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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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जोरू का गुलाम भाग १९३

बिजनेस कोचिंग का

16,42,000



और आफिस आफिस ( इनका )



" चलिए इन फिजिकल फैसिलिटीज की बात तो समझ में आगयी , लेकिन वो जो पार्टीज ,.. खासतौर से आउटडोर पार्टीज , बहुत खर्चा आता होगा उसमें। " मैं बोली।





और वो जोर से हंसी।



" यार वो मेरा इनोवशन है , खर्चा तो होता है और कस के होता है।


मान लो एक पार्टिसिपेंट पर औसत भी लगाओ , तो २,००० से कम नहीं , अगर १०० लोग भी पार्टिसिपेट करते हैं तो २,लाख तो यही मान लो , फिर ड्रिंक्स , डी जे , फैसलिटीज सिक्योरिटी , १०-१२ से कम नहीं बैठता , लेकिन वही वो भी ग्रुप इंटरएक्शन या इंटेंस कोचिंग के नाम पर ,.. यहाँ की पार्टी में कुछ हो गया तो हम जिम्मेदार होते हैं पर ये पार्टी पूरी तरह आउटसोर्स होती है।

खर्चा तो तुम समझ ही गयी , कोचिंग के एक्सपेंडिचर में जाता है , फिर बहुत से लोगो को हम सीधे पैसा नहीं ऑफर कर सकते , शहर के इन्फ्लुएंशियल लोग हैं ,... उनके फ़ार्म हाउस , पार्टी वेन्यू ,... इन्फ्लेटेड दाम पर पांच गुना , छह गुना , समझते हम भी हैं , वो भी हैं ,... अब बिना ब्राइब बोले ,...

फिर जो इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी है , वो भी सब , एक तो लोकल मिनिस्टर के वाइफ के नाम पर रजिस्टर्ड हैं , इसलिए पुलिस वुलिस को भी कोई चक्कर नहीं ,.. वो सब मैनेज करते हैं। अब लड़के लड़कियां हैं तो ,.. धमाल तो होगा ही ,... वो कंपनी भी , सब कुछ आउटसोर्स करती हैं , लोकल थानेदार को पैसा खिलाने से लेकर ,.. उसी नाम पर हम उन मंत्री जी जो भी ,... बहुत सी क्लियरेंस लगती हैं बिजनेस करने में , इत्ते फ़ार्म ,.. अब इससे हमारे पैसे का लेन देन का काम आसान होगया , उस एक्सपेंडिचर को बुक्स में दिखा सकते हैं ,... और लेने वाले को भी तकलीफ नहीं।"





मैं मान गयी मिसेज मल्होत्रा को , पर एक बात और बतायी उन्होंने और मैं चौंक गयी। जो बसें स्टूडेंट्स को ट्रांसपोर्ट करती हैं , वो भी एक एजेंसी , लोकल एम् पी की बीबी , ...और वो सिर्फ बसें उसी दिन हायर करतीं हैं , उस कंपनी का और कोई बिजनेस है ही नहीं।



" लेकिन स्टूडेन्ट्स का डिस्ट्रैक्शन ,... वहां तो सिर्फ मस्ती और ,... " मैं अभी भी कन्विंस नहीं थी।

वो जोर से हंसी , " ये भी मेरी स्ट्रेटजी थी ,..यार फर्स्ट टू फ्लोर ए और बी सेक्शन वाले तो जायेंगे नहीं , वो तो सब कुछ भूलकर ,... होली दिवाली में घर नहीं जाते , सी वाले भी थोड़े बहुत बहुत मुश्किल से ,...और इस फ्लोर वाले लड़के तो ,... उनकी अपनी तो वो नाक के नीचे समझते हैं ,.. तो ज्यादातर डी और ई सेक्शन वाले ,.. करीब दो सौ लड़के लड़कियां हैं , ... पैसे वाले , हमारे कैश काऊ ,... वही और वो नहीं सेलेक्ट होंगे तो भी उन्हें फरक नहीं पड़ता। वो कोचिंग सिर्फ स्टेटस सिंबल और मस्ती के लिए करते हैं।


मान गयी मैं मिसेज मल्होत्रा को ,



लेकिन तब तक घर आगया और मेरे मन में मेरी ननद के लिए प्लान बनने लगा।

अभी पौने नौ भी नहीं बजा था। लेकिन मुझे अब याद आया , पूरे बारह घंटे होगये थे मुझे घर से निकले। सुबह इसी टाइम तो गुड्डी को लेकर हम लोग नैंसी के यहाँ गए थे , इनकी बहना का टिट श्रृंगार करवाने। उसके बाद ये रसगुल्लों के पास और मैं डाक्टर गिल के यहाँ अपनी ननद रानी के साथ , वो रसगुल्लों को स्कूल छोड़ के आफिस और मैं डाक्टर गिल के यहां से शॉपिंग , फिर कोचिंग , और वहां से सीधे मिसेज मोइत्रा की कबुतरियो के स्कूल ,

स्साली किसी भी मामले में गुड्डी से कम हॉट नहीं हैं , बस एक बार लाज शरम थोड़ी हट जाय , मिजवाना रगड़वाना शुरू कर दे , बस उसके बाद तो जाँघे फ़ैलाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। आज रास्ते में जिस तरह उनसे खुल के , ... फिर मिसेज मोइत्रा भी अब एकदम शीशे में उतर रही हैं , ...




और वहां से फिर गुड्डी की कोचिंग और फिर डाक्टर गिल ,...



पहला काम मैंने किया , दो बॉटल वाइन सीधे चिलर में रखी




मैंने बाथ टब में पानी भरा , सोप बबल्स और परफ्यूम डाला और बस बीस मिनट , चुपचाप ,

और एक बार फिर मैं मुस्करा रही थी मिसेज मल्होत्रा की बातें सोच सोच के,... मेरी किटी की फ्रेंड, कित्ते दिनों से दोस्ती, हम दोनों एक दूसरे से कोई बात छुपाते नहीं थे,... और चंद्रमुखी चौटाला वाले वाकये के बाद तो कुछ भी नहीं,... इसलिए एक फोन और गुड्डी का एडमिशन हो गया,...


जो चीजें मैं सोच भी नहीं सकती थी, बाथ टब में लेटे लेटे मिसेज मल्होत्रा के बिजनेस सेन्स के बारे में सोच रही थी, क्या क्या बातें आज पता चलीं

एम् पी की वाइफ की बसें जो महीने में एक दिन चलती थीं,... और वो ट्रांसपोर्ट कम्पनी अच्छा खासा मुनाफा कमाती थी ,

उस एम् एल ए की इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी जहाँ पार्टियां होती थी,... फ़ार्म हाउस के मुनाफ़े, ... मुझे पहले लगता था की फ़ार्म हाउस सब रईसों के शौक होंगे लेकिन

मिसेज मल्होत्रा ने सब बता दिया,... दो सहेलियां हों, रेड वाइन हों और पूरी सीक्रेसी हो तो खुलने में टाइम नहीं लगता और फिर ये सब बातें मिसेज मल्होत्रा सोशल सर्किल में कर भी नहीं सकती थीं,...

मैंने उनसे पूछा की उस एम पी की बीबी के दिमाग में ट्रांसपोर्ट कम्पनी का आइडिया कैसे आया,... मेरी ग्लास में वाइन भरते हुए हुए हँस के वो बोलीं,


" और कौन देता मैंने दिया," फिर पूरी बात खुली।






मिसेज मल्होत्रा को दो बातें पता थीं , वो एम पी बाहर कितना शेर हो घर के अंदर चलती बीबी की थी,... और दूसरे उसको पैसा देना बड़ा मुश्किल था, एक बार किसी ने लिफ़ाफ़ा पकड़ाने की कोशिश की तो उसने पुलिस बुला ली। लेकिन ये बात तो थी की पैसा लेता तो था उसके बिना काम कैसे चलता, तो पहली जरूरत थी उस की बीबी को पकड़ने की , मिस्टर मल्होत्रा को समझ में नहीं आ रहा था। आप बिजनेस करें, बड़ा बिजनेस करें लेकिन एम पी, एम एल ए पर पहुँच न हो,..


और रास्ता निकाला मिसेज मलहोत्रा ने एक गर्ल्स टैलेंट अवार्ड के लिए उन की पत्नी को चीफ़ गेस्ट बना के। फिर उसी में उन्होंने प्रपोजल रखा की सांसद महोदय की माँ के नाम पे बेस्ट गर्ल परफार्मर के नाम पर अवार्ड,...

मान तो वो तुरंत गयीं,... एम पी महोदय अपनी पत्नी के बाद अगर किसी से डरते थे वो अपनी माँ से जो अब नहीं थीं. लेकिन सवाल आया की अवार्ड का पैसा।

और मिसेज मल्होत्रा ने दांव चल दिया,...

और वहीँ से उस ट्रांसपोर्ट कम्पनी की नीव पड़ी। मिसेज मलहोत्रा के सी ए ने ही सब पेपर वर्क किया। और उन्ही का एक जूनियर ही वो कम्पनी का काम धाम देखता है। उसके बाद मिसेज मल्होत्रा ने कम्पनी की इकोनॉमिक्समुझे समझायी,...

" देखो मान लो, हम लोगो ने ट्रांसपोर्ट के नाम पर १० लाख रूपये पे किया और खर्चा आया २ लाख तो बचे आठ लाख। अब वो पांच लाख उनके पास,... उसमें से एक लाख वो अवार्ड के लिए और चार लाख उनके अपने पास,... उसका आधा कैश में,... और तीन लाख हम लोगों की कैश की जरूरत के लिए, तो बिना कुछ किये उन्हें चार मिल गया। और ये बिजनेस है ब्राइब नहीं तो उनकी ईमानदारी में भी कोई बट्टा नहीं। "




" लेकिन ये चार लाख तो कोई बड़ी रकम नहीं है " मैंने अपना शक जाहिर किया।





" अरे वो तो मैंने जस्ट एक्जाम्पल दिया था और एक सबसे बड़ा फायदा और है, जो बहुत ईमानदार बनता है न उसका ईगो उतना ही बड़ा होता है तो अब दस से ज्यादा अवार्ड, और दो तीन फंक्शन में,... सब लड़कियों के लिए, कुछ दलित, कुछ और इसी तरह के ग्रुप की लड़किया,... बेसिकली चार पांच अवार्ड तो उनकी वाइफ जिसे कहती हैं , कोई उनकी पहचान वाली है,उसकी बेटी,... कोई उनके वोट बैंक मैनेज करता है उसके कास्ट की,...

और सब लोग जानते हैं की एडमिशन कितना मुश्किल है तो लड़कियों की चार सीटें उनके नाम से,... उनके कोटे में और उनकी हाफ फ़ीस,... तुम तो जानती हो एडमिशन कितना मुश्किल है,... बस उनकी नाक ऊँची रहती है। लेकिन सब की सब ये फर्जी अवार्ड वालियां और एडमिशन सब के सब सेक्शन इ में। और फिर वहां तो मास टीचिंग होती है, स्पीकर लगा के और १०- २० % तो वैसे ही चाय समोसे की दूकान पे बैठे रखेंगे आएंगे नहीं और क्लास में मार्जिनल कास्ट तो आलमोस्ट ज़ीरो है, बस उनका फायदा और हमारा भी। "

बड़ी सीरयसली समझाया इन्होने। एक बात फिर भी समझ में नहीं आयी और मैंने पूछ लिया



" लेकिन बसें बाकी दिन, चलिए आपके लिए एक दो दिन तीन दिन बाकी "

वो मुस्करायीं और उन्होंने बसों का असली किस्सा बयान किया,...
आम के आम..
गुठलियों के दाम..
क्या तरीका निकाला..
सभी लोग फायदे में....
 

motaalund

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बातें धंधे की- धन धना धन




बड़ी सीरयसली समझाया इन्होने। एक बात फिर भी समझ में नहीं आयी और मैंने पूछ लिया

" लेकिन बसें बाकी दिन, चलिए आपके लिए एक दो दिन तीन दिन बाकी "

वो मुस्करायीं और उन्होंने बसों का असली किस्सा बयान किया,...


" बसें हैं कहाँ ? उस ट्रांसपोर्ट कम्पनी के पास एक भी बस नहीं है, बस रखो तो पार्किंग, ड्राइवर,... हाँ जो बाकी बस कम्पनी हैं उनसे उस कम्पनी का एग्रीमेंट है,... और वो आधे दाम पर, ... एम पी साहेब के नाम से कौन दाम पे,... हाँ कागज पे दाम पूरा लेते हैं , तो महीने में पन्दरह बीस दिन वो जो कम्पनी चलाता है उनसे बसें लेकर और भी बिजनेस वाले हैं या ग्रुप बुकिंग है उन्हें सप्लाई करता है,... और उसका सारा पैसा सीधे मैडम के पास. देख यार इस तरह की कम्पनी चलाने के तीन बेसिक प्रिंसपल है और वो लड़का जो हमारे सी ए ने लगाया है एकदम सही है "

" क्या तीन,... " मैंने इकोनॉमिक्स पढ़ी थी अकाउंटेंसी भी लेकिन ये सब प्रैक्टिकल बातें क्लास में कहाँ बताते हैं। मैंने पूछ लिया।


मिसेज मल्होत्रा ने बड़ी सीरयसली समझाया।



" पहला प्रिंसिपल,... कभी ऐसी कम्पनी में फ़ायदा नहीं होना चाहिए,... हो भी तो बहुत मार्जिनल। हाँ टर्नओवर, नेट सेल्स ये सब बढ़नी चाहिए,... पर लगातार घाटा भी नहीं, और घाटा भी मार्जिनल,... जो फायदा होगा तो सब टैक्स में जाएगा,... लेकिन लगातार घाटा होगा तो भी टैक्स वालों की नजर लग सकती है, इसलिए कभी फायदा कभी घाटा और वो भी मार्जिनल। "

एक पल के लिए रुकीं फिर उन्होंने दोनों बचे हुए प्रिंसपल भी समझा दिए,...

दूसरी बात बेईमानी के काम में ईमानदारी बहुत जरूरी है, तो मैडम का सब हिसाब किताब वो अच्छे से रखता है और एक एक पैसे का हिसाब उन्हें समझाता है,... मैडम के जो ऊपर के खर्चे हैं अब सब उसी के भरोसे,... और तीसरी बात है, परसनल ईमानदारी,.. वो लड़का और उसका स्टाफ, कंपनी के पैसे से चाय भी नहीं पीयेंगे,... आएगा जाएगा अपनी गाड़ी से,... हाँ मैडम की होटल्स की सारी पार्टियां कम्पनी की मार्केटिंग और इंटरटेनमेंट अकाउंट, दो कारें कम्पनी की मैडम के पास एक उनके मायके में , लेकिन वो सब , कुछ नहीं। "



मान गयी मैं मिसेज मल्होत्रा को लेकिन मुझे अगर कहीं छापा वापा पड़ा, रोज तो अखबार में निकलता है इ डी का छापा,.. इतना कैश पकड़ा गया,... तो कहीं बड़ी मुश्किल से तो थाने से बची थीं वो,...

मैंने दबी आवाज में पूछ लिया,... तो फिर कैश, और अगर कोई छापा मैंने धीरे से पूछा

वो हंसी, बोली अरे यार तू ही छापा मार न एक दिन, तुझसे कुछ छिपा है क्या मेरी अलमारी लॉकर कहीं तुझे कैश दिखा,... और वो पेंटिंग के पीछे वाला लॉकर खाली फिल्मों में होता है , ... बिजनेस में दस दुश्मन होते हैं कोई न कोई चिट्ठी लिखता ही रहता है,... फिर ई डी भी,... मेरे और मल्होत्रा के टिवटर के तीन अकाउंट है लेकिन एक भी पोलिटिकल कमेंट नहीं,...

और कैश तो किसी दिन आके देख ले दस बारह हजार से ज्यादा मिलेगा नहीं,... बाकी हर खर्चे का पेपर।

" लेकिन यार तू ही कह रही थी,... की इस धंधे में बिना कैश के " मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
परफेक्ट बिजनेस वुमन...
 

motaalund

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कैश


मान गयी मैं मिसेज मल्होत्रा को लेकिन मुझे अगर कहीं छापा वापा पड़ा, रोज तो अखबार में निकलता है इ डी का छापा,.. इतना कैश पकड़ा गया,... तो कहीं बड़ी मुश्किल से तो थाने से बची थीं वो,...



मैंने दबी आवाज में पूछ लिया,... तो फिर कैश, और अगर कोई छापा मैंने धीरे से पूछा



वो हंसी, बोली अरे यार तू ही छापा मार न एक दिन, तुझसे कुछ छिपा है क्या मेरी अलमारी लॉकर कहीं तुझे कैश दिखा,... और वो पेंटिंग के पीछे वाला लॉकर खाली फिल्मों में होता है , ... बिजनेस में दस दुश्मन होते हैं कोई न कोई चिट्ठी लिखता ही रहता है,... फिर ई डी भी,... मेरे और मल्होत्रा के टिवटर के तीन अकाउंट है लेकिन एक भी पोलिटिकल कमेंट नहीं,... और कैश तो किसी दिन आके देख ले दस बारह हजार से ज्यादा मिलेगा नहीं,... बाकी हर खर्चे का पेपर

" लेकिन यार तू ही कह रही थी,... की इस धंधे में बिना कैश के " मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।



" एकदम कह रही थी लेकिन तुम ने देखा ही होगा पेमेंट वाले सेक्शन में लिखा है नो कैश,... सिर्फ कार्ड या चेक और हर ट्रांजैक्शन का बिल,... कैंटीन में चाय भी एक कप पीने पर स्टूडेंट्स को बिल मिलता है। और पेमेंट सारा अकाउंट में स्टाफ के सिक्योरटी या जो भी,...

मैंने तो एक रिटायर्ड इनकम टैक्स आफ़िसर रखा है, बहुत ही खड़ूस था, किसी के ऊपर टैक्स निकाल देता था तो बस महीने में चार दिन वो हमारे सारे ट्रांजेक्शन चेक करता है, कोई दो नंबर का काम नहीं एकदम स्ट्रिक्ट और उसकी रेपुटेशन अभी भी आफिस में अच्छी है,... तो अगर उसे कहीं जरा भी गड़बड़ मिली तो बस सीधे मुझे और फिर मैं अपने सी ए को और वो लूपहोल प्लग हो जाता है,... एक और फायदा है की उसकी अभी अभी आफिस में पहुँच है कंप्लेंट, विजिलेंस,... तो जो हम लोगों के बारे में कंप्लेंट जाती है उसकी कॉपी दो घंटे के अंदर सीधे मेरे पास, और हर स्टेज पे प्रोग्रेस भी। मैं कभी उसे रुकवाने की कोशिश भी नहीं करती बस अपनी तैयारी कर लेती हूँ,... और फिर चेक के बाद कंप्लेंट क्लोज। “

मिसेज मल्होत्रा ने बड़े विस्तार से जवाब दिया,




कैश वाली बात का जवाब अभी भी नहीं मिला था, शायद मिसेज मल्होत्रा नहीं देना चाहती हों. पर ऐसा नहीं था, मिसेज मल्होत्रा अपनी कोई बात मुझसे नहीं छुपाती थीं और मैं उनकी सबसे बड़ी कान्फिडैंट थी।



कुछ रुक के उन्होंने बताना शुरू किया,

" कैश के बिना तो कोई बिजनेस हो नहीं सकता, और,...

असल में एक सी ए हैं,... नहीं नहीं वो नहीं जो टैक्स का काम देखते हैं या अकाउंट का आडिट करते हैं,... वो,... बस वही, तो कैश सब वही हैंडल करते हैं,... अब जैसे मैंने एम पी के वाइफ वाली ट्रांसपोर्ट कम्पनी की बात बताई जिससे माना की जो हम दस लाख व्हाइट में पे करते हैं उससे चार लाख हमें वापस मिल जाता है लेकिन अब वो उस सी ए के पास, ...

उसी तरह बाकी जगह से भी लेकिन अब वो पैसा व्हाइट से ब्लैक हो गया. तो अब वो सी ए दो काम करता है, एक तो सब का अकाउन्टल,... फिर इन्वेस्टमेंट और कुछ ब्लैक को वापस व्हाइट में,... तो अब उस चार लाख को तीन हिस्सों में बाँट के,... करीब २० फीसदी पेमेंट,... पुलिस, इनकम टैक्स, जी एसटी , नेता नगरी,... किसको कितना देना है कैसे देना है सब हिसाब वही,... करीब तीस फीसदी पैसा कभी हम लोगों को जरूरत पड़े,... परसनल एक्सपेंडिचर, ... जहाँ कैश खर्च कर सकते हैं,... और बाकी चालीस पंचास परसेंट इन्वेस्टमेंट,...




फिर कुछ रुक के उन्होंने बात आगे बढ़ाई ,..कुछ गोल्ड में, कुछ रियल एस्टेट, और कुछ शेयर में,.... अब इन्वेस्टमेंट में कुछ व्हाइट में तो वो सी ए उस का १ % कमीशन लेता है,.... "



मेरी समझ में कुछ कुछ आया कुछ नहीं भी,...

" लेकिन गोल्ड आप कहाँ रखती हैं,... कहीं "




पर मेरे सवाल के पहले जवाब हाजिर था,... कई तरीके से, कुछ तो बेनामी लाकर होते हैं, जो शेड्यूल्ड बैकं है लेकिन नए नए जहाँ उतना के वाई सी का चक्कर नहीं है, ... कुछ गोल्ड बांड में और जब कभी पैसे की जरूरत हुयी तो उसे डिस्पोज कर दिया,.. और उस सी ए की ख़ास बात है की जब कभी जितना कैश चाहिए जैसा चाहिए बस दो चार घंटे का टाइम दीजिये मिल जाता है,... अपना कमीशन वो बाद में,... "

मुझे कुछ समझ में आया था कुछ नहीं लेकिन जितना समझ में आया वही बहुत था,... पर मिसेज मल्होत्रा ने समझाया,

" अरे यार इसमें इतना दिमाग नहीं लगाना पड़ता, बस एक बार सिस्टम सेट हो गया है तो दस पंद्रह दिन में एक बार मैं उस सी ए से कहीं मिल लेती हूँ और आधे एक घंटे में सब समझ लेती हूँ, कहीं कोई रसीद रिकार्ड नहीं। “

फिर अपनी असली परेशानी बताई उन्होंने



" असली खेल है कोचिंग की इमेज और पढाई,... असल में हमारा कंट्रीब्यूशन तो १०-२० % है, पर जिस कोचिंग का नाम होता है अच्छे लड़के भी वहीँ आते हैं तो उसका रिजल्ट भी अच्छा होता है और फिर प्बलिसिटी, और माउथ टू माउथ पब्लिसिटी,... सेक्शन ए से सी तक के बच्चों में कम से कम ६०- ७० % फर्स्ट अटेम्प्ट में आना चाहिए,...

डी और ई में सीटें नहीं खाली होनी चाहिए,... अब हमारी फिजिक्स और बायो की फैकल्टी बहुत अच्छी है तो कई कोचिंग वाले ज्यादा सैलरी देकर पोचिंग के चक्कर में रहते हैं,... फिर पेरिफेरल, जैसे स्टडी मटीरियल और अब हम ने करीब ५० लड़कों को आइडेंटिफाई कर के उनकी परसनल स्ट्रेटजी पे भी वर्क करना शुरू कर दिया है,... आप लाख फायनेंस, पॉलिटिशयन, टैक्स वालों को मैंनेज कर लो, लेकिन अगर आपका रिजल्ट अच्छा नहीं आया, टॉप टेन में आपके बच्चे नहीं आये, ... तो देखादेखी शहर में कितनी कोचिंग खुल गयी हैं,... और रिजल्ट अच्छा हो तो बच्चे खुद ही आने के लिए और खास तौर से अच्छे बच्चे,... तो कोर कॉम्प्टीन्स तो हमारी वही है, उसी का नाम है,... बाकी सब तो उस का रिजल्ट है,... तो उसमें ज्यादा दिमाग खपाना पड़ता है। "



और मेरे बिना बोले बोलीं,

" और मेरी ये ननद भी उसमें है, लगन उसमे हैं शार्प है बस थोड़ी सी गाइडेंस होगी तो टॉप टेन मेडिकल कालेज में किसी में जायेगी, और मैं तो चाहती हूँ की टॉप टेन ऑल इण्डिया रैंक में आये। "





चाहती तो मैं भी यही थी, इतना युद्ध कर के उसे ले आयी थी, पढ़ाई भी चढ़ाई भी,... पढ़ाई के समय पढ़ाई और चढ़ाई के समय चढ़ाई, पढ़ाई तो करे लेकिन परफारमेंस का टेंशन न रहे।

एक तो थकान सारी उतर गयी और फिर आज रात की सारी प्लानिंग मेरे दिमाग में ,...



मान उसकी गुलाबो को आज आराम देना था लेकिन,...
सेटिंग..
ऊपर से लेकर नीचे तक...
सर्व जन हिताय....
 

motaalund

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आफिस आफिस




चाहती तो मैं भी यही थी, इतना युद्ध कर के उसे ले आयी थी, पढ़ाई भी चढ़ाई भी,... पढ़ाई के समय पढ़ाई और चढ़ाई के समय चढ़ाई, पढ़ाई तो करे लेकिन परफारमेंस का टेंशन न रहे।

एक तो थकान सारी उतर गयी और फिर आज रात की सारी प्लानिंग मेरे दिमाग में ,...



मान उसकी गुलाबो को आज आराम देना था लेकिन,...

आज वो आफिस से इत्ते स्ट्रेस्ड , टायर्ड आ रहे होंगे और कल , फिर ,... इसको मैं इनकी रखैल बनाने के लिए इस लिए थोड़ी लायी थी की वो , ...

बेचारे थके मांदे आये और वो कुछ कर भी न पाएं उसके साथ, माना आज ही तांबे का ताला लगा है चुनमुनिया में कुछ डाक्टर मना करेंगी लेकिन बाकी देह तो हैं न मेरी ननदिया की, मेरे साजन के लिए



काम तो उनका बहुत बढ़ गया था, वो भी तीन तरफ़ा,... हाँ सबसे अच्छी बात थी काम का टेंशन घर में नहीं लाते थे वो और आफिस में भी काम में ज्यादा टाइम लगाते थे टेंशन में कम,...

और घर में जो टेंशन था वो सिर्फ इनकी दोनों टांगों के बीच एक बित्ते में, और उसका इलाज करने के लिए तो मैं थी ही और अब तो उनकी बहन भी आ गयी थी तो बहन और बीबी मिल के, बिना नागा,...





और ये शुरू हुआ मिस्टर मोइत्रा के काला पानी जाने के बाद, उनका ८० % काम, जितने फलदार काम थे, सब मेरे सोना मोना के पास,...

और बाकी बचे २० % में से भी ज्यादा सुजाता के हबी के पास और बाकी भी बच्चा पार्टियों वालों के मर्दो के पास,... बहुत लोग नजर बिछाये बैठे थे पर , और उसके पीछे दो लोग थे एक तो मिसेज खन्ना,




जिनकी आँख की किरकिरी मिसेज मोइत्रा को एलक्शन में हराकर मैंने उनकी बरसो की साध पूरी की थी,... और दूसरे मिस्टर दीर्घलिंगम इनकी कम्पनी के कंट्री हेड, जो हम लोगों के हस्बेंड डे फंक्शन में चीफ गेस्ट थे और जिन्होंने मिस्टर मोइत्रा को काला पानी भेजने का आर्डर दिया था, जिनको एक्सर्ट करने की जिम्मेदारी मेरी थी,

मिस्टर दीर्घलिंगम इनसे दो चीजों से बहुत इम्प्रेस थे, एक तो दिन में पावरप्वाइंट प्रजेंटेशन में, एच ओ डी ही थे, लेकिन मिस्टर खन्ना का साथ देने के लिए ये थे और दीर्घलिंगम समझ गए थे की असली काम किसका है

और मिस्टर दीर्घलिंगम ने मुझसे कहा योर हस्बैंड हैज इन्बॉर्न सेन्स ऑफ़ स्ट्रेटजी, ...

दूसरी चीज़ थी रोल प्ले , बताया था न सारे पार्टिसपेण्ट को हस्बैंड डे, एकदम फीमेल अटायर, कैट वाक्, किचेन के काम,

मिस्टर दीर्घलिंगम , कार में इनकी तारीफ़ करते बोले ,

"रोल प्ले इज वेरी इम्पोर्टेन्ट इन कारपोरेट वर्ड, वन शुल्ड नो स्मॉलेस्ट डिटेल ऑफ़ हिज आर हर रोल, एंड परफॉर्म विद परेफकशन, सेकन्ड्ली गोल एंड हाउ टू गेट इट , ही इज परफेक्ट। "

उन्होंने बताया नहीं लेकिन मैं समझ गयी जिस ग्लोबल कार्पोरेशन में ये थे वहां ग्लास सीलिंग कई बार टूट चुकी है, एच आर , बिजनेस स्ट्रेटजी कई डिवीजन्स की हेड महिलाये हैं, ...

एक दिन, मैं लेडीज क्लब की मीटिंग में गयी थी, इनकी सास के आने के पहले ही, लौटी तो देखा ये लैपटॉप में कुछ फाइंनेस के मामलों से जूझ रहे थे , कोई कोर्स ज्वाइन करने का मामला था,


मैंने बल्कि चिढ़ाया भी ,

अपनी बहिनिया के लिए जिगोलो ढूंढ रहे हो क्या नेट पर, ...अरे उस स्साली की फाड़ेगा मेरा मरद ही, वो भी जल्दी ही,




तो उन्होंने बताया, मुंबई से फोन था, मिस्टर दीर्घलिंगम का, उनकी ग्लोबल एच आर हेड से उन्होंने बात करवाई, मिसेज फ़्रेंसेस्का से, (अच्छी बात ये थी उन्हें फ्रेंच आती थी और वो फ्रेंच थी ) उन्होंने सजेस्ट किया की वो एक दो ऑनलाइन कारपोरेट फाइनेंसियल स्ट्रेटजी पर कर लें, कम्पनी उस की कास्ट बियर करेगी,

उसके अगले दिन ही कम्पनी के कारपोरेट हेडक्वार्टर, सिएटल से फोन आया, पूरे डेढ़ घंटे तक,

एच आर टीम थी और शायद एक दो फायनेंसियल स्ट्रेटजी वाले भी,... दो कोर्स तय किये गए, एक व्हार्टन का था और दूसरे आई बी एस हैदराबाद का, क्लासेज ऑनलाइन होंगे सिर्फ वीकेंड में वो भी दो घंटे के बाकी मैटीरियल

मेरे कुछ समझ में नहीं आरहा था

मैंने कहा भी यार सुजाता का हस्बैंड फाइंनेस में हैं कहीं तुम उस की बीबी के साथ उस की जॉब पर भी तो लाइन नहीं मार रहे हो,

हँसते हुए वो बोले ,

उस स्साले की बीबी मेरी स्साली है और उस साली को तो मैं छोडूंगा नहीं , उस की तो मैं उस के मरद और तुम्हारे दोनों के सामने लूंगा, आखिर जीजा साली का रिश्ता है, मेरा हक है, ... जिस जीजा ने अपनी स्साली को छोड़ दिया बिना लिए वो स्साला असली जीजा नहीं , हाँ उस का काम मेरे पल्ले पड़ने वाला नहीं है , वो उसी को मुबारक।"


मैं बोली वही मेरी भी समझ में नहीं आ रहा तुम सेल्स मार्केटिंग वाले आदमी और वो हार्डकोर अकाउंटिंग, ... तो उन्होंने मामला साफ़ किया की वो बेसिकली कारपोरेट अकाउंटिंग , बिजनेस स्ट्रेटजी की फील डेवलप करने के लिए जितना फायनेंस समझना चाहिए बस वही,

इसी बीच मिसेज मोइत्रा की चमचियों की हस्बैंड्स की गाँड़ मारने के चक्कर में उन्होंने जिन जिन कंपनियों से मिस्टर मोइत्रा डील करते थे, उनकी बैलेंस शीट, एनुअल फाइनेंस स्टेटमेंट , कितना फर्जी कितना असली , कौन सी शेल कम्पनी है, टैक्स के किस रूल का वायलेशन वो कम्पनी कर रही है, कुछ तो मार्जिन सीधे मिसेज मोइत्रा के बैंक अकाउंट में जाता था और कुछ उन कम्पनीयो को स्क्वीज करके, प्रॉफिट मार्जिन भी साढ़े सात पर्सेंट बढ़ गया और सेल्स भी १४ %, फिर परचेज का काम भी, वहां पर भी इनपुट कास्ट कम होने से, नेट रिटर्न में ११ % की ग्रोथ, ....
कोई भी साली छोड़ने लायक नहीं है...
बस दे दनादन...
 

motaalund

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काम रस

फोरेंसिक अकाउंटिंग



नहीं नहीं मैं काम सूत्र वाले काम की बात नहीं कर रही, आफिस वाले काम की बात और उसमे ये जो रस लेते थे,... उसकी बात कर रही हूँ , इन्होने काम करने का तरीका ही बदल दिया था

मैंने शुरू से देखा था लोग आठ घंटे का काम दस से बारह घंटे में करते हैं, काम होता है छः घण्टे, और दो घण्टे उसके बारे में बात करेंगे, भले ही उस आदमी से उस काम का कोई लेना देना न हो, और दो घण्टे उसके बारे में सोचते हैं, कौन क्या सोच रहा होगा, अगर अच्छा हो गया तो खुश रहते हैं सोचते हैं कौन क्या सोचेगा और जरा भी गड़बड़ हो गया तो दुखी और वो टेंशन घर पे,...



और मैंने शुरू से तय कर लिया था आफिस आफिस में और घर की बात घर पे,...



एक दिन सुजाता और उसका हबी मेरे घर आये थे, बस इनका और सुजाता के हबी के फोन पे व्हाट्सऐप एक साथ बजा, आफिस का मेसेज , और जब तक ये दोनों उसे खोलते, मैं और सुजाता दोनों एक साथ बोले,

" स्सालो, अपनी बहन के भंडुओ, खबरदार अगर हम दोनों के सामने आफिस की बात शुरू हुयी तो बस यहीं अभी बारमूडा खोल के निहुरा के तुम दोनों की गाँड़ मार लेंगे और तीन दिन का उपवास अलग,... आफिस जाके अपने लैपी पे एक्सेल शीट देख देख के मुट्ठ मारना,... "





और वो दिन था उसके बाद से,...

कभी कभी हफ्ते दस दिन में अगर कारपोरेट हेडक्वार्टर से कोई मेसेज आ गया कोई अर्जेण्टिया काम निकल भी गया तो भले रात में देर तक रुकना हो लेकिन आफिस में है, जैसे आज ये और सुजाता के हबी रुके थे,...

मैंने बताया था न की इनका तीन तरह से काम बढ़ गया था एक तो यहाँ तो जो इनका रोल बढ़ा था,

दूसरे मिस्टर दीर्घलिंगम के साथ जो सी एफओ थे उनका भी बहुत ट्रस्ट था इनके ऊपर, इसलिए कुछ कुछ कारोपोरेट हेडक्वार्टर भी और फिर ग्लोबल आफिस से भी,...

लेकिन मेरे सोना मोना में सबसे अच्छी बात थी, एकदम फोकस्ड, और जितनी जल्दी प्रॉब्लम को समझ लेते थे और उसका लांग टर्म सोल्यूशन ढूंढ लेते और स्ट्रेटजी में और आलटर्नेट आउट आफ बॉक्स सोचने में तो, यहाँ के आफिस का तो जो मैंने बोला था न लोग ६ घंटे का काम १० -१२ घंटे में वो उसी को चार घंटे में करके सरका देते था, न चार घंटे के पहले सोचते थे न बाद में,...

एक दिन मैंने प्यार से उन्हें हड़काया भी,...


" स्साले, भोंसड़ी के अगर ये अकल लौंडिया पटाने में लगाते तो मेरी ननदिया और तेरी ममेरी बहिनिया हाईस्कूल में ही चुद जाती और मुझे आके तेरी नथ न उतारनी पड़ती, मुझे भी थोड़ा एक्सपीरियंस्ड मिलता। "



उन्होंने तीन काम किये,

पहला तो मिस्टर मोइत्रा के चमचों की जांच पड़ताल में उन्हें पता चल गया था कैसे उनके चमचे बिल की पैडिंग करते थे कास्ट इन्फ्लेट करते थे टेंडर में भी और उन सबने सब उगल दिया था तो बस एक फोरेंसिक अकाउंटिंग की फर्म को उन्होंने लगाया और बहुत से लूप होल, लीकेज पता चले जो उन्होंने प्लग किये
लेकिन उन्हें मालूम था की लोग नए छेद बना लेंगे तो एक तो उन्होंने ये इंस्ट्रक्शन दिया की सब लोग कम्पनी के दिए आई पैड, टैबलेट या मैक की लैपी पे काम करेंगे, और उस पर कम्पनी के काम के अलावा कुछ नहीं करेंगे,... और उसमे प्रीलोडेड कुछ साफ्टेवयर और कूकीज थें, जिहे डिलीट नहीं किया जा सकता था,.. और वो नजर नहीं आते थे, सारे वेंडर्स, डिस्ट्रीब्यूटर और बाकी लोगों को बोल दिया गया था की जो मेल या फ़ार्म इस सिस्टम से जाएगा वही रिकग्नाइज होगा, और सबपर एक होलोग्राम रहता था,...

लेकिन असली खेल दूसरा था उस फोरेंसिक अकाउंटिंग वाले ने एक सॉफ्टवेयर बनाया था जो सबमें लोडेड था और जैसे एंटी वायरस में क्विक स्कैन और डिटेल्ड स्कैन होते हैं,... रात में सारे सिस्टम का और सारे फायनेंसियल ट्रांसेक्शन का ६ घंटे पे क्विक स्कैन होता था और एक स्कैन रात में जिसका रिजल्ट पॉप अप के तौर पे, और वो अमाउंट और रिस्क के बेस पे तीन कैटगरी,... अगर कोई सिस्टमेटिक फ्राड हो रेड स्कैन विद औडियो अलार्म,... और ये इनके सिस्टम में आफिस में और मिसेज डी मेलो इनकी सेक्रेटरी के पास भी,...

तो सुबह जब ये आफिस पहुँचते थे तो मिसेज डी मेलो सारे पॉप अप के डिटेलस ये डिसाइड करते थे जिसमें थोड़ी खोज बीन थी उसे एक आऊटसोर्स्ड टीम थी जामतारा की उसे और जो येलो या रेड मार्क वाले वो फोरेंसिक अकाउंटिंग,



अगले दिन तक ज्यादातर केसेज में इनके पास वाउचर सारे डिटेल्स और एविडेंसेज जो क्रिमिनल केसेज के लिए काफी होते हैं मौजूद होते थे,

और मिसेज डी मेलो उस आदमी को बुलाती थीं, उसे बोलतीं सर अभी बिजी हैं पन्दरह मिनट आप वेट कर लीजिये, लेकिन तक ये फ़ाइल देख लीजिये ये सर ने बोला था ,... आप के लिए बस पांच मिनट ही है क्योंकि उसके बाद एक वीडियो कांफ्रेंस है कारपोरेट आफिस के एंटी फ्राड और एच आर वालों से,...



उस फ़ाइल में सारे सबूत उस आदमी के एल्क्ट्रॉनिक सिग्नेचर , बस दो मिनट में ही वो कन्फेस करता था लिख के और आगे के लिए भी,... उन्होंने न किसी को निकाला न डांटा न मेमो दिया, लेकिन तीन चार को बुलाने के बाद ,..

सबको मालूम हो गया,... निजाम बदल गया है।

पर ऐसी बात नहीं की उन्होंने कोई बड़ी बात की इनके पहले भी लोगों ने एक्सटर्नल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसीज लगाने की कोशिश की, पर पेमेंट तो उसका हमारी ही यूनिट से होता था तो फाइंसेस सेक्शन वाले पता कर लेते थे कौन एजेंसी है क्या बैंक डिटेल्स, ऐड्रेस, उसके टैन नंबर से बहुत कुछ, फिर या तो उसे कम्प्रोमाइज करने की कोशिश होती या लोग अलर्ट हो जाते,...


इन्होने कारपोरेट हेडक्वार्टर से उसका पेमेंट वो भी एक एच आर एजेंसी के थ्रू, तो वहां भी पेमेंट एच आर एजेंसी को ही होता, और उस फोरंसिक अकाउंटिंग फर्म और एच आर एजेंसी के बीच में तीन चार लेयर तो किसी को पता नहीं चल पाता था की इन्हे कैसे पता चल जाता है, लेकिन यह पता चल गया था की इन्हे सब पता रहता है।
डी मेलो भी मिलन के लायक हैं..
आखिर सेक्रेटरी और बॉस का रिश्ता तो बरसों से चला आ रहा है....
 

motaalund

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सप्लाई चेन






दूसरा काम इन्होने किया सप्लाई चेन में,


सेल्स और मार्केटिंग ये देखते ही थे, फिर आपरेशन की टीम में भी मिस्टर मोइत्रा के जाने के बाद, और धीरे धीरे कम्प्लीट चेन,...


वहां भी दो तीन चेंज, एक तो पहले सारे डिस्ट्रीब्यूटर को ट्रेड डिस्काउंट इन्वेंट्री लेवल और टर्न ओवर के बेसिस पे दिया जाता था, डिफ्रेंशियल डिस्काउंट था उन्होंने एक और फैक्टर जोड़ दिया डिस्ट्रीब्यूटर कितना एडवांस देता है,... अभी एक महीने का एडवांस कम्पलसरी था, उन्होंने तीन महीने से ज्यादा जो जमा करते थे उन्हें १ % एक्स्ट्रा डिस्काउंट के साथ प्राइस वैरिएशन में भी २५ % सिक्योरिटी मिलती थी यानी पैसा जमा करने के दिन के बाद अगले ६ महीने के अंदर अगर किसी प्रॉडक्ट का दाम बढ़ जाता है तो उनसे बढे दाम में २५% डिस्काउंट मिलेगा। साथ ही साथ वेंडरस को पहले सप्लाई के पंद्रह दिन के बाद पेमेंट मिलता था लेकिन अब वो बढ़ के तीस दिन हो गया,... कई वेंडर से आब्जेक्ट किया की उन्हें मार्केट से पैसा उठाना पड़ता है तो उन्होंने उनके साथ मीटिंग की,... मार्किट रेट १८ % था उन्होंने ऑफर किया की वो ८ % पर एडवांस देंगे,... लेकिन सप्लाई के अगेंस्ट,... और सबसे बड़ा फर्क ये पड़ा की पहले कहने को तीस दिन था लेकिन उन्हें दस चक्कर लगाने पड़ते थे कभी दो महीने कभी तीन महीने अब बिना कुछ किये ठीक तीसवें दिन उनके अकाउंट में पैसा क्रेडिट हो जाता था

कुल मिला जुला के सारा खर्चा अब पूरी चेन का मैनेज करने के बाद जो डिफ़रेंस था वो चार गुना बढ़ गया।

इस के साथ एक एक्सटर्नल एजंसी चेन की स्पीड और बॉटलनेक, बेसिकली एक सॉफ्टवेयर था जो पॉप अप जेनरेट करता था तो कहीं डिजिटल पेमेंट में या ३ पील या ४ पील में डिले हुआ और वो एजेंसी पहले बॉटलनेक रिमूव करता था और उन्हें एक रिपोर्ट पूरे २४ घंटे की, बस एक्ससेप्शन रिपोर्ट। एक और एजंसी थी जो फेडेक्स का मशहूर स्काई प्रोग्राम ( SQI ) मैनेज करती थी उन्हें भी इन्होने,...

तो प्रॉफेटिबिलिटी बढ़ी ही नहीं बहुत बढ़ी और पहले फोकस होता था सेल्स अमाउंट , टर्नऑवर लेकिन अब उन्होंने नेट रियलायजेशन ऑन कैपिटल, इन्वेंटरी लेवल, और मार्केट शेयर पर




पर असली चीज थी तीसरी जो न इन्होने कहीं से पढ़ी न सीखी,...

और वो था इनका व्यवहार,... अगर कोई एक दिन भी सीनीयर है तो वो उसके पास जाते थे, और अगर एज में भी बड़ा है किसी पोस्ट पे कम्पनी में तो उसके आने पे उठ के,...

और ये नहीं मतलब की ये सारा समय काम,... अस्सल में काम शास्त्र वाले काम के लिए भी तो टाइम चाहिए था,...

सुबह मिसेज डी मेलो सारे पॉप अप, फाइनेंस के, सप्लाई चेन और बाकी भी तो बस एक घण्टे में वो, फिर ४५ मिनट की मीटिंग आलटरनेट डे फाइनांस और सप्लाई चेन, फिर पेपर वर्क जो मेल के जवाब देने हैं मतलब लंच के पहले काम ख़तम,... चार घंटे में, और कोई अनशेड्यूल्ड मीटिंग है तो वो २० मिनट से आधे घंटे सेकंड हाफ में और बाकी समय अकेले सोचना प्लानिंग करना,... बस निकलने के पहले ४५ मिनट दिन भर का रिव्यू और दिन में कोई मेसेज आया है तो शायद ही कोई दिन हो जब साढ़े छह बजे ये घर में न हाजिर हो जाते हों, ...

लेकिन महीने में दो चार दिन कारपोरेट आफिस का काम फंस जाता था और कभी कभी ग्लोबल आफिस के लोगों के साथ मीटिंग तो वो रात या बहुत सुबह ही लेकिन वो भी महीने में दो तीन बार ही,... जैसे आज ये आफिस में फंस गए थे और कल सुबह साढ़े चार बजे फिर निकलना था आफिस के लिए, कोई जेनेवा से था कोई बर्न से दो सिएटल से,....



लेकिन उसके बाद फिर उस दिन दिन भर की छुट्टी, ... और एक अच्छी बात थी जो ग्लोबल हेडक्वार्टर या कारपोरेट आफिस वाले थे वो वीकेंड अच्छी तरह मानते थे नो वर्क मतलब नो वर्क,...



लेकिन एक काम ऐसा था जिसके बारे में शायद यहां तो किसी को नहीं मालूम था कारपोरेट आफिस में भी शायद एक दो लोगो को वो भी बस झलक,...




मुझे भी बस हल्का हल्का,
This is intrinsic property and depends on individual...
 

motaalund

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वाह, हर चित्र अपने आपमें एक ग्रंथ है। आद्योपान्त पढ़ने लायक।

ढेरों साधुवाद

सादर
और साथ में ज्ञानवर्धन...
 

motaalund

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ग्लोबल स्ट्रेटजी


लेकिन एक काम ऐसा था जिसके बारे में शायद यहां तो किसी को नहीं मालूम था कारपोरेट आफिस में भी शायद एक दो लोगो को वो भी बस झलक,...
मुझे भी बस हल्का हल्का,

एक दिन, सुबह सुबह, मैं और मम्मी सो रहे थे, सिएटल से फोन आया , आधे घंटे तक,...

फिर कुछ दिन बाद, ...

बताया तो उन्होंने मुझे था , लेकिन एकदम हश हश

आई पैड था या आईपैड जैसा कुछ, थोड़ा कस्टमाइज्ड,


अगले दिन एक ओर पैकेट आया, उसमें एक डांगल था,



ऊपर एक कमरे में जहाँ बस गर्मियों में जाड़े की रजाइयां गद्दे रखे जाते थे और भी इस तरह का सामान, बस वहीँ रखा गया वो सब, और बात करने के लिए पासवर्ड पर पासवर्ड, पहला लेवल तो बायोमेट्रिक्स था, मल्टीपल, इनकी आवाज आइरिस और उँगलियों के निशान,उसके बाद वो आईपैड नुमा चीज खुलती थी, फिर वो डांगल लगाने के बाद काम के लिए एक्टिवेट होती थी , दूसरा लेवल का पासवर्ड था एक १२ डिजिट का पासवर्ड, और फिर एक चैटबॉट आता था, जो इनके लम्बे चौड़े बायोडाटा से कोई तीन सवाल पूछता था , वो तीनों इन्हे बताने होते थे,



हाँ कोई कीपैड भी नहीं था, डांगल लगाने के बाद एक वर्चुअल की पैड उभरता था सब कुछ उसके जरिये।


और कैमरा भी डार्क नाइट में और ३६० डिग्री वाला,... लेकिन बातचीत इनसे इनकी कंपनी के बारे में या परफॉर्मेंस के बारे में एकदम नहीं होती थी, टोटल बिजनेस एंवयारमेंट, इनके राइवल कम्पनी की परफॉर्मेंस, कोई और नयी कम्पनी तो नहीं आ रही है , कुछ नए रूल्स या ला आ रहे हैं अगर तो क्या असर पडेगा, ... और एक साथ इनके जैसे तीन चार लोग अलग अलग कंट्रीज के,

कभी ये बात चीत दस पंद्रह मिनट में ख़तम हो जाती थी और एक बार तो पूरे चार घंटे चली, और कब होगी ये भी पता नहीं रहता था।



इनके रेगुलर फोन या कम्पनी के फोन या मेल का इस्तेमाल एकदम नहीं होता था।

एक दिन मैंने इनके हाथ में एक फिट विट टाइप घड़ी देखी तो मैं इन्हे चिढ़ाने लगी, थी वो वही, कित्ती देर सोये कैलोरी और वही सब, लेकिन उन्होंने राज खोला,



ये इनके कारपोरेट आफिस से आयी है , सीटेल से, ... जिस दिन मीटिंग होगी उसके आठ दस घंटे पहले उसमे मेसेज आजायेगा , कितने बजे मीटिंग है, ... एक अलार्म भी है , मेसेज के लिए और मीटिंग के लिए।

मेरे अलावा सिर्फ गुड्डी को मालूम था उस कमरे के बारे में, और हम दोनों उस कमरे को कोपभवन कहते थे जहाँ ये जा के लुप्त हो जाते हैं,... लेकिन उसका इस्तेमाल ज्यादा नहीं होता था , और एक बार साइबर सिक्योरिटी वाले आये थे, कहीं बाहर से,... हमारी कम्पनी के नहीं थे

उन्होंने मंत्र कील से उसकी रक्षा का भी जुगाड़ कर लिया,... अब वो या इनके फिंगर प्रिंट्स और आवाज से खुलता या मेर्री मधुर आवाज के साथ उससे नैना मिलाना पड़ता था और दसो ऊँगली,... पर अब मैं भूल भी थी ये सब अब आज उनके आफिस की बात आ पड़ी तो



पर घर आने के बाद, तो सिर्फ वो मेरे और मैं प्लान कर रही थी उनके लिए ननदिया के ताम्बे का ताला कैसे सेलेब्रेट करें, आज प्रवेश निषेध था कल शाम तक लेकिन मेरे साजन हो उनकी बहन हो और मस्ती न हो
और फिर आज गुड्डी रानी के जिन टिट्स ने पूरी कोचिंग को दीवाना कर दिया , ,... एक फैसला मैंने ले ले लिया , खाना बाहर , और गुड्डी रानी निप पोकिंग ड्रेस में ,

ज़रा शहर वाले तो देखें बिन ब्रा के कमल खिला है ,

असल में बिन ब्रा के नहीं ओपन कप वाली ब्रा जो उसके ३२ सी को डी कप बना देगी , और चलिए उसका साथ देने के लिए मैं भी वैसी ही ड्रेस , उसको पिक करुँगी तो उसकी ड्रेस ले चलूंगी साथ में , आखिर हॉस्पिटल का गाउन पहन के तो वो आएगी नहीं।

आधे घंटे मुझे लगा घर को सेट करने में , अपने हिप फ्लास्क में थोड़ी सी जानीवाकर , ... मैंने एक ट्यूब टॉप जस्ट निप्स तक , और गुड्डी के लिए भी एक सुपर मिनी ट्यूब टॉप ले ली , और वापस साढ़े नौ बजे डाक्टर गिल की ओर रवाना हो गयी।


हाँ बस गाडी स्टार्ट करने के पहले , मैं मिसेज मोइत्रा को गुड नाइट करना नहीं भूली और उन्ह दोनों चीजें याद दिलाई
कोई भी विषय आपसे अछूता नहीं है....
 

motaalund

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सहमत प्रिय कोमल जी, आपसे असहमत तो हुआ ही नहीं जा सकता।

लेकिन कोमल जी दिल छोटा मत कीजिए, हो सकता है कि पाठकवृंद की अपनी भी कोई समस्या हो।

मैं स्वयं भी लंबे समय से आपकी कहानियां पढ़ रहा था लेकीन लाईक और कमेन्ट नहीं कर पा रहा था।

फिर अभी फोरम पर जो वातावरण है कि कुछ कहने को नहीं।

चाहे कमेंट करो या लाईक, ऐसे ढींठ विज्ञापन आने लगते हैं और उनके तो इतने इरोटिक प्वाइंट है कि आप कहीं भी छुओ स्साले गरमा जाते हैं।

आपकी लेखनी के रसिकों की औेर भी समस्या हो सकती है जैसे संकोच, किसी को पता नहीं चल जाए आदि - आदि।

हां एक बात और, आपके अपडेट के साथ मुझे कमेन्ट पर आपके कमेन्ट का भी इंतजार होता है और आप कभी भी किसी भी पाठक को निराश नहीं करती है।

सादर
You may keep browser in highest security setting.
However drawback is that in this case gif/pics will not be displayed and many scripts will not function.
 

motaalund

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है भगवान,

कोमल जी फॉरेंसिक अकाउंटिंग भी,

आप धन्य हो देवी

सादर
डिजिटल जमाना है...
फॉरेंसिक के साथ ए.आई.(Artificial Intelligence) भी .. Analytic tool के साथ....
 
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