एक साथ तीन तीन कहानियां लिखना एक कठिन काम है और उसके बाद भी मैंने पिछली पोस्ट में लिख भी दिया है
और पढ़ने वाले न हों तो
यह कहानी १९६ भाग पार कर गयी पर व्यूज १७ लाख के आस पास, यानी प्रति पोस्ट व्यूज ८. ५ हजार के आस पास
८६३ पन्नो के हिसाब से तो शायद प्रति पृष्ठ दो हज़ार व्यूज के आस पास
आप ऐसे कुछ सुहृदय पाठक मित्रों को छोड़ दूँ तो कमेंट भी
यह स्थितियां एक जटिल संश्लिष्ट विषय पर कहानी लिखने को बहुत उत्साहित तो नहीं करती। मोहे रंग दे ऐसी कहानी कुछ मित्र पाठक को छोड़ कर,
तो इसलिए मैं न हाँ कर रही हूँ न हाँ
प्रिय कोमल जी
ऐसा नहीं है कि पाठकवृंद आपकी कठिनाइयों को जानता ना हो, लेकिन क्या करें मन नहीं मानता और जाएं भी तो जाएं कहां ??
आप जैसी मूर्धन्य लेखिका और उसकी लेखनी, मुझे तो कहीं और उपलब्ध नहीं लगती है और उस पर आपकी सहृदयता।
उस पर आपका दिलफरेब मिजाज, कभी एक बार कहने पर मान जाती है कभी कितनी भी मनुहार कर लो, पिघलने का नाम ही नही लेती।
यही तो मजा है कृपया हमसे चिरौरी करने का अधिकार तो ना छीनीये।
हम इसरार करते रहेंगे, आप कभी हैं कभी ना ।
सादर