मुशायरों और कवि सम्मेलनों में भले ही बीच बीच में वाह वाह कही जाए और तालियां बजायी जाएँ,
लेकिन शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति में, रसिकजन, आलाप या मुरकी और किसी अच्छी तान के बाद तारीफ़ नहीं करते,... मूर्तिवत सिर्फ सुनते हैं,... और प्रस्तुति के समाप्त होने के बाद स्टैंडिंग ओवेशन से कलाकार की अभ्यर्थना करते हैं,
आपकी पोस्ट्स मुझे उसी प्रस्तुति की भाँती लगती है, इसलिए मैंने मेरी पोस्ट पर भी कुछ पाठकों के कमेंट्स का जवाब इसलिए नहीं दिया की कही वह धारा टूट न जाए, और यही स्थिति हम सब पाठकों की रही होगी,
आपकी पोस्ट और पसंद न आये ये एक विरोधाभास् है
और इसलिए मैंने हर पोस्ट पर अलग अलग , लेकिन तीन पोस्टों के बाद अपनी मन की बात कही...
यह कभी आप सपने में भी नहीं सोचियेगा, और कोई गलती से भ्रम हो गया हो तो एक बार अपनी प्रोफ़ाइल देखियेगा
४४५ मेसेज , १७२८ लाइक्स,
यानी हर पोस्ट पर कम से कम ३. लाइक्स, इतना प्यार दुलार किसे मिला होगा,... और आप इसकी हकदार भी हैं,...कृपया पोस्टों को जारी रखिये,... हम सब बहुत ध्यान लगा के आपकी हर पोस्ट का इस थ्रेड पर इन्तजार करेंगे,