- 22,209
- 57,793
- 259
जोरू का गुलाम भाग १७१
कैसे फटी हो कैसे फटी
उर्फ़
ननदिया की भैया के साथ सुहागरात
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
….
मैं अकेले अपने कमरे में.
ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...
उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,
जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,
और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।
कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,
आज ,...
आज जब सिर्फ वो दोनों , ...
कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों
शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,
और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...
लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...
गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...
मैंने दरवाजा बंद किया,..
वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...
रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...
और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...
" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '
और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।
एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...
और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...
" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "
" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,
" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।
" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...
मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...
और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...
बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी
तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...
जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...
ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...
मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...
मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...
और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी
चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,
पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...
और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...
" धत, भैया, ... आपसे तो,... "
मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...
" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "
" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "
छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...
पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...
आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी
और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
कैसे फटी हो कैसे फटी
उर्फ़
ननदिया की भैया के साथ सुहागरात
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
….
मैं अकेले अपने कमरे में.
ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...
उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,
जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,
और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।
कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,
आज ,...
आज जब सिर्फ वो दोनों , ...
कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों
शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,
और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...
लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...
गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...
मैंने दरवाजा बंद किया,..
वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...
रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...
और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...
" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '
और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।
एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...
और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...
" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "
" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,
" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।
" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...
मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...
और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...
बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी
तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...
जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...
ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...
मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...
मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...
और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी
चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,
पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...
और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...
" धत, भैया, ... आपसे तो,... "
मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...
" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "
" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "
छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...
पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...
आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी
और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
Last edited: