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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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बस आज रात से ही, बल्कि रस्ते से ही , और गीता तो वहां भूखी बैठी है, गुड्डी को अपने से भी दो हाथ आगे तैयार करने के लिए
यहाँ की गितवा भी दूसरी कहानी की गितवा से कम नहीं...
बल्कि एक हाथ बढ़कर है.....
 

komaalrani

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फिर तो कोमल रानी की जय.....
वही बताएंगी.....
ekdam bata to diya, is part ke shuru men hi


जोरू का गुलाम भाग १५६

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?

भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,..

गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,
दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,
 
Last edited:

komaalrani

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यहाँ की गितवा भी दूसरी कहानी की गितवा से कम नहीं...
बल्कि एक हाथ बढ़कर है.....
ekdam sahi kaha aapne kink ki queen hain dono Maan Beti aur Beti maan se bhi badhakar
 
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motaalund

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सच में,... यही कुछ ज्यादा ही सीधे थे

पर अब,


और मुझसे ज्यादा उनकी सास, अब तो पहले जिसको ले चल रही हूँ वो

फिर कोई इनके मायके वाली नहीं बचेगी।
बचना भी नहीं चाहिए.....
 

motaalund

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kya pata agali post men hi pata chalega
ट्विस्ट देना तो कोई आपसे सीखे.....
हर बार उत्सुकता बढ़ा देती हैं....
 

motaalund

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ननद क्या जो भाभी का ख्याल न रखे। आखिर सुहाग की सेज तक, पिया के पास तो वही पहुंचाती है।
दोनों हीं एक-दूसरे का ख्याल रखती हैं......
 

motaalund

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अगले कुछ हिस्सों में हो सकता है फ्लैश बैक ज्यादा हों, कारण अनेक हैं, कहानी के बहुत पहले के भागों से जोड़ने के लिए , अतीत में कई बार भविष्य की पदचाप छुपी होती या सिर्फ बीते हुए कल का सबकी तरह से व्यामोह,

जिन पाठक/पाठिकाओं को दुहराव की शिकायत होगी, उनसे अग्रिम क्षमा याचना

अगला भाग भी जल्द ही.///
दोहराव तो होता है... लेकिन कुछ नया ... जो पहली बार में छूट गया हो... वो भी पता चलता है....
साथ हीं कहानी के साथ तारतम्य भी बन जाता है....
 

motaalund

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नहीं नहीं, चंपा बाई का कोठा देखा, और उसे देख के चंपा बाई की शक्ल याद आयी और उस याद के साथ

एकदम उन्ही की जैसी शक्ल वाली, कद काठी, रूप जोबन उमर वाली याद आयीं,... कौन थीं क्यों याद आयीं ये सब बस अगले हिस्से में ढेर सारे फ्लैश बैक के साथ, आज या कल में पक्का
वो कौन है???????
 
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