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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Shetan

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वो दिन
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जेठानी ने पहले ही दिन से से मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया , मेरी सास के सामने , कोई पड़ोस मिलने आये तो उनके सामने भी और मैं घूँघट में सुनती मुंह पे ताला लगा के

“अरे इसकी महतारी ने कुछ संस्कार वंसकार तो सिखाया नहीं वो तो अपने धंधे बिजनेस में, पार्टी वार्टी, खाली पैसे पढ़ाई से थोड़ी होता है , आदमी संस्कार गाँव घर से लेकर आता है …”


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एक बार कभी गलती से मेरे मुंह से निकल गया था “ हमारे यहाँ तो नान वेज… …”

बस जेठानी जब देखिये तब मम्मी को सराबी कबाबी, और मुझसे भी , ' ये शराबियों कबाबियों का घर नहीं है , अब ससुराल में आई हो तो ससुराल के संस्कार , गुन ढंग सीखो , महतारी ने तो कुछ सिखाया नहीं,...

जब मुझसे रसोई छुलाई गई तो उस समय भी

“अरे इस रसोई में बिना नहाये न घुसना और यहाँ लहसुन प्याज भी नहीं आता…तुम लोगो की तरह नहीं ,..."



और अब मैं सोच रही थी की सारी नैतिकता इनकी खाली जीभ तक, और दो चार दिन बाद ही पता चल गया की वो नहीं चाहती थीं की इनके देवर की शादी मेरे साथ हो । वो अपने मायके की, बल्की मायके के रिश्ते की एक लड़की की जो इन्ही की तरह गाूँव के एक स्कूल से गुड थर्ड क्लास पास थी, सास मेरी उन्होंने हिम्मत ही नहीं की पूछने की, देखने में कैसी लगती है जेठानी ने डपट लिया, ... और रूप रंग , तो कौन कोठे पर बैठाना है , चूल्हा फूंक फूंक के तो कोई भी लड़की कोयला हो जायेगी,... देहात की है सब गुन ढंग


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हाँ पढ़ाई के बारे में गलती से उन्होंने पूछ लिया तो जेठानी आग बबूला,

गरजीं मेरी सास के ऊपर , ... ' मस्टराइन बनाना है का,... मैं हूँ तो गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर,... कौन नौकरी करवा दिया , हमको , हमरे साथ की नगमा देखिये बढ़िया स्कूल में ,...अरे दिन भर चूल्हा फूको और रात भर मरद का,... मैंने बता दिया मैं जानती हूँ उसको बचपन से इतना काफी नहीं है क्या , इस घर में मेरी कोई बात छोटी सी ही सुनी जायेगी की नहीं "


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मैंने कहा था न ड्रैगन से मुकाबला करा दीजिये जेठानी से , तो पहले राउंड में ही हार मान के सर झुका के वापस चला जाएगा , बेचारी सास तो उन्हें जेठ जेठानी के सहारे ही रहना था और जेठ की हिम्मत नहीं थी जेठानी के आगे क्या पीछे भी , मुंह खोलने की


उन्ही से, कई बार उन्होंने अपनी सास को समझाया भी और सास समझ भी जाती, लेकिन गलती इन लोगों से हो गयी।

सास ने मुझे देख लिया, बाद में पता चला उसके सारे पेंच बताउंगी वो भी,


जेठानी के जहर भरे बोल के बावजूद, मुझे कुछ भी खलता नहीं था था, क्योंकी ये लड़का एकदम पागल मेरे ऊपर और मेरे ख़ास तौर से उभारों पर, पहली रात से ही , और मैंने उसे तड़पाया, ललचाया लेकिन ज्यादा नहीं,


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मुझे बहुत अच्छा लगता था जिस तरह से वो चोरी चोरी चुपके चुपके से देखते थे और जैसे ही उनकी चोरी पकड़ी जाती, क्या कोई लड़की शर्माएगी इत्ती जोर से शर्माते ।



लेकिन जेठानी की सारी पिलानिंग,...

अब तो उन्होंने अपने साथ अपनी माँ के भी सारे किस्से मेरी रिकार्डिंग में,...



मैं इतनी खुश हुयी की अब बोलें ये, और अब तो सब चीज रिकार्ड थी, मेरे मोबाइल में , जब चाहूंगी रेडियो जेठानी आन हो जाएगा।

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सबसे बड़ी बात गुड्डी की, वो तो अब इंटर पास हो चुकी थी,



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लेकिन रखना वो उसे भी अपने अंगूठे तले चाहती थीं ।


कितना मुझे जेठानी जी ने समझाया, इसे अपने साथ मत ले जाओ घास और आग साथ नहीं रहना चाहिए कहीं मेरे वो उसके साथ लस गए तो । मैंने तो एक बार बोल भी दिया , अरे दीदी हो जाएगा तो हो जाएगा।

असल में मेरा उसे ले जाने का मतलब भी यही था, उसे उसके भइया के नीचे लिटाने का, और जब मैं नहीं मानी तो सीधे उसके घर वालों से, फिर जेठजी, मेरी सास से,... क्या क्या नहीं बोलै , उनका वॉयस मेसेज जो जेठजी को उन्होंने भेजा था मैंने भी सुना ,...

"ये जिद्द पकडे हैं गुड्डी को ले जाने की , मैं लिख के दे रही हूँ, महीने भर में खट्टा खायेगी वो,... दो तीन महीने में किसी लड़के से पेट फुलवाकर,..."


कितनी मेहनत करनी पड़ी मुझे उनके प्लान को नाकामयाब करने की।

और अब तो, इस रिकार्डिंग के बाद वो खुद तैयार करेंगी गुड्डी को मेरे साथ भेजने की,

खुद तो हाईस्कूल में ही अपने भाइयों से चुदवाया, घर में काम करने वालों से, हरवाहे से, ग्वाले से, और, यहाँ सब मेरा प्लान चौपट करने के लिए,...
Wow sach me ye romance or shararat to muje deewana bana deti he.

जेठानी के जहर भरे बोल के बावजूद, मुझे कुछ भी खलता नहीं था था, क्योंकी ये लड़का एकदम पागल मेरे ऊपर और मेरे ख़ास तौर से उभारों पर, पहली रात से ही , और मैंने उसे तड़पाया, ललचाया लेकिन ज्यादा नहीं,

maza aaa gaya komalji.


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Shetan

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जोरू का गुलाम भाग १४१

कन्या रस

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जेठानी ने ध्यान नहीं दिया की उनके देवर उनका मोबाइल भी ले गए हैं। मेसेज उन्ही के फोन से करने थे

और मैंने लाइट ऑन कर दी और हम जेठानी देवरानी ,वाइन के सिप ले रहे थे।

पर मेरी निगाहे इनकी भाभी के जोबन को सहला रही थीं।

सच में मस्त थे , एकदम कड़े , और मांसल , खूब गोरे संगमरमर के गुम्बद ऐसी।


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और मैं उनकी अभी कही ,रिकार्ड की गयी बातों को सोच रही थी , बारहवें में पहुँचने के पहले १२ से भी न जाने कितने ज्यादा लौंडों ,मर्दों का तो वो खूंटा घोंट चुकी थीं। दबवाया मिजवाया तो न जाने कितनों से होगा , शायद इसीलिए कच्ची की उमर रगड़वाने ,मिसवाने से ये शेप ये साइज़ ,


पर मैंने उन विचारों को झटक के दिमाग से बाहर किया।


आज की रात सोचने की थोड़े मौज मस्ती की है। और मेरे हाथ सीधे मेरे जेठानी के जुबना पे ,


साथ साथ मैं ये भी चेक कर रही थी की मेरी तरह इनको भी कन्या रस में भी मजा आता है या सिर्फ मोटे मोटे खूंटे ही,



मेरे सवाल का जवाब तुरंत मिल गया।

जिस तरह से उनकी उंगलिया जवाब में मेरे खुले जुबना पे थिरक रही थीं ,उसे छू रही थीं ,सहला रही थी ,मामला साफ़ था।


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जब गाँव के मरद इनकी चुनमुनिया को चोद चोद के ,उसी समय गाँव की भौजाइयां भी इस कच्ची अमिया का मजा ले रही थीं।

गुलबिया के बारे में तो इन्होने खुद उगला था और कितनी प्रौढ़ाएँ भी होंगी जिनकी पाठशाला में मेरी जेठानी जी की ट्रेनिंग हुयी होगी।

वाइन का ग्लास दोनों ने एक झटके से ख़तम किया और खुला खेल फरुर्खाबादी चालू हो हो गया।



जेठानी मेरी पक्की औरतखोर थीं , और यही तो मैं चाहती थी इस समय

मजा सिर्फ मजा।



कैमरे रिकार्डिंग डिवाइसेज सब बंद थी।

चुम्मा चुम्मी की शुरुआत उन्होंने की ,सीधे मेरे दोनों होठों को अपने होंठों के बीच दबाकर , और फिर उनकी जीभ मेरे मुंह में ,



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एकदम पक्की छिनार , जैसे उनकी भाभियों घर की काम करनेवालियों ने जबरन चूम चूम के सिखाया होगा ,रस लेना।



मैंने भी उनकी जीभ चूसना शुरू किया और मेरे दोनों हाथ अब कस कस के उनके जुबना दबा मसल रहे थे।

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उनके हाथ कौन से पीछे थे , रगड़ने मसलने के साथ वो मेरे निप्स को भी अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा दबा के रगड़ रही थीं।


मेरे होंठ उनके होंठों से आजाद हुए और सीधे उनके ३६ डी डी पर ,
अब वो सिसक रही थीं ,चूतड़ पटक रही थीं ,पर मैं बिना असली मजा लिए थोड़ी छोड़ने वाली थी।



मेरे होंठ उनकी जाँघों के बीच ,सीधे शहद के छत्ते पर ,

और मेरे साजन की भाभी के होंठ मेरी रामदुलारी पर , प्यार से उसे चूम रही थी ,चाट रही थीं खूब हलके हलके फिर एक झटके मे

उन्होंने अपनी मोटी मेरी बुर में ठेल दी और



परफेक्ट 69 शुरू हो गया था।
Kanya rash. Anmol rash. Love it.

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मेरे होंठ उनकी जाँघों के बीच ,सीधे शहद के छत्ते पर ,

और मेरे साजन की भाभी के होंठ मेरी रामदुलारी पर , प्यार से उसे चूम रही थी ,चाट रही थीं खूब हलके हलके फिर एक झटके में

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उन्होंने अपनी मोटी मेरी बुर में ठेल दी और


परफेक्ट 69 शुरू हो गया था।



मैंने कल परसों गुड्डी से भी अपनी चूत चटवायी थी ,चुसवाई थी ,पहले जबरदस्ती , फिर उसे पटा के।
लेकिन उसका मजा अलग है , और उसका एकदम ,खेली खायी के साथ कबड्डी का मजा अलग।

उसे भी सब दांव आएं और आप को भी तो कबड्डी बराबर की है ,



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जेठानी के होंठ मेरे भगोष्ठों को चिपके चूस रहे थे ,उनकी जीभ मेरी बुर में घुसी एकदम लंड की तरह ,लेकिन लंड से भी ज्यादा मजा दे रही थी। क्योंकि

जेठानी को गाँव वालियों ने रगड़ रगड़ के ट्रेन किया था उन्हें मालूम था क्या कैसे कब चाटना है। इनर वाल्स पर जी प्वाइंट कहा है।



मेरी चूत एक तार की चाशनी छोड़ रही थी।

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पर जेठानी की बुर की हालत कम खराब नहीं थी। वो बार बार फुदक रही थी ,सिकुड़ पचक रही थी। मेरी जीभ को अपने अंदर भींच रही थी।



वो भी झड़ने के कगार पर थीं।
पर मैं उन्हें एकदम कगार तक ले जाना चाहती थी।


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मैंने जीभ बाहर निकाल ली कर जीभ की जगह मेरी एक ऊँगली जेठानी की बुर के फोल्ड पर हलके हलके
और जीभ क्लिट पर फ्लिक करने लगी
जेठानी बौरा गयीं ,चूतड़ पटकने लगीं , हाँ झाड़ झाड़ प्लीज झाड़ दो ने , बोलने लगी।

पर बजाय झाड़ने के मैने होंठ हटा दिया और क्लिट पर हल्की चिकोटी काट ली ,'

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एक तेज दर्द की लहर जेठानी की शरीर में

" चाट स्साली चाट , और कस के चाट तुझे कुत्तों से चुदवाउंगी , रंडी की जनी ,चाट कस कस , "

मैं पहली बार जेठानी को अपने ,अपनी संस्कारी जेठानी को गालियां दे रही थी , पर
उसका असर भी हुआ दर्द भूल के वो फिर मेरी चूत चाटने में जुट गयी।

और मैंने भी कुछ देर में अपनी जेठानी की बुर को ,
वास्तव में मस्त थी।
खूब फूली फूली मांसल पपोटे ,एकदम रस भरी संतरे की फांके ,छेद भी संकरा सा ,


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चुद भले वो कच्ची उमर से रही होऊं लेकिन बुर की बनावट ही ऐसी थी की , कितना भी चुदे कसी की कसी।


तभी तो उनके स्कूल के लौंडे लार टपकाया करते थे इस चूत के लिए ,

और अगर दिया का कहा हुआ तो तो कल से इस शहर के लौंडे इस बुर के लिए लार टपकायेंगे।

मैंने एक नयी ट्रिक अपनायी ,
सिर्फ जीभ की नोक से इनकी भाभी की रसीली मांसल बुर के पपोटों के बस किनारे , हलके हलके पहले छूना शुरू किया

फिर लिक करना


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पहले धीरे धीरे ,फिर तेजी से और बीच बीच में उनकी क्लिट भी मेरी जीभ फ्लिक कर देती थी।

अबकी उनकी बुर में न मेरी जीभ घुसी न ऊँगली ,

लेकिन जेठानी एक बार फिर सिसक रही थीं चूतड़ पटक रही थीं। हाँ उनकी टाँगे मोड़ के मैंने पीछे के गोल दरवाजे का भी दीदार कर लिया ,जिसमे अभी भी कोई लंड नहीं घुसा था


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अभी भी वो छेद एकदम कसा कसा ,

मैंने बस अपनी तर्जनी से सुरसुरी की और वो एकदम से ,



उनकी बुर फिर चाशनी छोड़ने लग।

"स्साली की गांड भी बहुत सेंसिटिव है " मैंने समझ लिया और


अपने अंगूठे से उनके क्लिट को जोर जोर से दबाने लगी , मसलने लगी ,



एक बार फिर मेरे सैंया की भौजी , झड़ने के कगार पर ,अब गयीं तब गयीं

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Shetan

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जोरू का गुलाम भाग १४२








अब देवरानी की बारी

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हचक हचक के बुर चोदीं जा रही थी ,

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रगड़ रगड़ के जोबन रगड़े जा रहे थे ,पर मुझे एक और शरारत सूझी


मैंने उनकी ओर देखा ,और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हाँ कर दी।

मंजू ,गीता की ट्रेनिंग में वो सब सीख पढ़ के पक्के हो चुके थे।



पहले तो मैंने उनकी भौजाई के दोनों हाथ पकड़ के पलंग के सिरहाने बाँध दिए , गांठे अच्छी तरह चेक कर लीं।


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वो उनके ऊपर चढ़े लदे , तो उनकी भौजाई के हिलने का सवाल ही नहीं था।
और मैं सीधे अपनी जेठानी के मुंह पे ,

बिना मेरे कहे वो बुर चट्टों मेरी बुर चाटने लगी पर

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पर मेरा इरादा तो कुछ और था ,

…………………………………………………………



जेठानी के मैंने नथुने दबाये , मुंह खुलवाया और सीधे अपने पिछवाड़े का छेद जेठानी के मुंह के ऊपर ,

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उन्होंने मुंह बंद करने की सोची भी होगी की

ले चांटे ,दे चांटे
मेरी जेठानी की बड़ी बड़ी चूँचियों पर ,एकदम लाल।

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और चांटे उनके देवर ही बरसा रहे थे।

गालियां मैं बरसा रही थी ,

" स्साली छिनार , अपनी गांड का तो ,... अपने देवर की ऊँगली से चाटा ,देवर के लंड से चाटा और मेरी गांड से ,... "

और एक चांटा मैंने भी गाल पे।

" सुन ले , अगर एक पल के लिए भी मुंह बंद हुया तो बस , पूरा मुंह खोल ,जीभ से चाट ,.... हाँ हाँ ऐसे ही,...नहीं नहीं ,अंदर डाल पूरा अंदर डाल , हाँ और थोड़ा और ,रंडी की जनी,तेरी माँ हरामन , तू हरामन ,चाट कस के ,... "

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मैं बोले जा रही थी ,उनकी भावज को गाइड कर रही थी।

और अब उनका एक हाथ अपनी भौजी के गले पे जैसे कह रहा हो अगर गांड में से जीभ निकली तो बस टेंटुआ दबा दूंगा।

और दूसरा हाथ उनकी चूँची पे ,

और इस हाल ने मेरे साजन का भी जोश बढ़ा दिया था क्या हचक के चुदाई कर रहे थे ,


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और बीच बीच में दो चार हलके हाथ जेठानी की बुर पे चटाक चटाक ,
तभी फोन बजा जेठानी का ही।



उनके हाथ तो बंधे थे सो मैंने काल खोल दी ,
एक औडियो रिकार्डिंग थी ,पूरे पांच मिनट की


पांच मिनट चली।
Padi bhari hamri komaliya. Chalbaz jethani par.


Wah ri komaliya. Sajan ji tere kabu me.
Chhinar randi nandiya tere kabu me.
Or ab to chalbaz jethani to bachpan se apne malik ki talash me he.

Shashu maa ko bhi kabu me kar. Or ghar ki maljin tu. Hisharo pe nachaegi hamri komaliya.

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Aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa
 
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Shetan

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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


Vese to chhinar nandiya ka jawab nahi. Chhutki nandiya ne jethani ji ke muh se ugalva hi diya. Apne bhaiya vala kissa.

Par jethani bhi chalak ban rahi he. Ri komaliya tere vali chal khel rahi he. Kache tikoro ka joban ke chadhave ki taiyari me

Lekin rista bhi to uska bhi vahi he. Akhir he to vo bhi bhouji maza aa gaya

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Shetan

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भाई चढ़ा,...




और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,... लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया, उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।






कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें , जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा, और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.वो मन ही मन सोच रही थीं संदीप ने अपनी बहन की फाड़ने के लिए बहुत अच्छी जगह चुनी, चिल्लाये वो मन भर के चीख चीख के , गला फाड़ फाड़ के कोई दूर दूर तक उसकी चीख क्या सिसकी भी नहीं सुन सकता था,... और एक बार चीखते चीखते थक गयी चूतड़ पटकना बंद कर दिया तो खूब गपागप



छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "





मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,






" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... " फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ नहीं यहीं देख , सीख जायेगी,... "





" और तुझे तो एतराज नहीं है " संदीप को पकड़ के चूमती वो बोलीं।

" एकदम नहीं , ... " संदीप ने मुंह में जीभ डाल के कस के चूम लिया। पहल जेठानी ने ही की , उनकी साडी पुआल के ऊपर और संदीप भी फिर शार्ट में , और जेठानी ने भी संदीप की बहन का फ्राक पकड़ के खोल दिया,

" अरे उतार दे, यहाँ इतनी धूल मिटटी है,... कहीं गन्दी हो गयी तो घर पे क्या बताएँगे , देख मैंने भी उतार दिया, अरे ढक्क्न लगे रहने दूंगी, घबड़ा मत, "



और अब जेठानी , ब्रा पेटीकोट में,





संदीप सिर्फ एक छोटे से शार्ट में और छुटकी कच्ची कोरी भी ब्रा और चड्ढी में, अपने नए आये उभारों को हाथ से ढकते हुए, संदीप और जेठानी एक बार फिर चुम्मा चाटी में लग गए, जेठानी का हाथ अब संदीप के शॉर्ट में और उसका खूंटा मुठियाने लगी , साथ में संदीप के कान में ऐसे बोलने लगीं जैसे खूंटे से ही बात कर रही हों,

" देख है न माल मस्त, एकदम कसी है, कच्ची कोरी, जबरदस्त फाड़ना, खूब चूतड़ पटकेगी, बिसुरेगी , रोयेगी , लेकिन बिना खून खच्चर के बाहर नहीं निकलने का , समझे में शेर, आज दिखा दे अपनी पूरी ताकत,... "



यह बातें सुनकर वही हुआ जो होना था , खूंटा फूल के कुप्पा, शार्ट एकदम तन गया।



और जब संदीप को जेठानी ने छोड़ा तो वही हुआ जो उन्होंने सोचा था,... छुटकी बहिनिया की निगाहें अपने भैया के खूंटे से चिपकी थीं. पर जेठानी के देखते ही उसने निगाहें चुरा ली,...





और जेठानी ने भी ऐसे ही किया जैसे उन्होंने कुछ देखा नहीं हो। लेकिन संदीप से वो बोलीं,

" यार , एक चुम्मी इसकी भी तो बनती है , ये हेल्प न करती दो हम दोनों को ये मौका न मिलता। "



बस संदीप ने अब उसे पकड़ के एक हलकी चुम्मी ले ली , पर जेठानी ने आँखे तरेरी तो फिर कस के चिपक के,...





थोड़ी देर तक तो वो छटपटाई , फिर वो भी हलके हलके जवाब देने लगी , जैसे जेठानी कर रही थीं उसी तरह करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ देर में संदीप को हटाकर जेठानी ने उसे चिपका लिया , और कन्या रस में तो उन्हें गाँव की काम करने वालियों ने, भाभियों ने माहिर कर दिया था , बस आज उसी का इम्तहान था।

और उस इम्तहान में जेठानी जी १०० में १०० पाकर पास हुईं वो भी पांच मिनट के अंदर, पहले तो ढक्क्न के अंदर हाथ डाल के उन्होंने दोनों चूजों की हाल चाल ली , हलके हलके दबाना मीजना शुरू किया ,





फिर दोनों मखमली रेश्मी जाँघों को सहलाते हुए उँगलियों ने चड्ढी के अंदर सेंध लगा दी,कभी हथेली से चुनमुनिया मसलतीं तो कभी सिर्फ दोनों फांकों को तो कभी एक ऊँगली फांक की दरार में,




पांच मिनट के अंदर ही वो गीली हो गयी, चड्ढी पर एक बड़ा सा धब्बा, छोटे छोटे उभार पथरा गया, मटर की आ रही छिमियों के दाने की तरह के निपल भी टनटना गए, आँखे मस्ती से बंद हो गयीं सांस गहरी चलने लगी, और संदीप की बहिनिया के ये हाल देखकर संदीप का खूंटा भी अब शार्ट से बाहर निकलने को बेताब था।



" हे तेरे भैया ने तेरी चुम्मी ली, तू भी ले, "


जेठानी ने उसको उकसाया और पुश कर के सीधे संदीप की बांहों में, अबकी पहल बहन ने ही की , भले ही हलके से लेकिन अपने होंठों को अपने भैया के होंठों पे रख दिया ,और आगे की चुसम चुसाई संदीप ने शुरू कर दी।


जेठानी खाली नहीं बैठी थीं , उन्होंने अपने यार को पीछे से दबोच लिया पर उनका एक हाथ भी भैया की बहिनिया के छोटे छोटे चूतड़ों पर था, उसे पकड़ कर वो अपनी ओर खींच रही थीं जिससे संदीप का खूंटा उस कोरी की गीली गीली जांघों के बीच, पहली बार उस टिकोरे वाली को मूसल का असर सीधे वहां मालूम हो रहा था,

पर जेठानी को इतने पर ही संतोष नहीं था, उस कच्ची कली का हाथ पकड़ के पहले तो उन्होंने उसके के भैया के शार्ट के ऊपर से खूंटे पर पर रगड़ा और थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ के उसका हाथ शार्ट के अंदर,...

छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...



एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता








" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "

और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,





थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।
Chhinar chhutki chhutki randi nandiyae hoti hi he. Khudke or hamare bhaiyo ke khute pe chadhne ke lie.

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Shetan

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चुसस्म चुसाई











छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...

एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता
" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "



और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,








थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।


और जेठानी ने संदीप के बहन के चूजों की भी आजाद कर दिया, ... साथ में उनकी ब्रा भी उतर गयी





लेकिन लाज शरम से उसकी बहन की आँखे बंद थी और ब्रा से ज्यादा जरूरी इस शरम को उतारना था।

एक बार ये शर्म का ढक्क्न उतर गया तो खुद टांग फैलाना शुरू कर देगी।

दोनों बहनें मिल के अभी भी जब खूंटा बाहर आ गया था तो भी मुठिया रही थीं , नीचे संदीप की बहिना का हाथ ऊपर से जेठानी का हाथ, उसे पकडे हुए धीरे धीरे गाइड करता,...


कुछ देर में जेठानी ने अपना हाथ हटा लिया, पर संदीप की बहिना का हाथ अभी अपने भैया के लंड पर चल रहा था , हलके हलके पकड़ के वो आगे पीछे , आगे पीछे,...





कौन भाई होगा जिसकी हालत अपनी छोटी जवान होती बहन का हाथ लंड पर पाकर, खराब नहीं हो जायेगी , और संदीप की वही हालत हो रही थी,...

" हे आँख तो खोल ,देख कित्ता मस्त है जबरदस्त तेरे भैया का हथियार " हलकी सी चिकोटी काटते हुए जेठानी ने उसे चिकोटी काटी,

छुटकी की आँख खुल तो गयी, पर ये देख के की उसने अपने हाथ में भैया का बौराया मोटा मूसल पकड़ रखा है,





झट से छोड़ दिया।



जेठानी ने एक झटके से संदीप का शार्ट उतार के दूर फेंक दिया और उसकी बहन से बोली, अरे सिर्फ देखने पकड़ने में ही नहीं चूसने चाटने में बहुत मस्त है तेरे भैया का चल चख के दिखाती हूँ , और एक धक्के में पुआल पे संदीप को गिरा दिया और खुद उसकी जाँघों के बीच में बैठ के बस अपनी पूरी जीभ निकाल के मोटे मांसल सुपाड़े को चाटने लगी, और कनखियों से संदीप की छुटकी बहिनिया को देख रही थी,...



कुछ देर तो उसने शर्माने का नाटक किया फिर टकटकी लगाके अपने भाई के मोटे मूसल को देखने लगी,... जेठानी अब साथ साथ एक हाथ से हलके हलके मुठिया भी रही थीं,, ... और अचानक एक झटके से पूरा मुंह खोल के , पूरी ताकत से उन्होंने उस मोटे सुपाड़े को घोंट लिया, और अब खुल के छोटी बहन को दिखा दिखा के चुभलाने लगीं,





मुठियाने के साथ जेठानी की उँगलियाँ संदीप के बॉल्स को भी कभी टच करता, कभी स्क्रैच कर देता,.. और संदीप सिसक उठता,...

अपने भैया की देख , भैया की बहिनिया की भी हालत खराब हो रही थी, और यही तो जेठानी चाहती थीं ,



कुछ देर में सुपाड़े को मुंह से बाहर निकाल के उसे संदीप की बहिनिया को दिखाती बोलीं,



" चाहे तो एक लिक ले ले, "


थूक से भीगा सुपाड़ा खूब चमक रहा था, एकदम मस्त प्यारा , लीची ऐसा, रसीला,...

और अब जेठानी की जीभ उस चर्म दंड पर ऊपर नीचे ऊपर नीचे और अबकी जब उन्होंने मुंह उठाया तो फिर संदीप की बहिनिया को उकसाया,



" अच्छा चल एक छोटी सी चुम्मी, बस छोटी सी चुम्मी "





कुछ इसरार कुछ जबरदस्ती मन तो उस कच्ची कली का कर ही रहा था , और उसके भीगे कुंवारे रसीले होंठों पहली बार शिश्न पर, जैसे भौंरे का पहला स्पर्श कली को हुआ हो , भाई बहन दोनों को जबरदस्त झटका लगा,



जेठानी ने कस के उसका सर दबा रखा था उसके भैया के खूंटे पे, थोड़ी देर में जेठानी दूर बैठी थीं और बहन अभी चाट रही थी,...



कुछ देर तक कभी जेठानी कभी वो , धीरे धीरे लंड से उसकी झिझक दूर हो रही थी , अब अपने आप वो पकड़ भी रही थी , दबा भी रही थी,...





लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,

" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "


और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,



" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "



Sabash chhinar Randi nandiya. Tuje ese dekhne me to bahot shukun milta he.

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Shetan

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और मैं बन गयी देवरानी



लेकिन मम्मी से ज्यादा कोई खुश था तो वो थीं , मेरी सास वो भी झट से खड़ी हो गयीं, और बोलीं, ...

" ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है , इस ख़ुशी में कुछ मीठा हो जाए,... "

और झट्ट से एक बड़ा सा गुलाबजामुन, निकाल कर मेरी सास ने अपनी समधन के मुंह में गप्प से डाल दिया,... एक बार में पूरा,... और कुछ शीरा ठुड्डी पर गिरा, और कुछ सरकते हुए ब्लाउज की गहराई में ,...




समधन ने समधन से खीर वाले मज़ाक का बदला ले लिया था,... बाकी शीरा अपनी समधन के गाल पर पोत दिया,

" आप तो वैसी ही इतनी मीठी हैं , थोड़ी और मीठी हो जाइये "



और खाने के बाद पंडित जी इन्तजार ही कर रहे थे,... मेरी सास और खुश अपनी बड़ी बहू से बोलीं,... चलो समधन ने ये भी अच्छा किया हम लोग वहां जा के कहाँ पंडित जो को बुलाते,... तो अपनी भी साइत , रस्म रिवाज की अभी तय कर लेते हैं , ... '


और इनकी छुट्टी चार दिन पहले की थी,... तो शादी के दिन से तीन दिन पहले तिलक,... और पहले पंडित जी ने लड़के वालों के लिए उड़द छूने से, सिलपोहना , हल्दी तेल , मटमंगरा सब की साइत निकाल दी , फिर हम लोगों के यहाँ की भी,...

शादी का मुहूर्त जल्दी का था रात में आठ बजे के आस पास का , तो मम्मी और खुश , ...

चलो कोहबर में दो तीन घंटे का टाइम मिलेगा, कम से कम ,... दामाद की रगड़ाई करने का,



लेकिन मेरी सास की ज़िद थी, बिदाई जल्द से जल्द ,... समधन को चिढ़ाते बोलीं,

" अब तो आपका बेटा है, चाहे उसकी रगड़ाई करिये या,... उससे रगड़वाइये,... लेकिन मेरी बेटी को सुबह होने से पहले विदा कर दीजियेगा। "

तो वो भी सूरज निकलने के पहले का तय हो गया।

जेठानी ने पहले ही एक सवाल खड़ा किया लेकिन आजकल तो द्वार पूजा ही नौ बजे के पहले कहाँ होता है, बारात आते आते ही देर हो जाती है , आठ बजे तो शादी बैठ ही नहीं सकती, अपने पंडित से भी एक बार




लेकिन मेरी सास ने ही उनकी पतंग की डोर काट दी,...

बात तो सही कह रही हो,... लेकिन इसका रास्ता है न सिम्पल , तीन घंटे ही तो लगता है , बरात की निकासी जराजल्दी कर देंगे , सबेरे सबेरे,... दिन का खाना कहीं रस्ते में,

" अरे रस्ते में क्यों , १० बजे भी आप लोग चलिएगा तो १ बजे तक पहुँच जाइयेगा,... खाना यहीं ,.... वैसे भी अब सबेरे की बिदाई होगी तो भात तो हो नहीं पायेगा , तो कम से कम दो बार का खाना तो हम लोगों के यहाँ बनता है ,... " मम्मी बोलीं।





" बस, और शाम को ,.. गोधूलि का द्वारपूजा सबसे अच्छा रहता है " उनकी समधन बोलीं , दोनों की जुगल बंदी चल रही थी।


लेकिन क्या पता हमारे पंडित जी को,... न सूट करे , उनसे भी तो पूछ लीजिए एक बार , बल्कि मैं कहती हूँ ,.. इतनी जल्दी क्या है , घर पहुंच के आराम से फैसला कर के बता देंगे ,... जेठानी ने आखिरी दांव खेला।




मेरी सास भी , बड़ी बहू की बात उन्होंने काटी नहीं , बोलीं,

: बात तो तुम्हारी सही है , बिना अपने पंडित से पूछे,... अभी बात कर लेती हूँ,.... और इनके पंडित जी से बात करा देती हूँ , जैसा दोनों लोग तय करें,... "

और उन्होंने पंडित जी को नंबर लगा के शुभ सूचना दी और हम लोगों के पंडित जी को फोन पकड़ा दिया . जब तक वो लोग भद्रा और घड़ी के बारे में बातें कर रहे थे , मेरी सास ने जेठानी से हलके से कहा

" अरे अब तारीख टालने में बड़ी मुश्किल है , तेरे देवर ने तो देख छुट्टी भी सैंक्शन करा ली , कहाँ मिलती है इतनी छुट्टी , ... फिर आफिस में सबको बोला होगा , अब कहाँ कैंसल होगी , फिर दुबारा छुट्टी,... "


तब तक दोनों पंडितों ने बात कर ली और मेरी सास ने फोन स्पीकर फोन पर लगा दिया। इनके पंडित जी बोल रहे ,
"सब घडी एकदम शुभ है , मैंने भी बिचार लिया लड़के की कुंडली तो मेरे पास है ही , और उन तीन चार दिन मैं खाली भी हूँ। "

अब सब पक्का हो गया,... इनकी मम्मी ने अपने मायके भी फोन घुमा दिया,... इनकी बूआ के यहाँ भी , और मेरे साथ की सेल्फी और समधन के साथ की भी , गाँव भी बात कर ली नाउन कहाईन एक हफ्ते पहले आ जाएंगी, ..

मेरी जेठानी का चेहरा झाँवा हो रहा था।





चलते समय मैंने सास का पैर छूने की कोशिश की तो उन्होंने तुरंत पकड़ के गले लगा लिया और मुझे तो क्या बोलतीं,... मम्मी को आने के बाद पहली बार हड़काया,

" किसके साथ मिल के ये बेटी जनी हैं ये तो पता नहीं , इसके मामा, फूफा , पता नहीं,... लेकिन इतनी सुंदर चाँद सी बेटी इतनी गुनी पर इतनी बुद्धू, बेटियां कहीं पैर छूती हैं,... "


और मुझे कस के भींचती हुयी हलके से बोलती हुयी अपनी समधन को चिढ़ाते बोलीं,...

" वो तो अब इनका बेटा हुआ, ... फायदे में मैं ही रही , अब चल तू आ जा तो हम तुम मिल के इनके बेटे का कान खीचेंगे "

पर जेठानी ने बाकायदा पैर छुआया। दोनों पैर आँचल पकड़ के ,...


बस एक पल के लिए उनका चेहरा खुश हुआ जब बिदाई में मम्मी ने उन्हें बनारसी साड़ी और कुंदन का सुन्दर सा सेट,



जेठ जी को हीरे की अंगूठी,... और सूट।

पर मेरी सास ने कुछ भी लेने से मना कर दिया , बेटी का घर कह के,... हाँ समधन के हाथ का बनाया पान उन्होंने जरूर खाया,... और ऐसे उनसे भेंटी जैसे बरसों बिछुड़ी सहेलियां हों ,... हाँ सब के जाते ही मम्मी ने अपना जजमेंट तुरंत मुझे सुना दिया, बाकी सब तो ठीक है , लेकिन वो तेरी जेठानी बड़ी कनटाइन है।

पर अगले पल ही उन्होंने ट्रैक बदला, और तो तेरा वाला तो तेरे ऊपर एकदम लट्टू है।


' मुझसे ज्यादा आप के ऊपर. " हंस के उन्हें चिढ़ाते मैं बोली,...




और क्या अदा से चक्कर काटते हुए हलके से उन्होंने पल्लू गिराया की ऊंचाई गहराई सब झलक गयी. और खिलखिलाते हुए बोलीं,...

" वो तो है , और मैं हूँ ही ऐसी ".

फिर उनकी फ़ोटो अपने मोबाइल से जो उनसे बात करते हुए चुपके से उन्होंने खींच ली थी , मुझे दिखाते बोलीं,...

" देख एकदम लड्डू लग रहा है न मन करता है झट्ट से गप्प कर लूँ "




" तो कर लीजिये ना मैं कौन मना कर रही हूँ " मैं बोली
मैंने कहा था न मम्मी , मम्मी से ज्यादा मेरी सहेली हैं और वो भी बदमाश वाली।

" तू क्या सोचती है तुझसे पूछूँगी ,... गप्प करने से पहले। " और अपने दामाद को उन्होंने फोन घुमा दिया।







लाल डायरी के पन्ने पलटते हुए अचानक मेरी दिमाग में उस दिन की सब घटनाएं एक एक कर के घूम रही थीं ,... और अब मैं समझ रही थी , सब मेरी सास और मम्मी का किया धरा,... पक्का मेरी सास को, 'जो देवरानी नहीं आ सकी' ... उसके गाभिन होने के बारे में तो नहीं पता रहा होगा , नहीं लाल डायरी के बारे, में न जेठानी के इरादों के बारे में,... पर इस उमर में औरतों की छठी इन्द्रिय बहुत जागृत हो जाती है और उनकी तो एड़ी में आँख होती है , तो घर में तो वो बोल नहीं सकती थीं , जेठ जी तो एकदम दबे , ये नौकरी पे ,...

और जेठानी एकदम चढ़ी,...

लेकिन कहीं कुछ उन्होंने सूंघा होगा , लड़की वालों ने एक बार उनसे बात नहीं किया, और फोटो तो सब लोग भेजते हैं,... और जेठानी की छोटी बहन, अभी एक यही चढ़ी रहती है ,... तो बस जैसे ही उन्होंने मौका देखा,



तो इसलिए चट मंगनी पट ब्याह , फिर ये भी मम्मी की बातों ओर मोहनी मंत्र के आगे,... उन्होंने छुट्टी भी लेली , पंडित की भी बात होगयी,... और एक बात और

मेरी सास को अपनी समधन में एक सहेली , जिससे वो खुल के दिल की बात कहें ,... और समधियाने आने की बात ,... तो उन्हें एक तरह का एस्केप स्क्वायर मिल गया , जेठ जी की तो हिम्मत नहीं थी , लेकिन सब के सामने अपनी माँ के खिलाफ भी नहीं ,... इसलिए,...

बस मैं आगयी। और वो जहर की पुड़िया , जिसके किस्सों और प्लानिंग से लाल डायरी भरी थी नहीं आ पायी , पर जेठ जी का क्या चक्कर था , उसका कोई ज़रा सा भी अंदाज लाल डायरी में नहीं था।


तो सौ बात की एक बात , पंद्रह दिन में मैं आ गयी और उस समय मुझे जेठानी जी, उनकी गाभिन बहिनिया के बारे में अंदाजा नहीं थीं , ( जब तक ये लाल डायरी नहीं पढ़ी कुछ भी अंदाजा नहीं था ) मुझे तो सिर्फ ये दीखते थे , पास रहे न रहें,... उनकी लजाती घबड़ाती ललचाती आँखे ,






लेकिन मुझे ये बात नहीं समझ में आ रही थी जेठानी जी ने जेठ जी कैसे इतने दबा के रखा था , ... उस लाल डायरी में कुछ नहीं मिला पार आलमारी में दो कागज़ मिले उनसे अंदाज लग गया , एक तो ऊपर ही था और दूसरा काफी छिपा के उनके अंडर गारमेंट्स के नीचे,
Aaj to aap ke wards mere dill par raj kar rahe he. Maza aa gaya.

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Shetan

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पाठकों से अनुरोध है की जेठानी जी का किस प्रकार से तसल्लीबख़्श इलाज किया जाए उस विषय में अपने सुझाव जल्द से जल्द प्रेषित करें ,... इलाज पक्का और परमानेंट होना चाहिए ,
Is tarah se ilaj karna he
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