Shetan
Well-Known Member
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Same to you dear
Merry Xmas
Ekdam shi kaha aapne lekin ye story se badh kar ab novel ban chuka hai to JKG valaa vo part shuru ke pahle 60-70 episodes me hain aur ab kahaaani ek fianiancial thriller ki oar badh rahi hai
पीछे की इन घटनाओं से तारतम्य बिठा कर रखना..
एक अच्छे लेखक/लेखिका की निशानी है...
और हरेक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सबका स्पष्टीकरण ..
कहानी को पूर्णता प्रदान करने में सहायक होती है....
पाठकों में से बहुत से मित्र कारपोरेट दुनिया से जुड़े हैं इसलिए सहज ही इसे समझ सकते हैंघात-प्रतिघात का दौर शुरू...
और इस तरह की डिटेल्स कहानी को वास्तविकता का पुट देते हैं.
और पढ़ने वाले को भी काल्पनिक के बजाय आस-पास के माहौल और कंपनी/कॉर्पोरेट कार्यकलापों से रूबरू होने की संतुष्टि मिलती है...
बहुत बार पाठक मित्रों को शिकायत होती है की पुरुष पात्रों को बहुत रोल मेरी कहानी में नहीं मिलता। कुछ को बजाय हीरो होने के ककोल्ड सदृश लगने लगते हैं, और कई कहानियों में भी पुरुष की भूमिका यही होती है की जो भी स्त्री कहानी में आये बस उसके साथ देह संबंध वह कैसे बनाये, बल्कि उसमे भी कोई ख़ास समय नहीं लगता एक दो भाग में ही वो लड़की हो महिला हो , बहन हो माँ, कच्ची कली हो प्रौढ़ा हो उसके आगे बिछ जाती है।मौज-मस्ती के साथ अपने दिमाग का प्रयोग करते हुए सामने वाले को बैकफुट पर धकेलना...
ये आपके हब्बी की खूबी..
सबका समन्वय बहुत बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया....