जोरू का गुलाम भाग ६५
कारपोरेट मामले
मम्मी पंद्रह बीस दिन रही होंगी,
लेकिन इस पन्दरह बीस दिन में ही उन्होंने उनका रंग रूप और सबसे बढ़कर सोचने का ढंग बदल दिया,
अब वो न सिर्फ खुल के मजे लेते थे बल्कि उसके बारे में बोलते भी, मन की बात सब कुछ कह डालते थे,
जैसे किसी भरी पूरी, गदरायी बड़ी उमर वाली, चौड़े चौड़े चूतड़ बड़ी बड़ी चूँची वाली औरत को देखते थे, बस उनका खूंटा तन जाता था और बोलते भी थी स्साली चोदने को मिल जाए, निहुरा के,...
और कहने की बात नहीं उस समय उनके दिमाग में सिर्फ मम्मी की समधन और मेरी सास होतीं,
और अगर वो हाईस्कूल इंटर वाली दिख जाएँ, कच्चे टिकोरे वालियां तो फिर तो कहना ही क्या, अंदाजा उन का हरदम सही होता , २८, ३० या ३२।
और कहने की बात नहीं दिमाग में उनके वही कच्ची कली अनचुदी उनकी छोटकी बहिनिया होती और अब तो फोन पर भी उसने खुल के अपनी टांग फैलाने की दावत इन्हे दे दी थी।
लेकिन इसका एक बड़ा असर इनकी सोच और काम पर भी पड़ा, और आफिस में जो इनका इम्प्रेशन था उसपर भी, ....
तेज तो पहले ही थे, ये दिमाग के से बहुत शार्प, लेकिन मन की जो खिड़की दरवाजे खिड़कियां उन्होंने बंद कर रखी थीं बस उसी चक्कर में,
बताया तो आप सब को था जो मैंने बॉबी जासूस बन के उनके कंप्यूटर में सेंध लगाई और वहां से सीधे सीढ़ी मिली उन के मन के गहरे अंधरे कूंए में उतरने की,
कितनी किंकी साइट्स, फेम डॉम, सीसिफिकेशन, और रोल प्ले, हरदम सबमिसीव रोल, कच्ची कलियों और बड़ी उम्र की औरतों की फोटुओं का जखीरा,
और नतीजा काम करते समय भी मन उनका वहीँ भटकता रहता था, तो न काम में न न इन्जायमेंट के समय,...
सबके पीछे वही उनके घर की सोच, मिडल क्लास, ' सीधा साधा' लगना अच्छा है, इसलिए रात भर सुहागरात के दिन से ही मेरे साथ, पर दिन में अपनी भाभी के सामने जैसे पहचानते न हों,
वही सोच, सेक्स गलत है, गन्दा है, ... और सारी नैतिकता सिर्फ खाने पीने और देह तक सीमित है, भले कोई ब्लैक मार्केटिंग करे , सारे नियमों की अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करे,...
छोड़िए खैर कितनी बार तो ये बाते बता चुकी हूँ , ... तो कुछ मेरे और कुछ इनके सास के चक्कर में ये कोकून से निकल आये फिर आफिस में भी,
और इनकी सास के साथ, मिस्टर और मिसेज महालिंगम, हमारी कम्पनी के कंट्री हेड,
मिसेज महालिंगम इनसे इम्प्रेस हुयी थीं हस्बेंड्स डे के दिन,
और मिस्टर महालिंगम मुझसे और इनसे दोनों, ... मुझसे खास तौर पे जब मैंने उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट गयी थी, डिनर के समय भी उनके साथ मैं ही थी,
जी आप ने सही गेस किया, मिस्टर महालिंगम एकदम अपने नाम के अनुरूप थे, एयरपोर्ट तक की डेढ़ घंटे की जर्नी काफी थी मुझे ये कन्फर्म करने में,...
और उसी दौरान मिस्टर मोइत्रा के ट्रांसफर का न सिर्फ आर्डर हुआ , बल्कि एक नक्सलाइट इन्फेस्टेड नॉन फेमली स्टेशन पर जहाँ से छह आठ महीने पहले एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलने वाली थी , और मिस्टर महालिंगम के फोन से ही मैंने उनके कहने पर मेसेज भी कर दिया की मिस्टर मोइत्रा को रात में ही स्पेयर कर दिया जाए, चार घंटे बाद छूटने वाली ट्रेन पकड़ कर वो चले जाएँ, ... एक साथ मैंने एक तीर से कई शिकार कर दिए, मेरे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी होने में सबसे जयादा रोड़ा मिसेज मोइत्रा ने अटकाया था, और ताकत तो उनके हस्बैंड ही थे, एक बार वो चले गए तो मैंने और मिसज़ खन्ना ने तय कर लिया था , एक जबरदस्त लेडीज नाइट जिसमे मिसेज मोइत्रा की स्ट्रिपटीज, दूसरा फायदा ये हुआ की मिस्टर मोइत्रा के ज्यादातर चार्ज इन्हे मिल गए , जिसके बल पर मिसेज मोइत्रा उछलती थीं,
और बोनस के तौर पे मिसेज मोइत्रा के दोनों रसगुल्ले, इनकी उस बहन से भी छोटी थी दोनों , जबरद्त संस्कारी, मिसेज मोइत्रा उन्हें हवा भी नहीं लगने देती थीं , कभी दोनों क्लब नहीं आती थी,...
और अब, ये मैंने तय कर लिया था इनके मायके से लौटने के बाद पहला काम, उन दोनों के अगवाड़े और पिछवाड़े दोनों का उद्धघाटन, और किससे,... इनसे,...
मिस्टर महालिंगम इनसे दो चीजों से बहुत इम्प्रेस थे, एक तो दिन में पावरप्वाइंट प्रजेंटेशन में, एच ओ डी ही थे, लेकिन मिस्टर खन्ना का साथ देने के लिए ये थे
और मिस्टर महालिंगम ने मुझसे कहा योर हस्बैंड हैज इन्बॉर्न सेन्स ऑफ़ स्ट्रेटजी, ...
दूसरी चीज़ थी रोल प्ले , बताया था न सारे पार्टिसपेण्ट को हस्बैंड डे, एकदम फीमेल अटायर, कैट वाक्, किचेन के काम,
मिस्टर महालिंगम, कार में इनकी तारीफ़ करते बोले ,
"रोल प्ले इज वेरी इम्पोर्टेन्ट इन स्पोर्ट्स एंड कारपोरेट वर्ड, वन शुल्ड नो स्मॉलेस्ट डिटेल ऑफ़ हिज आर हर रोल, एंड परफॉर्म
विद परेफकशन, सेकन्ड्ली गोल एंड हाउ टू गेट इट , ही इज परफेक्ट। "
एक बात में मिस्टर और मिसेज महालिंगम दोनों एकमत थे,
ही एक्सेप्टस पोजीशन ऑफ़ वोमेन एंड हैज नो हैंगअप्स।
उन्होंने बताया नहीं लेकिन मैं समझ गयी जिस ग्लोबल कार्पोरेशन में ये थे वहां ग्लास सीलिंग कई बार टूट चुकी है, एच आर , बिजनेस स्ट्रेटजी कई डिवीजन्स की हेड महिलाये हैं, ...
एक दिन, मैं लेडीज क्लब की मीटिंग में गयी थी, इनकी सास के आने के पहले ही,
लौटी तो देखा ये लैपटॉप में कुछ फाइंनेस के मामलों से जूझ रहे थे , कोई कोर्स ज्वाइन करने का मामला था,
मैंने बल्कि चिढ़ाया भी , अपनी बहिनिया के लिए जिगोलो ढूंढ रहे हो क्या नेट पर, ...
तो उन्होंने बताया, मुंबई से फोन था, मिस्टर महालिंगम का, उनकी ग्लोबल एच आर हेड से उन्होंने बात करवाई, मिसेज फ़्रेंसेस्का से, (अच्छी बात ये थी उन्हें फ्रेंच आती थी और वो फ्रेंच थी ) उन्होंने सजेस्ट किया की वो एक दो ऑनलाइन कारपोरेट फाइनेंसियल स्ट्रेटजी पर कर लें, कम्पनी उस की कास्ट बियर करेगी,
उसके अगले दिन ही कम्पनी के कारपोरेट हेडक्वार्टर, सिएटल से फोन आया, पूरे डेढ़ घंटे तक,
आप हीरो की तो दुसरो के साथ मस्ती को विस्तार से बताती हो, पर हीरोइन की मस्ती को बिल्कुल छोटे मे निपटा देती हो,
1:30 घंटे से ज्यादा दीर्घलिंगम के साथ हीरोइन की गयी मस्ती को 2 लाइन मे निपटा दिया,
पति से ज्यादा तगड़े औजार के साथ की गयी मस्ती को तो विस्तार से ही लिखना चाहिए था।