आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान...Thanks Sir
Regards
आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद श्रीमान...Thanks Sir
Regards
ओकेअरे पुलिस के साइरन के साथ हेड मैट्रन ...
और फिर कपड़े उतरवा के...
Lovely komal starting toh jabardast hai...मेरी छुटकी ननदिया
और सबसे बढ़कर वो उनकी ममेरी बहन।
वो पास के मोहल्ले में थी लेकिन अक्सर आ जाती थी। गुड्डी नाम था।
अभी ग्यारहवीं में गयी है,और जैसे इस उमर की लड़कियों में होती है , एकदम चैटर बॉक्स.
और एकदम चिपकू , अपने भैय्या से , हर समय , मेरे भैया ये नहीं करते , मेरे भैया वो नहीं करते।
लेकिन लगती कैसी थी ?
मैं ये कह सकती थी जैसे ग्यारहवीं में पढने वाली लड़कियां लगती हैं , वाली जिनपे अभी अभी जवानी चढ़ी हो।
लेकिन ये बेईमानी होगी।
जब मेरी शादी में आई थी बारात में तो उसके कच्चे टिकोरे ही आग लगा रहे थे
और अब तो कुछ दिन पहले जवानी की राते मुरादों के दिन वाली उम्र हो गयी।
मैं और मेरी जिठानी उसे चिढ़ाते थे , अरे अब तो इंटर में आ गयी है इंटरकोर्स कर ले तो ऐसा बिदकती थी की
लम्बी ठीक ठाक , ५-४ होगी ,
गोरी ,हंसती है तो गाल में गहरे गड्ढे पड़ते हैं।
और उभार ,
एकदम जम के दिखते हैं , खूब कड़े कड़े कच्ची अमिया जैसे छोटे लेकिन मस्त, उसके क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही बड़े ।
हिप्स भी कड़े और गोल।
जैसा की फिराक ने कहा था , वैसी ही बल्कि थोड़ी बढ़ चढ़ कर ,
लड़कपन की अदा है जानलेवा
गजब की छोकरी है हाथ भर की
और मुझे भी कई बार लगा की सिर्फ वही नहीं चिपकी रहती , इनके मन में भी उसके लिए कुछ 'सॉफ्ट ( या हार्ड !) कार्नर ' है।
शादी के कुछ दिन बाद गाने हो रहे थे और मुझे मेरी जेठानी ने उकसाया गारी गाने के लिए ,
और गारी का असली टारगेट तो ननद ही होती है , तो बस मैं चालू हो गयी उसके टिकोरों की खुल के तारीफ करने
मंदिर में घी के दिए जले मंदिर में
मैं तुमसे पूछूं हे ननदी रानी , हे गुड्डी रानी ,
तोहरे जोबना का कारोबार कैसे चले ,
और उसका सम्बन्ध पहले अपने भैया फिर सैयां से जोड़ने ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे हलवइया का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे , अरे गुड्डी रानी का यार रे ,
लड्डू पे लड्डू खिलाये चला जाय , , अरे चमचम पे चमचम चुसाये चला जाय ,
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे दरजी का लड़का तो गुड्डी जी का यार रे अरे ननदिया का यार रे ,
अरे चोलिया पे चोलिया सिलाये चला जाय , अरे जुबना उसका दबाये चला जाए
कहना ना माने रे , अरे कहना ना माने रे ,
बार बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाए कहना ना माने रे ,
बार बार गुड्डी दरवाजे दौड़ी जाय कहना न माने रे ,
अरे मेरी सासु जी का लड़का , तो गुड्डी जी का यार रे गुड्डी जी का यार
अरे सेजों पर मौज उड़ाए चलाय जाय कहना ना माने रे।
अरे मेरी मम्मी का लड़का , अरे मेरा प्यारा भैया तो गुड्डी जी का यार रे , अरे ननदिया का यार रे ,..
टाँगे दोनों उठाये चला जाय , अरे जाँघे उसकी फैलाये चला जाय
कहना ना माने रे
और उसी समय कहीं से वो आगये , फिर ऐसे घूरा उन्होंने की तुरंत गाना बजाना सब बंद।
और उस दिन तो मैं उस के चक्कर में इतना ,कह नहीं सकती कितना खराब लगा।
उनकी एक आदत और ख़राब ,
कोई भी सामान अपनी जगह नहीं रखते ,सब इधर उधर।
एकदिन तकिये के नीचे कंडोम रखे थे जो सरक कर बिस्तर पर आगये ,
कोई आया तो जल्दी से मैंने पास में पड़े हमारे वेडिंग अल्बम में उसे रख दिया।
रात में वो कमरे में आये , तो वेडिंग एल्बम उन्होंने खोल कर देखा।
कंडोम जिस पेज पर थे , वहां गुड्डी की फोटोग्राफ्स थे ,शादी में डांस करते।
मैंने उन्हें इतना गुस्सा और दुखी कभी नहीं देखा था। वो वैसे भी कैंसरियन थे , राशि के हिसाब से ,
और गुस्सा होने पे या अकसर वैसे भी अपने शेल में घुस जाते थे।
उन्होंने कंडोम उठाकर झटक कर फर्श पर फ़ेंक दिया जैसे मैंने कैसी गन्दी चीज गुड्डी की तस्वीर के साथ रख दी हो।
और फिर सम्हाल कर उस की फोटो को पोंछा और अपने हाथ से नीचे वाले ड्राअर में एलबम को रख के बंद किया।
और बिना मुझसे कुछ बोले , मेरी ओर पीठ कर के सो गए।
स्वागत है आपका थेड़ परLovely komal starting toh jabardast hai
कोई आया न आयेगा मगर,सहमत प्रिय कोमल जी, आपसे असहमत तो हुआ ही नहीं जा सकता।
लेकिन कोमल जी दिल छोटा मत कीजिए, हो सकता है कि पाठकवृंद की अपनी भी कोई समस्या हो।
मैं स्वयं भी लंबे समय से आपकी कहानियां पढ़ रहा था लेकीन लाईक और कमेन्ट नहीं कर पा रहा था।
फिर अभी फोरम पर जो वातावरण है कि कुछ कहने को नहीं।
चाहे कमेंट करो या लाईक, ऐसे ढींठ विज्ञापन आने लगते हैं और उनके तो इतने इरोटिक प्वाइंट है कि आप कहीं भी छुओ स्साले गरमा जाते हैं।
आपकी लेखनी के रसिकों की औेर भी समस्या हो सकती है जैसे संकोच, किसी को पता नहीं चल जाए आदि - आदि।
हां एक बात और, आपके अपडेट के साथ मुझे कमेन्ट पर आपके कमेन्ट का भी इंतजार होता है और आप कभी भी किसी भी पाठक को निराश नहीं करती है।
सादर
कहानी की थीम अब थोड़ी टर्न ले रही है, ... और बिना डिटेल के मुझे न लिखने में मज़ा आता है न आप ऐसे सुधी पाठको को पढ़ने मेंहै भगवान,
कोमल जी फॉरेंसिक अकाउंटिंग भी,
आप धन्य हो देवी
सादर
Aur iske bina koyi dhandha ho bhi nahi skata islie iski jahlk bhi deni jaroori thiGanda he par dhandha he ye. Amezing..
पिछले अपडेट के लास्ट पार्ट में हैतांबे का ताला ??? और वो हुडकोटोमी ??
कब ??
किस अपडेट में ???
मुझसे कुछ छूट गया क्या ??
प्लीज कोमल जी, बताइए आप ही बता सकती है।
सादर
Thanks so much, your presence is inspiring,Awesome super duper gazab gyanvardhak updates
बहुत बहुत आभार आपको अच्छा लगावाह! कहानी के पात्रों के बीच व्यवसायिक संवाद....एक नए अनुभव का एहसास कराती है