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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Ji komal ji jaroor aaj raat me aapki post ko padhenge aur coments bhi karege magar mujhe pora yakeen hai ki aapka ye update bhi lajwaab hi hoga isliye is naye update ke liye meri taraf se THANKS in advance baaki coments aaj raat ko padhne ke baadab to 18 aa gayi aur post bhi bas aap ke comment ka wait rahega
जोरू का गुलाम भाग १६७
कैसे फटी हो कैसे फटी
उर्फ़
ननदिया की भैया के साथ सुहागरात
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
….
मैं अकेले अपने कमरे में.
ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...
उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,
जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,
और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।
कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,
आज ,...
आज जब सिर्फ वो दोनों , ...
कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों
शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,
और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...
लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...
गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...
मैंने दरवाजा बंद किया,..
वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...
रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...
और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...
" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '
और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।
एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...
और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...
" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "
" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,
" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।
" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...
मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...
और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...
बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी
तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...
जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...
ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...
मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...
मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...
और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी
चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,
पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...
और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...
" धत, भैया, ... आपसे तो,... "
मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...
" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "
" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "
छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...
पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...
आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी
और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
फ़ट गयी,.........
आधी चूड़ियां टूट गयीं।
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह् उईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ उफ्फफ्फ्फ़ नहीं उईईईईईई
इतनी तेज चीख मैं सोच रही थी की कान बंद कर लूँ ,पर मैंने,... इसी चीख का तो मुझे इन्तजार था।
उईईई ओह्ह्ह उईईई ओह्ह्ह , वो तड़प रही थी ,छटपटा रही थी , दोनों हाथों से उसने जोर से चद्दर पकड़ रखा था , बरबस उसकी बड़ी बड़ी मछली सी आँखों से दर्द के मोती छलक के उसके गोरे चम्पई गाल भीग रहे थे।
उईईईईईई उईईईईई ,उसकी चीखें तड़पन रुक नहीं रही थी।
पर वो रुक गए थे।
शिकारी के भाले ने उस हिरनिया को बेध दिया था ,
और कैमरे ने थोड़ा सा ज़ूम किया , उसकी किशोरी,जस्ट इंटर पास एलवल वाली उनकी ममेरी बहन के जाँघों के बीच , ठीक वहीँ ,
जवा कुसुम के फूल खिल गए थे , लाल ,लाल।
मेरी ननदिया की फट गयी थी।
उन्होंने थोड़ा सा बाहर निकाला ,फिर और आधे सुपाड़ा , तक बाहर
उसकी चीखें कुछ कम हो गयीं थीं , वो सोच रही थी ,अब ये बाहर निकाल रहे हैं खेल ख़तम , मैं भी एक पल के लिए सहम गयी। कहीं अपनी ममेरी बहन की चीख पुकार के डर से ,उनका कोमल मन कहीं , ... पर गीता की सारी मेहनत ,..
वो पल भर रुके , और उसके बाद तो तूफ़ान मेल मात , धक्के पर धक्के , लगातार , वो भी सिर्फ आधे लंड से ,
और मैं मुस्करा रही थी ,सच्ची में ,.. इनकी सास देखेंगी तो बहुत खुश होंगी ,
और अब वो फिर चीख रही थी ,लगातार , चूतड़ पटक रही थी ,
उनके हाथ पैर जोड़ रही थी ,
भैय्या छोड़ दो , नहीं उईईई
और वो बजाय छोड़ने के चोद रहे थे उसे हचक हचक कर ,
मुझे सच में बहुत अच्छा लग रहा था मैं जान रही थी , वो जान बूझ के क्यों सिर्फ आधे मूसल से बार वहीँ क्यों रगड़घिस्स कर रहे हैं ,
जहां उसका योनि छिद्द फटा था , जहाँ से खून निकला था ,उसी जगह को उनका मोटा खूंटा बार बार रगड़ रहा था , जैसे किसी को कही चोट लगे और उसे बजाय हील होने के छोड़ने पर कोई जबरन उसे बार बार रगड़े , जैसे ही लंड उस फटी हुयी जगह पे रगड़ते जाता था गुड्डी के चूतड़ बित्ते बित्ते भर दर्द से उछलते थे।
और वो बार बार वहीँ अपने मूसल से जान बूझ के रगड़ रहे थे ,
दो मिनट ,चार मिनट ,... पांच मिनट, चीखते तड़पते उसका गला बैठ गया था ,लेकिन तभी मेरी आँखों को विश्वास नहीं हुआ ,
उसकी चीखें सिसकियों में बदल रही थीं , दर्द की जगह एक मजे का असर उसके चेहरे पर आ रहा था , और वो अपने चूतड़ बार बार पलंग पर रगड़ रही थी ,
चीखें उह्ह्ह्ह आह्ह में बदल रही थी।
उसकी देह पर उसका कंट्रोल ख़तम हो गया था। वो झड़ रही थी ,कितनी बार उनकी छुटकी बहिनिया मेरे सामने झड़ी थी ,कल खुद उन्होंने चूस चूस कर मेरे सामने उसे झाड़ झाड़ कर थेथर कर दिया था,लेकिन आज जिस तरह उनकी ममेरी बहन झड़ रही थी , उसके आगे कल वाला कुछ भी नहीं थी।
उसकी पूरी देह में जैसे तूफ़ान आ गया था ,
वो झड़ती रही , वो झड़ती रही ,झड़ती रही।
मैं मंजू बाई की मुरीद हो गयी। सिर्फ उसकी फोटो देखकर उन्होंने बोला था ,
" शकल से ये जबरदस्त चुदक्कड़ लग रही है एकदम चुदवासी। "
बहुत बहुत आभार, धन्यवादशानदार जानदार बहुत ही कामुकता से भरा हुआ
अपडेट आनन्द आ गया
Hot update komal jiसैंया
भैया के संग
मैं मंजू बाई की मुरीद हो गयी। सिर्फ उसकी फोटो देखकर उन्होंने बोला था ,
" शकल से ये जबरदस्त चुदक्कड़ लग रही है एकदम चुदवासी। "
"पर माँ ,चेहरा तो एकदम भोला ,... "
गीता बोली , वो भी मेरे साथ बैठी थी।
" यही तो ,... "
फिर मुझसे मंजू बाई बोलीं ,
" बहू,... मैंने जिंदगी में एक से एक रंडी छाप चुदक्कड़ लौंडिया देखी हैं पर ये सबका नंबर कटायेगी। और फरक १९ -२० का नहीं है ,अगर ये २० है तो वो सब १६-१७ होंगी बस. बस किसी तरह के बार पटा के ,समझा बजा के ले आओ , ... अरे इसकी तो जितनी रगड़ाई होगी , जितनी दुरगत होगी उतनी ही तेज झड़ेगी ये। उतनी ज्यादा चुदवासी होगी। नमबरी लौंडा खोर होगी , और एक बार मेरे और गीता के हाथ में पड़ेगी तो बस जिंदगी के सारे मजे हफ्ते भर में सीख जायेगी , बेरहमी से इसकी रगड़ाई करनी होगी। "
और वो काम मैंने और मंजू बाई ने गीता के ऊपर छोड़ दिया था ,
गुड्डी की पूरी ट्रेनिंग ,.. एक तो गीता उस की समौरिया , गुड्डी से मुश्किल से साल भर बड़ी,दोनों किशोरियां और किंक के मामले में वो अपनी माँ से भी हाथ भर आगे।
मेरी निगाह टीवी पर चिपकी थी , वो किशोरी मस्ती से मचल रही थी ,जिंदगी में पहली बार लंड के धक्कों से झड़ रही थी,
उनकी निगाहें भी अपनी बहन के भोले भाले कोमल किशोर चेहरे पर चिपकी थीं।
एक हाथ अब उनका अपने बचपन के माल के नए नए आये उरोज पर टिक गया था , अब उस की रगड़ाई मिसाई चालू हो गयी थी।
गुड्डी का झड़ना कुछ कम होते ही इनके धक्को ने फिर से तेजी ले ली थी ,अब वो जम के धक्के लगा रहे थे चोद रहे थे अपनी किशोर ममेरी बहन को।
अब तक वो ज्यादातर ढकेल रहे थे , पुश कर रहे थे लेकिन अब जब गुड्डी की फट गयी थी
एक फायदा था और एक नुक्सान ,
फायदा ये हुआ की झड़ने से गुड्डी रानी की बुरिया कुछ तो गीली हो गयी ,
और नुक्सान ये हुआ की अब मेरे सैंया और उसके भैया , धक्के पूरी ताकत से लम्बे लम्बे लगा रहे थे , झिल्ली तो कुंवारेपन की अपनी ममेरी बहन की उन्होंने फाड़ ही दी थी , और अब उनका मोटा कड़ा मूसल उनकी बहन की चूत में उस जगह घुस रहा था ,जहां मेरी ऊँगली भी कभी नहीं गयी थी ,
दरेरते ,
रगड़ते ,
घिसटते
और अब वो बजाय सिर्फ धकेलने के , ठेलने के , आलमोस्ट सुपाड़ा भी बाहर निकाल के ,पूरी ताकत से हचाहच ,
हचक हचक के ,
और गुड्डी की कसी कुँवारी किशोर अनचुदी चूत में फाड़ते हुए जब वो घुस रहा था तो बस ,
गुड्डी की चीखें , कमरे में गूंज रही थी , उस की बड़ी बड़ी आँखों से आंसू छल छल उसके चम्पई गालों पर छलक कर बह रहा था ,
वो दर्द से बिस्तर पर अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ रही थी।
चीखते , रोते ,चिल्लाते वो भइया से रुकने के , बस पल भर ठहरने के लिए बिनती कर रही थी।
लेकिन गुड्डी की चीखों से उनका जोश दस गुना बढ़ जा रहा था , एक बार फिर से उन्होंने अपनी ममेरी बहन के चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई , उसकी लम्बी गोरी टांगों को मोड़ कर उसे दुहरा कर दिया, पूरी ताकत से उस किशोरी की कोमल कलाई को कस के दबोच लिया ,आधी चूड़ियां तो पहले ही चुरुर मुरूर कर के टूट कर बिखर चुकी थीं।
गुड्डी की बिलिया से लाल लाल थक्के ,गोरी गोरी जाँघों पर साफ़ साफ़ दिख रहे थे।
फिर से उन्होंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाला , पल भर रुके और ठोंक दिया।
अभी अभी फटी झिल्ली, चूत में लगी ख़राशों को रगड़ते दरेरते , आलमोस्ट पूरा मूसल अंदर था , मुश्किल से एक डेढ़ इंच बाहर रहा होगा , सात इंच अंदर
चीखों के मारे गुड्डी की हालत खराब थी
उईईईईईई नहीं नहीं उफ्फ्फफ्फ्फ़ ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह ,निकाल लो , ओह्ह्ह्हह्हह
उसके दर्द भरे पर चेहरे पर पसीना और आंसू मिले हुए थे,
वो तड़प रही ,मचल रही थी ,...
और उसके भैय्या ने निकाल लिया , आलमोस्ट पूरा ,
एक दो पल के लिए गुड्डी की जैसे सांस में सांस आयी और फिर ,
वो चीख , दर्दनाक दूर तक
इतनी जोर से तो मेरी ननद तब भी नहीं चीखी थी जब उसकी फटी थी।मारे दर्द के गुड्डी के गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी ,
उनका बित्ते भर का लंड पूरी तरह से गुड्डी की कसी पहली बार चुद रही चूत में एकदम जड़ तक घुसा ,
और मैं समझ गयी पूरी ताकत से उनके सुपाड़े ने उनकी बहन की बच्चेदानी पर पूरी ताकत से ठोकर मारी है ,
एक तो इतना मोटा तगड़ा , उनका हथौड़े ऐसा सुपाड़ा , .... फिर उनकी जबरदस्त ताकत,... किसी चार पांच बच्चे उगलने वाली भोंसड़ी की भी चूल चूल ढीली हो जाती
और ये बिचारी बच्ची , अभी चार दिन पहले तो इंटर पास किया है , और आज इतना लंबा मोटा लौंड़ा,
दर्द से तड़प रही थी ,बिसूर रही थी ,...
पर तभी ,
देखते देखते ,
आह से आहा तक
उनकी बहन के चेहरे पर एक अलग सी तड़पन , उसकी देह में मरोड़ ,
हलकी हलकी सिसकी ,
उसकी मुट्ठी अपने आप बंद खुल रही थी , देह जैसे अब उसके कब्ज़े में नहीं थी
मैं समझ गयी वो झड़ रही थी , पहले तो हलके हलके लेकिन थोड़ी देर में जैसे कहीं कोई ज्वालामुखी फूटा हो,
मेरी ननद को जैसे जड़ईया बुखार हो गया , ऐसे वो काँप रही थी ,
उसका झड़ना रुकता , फिर दुबारा ,... तिबारा
चार पांच मिनट तक वो झड़ती रही ,झड़ती , फिर रुकती , फिर झड़ना शुरू कर देती
और कुछ ही देर में वो थेथर होकर बिस्तर पर पड़ गयी , जैसे उसे बहुत सुकून मिला हो , देह उसकी पूरी ढीली हो गयी।
पर आज ये न ,
उन्होंने धीमे धीमे लंड बाहर खींचा जैसे अपनी उस उनींदी ममेरी बहन की मस्ती को कम नहीं करना चाहते हो ,
फिर धीरे धीरे ,सिर्फ एक तिहाई लंड से , ढाई तीन इंच अंदर करते वो भी धीमे धीमे , और फिर उतने ही हौले हौले अंदर ,... से बाहर
चार पांच मिनट में ही उस कोमल कन्या ने आँखे खोल दिन और टुकुर टुकुर अपने भैया को देखने लगी।
बस उन्होंने दोनों जुबना को कस के पकड़ के दबोच लिया , वही जोबन जिन्होंने पूरे शहर में आग लगा रखी थी ,सैकड़ों लौंडे एक नजर देखने को बेताब रहते थे आज उसके भइया की मुट्ठी में
जितनी ताकत से वो अपनी बहन की चूँची मसल रहे थे उससे भी दस गुना तेजी से अब उन्होंने अपनी ममेरी बहन को चोदना शुरू कर दिया ,
हर तीसरा चौथा धक्का , उस किशोरी के बच्चेदानी पर पूरी ताकत से धक्का मार रहा था।
और हर धक्के के साथ वो इतनी तेज चीखती की कान बंद करना पड़े ,
और उन चीखों का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा था , बस वो धक्के पर धक्का ,हचक हचक कर
पूरे लंड से उस किशोरी की कच्ची चूत चोद रहे थे ,
दस पन्दरह मिनट तक ,...
वो चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,
ये चोद रहे थे ,पूरी ताकत से अपनी कुँवारी किशोरी बहना को
और एक बार फिर से उस की चीखें सिसकियों में बदल गयी
गुड्डी ने अपने भैय्या को अपनी कोमल बांहो में भींच लिया , जोर से अपनी ओर खिंच लिया ,
वो काँप रही थी , देह उसकी फिर ढीली पड़ रही थी ,
दूर कहीं से बारह का घंटा बजा ,
टन टन टन टन ,
और उन्होंने एक बार फिर लंड बाहर तक निकाल के जोरदार ठोकर सीधे उसकी बच्चेदानी पर ,... और अब वो भी उसके साथ ,..
उन्होंने भी अपनी ममेरी बहन को जोर से भींच लिया ,उनका मूसल सीधे उनकी ममेरी बहन की बच्चेदानी पर ,
वो भी झड़ रह थे , वीर्य की पहली फुहार उस कुँवारी की चूत में ,
टन टन टन टन ,
मैं ये सोच रही थी आज इस ननद रानी को मैंने अगर पिल्स न खिलाई होती तो ये शर्तिया गाभिन हो जाती।
कुछ देर रुक कर फिर थक्केदार गाढ़ी मलाई उनकी ममेरी बहन की चूत में
टन टन टन टन ,
बारह का घंटा बजना बंद हो गया था लेकिन उनका झड़ना नहीं रुका था ,और वो भी जैसे उन्हें निचोड़ रही हो.
आठ दस मिनट तक दोनों भैया बहिनी एक दूसरे की बाँहों में बंधे,
पलंग पर चूड़ी के टुकड़े बिखरे पड़े थे , दोनों हाथों में उसने दो दो दर्जन चूड़ियां पहनी थी , एक दर्जन भी नहीं बची होंगी।
……………………………………………..