ऐसी आशा बल्कि विश्वास है कि इस बार कहानी अपनी पूर्णता को प्राप्त करेगी...सब कुछ आप सब के साथ पर निर्भर करता है
वो भी तर्कसंगत समापन के साथ.. जहाँ जेठानी और दिया का आगे क्या हुआ इसका एपिसोड भी हो...
ऐसी आशा बल्कि विश्वास है कि इस बार कहानी अपनी पूर्णता को प्राप्त करेगी...सब कुछ आप सब के साथ पर निर्भर करता है
Part 11
पूरी करूंगा सब हसरते तुम्हारी
चुत के बाद गांड की भी है बारी
इंसान नहीं तुम तो हो पूरे सांड
नहीं मारने दूंगी मैं अपनी गांड
गधे के जैसा है ये लौड़ा तुम्हारा
मेरी चूत का कर दिया है कबाडा
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भाभी क्यों ऐसे नखरा दिखा रही हो
देखो उठा के गांड चूत मरवा रही हो
बरसो बाद पाया है इतना प्यारा लौड़ा
मजा क्यो ना लू आज मैं इस से थोड़ा
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मजा पूरा दूंगा अब से तुम्हें मेरी रानी
बेकार न जाने दूंगा अब तुम्हारी जवानी
तेज़ तेज़ झटके फिर वो लगाने लगा
बिस्तर पे जन्नत मुझको दिखाने लगा
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अब मोटे लौड़े का एहसास करा दो
देवर जी बस तुम ये कंडोम हटा दो
महसूस मैं तुम्हें करना चाहती हूं
तेरे नंगे लौड़े पे झरना चाहती हूँ
मिलने दो आपस में दो नंगे बदन
बिना किसी सुरक्षा के होगे मगन
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स्नेही जन का संगत...मैं हक़ से करती हूँ,... वो मेरी सबसे अच्छी सहेलियों में है और एक बहुत अच्छी इंसान
एक सज्जन पुरुष/स्त्री संसार से कम ही लेता है मगर उन्हें कई गुणा लौटा देता है.एकदम जीजा साली का रिश्ता ही ऐसा है
मज़े की बात ये है की जो लोग माँ बेटे के प्रसंग को उचित समझते हैं वो भी कहानी में जीजा साली के नाम से चौंकते है,
पसंद अपनी अपनी,...
छोड़ना चाहिए भी नहीं...क्या पता नहीं,
होगी ही. मेरी बहन छोड़ने वाली नहीं है, मेरी ननद को
चित्रों और शब्दों के तालमेल ने .. लगता है कल्पना साकार कर दिया....Part 6
ज़ालिम ने पहले तो गांड को दबाया
झटके से फिर अपनी गोद में उठाया
ले चला फिर मुझे कांधे पे उठा के
हाथो से मेरी मोटी गांड को दबा के
भाभी तुम्हे अपनी दुल्हन बनाउंगी आज
पूरी रात इस बिस्तर पे बजाऊंगा आज
जब ये बात मुझे कहीं जा रही थी
मेरी चूत दरिया सी बही जा रही थी
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जाओ तुम मेरे कमरे में आती हूँ मैं
शगुन वाला केसर दूध लाती हूं मैं
गिलास नहीं चाहिए मम्मो से पिला दो
अपनी इन चुचियो का मजा दिला दो
देवर जी बेचैनि इतनी अच्छी नहीं है
इसके बिना सुहागरात सच्ची नहीं है
शगुन का ये दूध आज तुम्हें पीना है जरूरी
इसका बिना अपनी सुहागरात रहेगी अधूरी
आ गई मैं फिर कमरे में देवर के पास
हाथो मैं लेके बादाम दूध का गिलास
लो पियो देवर जी इसमें ताक़त बड़ी
पूरी रात तुम्हें करनी है मेहनत कड़ी
मेरे पास आया अपना करीब खींचा
बाहो में भर मेरे मम्मो को खूब भिंचा
कोमल अंगो पे मेरे वो हाथ लगा फेरने
सख्त बाहों मे कस के लगा मुझे घेरने
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चिपक रही मैं उसे जैसा कोई बेल
शुरू हो गया था मोहब्बत का खेल
हर अंग पे मेरे चुम्बन वो करने लगा
मेरे जिस्म से हर वस्त्र वो हरणे लगा
पहली खिंची साड़ी फिर चोली उतारी
फिर आयी टांगों से मेरे साये की बारी
निकली जब उसने मेरी टांगों से कच्छी
तुम्हारी चूत की खुशबू कितनी है अच्छी
भाभी कितने कोमल हैं ये मम्मे तुम्हारे
लगते हैं जैसे मैंने थामे है रुई के गुब्बारे
बिस्तर पे उसने फिर मुझको लिटाया
मेरे कोमल चुचो से मुंह को लगया
अपने होठों में लेकर निपल को चाटें
कभी उनको चुसे कभी उनको काटे
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और आरुषि जी हर बार ये कमाल कर दिखाती हैं...Hamesha ki tarah bohot hi garam aur uttejak ansh likha aapne...
Dudh pilaane k saath suhaagrat shuru ho gayi devar bhaujai ki...
arushi_dayal ji ....kahan kahan se pictures aap dhund ke laati ho jo bilkul sateek beth jaye... Zabardast
Aur wo jo bhabhi ke mamme pakadne par pic daali hai jismein devar ungliya tak gadh gayi hain...uffff bohot hi kamuk tasveer hai.....
वाह... वाह..Part 7
भाभी तुम अब मेरी टांगों में आओ
पकड़ के मेरा लौड़ा मुँह ने घुसाओ
मेरा लौड़ा मांगे है तुम्हारा दुलार
होठों में लेकर जरा इसको प्यार
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आ गई अब मैं उसकी टांगों के बीच
आंखो मैं देख उसकी पैंट लेई खींच
मेरी नज़रो के आगे था ऐसा नज़ारा
काले नाग का जैसा खुला हो पिटारा
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देख के उसका मोटा लम्बा सा लंड
मेरे प्यासे कलेजे को पड़ गई ठंड
इतना कड़क था ज़ालिम का लौड़ा
पकड़ा हो जैसे मैंने लोहे का हथौड़ा
चमड़ी से जब बाहर निकला सुपाड़ा
लगे कोई मोटा पहाड़ी आलू बुखारा
पकड़ के उसे प्यार से मैं सहलाऊ
होठों से चुमू और गालो पे लगाऊ
दिल मेरा चाहे लौड़े से जी भर के खेलु
अपने मुलायम लाल सुर्ख होठों में लेलू
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Which till now readers on this forum was deprived off.She sets new records and breaks it herself, a new genre,
उफ्फ .. एकदम कमाल...Part 8
भाभी जरा अब तुम भी मेरे पास आओ
अपनी प्यासी मुनिया मुझे तुम दिखाओ
जिसे कितने सालो से मुझको सताया
जिसे सोच मैंने है कितना पानी बहाया
पहले तो उसने मुझको खींचा अपने करीब
फ़िर मेरी गिल्ली चूत पे रख दी उसने जीभ
देवर ने जैसे ही नीचे अपनी चलायी जुबान
मेरे मुँह से आह ऊह की बजने लगी थी तान
सिर पकड़ के मैं चूत में घुसाने लगी
बालो में उसके उंगली फिराने लगी
चूत में मस्ती से रस पिघलने लगा
देवर चटोरा चाट उसे निगलने लगा
मेरी बहती चूत का पी गया सारा रस
बिना चोदे ज़ालिम ने मेरी करादी बस
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