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भाग २३५-
शेयर, -म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस
३२,४९,५८८
जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था , इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।
खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती ,
और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ...
इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।
ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।
पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।
बीयर मार्केट पर हावी थे।
घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले
------
म्युचुअल फंड्स की हालत सेंसेक्स से भी ज्यादा खराब थी , अगर ओवरआल सेंसेक्स , १ % गिरा तो म्युचुअल फंड्स ५ से ६ % गिरे थे।
४१६ म्युचुअल फंड्स में से ४०१ को नुक्सान हुआ था सिर्फ जिन्होंने आईटी सेक्टर में ज्यादा फोकस किया था वही थोड़ा रुपये के दाम गिरने से फायदे में थे।
हुआ ये था की इन फंड मैनेजर्स ने लिक्विडिटी की चिंता छोड़ कर ,...
और रियल एस्टेट गिरने के बाद लोगों ने म्युचुअल फंड में पैसा लगाया भी , लेकिन ,... एक के बाद एक हर सेक्टर , ... इंफ़्रा ,... पावर ,... बैंकिग ,.... फाइनेंस ,.. और अब उस का क्युमलेटिव असर ,
इन लोगो की स्ट्रेटजी थी की किसी तरह अपनी कम्पनी का शेयर , ....पर जो पुल डाउन हुआ था उसमें मैंने चेक किया हमारी कम्पनी का शेयर भी सैटरडे को गिरना शुरू हो गया था।
इनकी स्ट्रेटजी तो मल्टी प्रांगड़ थी , लेकिन ,... और सिर्फ यही एक छेद इनकी प्लानिंग में हुआ था , जिसे प्लग करना बहुत जरुरी था।
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सोना मोना ने इतनी परफेक्ट स्ट्रेटजी बनायी थी, बंबई से लौटने के बाद जीजू लोगों के साथ कितनी मस्ती, लेकिन ये अचानक क्या,
हाँ अब बस एक बात समझ में आ गयी थी की रात में एक बजे इनके ऑफिस का फोन क्यों आया और क्यों सुबह पांच बजे इन्हे आफिस जाना पड़ा और ये इतने क्यों स्ट्रेस्ड लग रहे थे, या तो कहीं से कुछ लीक हुआ या कुछ और अब ये कैसे इन्हे काउंटर करेंगे.
और एक बात और समझ में आ गयी थी की ये क्राइसिस पहले से भी ज्यादा तगड़ी है, कोई है जो इनकी कम्पनी को एक्वायर करने की कोशिश कर रहा है और मार्केट गिरने से जल्द ही एक दो दिन में अगर कुछ नहीं हुआ तो अपने बन्दों के जरिये वो धीरे धीरे इनकी कम्पनी में अपना स्टेक बढ़ा लेगा, और हफ्ते भर के अंदर ही अपना दांव खेल देगा, जो कुछ इन्हे करना है बस अगले दो चार दिनों में ही
और अगर एक बार उस गुमनाम कम्पनी ने हमें एक्वायर किया तो सबसे पहले जिन लोगों की छुट्टी होगी उसमे हम लोग होंगे। फिर ये टाउनशिप, शहर और गुड्डी की कोचिंग, और अगर कहीं मजबूरन हमें के बार फिर इनके मायके जाना पड़ा, बिटविन द जॉब्स के चक्कर में फिर तो जेठानी अबकी,
मैं ब्रेकफास्ट बना रही थी , सोच रही थी , देवता पीर मना रही थी की इनका फोन आया
"गुड्डी के दो फेसबुक अकाउंट , पासवर्ड के साथ ,.."
मैं समझ गयी कुछ उनको जरूरत होगी , गुड्डी के पास तो वैसे भी ६-७ अकाउंट थे , मैंने दो थोड़े शराफत वाले उनको दे दिए।
वो दोनों अकाउंट मैंने अपने फोन पर भी ऐक्टिवेट कर लिए ,...
थोड़ी देर बाद उसी पर मेसेज आया , मम्मी को बोलने के लिए बात करने के लिए।
गुड्डी वाले फेसबुक से मेरे लिए मेसेज आया मेसेंजर पे, मैं तो गुड्डी क्या उसकी हर सहेली के हर फेसबुक अकाउंट पे थी। मैं समझ गयी यही हैं।
और उन्हें भी डर है फोन के लीक होने का, इसलिए आफिस के कम्प्यूटर से या किसी सिक्योर डिवाइस से फेसबुक के मेसेंजर से शार्ट टर्म, उन्हें उनके मेल पर भी भरोसा नहीं था।
लेकिन मम्मी का टेक्स्ट पहले ही आगया था , न गाली न समधन का हाल चाल , सिर्फ ये कहाँ है।
मैंने बताया सुबह से आफिस में हैं।
अब वही फेसबुक अकाउंट मैंने मम्मी को पास कर दिया।
मुझे मम्मी पे पूरा भरोसा था और मम्मी से ज्यादा मम्मी के एकलौते दामाद पर,
और अगर मम्मी और मम्मी के दामद मिल जाएँ तो किसी की माँ चोद सकते थे, और अभी तो मेरे सोना मोना की माँ ही बाकी थी, आएगा उनका भी नंबर आएगा, जल्द आएगा लेकिन पहले ये क्राइसिस किसी तरह निबट जाए
और दामाद सास में बात चीत हो गयी ,
थोड़ी देर में मिसेज डी मेलो का फोन आया , साहब शाम की फ्लाइट से दिल्ली जा रहे हैं। मैं उनका ट्रेवल बैग तैयार कर के रखूं। बाद में पता चला की सास दामाद में क्या साजिश हुयी।
कुछ बात बहुत सीरियस थी तभी मम्मी से बात करने के लिए इन्होने ये तरीका इस्तेमाल किया। मम्मी को कुछ कुछ इनकी कम्पनी के क्राइसिस का अंदाजा तो था ही, फिर उनके पास अपने मार्केटिंग रिसर्च वाले, डाटा अनॅलिएटिक्स लेकिन इन सबसे बढ़कर उनका कांटेक्ट, नेटवर्क और बिजनेस सेन्स
खैर मैंने अपना काम कर दिया था, ये जाने इनकी सास।
मैं अपनी ननद की ओर मुड़ी
मैं ब्रेकफास्ट लेकर गुड्डी के पास गयी तो वो भी परेशान लग रही थी। ढेर सारी किताबे , लैपटॉप खोल कर बैठी।
शेयर, -म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस
३२,४९,५८८
जो रस्ते उन्होंने शेयर मैनेजमनेट के लिए निकाला था , इसमें एक ये भी है की उन लोगों ने कुछ म्युचुअल फंड मैनेजर्स से बात कर के रखी थी , शेयर के लिए , की वो हम लोगो का शेयर ले।
खासतौर पर अगर जो कम्पनी हमें एक्वायर करने की कोशिश कर रही थी , ये पूरा शक था की वो बल्क में शेयर बेच कर के , एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट करती की , इन शेयर्स के टेकर्स कम होते , और फिर दाम और गिरते , देखा देखी और लोग भी शेयर बेचते ऐसी हालत में , थोड़ा भी प्रेशर , शेयर्स को फ्री फाल्स में बदल देता , कम्पनी की क्रेडिबिल्टी खराब होती ,
और जो हमें एक्वायर करने वाला था , वो एकदम गिरे दामों पर शेयर खरीद कर अपना हिस्सा कम्पनी में बढ़ा लेता , ...
इसी सिचुएशन को अवॉयड करने के लिए इन्होने कुछ फंड मैनेजर्स से बात की थी , और उन्होंने अश्योर भी किया था की क्योंकिं इनकी कम्पनी के मैक्रो पैरा मीटर्स ठीक हैं इसलिए वो सर्टेनली शेयर का दाम थोड़ा भी गिरंने पर इस कम्पनी में म्युचुअल फंड का का पैसा जरूर लगाएंगे।
ये इनकी स्ट्रेटजी का जरुरी हिस्सा था।
पर जो घर आते हुए मैंने ट्रैकर देखा था , सारे शेयर धड़ाम हो रहे थे।
बीयर मार्केट पर हावी थे।
घर आके मैंने इकोनॉमिक पेपर्स पिछले दो तीन दिन के खगाले
------
म्युचुअल फंड्स की हालत सेंसेक्स से भी ज्यादा खराब थी , अगर ओवरआल सेंसेक्स , १ % गिरा तो म्युचुअल फंड्स ५ से ६ % गिरे थे।
४१६ म्युचुअल फंड्स में से ४०१ को नुक्सान हुआ था सिर्फ जिन्होंने आईटी सेक्टर में ज्यादा फोकस किया था वही थोड़ा रुपये के दाम गिरने से फायदे में थे।
हुआ ये था की इन फंड मैनेजर्स ने लिक्विडिटी की चिंता छोड़ कर ,...
और रियल एस्टेट गिरने के बाद लोगों ने म्युचुअल फंड में पैसा लगाया भी , लेकिन ,... एक के बाद एक हर सेक्टर , ... इंफ़्रा ,... पावर ,... बैंकिग ,.... फाइनेंस ,.. और अब उस का क्युमलेटिव असर ,
इन लोगो की स्ट्रेटजी थी की किसी तरह अपनी कम्पनी का शेयर , ....पर जो पुल डाउन हुआ था उसमें मैंने चेक किया हमारी कम्पनी का शेयर भी सैटरडे को गिरना शुरू हो गया था।
इनकी स्ट्रेटजी तो मल्टी प्रांगड़ थी , लेकिन ,... और सिर्फ यही एक छेद इनकी प्लानिंग में हुआ था , जिसे प्लग करना बहुत जरुरी था।
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सोना मोना ने इतनी परफेक्ट स्ट्रेटजी बनायी थी, बंबई से लौटने के बाद जीजू लोगों के साथ कितनी मस्ती, लेकिन ये अचानक क्या,
हाँ अब बस एक बात समझ में आ गयी थी की रात में एक बजे इनके ऑफिस का फोन क्यों आया और क्यों सुबह पांच बजे इन्हे आफिस जाना पड़ा और ये इतने क्यों स्ट्रेस्ड लग रहे थे, या तो कहीं से कुछ लीक हुआ या कुछ और अब ये कैसे इन्हे काउंटर करेंगे.
और एक बात और समझ में आ गयी थी की ये क्राइसिस पहले से भी ज्यादा तगड़ी है, कोई है जो इनकी कम्पनी को एक्वायर करने की कोशिश कर रहा है और मार्केट गिरने से जल्द ही एक दो दिन में अगर कुछ नहीं हुआ तो अपने बन्दों के जरिये वो धीरे धीरे इनकी कम्पनी में अपना स्टेक बढ़ा लेगा, और हफ्ते भर के अंदर ही अपना दांव खेल देगा, जो कुछ इन्हे करना है बस अगले दो चार दिनों में ही
और अगर एक बार उस गुमनाम कम्पनी ने हमें एक्वायर किया तो सबसे पहले जिन लोगों की छुट्टी होगी उसमे हम लोग होंगे। फिर ये टाउनशिप, शहर और गुड्डी की कोचिंग, और अगर कहीं मजबूरन हमें के बार फिर इनके मायके जाना पड़ा, बिटविन द जॉब्स के चक्कर में फिर तो जेठानी अबकी,
मैं ब्रेकफास्ट बना रही थी , सोच रही थी , देवता पीर मना रही थी की इनका फोन आया
"गुड्डी के दो फेसबुक अकाउंट , पासवर्ड के साथ ,.."
मैं समझ गयी कुछ उनको जरूरत होगी , गुड्डी के पास तो वैसे भी ६-७ अकाउंट थे , मैंने दो थोड़े शराफत वाले उनको दे दिए।
वो दोनों अकाउंट मैंने अपने फोन पर भी ऐक्टिवेट कर लिए ,...
थोड़ी देर बाद उसी पर मेसेज आया , मम्मी को बोलने के लिए बात करने के लिए।
गुड्डी वाले फेसबुक से मेरे लिए मेसेज आया मेसेंजर पे, मैं तो गुड्डी क्या उसकी हर सहेली के हर फेसबुक अकाउंट पे थी। मैं समझ गयी यही हैं।
और उन्हें भी डर है फोन के लीक होने का, इसलिए आफिस के कम्प्यूटर से या किसी सिक्योर डिवाइस से फेसबुक के मेसेंजर से शार्ट टर्म, उन्हें उनके मेल पर भी भरोसा नहीं था।
लेकिन मम्मी का टेक्स्ट पहले ही आगया था , न गाली न समधन का हाल चाल , सिर्फ ये कहाँ है।
मैंने बताया सुबह से आफिस में हैं।
अब वही फेसबुक अकाउंट मैंने मम्मी को पास कर दिया।
मुझे मम्मी पे पूरा भरोसा था और मम्मी से ज्यादा मम्मी के एकलौते दामाद पर,
और अगर मम्मी और मम्मी के दामद मिल जाएँ तो किसी की माँ चोद सकते थे, और अभी तो मेरे सोना मोना की माँ ही बाकी थी, आएगा उनका भी नंबर आएगा, जल्द आएगा लेकिन पहले ये क्राइसिस किसी तरह निबट जाए
और दामाद सास में बात चीत हो गयी ,
थोड़ी देर में मिसेज डी मेलो का फोन आया , साहब शाम की फ्लाइट से दिल्ली जा रहे हैं। मैं उनका ट्रेवल बैग तैयार कर के रखूं। बाद में पता चला की सास दामाद में क्या साजिश हुयी।
कुछ बात बहुत सीरियस थी तभी मम्मी से बात करने के लिए इन्होने ये तरीका इस्तेमाल किया। मम्मी को कुछ कुछ इनकी कम्पनी के क्राइसिस का अंदाजा तो था ही, फिर उनके पास अपने मार्केटिंग रिसर्च वाले, डाटा अनॅलिएटिक्स लेकिन इन सबसे बढ़कर उनका कांटेक्ट, नेटवर्क और बिजनेस सेन्स
खैर मैंने अपना काम कर दिया था, ये जाने इनकी सास।
मैं अपनी ननद की ओर मुड़ी
मैं ब्रेकफास्ट लेकर गुड्डी के पास गयी तो वो भी परेशान लग रही थी। ढेर सारी किताबे , लैपटॉप खोल कर बैठी।
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