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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६

कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 

paarth milf lover

I m a big big milf and shayari lover💕♥️
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प्यार की बारिश

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लेकिन ननदें होती ही छिनार है , गुड्डी तो दर छिनार,... बस बिन बोले इशारो में उसने गीता से पैक्ट कर लिया और गुड्डी मुझे चिढ़ाते बोली, भाभी मैं झड़ गयी, गीता झड़ गयी बस आप ही बची हैं,...
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गीता ने मुझे धर दबोचा,... उसकी देह मेरी देह के ऊपर,... और गुड्डी मेरी जाँघों के बीच,... चूसना चाटना, और गीता ने न सिर्फ इशारा किया बल्कि अपने हाथ से पकड़ के गुड्डी की दो उँगलियाँ मेरी बिल में, और गीता का अंगूठा मेरे क्लिट पे,...


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और अब मैं भी काँप रही थी उछल रही थी, ननद वो भी कुँवारी टीनेजर नन्द से चूत चटवाने का मजा ही और है,
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कुछ देर में मैं भी झड़ रही थी, गुड्डी ऊँगली भी मस्त कर रही थी, सिर्फ आगे पीछे ही नहीं, गोल गोल और उसे मालूम था की नर्व एंडिंग्स कहाँ पर है तो कभी वहां रगड़ देती तो कभी बस हलके से टैप कर देती और जिस तरह से लरजती निगाहों से बीच बीच में वो टीनेजर मुझे देखती, क्या कहूं बस, उसकी निगाहों में देख के झाड़ देने वाली ताकत थी,... गीता उसे सही सिखा रही थी.

एक बार हम तीनो,.. पंकिल,...


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फिर कुछ देर में सहारा लेकर एक दूसरे का उठे,... बारिश तो रुक गयी थी पर बादलों ने अभी भी उषा का रास्ता रोक रखा था , पेड़ों की पत्तियों से बूंदे टपक रही थीं, बस उसी से हम दोनों ने एक दूसरे की देह का कीचड़ साफ किया,

लेकिन गीता का मन अभी भरा नहीं था,

उसने गुड्डी को बाहों में बाँध लिया और खड़े खड़े दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, ... गीता के हाथों के दबाव ने गुड्डी को बता दिया, वो सरकती हुयी, गीता के देह की सीढ़ी उतरती,... होठों से जोबन तक,... कुछ देर तक गीता के उरोजों का रस लेने के बाद गहरी नाभि और फिर दोनों जंघाओं के बीच रस कूप,... बस गीता यही तो इन्तजार कर रही थी, उसकी जाँघों की पकड़ किसी लोहार की सँड़सी से कम नहीं थी,... और गीता ने गुड्डी के सर को भी दोनों हाथों से पकड़ कर दबोच लिया, ... गुड्डी के होंठ अपने आप खुल गए


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और फिर गीता के निचले होंठों से सुनहली शराब और अबकी गुड्डी खुद ही,... और इस बार पहली बार से भी ज्यादा देर तक, खड़े खड़े,...

दोनों में से किसी को फरक नहीं पड़ रहा था, और यही काम की पराकष्ठा है जब देह का सुख ही सब कुछ तय करे,...

जब गुड्डी उठी तो गीता ने बड़े दुलार से उसके गीले होंठों को चूम के कहा,

" अब थोड़ा सो जाओ, आज काम हम अकेले निपटा देंगे, और कल से रोज मुंह अंधियारे, ... आके सबसे पहले यही काम,

गुड्डी ने ख़ुशी से हामी में सर हिलाया, पर ननद की बात भाभी सीधे से मान ले तो वो भाभी नहीं, मैंने जोड़ा

" अरे एक टाइम से का होगा , दोनों जून "

----

मैं और गुड्डी बिस्तर पर जैसे ही एक दूसरे की बाँहों में लेटे, मस्ती और थकान, पल भर में नींद आ गयी।



मेरी नींद खुली तो बस आठ बजने वाला था ।

मेरी पलंग खाली थी , मेरी गौरेया गायब।

सिर्फ हलकी सी सुनहली धूप फर्श पर पसरी हुयी थी , खिड़की खुली और बाहर पेड़ों पर से चिड़ियों की चहचाहट


जैसे ढेर सारी लड़कियां सुबह सुबह अपने , ब्वॉयफ्रेंड्स को ट्वीट कर रही हों ,



..... ........

प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी
और जब उस बारिश के बाद
हिज्र की पहली धूप खुलेगी
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे

.........
बारिश अब से पहले भी कई बार हुई थी
क्या इस बार मेरे रंगरेज़ ने चुनरी कच्ची रंगी थी
या तन का ही कहना सच कि
रंग तो उसके होंठों में था
Thankx bhabhi ji komaalrani ji itna lamba or jabardast update Dene k liye....lesbian ki Dhoom thi or upar se photo or gifs लाज़वाब जबरदस्त जिंदाबाद कोमल भाभी।।।😍😘💐💖👍
 
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komaalrani

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Last update is on last page.

a celebration of female sexuality and monsoon.

8 Posts

घन गर्जन बादर आये


हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी 'शराब' ... पर बरसात ने ...

चुसम चुसाई
पिछवाड़े का मजा
बारिश,.... छल छल छल छल
गीता
बारिश
प्यार की बारिश

please do read, like, enjoy and comment.
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
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जोरू का गुलाम भाग १९८

घन गर्जन बादर आये
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मेरी टीन ननदिया

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मैं भूल ही गयी थी इनकी कांफ्रेंस काल , साढ़े पांच बजे तीन चार देशों के बीच वाली , घंटे पौन घंटे पहिले इन्हे आफिस पंहुचना होता था , थोड़ी बहुत तैयारी , पेपर्स ,

और साढ़े चार बज रहे थे। थोड़ी देर में तैयार होकर ये आफिस चले गए और मैं और मेरी ननद ,

न मेरी देह की प्यास बुझी थी न उसकी।

और लग रहा था बाहर धरती की,.... जेठ बैशाख की गर्मी में किसी विरहिणी की तरह सूखी, प्यासी धरती,.... अब बादल ला ला कर प्यार उड़ेल रहे थे.



इनके आफिस जाने के समय बारिश लगभग रूक सी गयी थी,... बस पेड़ो की डालों से पत्तियों से रुकी हुयी बूंदे रह रह के टिप टिप गिर रही थीं, अब छत पर, खिड़कियों पर आ रही पानी की आवाजें बंद हो गयी थीं,... लेकिन धीरे धीरे बादल फिर उमड़ने लगे,

आज शाम को जब मैं और गुड्डी बारिश में भीगते मस्ती कर रहे थे, एक मल्हार मैं गुनगुना रही थी और गुड्डी भी मेरा साथ दे रही थी,...

अब बाहर उमड़ते घुमड़ते बादलों को देख के, एक बार फिर मैं गुनगुनाने लगी,... मम्मी ने सिखाया था, मियां की मल्हार का ये गाना,.... और बाद में एक दिन मैंने और गुड्डी ने साथ साथ कोक स्टूडियो पर सुना था, तबसे हम दोनों का फेवरिट हो गया था



घन गरजत बादर आये

उमड़ घुमड़ कर बादर छाये,.... घन गरजत बादर आये

और अब गुड्डी ने भी मेरे साथ ज्वाइन कर लिया, बारिश हम दोनों को अच्छी लगती थी, ...वो गा रही थी



बिजुरी चमके जियरा तरसे, बिजुरी चमके जियरा तरसे,
मेहा बरसे छम छम छम छम


और फिर हम दोनों साथ साथ,... खिड़की के पास खड़े हो के, खिड़की से अंदर आ रही बूंदों से भीगते एक दूसरे से, खिलवाड़ करते साथ साथ, गा रहे थे
घन गरजत बादर आये

और अब गुड्डी सिर्फ, बाहर बादलों को देख कर,...खिड़की के अंदर आती बारिश की बौछार से भीगता उसका चेहरा, गाती

उमड़ घुमड़ घन गरजे बादर, कारे कारे,

अति ही डराए कारी कारी रतियाँ,...
चमक चमकचमके बिजुरिया दमक दमक दमके दामिनिया,
चलत पुरवैया,... उमड़ घुमड़ घन गरजे बादर


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और फिर मैं,...

बिजुरी चमके गरजे बरसे,... घनन घन बिजुरी चमके, पपीहा पीहू की तेर सुनावे
कहाँ करूँ कित जाऊं,... मोरा जियरा लरजे,... बिजुरी चमके गरजे बरसे,..
उमड़ घुमड़ कर बादर छाये,.... घन गरजत बादर आये
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कौन ननद कमीनी होगी जो भौजाई को चिढ़ाने का ये मौका छोड़ देती,.... बस वो पीछे पड़ गयी,...

अरे भाभी, कहिये तो भैया को फोन लगाऊं, मेरी एकलौती भाभी बेचारी,... उनकी दो टकिया की नौकरी, भाभी का लाखों का सावन बेकार हो रहा है,... लेकिन भाभी अभी तो बादल बरसा था इत्ते कस के अभी तक देखिये यहाँ कीचड़ है,

और वो अपनी हथेली मेरी चिकनी चमेली पर रगड़ने लगी जहाँ भाई भी उसके भैया की मलाई बजबजा रही थी, छलक रही थी।
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मैं क्यों छोड़ देती उसे रगड़ने का तो मैं पहले तो खींच के गुड्डी को पलंग पर ले आयी और अपने साथ लिटाती बोली,...


" बात तो तेरी सही है, लेकिन भैया नहीं है भैया की बहिनिया तो है, .... सावन ने जो आग लगाई है अब वही बुझाये,...

एकदम भाभी एनीथिंग फार माई स्वीट भाभी वो मुस्करा के बोली

मेरी प्यास भले ही वो बुझा दे उसकी तो खैर बुझनी भी नहीं थी , मुझे तो उसकी तपन भी बढ़ानी थी और अगन भी , जैसे जब वो कोचिंग में पहुंचे, छनछनाती रहे, जोबन टनाटन, चुनमुनिया में आग लगी रहे,... तभी तो लौंडों का फायदा होगा

लेकिन गले की उसकी प्यास बुझाने से कौन रोक सकता था , ।


स्पार्कलिंग वाइन की एक बॉटल और बची थी , और वो गुड्डी ने खोल दी।

जब ' वो ' नहीं होते थे , तो गुड्डी की शरारतें और बढ़ जाती थीं , वाइन सबसे पहले इस बॉटल से उसी ने चखी , लेकिन

न पेग से न बॉटल से।

बहुत ही बदमाश थी , एकदम शरीर , ...

सीधे मेरी देह से , बूँद बूँद मेरे उभारों पर ,... और वहां से उसके होंठों पर।

न उसने मेरे हाथ बांधे न आँखे , लेकिन मेरी छोटी ननद की हिरण ऐसी आँखों ने जो मुझे बरज दिया था ,

मैं बस पलंग पर ऐसे ही ,...

और जैसे बचा खुचा कई चाट ले , वो मेरे जोबन , मेरे निप्स कस कस के चाट रही थी ,
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और उस के बाद वाइन मेरी नाभि में ,... ( जो जो मैंने और उसके भइया ने उसके साथ किया था उसका सूद के साथ बदला ले रही थी )

मैं तो उसकी ' गुलाबो ' को बचा रही थी , वहां १२ घण्टे के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा था ,

उसके साथ ये रिस्ट्रिक्शन तो था नहीं , ... इसलिए मेरी गहरी नाभि से छलकती वाइन चूसते चाटते , सीधे मेरी प्रेम गली पर ,


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Awesome super duper gazab updates
Didi tum festivals, sawan bagaira par jo likhti ho,bahut khas hota hai, updates mein sawan ki rim jhim jo tum ne dali hai,ye har kisi writer ke bas ki bat nahi.
Superb writing by exclusive gr8est writer.
 

komaalrani

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घन गरजत बादर आये

मियाँ की मल्हार में कम्पोज्ड जिस गाने का उल्लेख मैंने भाग १९८ के पहली पोस्ट में किया है

उसका लिंक, ... जरूर सुनिए और उसके बाद इस पोस्ट का मज़ा दूना हो जाएगा




 

Sutradhar

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घन गरजत बादर आये

मियाँ की मल्हार में कम्पोज्ड जिस गाने का उल्लेख मैंने भाग १९८ के पहली पोस्ट में किया है

उसका लिंक, ... जरूर सुनिए और उसके बाद इस पोस्ट का मज़ा दूना हो जाएगा






वाह कोमल जी


इतना लंबा अपडेट भी छोटा सा लगता है । धन्य है आपकी लेखनी।


सादर
 

Soni Kusum

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दीदी क्या कमाल किया है आप ने
पिछले 3 सालों से अलग अलग फोरम पे इस कहानी के साथ जुड़ाव रहा है,आप की लेखनी की बहुत बड़ी पाठिका रही हूं,सच कहूं आज दिल से आत्मा से तृप्ति मिल गयी
इतना अच्छा और मीठा अपडेट दे दिया आप ने
लेस्बियन मस्ती हो,आप के साथ गुड्डी हो, फिर तो उस बच्ची के दोनों प्रेम द्वार चहक उठने तय है ही,उस गर्हित वर्जित द्वार को सब से मीठा आनंद का द्वार आप को पढ़ के ही माना है आप ने अपनी लेखनी से जीवन मे एक रंग भरा है इन 3 बरसों में
में बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं इस कहानी में एक जीवन का असली सुख और रंग प्रदान करने के लिए आप को
लेडीज नाईट में सब बांध तोड़ देना
लेकिन उस से पहले गुड्डी को आप हर रात भोगना ओर अगली सुबह यहाँ सब वर्णन 😊👍"😘
बहुत सारा प्रेम दीदी को ओर आभार
बस प्यार बरसाती रहना आप
 
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