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Incest "टोना टोटका..!"

कहानी मे राजु के सम्बन्ध कहा तक रहे..?

  • बस अकेले रुपा तक ही

  • रुपा व लीला दोनो के साथ

  • रुपा लीला व राजु तीनो के एक साथ


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Premkumar65

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दस ग्यारह बजे तक घर के सब निपटाकर वो अब नहा धोकर तैयार हो गयी और रुपा को फकीर बाबा के पास जाने का बोलकर बस अड्ढे पर आ गयी। बस अड्डे से बस पकङकर वो अब किसी फकीर बाबा के पास नही गयी, बल्कि शहर आकर उसने ऐसे ही घर की जरुरत के लिये छोटा मोटा सामान खरीदा और वापस घर आ गयी। घर पर रुपा उसका बेसब्री से इन्तजार कर रही थी इसलिये...

"आ गयी माँ तुम.. क्या बताया फकीर बाबा ने...?" रुपा ने लीला को देखते ही पुछा जिससे...

"अरे..मुझे भीतर तो आने दे...चल भीतर चल.., फिर बैठकर बात करते है..!" ये कहते हुवे लीला कमरे मे घुस गयी और पलँग पर जाकर बैठ गयी।

रुपा भी अपनी माँ के पीछे पीछे ही थी इसलिये वो भी कमरे मे आ गयी और...


"अब तो बता..! क्या बताया बाबा ने...?" ये कहते हुवे रुपा भी उसके पास ही पलँग पर उसकी बगल मे बैठ गयी..

लीला: तुम पर दोष बताया है, तुने शादी से पहले कभी गलती‌ से किसी कब्र‌ पर पिशाब कर‌ दिया था उसका दोष तेरी कोख डस रहा है। वो अब जीन्न बनकर तेरे पीछे पङा हुवा है जो तेरी गोद भी नही भरने‌ दे रहा, और तो और, वो तेरा अब घर भी तोङना‌ चाह रहा है इसलिये उसने दामाद जी को भी अपने वश मे कर लिया है।

लीला ये सब झूठ बोल रही थी, वो किसी भी फकीर बाबा के पास नही गयी थी मगर फिर भी उसने ये इतने विश्वास और इस अन्दाज के साथ कहा की रुपा को बिल्कुल भी इसमे कुछ गलत नही लगा और..

रुपा: हाँ सही कहा..! ये बात तो सही है माँ, पहले वो कभी कुछ नही कहते थे, पर अब तो वो भी अपनी माँ की ओर बोलने लगे है, अब क्या होगा माँ..?

लीला: कुछ नही होगा, सब ठीक हो जायेगा। बस कुछ टोने टोटके है जो तुझे करने होँगे, पहले तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का जो दोष है चौराहे पर जाकर कुछ टोटके करके उसे उतारना होगा, उससे वो जिन्न तेरा पीछा छोङ देता है तो ठीक..! नही तो तुझे पहाङी वाले लिँगा बाबा पर भी दीया जलाकर कर आना पङेगा..!

रुपा: पर माँ उनके साथ पहले गयी तो थी मै दीया जलाने पहाङी वाले बाबा पर..?

लीला: हाँ..! पर बाबा बोल रहे थे की चौराहे वाले टोटके से उस जिन्न ने तेरा पीछा नही छोङा तो तुझे फिर से वहाँ दीया जलकार आना होगा..!, मगर इस बार दामाद जी के साथ नही जाना किसी और के साथ जाना होगा..!

"दामाद जी तो अब उसी जिन्न के वश मे है उनके साथ तो तु ये टोने टोटके कर नही सकती इसलिये किसी दुसरे मर्द के साथ तुझे ये टोटके करने होँगे..!

रुपा: पर माँ.., उनके साथ नही, तो फिर किसके साथ करुँगी ..? और पहाङी वाले बाबा पर किसके साथ जाऊँगी

लीला: और किसके साथ जयेगी...? राजु को साथ मे ले जाना..!

राजु के साथ पहाङी वाले बाबा पर दीया जलाकर आने की बात रुपा को अब अजीब लगी, क्योंकि लिँगा बाबा पर औरते अपने पति के साथ ही दीया जलाने जाती है इसलिये...

रुपा: पर माँ राजु तो मेरा भाई है, उसके साथ मै कैसे..?
रुपा ने दुखी सी होते हुवे पुछा।

लीला: अरे.. मैने पुछा था बाबा से..., बोल रहे थे ये टोटके है जो किसी मर्द के साथ ही करने है, और राजु है तो मर्द ही ना..!

"वो तु बाद मे देखना, पहले तो तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का दोष है उसे तो उतारना है। बाबा जी बोल रहे थे की अगर ये दोष उतरने से वो जीन्न तेरा पीछा छोङ देता है तो बाकी के टोटके करने की जरुरत नही पङेगी..!

रुपा: अ.हा्. हाँ.. फिर तो ठीक है..पर इसके लिये क्या करना है..?

रुपा ने अब थोङा खुश होते हुवे उत्सुकता से पुछा जिससे...

लीली: शनिवार की रात बारह बजे तुझे चौराहे पर जाकर अपने सारे कपङे उतारकर वही छोङकर आने है और तुझे अपने यहाँ किसी मर्द से इस पर (चुत पर) पिशाब करवाकर उसके हाथ से इसे धुलवाना होगा...

लीला ने सीधे सीधे चुत का नाम तो नही‌ लिया मगर उसने नीचे रुपा की चुत की ओर इशारा करते हुवे कहा जिससे रुपा भी समझ गयी और..

रुपा: क्या्आ्आ्.....?

लीला: हाँआ्आ्..! तभी तेरा ये कब्र पर पिशाब करने का दोष मिटेगा..!

रुपा: पर माँ, ये सब तो मै बस उनके साथ ही कर सकती हुँ..!

रुपा अब आगे कुछ बोलती तब तक...

लीला: नही..!, दामाद जी तो अब उस जीन्न के ही वश मे है, उनके साथ तो चाहे तु सो, या कुछ भी कर, उससे कुछ फर्क नही पङने वाला, ये सब टोटके तुझे किसी दुसरे मर्द के साथ करने होँगे तब जा के तेरा ये दोष दुर होगा..!

रुपा: पर माँ..! किसी दुसरे मर्द के साथ मै ये सब कैसे कर सकती हुँ..?

लीला: अब फकीर बाबा ने तो यही बताय है की तुझे ये किसी दुसरे मर्द के साथ‌ ही करना होगा..?

रुपा: पर माँ, ये सब तो औरत बस अपने पति के साथ ही कर सकती है, जब उनके साथ नही कर सकती तो फिर किसके साथ करुँगी..?

लीला: तुझे बताया तो, राजु के साथ, और किसके साथ करेगी..?

रुपा: पर माँ राजु के साथ ये सब करते शरम नही आयेगी, और उसके साथ ये सब करते मै अच्छी लगुँगी क्या, वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे..?

लीला: इसमे क्या सोचेगा, उसे इतनी समझ भी है जो कुछ सोचेगा..? और ये सब टोने टोटके है जो ऐसे ही करने पङते है..! पहले तुम दोनो नँगे होकर साथ मे नहाते भी तो थे, अब कुछ देर उसके साथ नँगी होकर ये सब कर लेगी तो क्या हो जायेगा..?

रुपा: पर माँ तब की बात और थी, वो छोटा था, पर अब ये सब उसके साथ कैसे कर सकती हुँ..?

लीला: अभी वो कौन सा इतना बङा हो गया..? ठीक से अभी दाढी मुँछ भी निकले नही उसके..!

रुपा: पर माँ...!

लीला: देख ले बेटी..! अब बाबा जी ने तो यही बताया है की तुझे ये टोटके किसी दुसरे मर्द के साथ ही करने है, अगर तु किसी और के साथ मे करना चाहती है तो वो देख ले..? पर तुझे जल्दी करना होगा, नही तो बाबा ने बताया है की तुझ पर दोष का असर बढता जा रहा है जिससे दामाद जी भी अब उसके वश मे आ गये है..!

रुपा: मै अब क्या कहुँ.. ये सब किसी और के साथ कैसे..?

लीला: वैसे राजु नही तो, तु कहे तो पङोस वाले गप्पु से कहुँ..., पर किसी दुसरे का क्या भरोसा..? वैसे ही वो‌ लफँगा है, पता नही बाद मे गाँव मे क्या क्या कहता फिरेगा..! और दुसरे को कोई भरोसा भी तो नही... राजु तो फिर भी घर का है...! देख ले, तु कहे तो मै गप्पु से बात कर लेती हुँ..?

रुपा: नही.. उससे अच्छा तो मै राजु के साथ ही ना कर लुँगी..!

लीला: यही तो मै भी बोल रही हुँ, तु राजु के साथ ही कर ले..! और मै तो बोल रही हुँ तु ये आज रात ही कर ले, आज शनिवार भी है, जब राजु के साथ ही करने है तो फिर किस लिये देर करना..!

रुपा: मै अब क्या कहुँ, मुझे कुछ समझ नही आ रहा..?

लीला ने दोष का असर बढने की बात कही तो रुपा का भी अब मन बदलने लगा था।

लीला: इसमे क्या समझ नही आ रहा..! वैसे भी बस कुछ देर की तो बात है..!

लीला ने रुपा पर दबाव बनाते हुवे कहा जिससे अब...

रुपा: ठीक है क्या करना होगा..?

रुपा ने अब बेमन से कहा, जिससे...

लीला: कुछ नही करना..?, बस रात मे बारह बजे तुम दोनो‌ को चौराहे पर जाकर तुम्हे अपने सारे कपङे उतारकर वही रख देने है, फिर राजु के नीचे उस पर (लण्ड पर) पिशाब करके पहले तो तुझे हाथ से उसके उसे (लण्ड को) अच्छे से धो देना है। ऐसे ही फिर राजु भी तेरे नीचे यहाँ इस पर (चुत पर) पिशाब करके इसे (चुत को) हाथ से अच्छे से धो देगा ताकी तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का दोष है वो उतर सके..!

"पर माँ राजु के साथ मै इतना सब कैसे करूँगी..? शरम नही आयेगी उसके साथ ये सब करते, नही..नही..! राजु के साथ मै ये सब नही कर सकती..? वो क्या सोचेगा..?" लीला आगे कुछ बताती रुपा दुखी सा होते हुवे बीच मे ही बोल‌ पङी जिससे....

लीला: इसमे क्या सोचेगा.. ? और सोचता है तो सोचने दे, रात के अन्धेरे मे सब हो जायेगा..! उसके बाद दोनो ऐसे ही नँगे आकर रात मे जोङे के साथ सो जाना..!

रुपा : क्या..? यहाँ आकर रातभर उसके साथ बिना कपङो के रहना भी है..?

रुपा ने अब घबराते हुवे कहा जिससे...

लीला: अरे.. तो मै तुझे कौन सा उसके साथ कुछ करने को बता रही हुँ, बस सुबह तक उसके साथ बिना कपङो के ऐसे ही रहना है..!

रुपा: पर इससे क्या होगा माँ..?

लीला: अरे..! तभी तो तेरा कब्र पर पिशाब करने का दोष दुर होगा और वो जीन्न तेरा पीछा छोङेगा...!

"कोई भी मर्द अपनी औरत को किसी दुसरे के साथ सोने देता है क्या..? कोई भी मर्द चाहेगा की उसकी औरत किसी दुसरे मर्द के समाने‌ नँगी हो और ये सब करे...?"

रुपा एकदम चुपचाप टकटकी लगाये लीला की ओर देखे जा रही थी इसलिये...

"अरे बोल ना... " लीला ने रुपा की‌ ओर देखते हुवे कहा जिससे..

रुपा: नही...

लीला: यही बताया है फकीर बाबा ने, अब तेरा पति तो उस जीन्न के वश मे है उसके साथ तु चाहे जो‌ कर, उससे उस जीन्न पर कोई असर नही होगा, मगर जब तुम किसी दुसरे मर्द के सामने ऐसे नँगी रहेगी तभी तो वो जिन्न चीढकर तेरा पीछा छोङकर जायेगा..!

रुपा अब गर्दन झुकाकर बैठ गयी और..

रुपा: पर माँ ये सब मै राजु को करने के लिये मै कैसे कहुँगी...?

रुपा ने दुखी सी होते हुवे कहा जिससे

लीला: उसकी चिँता तु छोङ दे, रात मे जाने से पहले मै उसे अपने आप समझा दुँगी, जैसा तु कहेगी वो चुपचाप बिना कुछ पुछे कर लेगा...

"देखना इसी से तेरे सारे दोष मिट जायेँगे..! अगर ये टोटका ही अच्छे से हो गया तो तुझे पहाङी वाले बाबा पर भी जाने की जरूरत नही पङेगी..!

"जा तु अब चाय बना ले तब तक मै थोङा आराम कर लेती हुँ, फिर दुध भी निकालना है..!" ये कहते हुवे लीला अब पलँग पर लेट गयी और रुपा चाय बनाने के लिये रशोई मे चली गयी।

जिस अन्दाज मे लीला ने रुपा को कब्र पर पिशाब करने का दोष व उस दोष को दुर करने के टोने टोटके के बारे मे बताया, उस पर रुपा को पुरा विश्वास आ गया था मगर राजु के साथ ये सब करने मे उसे बहुत ही अजीब लग रहा था इसलिये वो अब रशोई मे आकर चुपचाप चाय बनाने लग गयी।

दोनो माँ बेटी ने अब साथ मे ही बैठकर चाय पी, फिर लीला तो पशुओं को चारा डालने व उनका दुध निकालने मे लग गयी और रुपा घर के छोटे मोटे काम जैसे झाङु आदि निकालकर रात के खाने की तैयारी मे लग गयी। इस दौरान लीला उसे ये टोटके राजु के साथ करने के लिये समझाती भी रही जिससे रुपा भी अब राजु के साथ टोटके करने के लिये मान गयी...
Super planning by leela.
 

insotter

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खैर जैसे भी करके वो अब राजु के लण्ड को हाथ से सीधा कर उस पर मुतने की कोशिश करने लगी, मगर राजु का लण्ड था की जो अब सीधा ठहर ही नही रहा था। उत्तेजना के वश वो झटके से खा रहा था जिससे बार बार वो रुपा के हाथ से छुटकर वापस उसके पेट के समान्तर खङा हो जा रहा था। रुपा उसे हाथ से पकङकर जैसे ही उसे सीधा करके उस पर मुतने की कोशिश करती वो उसके हाथ से छुटकर बार बार सीधे हो जा रहा था जिससे रुपा का पिशाब दोनो के पैरो पर ही गिरके रह जा रहा था जिससे...

"तु आराम से खङा रह ना..?" रुपा ने उसे अब डाटते हुवे उसके लण्ड को पकङे पकङे ही कहा। रुपा का इशारा राजु को अपने लण्ड को एक जगह रखने के लिये था, मगर इसमे बेचार राजु का भी क्या कसुर जो उसका अपने लण्ड पर कुछ जोर चलता। उत्तेजना के वश वो अपने आप ही झटके खा रहा था। एक बार तो उसने इतने जोर से झटका खाया की रुपा के हाथ से छुटकर उसके लण्ड ने रुपा की चुत के मुँह पर ही ठोकर मारी और चुत का मुँह खोलकर लण्ड के सुपाङे ने सीधा चुत मे ही घुसने की कोशिश की जिससे रुपा भी तो सुबक सी उठी, मगर फिर...

"तु नीचे बैठ..!" उसने राजु से दुर हटकर वापस एक हाथ से अपनी चुत तो दुसरे हाथ से उपर अपनी चुँचियो को छुपा लिया और झुन्झलाते हुवे कहा, जिससे राजु चुपचाप नीचे बैठ गया मगर वो उकडु (जैसे लङकियाँ पिशाबा करती है) बैठा था इसलिये...

"अब ये टाँगे तो सीधी कर..!" रुपा ने अब फिर से झुँनझुलाते हुवे कहा तो राजु भी चुपचाप नीचे मिट्टी मे कुल्हे टिकाकर पैर सीधे कर दिये और रुपा उसके दोनो ओर पैर करके खङी हो गयी, मानो वो उसके लण्ड की सवारी करने की तैयारी मे हो।

रुपा अभी भी दोनो हाथो से अपनी चुत व चुँचियो को छिपाये हुवे थी, मगर राजु के लण्ड को अपने पिशाब से धोने के लिये वो अब घुटनो को मोङकर अपनी चुत को उसके लण्ड के पास लेकर आई, तो उसने अपनी चुत वाले हाथ को हटा लिया और उस हाथ से राजु के लण्ड को पकङ लिया ताकी वो उसके लण्ड को अपने पिशाब से धो सके... जिससे राजु की नजरे अब उसकी चुत पर ही जमकर रह गयी... क्योंकि घुटनो को मोङ लेने से रुपा की जाँघे खूल गयी थी और उसकी माचिस की डिबिया के समान एकदम फुली हुई चुत अब राजु को साफ नजर आ रही थी...


अपने जीवन मे राजु पहली बार नँगी चुत देख रहा था और वो भी इतने करीब से, इसलिये कुछ देर तो उसे यकिन ही हुवा की चुत ऐसी होती है, क्योंकि मुश्किल से तीन उँगल का एक चीरा भर ही थी रुपा की चुत। मानो उसने जाँघो के जोङ पर कोइ छोटा सा चीरा लगा रखा हो। राजु ने अपने दोस्त गप्पु के साथ एक बार अश्लील किताब मे लङकी की चुत को देखा था जिसमे चुत की बङी बङी फाँके थी और चुत पर कोई बाल भी नही थे। वो एकदम गोरी चिकनी थी मगर रुपा की चुत बिल्कुल भी वैसी नही थी।

हालांकि रुपा के घुटनो को मोङ लेने से उसकी जाँघे थोङा खुल गयी थी जिससे उसकी चुत की फाँके भी खुलकर थोङा अलग अलग नजर आ रही थी, नही तो उसकी चुत जाँघो के जोङ पर लगा बस एक छोटा सा चीरा भर ही थी जिस पर ज्यादा तो नही मगर फिर भी हल्के हल्के और छोटे छोटे बाल थे। उत्तेजना के वश रुपा की चुत से चाशनी की लार के जैसे पारदर्शी सा रश भी बह रहा था जिससे उसकी चुत व जाँघे गीली हो रखी थी और चाँद की रोशनी मे वो चमकती साफ नजर आ रही थी, मगर रुपा ने अब इसकी कोई परवाह नही की। उसे बस अपना ये टोटका पुरा करना था।

राजु बङी ही उत्सुकता से आँखे फाङे रुपा की चुत को देखे जा रहा था। वो अभी भी इसी भ्रम मे था की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे घुसायेगी..., मगर रुपा ने अपनी चुत को उसके लण्ड के पास ले जाकर सीधे ही उस पर मुत की धार छोङकर उसे अपने हाथ से मल मलकर धोना शुरु कर दिया। अपने लण्ड पर रुपा के गर्म गर्म पिशाब के गिरने से व उसके नर्म नाजुक हाथ के ठण्डे स्पर्श से राजु तो जैसे अब हवा मे ही उङने लगा। उसकी साँसे फुल सी गयी तो उत्तेजना व आनन्द के वश उसके मुँह से भी...

"ईश्श्..ज्.ज्जिज्जी..ईश्श्...
...ईश्श्श्...
....ईश्श्श्श.." की सुबकियाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी।


रुपा ने राजु के लण्ड को पहले तो उपर उपर से ही धोया, फिर सुपाङे की चमङी को पीछे करके उसके सुपाङे को भी बाहर निकाल लिया और चारो ओर से उसे हाथ से मल मलकर धोने लगी जिससे हल्की हल्की...

‌‌‌‌‌‌‌‌ "ईश्श्..आ्ह्
...ईश्श्श्...आ्ह्
....ईश्श्श्श....आ्ह..." की सुबकियो के साथ अपने आप ही राजु की कमर भी हरकत मे आ गयी।

उत्तेजना के वश वो अपने कुल्हे उठा उठाकर रुपा के हाथ पर धक्के से मारने लगा, मानो वो उसके हाथ को ही चोद रहा हो जिससे रुपा को राजु पर अब हँशी भी आने लगी और शरम भी। उसने राजु के चेहरे की ओर देखा, तो वो आँखे मुदे था तो उसकी साँसे जोरो से चल रही थी। उस पर क्या बीत रही है ये वो अच्छे से से जान रही थी, क्योंकि राजु के लण्ड को हाथ मे पकङकर खुद रुपा की साँसे भी उखङ सी रही थी तो उसे भी अपनी चुत मे चिँटीयाँ सी काटती महसूस हो रही थी।

धीरे धीरे राजु के‌ प्रति रुपा का भी मन अब बदल सा रहा था इसलिये उसने अब एक बार तो सोचा की वो राजु के लण्ड अपने हाथ से ठण्डा कर दे, ताकी उसकी चुत को अपने‌‌ पिशाब से धोने के समय वो शाँत रहे, मगर पता नही क्यो राजु को इस हाल मे देखकर उसे एक रोमाँच सा महसूस हो रहा था, मानो जैसे राजु को इस हाल मे देखकर उसे मजा आ रहा हो। वैसे भी उसकी टँकी तब तक खाली हो गयी थी इसलिये उसने अपनी चुत से राजु के लण्ड पर तीन चार पिशाब की छोटी छोटी पिचकारीयाँ सी तो छोङी, फिर धीरे से उठकर वो राजु से अलग हो गयी, मगर उत्तेजना व आनन्द की खुमारी मे राजु अभी भी आँखे मुँदे ऐसे ही पङे पङे लम्बी लम्बी व गहरी साँसे लेता रहा...

राजु से अलग होकर रुपा ने अब उसकी हालत देखी तो उसे राजु पर हँशी सी आई तो खुद पर शरम सी महसूस हुई, क्योंकि उसने पिशाब से राजु को जाँघो से लेकर पेट तक पुरा भीगो दिया था। अपने भाई को इस तरह अपने पिशाब से भीगोकर उसे खुद पर शरम सी आ रही थी तो पिशाब से पुरा गीला होकर भी राजु ऐसे ही एकदम नँगा अपने लण्ड को ताने पङा हुवा था जिससे उसे राजु पर हँशी भी आ रही थी। वो अब खङा नही हुवा तो...


"ह्.हो् गया्...! चल उठ जा अब..!" रुपा ने पैर से ही उसके पैर को हिलाते हुवे कहा जिससे राजु भी अब चुपचाप उठकर खङा हो गया।
Nice update bro 👍
 
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Premkumar65

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खैर उसे ये टोटका जल्दी से पुरा करके अब घर जाना था इसलिये एक नजर राजु के लण्ड को देख उसने अपनी कमर को राजु की कमर के पास ले जाकर अपने पेट को उसके पेट से सटा दिया जिससे राजु के नँगे गठीले बदन के स्पर्श के कारण रुपा के पुरे बदन मे भी अब झुरझुरी की एक लहर सी दौङ गयी। रुपा के अपने पेट को राजु के पेट से सटा देने से उसकी चुत का फुला हुवा भाग भी राजु के लण्ड से स्पर्श हो गया था जिससे अब रुपा को उसके लण्ड से निकलती गर्मी अपनी चुत पर स्पष्ट महसूस हुई, तो वही अपनी जीज्जी की चुत की तपिश को महसूस करके राजु की साँसे भी तेजी से चलनी शुरु हो गयी।


राजु को नही मालुम था की उसकी जीज्जी क्या करना चाह रही है। लीला ने उसे जो कुछ बताया था वो उसके उपर से निकल गया था। उसे बस इतना समझ आया था की यहाँ आकर उसे अपने सारे कपङे निकालकर जो कुछ उसे रुपा करने को कहेगी उसे बस वो करना है। अब राजु ने चुत लेना तो दुर, अपने जीवन मे वो किसी लङकी या औरत को‌ नँगी ही पहली बार देख रहा था, मगर इतना तो उसे मालुम‌ था की लङकी की चुत मे लण्ड डालकर उसे चोदा जाता है इसलिये रुपा के अब इस तरह अपनी चुत को उसके‌ लण्ड के पास कर लेने से उसने तो यही अन्दाजा लगाया की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे‌ लेना चाह रही है इसलिये उत्तेजना व आनन्द के साथ साथ पहली बार चुत मे अपना लण्ड घुसाने की उत्सुकता के वश अपने आप ही उसका एक हाथ अब रुपा की कमर पर आ गया..

राजु के गठीले बदन के नँगे स्पर्श व उसके एकदम तने खङे लण्ड की गर्मी अपनी चुत पर महसूस करके रुपा को भी अब एक अजीब ही अहसास हो रहा था। उसका एकदम गर्म सुलगता लण्ड रुपा को ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई जलती गर्म लोहे की सलाख उसे छु रही हो। उसके लण्ड की तपिस पाकर रुपा को अपनी चुत ही पिँघलती सी महसूस हो‌ने लगी थी जिससे अपने आप ही अब उसके साँसो की गति तेज हो गयी तो वही उसकी चुत मे भी पानी सा भर आया था इसलिये रुपा को अब खुद पर ही जोरो की शरम आने लगी। वो तुरन्त राजु से अलग हो गयी और..

"ऊह्ह्..तु थोङा नीचे तो हो..!" एक हाथ से रुपा ने राजु के कन्धे को दबाते हुवे कहा जिससे राजु अब तुरन्त अपने घुटनो को मोङकर नीचे हो गया। वो अभी भी इसी उत्सुकता मे था की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे लेना चाह रही है मगर रुपा बस उसके लण्ड को अपने पिशाब से धोकर इस टोटके को पुरा करना चाह रही थी इसलिये राजु को नीचे कर रुपा अब अपना एक हाथ नीचे उसके लण्ड पर ले आई....

राजु एकदम जङ सा हुवे खङा था, मगर अब जैसे ही रुपा ने उसके लण्ड को पकङा उसके पुरे बदन मे उत्तेजना की एक लहर सी दौङ गयी और अपनी जीज्जी के नर्म नाजुक हाथ की कोमल उँगलियों के स्पर्श से उसके मुँह से...


"ईश्श् ज्.जि्.ज्जीई..!" की एक हल्की सित्कार सी फुट पङी जिसे सुनकर रुपा को भी अब शरम सी महसुस हुई, मगर उसके एकदम तने खङे और गर्म लण्ड को हाथ मे पकङकर वो भी अब सहम सी गयी थी, क्योंकि उसका एकदम तना खङा पत्थर सा कठोर व गर्म लण्ड रुपा को सुलगता सा महसूस हो रहा था। राजु के लण्ड को पकङकर रुपा को ऐसा लगा रहा था मानो उसने कोई लोहे की गर्म सुलगती सलाख ही हाथ मे पकङ ली हो...
Super sexy update.
 
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खैर जैसे भी करके वो अब राजु के लण्ड को हाथ से सीधा कर उस पर मुतने की कोशिश करने लगी, मगर राजु का लण्ड था की जो अब सीधा ठहर ही नही रहा था। उत्तेजना के वश वो झटके से खा रहा था जिससे बार बार वो रुपा के हाथ से छुटकर वापस उसके पेट के समान्तर खङा हो जा रहा था। रुपा उसे हाथ से पकङकर जैसे ही उसे सीधा करके उस पर मुतने की कोशिश करती वो उसके हाथ से छुटकर बार बार सीधे हो जा रहा था जिससे रुपा का पिशाब दोनो के पैरो पर ही गिरके रह जा रहा था जिससे...

"तु आराम से खङा रह ना..?" रुपा ने उसे अब डाटते हुवे उसके लण्ड को पकङे पकङे ही कहा। रुपा का इशारा राजु को अपने लण्ड को एक जगह रखने के लिये था, मगर इसमे बेचार राजु का भी क्या कसुर जो उसका अपने लण्ड पर कुछ जोर चलता। उत्तेजना के वश वो अपने आप ही झटके खा रहा था। एक बार तो उसने इतने जोर से झटका खाया की रुपा के हाथ से छुटकर उसके लण्ड ने रुपा की चुत के मुँह पर ही ठोकर मारी और चुत का मुँह खोलकर लण्ड के सुपाङे ने सीधा चुत मे ही घुसने की कोशिश की जिससे रुपा भी तो सुबक सी उठी, मगर फिर...

"तु नीचे बैठ..!" उसने राजु से दुर हटकर वापस एक हाथ से अपनी चुत तो दुसरे हाथ से उपर अपनी चुँचियो को छुपा लिया और झुन्झलाते हुवे कहा, जिससे राजु चुपचाप नीचे बैठ गया मगर वो उकडु (जैसे लङकियाँ पिशाबा करती है) बैठा था इसलिये...

"अब ये टाँगे तो सीधी कर..!" रुपा ने अब फिर से झुँनझुलाते हुवे कहा तो राजु भी चुपचाप नीचे मिट्टी मे कुल्हे टिकाकर पैर सीधे कर दिये और रुपा उसके दोनो ओर पैर करके खङी हो गयी, मानो वो उसके लण्ड की सवारी करने की तैयारी मे हो।

रुपा अभी भी दोनो हाथो से अपनी चुत व चुँचियो को छिपाये हुवे थी, मगर राजु के लण्ड को अपने पिशाब से धोने के लिये वो अब घुटनो को मोङकर अपनी चुत को उसके लण्ड के पास लेकर आई, तो उसने अपनी चुत वाले हाथ को हटा लिया और उस हाथ से राजु के लण्ड को पकङ लिया ताकी वो उसके लण्ड को अपने पिशाब से धो सके... जिससे राजु की नजरे अब उसकी चुत पर ही जमकर रह गयी... क्योंकि घुटनो को मोङ लेने से रुपा की जाँघे खूल गयी थी और उसकी माचिस की डिबिया के समान एकदम फुली हुई चुत अब राजु को साफ नजर आ रही थी...


अपने जीवन मे राजु पहली बार नँगी चुत देख रहा था और वो भी इतने करीब से, इसलिये कुछ देर तो उसे यकिन ही हुवा की चुत ऐसी होती है, क्योंकि मुश्किल से तीन उँगल का एक चीरा भर ही थी रुपा की चुत। मानो उसने जाँघो के जोङ पर कोइ छोटा सा चीरा लगा रखा हो। राजु ने अपने दोस्त गप्पु के साथ एक बार अश्लील किताब मे लङकी की चुत को देखा था जिसमे चुत की बङी बङी फाँके थी और चुत पर कोई बाल भी नही थे। वो एकदम गोरी चिकनी थी मगर रुपा की चुत बिल्कुल भी वैसी नही थी।

हालांकि रुपा के घुटनो को मोङ लेने से उसकी जाँघे थोङा खुल गयी थी जिससे उसकी चुत की फाँके भी खुलकर थोङा अलग अलग नजर आ रही थी, नही तो उसकी चुत जाँघो के जोङ पर लगा बस एक छोटा सा चीरा भर ही थी जिस पर ज्यादा तो नही मगर फिर भी हल्के हल्के और छोटे छोटे बाल थे। उत्तेजना के वश रुपा की चुत से चाशनी की लार के जैसे पारदर्शी सा रश भी बह रहा था जिससे उसकी चुत व जाँघे गीली हो रखी थी और चाँद की रोशनी मे वो चमकती साफ नजर आ रही थी, मगर रुपा ने अब इसकी कोई परवाह नही की। उसे बस अपना ये टोटका पुरा करना था।

राजु बङी ही उत्सुकता से आँखे फाङे रुपा की चुत को देखे जा रहा था। वो अभी भी इसी भ्रम मे था की उसकी जीज्जी उसके लण्ड को अपनी चुत मे घुसायेगी..., मगर रुपा ने अपनी चुत को उसके लण्ड के पास ले जाकर सीधे ही उस पर मुत की धार छोङकर उसे अपने हाथ से मल मलकर धोना शुरु कर दिया। अपने लण्ड पर रुपा के गर्म गर्म पिशाब के गिरने से व उसके नर्म नाजुक हाथ के ठण्डे स्पर्श से राजु तो जैसे अब हवा मे ही उङने लगा। उसकी साँसे फुल सी गयी तो उत्तेजना व आनन्द के वश उसके मुँह से भी...

"ईश्श्..ज्.ज्जिज्जी..ईश्श्...
...ईश्श्श्...
....ईश्श्श्श.." की सुबकियाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी।


रुपा ने राजु के लण्ड को पहले तो उपर उपर से ही धोया, फिर सुपाङे की चमङी को पीछे करके उसके सुपाङे को भी बाहर निकाल लिया और चारो ओर से उसे हाथ से मल मलकर धोने लगी जिससे हल्की हल्की...

‌‌‌‌‌‌‌‌ "ईश्श्..आ्ह्
...ईश्श्श्...आ्ह्
....ईश्श्श्श....आ्ह..." की सुबकियो के साथ अपने आप ही राजु की कमर भी हरकत मे आ गयी।

उत्तेजना के वश वो अपने कुल्हे उठा उठाकर रुपा के हाथ पर धक्के से मारने लगा, मानो वो उसके हाथ को ही चोद रहा हो जिससे रुपा को राजु पर अब हँशी भी आने लगी और शरम भी। उसने राजु के चेहरे की ओर देखा, तो वो आँखे मुदे था तो उसकी साँसे जोरो से चल रही थी। उस पर क्या बीत रही है ये वो अच्छे से से जान रही थी, क्योंकि राजु के लण्ड को हाथ मे पकङकर खुद रुपा की साँसे भी उखङ सी रही थी तो उसे भी अपनी चुत मे चिँटीयाँ सी काटती महसूस हो रही थी।

धीरे धीरे राजु के‌ प्रति रुपा का भी मन अब बदल सा रहा था इसलिये उसने अब एक बार तो सोचा की वो राजु के लण्ड अपने हाथ से ठण्डा कर दे, ताकी उसकी चुत को अपने‌‌ पिशाब से धोने के समय वो शाँत रहे, मगर पता नही क्यो राजु को इस हाल मे देखकर उसे एक रोमाँच सा महसूस हो रहा था, मानो जैसे राजु को इस हाल मे देखकर उसे मजा आ रहा हो। वैसे भी उसकी टँकी तब तक खाली हो गयी थी इसलिये उसने अपनी चुत से राजु के लण्ड पर तीन चार पिशाब की छोटी छोटी पिचकारीयाँ सी तो छोङी, फिर धीरे से उठकर वो राजु से अलग हो गयी, मगर उत्तेजना व आनन्द की खुमारी मे राजु अभी भी आँखे मुँदे ऐसे ही पङे पङे लम्बी लम्बी व गहरी साँसे लेता रहा...

राजु से अलग होकर रुपा ने अब उसकी हालत देखी तो उसे राजु पर हँशी सी आई तो खुद पर शरम सी महसूस हुई, क्योंकि उसने पिशाब से राजु को जाँघो से लेकर पेट तक पुरा भीगो दिया था। अपने भाई को इस तरह अपने पिशाब से भीगोकर उसे खुद पर शरम सी आ रही थी तो पिशाब से पुरा गीला होकर भी राजु ऐसे ही एकदम नँगा अपने लण्ड को ताने पङा हुवा था जिससे उसे राजु पर हँशी भी आ रही थी। वो अब खङा नही हुवा तो...


"ह्.हो् गया्...! चल उठ जा अब..!" रुपा ने पैर से ही उसके पैर को हिलाते हुवे कहा जिससे राजु भी अब चुपचाप उठकर खङा हो गया।
Rupa ne mut diya raju ke lund par.
 
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रात मे अब लीला रशोई मे बैठकर खाना खा ही रही थी की तब तक राजु भी आ गया इसलिये रुपा ने उसे भी अब एक थाली मे‌ खाना डालकर दे दिया जिसे वो लीला की बगल मे ही नीचे बैठकर खाने लगा जिससे लीला ने उसे अब एक बार तो उपर से नीचे तक घुरकर देखा मानो जैसे उसके शरीर को देखकर वो ये जायजा ले रही हो की रुपा के साथ उससे वो जो काम करवाना चाह रही थी वो कर भी पायेगा या नही, क्योंकि कद काठी मे रुपा से हल्का था, फिर...

लीला: . आज रात तु यही सो जाना, रात मे तुझे रुपा के साथ चौराहे पर जाकर कुछ टोटके करके आने है..!

राजु: आप चले जाना ना..!, मुझे खेत पर जाना होगा, वहाँ खेतो मे आँवारा पशुओं का पुरा झुण्ड घुम रहा है, खेत मे नही सोया तो वो फसल का बहुत नुकसान कर देँगे..!

लीला: खेत मे मै चली जाऊँगी तु इसके साथ चले जाना..!

राजु: पर बुवा.. बहुत बङा झुण्ड है खेत मे घुस गया तो आपसे नही भागेगा..! डण्डा लेकर भगाना पङेगा तब जाकर भागते है, कल ही गप्पु के खेतो मे घुस गया था, खाया तो खाया बहुत सी फसल को भी खराब कर दिया..!

लीला: कोई नही वो मै देख लुँगी, तु इसके साथ चले जाना।

राजु: ठीक है तो मै आने के बाद खेत मे चला जाँऊगा, जीज्जी के साथ कब अना है..?

लीला: रात मे बारह बजे..!

राजु: क्या.... इतनी रात मे..?

लीला: हाँ तभी तो तुझे साथ मे जाना है..!

राजु: हम खाना खाकर अभी चले जाते है ना..? जीज्जी को जो करना है वो अभी कर आते है ना.! फिर मै खेत मे चला जाऊँगा..!

लीला: तुझे बोला ना रात मे बारह बजे जाना है, खेत मे मै अपने आप चली जाऊँगी, नही तो उस गप्पु को बता देती हुँ, वो अपने खेतो का भी ध्यान रख लेगा..!

"चल अब तु चुपचाप खाना खाकर सो जा रात मे मै तुम्हे अपने आप उठा दुँगी..!" लीला अब राजु की ओर देखते हुवे कहा और खाना खाकर हाथ धोने लग गयी जिससे राजु भी अब चुपचाप खाना खाकर कमरे मे जाकर सो गया।
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

RK5022

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Damn thoda fast hai kahani par scene itne erotic hai ki kya hi bolun, kahani ka concept Unique star ke kahani ki tarah lag raha hai mujhe, dekhte hai aage kya hota hai bas slow seduction jaari rehna chahiye
 
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रुपा के खाना खाने के बाद लीला व रुपा ने भी जल्दी जल्दी रशोई के काम निपटाये और सोने के लिये कमरे मे आ गयी, जहाँ पलँग पर राजु पहले से ही सोया हुवा था। रुपा व राजु पहले से ही साथ मे सोते आ रहे थे इसलिये रुपा अब उसके बगल मे ही लेट गयी और लीला ने अपने लिये अलग से चारपाई बिछा ली।

लीला को जल्दी सोने की आदत थी इसलिये कुछ‌ देर बाद ही उसे नींद लग गयी, मगर रुपा अभी भी राजु के साथ ये सब टोटके करने के ख्यालो मे ही खोई रही जिससे उसे नीँद नही आ सकी। वैसे तो लीला घङी मे अलार्म देकर भी सोई थी मगर फिर भी बारह बजे के पहले ही उसकी नीँद खुल गयी और...

"सोई नही क्या तु..?" लीला ने रुपा को जागते देखा तो पुछा।

"नही.. बस नीँद ही नही आई..!, बारह बज गये क्या..!" रुपा ने उठकर बैठते हुवे कहा।

लीला: देखती हुँ..!, और तु अब क्यो चिंता कर रही है, मैने कहा ना सब ठीक हो जायेगा, बाबा ने कहा है अगर ये आज का टोटका ही सही से हो गया तो तुझे बाकी के टोटके भी नही करने पङेँगे और देखना तु इसी महिने उम्मीद से हो जायेगी..!

लीला ने पहले तो घङी को उठाकर उसमे समय देखते हुवे कहा, फिर..

"हाँ.. बस बारह बजने वाले है इसे भी उठा ले..!" लीला देखा की राजु सोया हुवा है तो उसे उठाने के लिये कहा जिससे...

"राजु.. ओ्य् राजु.. उठ तो...!" रुपा ने अपनी बगल मे सो रहे राजु के कन्धे को हिलाकर अब दो तीन बार उसे जगाने की‌ कोशिश करते हुवे कहा तो वो भी जाग गया और...

"ऊ.ह्.क्या हुवा जीज्जी... क्यो उठा दिया सोने दो ना थोङी देर..!" राजु ने आँखे मलते हुवे कहा जिससे...

"बाद मे आकर सो जाना, पहले जो काम है वो कर आ..!" लीला ने थोङा डाटते हुवे कहा तो वो भी उठकर बैठ गया।

"चल ‌उठ जा अब इसके साथ चौराहे पर जाकर आना है तुझे..!" लीला ने कहा तो रुपा व राजु दोनो अब उठकर खङे हो गये जिससे...

"अच्छा तुम्हे पता है ना तुमने जो कपङे पहने है वो सारे कपङे तुम्हे चौराहे पर ही छोङकर आने है..?" लीला ने अब रुपा की‌ ओर देखते हुवे पुछा जिससे..

"हुँम्म्.." रुपा ने भी हामी भरते हुवे कहा।

लीला अब दोनो को कमरे से बाहर ले आई और..

"अच्छा सुन..! वहाँ चौराहे पर जाकर रुपा के साथ तुम्हे भी अपने सारे कपङे निकालकर वही छोङकर आने है, और कपङे निकालने के बाद पहले ये तेरे यहाँ पिशाब से धो देगी, फिर तुझे भी इसके यहाँ पिशाब करके हाथ से अच्छे से धोना है..!" राजु को ये सब बताने मे लीला को भी शरम सी आई, इसलिये उसने बस ऐसे ही उसे समझाते हुवे कहा जो की राजु को कुछ भी समझ नही आया। वैसे भी इन सब बातो मे वो एकदम अनाङी था इसलिये...

"क्.क्या्..क्या्.. धोना है बुवा..? उसने लीला की ओर देखते उवे पुछा जिससे शरम के मारे रुपा अब गर्दन झुकाकर खङी हो गयी मगर...

"कुछ नहीई..!, वहाँ कपङे उतारने के बाद जैसा ये करे तुझे चुपचाप बिना कुछ पुछे वैसे ही करना है..! बाकी तुझे ये वहाँ बता देगी..!" लीला ने अब उसे डाटते हुवे कहा और घर के दरवाजे को खोलकर उसने पहले तो इधर उधर देखा फिर...

"पुरा गाँव सो रहा है चलो अब तुम जल्दी से निकल जाओ..!" ये कहते हुवे वो दरवाजे पर ही रुक गयी और राजु व रुपा घर से बाहर आ गये।
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
तो अब रुपा को और राजू को चौराहे पर नंगा हो कर एक दुसरे के गुप्तांग को एक दुसरे की पेशाब से धोना हैं
बहुत ही मस्त
 
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