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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Maza

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मिशन मम्मी- समधन पर दामाद





" चल तुझे बना दूंगीं , मादरचोद। बहुत जल्दी। तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है अब सब मेरी जिम्मेदारी , हाँ और अब तू ऐन मौके में मना मत करना , और फिर रुख मेरी ओर मोड़ दिया

" चल तू इसे जल्दी से पहले बहनचोद बना और फिर मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी , महीने दो महीने के अंदर "

और स्काइप से वो फुर्र हो गयीं।
उनका खड़ा खूंटा ,मम्मी के बातों की हामी भर रहा था।

उन के बहुत कहने पर तो मम्मी एकदम उनके पीछे पड़ गयीं , हर बार उन्हें उकसाती अपनी समधन के बारे में , उन्हें मादरचोद कह के बुलाती और रोज रोज दो चार माँ बेटे की चुदाई वाली कहानिया रोज उन्हें होम वर्क के तौर पर मिलतीं ,यहां तक की आने के पहले भी उन्होंने दस बार उनसे कबुलवाया की वो मम्मी की समधन के ऊपर चढ़ाई करेंगे।

………………………

और आने के बाद ,

लेकिन मम्मी को क्यों दोष दूँ मैं ,मेरी सास से उनका कुछ रिश्ता ही था ऐसा , ...रोज ब्रेकफाट पर आधे घंटे एकदम खुल के ऐसे बात होती की मस्तराम मात ,और वो भी स्पीकर फोन आन इनके सामने।

पर सब सीमाएं टूटीं ,जब एक रात इनकी सास मेरी सास बनकर , ...

उसके पहले मेरी मम्मी ने उन्हें टास्क दिया था की मेरी सास का नाम ले कर वो १०० की गिनती तक मुठ मारें




उस दिन दोपहर को दोनों समधिनों की बात हुयी थी और इनकी सास ने मेरी सास और इनके बारे में वो वो बातें पता की थीं , और सब रोल प्ले में इस्तेमाल हुयी ,मम्मी मेरी मिमिक भी थीं फर्स्ट क्लास की ,इसलिए एकदम मेरी सास की आवाज में

मम्मी ने उनसे सब कुछ उगलवा लिया , सब कुछ कबुलवाया।
और सब सोलहो आने सच

उनके मन की गांठे एक के बाद एक मम्मी ने खोल दी



वो मेरी सास बनी अपनी सास की रसमलाई चूस रहे थे और




वो एकदम मेरी सास की तरह उनकी बचपन की बातें याद दिला रही थीं ,



"अरे शुरू से जब तेरी नूनी थी ,खोल खोल के मैं बिना नागा कड़वा तेल लगाती थी,..अरे जब तुम थोड़े बड़े होगये थे मुन्ना ,स्कूल जाने लगे थे ,तब भी याद है तू कितना चिढ़ता था ,शरमाता झिझकता था , तब भी ,तुझे लिटा के ,अपनी जाँघों के नीचे जबरदस्ती दबा के , याद है मुन्ना , तेरी निकल सरका के , खोल के ,कडुवा तेल , ... "




और एक बार तेरी बुआ , अरे तुझसे ६-७ साल ही तो बड़ी है वो उस समय शायद दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ती थी , कच्चे कच्चे टिकोरे आगये थे ,हो गए थे मिजवाने लायक,



वो आ गयी उसी समय और मुझे तेरे तेल लगाते देख के चिढा के बोली की भौजी इतना तेल लगा रही हो की एकदम मस्त कड़क मोटा हथियार हो मेरे भतीजे का ,इसे अंदर लेने का इरादा है क्या। याद है तुझे ,मैंने पलट के तेरी बुआ को बोला था ,

"अरे तो उसमें गड़बड़ क्या है , मेरा प्यारा प्यारा मुन्ना है मैं चाहे जो करूँ , और सुन तेरा मन है तो तू ही नेवान कर लेना। बुआ भतीजे का तो खुल्लम खुल्ला चलता है। "


अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,

" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।


लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,

" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , " झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।

" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें , " रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "

मेरी सास बनी उनकी सास ने हड़काया जोर से ,

वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,... अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ... गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।



मम्मी एकदम मेरी सास के अंदाज में उन्ही की आवाज में , हल्की सी हस्की,

" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "



" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "

और वो भी लग रहा था मेरी सास से बातें कर रहे थे , थोड़े हिचकचाते लेकिन धीरे धीरे खुलते,

" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी। वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।




और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "

वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,


' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है। और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "



उन्होंने लेकिन पूछ लिया , " आप को ,... आप कैसे देखती थीं ,.. "

और मेरी सास बनी उनकी सास ने सच उगल दिया ,


" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से, ...




बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । " हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,

" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।

" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।

" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "

" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।






ये सब बात मम्मी ने अपनी समधन से उस दिन दोपहर में पूछ ली थी ,

और मम्मी को आसानी होगयी मेरी सास बन कर उनसे उनकी चढ़ती जवानी की बातें उगलवाने में



और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,



--------------------



और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,

और अब बस अगले शुक्रवार को वो अपनी समधन को लेकर आ रही थीं दोपहर के पहले और उसी रात , अपने दामाद को मादरचोद बनाने का प्रोग्राम उनका पक्का था।और मम्मी की समधन ,मेरी सास भी तो,... इनके मायके से चलने से पहले ,
मेरी सास ने अपना इरादा मुझे और इनको साफ़ साफ़ बता दिया। इनसे बोलीं वो ,

" मुझे मालूम है की तुमने अपनी सास की 'कैसी ,कितनी बार ,किस तरह की सेवा ' की। आ रही हूँ मैं तेरे पास शुक्रवार को , दोपहर को ही पहुँच जाउंगी। बस समझ ले अब तुझे बहू की सास की उससे भी ज्यादा सेवा करनी होगी , कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरी समधन भी साथ होंगी ,नहीं करेगा तो जबरदस्ती ,.. "



मैं सोच सोच के मुस्करा रही थी , अब इन्हे मादरचोद बनने से कोई नहीं बचा सकता। इनकी बर्थडे को जो विश मैंने इनकी ओर से , इनकी सास से की थी , ये जिस भोंसडे से निकले हैं ,उसी भोंसडे में घुसने की , ... अब एकदम पूरी होगी।




मादरचोद

...


मैं रियर व्यू मिरर में देख रही थी ,इनकी ममेरी बहन इनकी गोद में उसका स्कूल का ब्लाउज उठा हुआ , और ये ब्रा के ऊपर से उसकी कच्ची अमिया कुतरते हुए ,...स्साली की कच्ची अमिया थीं भी जबरदस्त ,..


मुझसे रहा नहीं गया ,मैंने अपनी ननद को छेड़ा ,
" गुड्डी यार तेरे भैया तुझसे ज्यादा तेरी ब्रा को प्यार करते हैं , देख उसे चूम चाट रहे हैं और अंदर तेरे टिकोरे बिचारे मचल रहे हैं। "


मेरे साजन के लिए इतना इशारा बहुत था ,उस टीनेजर की फ्रंट ओपन ब्रा खोलने का , ब्रा उतरी ,मैंने पीछे हाथ किया और और गुड्डी रानी की ब्रा मेरी मुट्ठी में।
Maza aagya
 

Maza

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komaalrani

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Gadi me hi Masti suru ho gai hai . Waiting for next apdate
Ekdam masti ke saath mera irada aur program bhi Gadi me hi saaf go jaayega, Ghar mne ghusane tak, update soon
 

komaalrani

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Maza aagya
Thanks
 
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Luckyloda

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ekdam bata to diya, is part ke shuru men hi


जोरू का गुलाम भाग १५४

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?

भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,..

गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,
दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,
To champa Bai SaaS se milti julti hai.....




Gajab.......
 

komaalrani

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आप दोनों की सास कमाल की है...
मजे लेती भी है और देती भी है...

कहानी अब वापस वर्क प्लेस पर जा रही है...
वहाँ गुड्डी की कोचिंग तो होगी हीं... साथ-साथ और भी बहुत कुछ निराला होगा ... जो अब तक उसके साथ नहीं हुआ था...
लेकिन बचपन की साध थी जो अब जा के पूरी होगी....

इंतजार का फल मीठा होता है.... ये अब आगे आने अपडेट में पता चलेगा...
यहीं पर कॉर्पोरेट वार का भी आगाज होगा...

थीम बेस्ड कहानी पढने का मजा हीं कुछ दूसरा होता है...
ऐसी कहानी batmanforever लिखा करते थे.... जिसमें सेक्स के अलावा किसी टॉपिक पर लेकर कहानी के अंत तक climax पर ले जाते थे...
लेकिन अब वो किसी भी साईट पर नजर नहीं आते...
आपसे ऐसी हीं कहानी की आशा रहती है...
और हर बार किसी अलग मुद्दे को उठा कर उस कहानी के परिणति पर पहुँचती हैं....

साभार....
आभार, धन्यवाद,... आप ने सास ( मेरी और इनकी दोनों की ) के बारे में जो कहा वो अक्षरश सत्य है. लेकिन मैं मानती हूँ की मेरी सास इनकी सास से २० ही होंगी, १९ नहीं। चाहे रूप और जोबन में जहाँ मेरी सास एकदम चंपा बाई को टक्कर देती हैं, मेरी सास के दामाद नहीं है , इनकी सास के बेटा नहीं है ( बेटी भी सिर्फ एक है जो इनके हवाले ) लेकिन मेरी सास बेटे दामाद में कोई फर्क नहीं करती, एकदम मेरी ननदो की तरह,... और मेरी तारीफ़,... मैं सिर्फ आभार व्यक्त कर सकती हूँ और ये अनुरोध कर सकती हूँ की जीवन की आपाधापी में थोड़ा टाइम निकाल के इस कहानी पे कभी कभार हाजिरी लगा दिया करिये,...
 

Luckyloda

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एकदम सही आइडिया सुझाया है आपने, बुआ का, ... आखिर बुआ के भाई इनकी माँ के ऊपर,... तो उनकी बहन पे तो,...

और एक बात और बुआ की एक छोरी भी है , उमर क्या बताऊँ, गुड्डी से दो तीन साल छोटी, लेकिन केसर क्यारी आना शुरू हो चुकी है और टिकोरे आग लगा रहे , तो बुआ के साथ वो भी इन्ही के साथ,... आप कहें तो उस का भी नंबर लगवा दू ,

साथ साथ
Neki aur puch puch......


Kacchi kali k to kya hi Kahne 😘😘😘😘😘😘😘
 

Luckyloda

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जोरू का गुलाम भाग १५४

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?



तबतक पीछे वाली खिड़की से झाँकने वाले भी बढ़ गए और एक बार फिर मैंने ग्लासेज चढ़ा लिए और जब मोड़ से आगे निकल रही तो बगल वाली सड़क पे चंपा बाई का कोठा दिखा।

और मेरे सामने स्काइप पर चम्पा बाई का चेहरा घूम उठा जब वो जेठानी से बात कर रही थीं , गोरी चम्पई देख ,गदराया मांसल बदन। और उस समय भी मुझे लग रहा था की उनका चेहरा किसी से मिलता था ,उस समय तो मुझे नहीं याद आया ,

लेकिन अब जब उनका कोठा देखा तो मुझे याद आ गया ,



ट्रैफिक अब साफ़ हो गयी थी और हम लोग बाई पासपर आ गए थे ,



चंपा बाई की शकल ,...





भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,...



गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,



दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,



और चंपा बाई भी एकदम उसी तरह ,

वही चम्पई रंग , वही जोबन , .... और बही मर्दों को ललचाने वाला रंग ढंग , आँचल दोनों को उस ३६ डी डी डी ( या शायद ३८ ) साइज के उभारों से छलकता रहता।
खूब लो कट ब्लाउज से गहराइयाँ झलकती छलकती रहतीं





और डेढ़ महीने मुश्किल से हुए होंगे ,उनकी बर्थडे पर ,

सुबह मम्मी का फोन बल्कि स्काइप पर वो आयीं और एकलौते दामाद की बर्थडे हो और सोहर न हो ,



और उसके पहले अपनी समधन की खूब रगड़ाई भी

कैसा है बर्थडे ब्वॉय ,मेरा मुन्ना ,… " मम्मी पूरे रंग में थीं।



" अरे मम्मी , बिचारे नाड़ा नहीं बाँध पा रहे हैं। अपनी माँ बहनों का नाड़ा खोल खोल कर बचपन से नाड़ा खोलने की तो प्रैक्टिस हो गयी लेकिन आपकी समधन ने उन्हें नाड़ा बंद करना सिखाया ही नहीं ".

मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोया।



मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं

" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "

फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,
" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहीं बिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न।


Bhut shandaar update bhabhi ji....... 🥰🥰🥰🥰
 
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