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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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Aaj to udghatan hokar rhegaजोरू का गुलाम भाग १६७
कैसे फटी हो कैसे फटी
उर्फ़
ननदिया की भैया के साथ सुहागरात
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
….
मैं अकेले अपने कमरे में.
ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...
उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,
जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,
और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।
कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,
आज ,...
आज जब सिर्फ वो दोनों , ...
कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों
शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,
और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...
लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...
गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...
मैंने दरवाजा बंद किया,..
वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...
रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...
और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...
" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '
और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।
एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...
और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...
" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "
" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,
" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।
" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...
मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...
और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...
बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी
तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...
जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...
ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...
मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...
मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...
और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी
चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,
पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...
और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...
" धत, भैया, ... आपसे तो,... "
मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...
" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "
" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "
छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...
पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...
आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी
और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
Bahut galat time pr call aya haiबहना की चोली
बहना की चोली खुल गयी और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...
और गुड्डी के निपल एकदम खड़े मदमस्त,... जैसे चैलेंज कर रहे हों, है हिम्मत तो आ जाओ,...
पर इनकी शैतान उंगलिया बस निप्स के चारो ओर थोड़ी देर चक्कर काटती रहीं,... नहीं निप्स पकडे नहीं , ... बस अपनी हथेली के बीच की जगह से उसे हलके हलके सहला रहे थे, सिर्फ हथेली का सेंटर और निप्स की टिप्स एक दूसरे को टच कर रहे थे,
गुड्डी गिनगीना रही थी,
कुछ देर तक ऐसे ही , फिर जैसे बाज झपट्टा मार के आसमान से आके गौरेया को दबोच ले,... अचानक उन्होंने अपने हाथ से जोबन को कब्जे में कर लिया,
सावन से भादों दूबर,... तो फिर दूसरा हाथ भी तो ललचा रहा था बहना का दूसरा जोबन उसके हाथ में
दर्जा दस के आसपास से लड़कियों के उभरते जोबन ही लड़को की नींद दूभर करते हैं ,...
और गुड्डी के जोबन तो सबसे २२ थे, बड़े भी कड़े भी पर आज उन्हें मिला था पहली बार रगड़ने मसलने वाला,...
वो सिसक रही थी, पिघल रही थी मन तो उसका कर रहा था भैया उसके और कस के मसलें, दबाएं रगड़ें,... इत्तने दिनों से कभी दुपट्टा लहरा के, कभी झुक के क्लीवेज दिखा के अपने जुबना दिखा दिखा के ललचाती थी और आज उस जुबना को लूटने वाला उन्हें लूट रहा था,....
पर जितनी उसकी छोटी छोटी चूँचीया उसके भैया दबा रहे थे उतनी ही उसकी बुरिया में आग लग रही थी, वो पिघल रही थी, मचल रही थी सिसक रही
खुद जाँघों से जाँघों को रगड़ रही थी लेकिन मन के किसी कोने में ये सोच रही थी की भैया के दोनों हाथ जब तक मेरे उभारों में उलझे हैं मेरा नाड़ा बचा हुआ है लहंगे का,...
…… लेकिन सब जानते हैं की सुहागरात में नाड़ा बंधता ही खुलने के लिए है।
और जहाँ दोनों हाथ जोबना का हालचाल ले रहे थे इनके होंठों ने बहना के रसीले होंठों को दबोच लिया था और गुड्डी के होंठ थे भी एकदम रसीले,
गुलाब की पंखुड़ियों ऐसे, रसभरे, कुछ देर तक तो चुम्मा एकतरफा था पर थोड़ी देर में वो भी जवाब दे रही थी, उसके भैया रसिया, हिम्मत बढ़ गयी थी और अब एक होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच ले के रसिया भैया हलके हलके चूस रहे थे,
गुड्डी की आँखे बंद हो रही थीं, देह ढीली पड़ रही थी , दिल उसके भैया का यही कह रहा था बस अपनी बहना के जोबन और होंठ का रस लेते रहें हे पर दिमाग ने हाथों को एक और काम बताया और उसकी मदद करने को होंठों को हुकुम दिया।
एक हाथ जोबन छोड़ के बहन की कमर की ओर नीचे की ओर पर जोबन की आजादी पल भर की भी नहीं थी,.. उसकी जगह होंठ और बिना किसी बात चीत के सीधे उन्होंने निपल को दबोच लिया और लगे कस कस के चूसने,... एक चूँची कस के दबायी मसली जा रही थी और दूसरी होंठों से चूसी जा रही थी, और गुड्डी बस बीच बीच में सिसक रही थी धीरे धीरे बोल रही थी,
" भैया,... उह ओह्ह उफ़ भैया नहीं ओह्ह्ह भैय्या, बस,... "
और मन के कोने में कहीं सोच रही थी बस अब भैया का हाथ नाड़े पर पहुंचने वाला ही है
वो टेन्स हो रही थी अनजाने में उसके दोनों हाथ उसके नाड़े पे ,... लेकिन आज तो भरतपुर नहीं बचने वाला था, बिचारे नाड़े की क्या बिसात,... और उस रसिया भैया ने अपना हाथ बहन के पान के चिकने पत्ते की तरह स्निग्ध पेट पर,.... कभी गहरी मेंहदी रची नाभि के चारो ओर तो कभी ऊँगली उस नाभि की गहराई नापती,
और धीरे धीरे खतरा हटता जान के गुड्डी के हाथों की पकड़ उसके लहंगे के नाड़े पे ढीली हो गयी
हलके से उसके भैया ने अपने दांत बस उस किशोरी के निपल पे लगा दिया और वो जोर से चीखी, नहीं नहीं भैया , नहीं ,...
बस उसी हटे ध्यान का फायदा उठा के उसके भैया का हाथ नाड़े पर
नाड़े में सिर्फ एक छोटी सी गाँठ लगी थी , जो बस हाथ का इशारा पाते ही खुल गयी और रेशमी लहंगा सरसरा के नीचे बिस्तर की ओर,
पर हाथ ने अभी खजाने में सेंध नहीं लगाई ,
और वैसे भी पैंटी का कवच तो था ही भले ही दो ऊँगली के बराबर ही चौड़ी हो बस फांको के बीच फंसी,...
भैया का हाथ गुड्डी की मखमली जांघों पर , सहलाता ….. रहा , दुलराता रहा और गुड्डी की जाँघे कुछ मस्ती से कुछ इनके हाथों के जोर से फैलती रहीं , बस अगले झटके में पैंटी भी उतर के फर्श पे और उनका पाजामा भी,...
वो बौराया मोटा मूसल साफ़ साफ दिख रहा था
सब कुछ मेरी आँखों के सामने ,
खूब मोटा, मेरी कलाई से ज्यादा ही होगा, बियर कैन से २० नहीं २२ ,... और मेरी ननद की सुकुवार फुद्दी जहाँ ढंग से अभी सींक भी नहीं घुसी थी,... और ऊपर से गीता ने न इनके ऊपर वैसलीन लगाया न मैंने ननद की बिलिया में,... और बिस्तर पे क्या पूरे कमरे में बाथरूम में भी वैसलीन की शीशी भी नहीं,...
मैं मुस्करा रही थी, सुहागरात में इन्होने आधी से ज्यादा वैसलीन की शीशी खाली कर दी थी और अब तो खिला पिला के, पहले से बहुत ही ज्यादा मोटा धमधूसर,... और बिना चिकनाई के,... जैसे भोंथरे चाकू से कोई मेमना जिबह किया जाए,...
पर ये भी आज,
अपनी बहिनीया की संतरे की फांको पे
बस हलके हलके हाथ से मसल रहे थे , वो बिचारी पनिया रही थी, मस्ता रही थी , जाँघे उसने खुद फैला दी थी गुड्डी की कसी चूत एकदम दोनों फांके चिपकी जैसे कभी अलग होंगी ही नहीं, लेकिन खूब रसीली गीली,
गुड्डी के भैया ने अपनी दोनों टाँगे अब उसकी फैली जाँघों के बीच फंसा दी थीं , अब वो चाह के भी नहीं रोक सकती थी न उनके हाथ को बदमाशी करने से रोक सकती थी
पर बदमाशी गुड्डी के भैया के होंठ भी कर रहे थे कच्ची अमिया के साथ कभी बस चाट लेते, तो कभी कुतर लेते कभी निप्स मुंह में लेके चूसते पर हाथ दोनों भाई के अपनी बहन की खुली जाँघों पे , अपने दोनों घुटनों से उस टीनेजर माल की दोनों जाँघे उसके भैया ने कस के फंसा के फैला रखी थीं , एक हाथ जाँघों के एकदम ऊपरी हिस्से को हलके हलके सहला रहा था और दूसरा सीधे उस कच्ची कसी बिन झांट की चिकनी चूत को फैलाने की कोशिश कर रहा था ,... लेकिन भाई बहन दोनों की निगाहें पलंग पे , टेबल पे कुछ ढूंढ रही थी
कोई भी जिसकी सुहागरात हो चुकी हो , समझ सकता है तलाश किस चीज की थी, वैसलीन की शीशी, कुछ भी चिकनाई,... उन्होंने तकिये के नीचे अगल बगल
बेचारी गुड्डी उसे क्या मालूम था गीता ऐसी ननद से पाला पड़ा था,... बाथरूम से भी उसने सब कुछ यहाँ तक की शेविंग क्रीम शैम्पू तक हटा दिया था,... एकदम सूखे
उन्होंने ढेर सारा थूक निकाल के अपने सुपाड़े पे लगाया कुछ गुड्डी के खुले निचले होंठों पे और बहन की लम्बी गोरी टाँगे, इत्ती सुन्दर प्यारी लग रही थीं वो उठी हुयी टाँगे , बहन की टाँगे भाई के कंधे पे जाँघे पूरी तरह फैली और मूसल,.. मोटा सुपाड़ा बहन की खुली चूत से एकदम सटा,...
तभी फोन बजा , ... मैंने फोन साइलेंट पर कर के रखा था पर ये नंबर ,... और वीडियो काल
ऊप्स ऐन मौके पे लेकिन ये फोन लेना ही था , मैंने टीवी म्यूट किया पर वीडियो काल था तो सब का सब दिखता तो मैं ज़रा बाहर निकल के
भाग १६६
तैयारी - गीता -तेल मालिश
और साथ में गीता की छेड़खानी , गारियाँ,
"स्साले , इत्ता मस्त माल ,अब तक काहें को छोड़ रखा था , अरे जैसे टिकोरे आये उसी समय चाप देना चाहिए था। पैदाइशी चुदवासी है , अब बोलो गाभिन कब करोगे, छोटे छोटे जुबना से दूध पीना चुसूर चुसूर ,.. नौ महीने बाद। "
वो क्या बोलते ,उनके मुंह में तो बखीर भरी थी।
जवाब भी गीता ने ही दिया ,
" चलो कुछ दिन पेट फुलाने के पहले मौज उड़ा लो ,बहुत दिन से तड़प रहे हो ,... एक दिन वो महीना हो जाए तो हो जाए , लेकिन अगर कही अगली बार पांच दिन वाली छुट्टी ली उसने न , तो समझ लो अपने टोला के पांच दस लौंडो को चढ़ा के गाभिन करवा दूंगी , उसकी चूँची से नौ दस महीने में दूध छल छल तो निकलेगा ही , हाँ तोहरे बीज से गाभिन होई तो ज्यादा निक बा ना ,... "
और अब मालिश का बचा हुआ भाग गीता ने शुरू किया उनके सीने से , बड़े ही उत्तेजक ढंग से अपने जोबन से मालिश कर के , फिर एक कोई मलहम सा उनके दोनों निप्स पर ,
और उसके बाद वो मोटा खूंटा अलसाया सा खड़ा था ,उसका नंबर लगा
पहले गीता की लम्बी चोटी , फिर तने उभार
और होंठ ,
और फिर एक तिला का तेल जिसमें असली सांडे का तेल तो पड़ा ही था उसके अलावा भी बहुत कुछ ,
खूंटे के बेस से लेकर ऊपर तक दो अंजुरी तेल गीता की हथेली ने सिर्फ चूपड़ा बल्कि हलके हलके मल कर पूरी तरह सूखा दिया। अब तक शेर जग गया था , सुपाड़ा तो उनका हरदम खुला ही रहता था ,उसे दबा के ,उसके छेद में भी चार बूँद तेल,
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एक बात कई एक दो मित्रों ने कही भी, समझाइश भी दी लेकिन मैं सब बातें खुलासा लिखती हूँ लेकिन इनके बारे में कुछ बातों में संकोच कर जाती हूँ , खास तौर से जहाँ तारीफ़ करनी हो,
बुराई में, चिढ़ाने में तो नमक मिर्च लगा के,... आखिर मेरी सास के बेटे हैं ( ससुर के हैं या नहीं या असली ससुर कौन है , मेरी सास की समधन ज्यादा अच्छी तरह बताती हैं ) तो मेरे ससुराल वाले ही हुए और ससुराल वालों, वालियों की सास, ननद जेठानी सब की बुराई करना तो बहू का परम कर्तव्य है,... अब कैसे कहूं लेकिन चलिए
मैं मानती हूँ साइज मैटर्स लेकिन मैं मैं ये भी मानती हूँ साइज इज नॉट द ओनली थिंग व्हाट मैटर्स,
सर्वे का जमाना है और टेबल बनाना कैटगरी ये सब,... तो परफारमेंस के मामले में मैं चार कैटगरी,... असल में कमल जीजू वाले पार्ट्स के बाद से कुछ ज्यादा खैर, तो मेरी लिए पहली कैटगरी और सबसे इम्पोर्टेन्ट है फोरप्ले,... अरे लड़की का भी मन करना चाहिए, जब वह एकदम पिघल के खुद अपने से बार बार कहे ( और किसी डेट ड्रग के चक्कर में नहीं पूरे होशो हवास में , और हाँ अगर हर कैटगरी के २५ प्वाइंट रखूँ तो ससुराल के नाते एक प्वांइट तो काटना पडेगा वरना, ये तो देख के बात करके किसी लड़की को बस प्रॉब्लम इनके सीधे होने की थी, और अब तो अपनी सास और मंजू - गीता के चक्कर में इनकी जीभ, पक्के चटोरे,... तो २५ में से २४ कम से कम,
दूसरी चीज है लम्बी रेस का घोडा होना, और ये सेक्स सर्वे की बात नहीं कितनी सहेलियों भाभियों से मैंने सुना है उनके फर्जी हाँ हूँ ओह्ह नहीं , बोलना पड़ता है,... और ये बताया तो मंजू बाई ऐसी पुरानी खेलाडन को इन्होने थेथर कर दिया , तीन बार झाड़ने के बाद जाके कहीं , तो उसमें भी २४,...
और साइज के मामले में मैंने जो कहानी के शुरू में लिखा था, बस जस का तस दुहरा दे रही हूँ,... ये नहीं की शुरू में आप से कुछ और कहा बाद में चेंज कर दिया,... तो बस पहले भाग से,
" जितना मेरी शादीशुदा सहेलियों और भाभियों ने किस्से सुनाये थे , उसके हिसाब से नार्मल ही था। और ' वो ' भी जो मैंने पढ़ा औसत से थोड़ ज्यादा ही होगा।
हम लोग थोड़े दिन के लिए हनीमून पर भी गए लेकिन , हनीमून ठीक ठीक बल्कि अच्छा था , घूमे भी ,मजा भी किया लेकिन कुछ दिन में ही , कुछ पिनप्रिक्स ,
नहीं नहीं ये पिन साइज प्रिक नहीं जैसा मैंने पहले कहा था न ऐवरेज से २० ही रहा होगा जो मैंने भाभियों , सहेलियों से सुना था उसके अलावा कई सेक्स सर्वे पढ़े थे , उसके हिसाब से। हाँ कमल जीजू ऐसा नहीं था , लेकिन उनका तो एब्नार्मल ही कुछ ,…
तो चलिए साइज के मामले में कमल जीजू से २० नहीं तो १८ भी नहीं था , उनका तो लम्बाई में बित्ते भर का सच में पर एक मामले में ये कमल जीजू से २० नहीं २२-२३ हो गए थे और वो था उस मोटू की मोटाई, गीता के पहलौठी के दूध का कमाल,... और मंजू के जड़ी बूटियों की मालिश का,... और आज गुड्डी रानी की असली दुर्गत इसी मोटाई के चक्कर में होने वाली थी,... अच्छी तरह फटने वाली ननदिया की उस बीयर कैन ऐसे मोटे खूंटे से तो इसमें भी २५ में मोटाई का फैक्टर जोड़ के उन्हें कम से कम से कम २२ तो मिलना ही है
और फैक्टर है पुरुष कितना केयरिंग ही जो मेरे लिए सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है और इसमें किसी को भी इनका आधा मिलना भी मुश्किल है,... हलकी सी खरोंच भी मुझे लग जाए तो दर्द के मारे इनकी हालत खराब हो जाती है, और इसमें कोई मना भी करे तो मैं २५ में २६ दूँगी , जबकि किसी और को शायद इसका आधा भी न दूँ,... चलिए २५ में २५ तो कुल जोड़ के ,... १०० में ९५ तो कोई भी मैं बाजी लगा सकती हूँ इनसे कम से कम २० नंबर पीछे रहेगा,...
लेकिन यही इनकी परेशानी भी थी वो केयरिंग वाली बात इसलिए जो मदन आसव ,डबल जोड़ा पलंगतोड़ पान बखीर में तम्माम चीजें उसके पीछे मैं दो चीजें ही सोची थी, एक तो इनकी काम भावना इतनी प्रबल जाय की वो स्साली चीख़ती चिल्लाती रहे, कुछ लड़कियों को जितना दर्द नहीं होता उससे ज्यादा चिल्लाती हैं बस जस्ट छिनरपन , तो उसका उनके ऊपर प्रभाव न पड़े दूसरा असर ये होता की रात भर नान स्टाप चुदाई हो , स्मर का ज्वर इतनी तेज चढ़े इनके सर पे
उनकी बखीर में ,मम्मी ने कही सीधे पहाड़ से मंगाई थी ,शुद्ध शिलाजीत , अश्वगंधा,दो चम्मच कौंच पाक और केसर ,
और मदन मादक आसव , जो गीता ने अपने हाथ से उन्हें पिलाया था
जटामांसी,आंवला, इलायची, सोंठ, पिप्पली, मरिच, जायफल, जावित्री, तेजपत्र, लवंग, सफ़ेद जीरा, काला जीरा, मुलेठी, वचा, कूठ, हरिद्रा, देवदारु, हिज्जल, सुहागा, भारंगी, नागकेसर, काकडासृंगी, तालीश, मुनक्का, चित्रक, दंती, बला, अतिबला, धनिया, दालचीनी, गजपिप्प्ली, शटी, सुगंधबाला, मोथा, गंध-प्रसारिणी, विदारी, शतावरी, अर्क, कौंच, गोखरू, विदारा, भांग, सेमल मुसली, गो-घृत, मधु के अलावा , इसमें मंजू बाई का कुछ पेसल मसाला भी मिला था।
मंजू बाई का पेसल मसाला सिर्फ मंजू बाई को ही मालूम था और बहुत खास मौकों पे जैसे कोकाकोला वाले अपने X फार्मूले के बारे में किसी को नहीं बताते एकदम उसी तरह और उस का असर मंजू बाई के ही शब्दों में
" यह सिर्फ न ताकत बढ़ाता था , एक बकरे को भी सांड बनाने की ताकत रखता था बल्कि , कर्टसी मंजू बाई के उन पेसल मसाले के , ये एकदम एट्टीट्यूड भी बदल देता था। आधे पौन घंटे में इसका असर होता था और अगले चार पांच घंटे तक ,आदमी सिर्फ एक लंड की तरह सोचता था। सामने अगर कोई चूत हो तो बस चाहे वो चीखे चिल्लाए , चाहे फट के हाथ में आ जाए ,चाहे चिथड़े चीथड़े हो जाए , वो बिना पेले नहीं छोड़ेगा। और जब तक झड़ेगा नहीं अपना मूसल तूफान मेल की तरह पेलता रहेगा। "
और जो पहले ही सांड़ हो,... आप सोच सकते हैं की आज गुड्डी रानी की क्या हालत होने वाली है
इसमें से हर जड़ी कामोत्तेजक नहीं थी पर यह थकान को भगाने ( लगातार १२ घंटे तक पिस्टन अंदर बाहर होना था ), चिंता कम करने ( और यही मेरी सबसे बड़ी चिंता थी, चिंता छोड़ चिंतामणि,... वो स्साली झूठ मूठ की चीखती और ये बजाय झिल्ली फाड़ने के, 'क्या हुआ;, कहने लगते ) और दीर्घ कालिक वीर्यवर्धक ( ननद रानी को अपने अपने भैया से गाभिन भी तो होना था , आज रात नहीं लेकिन जल्दी ही ) .
तो जैसे जटामांसी -ये औषधीय जड़ी बूटी लुप्तप्राय: है और अंग्रेजी में इसे मस्क रुट कहते हैं। सुश्रुत-संहिता में व्रणितोपसनीय जटामांसी का उल्लेख मिलता है. यह अत्यंत वीर्यवर्धक और थकान को दूर करता है।
नागकेसर या नागचम्पा के फलों में दो या तीन बीज निकलते हैं और उनसे लेकिन असली चीज है सही अनुपात , सही ढंग से तैयार किया जाए।
लेकिन कुछ एकदम कम्मोतेजक भी थी, ... शुद्ध शिलाजीत जिसके बारे में मजमे वालों ने सबको बता रखा है।
“”श्रृंगार
आज उस कोमल किशोरी के श्रृंगार की , उसे तैयार करने की जिम्मेदारी मेरी थी ,
कितने दिनों का मेरा सपना था ,अपनी इस छुटकी 'सीधी साधी 'ननदिया को खुद अपने हाथों से तैयार कर उसके 'सीधे साधे ' भैया के नीचे लिटाने की ,
और आज वो दिन आ गया था।
शुरुआत उसके भोले भाले किशोर चेहरे से मैंने की , जिसे देख के लगता था की इसके अभी दूध के दांत भी न टूटे हो,
रंग तो गुड्डी का गोरा था ही ,गोरा नहीं खूब गोरा जैसे कोई दूध में दो बूँद ईंगुर के डाल दे, बस वही रंग , गालों में डिम्पल, हंसती तो जबरदस्त गड्ढे पड़ते थे ,शार्प फीचर्स , लेकिन जान मारती थी उसकी आँखे , बड़े बड़े दीये ऐसी , और सिंगार मैंने वहीँ से शुरू किया ,
काजल , मस्कारा , आई शैडो , घनी धनुष की तरह पलकों को मैंने और संवार दिया ,
उसकी कजरारी आँखों को देख के मुझे बिहारी का एक दोहा याद आ गया,
तिय कित कमनैती पढ़ी बिनु जिहि भौंह-कमान।
चल चित-बेझैं चुकति नहिं बंक बिलोकनि बान
( इस स्त्री ने यह बाण-विद्या कहाँ पढ़ी कि बिना डोरी के भौंह रूपी धनुष और तिरछी दृष्टि-रूपी बाण से चंचल चित्त-रूपी निशाने को बेधने से नहीं चूकती?)
फिर गालों पर हल्का गुलाबी हाइलाइटर , पिंक लिपस्टिक , लिप ग्लास के साथ एकदम वेट लुक
नेल पालिश और खूब गाढ़ा लाल महावर पैरों में ,
उसकी पूरी देह में जो मेहँदी जेठानी ने रच रच कर कल लगाई थी ,मैंने उसे फ्रेश कर दिया ,
फिर उसके छोटे छोटे जोबन , चन्दन का तेल हलकी सी मालिश की मैंने , फिर उसे छेड़ते हुए मैंने गुड्डी के निप्स फ्लिक किये और चिढ़ाया ,
" हे बालम से मिलन होगा ,शरमाने के दिन आगये ,क्यों ननद रानी। "
उस कमलनयनी कोमलांगी किशोरी ने इत्ती जोर से ब्लश किया की गुलाब भी शरमा जाये
" धत्त भाभी , " और आँखे बंद कर लीं।
पर कान तो खुले थे , उसके कानों में मैंने गुनगुनाया ,
" अरे चोदेगे बुर सैंया , ऊप्स ,आई मीन भैया ,... चुदवाने के दिन आ गए। "
और चन्दन अगर का मिला जुला लेप उसके निप्स पर ,
और फिर निचली पंखुड़ियों का नंबर था ,
गदोरी में हल्का सा चमेली का तेल ले के बस चार बूँद , ... मैंने अपनी ननद की कुँवारी गुलाबी पंखुड़ियों को हलके हलके मला
और सिसकिया भरते उस कोमल किशोरी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे खोल दीं।
और उस कुँवारी टीनेजर की मोती , घूंघट में छिपी क्लिट , वो भाभी की निगाह से कैसे बचती।
अंगूठे से मैंने थोड़ा सा मसला और उस किशोरी की जादू की बटन सामने आ गयी।
अंगूठे पर ही मस्क की बस एक बूँद और उस किशोरी के क्लिट पर बस मैंने अंगूठे से हलके से दबा दिया। थोड़ी ही देर में अंगूठे से वो , उस जादू के बटन पर ,
असर भी उसका तुरंत हुआ ,उस लजीली शर्मीली ने अपने आप अपनी जाँघे फैला दीं।
और फिर मैंने एक हाथ की उँगलियों से उसकी कुँवारी प्रेम गली फैलाई , और टप टप टप , सिर्फ चार बूंदे ,
ये मम्मी की देन थी , प्योर नेचरल इजिप्शियन मस्क इसका बेस था लेकिन उसके बाद और भी बहुत सी चीजें
इसके बहुत असर थे , एक तो ये स्पर्म्टिसाइड की तरह काम करती थी , शुकाणु समाप्त करने के , लेकिन साथ साथ असली असर होता था टाइट अगेन वाला
जो महँगी इम्पोर्टेड टाइट अगेन क्रीम में तत्व होते हैं उसका सोधा हुआ अर्क , साथ साथ चुदाई में जो खराश , छिलन आती है , योनि का पर्दा फटता है उसके लिए भी ये एंटीबायोटिक की तरह काम करती है। दर्द इससे ज़रा भी कम नहीं होता लेकिन वो छिलन और खराश जल्द ही हील हो जाती है और चूत रानी अगले दिन फिर ,
और एक चीज मैंने इसमें और डाल दी थी ,जो इनर मसल्स में एक अगन सी जगा के रखती ,हरदम हलकी हलकी खुजली सी मचती
जिसे कोई सांड़ ऐसा मर्द ही ठंडा कर सकता था।
फिर आया गहनों का नंबर
लाल लाल चूड़ियां , कलाई भर के नहीं , पूरी कोहनी तक , बीच बीच में हाथी दांत का चूड़ा, जड़ाऊ दार कंगन , और बाजू बंद ,
गीता
लेकिन सबसे ज्यादा असर था
और उसी के टक्कर का था गीता की गालियां और ये तो मेरी भी इनके ऊपर अजमाया हुआ नुस्खा था जो असर वियाग्रा १०० मिलीग्राम का होगा उससे दूना असर इनकी माँ बहन की गालियों का इनके ऊपर होता था और गीता तो इनके साथ बिना इनकी माँ बहन का नाम लगाए बात ही नहीं करती थी,...
तो कुल मिला जुला के इनकी हालत एकदम बेकाबू हो रहे सांड़ की सी थी थी आज बेचारी बछीया की कस के फटने वाली थी।
इसलिए इन्हे तैयार करा के इनकी बहन के ऊपर चढाने का काम गीता के हवाले ही था,... पहले मालिश
बड़े ही उत्तेजक ढंग से अपने जोबन से मालिश कर के , फिर एक कोई मलहम सा उनके दोनों निप्स पर ,
और उसके बाद वो मोटा खूंटा अलसाया सा खड़ा था ,उसका नंबर लगा पहले गीता की लम्बी चोटी , फिर तने उभार और होंठ , और फिर एक तिला का तेल जिसमें असली सांडे का तेल तो पड़ा ही था उसके अलावा भी बहुत कुछ , खूंटे के बेस से लेकर ऊपर तक दो अंजुरी तेल गीता की हथेली ने सिर्फ चूपड़ा बल्कि हलके हलके मल कर पूरी तरह सूखा दिया। अब तक शेर जग गया था , सुपाड़ा तो उनका हरदम खुला ही रहता था ,उसे दबा के ,उसके छेद में भी चार बूँद तेल,
और उसके बाद कपडे पहनाने का काम भी गीता ने ही , सिर्फ एक चिकन का कुर्ता और पाजामा , लेकिन न बनियान न चड्ढी,
गीता का लॉजिक था इतना उतारने की झंझट कौन करे, नाड़ा खोला, पजामा खुद सरक के नीचे, बस पटक के बहिनिया नीचे भाई अंदर भाई बहन की चोदम चोद चालू वरना ये तो रात भर कपडा उतारने में लगे रहेंगे वो छिनार ऊँगली कर के, अरे जो काम करवाने उसको हम लोग लाएं हैं वो काम शुरू हो जल्दी
बार बार उसकी निगाह घडी पर पड़ रही थी ,मैंने उसे बोल रखा था , मैं गुड्डी को तैयार करके बेडरूम में पहुंचा के उसे इशारा कर दूंगी , फिर वो उन्हें गुड्डी के कमरे में छोड़ के आ जाए।
और इशारा मिलते ही गीता ने असली मालिश शुरू कर दी , पैलौठी के दूध की मालिश
अपनी चूँची को दबा के निप्स से सीधे छर छर धार उनके खड़े तन्नाए खूंटे पर , पूरा खूंटा एकदम गीला ,
और फिर सुपाड़ा दबा के सीधे उसके छेद के भीतर भी एक धार ,...
इसके बाद तो बस पन्दरह बीस मिनट के अंदर वो असर होता की सच में लोहे का खम्भा,... और सामने कोई भी खड़ी हो बिना उसे घंटे भर चोदे ढीला नहीं पड़ने वाला था,... और फिर बाकी सब मदन आसव, शिलाजीत वो हर्बल वियग्रा वाले उन के सास के लड्डू,... आज रात भर का शो होना था और मैंने गीता को बोला था की ठीक नौ बजे उन्हें कमरे में उसके पांच दस मिनट पहले ही उनकी बहन को तैयार कर के मैं पहुंचा दूंगी , ... और नौ बजे रात में बाहर से ताला बंद, जो अगले दिन सुबह नौ बजे ही खुलता,...
मम्मी ने तो कहा था की गुड्डी की एकदम सूखी फाड़ी जाए , मेरे बहुत कहने पर वो मानी थीं ,
अच्छा थोड़ा सा वेसलीन लेकिन सुपाड़े पर सिर्फ ,और वो भी बच्चो को जैसे नजर न लगे वैसे , बस एक हलका सा टीका
मैंने गीता को मम्मी की बात बताई थी लेकिन ये भी बोला था की टीका
पर गीता तो मम्मी की पूरी चमची , एकदम उसने बस थोड़ा सा वैसलीन ,
नंबरी कंजूस बोलने लगी,
" अरे भौजी महंगाई का जमाना और स्साली वैसे ही अपने भाई का लंड घोंटने के लिए पनिया रही होगी, फिर बाद में जो उसके यार गली मोहल्ले में चोदेगे वो वैसलीन की डिबिया लेके टहलते हैं, गाँव में अगर गयी तो रोज पांच दस गन्ने के खेत में ले जाके बस निहुरा के पेल देंगे तो सूखे लेकिन अब मम्मी बोली हैं तो ,"
और बस सबसे छोटी ऊँगली के टिप से वैसलीन को बस छुला भर के मुझे दिखा दिया की अब आप कह रही हैं तो
और हाँ शाम को बैडरूम में तलाशी लेकर अच्छी तरह ,
वेसलीन, फेस क्रीम , तेल ,कोई भी चिकनाई , ... वहां से हटा दी थी। गीता नंबरी दुष्ट गुड्डी की रगड़ाई मेरे अकेले के बस की बात नहीं थी,... वैसलीन फेस क्रीम तो छोड़िये बाथरूम में जाके इनकी शेविंग जेल तक, .... कुछ भी चिकनाई का जुगाड़ नहीं
पाजामा बित्ता भर तना था..
मस्तगीता
लेकिन सबसे ज्यादा असर था गीता के पहलौठी के दूध का
और उसी के टक्कर का था गीता की गालियां और ये तो मेरी भी इनके ऊपर अजमाया हुआ नुस्खा था जो असर वियाग्रा १०० मिलीग्राम का होगा उससे दूना असर इनकी माँ बहन की गालियों का इनके ऊपर होता था और गीता तो इनके साथ बिना इनकी माँ बहन का नाम लगाए बात ही नहीं करती थी,...
तो कुल मिला जुला के इनकी हालत एकदम बेकाबू हो रहे सांड़ की सी थी थी आज बेचारी बछीया की कस के फटने वाली थी।
इसलिए इन्हे तैयार करा के इनकी बहन के ऊपर चढाने का काम गीता के हवाले ही था,... पहले मालिश
बड़े ही उत्तेजक ढंग से अपने जोबन से मालिश कर के , फिर एक कोई मलहम सा उनके दोनों निप्स पर ,
और उसके बाद वो मोटा खूंटा अलसाया सा खड़ा था ,उसका नंबर लगा पहले गीता की लम्बी चोटी , फिर तने उभार और होंठ , और फिर एक तिला का तेल जिसमें असली सांडे का तेल तो पड़ा ही था उसके अलावा भी बहुत कुछ , खूंटे के बेस से लेकर ऊपर तक दो अंजुरी तेल गीता की हथेली ने सिर्फ चूपड़ा बल्कि हलके हलके मल कर पूरी तरह सूखा दिया। अब तक शेर जग गया था , सुपाड़ा तो उनका हरदम खुला ही रहता था ,उसे दबा के ,उसके छेद में भी चार बूँद तेल,
और उसके बाद कपडे पहनाने का काम भी गीता ने ही , सिर्फ एक चिकन का कुर्ता और पाजामा , लेकिन न बनियान न चड्ढी,
गीता का लॉजिक था इतना उतारने की झंझट कौन करे, नाड़ा खोला, पजामा खुद सरक के नीचे, बस पटक के बहिनिया नीचे भाई अंदर भाई बहन की चोदम चोद चालू वरना ये तो रात भर कपडा उतारने में लगे रहेंगे वो छिनार ऊँगली कर के, अरे जो काम करवाने उसको हम लोग लाएं हैं वो काम शुरू हो जल्दी
बार बार उसकी निगाह घडी पर पड़ रही थी ,मैंने उसे बोल रखा था , मैं गुड्डी को तैयार करके बेडरूम में पहुंचा के उसे इशारा कर दूंगी , फिर वो उन्हें गुड्डी के कमरे में छोड़ के आ जाए।
और इशारा मिलते ही गीता ने असली मालिश शुरू कर दी , पैलौठी के दूध की मालिश
अपनी चूँची को दबा के निप्स से सीधे छर छर धार उनके खड़े तन्नाए खूंटे पर , पूरा खूंटा एकदम गीला ,
और फिर सुपाड़ा दबा के सीधे उसके छेद के भीतर भी एक धार ,...
इसके बाद तो बस पन्दरह बीस मिनट के अंदर वो असर होता की सच में लोहे का खम्भा,... और सामने कोई भी खड़ी हो बिना उसे घंटे भर चोदे ढीला नहीं पड़ने वाला था,... और फिर बाकी सब मदन आसव, शिलाजीत वो हर्बल वियग्रा वाले उन के सास के लड्डू,... आज रात भर का शो होना था और मैंने गीता को बोला था की ठीक नौ बजे उन्हें कमरे में उसके पांच दस मिनट पहले ही उनकी बहन को तैयार कर के मैं पहुंचा दूंगी , ... और नौ बजे रात में बाहर से ताला बंद, जो अगले दिन सुबह नौ बजे ही खुलता,...
मम्मी ने तो कहा था की गुड्डी की एकदम सूखी फाड़ी जाए , मेरे बहुत कहने पर वो मानी थीं ,
अच्छा थोड़ा सा वेसलीन लेकिन सुपाड़े पर सिर्फ ,और वो भी बच्चो को जैसे नजर न लगे वैसे , बस एक हलका सा टीका
मैंने गीता को मम्मी की बात बताई थी लेकिन ये भी बोला था की टीका
पर गीता तो मम्मी की पूरी चमची , एकदम उसने बस थोड़ा सा वैसलीन ,
नंबरी कंजूस बोलने लगी,
" अरे भौजी महंगाई का जमाना और स्साली वैसे ही अपने भाई का लंड घोंटने के लिए पनिया रही होगी, फिर बाद में जो उसके यार गली मोहल्ले में चोदेगे वो वैसलीन की डिबिया लेके टहलते हैं, गाँव में अगर गयी तो रोज पांच दस गन्ने के खेत में ले जाके बस निहुरा के पेल देंगे तो सूखे लेकिन अब मम्मी बोली हैं तो ,"
और बस सबसे छोटी ऊँगली के टिप से वैसलीन को बस छुला भर के मुझे दिखा दिया की अब आप कह रही हैं तो
और हाँ शाम को बैडरूम में तलाशी लेकर अच्छी तरह ,
वेसलीन, फेस क्रीम , तेल ,कोई भी चिकनाई , ... वहां से हटा दी थी। गीता नंबरी दुष्ट गुड्डी की रगड़ाई मेरे अकेले के बस की बात नहीं थी,... वैसलीन फेस क्रीम तो छोड़िये बाथरूम में जाके इनकी शेविंग जेल तक, .... कुछ भी चिकनाई का जुगाड़ नहीं
पाजामा बित्ता भर तना था..
मस्टश्रृंगार
आज उस कोमल किशोरी के श्रृंगार की , उसे तैयार करने की जिम्मेदारी मेरी थी ,
कितने दिनों का मेरा सपना था ,अपनी इस छुटकी 'सीधी साधी 'ननदिया को खुद अपने हाथों से तैयार कर उसके 'सीधे साधे ' भैया के नीचे लिटाने की ,
और आज वो दिन आ गया था।
शुरुआत उसके भोले भाले किशोर चेहरे से मैंने की , जिसे देख के लगता था की इसके अभी दूध के दांत भी न टूटे हो,
रंग तो गुड्डी का गोरा था ही ,गोरा नहीं खूब गोरा जैसे कोई दूध में दो बूँद ईंगुर के डाल दे, बस वही रंग , गालों में डिम्पल, हंसती तो जबरदस्त गड्ढे पड़ते थे ,शार्प फीचर्स , लेकिन जान मारती थी उसकी आँखे , बड़े बड़े दीये ऐसी , और सिंगार मैंने वहीँ से शुरू किया ,
काजल , मस्कारा , आई शैडो , घनी धनुष की तरह पलकों को मैंने और संवार दिया ,
उसकी कजरारी आँखों को देख के मुझे बिहारी का एक दोहा याद आ गया,
तिय कित कमनैती पढ़ी बिनु जिहि भौंह-कमान।
चल चित-बेझैं चुकति नहिं बंक बिलोकनि बान
( इस स्त्री ने यह बाण-विद्या कहाँ पढ़ी कि बिना डोरी के भौंह रूपी धनुष और तिरछी दृष्टि-रूपी बाण से चंचल चित्त-रूपी निशाने को बेधने से नहीं चूकती?)
फिर गालों पर हल्का गुलाबी हाइलाइटर , पिंक लिपस्टिक , लिप ग्लास के साथ एकदम वेट लुक
नेल पालिश और खूब गाढ़ा लाल महावर पैरों में ,
उसकी पूरी देह में जो मेहँदी जेठानी ने रच रच कर कल लगाई थी ,मैंने उसे फ्रेश कर दिया ,
फिर उसके छोटे छोटे जोबन , चन्दन का तेल हलकी सी मालिश की मैंने , फिर उसे छेड़ते हुए मैंने गुड्डी के निप्स फ्लिक किये और चिढ़ाया ,
" हे बालम से मिलन होगा ,शरमाने के दिन आगये ,क्यों ननद रानी। "
उस कमलनयनी कोमलांगी किशोरी ने इत्ती जोर से ब्लश किया की गुलाब भी शरमा जाये
" धत्त भाभी , " और आँखे बंद कर लीं।
पर कान तो खुले थे , उसके कानों में मैंने गुनगुनाया ,
" अरे चोदेगे बुर सैंया , ऊप्स ,आई मीन भैया ,... चुदवाने के दिन आ गए। "
और चन्दन अगर का मिला जुला लेप उसके निप्स पर ,
और फिर निचली पंखुड़ियों का नंबर था ,
गदोरी में हल्का सा चमेली का तेल ले के बस चार बूँद , ... मैंने अपनी ननद की कुँवारी गुलाबी पंखुड़ियों को हलके हलके मला
और सिसकिया भरते उस कोमल किशोरी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे खोल दीं।
और उस कुँवारी टीनेजर की मोती , घूंघट में छिपी क्लिट , वो भाभी की निगाह से कैसे बचती।
अंगूठे से मैंने थोड़ा सा मसला और उस किशोरी की जादू की बटन सामने आ गयी।
अंगूठे पर ही मस्क की बस एक बूँद और उस किशोरी के क्लिट पर बस मैंने अंगूठे से हलके से दबा दिया। थोड़ी ही देर में अंगूठे से वो , उस जादू के बटन पर ,
असर भी उसका तुरंत हुआ ,उस लजीली शर्मीली ने अपने आप अपनी जाँघे फैला दीं।
और फिर मैंने एक हाथ की उँगलियों से उसकी कुँवारी प्रेम गली फैलाई , और टप टप टप , सिर्फ चार बूंदे ,
ये मम्मी की देन थी , प्योर नेचरल इजिप्शियन मस्क इसका बेस था लेकिन उसके बाद और भी बहुत सी चीजें
इसके बहुत असर थे , एक तो ये स्पर्म्टिसाइड की तरह काम करती थी , शुकाणु समाप्त करने के , लेकिन साथ साथ असली असर होता था टाइट अगेन वाला
जो महँगी इम्पोर्टेड टाइट अगेन क्रीम में तत्व होते हैं उसका सोधा हुआ अर्क , साथ साथ चुदाई में जो खराश , छिलन आती है , योनि का पर्दा फटता है उसके लिए भी ये एंटीबायोटिक की तरह काम करती है। दर्द इससे ज़रा भी कम नहीं होता लेकिन वो छिलन और खराश जल्द ही हील हो जाती है और चूत रानी अगले दिन फिर ,
और एक चीज मैंने इसमें और डाल दी थी ,जो इनर मसल्स में एक अगन सी जगा के रखती ,हरदम हलकी हलकी खुजली सी मचती
जिसे कोई सांड़ ऐसा मर्द ही ठंडा कर सकता था।
फिर आया गहनों का नंबर
लाल लाल चूड़ियां , कलाई भर के नहीं , पूरी कोहनी तक , बीच बीच में हाथी दांत का चूड़ा, जड़ाऊ दार कंगन , और बाजू बंद ,
चुरमुर करती चूड़ियां
फिर आया गहनों का नंबर
लाल लाल चूड़ियां , कलाई भर के नहीं , पूरी कोहनी तक , बीच बीच में हाथी दांत का चूड़ा, जड़ाऊ दार कंगन , और बाजू बंद ,
जब तक चारपाई पर रात भर चुरुर मुरूर न हो , आधी चूड़ियां नरम कलाई की टूट न जाय
और गुड्डी की कलाई तो , इतनी कोमल की नरम नयी ककड़ी मात।
कमर में खूब चौड़ी करधनी ,ढेर सारे घूँघरु लगे और सबसे बढ़कर एक झब्बा ऐसा , जो ,.. एकदम ठीक वहीँ ,
जी जब मेरी ननद रानी के सब कपडे उसके भइया उतार के फेंक दे तो भी , ... कुछ तो पर्दा रहे उस आज फटने वाली चुनमुनिया पर।
पैरों में खूब चौड़ी चांदी की पाजेब , हजार घुंघरू वाले ,जिस जैसे ही वो पैर उसके भैय्या के कंधे पर चढ़ें , रात भर वो घुंघरू बजते रहे हर धक्के के साथ ,
बिछुए , वो भी घुंघरू वाले ,
बिछुए पहनाते हुए, मुझे एक गारी याद आ गयी और ननद हो और गरियाई न जाए, वो भी जब मेरे सैंया और अपने भैया से चुदवाने जा रही हो,...
छोटे दाने वाला बिछुआ गजबे बना, छोटे दाने वाला,... अरे छोटे दाने वाला,
ये बिछुआ पहिनें ननदी हमारी, छोटी ननदी हमारी,...
अरे रोटी बेलत रसोइया में बाजे, ...
अरे पानी भरत पनघटवा पे बाजे,
अरे सारी रात सेजरिया पे बाजे,...
छोटे दाने वाला बिछुआ गजबे बना, छोटे दाने वाला,...
अरे छोटे दाने वाला,
अरे हमरे सैंया से रात चुदावत बाजे अरे छोटे दाने वाला, अरे अपने भैया से रात चुदावत बाजे, अरे छोटे दाने वाला,
पहले तो ये गारी सुन के वो गुस्सा हो जाती थी, मुक्के से हलके हलके मारने लगती थी, शरमा जाती पर आज उसने सिर्फ ब्लश किया, जबरदस्त ब्लश, ...
और मन तो मेरा कर रहा था उसकी चुम्मी लेने का पर मैंने सोचा की आज का दिन मेरे साजन का कल से मैं भोगूंगी उसको मन भर. और कंट्रोल किया पर मुँह मेरी शादी का एक किस्सा याद आ गया जो मैंने अपनी ननद को भी सुनाया,
मेरी शादी में जब मुझे गहने पहनाये जा रहे थे तो मेरी भाभी ने सबसे बिछुए पहनाये और चिढ़ाया , जानती है कोमलिया सबसे पहले भाभी बिछुए क्यों पहनाती हैं ,
मम्मी चाची दोनों मौसियां बूआ सब मुस्कराने लगीं तो भाभी खुद ही बोली,
" अरे कल यही तो सारी रात उस लड़के के कंधे पे बजेंगे , रून झुन रुन झुन जब वो गपागप पेलेगा मेरी ननदिया को। "
और अब हम दोनों मुस्करा रहे थे ,... बस थोड़ी देर और,...
कानों में बड़े बड़े झुमके
,गले में सतलड़ी हार
और सबसे आखिर में बड़ी सी नथ ,
गुड्डी ने खूब नखड़े किये , नाक उसकी छिदी तो थी पर जमाने से ,.. लेकिन मैंने पहना ही दी।
" अरे ननद रानी नथ नहीं पहनोगी तो तेरे भैय्या उतारेंगे क्या। "
पैंटी एक खूब पतली सी लेसी , आगे तो बस दो इंच की पट्टी सी और ब्रा भी हाफ कप , फ्रंट ओपन लेसी
और एक रेशम का लहंगा , कमर से बहुत नीचे बंधा , झिलमिल झिलमिल करता और एक कच्छी बैकलेस चोली,
चुनरी भी लेकिन छोटी सी ,
और मैं अपनी ननद को लेकर बेडरूम में पहुंचा आयी ,
अभी पौने नौ बज रहे थे ,
" हे बस थोड़ी देर और ,आते होंगे तेरे भइया कम सैंया ज्यादा , बस थोड़ा सा इन्तजार , ...और बाहर निकलते ही मैंने गीता को इशारा कर दिया।
पर गुड्डी को कमरे में पहुंचाने के पहले मैंने एक बार फिर से कमरे में जा के अच्छी तरह से 'सब इंतजाम' देख लिया था,
आयी मिलन की बेला
और मैं अपनी ननद को लेकर बेडरूम में पहुंचा आयी ,
अभी पौने नौ बज रहे थे ,
" हे बस थोड़ी देर और ,आते होंगे तेरे भइया कम सैंया ज्यादा , बस थोड़ा सा इन्तजार , ...और बाहर निकलते ही मैंने गीता को इशारा कर दिया।
पर गुड्डी को कमरे में पहुंचाने के पहले मैंने एक बार फिर से कमरे में जा के अच्छी तरह से 'सब इंतजाम' देख लिया था,
कमरा तो मेरा ही था, जिस बेड पे कल मैं ये और उनकी छुटकी बहिनिया मस्ती कर रहे थे वहीँ आज ये अपनी सीधी साधी बहाना की कच्ची कोरी फाड़ेंगे, बेड फोर पोस्टर, तीन क्या चार चार लोग भी वहां कुश्ती लड़ें रात भर तो जगह कम न पड़े,...
शाम को ही मैंने और गीता ने मिल के अच्छी तरह से कमरे को,... क्या कोई सुहागरात का कमरा सजायेगा, लेकिन एक फर्क था,...
बिस्तर पर चादर एकदम सफ़ेद,... डबल बेड की साटन की, नयी फ्रेश,... और फूल भी सब सफ़ेद चांदनी, जूही , बेला चमेली, हर सिंगार, हलके हलके सुवासित
लेकिन गुलाब के फूलों के बिना सुहागरात का माहौल तो नहीं बनता न तो गुलाब की ढेर सारी पंखुड़ियां और फिर पलंग के चारों ओर लाल गुलाब के बड़े बड़े बुके,...
और एक साइड टेबल जहाँ दूध का चांदी का ग्लास और वो पलंग तोड़ पान के जोड़े रखे थे उसपे गुलाब की कलियों से डेकोरेशन,...
ड्रेसिंग टेबल भी हमने इस तरह रखी थी की उसके बड़े से से शीशे में पलंग की सारी हरकतें भाई बहन देखते रहें
लेकिन कैंडल भी हमने खूब इस्तेमाल की थीं और ये आइडिया भी गीता का था की छिनार बोलेगी, 'भैया बत्ती बंद कर दो'. और बहिना के भैया बंद कर देंगे तो मज़ा आधा हो जाएगा ,
तो बस पलंग के ठीक ऊपर एक शैंडेलियर जिसमें मोमबत्ती ( बल्ब फर्जी लगते हैं ) और वो मैंने अभी जलाई १२ -१४ घंटे की गारंटी थी
कमरे के दूसरी ओर बड़ी बड़ी कैंडल सुगंधित एक से दो फीट की सेंटेड
गीता हंस के बोली , इसे देख के गुड्डी को अपने गली के गदहों का लंड याद आएगा लेकिन आज उसके भाई का लंड उन गदहों से २० नहीं २५ पडेगा,...
और कमरे के फर्श पे लगी फुट लाइट्स मैंने डायरेक्ट कर दी थी,... तो उसके बुझने का सवाल ही नहीं,
और लाइट का एक और कारण भी था, जो मैंने गीता को भी नहीं बताया था , इन्हे भी नहीं,... कैमरे
एकदम हिडेन , और हर ओर से , जिसका कंट्रोल मेरे पास था , वैसे तो ये डार्क में आपरेट कर लेते लेकिन थोड़ी बहुत लाइट होने से फेस और बाकी अंग अच्छे से दिखते न और उन सबके साथ माइक भी , कुछ कैमरे और माइक तो बेड के हेड बोर्ड और साइड्स पर भी लगे स्टम्प माइक की तरह अल्ट्रा एज चेक करने के लिए
एक एक फ्रेम अच्छे से,
मैंने पहले तो सब कैंडल जलायीं , कैमरे लाइट मीटर से चेक किया किये साउंड चेक किया एक फुसफुसाहट भी रिकार्ड हो रही थी और उस धुंधली लाइट में न कैमरे दिख रहे थे न माइक , बस दस मिनट बचे थे मैं बाहर आगयी और गुड्डी रानी को लेकर अंदर, पलंग पर बैठा दिया और दूध और पान दोनों के बारे में समझा दिया, और ये भी की कमरे में रखे फ्रिज में चॉकलेट भी हैं ( उसमें क्या मिला है ये मैंने ननद रानी को नहीं बताया ) , हाँ एक बार फिर से मैंने बैडरूम और बाथरूम चेक कर लिए
नो चिकनाई,
और गुड्डी को जा के ले आयी
फिर गीता को ग्रीन सिंग्नल दे दिया।
----गीता के किशोर दूध भरे थन से , छलकते दूध से उनका खूंटा एकदम भीग गया था , गीता ने पकड़ कर उसे हलके हलके मुठियाते , उन्हें छेड़ा ,
" स्साले , रहा कैसे गया तुझसे , अरे उस स्साली को झांटे आने से पहले ही चोद देना चाहिए था , क्या मस्त जवानी आयी है उसपर। चल कोई बात नहीं , आज सारी कसर पूरी कर देना , फाड़ के रख देना स्साली की। सुबह मैं आके देखूंगी , अगर वो छिनार अपने पैरों पर खड़ी होने ;लायक बची रही तो तेरे इस मस्त लंड की कसम , तेरी माँ चोद दूंगी। "
कुछ गीता के दूध का असर कुछ मुठियाने का खूंटा एकदम तन्ना गया था। एकदम पत्थर।
गीता उसे ही पकड़ के बेडरूम की ओर उनको ले गयी।
गुड्डी अंदर पंलग पर , कुछ घबड़ायी , कुछ....
उनको अंदर कर के , गीता ने दोनों को चाभी दिखायी।
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
जोरू का गुलाम भाग १६७
कैसे फटी हो कैसे फटी
उर्फ़
ननदिया की भैया के साथ सुहागरात
नौ बजने में बस चार मिनट बचे थे।
" चल शुरू हो जाओ , ... भैया के साथ ,.. ये चाभी देख रही हो , बस नौ बजने वाले हैं , और मैं ताला बाहर से बंद कर रही हूँ , ... सुबह साढ़े नौ बजे ,... बस पूरे साढ़े बारह घंटे हैं तुम लोगों के पास ,.... "
और गीता ने चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल , अंगूठे और ऊँगली को गोल कर के दूसरी ऊँगली से अंदर बाहर दोनों को दिखाया ,
और क्या अमिताभ बच्चन ने दीवार में ताला बंद किया होगा ,जो गीता ने ताला बंद कर के चाभी अपनी छोटी सी जोबन फाड़ती लो कट चोली में अंदर रख लिया और चूतड़ मटकाती घर से बाहर।
….
मैं अकेले अपने कमरे में.
ये नहीं की बगल के कमरे में क्या हो रहा था मुझे मालूम नहीं पड़ सकता था , और फिर उनकी सास को तो भी पूरा हाल बयान करना था मुझे , अभी वो मुंबई में किसी मीटिंग में थीं पर कल दिन में ,...
उनके लिए मैंने ,... कैमरे एक दो नहीं ढेर सारे , वाइड एंगल ज़ूम और माइक भी ,
जैसे स्टम्प माइक होता है न एकदम उसी तरह ,पलंग के हेड बोर्ड पर एकदम इनविजिबिल ,
और सामने मेरे ७५ इंच का एल ई डी टीवी लगा था , कैमरों से कनेक्टेड , रिकार्डिंग भी साथ साथ आन थी।
कल जब हम तीनो साथ थे तो हम लोगों ने खूब मस्ती की लेकिन ,
आज ,...
आज जब सिर्फ वो दोनों , ...
कुछ अजीब अजीब सा लग रहा था , कुछ भी देखने का मन नहीं कर रहा था। मैं साथ होती तो बात और थी , पर सिर्फ वो ,... दोनों
शुरू से मेरी यही प्लानिंग थी , नहीं बदले के लिए नहीं बस मैं चाहती थी इनकी हर साध मैं पूरी करूँ , ... हर अनबोली चाहत ,
और आज वो दिन था , पर मेरा मन नहीं कर रहा था देखूं शायद इसलिए भी की आप कभी बहुत मेहनत से तैयारी करें ,बहुत विघ्न बाधाओं से वो काम हो भी जाए लेकिन उसके होने के बाद ,...बहुत खाली खाली सा लगा जैसे ,... अब फिर ,...
लेकिन अचानक मुझे याद आया दरवाजा,...
गीता तो चूतड़ मटकाते इन्हे और इनके बचपन के माल को कमरे में १२ घंटे के लिए बंद कर के चली गयी थी, पर दरवाजा तो बंद करना था,... और फिर आज मैं और गीता दोनों इन भाई बहन को तैयार करने में इतने मशगूल हो गए थे, ... दो चार दिन की बात है ये सब काम तो मैं जिसे उठा के ले आयी हूँ उसके जिम्मे डाल दूंगी, पर आज तो,...
मैंने दरवाजा बंद किया,..
वैसे तो ऑटो लॉक था लेकिन चेक करने की मेरी आदत थी। एक चाभी गीता के पास भी थी, कभी मुझे सुबह उठने में देर हो गयी या घंटी बजी पर ये अपनी मॉर्निंग एक्सरसाइज मेरे ऊपर कर रहे हों,...
रात में भले कभी महीने दो महीने में एकाध बार नागा हो जाए लेकिन जब से मैं ससुराल आयी थी, मज़ाल है बिना वो वाली ' गुड मॉर्निंग ' के कभी मेरा दिन शुरू हुआ हो , ससुराल में जो सीढ़ी से उतरती थी थी , पहले दिन से ही गुलाबो से टप टप, ...
और कुछ दिन बाद तो मैंने परवाह करना भी बंद कर दिया, इनकी एक बुआ थीं रिश्ते की, मेरी बुआ सास, खूब खुल के मजाक करती थी एक दिन उनके सामने ही दो बूंदे टपक गयीं , तो हंस के बोलीं,...
" अरे मांग में सिन्दूर चमचमाता रहे रहे और नीचे वाली मांग में मरद की मलाई बजबजाती रहे, यही तो नयी दुल्हन का सिंगार है '
और ये आज भी,... एकदम उसी तरह लिबराते रहते हैं , ...मैं सोच सोच के मुस्करायी।
एक दिन ऐसे ही लिबरा रहे थे दूर से देख देख के मैं और कभी आंचल ठीक करने,.. के बहाने कभी देख के पलके झुका के, ... बेचारे की हालत ख़राब हो रही थी और जेठानी जल भुन रही थीं,...
और ऊपर जाते ही क्या गुड़ से चींटे चिपकते होंगे,... मैंने बिना छुड़ाए पूछा,...
" क्या चाहिए,... जो इतना लिबरा रहे हो "
" ये लड़की " चिपक के मुझसे बड़ी मुश्किल से ये बोले,
" अरे मिल तो गयी है,... और सात जनम छोड़ के जाने वाली नहीं है,... और ये पहला जनम है समझे बुद्धू, 'उनके गाल पे चिकोटी काट के मैंने चूम लिया।
" नहीं और चाहिए हरदम के लिए ".... वो और चिपक के बोले,...
मैं समझ रही थी उन्हें क्या चाहिए,... मैं कमरे में पहुँचते ही साड़ी उतार देती थी,... और टाइट चोली में दोनों उभार,... निगाहें वहीँ चिपकी लेकिन न बोलने की हिम्मत न खोलने की,...
और आज भी यही हालत है उसी तरह लिबराने की,... ललचाने की,... जहाँ मैं जाती हूँ बस पीछे पीछे,...
बाहर के दरवाजे के बाद मैंने पीछे का दरवाजा, किचेन , दूध फ्रिज में रखा है की नहीं,... दस बारह मिनट के बाद मैं कमरे में गयी
तो मैंने टीवी की आवाज अब ऑन कर दी,... अब मैं आज की हर सीन देखने वाली थी,...
जो थोड़ा बहुत उहापोह थी दूर हो गयी थी,...
ये लड़का चढ़े जाहे जिसके ऊपर रहेगा मेरा ही , दिल तो मेरी ही साड़ी के पल्लू में बंधा है,...
और इतना जुगत कर के, जेठानी से लड़ भिड़ के जिस काम के लिए ननदिया को ले आयी मैं न देखूं वो लाइव टेलीकास्ट,...
मैं जानती थी, हाथी घूमे गाँव गाँव , जिसका हाथी उसका नांव,... तो हाथी तो मेरा ही है , चढ़े जिस पे ,... फिर देखूंगी नहीं तो पढ़ने वालों को कैसे बताउंगी की मेरी टीनेज इंटर पास ननदिया की कैसे फटी,... यही चीख पुकार तो सुनने के लिए,...
मैं पलंग पे लेट गयी थी पद्रह बीस मिनट का सीन छूट गया था लेकिन वीडियो रिकार्डिंग तो हो ही रही थी बाद में देख लूंगी , और एडिट कर के हाइलाइट भी बनानी थी १२ घंटे की १२ मिनट में नहीं ज्यादा शार्ट हो जाएगा , आधे घंटे की,...
और अब मेरी निगाह टीवी पे चिपकी
चुनरी मेरी ननदिया की फर्श पर गुलाबी पंखुड़ियों के ऊपर इतरा रही थी और उसके ऊपर इनका मलमल का कुरता,
पलंग पे ये और इनकी गोद में सिमटी दुबकी मेरी किशोरी टीनेजर ननदिया,... ये तो टॉपलेस हो चुके थे और अपनी ममेरी बहिनिया की चोली के बंध से जूझ रहे थे,...
और वो शरारती, इतराती हलके से बोली,...
" धत, भैया, ... आपसे तो,... "
मैं जोर से मुस्करायी, मैंने उसे आज दिन भर यही सिखाया था,...
" सुन इन्हे भैया ही बोलना गलती से मुंह से भैया के अलावा कुछ निकला न, समझी भाईचोद,... "
" क्या भाभी,... वो जो मैं आज रात को बनूँगी,... भाई चोद, अभी से क्यों बोल रही हैं,... और एकदम भैया ही बोलूंगी,... वरना मेरे राखी के पैसे का घाटा नहीं हो जाएगा,... सैंया तो सिर्फ मेरी भाभी के हैं,... "
छिनार ने अपना रोल इस घर में समझ लिया था,... और अभी भी वो ,...
पर अब वो इतने बुद्धू भी नहीं थे , मुझे अपनी सुहागरात की याद आगयी , बेचारे,.. मैं सामने लगी टिकटिकी मैडम को देख रही थी , मैंने कुछ रेजिस्ट भी नहीं किया रोका भी तो भी मेरी चोली के बंध खोलने में इन्हे १२ मिनट पूरे लग गए थे ,...
आज तो ढाई मिनट में ही बहना की चोली खुल गयी
और उसके जिस जोबन के लिए पूरे शहर के लड़के मचलते थे , एक बार छूने को नहीं कम से कम देखने को मिल जाए,... और आज मेरी सैंया की मुट्ठी में,... और एक अबार जब जोबन पे इनका हाथ पड़ जाए,... मुझसे ज्यादा कौन जानता था जैसे कोई खजाने की चाभी पकड़ा दे , लाकर का कोड बता दे,... फिर तो सरेंडर होना ही था ,...
उनकी ऊँगली उस किशोरी के छोटे छोटे उभारों पे , एकदम टेनिस बाल साइज के होंगे परफेक्ट ३२ सी, ... बस छू रहे थे, सहला रहे थे,...