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Aur kya ratjege men sone ki thodi hi hoti haiWow.... kya badla liya h dono ne 1 dusre se .... please karo na .....
Gajab update
Aur kya ratjege men sone ki thodi hi hoti haiWow.... kya badla liya h dono ne 1 dusre se .... please karo na .....
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Kuch raaj raaj hi rahte hainKomal ji alarm 7:14 baje karne ka kya raaj hai, 7 ya 7:30 kyun nhi
बहुत बढिया कोमल जी पहले से काफी बेहतर हे . बस इंडेक्स और जोड़ दें , या शुरू के पेज पर ये कर दें की अपडेट किस पेज पर हे बाकि कहानी के बारे में कहने की जरूरत नही हे , होली के रंगों और मस्ती की तरह मादकता से भरपूर कहानी
बहुत बढिया कोमल जी पहले से काफी बेहतर हे . बस इंडेक्स और जोड़ दें , या शुरू के पेज पर ये कर दें की अपडेट किस पेज पर हे बाकि कहानी के बारे में कहने की जरूरत नही हे , होली के रंगों और मस्ती की तरह मादकता से भरपूर कहानी
अब मैं क्या कहूंविभावरी बाहर अपनी एड़ी में लाली लगा के, रात की काली चादर उठा के बस हलके हलके झाँक रही थी, ...
प्रत्युषा के क़दमों की बस हलकी हलकी आहट मिल रही थी,... छह बजने वाले थे,... हलके हलके बादल थे , हवा भी भीगी भीगी सी , कहीं पानी बरसा था,... लेकिन पूरब में आसमान में लाली छा गयी थी,... बस थोड़ी देर थी,... थोड़ी देर में सड़क पे साइकिल की घण्टियाँ टनटनाने लगेगी,... बगल के गाँव से दूधिये , साइकिल पे दूध के टीन लादे,... अखबार वाले, सड़क पे टाउनशिप की झाड़ू लगाने वालियां,...
इन पैराग्राफ को पढ़ कर लगता है कि उच्च कोटि का सहित्य पढ़ रहे हों...
सुबह के वातावरण का भी बहुत सही चित्रण किया है...
ऐसा हीं शमां देखने को मिलता है.... किसी शहर या गाँव में...
Ekdam sahi kaha aapne,...lekiin vo past hoke fir se khadi ho jaane vaali Nanadiya haiशुरुआत मस्त लेकिन अंत में पस्त होगी गुड्डी....
कोमल जी लेखक और पाठक का सम्बन्ध सिर्फ कहानी चलने तक ही सीमित नही रहता हे , वो तो कहानी पूरी हो जाने के बाद भी बना रहता हे और भविष्य के गर्भ में क्या लिखा हे कोई नहीं जानता . ये भी हो सकता हे की कभी आमना सामना भी हो जाये , हालाँकि सेक्स बाबा पर आपकी कई कहानी पढने को मिली और सभी कहानियों में होली जेसे रंगों और उत्साह से भरे उत्सव का जिक्र बखूबी किया हे आपने, पढकर बहुत अच्छा लगा , पर वहां पर कमेन्ट करने की कोसिस सफल नही हो पाई . इस फोरम पर आमने सामने चाहे न सही पर मेसेज के जरिये बातचीत करना अच्छा लगा , बाकि कोण लेखक पुरुष हे और कोन महिला पता ही नही चलता बाकि अपनी तरफ से तो कोसिस यही हे की कोई गलत या अब्ध्र बात न हो सबसे बड़ी बात आपने अपनी कहानी हिंदी में ही कही हे , इस फोरम पर ज्यादातर लेखक रोमन में कहानी लिखते हें , ये कुछ अटपटा सा लगता हे . हिंदी कहानी मेरे विचार से हिंदी में पढने का जितना मजा हे उतना रोमन में नही और में उन सबको कहता भी हूँ बाकि उनकी मर्जी खेर कोमल जी फिर मिलेंगेबहुत बहुत धन्यवाद और आभार
असल में इंडेक्स बनाना मुझे आता नहीं न सिग्नेचर में हाइपर लिंक देना और साथ में आलस,
जो भी थोड़ी बहुत ऊर्जा है मैं लिखने में और जो पढ़ने वाले कुछ कहते हैं उनसे बातचीत में लगा देती हूँ,
और ये कहानी तो आधे से ज्यादा चल चुकी है, बस आप जैसे दो चार मित्रों का सहयोग मिलता रहे, पिछले फोरम पर अधूरी रह गयी थी अब उसे किसी तरह पूरी करना है , औने पौने नहीं अपने ढंग से
फिर मेरा मानना है की पाठकों से बात चीत के बीच भी कई बार कहानी के बारे में जो बातचीत होती है वो एक तरह से कहानी का हिस्सा है , जैसे कई पुस्तकों को हम मूल के लिए नहीं बल्कि टीका या मीमांसा के लिए याद करते हैं,... और लिखने वाली इतनी मेहनत कर रही है तो थोड़ा बहुत पन्ने पढ़ने वाला भी पलटे,...
मेरे पाठक बहुत कम हैं , जो हैं वो मित्र हैं तो थोड़ा बहुत तो,
मुझे विश्वास है आप सूत्र पर बने रहेंगे और अपने कमेंट्स से लाभान्वित करते रहेंगे।
धन्यवाद,आप पूनो के चाँद की तरह जब भी आते हैं एक लाइन में ही छटा बिखेर देते हैं ,
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
THNAKS SO MUCHधन्यवाद,
इतने सारे पाठकों में सबके बारे में याद रखना सबको यथा योग्य जवाब देना, उनकी उपस्थिति दर्ज करना और कराना,
सिर्फ आप ही कर सकती हैं
अगले लेखन की प्रतिक्षा में
एकदम और अगली पोस्ट मेंछठवां राउंड...
दोनों ने पलंग तोड़ पान का नाम सार्थक कर दिया....
और ऐसी जवानी तो खेलने-खाने के लिए हीं होती है....