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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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अक्षर-अक्षर जोड़-जोड़ कर
धरती की कोरी तख़्ती पर
बूँदों ने हरियाली लिख दी

धरती की सोई सोंधी ख़ुशबू
उठ बैठी ले अंगड़ाई

पहली जलधारा के स्वागत में
मल्हार राग के स्वर जागे
वीणा झंकृत
नाना रंगों के स्वप्न
हुए साकार ।
आपके पद्य भी लाजवाब होते हैं...
 

motaalund

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आप का यहाँ तशरीफ़ लाना ही शेर क्या पूरा दीवान है और जिस तरह से आप हर भाग पर अपनी राय ज़ाहिर करते हैं , उस्तादों के कलाम उसपर कुर्बान
तारीफ के काबिल आप हैं..
और ये आपकी विनम्रता है कि अपने सभी पाठकों को उचित सम्मान देती हैं...
 

motaalund

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इसीलिए तो मिसेज मोइत्रा ने इतने कस के डिब्बे में बंद कर के, टाइट पैक रखे थे

लेकिन कहते हैं दाने दाने पर लिखा है खानेवाले का नाम, तो फिर रसगुल्ले होंगे तो खाये भी जाएंगे और उनपर नाम भी लिखा होगा जो उन्हें पहले निचोड़ेगा।
ताजे-ताजे रसगुल्ले..
एकदम फ्रेश माल...
 

motaalund

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बहुत बहुत आभार, मैं यह पोस्ट, पोस्ट करने के बाद सोच रही थी पता नहीं कोई पढ़ेगा भी की नहीं

न कोई सेक्स का एक्शन , न सेक्सी बातचीत,

न कोई खास घटना जो कहानी को आगे बढाए,...

पर मुझे लगा की फिल्म के गीतों से बढ़कर बारिश के मौसम को कोई कैप्चर नहीं कर सकता, और गाने भी थोड़े शरारत वाले मस्ती वाले, फिर वेस्टर्न म्यूजिक वाला क्लब था तो दो अंग्रेजी गाने भी

और बारिश बिना कजरी के कैसे पूरी होती इसलिए वो भी।


एक बार फिर से धन्यवाद
आपका हर पोस्ट विशिष्ट है..
कुछ नए शब्द.. नई परिभाषा... नए मनोभाव....
सबका सम्मिश्रण....
 

motaalund

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Thanks so much dialogue ki importance to sb aapse hi sikhte hain.
यही सहज डाय्लोग्स तो आपकी कहानी को एक उच्च स्तर तक पहुँचाते हैं...
 

motaalund

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🙏🙏🙏🙏🙏



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मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

rain-tree.gif


पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’—
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

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क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करा गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
इन्हीं पूरक अपडेट्स में आपके अन्य रूचि और प्रभाव का पता चलता है...
 
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