लीला उनका घर के दरवाजे पर ही इन्तजार कर रही थी।राजु आगे था और रुपा उसके पीछे इसलिये लीला की नजर अब राजु पर गयी तो उसकी आँखो मे एक चमक सी आ गयी, क्योंकि वैसे तो राजु एक हाथ से अपने लण्ड को छुपाये हवे था मगर उसके लण्ड का फुला हुवा सुपाङा उसके हाथ से छुपाने के बावजूद भी हल्का हल्का नजर आ रहा था जिसे देख लीला को भी अपने बदन मे अब एक बार तो सिँहरन सी महसूस हुई मगर तब तक राजु सीधे कमरे मे घुस गया इसलिये एक नजर राजु की ओर देख...
"हो गया सब ठीक से..?" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे पुछा, जिससे...
"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
"अभी कपङे नही पहनने..! रात भर तुम्हे ऐसे ही रहना है..!" लीला ने उसे अब रोकते हुवे कहा।
अभी अभी उसके व रुपा के बीच ये जो कुछ भी हुवा था उससे वो अभी तक एकदम सुन्न सा हो रखा था इसलिये वो अब चुपचाप ऐसे ही पलँग पर दुसरी ओर मुँह करके लेट गया। नँगे बदन उसे थोङी ठण्ड सी लग रही थी इसलिये उसने उपर से पास ही रखी चद्दर को ओढ लिया।
"चलो तुम दोनो अब सो जाओ..! मै खेत मे जा रही हुँ..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
"अभी इतनी रात मे..? रुपा ने टोकते हुवे पुछा।
"तो क्या हुवा..? आँवारा पशु रात को खेत मे घुसकर फसल खराब करे, इससे अच्छा मै जाकर देख तो लुँगी..!, चल तु बाहर आकर घर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर ले..!" ये कहते हुवे लीला अब कमरे से बाहर आ गयी जिससे लीला तो खेत मे चली गयी और रुपा दरवाजे की कुण्डी लगाकर वापस कमरे मे आ गयी..!
"हो गया सब ठीक से..?" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे पुछा, जिससे...
"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
"अभी कपङे नही पहनने..! रात भर तुम्हे ऐसे ही रहना है..!" लीला ने उसे अब रोकते हुवे कहा।
अभी अभी उसके व रुपा के बीच ये जो कुछ भी हुवा था उससे वो अभी तक एकदम सुन्न सा हो रखा था इसलिये वो अब चुपचाप ऐसे ही पलँग पर दुसरी ओर मुँह करके लेट गया। नँगे बदन उसे थोङी ठण्ड सी लग रही थी इसलिये उसने उपर से पास ही रखी चद्दर को ओढ लिया।
"चलो तुम दोनो अब सो जाओ..! मै खेत मे जा रही हुँ..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
"अभी इतनी रात मे..? रुपा ने टोकते हुवे पुछा।
"तो क्या हुवा..? आँवारा पशु रात को खेत मे घुसकर फसल खराब करे, इससे अच्छा मै जाकर देख तो लुँगी..!, चल तु बाहर आकर घर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर ले..!" ये कहते हुवे लीला अब कमरे से बाहर आ गयी जिससे लीला तो खेत मे चली गयी और रुपा दरवाजे की कुण्डी लगाकर वापस कमरे मे आ गयी..!