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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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जोरू का गुलाम भाग १५४

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?



तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।

और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,

लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,



ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,



चंपा बाई की शकल ,...





भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,...



गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,



दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,



और चंपा बाई भी एकदम उसी तरह ,

वही चम्पई रंग , वही जोबन , .... और बही मर्दों को ललचाने वाला रंग ढंग , आँचल दोनों को उस ३६ डी डी डी ( या शायद ३८ ) साइज के उभारों से छलकता रहता।
खूब लो कट ब्लाउज से गहराइयाँ झलकती छलकती रहतीं





और डेढ़ महीने मुश्किल से हुए होंगे ,उनकी बर्थडे पर ,

सुबह मम्मी का फोन बल्कि स्काइप पर वो आयीं और एकलौते दामाद की बर्थडे हो और सोहर न हो ,



और उसके पहले अपनी समधन की खूब रगड़ाई भी

कैसा है बर्थडे ब्वॉय ,मेरा मुन्ना ,… " मम्मी पूरे रंग में थीं।



" अरे मम्मी , बिचारे नाड़ा नहीं बाँध पा रहे हैं। अपनी माँ बहनों का नाड़ा खोल खोल कर बचपन से नाड़ा खोलने की तो प्रैक्टिस हो गयी लेकिन आपकी समधन ने उन्हें नाड़ा बंद करना सिखाया ही नहीं ".

मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोया।



मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं

" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "

फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,
" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहीं बिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न।


सारे अनुमान धरे के धरे रह गए....
लेकिन चंपा के लिए ढाई-ढाई किलो के दो जोबन वाली मैचिंग....

बहुत खूब....
आखिर मुन्ना जिस से रास्ते होता हुआ निकला था... उसी रास्ते को ट्रेस करता हुआ अपने उद्गम स्थल पर पहुँचेगा...😉😉😉😉👌👌👌👌
 

motaalund

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मेरी मम्मी की समधन



मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं



" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "

फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,


" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहीं बिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न।
अच्छा बस एक बात बताओ , जब मेरी समधन का नाड़ा खुला था , खुला तो अक्सर ही रहता है , तो तूने उनकी बुलबुल तो देखी होगी न , कैसे लाल लाल चोंच चियारे रहती है ,चारा खाने के लिए। बोल न।"




मैं जोर जोर से खिलखिलाने लगी और उनको कुहनी मार के बोला ,

" अरे मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोल न। क्या लौंडियों की तरह शर्मा रहे हो , आखिर तेरे मातृभूमि के बारे में पूछ रही हैं। तुम्हे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है क्या , और फिर आज तेरी बर्थडे है , तो जहाँ से निकले थे , उसे याद करने का , देखा तो होगा , बताओ न मम्मी को , … मेरी सास की चिरैया के बारे में , कैसी है ,"



मम्मी भी उस हमले में शामिल हो गयीं ,
"अरे मेरी बिटिया सही तो कह रही है , सोच न आखिर मेरी समधन ने न जाने कितनो से अपने गद्दर जोबन मिजवाये होंगे , कितनो के पास जाके चुदवाया होगा , फिर वो गाभिन हुयी होंगी , फिर उनकी चूत से तू निकला होगा , इसमें शरमाने की क्या बात हैं।

तो आज तो उस मातृभूमि को याद करने का दिन है न जिसमें कितनो का लंड गया होगा , किसी की सफल चुदाई के बाद उनकी चूत से तू निकला होगा , और मातृभूमि क्या साफ साफ क्यों नहीं बोलती उस पंचभतारी ,छिनार के पूत से अपनी माँ के बुर ,… "

मम्मी अब एकदम फुल स्पीड में चालू हो गयी थीं।
वह जोर जोर से ब्लश कर रहे थे , लेकिन मुझे पता था की उन्हें कितना मजा आ रहा है।

" अरे क्यों लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो , मम्मी सच तो कह रही हैं , बोलो न खुल के ,मम्मी की बात का जवाब दो न "मैंने उन्हें छेड़ा।



" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा ,

इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,

" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
हाँ... ये सही है..
चढ़ाई के पहले सारी शरम निकाल देनी होगी... बल्कि शरम को माँ की भोंसड़े में डालनी होगी...
नहीं तो ऐन मौके पर ... शरम के कारण सारा गुड़ गोबर हो जाएगा...
 

motaalund

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बर्थडे ब्वाय, और उनकी माँ



इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,

" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "



गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों , बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "

मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,

एक ट्रेडिशनल सोहर उन्होंने मौके के हिसाब से बदल के ,इनकी माँ ,अपनी समधन को लगा के ,...


दिल खोल के मांगो समधन , दिल खोल के मांगो

अरे सैंया मत मांगो समधन , अरे सैंया मत मांगो समधन , सेज का सिंगार से।

सैंया के बदले, अरे सैंया के बदले दमाद को दूंगी , अरे दमाद को दूंगी ,


चोदी अरे चोदी चूत तोहार , अरे चोदी भोंसड़ा तोहार रे ,


और फिर एक बार फिर मैं और मम्मी खिलखिला के हँसे पड़े , मैंने माम से कहा ,

" मम्मी आपने तो इन्ही को चढ़ा दिया , मेरी सास के ऊपर। "


" और क्या ,पूरे गाँव देहात को बाँटती रहती हैं ,समधन जी और मेरा मुन्ना बिचारा भूखा प्यास मुंह देखता रहता है , अच्छी बात है क्या। फिर उनको भी तो मजा आएगा एक जवान मर्द चढ़ के हचक हचक के , दोनों जुबना पकड़ पकड़ के , ....

फिर मम्मी ने सवाल का रुख उनकी ओर किया ,

" क्यों मुन्ना लेगा न मेरी समधन की ,दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी। "



और जवाब उनके बदले मैंने दिया। आखिर सब पावर आफ अटार्नी , उन्होंने लिख दी थी मेरे नाम।
" अरे मम्मी आप की कोई बात आज तक टाली है उन्होंने जो ये टालेंगे , एकदम।

फिर तो मम्मी एकदम पीछे , मेरी सास का नाम लगा के एक से एक गारियाँ

उनकी हालत खराब थी ,लेकिन मम्मी इत्ती आसानी से छोड़नी वाली नहीं थी और हम दोनों ने , हम दोनों का ज्वाइंट 'भजन' शुरू हुआ ,


गंगा जी तुम्हरा भला करे , गंगा जी तुम्हरा भला करे ,गंगा जी।

तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,

पोखरवा जैसी , तालवा जैसे ,गढ़हिया जैसी ,
ओहमें ९०० गुंडे नहाया करे , डुबकी लगाया करें ,
गंगा जी

तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
बटुलिया जैसी , पतिलवा जैसी जिसमें ९ मन चावल पका करे

गंगा जी …



फिर मैंने एक शुरू किया , मम्मी का फेवरिट ,



हमरी सासु जी की बिलिया में क्या क्या अमाये,क्या क्या समाये ,
मुन्ने की अम्मा की बुरिया में क्या क्या जाए , क्या समाये।
गदहा जाए ,घोड़ा जाए ,ऊंट बिचारा गोता खाए ,
मुन्ने के मामा जांय ,कमर पकड़ के धक्का लगाएं



मुझसे ज्यादा जोश से मम्मी उन्हें छेड़ छेड़ के गा रही थीं ,
और मैंने उन्हें और चिढ़ाया ,

" क्या मम्मी इनके मामा भी मेरी सासु के साथ ,… "



मम्मी ने मेरी बात अनसुनी करते हुएजैसे वो कुछ सोच रहीं हों , फिर अचानक बोली ,

" वो जो इसकी ममेरी बहन आई थी ,मस्त माल , जिसके टिकोरे देख के सारे लौंडे दीवाने हो रहे थे ,क्या नाम था उसका ,?"

मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ," मम्मी ,गुड्डी। "

" गुड्डी , हाँ वही " ,मम्मी ने बात जारी रखी " तभी मैं कहूँ , उस छिनार से इनकी शक्ल क्यों मिलती है। तेरे मामा और समधन का , पुराना चक्कर होगा बचपन से फँसी होंगी इसलिए। तभी तेरी और गुड्डी की शकल , इतनी मिलती है। "
इतने दिन सास आपके यहाँ रहेंगी...
तो सिर्फ भोंसड़े की हीं प्लानिंग है या फिर गद्देदार गांड़ की भी बारी आएगी....

गुड्डी की शक्ल इतनी मिलती है तो दोनों के पिता एक हीं हुए....
तो फिर तो मामा की मुलगी के साथ-साथ पापा की मुलगी भी..
 

motaalund

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इनकी माँ, बहन


और मैंने उन्हें और चिढ़ाया ,

" क्या मम्मी, इनके मामा भी मेरी सासु के साथ ,… "

मम्मी ने मेरी बात अनसुनी करते हुएजैसे वो कुछ सोच रहीं हों , फिर अचानक बोली ,
" वो जो इसकी ममेरी बहन आई थी ,मस्त माल , जिसके टिकोरे देख के सारे लौंडे दीवाने हो रहे थे ,क्या नाम था उसका ,?"


मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ," मम्मी ,गुड्डी। "

" गुड्डी , हाँ वही " ,मम्मी ने बात जारी रखी " तभी मैं कहूँ , उस छिनार से इनकी शक्ल क्यों मिलती है। तेरे मामा और समधन का , पुराना चक्कर होगा बचपन से फँसी होंगी इसलिए। तभी तेरी और गुड्डी की शकल , इतनी मिलती है। "
फिर मम्मी कुछ रुक के सीरियसली बोलीं ,

" सुन उस ने तेरी माँ चोद दी , तू उसकी बेटी चोद दे हिसाब बराबर। "





खिलखलाते मेरी हालत खराब हो गयी , मैंने किसी तरह हंसी रोक के बोला ,
" मम्मी ये तो आपने इनके मुंह की बात छीन ली। ये तो खुद उसे चोदना चाहते ,… "

मेरी बात काटके मम्मी तुरंत अपने दामाद की ओर से बोलीं ,
" तो क्या गलत चाहता है , बिचारा मेरा दामाद। वो तेरी ननद खुद हाथ में लेके टहल रही है ,तो बिचारे मेरे सीधे साधे दामाद को क्यों दोष देती है। "

कुछ देर रुक कर फिर उन्होंने रुख उनकी ओर मोड़ दिया , ' तेरे घर में दो दो माल ,एक कच्ची कली और एक भोसड़े वाली , तो भी तुम भूखे प्यासे , इतने दिन तक, अभी भी ज्यादा बिगड़ा नहीं ,है चढ़ जाओ। "

" अरे मामा की मुलगी ,.... तो चलता है यार। " मैंने भी तड़का लगाया।

मम्मी की बातों का पता नहीं चलता उन्होंने तुरंत पैतरा बदल के दूसरा मोर्चा खोला , उनका फेवरिट, उनकी समधन।

" सुन तू सुबह ,समधन के मस्त जोबन के बारे में बात कर रहा था , बोल क्या साइज होगी , उनकी। ये मत कहना की देखा नहीं। कभी तो रगड़वाते ,मिजवाते ,दबवाते तो देखा होगा , इत्ते तो यारों की लाइन लगी रही है , दूधवाला , धोबी , … "
मैंने भी मम्मी की हाँ में हाँ मिलायी।

"मम्मी,सच तो कह रही हैं ,बोलो न क्या साइज होगी , नहीं पकड़ा होगा तो अंदाज से बोल न " और पूछा।



बिचारे , सिर्पफ ब्लश कर रहे थे

लेकिन आग मैंने ही लगाई ,मैंने मम्मी से कहा

" मम्मी , आज जाने से पहले इस बर्थडे ब्वॉय की बर्थडे विश तो ग्रांट कर दीजिये। "
मम्मी की आँखे एकदम चमक गयीं ,"हाँ बोल न , क्या है मेरे मुन्ने की बर्थडे विश "

वो एकदम कन्फ्यूज ,वो मेरी ओर आँखे फाड़ के देख रहे थे। उन्हें कुछ नहीं समझ में आ रहा था ,

और मैंने मॉम से अर्जी लगा दी ,

" सिम्पल ,मम्मी। बर्थ डे के दिन दिन उनकी सिम्पल विश है। बस जिस भोसड़े से आज के दिन निकले थे ,उसी भोंसड़े में जाना चाहते हैं। "



मम्मी ने बहुत प्यार से उनकी ओर देखा और एवमस्तु की मुद्रा में हाथ उठा दिए।

फिर मुस्करा के बोलीं , " अरे इतनी सिंपल सी बात , अभी मैं समधन को फोन लगाती हूँ , साफ साफ कहती हूँ ,मेरा दामाद , … "

उनकी तो एकदम फट के , लेकिन मैं आगयी मैदान में और बोली ,

" अरे नहीं मम्मी , बिना आपके कैसे , आप कुछ कर के , .... "

" चल तुझे बना दूंगीं , मादरचोद। बहुत जल्दी। तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है अब सब मेरी जिम्मेदारी , हाँ और अब तू ऐन मौके में मना मत करना , और फिर रुख मेरी ओर मोड़ दिया

" चल तू इसे जल्दी से पहले बहनचोद बना और फिर मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी , महीने दो महीने के अंदर "



और स्काइप से वो फुर्र हो गयीं।

उनका खड़ा खूंटा ,मम्मी के बातों की हामी भर रहा था।

उन के बहुत कहने पर तो मम्मी एकदम उनके पीछे पड़ गयीं , हर बार उन्हें उकसाती अपनी समधन के बारे में , उन्हें मादरचोद कह के बुलाती और रोज रोज दो चार माँ बेटे की चुदाई वाली कहानिया रोज उन्हें होम वर्क के तौर पर मिलतीं ,यहां तक की आने के पहले भी उन्होंने दस बार उनसे कबुलवाया की वो मम्मी की समधन के ऊपर चढ़ाई करेंगे।

………………………

और आने के बाद ,
आपकी मम्मी बहुत प्यारी हैं....
और दामाद का पूरा ख्याल रखती हैं.....

साथ हीं साथ होम-वर्क के साथ मिमिक्री से पूरा प्रैक्टिकल भी करवा दिया...
अब इम्तिहान में कितने नंबर मिलेंगे... इसकी बारी है.....
 

motaalund

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मिशन मम्मी- समधन पर दामाद





" चल तुझे बना दूंगीं , मादरचोद। बहुत जल्दी। तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है अब सब मेरी जिम्मेदारी , हाँ और अब तू ऐन मौके में मना मत करना , और फिर रुख मेरी ओर मोड़ दिया

" चल तू इसे जल्दी से पहले बहनचोद बना और फिर मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी , महीने दो महीने के अंदर "

और स्काइप से वो फुर्र हो गयीं।
उनका खड़ा खूंटा ,मम्मी के बातों की हामी भर रहा था।

उन के बहुत कहने पर तो मम्मी एकदम उनके पीछे पड़ गयीं , हर बार उन्हें उकसाती अपनी समधन के बारे में , उन्हें मादरचोद कह के बुलाती और रोज रोज दो चार माँ बेटे की चुदाई वाली कहानिया रोज उन्हें होम वर्क के तौर पर मिलतीं ,यहां तक की आने के पहले भी उन्होंने दस बार उनसे कबुलवाया की वो मम्मी की समधन के ऊपर चढ़ाई करेंगे।

………………………

और आने के बाद ,

लेकिन मम्मी को क्यों दोष दूँ मैं ,मेरी सास से उनका कुछ रिश्ता ही था ऐसा , ...रोज ब्रेकफाट पर आधे घंटे एकदम खुल के ऐसे बात होती की मस्तराम मात ,और वो भी स्पीकर फोन आन इनके सामने।

पर सब सीमाएं टूटीं ,जब एक रात इनकी सास मेरी सास बनकर , ...

उसके पहले मेरी मम्मी ने उन्हें टास्क दिया था की मेरी सास का नाम ले कर वो १०० की गिनती तक मुठ मारें




उस दिन दोपहर को दोनों समधिनों की बात हुयी थी और इनकी सास ने मेरी सास और इनके बारे में वो वो बातें पता की थीं , और सब रोल प्ले में इस्तेमाल हुयी ,मम्मी मेरी मिमिक भी थीं फर्स्ट क्लास की ,इसलिए एकदम मेरी सास की आवाज में

मम्मी ने उनसे सब कुछ उगलवा लिया , सब कुछ कबुलवाया।
और सब सोलहो आने सच

उनके मन की गांठे एक के बाद एक मम्मी ने खोल दी



वो मेरी सास बनी अपनी सास की रसमलाई चूस रहे थे और




वो एकदम मेरी सास की तरह उनकी बचपन की बातें याद दिला रही थीं ,



"अरे शुरू से जब तेरी नूनी थी ,खोल खोल के मैं बिना नागा कड़वा तेल लगाती थी,..अरे जब तुम थोड़े बड़े होगये थे मुन्ना ,स्कूल जाने लगे थे ,तब भी याद है तू कितना चिढ़ता था ,शरमाता झिझकता था , तब भी ,तुझे लिटा के ,अपनी जाँघों के नीचे जबरदस्ती दबा के , याद है मुन्ना , तेरी निकल सरका के , खोल के ,कडुवा तेल , ... "




और एक बार तेरी बुआ , अरे तुझसे ६-७ साल ही तो बड़ी है वो उस समय शायद दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ती थी , कच्चे कच्चे टिकोरे आगये थे ,हो गए थे मिजवाने लायक,



वो आ गयी उसी समय और मुझे तेरे तेल लगाते देख के चिढा के बोली की भौजी इतना तेल लगा रही हो की एकदम मस्त कड़क मोटा हथियार हो मेरे भतीजे का ,इसे अंदर लेने का इरादा है क्या। याद है तुझे ,मैंने पलट के तेरी बुआ को बोला था ,

"अरे तो उसमें गड़बड़ क्या है , मेरा प्यारा प्यारा मुन्ना है मैं चाहे जो करूँ , और सुन तेरा मन है तो तू ही नेवान कर लेना। बुआ भतीजे का तो खुल्लम खुल्ला चलता है। "


अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,

" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।


लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,

" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , " झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।

" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें , " रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "

मेरी सास बनी उनकी सास ने हड़काया जोर से ,

वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,... अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ... गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।



मम्मी एकदम मेरी सास के अंदाज में उन्ही की आवाज में , हल्की सी हस्की,

" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "



" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "

और वो भी लग रहा था मेरी सास से बातें कर रहे थे , थोड़े हिचकचाते लेकिन धीरे धीरे खुलते,

" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी। वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।




और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "

वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,


' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है। और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "



उन्होंने लेकिन पूछ लिया , " आप को ,... आप कैसे देखती थीं ,.. "

और मेरी सास बनी उनकी सास ने सच उगल दिया ,


" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से, ...




बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । " हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,

" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।

" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।

" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "

" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।






ये सब बात मम्मी ने अपनी समधन से उस दिन दोपहर में पूछ ली थी ,

और मम्मी को आसानी होगयी मेरी सास बन कर उनसे उनकी चढ़ती जवानी की बातें उगलवाने में



और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,



--------------------



और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,

और अब बस अगले शुक्रवार को वो अपनी समधन को लेकर आ रही थीं दोपहर के पहले और उसी रात , अपने दामाद को मादरचोद बनाने का प्रोग्राम उनका पक्का था।और मम्मी की समधन ,मेरी सास भी तो,... इनके मायके से चलने से पहले ,
मेरी सास ने अपना इरादा मुझे और इनको साफ़ साफ़ बता दिया। इनसे बोलीं वो ,

" मुझे मालूम है की तुमने अपनी सास की 'कैसी ,कितनी बार ,किस तरह की सेवा ' की। आ रही हूँ मैं तेरे पास शुक्रवार को , दोपहर को ही पहुँच जाउंगी। बस समझ ले अब तुझे बहू की सास की उससे भी ज्यादा सेवा करनी होगी , कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरी समधन भी साथ होंगी ,नहीं करेगा तो जबरदस्ती ,.. "



मैं सोच सोच के मुस्करा रही थी , अब इन्हे मादरचोद बनने से कोई नहीं बचा सकता। इनकी बर्थडे को जो विश मैंने इनकी ओर से , इनकी सास से की थी , ये जिस भोंसडे से निकले हैं ,उसी भोंसडे में घुसने की , ... अब एकदम पूरी होगी।




मादरचोद

...


मैं रियर व्यू मिरर में देख रही थी ,इनकी ममेरी बहन इनकी गोद में उसका स्कूल का ब्लाउज उठा हुआ , और ये ब्रा के ऊपर से उसकी कच्ची अमिया कुतरते हुए ,...स्साली की कच्ची अमिया थीं भी जबरदस्त ,..


मुझसे रहा नहीं गया ,मैंने अपनी ननद को छेड़ा ,
" गुड्डी यार तेरे भैया तुझसे ज्यादा तेरी ब्रा को प्यार करते हैं , देख उसे चूम चाट रहे हैं और अंदर तेरे टिकोरे बिचारे मचल रहे हैं। "


मेरे साजन के लिए इतना इशारा बहुत था ,उस टीनेजर की फ्रंट ओपन ब्रा खोलने का , ब्रा उतरी ,मैंने पीछे हाथ किया और और गुड्डी रानी की ब्रा मेरी मुट्ठी में।
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी....
लेकिन छुप-छुप कर एक दूसरे का मजा ले रहे थे...

अब तो एकदम खुल्लम-खुल्ला होगा....
पहले गुड्डी फिर....
लेकिन छह साल बड़ी बुआ बच गई... अभी तो वो भी गदराई हुई होगी.... तीस के नीचे-नीचे...
तो बुआ का सोहर तो आपके साजन के साथ बनता है... आखिर पहली माल जो थी आपके साजन के जिंदगी की....
 

motaalund

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Veri nice apdate waiting for next
कोमल रानी... हर बार कहानी को इस मोड़ पर लाकर छोडती हैं कि सारे लोग बेसब्री से अगले अपडेट का इंतजार करते रहते हैं.....
 

motaalund

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उनकी बचपन की साध थी, और मेरी सास की भी, अब उनकी सास की भी,.... मैं तो सिर्फ कैमरावोमेन रहूंगी, वीडियो स्टिल सब, और सहायक कलाकार होंगी मंजू और गीता, हाँ जब वो दास्तान लिखूंगी तो पिक्स और जी आई ऍफ़ तो चाहिए रहेगी न ताकि सनद रहे मेरी सास और उनके बेटे की, और वक्त बेवक्त काम आये, लेकिन उसके पहले, सबसे पहले नंबर लगेगा कुँवारी कच्ची कोरी बहिनिया का, जिसे मैं कितनी जुगत लगा के जेठानी के पंजे से छुड़ा के ले जा रही हूँ,... जिसकी कच्ची अमिया कार की पिछली सीट पे कुतरने के लिए ये बेचैन हो रहें हों,... एक बार पहुँचने की देर है , बस बनेगी रखैल और गीता भी इन्तजार में है उसकी ' असली कोचिंग ' करवाने के लिए, आखिर कच्चे टिकोरों शौक़ीन तो हम सब हैं,...
अब तो आप दोनों के सौजन्य से बचपन की ये साध तो जरुर पूरी होगी....
और क्या जुगाड़ लगाया है....
बहिनी के बाद मम्मी भी......
 

motaalund

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ekdam bata to diya, is part ke shuru men hi


जोरू का गुलाम भाग १५४

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?

भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,..

गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,
दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,
आपका भी जवाब नहीं....
क्या खुलासा किया है...

अब आगे भी एकदम खोल के...
लेकिन वहाँ पर तो गुड्डी, सास, मिसेज मोइत्रा, उसकी दोनों कलियां , गीता, मंजू.. और बहुत सारी खुल के देने के लिए तैयार हैं....
और कुछ मिडल मैनेजमेंट के भी जिन्होंने आपका साथ नहीं दिया था....
 

motaalund

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ekdam sahi kaha aapne kink ki queen hain dono Maan Beti aur Beti maan se bhi badhakar
और इनकी जुगलबंदी का तो कहना हीं क्या...
दोनों मिलके निचोड़ लेती हैं....
लेकिन आपके साजन के हथियार के सामने पस्त होकर....
 
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