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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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जबरदस्त अपडेट्स..!!! कहानी पढ़ते पढ़ते ऐसा ही प्रतीत हो रहा था जैसे कोई फाइनैन्शल थ्रिलर देख रहे हो..!! इतनी सारी बारीकियों के साथ जैसा सटीक वर्णन है, कहीं भी, कुछ भी मिस नहीं हो रहा..!! पल पल यह इंतेज़ारी रहती है की अब आगे क्या होगा..!!! गजब की लेखनी..!!!कम्पनी सेक्रेटरी,
वो कम्पनी सेक्रेटरी, जो किसी से सीधे मुंह बात नहीं करती थी, खास तौर से मिस्टर दीर्घलिंगम की प्राइवेट सेक्रेटरी से, और सीनियर सेक्रेटरीज से जूनियर यंग असिस्टेंट्स नयी नयी लड़कियां तो उसके लिए धूल की तरह थीं, आज वो सबसे हाल चाल पूछ रही थी।
यहाँ तक की उसकी अपनी सेक्रेटरी जब काफी ले के आयी तो उसने बैठने के लिए पूछा।
मिस्टर दीर्घलंगम की प्राइवेट सेक्रेटरी के लिए तो उसने सोच रखा था, बस एक बार नए सिक्योरटी वाले आ जाए, आज टेकओवर हो जाए, तो कल नहीं, आज ही अपने सामने बल्कि सबके सामने स्ट्रिप सर्च करवाएगी, बल्कि कैविटी सर्च भी, चार ऊँगली कम से कम खुद अंदर डालेगी, अरे स्साली आराम से घोंटेंगी, एक लौंडिया तो निकाल ही चुकी है और अब तो उसकी लौंडिया भी घोंटने लायक होगयी होगी।
नहीं होगी तो वो करवा देगी, बुलाएगी उसे अपनी मां से मिलने और उसके सामने ही,
और दोनों डायरेकटर जिन्हे आज की मीटिंग के बारे में मालूम था वो भी थोड़ा अबनार्मल थे, एक तो मिस्टर सेन, जिन्हे ब्लैकमेल कर के डिफेक्ट करने के लिए मजबूर किया गया था, फिर कम्पनी में कुछ फ्राड करवाया गया, कुछ गलत फाइलिंग करवाई गयी उनकी सिग्नेचर से वो थोड़े घबड़ाये लग रहे थे, लेकिन दूसरे डायरेक्टर जो शेयर और कंपनी के एम् डी बनने के लिए डिफेक्ट कर रहे थे, वो काफी जोश में थे।
पर टेंशन स्टॉक मार्केट का थोड़ा बहुत कम्पनी में आ रहा था।
सुबह से जो टेकओवर की अफवाह थी, वो कम्पनी के हर फ्लोर पे थे, और टेकओवर के बाद हर आदमी को अपने जॉब की चिंता रहती है।
और साढ़े दस बजे के बाद जब कम्पनी के शेयर गिरने शुरू हुए तो टेंशन कम्पनी में भी आ गया। एक तो सीनियर मैनेजमेंट के पास कम्पनी के स्टॉक थे, और कई बार स्टाफ के लिए प्रिफरेंशियल शेयर भी मिलते थे, पर आफिस में ट्रेडंग पर एकदम से बैन था। और साढ़े ग्यारह के बाद जब शेयर के दाम १५०० से नीचे गिरे, तो टेंशन एकदम बढ़ गया था, और उसके बाद मिस्टर दीर्घलिंगम ने सी ऍफ़ ओ को बुलाया और आज शाम की बोर्ड मीटिंग के लिए, कंपनी सेक्रेटरी से बात की, तो लोगों को लगा की खतरा बढ़ गया है पर बाद में पता चला की बात कुछ रूटीन की थी, बोर्ड मीटिंग की लॉजिस्टिक्स और स्नैक्स की।
पौने बारह बजे कम्पनी सेक्रेटरी ने लास्ट टाइम ट्रैकर को देखा, कम्पनी के शेयर अब १५०० से भी नीचे आ गए थे, बस एक दो लोगों से बात की और बोर्ड मीटिंग का रिवाइज्ड अजेंडा सारे डायरेक्टर्स को मेल किया, सिवाय एम् डी के,
उसी समय कुछ सूट पहने लोग लिफ्ट से टॉप फ्लोर पर आ रहे थे, उस फ्लोर पर सिर्फ डायरेक्टर्स, सी ऍफ़ ओ, सी ओ ओ, उनकी सेक्रेटरी के आफिस थे, और कम्पनी सेक्रेटरी, लॉ और दो मीटिंग रूम थे , एक छोटा सिर्फ डायरेकटस के लिए जो अक्सर लंच रूम के लिए इस्तेमाल होता था और दूसरा बड़ा बोर्ड रूम जो सिर्फ बोर्ड मीटिंग्स या स्टाफ को एड्रेस करने के लिए होता था, डिपार्टमेंटल हेड्स निचले फ्लोर पर बैठते थे और सिक्योरिटी, ला, एडमिन भी उसी फ्लोर पे थे, बाकी का स्टाफ एक ओपन आफिस में निचले फ्लोर पर।
कम्पनी सेक्रेट्री ने एक बार फिर अपने लैपटॉप पे स्टॉक की पोजीशन देखी, अपना मेल चेक किया, शाम के मीटिंग का रिवाइज्ड अजेंडा सब को मिल गया था। तभी इंटरनेट डिस्कनेक्ट हो गया, इंटरकॉम पर उसने आई टी सेल वालो को फोन किया।
इंटरकॉम काम नहीं कर रहा था।
अपने फोन से कम्पनी सेक्रेटरी ने बात करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल का भी नेटवर्क चला गया था।
अपने केबिन से बाहर निकल कर झाँका, कॉरिडोर में सन्नाटा, कुछ सूट वाले, छोटे वाले मीटिंग रूम में, और सफारी पहने कुछ सिक्योरटी वाले, नहीं उसकी कम्पनी के लोग नहीं थे वो
और वो आ के कमरे में बैठ गयी,
थोड़ा खुश, थोड़ा परेशान,
क्या एक्विजशन शरू हो गया ?
एक बार पहले भी वो एक कम्पनी में इसी तरह कू हुआ था और उस बार वो इन्वाल्व थी, पूरे १००० शेयर मिले थे और प्रमोशन भी।
उस बार भी अक्वीजिशन वाले ऐसे ही आये थे, उनकी टीम प्रोफेशनल थी, तीन दिन तक किसी को आफिस से बाहर जाने नहीं दिया, सिवाय जिन्हे वो निकाल रहे थे। फोन वोन ऐसे ही काट दिए गए थे। और सबसे नान डिस्क्लोजर अग्रीमेंट पहले साइन करवाया गया था
कम्पनी सेक्रेटरी ने बाहर निकल कर देखा।
लिफ्ट बंद थी, और स्टेयर्स पर सिक्योरटी वाले थे, उस का दरवाजा बंद था। उस का गेस एकदम सही था।
टॉप फ्लोर का रास्ता बंद कर दिया गया था, मिस्टर दीर्घलिंगम की प्राइवेट सेक्रेटरी को छोड़ के सब सेक्रेट्रियल स्टाफ को घर भेज दिया गया था। टेलीफोन, इंटरकॉम बंद थे और मोबाइल के जैमर लगा दिए थे। निचले फ्लोर पर डिपार्टमेंटल हेड्स और उनके नंबर २ को छोड़ कर सबको घर भेज दिया गया था और जो थे उन्हें बोला गया था, वो अपने चेयर से नहीं हटेंगे। सबके मोबाइल, लैपटॉप ले लिए गए थे।
डायरेक्टर्स को बड़े मीटिंग रूम में बैठा दिया गया था और एक एक को छोटे मीटिंग रूम में बुलाया जा रहा था, जहाँ बाहर से आये कुछ लोग बैठे थे।
मिस्टर दीर्घलिंगम भी अपने कमरे में थे और उनका फोन भी बंद था।
डेढ़ बजे कम्पनी सेक्रेटरी के कमरे में एक नयी सिक्योरटी वाला आया और बोला,
" योर फोन प्लीज "
वो एक मिनट के लिए रुकी तो वो बोला, दीर्घलिंगम का भी फोन हमने ले लिया है और दो मोबाइल दिखाए।
उन्होंने अपना आफ्सियल फोन हैण्ड ओवर किया तो वो बोला, दूसरा भी।
और अब उनके पास कोई चारा नहीं था। " आधे घंटे बाद स्माल बोर्ड रूम में आ जाइये " बोल के वो चला गया।
जब दो बजे वो बोर्ड रूम में घुसी तो मिस्टर सेन, डायरेक्टर निकल रहे थे, उनका चेहरा एकदम राख लग रहा था।