पर पैर रखने के पहले मम्मी के कमरे की ओर देखा, उसी के बगल में वो कमरे थे , जिसमें बूआ, मौसी लोग, सब के सब अँधेरे में,...पर मम्मी के कमरे में हल्की रौशनी थी। दरवाजा उनके कमरे का भी अच्छी तरह से बंद था। मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने के लिए , अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ी पर पैर रखने ही वाली थी की एक आवाज सुनाई पड़ी।

“आ जा मेरे लौंड़े पर बैठ जा…”

और मेरे पैर ठिठक गए , एक बार मैं फिर मम्मी के कमरे की ओर मुड़ गयी, आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , फूफा जी की थी, ये तो मुझे मालूम ही था की फूफा जी , उनके एक दोस्त और मौसा जी शाम के पहले आने वाले थे , बुआ और मौसी जी तो कल रात ही आ गयी थीं।

दरवाजा खिड़की सब बंद, एक बार तो मैंने सोचा की सीधे ऊपर अपने कमरे में चलूँ , लेकिन नहीं रहा गया,... इत्ती रात को , और मुझे पक्का लग रहा था की आवाज फूफा जी की मम्मी के ही कमरे से आयी है,... मैं मम्मी के कमरे के बाहर एकदम दबे पाँव, ... पर दरवाजा खिड़की सब अच्छी तरह बंद , दरवाजे में थोड़ी सी फांक थी इसी से कमरे की रौशनी हल्की हल्की छलक कर बाहर आ रही थी. देखने का मन तो हो रहा था पर डर भी लग रहा था ,


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किसी ने देख लिया तो,... दरवाजा तो एकदम लेकिन खिड़की में हल्का सा एक छेद था , और मैंने वहां आँख लगाई तो सब दिखने लगा , आवाज भी साफ़ साफ़,

मैं सन्न रह गयी।

फूफा जी माँ से कह रहे थे, और माँ उनका मोटा लौंड़ा हाथ में लेकर मुठिया रही थीं और उन्हें गरिया रही थी,


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वो सिर्फ एक साड़ी बस कमर में एक पतले से छल्ले की तरह लपेटे,... माँ के साथ मौसी और और बूआ भी उसी हालत में ,

फूफा जी के साथ उनके कोई दोस्त और मौसा जी,...

लेकिन माँ बूआ और मौसी से कितनी गुना ज्यादा,... मस्त मस्त , जबकि दोनों से चार पांच साल बड़ी होंगी, पर भले उम्र उनकी ३६-३७ हो लेकिन ३० से ऊपर एक दिन की नहीं लगती थीं,... सबसे बढ़कर उनके जोबन बहुत गद्दर,... ३६ या ३८ लेकिन इस समय ब्लाउज से बाहर भी एकदम गोल गोल गोरे कड़े , खड़े , दोनों निपल्स एकदम गोली दागने को तैयार,


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मैंने कितनी बार देखा था बात करते करते कभी गलती से उनका आंचल छलक गया तो ब्लाउज से उनकी गोलाइयों को देख के सामने जो हो ,... ब्लाउज पहनती भी थी वो एकदम टाइट देह से चिपका खूब लो कट,... सामने वाले की हालत खराब ,

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और यहाँ तो एकदम उनके उभार,... बुआ और मौसी भी उसी हालत में थीं पर फूफा जी , उनके दोस्त और मौसा जी सबकी निगाह मम्मी के उभारों पर, एकदम चिपकी

फूफा जी को वो गरिया रही थी उनके तो नन्दोई ही लगते थे, मुठियाते हुए वो बोलीं,

" हे खूंटा पे सबसे पहले किसको बैठाये थे अपनी महतारी को की बहिनिया को,... अरे अभी बैठूंगी भी, घोटूँगी भी निचोड़ के सब रस निकालूंगी भी , तोहार महतारी बहिन , हमार ननद रोज मजा लेती हैं तो आज सलहज का नंबर है,... "

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फूफा जी कम बदमाश नहीं थे एक बहिन से लंड मुठियवा रहे थे तो दूसरी, ऊँगली छोटी बहिनिया की बुर में,... मेरी मौसी के बिल में ऊँगली करते उन्होंने माँ से पूछा,...

" हे हमारी छुटकी सलहज कहाँ चल गयीं , "

चाची के बारे में वो पूछ रहे थे , तो बुआ को अपनी ननद को गरियाने का मौका मिल गया, ... वो हँसते हुए बोलीं ,

" अरे तोहरे साली सलहज के बिना अपने भैया से चोदवाये, ... अपने मायके गयी हैं भैया लोगन से चोदवावे के लिए,... उनके भाई आये थे लेने के लिए ,... "

मैं समझ गयी चाची का मायका पास ही के गाँव में तो था , घंटा भर भी नहीं लगता था , पक्की सड़क उनके दरवाजे तक,... लेकिन मौसी थी न चाची की ओर बोलने के लिए ,... आखिर माँ के रिश्ते से तो एक तरह से बहन ही लगती थीं,... बस वो बोलने लगीं,...


" अरे तो कौन बुराई है भाई बहन के चुदवाने में अरे जितना मजा भाई बहन की चुदाई में फिर भाई का हक,... घर क माल घर में... अरे न कोई शक करने वाला है न पूछने वाला, न गन्ना अरहर ढूंढने की जरूरत,... जब चाहो जहाँ टांग उठाओ, अरे जहाँ बहिन जवान होने लगी, बाहर चक्कर काटने वाले,... तो अगर भाई घर में, घर की फसल घर में काट लिया तो कौन बुराई है,...
 
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Rajizexy

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जोरू का गुलाम भाग १४०,...

आजा , मेरे,... पर बैठ जा,...

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मम्मी

गाँव में तो आठ बजे ही सोता पड़ जाता है । घर में भी सब लोग सो गए होंगे , आज खूब डांट पड़ेगी। जल्दी जल्दी मैंने शलवार कुर्ती देह पर डाली, हां चन्दा भाभी ने मेरी ब्रा पैंटी जब्त कर ली, और वो मलाई भी नहीं छुड़ाने दी।



बाहर निकलते , दालान में चंदू भैया थे, उनसे आँखे चार हुईं , उड़ती हुयी चुम्मी भी। सच में चारों ओर अँधेरा था, सिवाय पूनो की चांदनी के, हम लोगों का घर थोड़ा ही दूर था। दूर हमारी आम की बगिया, आस पास के घर , वो बड़ा सा नीम का पेड़,...सब बस धुंधली परछाई की तरह, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, सिर्फ मैं दिख रही थी, जल्दी जल्दी डग भरते, पेड़ों की छाँहों में छिटकी, बिखरी जुन्हाई को पार करते , एकदम दबे पांव मैं घर में घुसी,

जरा भी आवाज न होने पाए की कहीं मम्मी जग न जाएँ , बस मैं चुपके से सीढ़ी चढ़ के छत पर के अपने कमरे में,... एक बार अपने कमरे में पहुँच गयी फिर तो,..., पूरे घर में अँधेरा था , बस सीढ़ी पर चढ़ने वाली रौशनी .... मैंने दबे पाँव सीढ़ी पर पैर रखने के पहले मम्मी के कमरे की ओर देखा, उसी के बगल में वो कमरे थे , जिसमें बूआ, मौसी लोग, सब के सब अँधेरे में,...पर मम्मी के कमरे में हल्की रौशनी थी। दरवाजा उनके कमरे का भी अच्छी तरह से बंद था। मैं दबे पाँव ऊपर चढ़ने के लिए , अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ी पर पैर रखने ही वाली थी की एक आवाज सुनाई पड़ी।

“आ जा मेरे लौंड़े पर बैठ जा…”

और मेरे पैर ठिठक गए , एक बार मैं फिर मम्मी के कमरे की ओर मुड़ गयी, आवाज तो मैं पहचान ही गयी थी , फूफा जी की थी, ये तो मुझे मालूम ही था की फूफा जी , उनके एक दोस्त और मौसा जी शाम के पहले आने वाले थे , बुआ और मौसी जी तो कल रात ही आ गयी थीं।

दरवाजा खिड़की सब बंद, एक बार तो मैंने सोचा की सीधे ऊपर अपने कमरे में चलूँ , लेकिन नहीं रहा गया,... इत्ती रात को , और मुझे पक्का लग रहा था की आवाज फूफा जी की मम्मी के ही कमरे से आयी है,... मैं मम्मी के कमरे के बाहर एकदम दबे पाँव, ... पर दरवाजा खिड़की सब अच्छी तरह बंद , दरवाजे में थोड़ी सी फांक थी इसी से कमरे की रौशनी हल्की हल्की छलक कर बाहर आ रही थी. देखने का मन तो हो रहा था पर डर भी लग रहा था , किसी ने देख लिया तो,... दरवाजा तो एकदम लेकिन खिड़की में हल्का सा एक छेद था , और मैंने वहां आँख लगाई तो सब दिखने लगा , आवाज भी साफ़ साफ़,

मैं सन्न रह गयी।

फूफा जी माँ से कह रहे थे, और माँ उनका मोटा लौंड़ा हाथ में लेकर मुठिया रही थीं और उन्हें गरिया रही थी, वो सिर्फ एक साड़ी बस कमर में एक पतले से छल्ले की तरह लपेटे,... माँ के साथ मौसी और और बूआ भी उसी हालत में ,

फूफा जी के साथ उनके कोई दोस्त और मौसा जी,...

लेकिन माँ बूआ और मौसी से कितनी गुना ज्यादा,... मस्त मस्त , जबकि दोनों से चार पांच साल बड़ी होंगी, पर भले उम्र उनकी ३६-३७ हो लेकिन ३० से ऊपर एक दिन की नहीं लगती थीं,... सबसे बढ़कर उनके जोबन बहुत गद्दर,... ३६ या ३८ लेकिन इस समय ब्लाउज से बाहर भी एकदम गोल गोल गोरे कड़े , खड़े , दोनों निपल्स एकदम गोली दागने को तैयार,मैंने कितनी बार देखा था बात करते करते कभी गलती से उनका आंचल छलक गया तो ब्लाउज से उनकी गोलाइयों को देख के सामने जो हो ,... ब्लाउज पहनती भी थी वो एकदम टाइट देह से चिपका खूब लो कट,... सामने वाले की हालत खराब , और यहाँ तो एकदम उनके उभार,... बुआ और मौसी भी उसी हालत में थीं पर फूफा जी , उनके दोस्त और मौसा जी सबकी निगाह मम्मी के उभारों पर, एकदम चिपका


फूफा जी को वो गरिया रही थी उनके तो नन्दोई ही लगते थे, मुठियाते हुए वो बोलीं,

" हे खूंटा पे सबसे पहले किसको बैठाये थे अपनी महतारी को की बहिनिया को,... अरे अभी बैठूंगी भी, घोटूँगी भी निचोड़ के सब रस निकालूंगी भी , तोहार महतारी बहिन , हमार ननद रोज मजा लेती हैं तो आज सलहज का नंबर है,... "

फूफा जी कम बदमाश नहीं थे एक बहिन से लंड मुठियवा रहे थे तो दूसरी, ऊँगली छोटी बहिनिया की बुर में,... मेरी मौसी के बिल में ऊँगली करते उन्होंने माँ से पूछा,...
" हे हमारी छुटकी सलहज कहाँ चल गयीं , "

चाची के बारे में वो पूछ रहे थे , तो बुआ को अपनी ननद को गरियाने का मौका मिल गया, ... वो हँसते हुए बोलीं ,

" अरे तोहरे साली सलहज के बिना अपने भैया से चोदवाये, ... अपने मायके गयी हैं भैया लोगन से चोदवावे के लिए,... उनके भाई आये थे लेने के लिए ,... "

मैं समझ गयी चाची का मायका पास ही के गाँव में तो था , घंटा भर भी नहीं लगता था , पक्की सड़क उनके दरवाजे तक,... लेकिन मौसी थी न चाची की ओर बोलने के लिए ,... आखिर माँ के रिश्ते से तो एक तरह से बहन ही लगती थीं,... बस वो बोलने लगीं,...


" अरे तो कौन बुराई है भाई बहन के चुदवाने में अरे जितना मजा भाई बहन की चुदाई में फिर भाई का हक,... घर क माल घर में... अरे न कोई शक करने वाला है न पूछने वाला, न गन्ना अरहर ढूंढने की जरूरत,... जब चाहो जहाँ टांग उठाओ, अरे जहाँ बहिन जवान होने लगी, बाहर चक्कर काटने वाले,... तो अगर भाई घर में, घर की फसल घर में काट लिया तो कौन बुराई है,...
Madak,incesty update 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
:applause: ha ji ghar ki fasal ghar me katne ka ekdam haq hai bhai ko,why not.💯👍👍👍👍👍
 

komaalrani

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भाई बहन


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,... लेकिन मौसी थी न चाची की ओर बोलने के लिए ,... आखिर माँ के रिश्ते से तो एक तरह से बहन ही लगती थीं,... बस वो बोलने लगीं,...

" अरे तो कौन बुराई है भाई बहन के चुदवाने में अरे जितना मजा भाई बहन की चुदाई में फिर भाई का हक,... घर क माल घर में... अरे न कोई शक करने वाला है न पूछने वाला, न गन्ना अरहर ढूंढने की जरूरत,... जब चाहो जहाँ टांग उठाओ, अरे जहाँ बहिन जवान होने लगी, बाहर चक्कर काटने वाले,... तो अगर भाई घर में, घर की फसल घर में काट लिया तो कौन बुराई है,...'

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मौसी जी ने चाची जी को इस तरह डिफेंड किया कि



मौसी की बात सुनते ही मुझे आज अभी की, चंदू भैया,... की उनकी मलाई अभी तक मेरे होंठों पे, मैंने जीभ निकाल के चाट लिया,... खूब मीठा था


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और संदीप भैया के साथ तो सच में हम दोनों मरद औरत की तरह ही रहते थे,... एक बिस्तर पर रात भर,... किसी दिन दो तीन बार से कम नहीं, ...


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और उसके बाद अंदर डाले डाले चिपक के हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में सोते थे, नहाते भी साथ थे ,
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सब काम साथ साथ,... खाली ' उस समय ' मैं उन्हें भैया ही बोलती थी और वो भी , सच में बहुत मजा आता था , मजा तो समुआ के साथ भी लेकिन खाली स्कूल आते जाते , लेकिन यहाँ तो रात भर और किस दिन मम्मी दिन में बाहर तो उस दिन दिन मे भी , दिन दहाड़



तब तक मम्मी ने कुछ बोला और मेरे दिल की बात कह दी , वो मौसी की बात में जोड़ते हुए कह रही थी,...


" अरे कोई भाई, ... सगी तो छोड़ उसके घर में ममेरी चचेरी बहन चोदने लायक उमर की हो गयी , और उसने उसे बिना चोदे छोड़ दिया ,तोसमझ ले उससे बड़ा बेवकूफ कोई हो नहीं, अरे घरे क कुंवा हो, पोखरा हो , बाहर वाले पानी पियें डुबकी मारें और घर वाला टुकुर टुकुर देखे,... ओहसे बढ़ के बकचोद कौन,... "

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और संदीप उसने बाद में मुझसे कबूला, मुझे देखते ही उसने तय कर लिया था बिना मेरी लिए छोड़ेगा नहीं बल्कि आने के पहले ही उसकी ये प्लानिंग थी,...

तबतक मौसी ने कुछ होली के बारे में बोला मैंने सुना नहीं,

लेकिन बूआ ने अपनी पहली होली की बात सुनाते हुए फूफा जी के जो दोस्त साथ आये थे उनकी ओर इशारा करते बोला, सबसे पहले यही,...

और इनके साथ मेरे एक देवर और एक नन्दोई गाँव के रिश्ते से , तीनो तीन छेद में,


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फिर छेद बदल बदल कर के , सांझ को भी दो गाँव के देवर इनके दोस्त और रात में आप के नन्दोई तो इन्तजार कर ही रहे थे,... तो आप के नन्दोई को छोड़ के पांच एक दिन में होली के दिन ,...



फूफा जो अबतक मम्मी से कह रहे थे , आ मेरे लौंड़े पर बैठ जा,...

माँ ने वही किया , पहले तो हल्का सा धक्का देकर, फूफा जी को गिरा दिया ,... फिर दोनों जाँघे अपनी फैला के उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर चढ़ते हुए बूआ से बोलीं,...
 

komaalrani

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मम्मी चढ़ी अपने नन्दोई पे

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फूफा जो अबतक मम्मी से कह रहे थे , आ मेरे लौंड़े पर बैठ जा,... माँ ने वही किया , पहले तो हल्का सा धक्का देकर, फूफा जी को गिरा दिया ,... फिर दोनों जाँघे अपनी फैला के उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर चढ़ते हुए बूआ से बोलीं,...

" अरे बिन्नो तू होली के दिन की गिना रही हो , यहाँ तो रोज पांच छह से कम नहीं,... और कई दिन मूड कर गया मामला जम गया तोसात आठ भी,... "

मम्मी ने धीरे धीरे कर के फूफा जी का पूरा मूसल घोंट लिया था पर कंट्रोल में वहीँ थीं , झुक के फूफा जी के दोनों हाथ उन्होंने कस के पकड़ रखे थे,


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पर अबकी मौसी जी ने बीच में सफाई मांग ली, वो इस समय फूफा जी के दोस्त का लंड अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूँची के बीच में लेकर अपनी चूँची से ही उन्हें चोद रही थीं,

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"पांच छ बार रोज,... " मौसी थोड़ा चौंकते बोलीं,...



" अरे नहीं पांच छ बार नहीं , ..पांच छ मर्द , लौंडे,... और तुम तो जानती हो कोई मरद एक बार चोदने के बाद बिना दुबारा चोदे तो छोड़ता नहीं,... और मैं तो कहती हूँ न तो चुदवाती हुयी लड़की को गिनना चाहिए , न चोदते हुए मरद को.,.. देखो मैं दो बात मानती हूँ चुदाई के बारे में ,...जबतक जोबन में रस है , जाँघों में ताकत है खूब जम के मजा लेना चाहिए ,... टाइम गया तो लौटता नहीं , दूसरी बात चुदाई में पूरा मैं समाजवाद मानती हूँ , रिश्ता, उमर, काम, पोस्ट जाति, धरम कुछ नहीं बस चोदने वाले का औजार मस्त होना चाहिए और कमर में औरत को झाड़ने की ताकत होनी चाहिए,..


मम्मी मौसी और बुआ से बोल रही थीं लेकिन साथ साथ फूफा जी के मोटे लंड पर चढ़ी उन्हें चोद भी रही थीं ,


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और चार पांच मरद, लौंडे तो कम से कम,... जिस दिन थोड़ा मूड गरम हो गया , मौज मस्ती का मन कर गया तो उस दिन छह सात से भी कबड्डी खेल लेती हूँ ,.. वो का कहते हैं वैरायटी,... अरे कउनो कम उम्र वाला , रेख आ रही हो नयी उमर की नयी फसल टाइप, अभी टनटनाना शुरू किया हो उसी के साथ तो दो चार खूब खेले खाए , एकाध पहलवान टाइप जो देह तोड़ के रख दें, ... अरे खाने में भी दो चार तरह की वैरायटी न हो तो कहाँ,... तो उस दिन दावत हो जाती है,...

मौसी अब फूफा जी के दोस्त का खूंटा मुंह में लेकर चूस रही थी और अपनी बहिन की, मम्मी की रसभरी बातें सुन रही थीं ,...

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फिर मम्मी ने धक्के लगाने शुरू किये , साफ़ लग रहा था की फूफा जी उनको नहीं वो फूफा जी को चोद रही हैं,... मैं सांस थामे देख रही थी,... दोनों हाथों से उन्होंने फूफा जी के दोनों हाथ कस के पकड़ रखे थे और सिर्फ अपनी कमर के जोर से क्या जबरदस्त धक्के लगा रही थीं,... फूफा जी का भी अच्छा खासा मोटा भी था और लम्बा भी,... कसरती देह, चौड़ा सीना, सीने पर काले काले घुँघराले बाल थोड़े से,... आठ दस धक्के जोर जोर से मार के मम्मी झुकीं और अपने बड़े बड़े जोबन फूफा जी के सीने पर रगड़ती बोलीं,

"मायके में बहुत अपनी बहिन महतारी के साथ होली खेले होंगे हचक हचक के चोद चोद के , आज कैसा लग रहा है ससुरारी में सलहज के साथ,... आज देखती हूँ तोहार महतारी कौन कौन दांव सिखायी हैं,... "
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और मम्मी ने स्टाइल बदल दी , बिना धक्के मारे, पूरा खूंटा फूफा जी का अंदर घोंटे वो सिर्फ आगे पीछे होके अपनी कमर के जोर से,... और अपनी बुर को कस कस के सिकोड़ के फूफा जी के लंड को निचोड़ रही थीं,...

और बुआ जी से बोलीं,

" नन्दोई तो हमरे जबरदस्त हैं, ... ऐसे चार पांच मर्द,... अरे उसमें कौन बात है , ... सबेरे का कहते है बेड टी, फिर भरपूर नाश्ता, दोपहर में खाना, शाम को फिर चाय नाश्ता , रात में खाना,... और बीच में कहीं ठेले पर चाट दिख गयी ,कहीं गन्ने का रस,... तो जब ऊपर वाला मुंह रोज पांच छह बार बदल बदल के स्वाद लेता है तो बेचारे नीचे वाले मुंह ने क्या गुनाह किया है, ... "

और उस के बाद मम्मी ने क्या तूफानी धक्के लगाने शुरू किये और अब नीचे से फूफा जी भी साथ दे रहे थे, ...
 

komaalrani

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पांच-छह

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" नन्दोई तो हमरे जबरदस्त हैं, ... ऐसे चार पांच मर्द,... अरे उसमें कौन बात है , ... सबेरे का कहते है बेड टी, फिर भरपूर नाश्ता, दोपहर में खाना, शाम को फिर चाय नाश्ता , रात में खाना,... और बीच में कहीं ठेले पर चाट दिख गयी ,कहीं गन्ने का रस,... तो जब ऊपर वाला मुंह रोज पांच छह बार बदल बदल के स्वाद लेता है तो बेचारे नीचे वाले मुंह ने क्या गुनाह किया है, ... "

मम्मी बोलीं और उस के बाद मम्मी ने क्या तूफानी धक्के लगाने शुरू किये और अब नीचे से फूफा जी भी साथ दे रहे थे, ...


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और मैं सोच रही थी , मम्मी की बात,.... रोज पांच छह, महीने में डेढ़ सौ नहीं तो सौ,...


फिर मेरे ध्यान में आया, रोज तो वो निकल जाती हैं , नाश्ता मेरे साथ करती हैं लेकिन उसके बाद,... कई बार मेरे स्कूल जाने के साथ साथ तो कई बार उसके पहले भी ,...और आती भी लेट ही हैं ,


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जिस दिन समुआ ने मेरी फाड़ी थी , मुझसे चला नहीं जा रहा था , ऊपर से डर की कहीं मम्मी न मिल जाएँ ,... पर वो,... उस दिन तो रात होने के बाद ही आयीं,... अक्सर तो किसी न किसी की जीप आती है , कभी ब्लाक प्रमुख तो कभी बी डी ओ,... और कई बार शहर में मीटिंग तो , जब संदीपवा था तब तो दो दिन के लिए शहर में किसी मीटिंग में,..फिर मुझे अब समझ में आया मेरा ऊपर वाला कमरा और संदीप भैया को भी ऊपर वाले कमरे में,...

रोज देर से ही उठती हैं , तभी तो जुगनू जब गाय दुहने आता है सुबह भिन्सारे तो रोज बिना नागा मुझे भी दुह के चला जाता है,...

तो क्या पता रात में भी, ...अक्सर तो कहाईन भौजी आती हैं उनका पैर दबाने, सोने के पहले,... तो,..


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तभी कुछ सीन बदला, फूफा जी ने मम्मी को खींच के अपने सीने से चिपका लिया, और दोनों टाँगे उनकी पीठ पर बाँध दी,... और फूफा जी का दोस्त , मम्मी के पिछवाड़े,... उनका, और अपने हाथ से , बूआ का तो देवर ही लगेगा , उसका खूंटा मम्मी के पीछे सटा दिया और क्या जबरदस्त धक्का मारा उसने एक धक्के में पूरा मोटा सुपाड़ा मम्मी के पिछवाड़े , मेरा तो देख के दिल दहल गया,...


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पर मम्मी ने मौसी को कुछ इशारा किया ,...

और मौसी ने जबरदस्ती पूरी ताकत से बुआ जी को निहुरा दिया और अब मौसा जी ने सीधे बुआ की गाँड़ में अपना लंड,..

बुआ जो चीखीं तो मौसी ने उनका सर खिंच के अपनी बुर में चिपका दिया,... और बोलीं , अरे हमरे मरद भी तो तोहरे भैया ही लगेंगे,... उनसे मजा ले रही हो तो हमको भी चूस चूस के ,...

फूफा जी के दोस्त मम्मी के पिछवाड़े पूरी स्पीड से तो

मौसा जी बुआ की गाँड़ मारने में,...



मैं छेद से आँख चिपकाए होली की मस्ती देख रही थी।

गुलबिया खड़ी थी सीढ़ी के पास , उसने मुझे खींच लिया अपने पास और कसकर भींचते मेरे कान में फुसफुसा के बोला

“ये तेरी ऐसी बच्चियों के देखने के लिए नहीं है …”

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फिर मुझे सीढ़ी पर आलमोस्ट खींचते हुए ऊपर ले जाते बोली

“अरे तोहार महतारी हमें समझाए रहीं , दस बार बोली होंगी, जैसे तुम आओ सीधे ऊपर, और तोहार खाना भी हम ऊपर तोहरे कमरे में रख दिए हैं …”
 

malikarman

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" नन्दोई तो हमरे जबरदस्त हैं, ... ऐसे चार पांच मर्द,... अरे उसमें कौन बात है , ... सबेरे का कहते है बेड टी, फिर भरपूर नाश्ता, दोपहर में खाना, शाम को फिर चाय नाश्ता , रात में खाना,... और बीच में कहीं ठेले पर चाट दिख गयी ,कहीं गन्ने का रस,... तो जब ऊपर वाला मुंह रोज पांच छह बार बदल बदल के स्वाद लेता है तो बेचारे नीचे वाले मुंह ने क्या गुनाह किया है, ... "

मम्मी बोलीं और उस के बाद मम्मी ने क्या तूफानी धक्के लगाने शुरू किये और अब नीचे से फूफा जी भी साथ दे रहे थे, ...


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और मैं सोच रही थी , मम्मी की बात,.... रोज पांच छह, महीने में डेढ़ सौ नहीं तो सौ,...


फिर मेरे ध्यान में आया, रोज तो वो निकल जाती हैं , नाश्ता मेरे साथ करती हैं लेकिन उसके बाद,... कई बार मेरे स्कूल जाने के साथ साथ तो कई बार उसके पहले भी ,...और आती भी लेट ही हैं ,


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जिस दिन समुआ ने मेरी फाड़ी थी , मुझसे चला नहीं जा रहा था , ऊपर से डर की कहीं मम्मी न मिल जाएँ ,... पर वो,... उस दिन तो रात होने के बाद ही आयीं,... अक्सर तो किसी न किसी की जीप आती है , कभी ब्लाक प्रमुख तो कभी बी डी ओ,... और कई बार शहर में मीटिंग तो , जब संदीपवा था तब तो दो दिन के लिए शहर में किसी मीटिंग में,..फिर मुझे अब समझ में आया मेरा ऊपर वाला कमरा और संदीप भैया को भी ऊपर वाले कमरे में,...

रोज देर से ही उठती हैं , तभी तो जुगनू जब गाय दुहने आता है सुबह भिन्सारे तो रोज बिना नागा मुझे भी दुह के चला जाता है,...

तो क्या पता रात में भी, ...अक्सर तो कहाईन भौजी आती हैं उनका पैर दबाने, सोने के पहले,... तो,..


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तभी कुछ सीन बदला, फूफा जी ने मम्मी को खींच के अपने सीने से चिपका लिया, और दोनों टाँगे उनकी पीठ पर बाँध दी,... और फूफा जी का दोस्त , मम्मी के पिछवाड़े,... उनका, और अपने हाथ से , बूआ का तो देवर ही लगेगा , उसका खूंटा मम्मी के पीछे सटा दिया और क्या जबरदस्त धक्का मारा उसने एक धक्के में पूरा मोटा सुपाड़ा मम्मी के पिछवाड़े , मेरा तो देख के दिल दहल गया,...


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पर मम्मी ने मौसी को कुछ इशारा किया ,...

और मौसी ने जबरदस्ती पूरी ताकत से बुआ जी को निहुरा दिया और अब मौसा जी ने सीधे बुआ की गाँड़ में अपना लंड,..

बुआ जो चीखीं तो मौसी ने उनका सर खिंच के अपनी बुर में चिपका दिया,... और बोलीं , अरे हमरे मरद भी तो तोहरे भैया ही लगेंगे,... उनसे मजा ले रही हो तो हमको भी चूस चूस के ,...

फूफा जी के दोस्त मम्मी के पिछवाड़े पूरी स्पीड से तो

मौसा जी बुआ की गाँड़ मारने में,...



मैं छेद से आँख चिपकाए होली की मस्ती देख रही थी।

गुलबिया खड़ी थी सीढ़ी के पास , उसने मुझे खींच लिया अपने पास और कसकर भींचते मेरे कान में फुसफुसा के बोला

“ये तेरी ऐसी बच्चियों के देखने के लिए नहीं है …”

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फिर मुझे सीढ़ी पर आलमोस्ट खींचते हुए ऊपर ले जाते बोली

“अरे तोहार महतारी हमें समझाए रहीं , दस बार बोली होंगी, जैसे तुम आओ सीधे ऊपर, और तोहार खाना भी हम ऊपर तोहरे कमरे में रख दिए हैं …”
Maza aa gya
 

snidgha12

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दो बातें चुदाई के बारे में ,...

एक - जबतक जोबन में रस है , जाँघों में ताकत है खूब जम के मजा लेना चाहिए ,... टाइम गया तो लौटता नहीं ,

दूसरी बात चुदाई में पूरा मैं समाजवाद मानती हूँ , रिश्ता, उमर, काम, पोस्ट जाति, धरम कुछ नहीं बस चोदने वाले का औजार मस्त होना चाहिए और कमर में औरत को झाड़ने की ताकत होनी चाहिए,..



अद्भुत ज्ञान का सागर हमरी कोमल जिज्जी
 
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komaalrani

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, सोलहवां सावन , होली के रंग

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दूसरी बात चुदाई में पूरा मैं समाजवाद मानती हूँ , रिश्ता, उमर, काम, पोस्ट जाति, धरम कुछ नहीं बस चोदने वाले का औजार मस्त होना चाहिए और कमर में औरत को झाड़ने की ताकत होनी चाहिए,..



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