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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ६५



कारपोरेट मामले


मम्मी पंद्रह बीस दिन रही होंगी,


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लेकिन इस पन्दरह बीस दिन में ही उन्होंने उनका रंग रूप और सबसे बढ़कर सोचने का ढंग बदल दिया,

अब वो न सिर्फ खुल के मजे लेते थे बल्कि उसके बारे में बोलते भी, मन की बात सब कुछ कह डालते थे,


जैसे किसी भरी पूरी, गदरायी बड़ी उमर वाली, चौड़े चौड़े चूतड़ बड़ी बड़ी चूँची वाली औरत को देखते थे, बस उनका खूंटा तन जाता था और बोलते भी थी स्साली चोदने को मिल जाए, निहुरा के,...

और कहने की बात नहीं उस समय उनके दिमाग में सिर्फ मम्मी की समधन और मेरी सास होतीं,



और अगर वो हाईस्कूल इंटर वाली दिख जाएँ, कच्चे टिकोरे वालियां तो फिर तो कहना ही क्या, अंदाजा उन का हरदम सही होता , २८, ३० या ३२।

और कहने की बात नहीं दिमाग में उनके वही कच्ची कली अनचुदी उनकी छोटकी बहिनिया होती और अब तो फोन पर भी उसने खुल के अपनी टांग फैलाने की दावत इन्हे दे दी थी।



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लेकिन इसका एक बड़ा असर इनकी सोच और काम पर भी पड़ा, और आफिस में जो इनका इम्प्रेशन था उसपर भी, ....

तेज तो पहले ही थे, ये दिमाग के से बहुत शार्प, लेकिन मन की जो खिड़की दरवाजे खिड़कियां उन्होंने बंद कर रखी थीं बस उसी चक्कर में,

बताया तो आप सब को था जो मैंने बॉबी जासूस बन के उनके कंप्यूटर में सेंध लगाई और वहां से सीधे सीढ़ी मिली उन के मन के गहरे अंधरे कूंए में उतरने की,



कितनी किंकी साइट्स, फेम डॉम, सीसिफिकेशन, और रोल प्ले, हरदम सबमिसीव रोल, कच्ची कलियों और बड़ी उम्र की औरतों की फोटुओं का जखीरा,



और नतीजा काम करते समय भी मन उनका वहीँ भटकता रहता था, तो न काम में न न इन्जायमेंट के समय,...



सबके पीछे वही उनके घर की सोच, मिडल क्लास, ' सीधा साधा' लगना अच्छा है, इसलिए रात भर सुहागरात के दिन से ही मेरे साथ, पर दिन में अपनी भाभी के सामने जैसे पहचानते न हों,

वही सोच, सेक्स गलत है, गन्दा है, ... और सारी नैतिकता सिर्फ खाने पीने और देह तक सीमित है, भले कोई ब्लैक मार्केटिंग करे , सारे नियमों की अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करे,...

छोड़िए खैर कितनी बार तो ये बाते बता चुकी हूँ , ... तो कुछ मेरे और कुछ इनके सास के चक्कर में ये कोकून से निकल आये फिर आफिस में भी,



और इनकी सास के साथ, मिस्टर और मिसेज महालिंगम, हमारी कम्पनी के कंट्री हेड,



मिसेज महालिंगम इनसे इम्प्रेस हुयी थीं हस्बेंड्स डे के दिन,

और मिस्टर महालिंगम मुझसे और इनसे दोनों, ... मुझसे खास तौर पे जब मैंने उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट गयी थी, डिनर के समय भी उनके साथ मैं ही थी,

जी आप ने सही गेस किया, मिस्टर महालिंगम एकदम अपने नाम के अनुरूप थे, एयरपोर्ट तक की डेढ़ घंटे की जर्नी काफी थी मुझे ये कन्फर्म करने में,...



और उसी दौरान मिस्टर मोइत्रा के ट्रांसफर का न सिर्फ आर्डर हुआ , बल्कि एक नक्सलाइट इन्फेस्टेड नॉन फेमली स्टेशन पर जहाँ से छह आठ महीने पहले एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलने वाली थी , और मिस्टर महालिंगम के फोन से ही मैंने उनके कहने पर मेसेज भी कर दिया की मिस्टर मोइत्रा को रात में ही स्पेयर कर दिया जाए, चार घंटे बाद छूटने वाली ट्रेन पकड़ कर वो चले जाएँ, ... एक साथ मैंने एक तीर से कई शिकार कर दिए, मेरे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी होने में सबसे जयादा रोड़ा मिसेज मोइत्रा ने अटकाया था, और ताकत तो उनके हस्बैंड ही थे, एक बार वो चले गए तो मैंने और मिसज़ खन्ना ने तय कर लिया था , एक जबरदस्त लेडीज नाइट जिसमे मिसेज मोइत्रा की स्ट्रिपटीज, दूसरा फायदा ये हुआ की मिस्टर मोइत्रा के ज्यादातर चार्ज इन्हे मिल गए , जिसके बल पर मिसेज मोइत्रा उछलती थीं,

और बोनस के तौर पे मिसेज मोइत्रा के दोनों रसगुल्ले, इनकी उस बहन से भी छोटी थी दोनों , जबरद्त संस्कारी, मिसेज मोइत्रा उन्हें हवा भी नहीं लगने देती थीं , कभी दोनों क्लब नहीं आती थी,...


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और अब, ये मैंने तय कर लिया था इनके मायके से लौटने के बाद पहला काम, उन दोनों के अगवाड़े और पिछवाड़े दोनों का उद्धघाटन, और किससे,... इनसे,...



मिस्टर महालिंगम इनसे दो चीजों से बहुत इम्प्रेस थे, एक तो दिन में पावरप्वाइंट प्रजेंटेशन में, एच ओ डी ही थे, लेकिन मिस्टर खन्ना का साथ देने के लिए ये थे



और मिस्टर महालिंगम ने मुझसे कहा योर हस्बैंड हैज इन्बॉर्न सेन्स ऑफ़ स्ट्रेटजी, ...



दूसरी चीज़ थी रोल प्ले , बताया था न सारे पार्टिसपेण्ट को हस्बैंड डे, एकदम फीमेल अटायर, कैट वाक्, किचेन के काम,



मिस्टर महालिंगम, कार में इनकी तारीफ़ करते बोले ,



"रोल प्ले इज वेरी इम्पोर्टेन्ट इन स्पोर्ट्स एंड कारपोरेट वर्ड, वन शुल्ड नो स्मॉलेस्ट डिटेल ऑफ़ हिज आर हर रोल, एंड परफॉर्म

विद परेफकशन, सेकन्ड्ली गोल एंड हाउ टू गेट इट , ही इज परफेक्ट। "



एक बात में मिस्टर और मिसेज महालिंगम दोनों एकमत थे,

ही एक्सेप्टस पोजीशन ऑफ़ वोमेन एंड हैज नो हैंगअप्स।

उन्होंने बताया नहीं लेकिन मैं समझ गयी जिस ग्लोबल कार्पोरेशन में ये थे वहां ग्लास सीलिंग कई बार टूट चुकी है, एच आर , बिजनेस स्ट्रेटजी कई डिवीजन्स की हेड महिलाये हैं, ...



एक दिन, मैं लेडीज क्लब की मीटिंग में गयी थी, इनकी सास के आने के पहले ही,

लौटी तो देखा ये लैपटॉप में कुछ फाइंनेस के मामलों से जूझ रहे थे , कोई कोर्स ज्वाइन करने का मामला था,


मैंने बल्कि चिढ़ाया भी , अपनी बहिनिया के लिए जिगोलो ढूंढ रहे हो क्या नेट पर, ...



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तो उन्होंने बताया, मुंबई से फोन था, मिस्टर महालिंगम का, उनकी ग्लोबल एच आर हेड से उन्होंने बात करवाई, मिसेज फ़्रेंसेस्का से, (अच्छी बात ये थी उन्हें फ्रेंच आती थी और वो फ्रेंच थी ) उन्होंने सजेस्ट किया की वो एक दो ऑनलाइन कारपोरेट फाइनेंसियल स्ट्रेटजी पर कर लें, कम्पनी उस की कास्ट बियर करेगी,



उसके अगले दिन ही कम्पनी के कारपोरेट हेडक्वार्टर, सिएटल से फोन आया, पूरे डेढ़ घंटे तक,
 
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komaalrani

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कारपोरेट कम्युनिकेशन

उसके अगले दिन ही कम्पनी के कारपोरेट हेडक्वार्टर, सिएटल से फोन आया, पूरे डेढ़ घंटे तक,

एच आर टीम थी और शायद एक दो फायनेंसियल स्ट्रेटजी वाले भी,...

दो कोर्स तय किये गए, एक व्हार्टन का था और दूसरे आई बी एस हैदराबाद का, क्लासेज ऑनलाइन होंगे सिर्फ वीकेंड में वो भी दो घंटे के बाकी मैटीरियल


मेरे कुछ समझ में नहीं आरहा था

मैंने कहा भी यार सुजाता का हस्बैंड फाइंनेस में हैं कहीं तुम उस की बीबी के साथ उस की जॉब पर भी तो लाइन नहीं मार रहे हो,



हँसते हुए वो बोले ,

उस स्साले की बीबी मेरी स्साली है और उस साली को तो मैं छोडूंगा नहीं , उस की तो मैं उस के मरद और तुम्हारे दोनों के सामने लूंगा, आखिर जीजा साली का रिश्ता है, मेरा हक है, ... जिस जीजा ने अपनी स्साली को छोड़ दिया बिना लिए वो स्साला असली जीजा नहीं ,


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हाँ उस का काम मेरे पल्ले पड़ने वाला नहीं है , वो उसी को मुबारक।"



मैं बोली वही मेरी भी समझ में नहीं आ रहा तुम सेल्स मार्केटिंग वाले आदमी और वो हार्डकोर अकाउंटिंग, ... तो उन्होंने मामला साफ़ किया की वो बेसिकली कारपोरेट अकाउंटिंग , बिजनेस स्ट्रेटजी की फील डेवलप करने के लिए जितना फायनेंस समझना चाहिए बस वही,


इसी बीच मिसेज मोइत्रा की चमचियों की हस्बैंड्स की गाँड़ मारने के चक्कर में उन्होंने जिन जिन कंपनियों से मिस्टर मोइत्रा डील करते थे, उनकी बैलेंस शीट, एनुअल फाइनेंस स्टेटमेंट , कितना फर्जी कितना असली , कौन सी शेल कम्पनी है, टैक्स के किस रूल का वायलेशन वो कम्पनी कर रही है, कुछ तो मार्जिन सीधे मिसेज मोइत्रा के बैंक अकाउंट में जाता था और कुछ उन कम्पनीयो को स्क्वीज करके, प्रॉफिट मार्जिन भी साढ़े सात पर्सेंट बढ़ गया और सेल्स भी १४ %, फिर परचेज का काम भी, वहां पर भी इनपुट कास्ट कम होने से, नेट रिटर्न में ११ % की ग्रोथ, ....


मिस्टर खन्ना की तारीफ़ तो हुयी ही , लेकिन मिस्टर महालिंगम को तो मालूम ही था की असली कौन है,



एक दिन, सुबह सुबह, मैं और मम्मी सो रहे थे, सिएटल से फोन आया , आधे घंटे तक,...

फिर कुछ दिन बाद, ...

बताया तो उन्होंने मुझे था , लेकिन एकदम हश हश
आई पैड था या आईपैड जैसा कुछ, थोड़ा कस्टमाइज्ड,



अगले दिन एक ओर पैकेट आया, उसमें एक डांगल था,



ऊपर एक कमरे में जहाँ बस गर्मियों में जाड़े की रजाइयां गद्दे रखे जाते थे और भी इस तरह का सामान, बस वहीँ रखा गया वो सब, और बात करने के लिए पासवर्ड पर पासवर्ड, पहला लेवल तो बायोमेट्रिक्स था, मल्टीपल, इनकी आवाज आइरिस और उँगलियों के निशान,उसके बाद वो आईपैड नुमा चीज खुलती थी, फिर वो डांगल लगाने के बाद काम के लिए एक्टिवेट होती थी , दूसरा लेवल का पासवर्ड था एक १२ डिजिट का पासवर्ड, और फिर एक चैटबॉट आता था, जो इनके लम्बे चौड़े बायोडाटा से कोई तीन सवाल पूछता था , वो तीनों इन्हे बताने होते थे,



हाँ कोई कीपैड भी नहीं था, डांगल लगाने के बाद एक वर्चुअल की पैड उभरता था सब कुछ उसके जरिये।



और कैमरा भी डार्क नाइट में और ३६० डिग्री वाला,... लेकिन बातचीत इनसे इनकी कंपनी के बारे में या परफॉर्मेंस के बारे में एकदम नहीं होती थी, टोटल बिजनेस एंवयारमेंट, इनके राइवल कम्पनी की परफॉर्मेंस, कोई और नयी कम्पनी तो नहीं आ रही है , कुछ नए रूल्स या ला आ रहे हैं अगर तो क्या असर पडेगा, ... और एक साथ इनके जैसे तीन चार लोग अलग अलग कंट्रीज के,



कभी ये बात चीत दस पंद्रह मिनट में ख़तम हो जाती थी और एक बार तो पूरे चार घंटे चली, और कब होगी ये भी पता नहीं रहता था।



इनके रेगुलर फोन या कम्पनी के फोन या मेल का इस्तेमाल एकदम नहीं होता था।

एक दिन मैंने इनके हाथ में एक फिट विट टाइप घड़ी देखी तो मैं इन्हे चिढ़ाने लगी, थी वो वही, कित्ती देर सोये कैलोरी और वही सब, लेकिन उन्होंने राज खोला,

ये इनके कारपोरेट आफिस से आयी है , सीटेल से, ... जिस दिन मीटिंग होगी उसके आठ दस घंटे पहले उसमे मेसेज आजायेगा , कितने बजे मीटिंग है, ... एक अलार्म भी है , मेसेज के लिए और मीटिंग के लिए।





मैं पहले तो ये सोच रही थी की ये काम धाम वाली बातें आप लोगों से न बताऊँ, एक तो पढ़ने वाले बोर होते हैं, दूसरे कम्पनी की काम की बातें,

फिर मैंने सोचा जब सब बता रही हूँ तो यही क्यों छोडूं , ... इसलिए


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Raj_Singh

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जोरू का गुलाम भाग ६५



कारपोरेट मामले


मम्मी पंद्रह बीस दिन रही होंगी,


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लेकिन इस पन्दरह बीस दिन में ही उन्होंने उनका रंग रूप और सबसे बढ़कर सोचने का ढंग बदल दिया,

अब वो न सिर्फ खुल के मजे लेते थे बल्कि उसके बारे में बोलते भी, मन की बात सब कुछ कह डालते थे,


जैसे किसी भरी पूरी, गदरायी बड़ी उमर वाली, चौड़े चौड़े चूतड़ बड़ी बड़ी चूँची वाली औरत को देखते थे, बस उनका खूंटा तन जाता था और बोलते भी थी स्साली चोदने को मिल जाए, निहुरा के,...

और कहने की बात नहीं उस समय उनके दिमाग में सिर्फ मम्मी की समधन और मेरी सास होतीं,



और अगर वो हाईस्कूल इंटर वाली दिख जाएँ, कच्चे टिकोरे वालियां तो फिर तो कहना ही क्या, अंदाजा उन का हरदम सही होता , २८, ३० या ३२।

और कहने की बात नहीं दिमाग में उनके वही कच्ची कली अनचुदी उनकी छोटकी बहिनिया होती और अब तो फोन पर भी उसने खुल के अपनी टांग फैलाने की दावत इन्हे दे दी थी।



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लेकिन इसका एक बड़ा असर इनकी सोच और काम पर भी पड़ा, और आफिस में जो इनका इम्प्रेशन था उसपर भी, ....

तेज तो पहले ही थे, ये दिमाग के से बहुत शार्प, लेकिन मन की जो खिड़की दरवाजे खिड़कियां उन्होंने बंद कर रखी थीं बस उसी चक्कर में,

बताया तो आप सब को था जो मैंने बॉबी जासूस बन के उनके कंप्यूटर में सेंध लगाई और वहां से सीधे सीढ़ी मिली उन के मन के गहरे अंधरे कूंए में उतरने की,



कितनी किंकी साइट्स, फेम डॉम, सीसिफिकेशन, और रोल प्ले, हरदम सबमिसीव रोल, कच्ची कलियों और बड़ी उम्र की औरतों की फोटुओं का जखीरा,



और नतीजा काम करते समय भी मन उनका वहीँ भटकता रहता था, तो न काम में न न इन्जायमेंट के समय,...



सबके पीछे वही उनके घर की सोच, मिडल क्लास, ' सीधा साधा' लगना अच्छा है, इसलिए रात भर सुहागरात के दिन से ही मेरे साथ, पर दिन में अपनी भाभी के सामने जैसे पहचानते न हों,

वही सोच, सेक्स गलत है, गन्दा है, ... और सारी नैतिकता सिर्फ खाने पीने और देह तक सीमित है, भले कोई ब्लैक मार्केटिंग करे , सारे नियमों की अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करे,...

छोड़िए खैर कितनी बार तो ये बाते बता चुकी हूँ , ... तो कुछ मेरे और कुछ इनके सास के चक्कर में ये कोकून से निकल आये फिर आफिस में भी,



और इनकी सास के साथ, मिस्टर और मिसेज महालिंगम, हमारी कम्पनी के कंट्री हेड,



मिसेज महालिंगम इनसे इम्प्रेस हुयी थीं हस्बेंड्स डे के दिन,

और मिस्टर महालिंगम मुझसे और इनसे दोनों, ... मुझसे खास तौर पे जब मैंने उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट गयी थी, डिनर के समय भी उनके साथ मैं ही थी,

जी आप ने सही गेस किया, मिस्टर महालिंगम एकदम अपने नाम के अनुरूप थे, एयरपोर्ट तक की डेढ़ घंटे की जर्नी काफी थी मुझे ये कन्फर्म करने में,...



और उसी दौरान मिस्टर मोइत्रा के ट्रांसफर का न सिर्फ आर्डर हुआ , बल्कि एक नक्सलाइट इन्फेस्टेड नॉन फेमली स्टेशन पर जहाँ से छह आठ महीने पहले एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलने वाली थी , और मिस्टर महालिंगम के फोन से ही मैंने उनके कहने पर मेसेज भी कर दिया की मिस्टर मोइत्रा को रात में ही स्पेयर कर दिया जाए, चार घंटे बाद छूटने वाली ट्रेन पकड़ कर वो चले जाएँ, ... एक साथ मैंने एक तीर से कई शिकार कर दिए, मेरे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी होने में सबसे जयादा रोड़ा मिसेज मोइत्रा ने अटकाया था, और ताकत तो उनके हस्बैंड ही थे, एक बार वो चले गए तो मैंने और मिसज़ खन्ना ने तय कर लिया था , एक जबरदस्त लेडीज नाइट जिसमे मिसेज मोइत्रा की स्ट्रिपटीज, दूसरा फायदा ये हुआ की मिस्टर मोइत्रा के ज्यादातर चार्ज इन्हे मिल गए , जिसके बल पर मिसेज मोइत्रा उछलती थीं,

और बोनस के तौर पे मिसेज मोइत्रा के दोनों रसगुल्ले, इनकी उस बहन से भी छोटी थी दोनों , जबरद्त संस्कारी, मिसेज मोइत्रा उन्हें हवा भी नहीं लगने देती थीं , कभी दोनों क्लब नहीं आती थी,...


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और अब, ये मैंने तय कर लिया था इनके मायके से लौटने के बाद पहला काम, उन दोनों के अगवाड़े और पिछवाड़े दोनों का उद्धघाटन, और किससे,... इनसे,...



मिस्टर महालिंगम इनसे दो चीजों से बहुत इम्प्रेस थे, एक तो दिन में पावरप्वाइंट प्रजेंटेशन में, एच ओ डी ही थे, लेकिन मिस्टर खन्ना का साथ देने के लिए ये थे



और मिस्टर महालिंगम ने मुझसे कहा योर हस्बैंड हैज इन्बॉर्न सेन्स ऑफ़ स्ट्रेटजी, ...



दूसरी चीज़ थी रोल प्ले , बताया था न सारे पार्टिसपेण्ट को हस्बैंड डे, एकदम फीमेल अटायर, कैट वाक्, किचेन के काम,



मिस्टर महालिंगम, कार में इनकी तारीफ़ करते बोले ,



"रोल प्ले इज वेरी इम्पोर्टेन्ट इन स्पोर्ट्स एंड कारपोरेट वर्ड, वन शुल्ड नो स्मॉलेस्ट डिटेल ऑफ़ हिज आर हर रोल, एंड परफॉर्म

विद परेफकशन, सेकन्ड्ली गोल एंड हाउ टू गेट इट , ही इज परफेक्ट। "



एक बात में मिस्टर और मिसेज महालिंगम दोनों एकमत थे,

ही एक्सेप्टस पोजीशन ऑफ़ वोमेन एंड हैज नो हैंगअप्स।

उन्होंने बताया नहीं लेकिन मैं समझ गयी जिस ग्लोबल कार्पोरेशन में ये थे वहां ग्लास सीलिंग कई बार टूट चुकी है, एच आर , बिजनेस स्ट्रेटजी कई डिवीजन्स की हेड महिलाये हैं, ...



एक दिन, मैं लेडीज क्लब की मीटिंग में गयी थी, इनकी सास के आने के पहले ही,

लौटी तो देखा ये लैपटॉप में कुछ फाइंनेस के मामलों से जूझ रहे थे , कोई कोर्स ज्वाइन करने का मामला था,


मैंने बल्कि चिढ़ाया भी , अपनी बहिनिया के लिए जिगोलो ढूंढ रहे हो क्या नेट पर, ...



Shalwar-Dr-Gill-Anarkali-Suits-SU9010-1-1.jpg



तो उन्होंने बताया, मुंबई से फोन था, मिस्टर महालिंगम का, उनकी ग्लोबल एच आर हेड से उन्होंने बात करवाई, मिसेज फ़्रेंसेस्का से, (अच्छी बात ये थी उन्हें फ्रेंच आती थी और वो फ्रेंच थी ) उन्होंने सजेस्ट किया की वो एक दो ऑनलाइन कारपोरेट फाइनेंसियल स्ट्रेटजी पर कर लें, कम्पनी उस की कास्ट बियर करेगी,



उसके अगले दिन ही कम्पनी के कारपोरेट हेडक्वार्टर, सिएटल से फोन आया, पूरे डेढ़ घंटे तक,

आप हीरो की तो दुसरो के साथ मस्ती को विस्तार से बताती हो, पर हीरोइन की मस्ती को बिल्कुल छोटे मे निपटा देती हो,
1:30 घंटे से ज्यादा दीर्घलिंगम के साथ हीरोइन की गयी मस्ती को 2 लाइन मे निपटा दिया,

पति से ज्यादा तगड़े औजार के साथ की गयी मस्ती को तो विस्तार से ही लिखना चाहिए था।
 
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आप हीरो की तो दुसरो के साथ मस्ती को विस्तार से बताती हो, पर हीरोइन की मस्ती को बिल्कुल छोटे मे निपटा देती हो,
1:30 घंटे से ज्यादा दीर्घलिंगम के साथ हीरोइन की गयी मस्ती को 2 लाइन मे निपटा दिया,

पति से ज्यादा तगड़े औजार के साथ की गयी मस्ती को तो विस्तार से ही लिखना चाहिए था।

प्लीज आप पेज ३८ पर भाग ३२ पर जाएँ , वहां दो पोस्ट्स हैं , एक का नाम ही दीर्घलिंगम है, ... यह कहानी उपन्यास के कलेवर की है इसमें बहुत से पात्रों का जिक्र आया है , उनसे जुडी घटनाएं है , उन घटनाओं की स्मृतियाँ है, और कई बार चीजों को जोड़ने के लिए बहुत संक्षेप में उस का वर्णन कर दिया जाता है , इसी तरह से भाव भी अनेक हैं , श्रृंगार की प्रचुरता है पर अन्य बाते भीं है और फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे की तरह एरोटिसजम के भी ढेर सारे शेड्स हैं,

धन्यवाद आप का साथ देने का और पढ़ने का ,
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ६६

फ्लैश बैक : बदलाव के पहले



( प्री -जे के जी डेज़ )




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लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, मेरी शादी पहले हो गयी। मेरे दोनों जीजू बाद में आये।


हाँ लेकिन कमल -चीनू दी की शादी में , खूब मस्ती हुयी और कोहबर में शर्त धरा ली थी उन्होंने।

पर उसके बाद सिर्फ फोन पर ही छेड़छाड़ , असल में तो मुलाकात भी ,


हाँ पांच छह महीने पहिले ,

तब मैं ससुराल में ही रहती थी ,एकदम घुटन वाले माहौल में


इनकी जॉब चेंज हो के जहाँ अभी है वहां लग गयी थी , पर मैं इनके साथ गयी नहीं थी।

इनके ' बदलाव ' के पहले


जी , उस ज़माने में जब सिर्फ मेरी जेठानी और उस छिपकली मार्का मेरी ननद की चलती थी ,


भाभी ये गलत है , वो गलत है , ...आपके मायके में होता होगा , हमारे यहाँ ये सब नहीं होता ,



कार्ड्स मवाली खेलते हैं , ... नो नान वेज , और सबसे बढ़कर नो मस्ती , ...जोर से हंसना नयी बहू ,... लोग क्या कहेंगे , और ये भी कमरे में तो खूब , लेकिन बाहर आने पर जेठानी , ननद के सामने ,... न तुम हमें जानो , न हम तुम्हे जाने ,



और फिर जब से ये जॉब पर चले गए थे , बोरियत और पाबन्दी दोनों बढ़ गए थे ,



मैं इनके साथ जाना चाहती थी , पर जेठानी मेरी ,..क्या करोगी जॉब पर जाकर , ... हम सब के साथ रह के घर के गुन संस्कार सीखो ,... वरना मायके में तो ,... आउट ऊपर से सास को सुना सुना के कहती रहतीं थी , इत्ते दिन मेरी यहाँ सुबह से रात तक काम कर के , कर के , कमर टूट गयी। सोची थी देवरानी आएगी कुछ हाथ बटायेगी पर ये तो मर्द गया नहीं पीछे सामान बाँध के बैठी हैं , ...



और ये भी मन तो इनका करता था मुझे ले जाने का साथ , पर इनकी हिम्मत नहीं पड़ती थी , ... अपनी भाभी के आगे मुंह खोलने की ,...



तो ये उस जमाने की बात है ,... साल भर मुश्किल से हुए हैं लेकिन लगता है कितना जमाना गुजर गया ,...



खैर तो ,...


चीनू के छोटे भाई की शादी थी।

इन्हें तो छुट्टी नहीं मिली ,मैं आ गयी थी। ये तय हुआ था की ये रिसेप्शन के दिन आ जाएंगे और अगले दिन मैं उनके साथ वापस ,

इनके मायके।

वहां कमल जीजू के साथ रीनू ,अजय ,चीनू दी की भाभियाँ ,,... खूब मस्ती।

पूरी शादी के दौरान मैंने कमल जीजू को खूब ललचाया,छेड़ा। हर रस्म में गारियां तो सीधे उन्ही को टारगेट करके , और पूरी नान वेज

अरे हमरे खेत में सरसों फुलायी ,सरसों फुलायी ,


अरे जीजू की बहना ,अरे कमल जीजू की बहना खूब चुदवाई।

हमरे भैय्या से चुदवायी , चीनू के भैय्या से चुदवाई।

शादी में खूब नाची मैं उनके साथ ,

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मुझे मालूम था कितने वो मेरे जुबना के दीवाने हैं , तो बस एकदम टाइट कटाव उभार दिखाती ,पूरी बैकलेस चोली ,

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और चुनरी तो बस गले में चिपकी रहती , कभी बहुत हुआ तो एक उभार पे हलके से और एक उनको लुभाने ललचाने के लिए हरदम , खुला।

बरात चलने से पहले मैं और रीनू कमल और अजय जीजू के दोस्तों की पार्टी के बीच गेट क्रैश कर गए ,

वो लोग ड्रिंक कर रहे थे और हम दोनों ने भी ,


सिर्फ ड्रिंक ही नहीं सुट्टा भी।

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बरात में तो नाची ही , शादी में डी जे भी था ,फिर वहां बेबी डॉल से लेकर हनी सिंह के 'ऐसे वैसे ' गानों पर भी ,


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जम के स्लो ग्राइंड ,



रिशेप्शन वाले दिन ' उनका ' फोन आ गया ,

गाडी छूट गयी है अब वो कल सुबह ही आ पाएंगे।

फिर तो कमल और अजय ने ,उससे बढ़कर मेरी मौसेरी बहनों और मौसियों ने खूब छेड़ा , आज तो तेरी ,...

मुंह दिखाई के बाद , छवि ,मेरी नयी नयी भाभी दुल्हन , खूब सुंदर ,लेकिन लजाती शर्माती , बैठी थी।

bride-nath.jpg




सिर्फ घर के ही लोग थे , भौजाइयां ,

कजिन्स , और सोफे पर कमल जीजू बैठे थे।

मैं एक प्लेट में लड्ड लेके आयी। और सीधे कमल जीजू के मुंह में ,

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लेकिन टिपीकल कमल जीजू,बोले

" अरे मेरी सेक्सी साली दे , तो किसकी हिम्मत है जो मना करे। "

और उन्होंने हाथ फैला दिया ,

" ना ना , ऐसे नहीं ,.. आप खोलिये मैं आज डालूंगी, और एक बार में पूरा , "

उनके मुंह के सामने पूरा बड़ा सा लड्ड ललचाते मैं बोली ,

और उन्होंने बड़ा सा मुंह खोल दिया ,पर मुझे चिढाया ,


" अरे यार डालूँ मैं या तुम ,जाएगा तो वहीं जहां उसे जाना है। "


अपनी पतली नाजुक उँगलियों में मैंने लड्डू लेके उनके होंठों के पास ,

मेरी गोरी पतली उँगलियों ने उन्हें ललचाते बड़ी सेक्सी अदा से उनके होंठों को हलके से सहलाया,


और फिर शरारत से मुस्कराती ,लड्ड झट से मेरे गुलाबी रसीले होंठों के बीच में ,मेरे मुंह में

गड़प।

" स्साली, मुझसे ही बेईमानी,... "


और मेरी पतली कमर को कस के पकड़ के, खींच के उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया ,




उनके होंठ मेरे होंठ डार्क स्कारलेट लिपस्टिक लगे होंठों


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पर थोड़ी देर रगड़ते रहे और फिर मुंह खुलवा के ही उनकी जीभ सीधे मेरे मुंह में।

लड्ड की तलाश में ,

मैं छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी ,पर छूटना कौन चाहता था।

और अब उनका दूसरा हाथ सीधे बिना झिझक मेरे गुदाज उभार पर ,

जोर जोर से दबाते मसलते रगड़ते , और अंगूठा एक ऊँगली , आधी से ज्यादा खुली दिखती ,डीप लो कट बैकलेस चोली से झांकती माँसल गोलाइयों पर ,

उनकी जीभ मेरे मुंह के अंदर का रस ले रही थी और हाथ रसीले जोबन का।



कुछ देर में मेरी जीभ ने भी , वो कौन कम थी , मेरे मुंह के अंदर घुसी उनकी जीभ से टंग फाइट करना शुरू कर दिया।

कुछ देर के बाद जब उनके होंठों ने मेरे होंठ छोड़े ,उनकी जीभ बाहर निकली ,

तो मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए , शिकायत की ,

" जीजू , ये सख्त नाइंसाफी है , बल्कि ,... डबल नाइंसाफी। डालना तो चलिए ठीक था ,लेकिन ,... लेकिन इतनी जल्दी निकाल लेना।

बहुत सूना था आपके बारे में लेकिन , ... और फिर गलती तो मेरे होंठों ने की थी , मान लिया ,उनकी सजा तो ठीक ,लेकिन इन बिचारों का क्या दोष जो इन्हें भी ,... "

अपने उभारों की ओर इशारा करते मैं बोली।



जीजू ने झट कान पकड़े , माफ़ी मांगी और बोले ,

" गलती मंजूर साली जी ,अबकी डालूंगा तो जल्दी नहीं निकालूंगा , चलिए फिर से डाल देता हूँ। और जहाँ तक इनकी बात है ( उनका एक हाथ अब फिर से खुल के मेरे जोबन पे था ) ये तो सूद है ,... "

" जीजू ,आपको कौन स्साली निकालने देगी। " मैं भी हंस के बोली।

और जब अबकी कमल जीजू के होंठ मेरे होंठों से चिपके , तो मेरे होंठ भी बराबरी का मुकाबला करते ,


डीप फ्रेंच किस , किसी अडल्ट फिल्मों की हीरोइन मात खा जाए ,जिस तरह से मैं किस कर रही थी ,

उनकी जीभ मेरे मुंह के अंदर ,

एक हाथ तो पहले से ही कमल जीजू का चोली के ऊपर से मेरे गद्दर अनार रगड़ मसल रहा था ,

जो हाथ कमर को पकडे हुआ था वो भी गोरे मखमली पेट से रेंगते सरकते , नीचे से मेरी चोली के अंदर घुस गया ,

और मेरे दोनों जोबन कमल जीजू की मुट्ठी में , खुल के रगड़ते मसलते।

खूब देर तक डीप किस चलता रहा और होंठ मेरे आजाद हुए लेकिन उनकी दुष्ट उँगलियों ने जोबन रस लेना नहीं छोड़ा।


मेरी नयी नयी भौजाई अपनी ननद और नंदोई की शरारते , नजरें झुकाये ,लजाते शरमाते ,छुप छुप के देख रही थी।
 

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ननद और नंदोई



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मेरी नयी नयी भौजाई अपनी ननद और नंदोई की शरारते , नजरें झुकाये ,लजाते शरमाते ,छुप छुप के देख रही थी।




मैंने लजाती शर्माती नयकी भौजी को हम लोगों की ओर चुपके चुपके देखते देखा तो बनावटी गुस्से से जीजू का हाथ अपने उभारों पर से हटाते बोली,

" जीजू , ... चलिए आप का तो कुछ नहीं , आप तो पैदायशी बेशरम हैं , और मैं भी ,आप की छोटी साली हूँ तो आप की संगत में थोड़ी बहुत बेशरम हो ही जाउंगी।

लेकिन ये बेचारी नयी नयी दुल्हन , जो आज ही आयी है इस घर में , वो क्या सोचेगी बिचारी ?"

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लेकिन कमल जीजू भी न ,पूरे कमल जीजू थे , नयी आयी दुल्हन की आँखों में सीधे देखते हुए बोले ,

" अरे क्या सोचेगी , अरे जिसकी बहन को मैंने चोद दिया ,क्या उसकी बीबी की छोडूंगा , वो भी ऐसे मस्त माल को।
अरे तुम लोगों का ख्याल कर के आज छोड़ दे रहा हूँ की स्साला इस के साथ वो अपनी सुहागरात मना ले , कल देखना रगड़ रगड़ के इसे भी ,...

और वो भी तेरा भाई स्साला अगर कुछ भी ना नुकुर करेगा न तो निहुरा के उसकी भी गांड मार लूंगा। "
…..

जीजू की बात सुन के सब खिलखिलाने लगे , और संध्या भाभी ने उसे चढ़ाया ,

" अरे तू भी तो अपने ननदोई के साथ , अरे जवाब दे न उनको , ... अरे सलहज का हक़ साली से कम नहीं ज्यादा ही होता है। "


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" एकदम "


मैं बोली और खींच के अपनी नयकी भौजी की कमल जीजू के बगल में बैठा दिया।

" देख अपने ससुराल वालों के ,ऐसे हैं तेरे नंदोई। "


खिलखलाते हुए उससे मैं बोली।



रीनू भी वहीँ थीं ,मेरी मंझली बहन , उसने नयकी भौजी का चेहरा उठाते हुए चिढ़ाया ,

" अरे अभी सारे ससुराल वालों में इसे सिर्फ अपने साजन का इन्तजार है ,कब आएगी मिलन की घड़ी ,कब से कर रही है इन्तजार। "

हम लोगों की भाभियाँ भी ,किसी ने पीछे से कमेंट मारा ,जब से झांटे आयी।


रीनू उनके कमेंट को इग्नोर करते बोली ,

" घबड़ा मत, बस मुश्किल से घण्टे भर की देर है , नौ बजे के पहले ही तुझे तेरे कमरे में पहुंचा देंगे , और ठीक नौ बजे बाहर से ताला बंद , पूरे १२ घंटे के लिए। होगी तेरी चुनमुनिया की कुटाई , रात भर। "

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छंदा भाभी नयी दुल्हन का पूरा साथ दे रही थीं ,आखिर उन की देवरानी थी ,उन्ही के गोल की ,हम ननदों पर हमला करने के लिए। बोलीं ,

" अरे वो आयी ही इसलिए है , फिर अपना भूल गयी तुम लोग पहली रात का हाल , कै दिन टाँगे फैलाये फैलाये चल रही थी। "

तभी पीछे से किसी और भाभी की आवाज छंदा भाभी के पक्ष में आयी ,

" अरे चीनू का ,.... "

मैं तुरंत बीच में बात काट दी। अब सबको मालुम हो गया था की कमल जीजू का गदहा छाप था, पहली रात ही चीनू का ऐसे खून खच्चर हुआ की उसे हॉस्पिटल जाना पड़ा।

अगर ये बात आज की रात इस नयी नवेली ,कोरी दुल्हन को मालुम हो जाती तो बिचारी बेकार में ही हदस जाती। बात काटती मैं बीच में कूदते बोली ,


" अरे इसकी ननदे चीनू की ननदों की तरह ,... क्यों रीनू। हम दोनों तो अपनी इस प्यारी प्यारी भाभी के साथ जब जाएंगी कमरे में तो खुद सब चेक चाक कर लेंगी।

दो दो ऊँगली से खुद ही वैसलीन पूरे अंदर तक लगाएंगी ,पूरी वैसलीन की नयी बॉटल खाली कर देंगी ,वैसलीन में क्या कंजूसी।

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फिर तो सटॉक से भौजी मेरा मूसल घोंटेगी। "

" अरे आज कल वो जेली आती है न कौन सी ,... "

रीनू याद करने की कोशिश करते बोली।

कमल जीजू कैसे चुप रहते ,उन का एक हाथ मेरे उभारों पर फिर पहुंच गया था लेकिन दूसरा लालची हाथ अब उन्होंने अपनी सहलज के कंधे पर रख दिया था।

हलके से उसे दबाते ,सहलाते उन्होंने रीनू की बात पूरी की ,

"के वाई जेली। "

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" हाँ हाँ वही ," रीनू बोली ,और नयी दुल्हन समझाते हुए कहा , बस वो भी तेरी गुलबिया के मुहाने लगा देंगे , दर्द आधा हो जाएगा ,और मजा एकदम कम नहीं होगा। "

बसन्ती ,नाउन की बहु। लगती तो वो भी हमारी भाभी ही थी ,हमें चिढाते बोली ,

" अरे भौजाई को इतना तैयार कर रही हो तनी अपने भैया को भी ,तेल वेल लगा के तैयार कर के ,... "


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मैं थी ही जवाब देने के लिए ,

" अरे तो तू भौजाई लोग काहें के लिए हो , कडुवा तेल लगाय के मुठियाय के अपने देवर को भेजियेगा , हम लोग अपनी भौजाई को तैयार करेंगी ,आप लोग देवर को। "

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सारी भाभियाँ खिलखलाने लगीं लेकिन छंदा भाभी बोलीं ,

" एकदम हमार देवर है , कड़वा तेल चुपड़ के तो भेजूंगी ही , अगले राउंड के लिए भी पूरी एक लीटर वाली बोतल कमरे में रख दिया है। "


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" अरे सिर्फ कडुवा तेल ही नहीं सांडे का तेल भी लगा के भेजूंगी देखना , पूरी रात भर कुश्ती होगी। "


बसंती भी अब अपने पूरे रूप में आगयी थी।



" हे हमारे भैया को ज्यादा इन्तजार मत करवाना ,ये रात रोज रोज नहीं आती , ये नहीं की सारी रात भर नहीं नहीं में गुजर जाए। "


रीनू ने एक बार फिर दुल्हन की ठुड्डी पकड़ के उठा के समझाया।




" एकदम हम सारी ननदे तेरे बगल के ही कमरे में रहेंगी ,अगर ताला बन्द करने के आधे घण्टे के अंदर चीख न सुनाई पड़ी तो समझ लो , हम सब ताला खोल के अंदर पहुँच जायेगीं। अंदर सिटकनी मैंने पहले ही निकाल दी है ,और कमरा सिर्फ बाहर से बंद रहेगा और चाभी मेरे पास। "


उसे चिढाती मैं बोली।

" घबड़ा मत यार , पूरे १२ घण्टे की गारन्टी , सुबह नौ बजे ही हम ननदे आएँगी तेरे पास। "


चीनू अपनी छोटी भाभी को हिम्मत दिलाते बोली।

" एकदम , फिर तेरे मर्द को भगा के हम ननदे फुर्सत से एक बार फिर से नीचे वाले मुंह की ,मुंह दिखायी करेंगी। देखेंगे की इस्तेमाल के बाद क्या रूप निखर आया है भौजी की गुलबिया का। "

कमल जीजू को चुप करना मुश्किल था ,वो भी बोल पड़े ,

" अरे सिर्फ ननदे ही क्यों नंदोई को भी भी मुंह दिखाई करने का हक है। "

उनकी बात अनसुनी करते , एक भाभी ने मुझे टारगेट किया ,

" अरे मुंहदिखाई की रसम तो ठीक है ,लेकिन नेग में क्या दोगी। "


चिढाते हुए उन्होंने मुझे छेड़ा ,

मौके का फायदा उठाते हुए मैंने नयी दुल्हन के मेंहदी लगे हाथ सीधे कमल जीजू की जांघ पर रखते हुए जवाब दिया ,

" ये छह फिट के हैं न मेरे जीजू , नेग में। कल से सहलज और ननदोई ,हम सालियाँ बीच में नहीं आएगी , वैसे भी तुझे देख देख के कब से इनके मुंह में पानी आ रहा है। "

मैंने नयी दुल्हन को चिढाते बोला।

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" मुंह में पानी आ रहा है या कहीं और ,... "

भाभियाँ क्यों चूकती।

" अरे कहीं भी पानी आ रहा हो आज उस का इलाज करने के लिए उनकी सालियाँ है न इनके पास ,

जहां तेरी सुहाग रात मनेगी ठीक उसी से सटे कमरे में तेरी ननदे भी एक बार फिर से दुबारा सुहागरात।“


मैं बोली।

पर मेरी बात काटती हुयी चीनू और रीनू दोनों एक साथ चीखीं ,
,
" सालियाँ नहीं साली ,सिर्फ तेरी ली जायेगी ,हाँ साथ में नजारा देखने के लिए हम दोनों रहेंगी। "
 

komaalrani

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मस्ती : दो दो जीजू



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" मुंह में पानी आ रहा है या कहीं और ,... "


भाभियाँ क्यों चूकती।


" अरे कहीं भी पानी आ रहा हो आज उस का इलाज करने के लिए उनकी सालियाँ है न इनके पास ,

जहां तेरी सुहाग रात मनेगी ठीक उसी से सटे कमरे में तेरी ननदे भी एक बार फिर से दुबारा सुहागरात।“


मैं बोली।



पर मेरी बात काटती हुयी चीनू और रीनू दोनों एक साथ चीखीं ,
,
" सालियाँ नहीं साली ,सिर्फ तेरी ली जायेगी ,हाँ साथ में नजारा देखने के लिए हम दोनों रहेंगी। "


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हुआ ये की जैसे शाम को रिसेप्शन के पहले ये पता चला की वो आज नहीं आ पाएंगे बस मेरी दोनों शैतान मौसेरी बहनों ने प्लान बना लिया और आफ कोर्स मेरे जीजू लोगों का तो फायदा ही हो गया।

हम लोगों का पहले से ही सुहागरात वाले कमरे के बगल वाले कमरे में सोने का प्लान था।

हम तीनों बहनों का बस कमल जीजू ने एलान कर दिया की कोई भी अपने मर्द के साथ नहीं सोयेगा ,

" एकदम , "

हम तीनों बहने एक साथ बोलीं ," आखिर हम भी अपने मुंह का स्वाद बदल लेंगी न। "

और डील पक्की हो गयी थी।

लेकिन जैसे ही पता चला की वो नहीं आ रहे हैं चीनू और रीनू दोनों मेरे पीछे ,

" चल सबसे छोटी है तू , आज तुझे अपने मर्द हमने दिए। "


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मैं क्यों पीछे रहती ,हँसते हुए भी मैं बोली ,

:तू दोनों क्यों दोगी , मैं खुद अपने दोनों जीजू के साथ , तुम दोनों ने बहुत मजा ले लिया मेरे जीजू का, आज साली का नम्बर है."

" अरे क्या पहले तो यही दोनों फाड़ते तेरी ,लेकिन शादी तेरी पहले हो गयी , तेरे जीजू लोगों का घाटा हो गया , लेकिन आज सूद ब्याज के साथ वसूलेंगे दोनों। "

चीनू हँसते हुए बोली।



" और तुम दोनों क्या करोगी , ऊँगली ? "

मैंने हंसते हुए रीनू और चीनू को छेड़ा।

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" हम दोनों मिल के तेरी और तेरे जीजू की फिल्म बनाएंगे , उनकी हिम्मत बढ़ाएंगे। "

दोनों एक साथ बोलीं।

तो फिर बस उसी बैकग्राउंड में ,




कमल जीजू ने अपनी नयी सलहज को छेड़ा भी ,हिम्मत भी दिलाई ,

" अरे घबड़ा मत , तेरा मर्द जितनी बार तेरे साथ ,उससे एक ज्यादा बार हम दोनों तेरे ननदोई उसकी बहन के साथ। "


अब हमारी नयकी भौजी और उंनकी नयी नवेली सलहज की हिम्मत खुल गयी थी ,

बजाय छुप छुप के आँचल में मुस्कराने के अपने ननदोई की बात पर वो खुल के खिलखिलाई।

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लेकिन मैं कहाँ मानने वाली थी ,

" नहीं नहीं जीजू ये बेईमानी है। वो आपका साला अकेला और आप दो दो लोग , फिर आप दोनों तो बचपन के खिलाड़ी है ,वो बिचारा सीधा साधा ,पहली बार , और सिर्फ एक बार ज्यादा,... वो भी आप दोनों मिल के ,... बहुत कम है ये। "

मैं चिढाते हुए और अपने दोनों जीजू को उकसाते हुए बोली।

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" चलो कोई नहीं ,मेरा देवर ,नयी देवरानी के साथ हैटट्रिक करेगा ,और तुम मेरे दोनों ननदोइयों के साथ डबल हैट्रिक , "

संध्या भाभी ने फैसला सुना दिया ,

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लेकिन साथ में अपने नन्दोइयों से सवाल भी पूछ लिया,

" मेरी छोटी ननद अकेली और आप दोनों , .... दो , ... बारी बारी से या साथ साथ। "

" अरे बारी बारी से काहें , ई छिनार ननद के मस्त रसीले गाल दो , गद्दर जोबन दो ,... और एकर अगवाड़ा भी छिनार ,पिछवाड़ा भी छिनार , तो बारी बारी से काहें ,साथ साथ ,



अरे एनकर बुर भी चुदेगी और गांड भी मारी जाएगी ,वो भी साथ साथ , वरना फायदा क्या दो दो जीजा होने का। "

बसन्ती भौजी अब एकदम अपने लेवल पर आगयी।

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सोच कर ही मैं गीली हो रही थी ,

आगे पीछे दोनों ओर , मेरा पिछवाड़ा अभी भी कुंवारा था। कमल जीजू तो खैर अगवाड़े से ज्यादा पिछवाड़े के शौक़ीन थे ,अजय ने भी शादी के एक हफ्ते के अंदर हनीमून के दूसरे दिन ही रीनू का पिछवाड़ा बजा दिया था।


लेकिन जो मैं डर रही थी , वही बात हो गयी , ... बसंती ने पूछ लिया , मेरे मुंह से सही बात निकल गयी और फिर तो मेरी वो रगड़ाई ,

" और ई जिन कहा , की तोहार पिछवाड़ा कोर बा , ... नन्दोई कबौं , गाँड़ तोहार , ... "

छवि मेरी नयी भाभी , कमल और अजय मेरे दोनों जीजू और मेरी दोनों कमीनी बहने मुझे ध्यान से देख रही थीं , और चक्कर में मेरे मुंह से सच निकल गया ,

" हाँ अभी कोरी , अभी तक कभी नहीं ,... "

असल में ये इनके मायके वाला फ़ार्म था , एकदम अच्छे बच्चे वाला रूप , करने मे साइज़ शेप में ये किसी से १९ नहीं २० ही थे , पर वही अच्छे बच्चे ये नहीं करते वो नहीं करते ,... तो इनसे पिछवाड़े की बात सोचना ही मुश्किल था , ... लगे सारी रहते थे , तीन बार से कम कभी नहीं , पर वही मिशनरी पोज , अक्सर हम दोनों ढंके , ...

और मेरा ये कहना था की फिर तो बंसती , संध्या भाभी , मेरे पीछे और उससे ज्यादा कमल जीजू के ,...

" ई तो बहुत नाइंसाफी है , हमरे कोमल ननद क अस चौड़ा मस्त चाकर चूतड़ , अइसन मटक मटक चलती हैं , देख के पिछवाड़ा लौंडन क खड़ा हो जाता है , ... और वैसी गांड अभी तक कोरी , ... और यहाँ दो दो जीजा , चलो आज तोहरे भौजी क बुर फटी त तोहार गांड ,... "



बसंती , एकदम चालू

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और मैं जो अबतक नयी आयी भाभी , छवि को चिढ़ा रही थी , खुद मेरा चेहरा शर्म से लाल , ...

मैं समझ गयी थी अब कमल जीजू छोड़ने वाले नहीं थे और अजय कौन कम , ...

और संध्या भाभी को मौका मिल गया , आखिर नयी आयी भाभी , छवि , उनकी देवरानी थी ,

उन्ही की गोल की और हम सब बहने उस की जम कर रगड़ाई कर रहे थे ,

संध्या भाभी ने छवि का जो थोड़ा सा घूँघट था वो भी हटा दिया , और सीधे उसी से बोलीं ,

" जो तेरी ननद , इत्ता तेरे चीखने की बात कर रही थीं , देखना उनकी चीख तो तेरी चीख से भी जोरदार होगी ,

बगल का कमरा ही तो है , तुझे भी सुनाई देगी , और तेरे लिए तो ये जो वैसलीन , जेली और कड़ुवे तेल की बात कर रही थीं , न इनकी तो सूखी ही ली जायेगी ,

... "


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बसंती भी , आखिर थी तो रिश्ते में भौजाई ही , ... वो अपनी ननद को रगड़ने का मौका क्यों छोड़ती , वो भी नयी देवरानी के साथ हो गयी , बोल वो छवि से रही थी पर निशाने पर मैं थी
 
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