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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०

वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट

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जोरू का गुलाम भाग ४८




घर वापसी



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घर पहुँच के उन्हें लगा



जल्द से जल्द काम निपटा लें , सब के आने के पहले ,..


काम बहुत पड़ा था।

डस्टिंग ,क्लीनिंग और सुबह के काम की तैयारी ,


देह चूर चूर हो रही थी ,ऐसा मजा कभी नहीं आया जो जो हुआ ,जो जो उन दोनों ने मिल के कराया ,

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इत्ती फैंटेसी थी उनकी ,

ब्ल्यू फिल्मे ,नेट की साइट्स ,

न कभी पढ़ी न कभी सोची

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किसी तरह सब बातें भूलाने की कोशिश करते उन्होंने अपना काम शुरू किया ,

डस्टिंग ,झाड़ू लगाना ,बिस्तर



और जब वो टॉयलेट क्लीन कर रहे थे , मॉम का , एकदम चमकता होना चाहिए मालुम था उन्हें ,

जैसे कोई जबरदस्ती दरवाजा खोल के चला आये , बस कल रात की यादें धड़धड़ा कर घुस जाएँ

चार बार झड़े थे वो लेकिन वो गीता के साथ ,पहली बार

बादल कम हो चुके थे , भोर दस्तक दे रही थी लेकिन रात भी अलसा रही थी ,जाने को।

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मस्त हवा चल रही थी , वो थोड़े थके लेकिन खूँटा खूब तन्नाया ,भूखा

और मंजू बाई के बड़े बड़े खूब भारी चूतड़ उनके चेहरे के ठीक ऊपर




गीता ने उन्हें चिढाते हुए अपने तगड़े हाथों से नीचे का पिछवाड़े का छेद खोलते हुए ,हंस के बोला ,




" भैय्या , माँ के पिछवाड़े का स्वाद तो तूने ले ही लिया ,ऊँगली से, जीभ अंदर डाल के , अब ज़रा अंदर का नजारा देख भी लो न। "

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सीधे उनकी आँखों के सामने ,

उनको लग गया क्या होने वाला है ,

खूब बड़ा सा खुला हुआ गांड का छेद


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और उन्होंने अपने होंठ जोर से भींच के बंद कर लिए पर गीता और मंजू बाई की जुगल बंदी के आगे पूरी रात उनकी नहीं चली तो इस समय क्या चलती।


गीता खिलखिलाई


" अरे भैया तेरी माँ बहन तो झट से खोल देती हैं अपने सब छेद , तू काहें खोलने में झिझक रहा है ,खोल न बड़ा सा मुंह , ... "



और उस छिनार ने पूरी ताकत से उनके नथुने बंद कर दिए और साथ ही जोर से उनके निप्स पकड़ के मोड़ दिए ,

कुछ दर्द से ,कुछ सांस लेने के लिए उन्होंने जैसे ही मुंह खोला ,मंजू बाई का खुला गांड का छेद सीधे उनके खुले मुंह पे ,

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गांड तो उनसे मंजू बाई ने जम के चटवाई थी , लेकिन इस बार लग रहा था , उन्हें मालूम था , ' कुछ और ' होने वाला है , और बागडोर गीता के हाथ में थी , उनके निप्स पिंच कर के उसने उनका मुंह जबरदस्ती खुलवा दिया था , और फिर नथुने बंद कर के , सांस के लिए भी मुंह खोलना था और मुंह के ठीक ऊपर मंजू बाई के पिछवाड़े का छेद , मंजू बाई ने अपने दोनों हाथों से पूरी ताकत से छेद को फैला रखा था ,

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और गीता उनका हाथ आँगन में पड़े अपने ब्लाउज से बांधते बोली ,

" ये हुयी न बात ,माँ मैं कह रही थी न भैय्या खुद अपना मुंह खोल के , देख कित्ता बड़ा मुंह खोला है उन्होंने , ... "

और उसके साथ ही गीता ने आंगन में पड़े अपने ब्लाउज से उनके हाथ कस के मोड़ के बाँध दिए और कान में हलके से हड़काते बोली,

" खबरदार जो मुंह बंद करने की कोशिश की , बस तू पड़ा रह ऐसे ही अब जो करना होगा हम दोनों करेंगे। "

वो बंद कर सकते भी नहीं थी उनके नथुनों पे अब मंजू बाई के एक हाथ का कब्जा था ,

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जबरदस्त जुगलबंदी थी माँ बेटी की ,

उनके हाथ बेटी के ब्लाउज से बंधे , चेहरे पर माँ चढ़ी , उनके खुले मुंह पर उसका पिछवाड़े का खुला छेद चिपका , और मुंह वो बंद नहीं कर सकते थे , नथुने माँ बेटी बारी बारी से दबोच रही थीं ,


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और बेटी भी ऊपर चढ़ी , उसकी गुलाबो सीधे उनके तन्नाए खूंटे पर रगड़ती


और गीता उनके खूंटे के ऊपर अपनी कसी चूत को रगड़ते ,

वो उसकी चूत चूस चुके थे ,चाट चुके थे ,ऊँगली कर चुके थे लेकिन चोदने के लिए तड़प रहे थे ,

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और अब मंजू बाई की गांड उनके चेहरे पर ,

देख तो नहीं सकते थे लेकिन छुअन महसूस कर सकते थे , गीता की गुड़ की डली ऐसी आवाज सुन तो सकते थे ,

" चल भैय्या तू बहुत तड़प रहा था न तुझे बहन की चूत का मजा चखा ही देती हूँ ,चल बहनचोद। बस तू लेटे रहना आज मैं दूँगी मजा , ... "

और गीता की चूत के होंठ उनके तन्नाए सुपाड़े से रगड़ रहे थे ,

मंजू ने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खूब जोर से चियार दी थी ,



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" अरे भैया , प्लीज मेरी खातिर एक बार ज़रा सा जीभ निकाल के ,हाँ हाँ , थोड़ा सा और , बस ज़रा सा चाट लो न माँ की , ... "

और उसी के साथ गीता ने जो धक्का मारा उनका सुपाड़ा गीता की कसी किशोर चूत में ,

और उनकी जीभ तो बस अब उनके बजाय मंजू बाई और गीता की गुलाम हो चुकी थी ,निकल कर सीधे मंजू बाई की खुली ,...

गीता की चूत जोर जोर से उनके लन्ड को भींच रही थी और गीता की आवाज ,उनके कान में

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" चाट साले मादरचोद ,अरे एक बार माँ का परसाद मिल गया न तो देखना बहुत जल्द जिस भोंसडे से निकला है उसे भी ऐसे ही चाटेगा , और हम सब के सामने, .... "

और उसी के साथ गीता ने भी पूरा जोर लगाया ,मंजू बाई ने भी ,...

गीता ने एक साथ दो उँगलियाँ उनकी गांड में भी पेल दी ,पूरे जड़ तक गोल गोल घुमाते


मंजू बाई की आवाज ,...

ले मुन्ना ले न , ले और


आधे घंटे तक ,...





लेकिन तब तक घंटी बजी ,

गनीमत थी ,मोबाइल की ,दरवाजे की नहीं।

और वो रात से वापस दिन में लौटे।




मेरा ही मेसेज था ,


" हम लोग निकल रहे हैं , ३०-४० मिनट में पहुंचेंगे "



सफाई वो कर चुके थे।

उन्होंने चैन की सांस ली , खुद नहा धो के फ्रेश हुए , फिर चाय के लिए पानी गरम करने को रखा ,ब्रेकफास्ट की तैयारी और तभी दरवाजे की घंटी बजी।

हम लोग आ गए थे।
 
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komaalrani

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घर


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हम लोग आ गए थे।

…………………………….
दरवाजा उन्होंने खोला , थोड़े थके लग रहे थे , थके तो हम लोग भी थे।

लेकिन मेरी निगाह सीधे 'नीचे वहीँ',

और मैं अपनी मुस्कान नहीं रोक पायी।

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मॉम सीधे बैडरूम में ,साथ में मैं और पीछे पीछे वो ,

मम्मी फ्रेश होने गयी और नीचे हाथ डाल के मैंने 'उसे' पकड़ लिया ,






" लगता है अबकी सिग्नल डाउन हो गया , "




दबाते मसलते मैंने उन्हें चिढाया ,



वो भी न ,टिपिकल वो , लजाते ,शरमाते ,झिझकते

" चाय ला रहा हूँ अभी "

चाय ख़तम करने के साथ ही मम्मी ने अपना प्रोग्राम बता दिया ,

" मैं बहुत थकी हूँ , चार पांच घण्टे सोऊंगी , तू भी थोड़ा आराम कर ले ,ब्रेकफास्ट में कुछ बस सिम्पल सा। "

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और पल भर में मम्मी खराटे लेने लगी ,साथ में मैं भी ,

वो अपने ,मेरे कमरे में


रात भर ज़रा भी नहीं सोये थे , लेडीज संगीत तो ढाई तीन बजे तक ख़तम हो गया था ,

मम्मी की सहेली का घर शहर से दस पंद्रह किलोमीटर बाहर , फ़ार्म हाउस क्या बड़ा सा रिसार्ट ,...

और असली खेल तमाशा तो उसके बाद शुरू हुआ ,

सिर्फ कुछ ख़ास एक्सक्लूसिव , मुझे जोड़ के पांच छह लोग ,


और साथ में हार्ड ड्रिंक



और अब मैं समझी की ये मामला एक्सक्लूसिव लेडीज क्यों था ,

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चलते चलते मम्मी ने जिक्र कर दिया की हफ्ते दस दिन में हम लोग इनके मायके जाएंगे और लौट के साथ में इनकी ममेरी बहन को ,

और जैसे ही मम्मी की सहेली ने गुड्डी



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के बारे में सुना उनकी आँखे एकदम कौंध गयी ,

" अकेले अकेले मजा लेगी रसमलाई का तू "


मुस्करा के मेरे गाल जोर से पिंच करके वो बोलीं

( एक रात में ही मौसी से हम लोग तू पर आ गए थे ,एकदम पक्की सहेली )

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जवाब मेरी ओर से मम्मी ने दिया ,

"एकदम नहीं , अरे भेज देगी तू भी उसे सिखा पढ़ा के पक्का कर देना।"


मम्मी की सहेली को पुरुषों में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी ,सिर्फ कन्या रस ,और वो भी यंगर द बेटर।

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….

रात भर चला वो खेल , मम्मी की सहेली ने ५-६ कच्ची कलियाँ इकट्ठी की थीं , सब की सब कच्ची अमिया वाली एकदम खटमिट्ठी

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और हम सब ने मिलकर ,

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लग रहा था , वो सब बस पहली या दूसरी बार ,...

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कुछ के साथ तो मम्मी ने जबरदस्ती भी की अपनी सहेली के साथ मिलकर , ...

रात भर एक बूँद कोई सोया नहीं , ...


और कुछ भी बचा नहीं ,...


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हर तरह की मस्ती




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जब मैं सो के उठी , साढ़े दस बज रहे थे।


दो ढाई घण्टे की नींद ने मेरी थकान एकदम ख़तम कर दी थी। मम्मी अभी भी गाढ़ी नींद में सो रही थीं।

दबे पाँव मैं बाहर निकली , पूरे घर में सन्नाटा पसरा पड़ा था ,लेकिन घर एकदम चम् चम् चमक रहा था।


परफेक्ट डस्टिंग ,किचेन में मैंने झांका ,बरतन सारे धुले ,करीने से रखे यहाँ तक की जो हम लोगों ने चाय पी थी वो भी ,ब्रेकफास्ट की सारी तैयारी हो चुकी थी।

और उसी तरह दबेपांव मैं अपने कमरे में पहुंची।

हमारे डबल बेड पर वो अकेले ,गहरी नींद में ,


बदमाश , सोते हुए कितने सीधे लगते थे ,मुझसे कोई पूछे , सिर्फ बस रैप किये हुए ,लुंगी की तरह


और सोते में वो भी हल्का सा हट गया था ,


'वो 'दिख रहा था , सोया सोया

सच्ची मुझसे रहा नही गया , झुक कर मैंने हलके से गाँठ खोल के सरका दिया और अब ' वो ' पूरी तरह आजाद था।

झुक कर एकदम पास से मैं देखने लगी , और साथ में मेरी नाइटी भी सरक कर ,सर सर सर , जमीन पर


सोते हुए ' वो ' कितना सीधा लगता था ,एकदम भोला ,अच्छे बच्चे की तरह लेकिन जग जाय तो , कोई मुझसे पूछे क्या हाल कर देता था।

हलके से मैंने एक चुम्मी ले ली 'उसपर ' .और एक बार उनकी ओर नजर उठा के देखा ,वो सो रहे थे अभी भी।





सिर्फ अपने होंठों से पकड़ के ,वो मस्त मिठाई मैंने मुंह में ले ली और हलके हलके लॉलीपॉप चुभलाने लगी ,चूसने लगी।

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क्या स्वाद था ,

कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।


मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।

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Niharika

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कोमल जी ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार

कहानी पढ़ते हुए क्या कातिलाना हुस्न दिखा दिया .... और यह साड़ी इसपर तो दिल आ गया कसम से ..... इसको पेहेंन कर .... उनको तडपना उफ़ कितना मजा आएगा ......

औरत के जिस्म का मजा साडी मैं ही आता हैं .... साडी को धीरे धीरे खोल कर .... इसमें मेरी उत्तेजना बढ़ जाती हैं और मेरी नीचे वाली टपकने लगती हैं ....
कोमल जी . आप कमाल ही

आपकी निहारिका
 
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komaalrani

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कोमल जी ,

निहारिका का प्यार भरा नमस्कार

कहानी पढ़ते हुए क्या कातिलाना हुस्न दिखा दिया .... और यह साड़ी इसपर तो दिल आ गया कसम से ..... इसको पेहेंन कर .... उनको तडपना उफ़ कितना मजा आएगा ......

औरत के जिस्म का मजा साडी मैं ही आता हैं .... साडी को धीरे धीरे खोल कर .... इसमें मेरी उत्तेजना बढ़ जाती हैं और मेरी नीचे वाली टपकने लगती हैं ....
कोमल जी . आप कमाल ही


आपकी निहारिका


एकदम सही कहा आपने साड़ी की बात ही कुछ और है , और ' हर काम ' में आसान ,


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komaalrani

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साजन मेरा , मैं सजनी उसकी






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कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।


मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।

……………………………

और अब मैंने भी हाथ लगा दिया , हाथ नहीं सिर्फ दो उंगलियां 'उसके ' बेस पे , हलके से दबाया ,



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अब वो कुनमुना रहा था हल्का सा जग गया था , थोड़ा थोड़ा कड़ा ,



और अबकी मैंने होंठ जोर से प्रेस किया , आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था


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आधा सोया आधा जागा ,



मस्ती से मैं चूस रही थी , क्या मस्त स्वाद था।


और मैंने एकबार पलक उठा के देखा तो वो शैतान बच्चे की तरह टुकुर टुकुर देख रहे थे।

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मेरी आँखों ने थोड़ा प्यार से ,थोड़ा हक़ से उन्हें डांटा ,बरज दिया ,खबरदार , बस लेटे रहो चुपचाप।

और वो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप

' वो ' भी अब जग गया था , पूरे सात इंच का , कड़ा खड़ा ,

और मैंने पूरी ताकत से अपना सर प्रेस किया ,


आलमोस्ट मेरे गले तक ,मेरी जीभ चारों ओर से उसे चाट रही थीं ,होंठ जम के चूस रहे थे।


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मुझसे ज्यादा ये कौन समझ सकता था ,


जो मजा अपने घर में है


अपने बिस्तर पर है ,


और

अपने पति के साथ है , वह कहीं नहीं।


और पति अगर मेरे पति जैसा हो तो क्या कहना
,



अब मैं जम के चूस रही थी ,


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उनको तो मैंने हिलने को भी मना किया था लेकिन बिचारे कितना कंट्रोल कर सकते थे ,

कुछ नहीं तो

नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के , मेरे होंठों के साथ ताल पर ताल मिला रहे थे ,
ऊपर के मेरे होंठों ने तो स्वाद चख लिया था पर भूखे तो नीचे वाले होंठ भी थे ,

ये कलाकंद खाये हुए उन्हें भी तो दो दिन बीत चुके हैं।

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और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।


कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,


अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप

और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।

तो न गप्प करना तो गलत है न।

मैंने उनकी ओर देखा ,

दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।

और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।


वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को।


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शादी के बाद पहले दिन से ही ,बल्कि शादी में भी चुपके चुपके , लेकिन

कहीं छुपता है क्या ऐसे देखना , मेरा भाभियाँ कितना चिढा रही थी , तेरे जुबना का तो दीवाना है ये , देख क्या हाल करता है इनका।



उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में , और मैंने झुक के अपने उभार उनके गालों पे रगड़ दिया , और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।



…………………

जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,शरारती मैं ,मैंने उन्हें दूर हटा लिया।
 

komaalrani

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मस्ती साजन संग





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और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।


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…………………

जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,



शरारती मैं ,



मैंने उन्हें दूर हटा लिया।

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सच में उन्हें तड़पाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।

वो पूरी तरह अब मेरे अंदर थे ,


मेरी गुलाबी परी हलके हलके उन्हें भींच रही थी ,रगड़ रही थी ,निचोड़ रही थी।



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और कुछ देर में मैंने धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी ,


नीचे से वो भी अपने नितम्ब उठा उठा के ,

उनकी कलाइयां अब आजाद थीं और मेरी पतली कमर उनके हाथों में ,

मैं पुश करती थी ,पूरी ताकत से और वो अपने मजबूत हाथों से पुल करते ,


सटासट ,गपागप ,हचक हचक के उनका खूब मोटा खूंटा मेरी सहेली के अदंर बाहर ,



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पर कुछ पलों के बाद ,शायद उनको अहसान हो गया था ,मैं रात भर की जगी थकी


और वो ऊपर आ गए थे ,मैं नीचे।

और कुछ देर में ही मैंने सरेडंर कर दिया , जो मजा जितने में है उससे ज्यादा सरेंडर में।

अब मैं सिर्फ मजे ले रही थे और वो , मजे दे रहे थे।


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मेरी देह के बारे में मुझसे ज्यादा अब उन्हें मालुम था।




जैसे कोई आटा गुंथे , मेरे दोनों जोबन गूंथे जा रहे थे। दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा।

उनका मोटा खूंटा रगड़ रगड़ के , हचक हचक के मेरी चूत फाड़ता हुआ घुस रहा था।


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उनके होंठ कभी मेरे गालों को रगड़ते ,चूमते चाट लेते ,कचकचा के काट लेते।

दर्द तो बहुत होता पर प्यार के ये निशान ( इन्हें देख के चिढाने का कोई मौका मेरी सहेलियां नहीं छोड़ती थीं ) ,


मजा भी बहुत था इनमे।




गालों के निशान से कौन इनका मन भरने वाला था ,जब तक दांत के निशान मेरे उरोजों पर न पड़े।


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न इन्हें कोई फर्क पड़ रहा था न मुझे की इस समय दिन के दस बज रहे थे ,




और पति पत्नी होने का यही तो फर्क है




जब मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा ,

न मुझे जल्दी थी न इन्हें ,

बाहर से सावन की मीठी मीठी हवा अंदर आ रही थी और सावन के झूले के झोंके से हम दोनों धीमे धीमे पेंगे लगा रहे थे।

जब जड़ तक ' वो ' दुष्ट घुसता ,उसका बेस मेरी गुलाबी क्लीट को रगड़ देता ,मैं गिनगिना उठती ,





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जोर से उन्हें भींच लेती,अपने कड़े कड़े उभार उनके सीने पे मस्सल देती।


और बदले में आलमोस्ट बाहर तक निकाल के जड़ तक एक बार वो फिर पेल देते ,


मेरे तीखे नाख़ून उनकी पीठ पर उनके शोल्डर ब्लेड्स को खरोंच खरोंच कर कहते ' और और "

और , और उन्होंने मेरी लंबी टांगो को उठा के अपने कंधो पर रख लिया ,एक हाथ उनका मेरे गोल गदराये नितम्ब पर और दूसरा कटीली कमरिया पर ,


फिर तो एकदम वो अपने असली रूप में ,






धक्के पर धक्का ,हर धक्का तूफानी धक्का ,सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,





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कभी मैं चीख उठती तो कभी सिहर उठती ,कभी दर्द से कभी मजे से,

उन के दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन पे , और हर धक्का पहले से दूनी ताकत से ,

यही तो मैं चाहती थी।


और अब मैं कभी नीचे से चूतड़ उठा उठा के तो कभी लन्ड अपनी बुर में निचोड़ के , साथ दे रही थी।


और तभी कुछ खड खड़ की आवाज हुयी ,लेकिन बिना हटे उन्होंने जोर से मुझे दबोच लिया और पूरे घुसे खूंटे को जोर जोर अदंर गोल गोल घुमाने लगे।




कुछ ही देर में फिर आवाज हुयी , किचेन से , लगता है मम्मी जग गयी थीं और किचेन में थी।


मैं कुछ बोल पाती उसके पहले लन्ड उन्होंने ऑलमोस्ट बाहर निकाल लिया और जोर से ,हचक के , सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,

मेरी चीख निकल गयी और उन्होंने कचकचा के मेरी गोल गोल चूंची जोर से काट ली ,

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उईईईईई आह्ह्ह्ह

हे तुम लोग भी काफी पियोगे , किचेन से मम्मी की आवाज आयी।

चीख किसी तरह रोकती मैं बोली ,


" हाँ मम्मी ,बस थोड़ी देर में हम दोनों बाहर आ रहे हैं। "




और फिर तो धक्का पेल चुदाई ,

न मुझे फर्क पड़ रहा था न इन्हें ,कि मम्मी जग गयी है , हमारे बेड रूम से सटे किचेन में हैं।



पांच मिनट तक रगड़ रगड़ उन्होंने ऐसा चोदा , मैं पहले झड़ी और साथ में फिर ये भी।




किसी तरह मैं पलंग से उठी ,कपडे समेटे ,ठीक किये और इन्हें भी उठाया ,





" चल न मम्मी बाहर काफी बना के वेट कर रही होंगी। "
 
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Raj Yadav

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और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।


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…………………

जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,


शरारती मैं ,



मैंने उन्हें दूर हटा लिया।


सच में उन्हें तड़पाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।

वो पूरी तरह अब मेरे अंदर थे ,


मेरी गुलाबी परी हलके हलके उन्हें भींच रही थी ,रगड़ रही थी ,निचोड़ रही थी।




और कुछ देर में मैंने धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी ,


नीचे से वो भी अपने नितम्ब उठा उठा के ,

उनकी कलाइयां अब आजाद थीं और मेरी पतली कमर उनके हाथों में ,

मैं पुश करती थी ,पूरी ताकत से और वो अपने मजबूत हाथों से पुल करते ,


सटासट ,गपागप ,हचक हचक के उनका खूब मोटा खूंटा मेरी सहेली के अदंर बाहर ,





पर कुछ पलों के बाद ,शायद उनको अहसान हो गया था ,मैं रात भर की जगी थकी


और वो ऊपर आ गए थे ,मैं नीचे।

और कुछ देर में ही मैंने सरेडंर कर दिया , जो मजा जितने में है उससे ज्यादा सरेंडर में।

अब मैं सिर्फ मजे ले रही थे और वो , मजे दे रहे थे।



मेरी देह के बारे में मुझसे ज्यादा अब उन्हें मालुम था।




जैसे कोई आटा गुंथे , मेरे दोनों जोबन गूंथे जा रहे थे। दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा।

उनका मोटा खूंटा रगड़ रगड़ के , हचक हचक के मेरी चूत फाड़ता हुआ घुस रहा था।

उनके होंठ कभी मेरे गालों को रगड़ते ,चूमते चाट लेते ,कचकचा के काट लेते।

दर्द तो बहुत होता पर प्यार के ये निशान ( इन्हें देख के चिढाने का कोई मौका मेरी सहेलियां नहीं छोड़ती थीं ) ,


मजा भी बहुत था इनमे।




गालों के निशान से कौन इनका मन भरने वाला था ,जब तक दांत के निशान मेरे उरोजों पर न पड़े।

न इन्हें कोई फर्क पड़ रहा था न मुझे की इस समय दिन के दस बज रहे थे ,




और पति पत्नी होने का यही तो फर्क है




जब मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा ,

न मुझे जल्दी थी न इन्हें ,

बाहर से सावन की मीठी मीठी हवा अंदर आ रही थी और सावन के झूले के झोंके से हम दोनों धीमे धीमे पेंगे लगा रहे थे।

जब जड़ तक ' वो ' दुष्ट घुसता ,उसका बेस मेरी गुलाबी क्लीट को रगड़ देता ,मैं गिनगिना उठती ,






जोर से उन्हें भींच लेती,अपने कड़े कड़े उभार उनके सीने पे मस्सल देती।


और बदले में आलमोस्ट बाहर तक निकाल के जड़ तक एक बार वो फिर पेल देते ,


मेरे तीखे नाख़ून उनकी पीठ पर उनके शोल्डर ब्लेड्स को खरोंच खरोंच कर कहते ' और और "

और , और उन्होंने मेरी लंबी टांगो को उठा के अपने कंधो पर रख लिया ,एक हाथ उनका मेरे गोल गदराये नितम्ब पर और दूसरा कटीली कमरिया पर ,


फिर तो एकदम वो अपने असली रूप में ,






धक्के पर धक्का ,हर धक्का तूफानी धक्का ,सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,








कभी मैं चीख उठती तो कभी सिहर उठती ,कभी दर्द से कभी मजे से,

उन के दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन पे , और हर धक्का पहले से दूनी ताकत से ,

यही तो मैं चाहती थी।


और अब मैं कभी नीचे से चूतड़ उठा उठा के तो कभी लन्ड अपनी बुर में निचोड़ के , साथ दे रही थी।


और तभी कुछ खड खड़ की आवाज हुयी ,लेकिन बिना हटे उन्होंने जोर से मुझे दबोच लिया और पूरे घुसे खूंटे को जोर जोर अदंर गोल गोल घुमाने लगे।




कुछ ही देर में फिर आवाज हुयी , किचेन से , लगता है मम्मी जग गयी थीं और किचेन में थी।

मैं कुछ बोल पाती उसके पहले लन्ड उन्होंने ऑलमोस्ट बाहर निकाल लिया और जोर से ,हचक के , सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,

मेरी चीख निकल गयी और उन्होंने कचकचा के मेरी गोल गोल चूंची जोर से काट ली ,

उईईईईई आह्ह्ह्ह

हे तुम लोग भी काफी पियोगे , किचेन से मम्मी की आवाज आयी।

चीख किसी तरह रोकती मैं बोली ,


" हाँ मम्मी ,बस थोड़ी देर में हम दोनों बाहर आ रहे हैं। "




और फिर तो धक्का पेल चुदाई ,

न मुझे फर्क पड़ रहा था न इन्हें ,कि मम्मी जग गयी है , हमारे बेड रूम से सटे किचेन में हैं।



पांच मिनट तक रगड़ रगड़ उन्होंने ऐसा चोदा , मैं पहले झड़ी और साथ में फिर ये भी।




किसी तरह मैं पलंग से उठी ,कपडे समेटे ,ठीक किये और इन्हें भी उठाया ,





" चल न मम्मी बाहर काफी बना के वेट कर रही होंगी। "
mst reply my msg inbox pls
 
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello Everyone :hello: We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).. Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai. Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge. Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa. Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega. Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain.. Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread. Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread. Regards :Xforum Staff.
 
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बहन की बुरिया




Geeta-1-051811115450.jpg

और फिर वो वापस आ गए ,गीता की आवाज ,


" भैय्या कैसा लगा बहन का खजाना। "


एकदम संतरे की रस भरी फांके , दोनों गुलाबी मखमली जाँघों के बीच चिपकी दबी।

लग रहा था बस रस अब छलका , तब छलका।

pussy-teen-CU17086663.jpg


बहुत छोटी सी दरार , दोनों ओर खूब मांसल गद्देदार वो प्रेम केद्वार और चारो और ,काली नहीं

भूरी भूरी छोटी छोटी झांटे केसर क्यारी ऐसे जैसे किसी ने सजाने के लिए लगाई हो ,



जैसे उस प्रेम गली के बाहर वंदनवार हों ,

pussy-waxed-close-ups-11.jpg


और अब गीता ने झुक के उनके चेहरे के एकदम पास , वो सिर्फ देख ही नहीं पा रहे थे ,बल्कि सूंघ भी सकते थे , ज़रा सा चेहरा उठा के चख भी सकते थे।


और उन्होंने जैसे ही चेहरा उठाने की कोशिश की , गीता ने प्यार से झिड़क दिया अपने दोनों हाथों से उन्हें वापस उसी जगह ,


" नहीं नहीं भैया सिर्फ देखो न अपनी बहना का खजाना ,बोल न भैय्या कैसे है। "


और वो ,... उनके होंठ प्यासे होंठ तड़प रहे थे।



बस लार टपका रहे थे ,किसी तरह अपने को रोक पा रहे थे।


"बहुत मस्त कितना रस है , क्या खूश्बु ,"

और जोर से उन्होंने गहरी सांस लेकर उस महक का मजा लेने की कोशिश की।

pussy-wet.jpg



गीता की लंबी लंबी उंगलिया , उन मांसल भगोष्ठ को रगड़ रही थी मसल रही थी।


वो लम्बी गोरी पतली किशोर उँगलियाँ अपने बीच दबाकर अब कभी हलके तो कभी जोर से चूत की दोनों फांकों को,


रस की एक बूँद छलक आयी।



गीता ने उस खजाने को थोड़ा और उसके चेहरे के पास कर दिया , बस वो जीभ निकाल कर चाट सकते थे।




और और

और गीता ने उन्ही रस से गीली उँगलियों से अपने दोनों गुलाबी निचले होंठों को पूरी ताकत से फैलाया और अब,

अंदर की गुलाबी प्रेम गली , एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी।




गीता ने अपना अंगूठा अब उभरे मस्ताए साफ़ साफ़ दिख रहे कड़े क्लीट पर रखा


Pussy-clit-CRW-2572.jpg



और उन्हें दिखा के हलके हलके रगड़ने लगी ,

साथ में वो अब सिसक रही थी ,मस्त हो रही थी ,

ओह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह इहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रस की ढेर सारी बूंदे उसकी सहेली के बाहर चुहचुहा आयी थीं।


बहुत मुश्किल हो रहा था उनको अपने को रोकना ,

उनकी निगाहें बस गीता की रसीली बुर से चिपकी थीं।


और गीता ने हलके हलके अपनी तर्जनी की टिप ,सिर्फ टिप अंदर घुसेड़ी और जोर की चीख भरी।

कुछ देर तक वो ऊँगली की टिप हलके हलके गोल गोल घुमाती रही और जब ऊँगली बाहर निकली तो उसकी टिप रस से चमक रही थी।


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उनके प्यासे दहकते होंठों पर वो ऊँगली आके टिक गयी और सब रस लथेड़ दिया।


उनकी जीभ ने बाहर निकल कर सब कुछ चाट लिया ,

" बहुत मन कर रहा है भैया लो चाट लो "

वो हंस के बोली

और खुद ही झुक के उसने अपनी बुर , उनके होंठों पर रगड़ दी।


और वो कौन होते थे अपनी प्यारी प्यारी बहना को मना करने वाले।

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हलके से पहले उनकी जीभ की नोक ने गीता की बुर पर चुहचुहाती रस की बूंदो को चाट लिया , फिर जोर से सपड़ सपड़ , ऊपर से नीचे तक

कुछ ही देर में वो संतरे की रसीली फांके उनके होंठों के बीच थी और वो कस कस के चूस चुभला रहे थे।




गीता की उत्तेजित क्लीट इनके नाक के पास थी लेकिन वो थोड़ा सा सरकी और सीधे होंठ पे ,


फिर क्या ,उनके होंठ ये दावत कैसे छोड़ देते। जोर जोर से कभी जीभ से उसकी भगनासा सहलाते तो कभी चूस लेते।

" हाँ भैया ,हाँ ... मजा आ रहा है न बहन की बुरिया चूसने में ,चूस और चूस। ओह्ह इहह्ह आहहहह उह्ह्ह "

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गीता सिसक रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।

लेकिन कुछ देर में बोली ,

" भैय्या तू अपनी बहन के बुर का मजा लो तो ज़रा हमहुँ अपने भैय्या के मस्त लन्ड का मजा ले लें , इतना मस्त गन्ना है ,बिना चूसे थोड़ी छोडूंगी। "
बहन की बूरिया का बहुत ही खूबसूरत वर्णन है।
 
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