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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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क्या बात है एकदम कविता लिख दी आपनेनीचे वाला मुँह बाय हुए..
और चूड़ियाँ टूटी..
हर रोज नई चूड़ी...
पायल की झंकार...
ये मधुर गीत....
ये चीखों का सिलसिला....
अरे मेरी ननद है कोई मजाक हैइतनी कमसिन कली पे इतना जुल्मो-सितम...
उफ्फ.. ये तो दर्द के मारे कहीं बेहोश होक हॉस्पिटल वाला केस ना बना दे....
पता नहींतो क्या अख़बारों पर भी अंडर-एज कंटेंट छापने के लिए प्रतिबन्ध है...
bas ab padhne vaalon ke coment ka intezaar hainहाँ पांच बड़े-बड़े मस्त..गरम-गरम अपडेट....
Thanks in romantic lines ko koyi appreciate kare to duna accha lagata hai aur bina in romanctic moments ke sex mechanical ho jaata haiजन्म-जन्म का बंधन है....
Good morning didiक्या बात है एकदम कविता लिख दी आपने
बंगाली रसगुल्लों के लिए असली लड़ाई तो डिब्बा खोलने की है जिस तरह से उनकी माँ मिसेज मोइत्रा सात तालों में बंद उन कच्ची कलियों को रखती हैं और वो तो गुड्डी से भी छोटी हैंबंगाली रसगुल्लों की तो एक मिनट से भी कम....