एक जुझारू लेखिका के द्वारा लिखे ऐसे शब्द, उसके मन की पीड़ा को दर्शाते हैं, पर आपकी कलम से ये वाक्य, असंभव।
इस फोरम पर हर एक के अपने विचार, अपनी सोच हैं।
जरूरी नहीं कि आपकी सोच को वो पहचान सके।
किसी के विचार की वजह से आप अपनी लेखन शैली में बदलाव लाये, ऐसी आप हैं नहीं।
एक कहानी को चार बार अलग अलग फोरम पर लिख कर पोस्ट करने, और फोरम के बंद होने के बावजूद उसको पूरी शिद्दत से पूरी करने का साहस आपके अलावा कोई और नहीं कर सकता।
लंबी राह में हर तरह के साथी मिलते हैं, जरूरी नहीं सब आपके सोच के हो।
सुनो सबकी लिखो मनकी
और अपनी शुरू की कहानी को उसके अंजाम तक पहुचाये।
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