आपके पद्य भी लाजवाब होते हैं...'
अक्षर-अक्षर जोड़-जोड़ कर
धरती की कोरी तख़्ती पर
बूँदों ने हरियाली लिख दी
धरती की सोई सोंधी ख़ुशबू
उठ बैठी ले अंगड़ाई
पहली जलधारा के स्वागत में
मल्हार राग के स्वर जागे
वीणा झंकृत
नाना रंगों के स्वप्न
हुए साकार ।