दूसरी तरफ, अगले दिन जब रजनी की नींद खुली तो उसने सबसे पहले प्राची
की तरफ देखा...वो गहरी नींद में थी...अजय तो रात को ही वापिस जा
चुका था अपने रूम में ..आज तो अजय को ऑफीस जाना था और रजनी को
उसके लिए नाश्ता बनाना था...इसलिए वो उठ गयी..अजय अभी तक सो
रहा था...वो जल्दी से नहाई धोई और उसने अजय को भी उठा दिया
ताकि वो भी नहा ले..किचन में जाकर अजय के लिए नाश्ता बनाना शुरू कर
दिया..अजय बाथरूम में घुस गया
जैसे ही वो नाश्ता बना कर हटी,पीछे से आकर अजय ने उसे पकड़
लिया...ठीक वैसे ही जैसे एक पति अपनी पत्नी को पकड़ता है...
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रजनी तो कसमसा कर रह गयी....उसके दिल की धड़कने ऐसे चलने लगी जैसे
जवानी के दिनों में ऐसा कुछ महसूस करते हुए चलती थी...एकदम
तेज..राजधानी एक्सप्रेस जैसी..
अजय के शरीर से भीनी -2 सी खुशबु आ रही थी...उसने सिर्फ़ एक टावल
लपेटा हुआ था...और कुछ भी नही...पानी की बूंदे अभी भी उसकी चिकनी
छाती से फिसल कर नीचे गिर रही थी...और बाल भी गीले थे
अजय जब नहाकर बाहर निकला तो किचन में अपनी सास की थरथराती हुई
गांड देखकर उसका ईमान फिर से डोल गया...साड़ी में उसके शरीर की
बनावट इतनी सेक्सी लग रही थी की उसका लंड खड़ा होने लगा, उसने
प्राची के रूम में जाकर देखा तो वो अभी तक गहरी नींद में सो रही
थी..खर्राटे मारकर..वो दबे पाँव वापिस आया और किचन में जाकर उसने
अपने लंड वाले हिस्से को ज़ोर से अपनी सास की उभरी हुई गांड के उपर लगा
कर अपने हाथों से उनके नंगे पेट को पकड़ लिया...
रजनी को मज़ा तो बहुत आ रहा था पर प्राची का डर भी बना हुआ
था...वो धीरे से बोली : "उफफफ्फ़....छोड़ो ना अजय...ये क्या कर रहे हो सुबह -2...''
अजय : "मैं तो वही कर रहा हूँ जो रोज सुबह करता हूँ ...''
रजनी : "मतलब ??''
अजय : "प्राची को भी मैं ऐसे ही रोज सुबह पकड़ लेता हू....जब वो मेरे लिए
नाश्ता बना रही होती है...आज वो तो सो रही है...पर उसके होने या ना
होने से मेरे रुटीन में कोई फ़र्क नही आना चाहिए ना...इसलिए मैं ऐसा कर
रहा हूँ ....''
कहते-2 अजय के दोनो हाथ उपर खिसक आए और उसने बड़े ही प्यार से अपनी
सास के दोनों खरबूजों को अपने हाथों पर उठा लिया...उनकी लटकन को
अपने हाथों का सहारा देकर रजनी की छाती का भार कम कर दिया...
और
साथ ही साथ अपनी गांड आगे की तरफ करते हुए अपने खड़े हो रहे लंड को
रजनी की गांड की दरार में फँसा कर और ज़ोर से दबा दिया...
रजनी के उपर जैसे कोई नशा सा चढ़ता जा रहा था अजय का...रात को भी
उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका था और उसने तो ये सोच भी
लिया था की जैसे ही मौका मिलेगा, वो अपने दामाद का लंड ज़रूर
लेगी...पर साथ ही साथ अपनी बेटी के रहते हुए वो कोई रिस्क भी नही
लेना चाहती थी...इसलिए गहरी साँसे लेती हुई बोली : "उम्म्म्ममम.....पर
अजय....वो ....वो प्राची....''
अजय ने उसके कानों पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा : "वो सो रही
है....खर्राटे मारकर...''
जवाब में रजनी के हाथ पीछे की तरफ आए और उसने टावल के उपर से ही अजय
के नाग को पकड़ लिया और ज़ोर से सिसकारी मारी :
"उम्म्म्मममममम.......तुम बहुत खराब हो अजय....बड़ा तरसाते हो...पता है ना
की इस वक़्त कुछ ज़्यादा नही हो सकता...फिर भी सुबह -2 ऐसे सता रहे हो मुझे...''
अजय : "वो तो पता है मुझे...पर मेरे इस दोस्त को तो नही पता ना...जो
आपकी मोटी गांड देखकर यहा खींचा चला आया...''
उसका इशारा अपने लंड की तरफ था
अजय ने पहली बार ऐसा वर्ड इस्तेमाल किया था अपनी सास के
सामने...जो शायद अब होता ही रहेगा आगे...
रजनी भी गर्म साँसे छोड़ती हुई बोली : "तुम्हे इतनी पसंद है मेरी गांड
...हम्म्म ''
अजय को तो ऐसा लगा जैसे उससे किसी एग्जाम में ऐसा एक सवाल पूछ
लिया गया है जो उसे अच्छी तरह से आता है...और जिसका जवाब तो 10
पेज का भी लिख सकता है...कुछ ऐसी ही थी रजनी की गांड भी...जिसके
उपर वो पूरी किताब लिख सकता था...पर अभी के लिए वो सिर्फ़ इतना
ही बोला : "बहुत....हद से ज़्यादा पसंद है मुझे ये ...आपकी गांड ...''
अजय ने इतना कहते हुए उनकी नर्म मुलायम गांड को ज़ोर से दबा
दिया..अपनी उंगलियाँ धंसा दी उस केक के अंदर...
और जवाब में रजनी ने एक जोरदार साँस ली और अपनी आँखे बंद करते हुए
अपना सिर पीछे किया और अजय के कंधे पर टीका दिया...और साथ ही
साथ अपना हाथ पीछे लेजाकर अजय के गीले टावल के उपर से ही उसके जोश
से भरे लंड को पकड़ कर भींच दिया...
अब सिसकने की बारी अजय की थी....ऐसा लगा अजय को जैसे उसकी जान
ही निकल जाएगी...इतनी शक्तिशाली पकड़ थी उसकी सास की,उसके लंड के उपर..
दोनो एक दूसरे से लिपटे सिसकारियाँ मार रहे थे...जैसे किचन में कुक्कर की
सीटियाँ बज रही हो ठीक वैसे ही...
रजनी के हाथ इतनी तेज़ी से उसके लंड को मसल रहे थे की उसके टावल की
गाँठ खुल गयी और वो नीचे गिर गया...उसके टावल के नीचे गिरने का
एहसास रजनी को भी हुआ और ये भी पता चल गया उसको की अब अजय
उसके पीछे मादरजात नंगा खड़ा है...
उसका खुद का दामाद..उसके साथ
...उसकी ही बेटी के घर पर...नंगा लिपटा खड़ा था उसके साथ....इस एहसास
ने तो उसके अंदर ऐसी उत्तेजना भर दी की वो अपने पंजों पर खड़ी होकर
अपनी नर्म गांड उसके लंड पर रगड़ने लगी...वो पलटना चाहती थी पर अजय ने
उसकी दोनो छातियों पर दबाव डालकर उसे जड़वत सा कर दिया...उसे
अपनी तरफ घूमने ही नही दिया...
रजनी : "उम्म्म्म अजय...छोड़ो ना प्लीज़...देखने तो दो...दिन की रोशनी में
..कैसा लगता है ये....''
अजय : "नही मेरी प्यारी सासू माँ ...ऐसे नही...इतनी जल्दी नही मिलवाने
वाला मैं आपको अपने दोस्त से...इसे तो पहले उसके साथ मिलवाना है,
जिसका ये दीवाना है...''
इतना कहते हुए अजय नीचे झुका और उसने रजनी की साड़ी और पेटीकोट
एकसाथ पकड़कर उपर उठाना शुरू कर दिया...रजनी का दिल तो धक्क से रह गया...
''नाआआ.....अजय....मत करो ना.....ऐसे क्यो कर रहे हो....''
वो अपने काँपते हुए हाथों से अपनी साड़ी को उपर होने से रोकती रह
गयी...पर अजय नही माना...और धीरे-2 करते हुए उसकी टाँगे...और फिर
मोटी ताजी जांघे अजय की आँखो के सामने उजागर हो गयी....ऐसा
सेक्सी सीन अजय ने आज तक नही देखा था...अपनी सास की थरथरती हुई
सफेद जांघे देखकर उसके लंड ने धमाल मचाना शुरू कर दिया...और जैसे ही
थोड़ा और उपर किया साड़ी को तो अजय के सामने उसके उभरे हुए तरबूज
जैसी गांड चमकने लगी...और उसने अभी भी अंदर पेंटी नही पहनी हुई थी..अंदर
से नंगी थी वो..
अजय ने सिसकारी मारते हुए अपने दोनो हाथों मे उसकी नंगी गांड को भर
लिया और ज़ोर से दबा दिया...जैसे आता गूंध रहा हो वो ,रजनी भी
सिसक उठी और अजय भी,ऐसा करते हुए दोनो के चेहरे किसी सियार की
तरह उपर की तरफ उठ गये और दोनो ने अपने-2 मुँह से लंबी सिसकारी मारकर
पूरी किचन में आग सी लगा दी..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह......ओह....अजय.........म्*म्म्मममममम''
और रजनी की सिसकारी ख़त्म होने से पहले ही अजय थोड़ा सा आगे हुआ
और उसने अपना खड़ा हुआ लंड अपनी सास की नंगी गांड के साथ चिपका
दिया....और पलक झपकते ही वो लंड उसकी भरी हुई गांड की दरारों में फँस
कर विलीन सा हो गया...
रजनी तो बदहवास सी हो गयी....क्योंकि अजय का लंड उसकी गांड के छेद
के बिल्कुल करीब दस्तक दे रहा था...उसने अपनी टांगे किसी घोड़ी की तरह
फेला कर चौड़ी कर ली ताकि अजय और अंदर घुस कर अपने लंड को सही जगह
पर पहुँचा दे...
अपनी बेटी के घर पर उसकी किचन में अपने दामाद से चुदने के ख़याल से ही
उसकी चूत मे से पानी टपकने लगा....पर अगले ही पल उसके जहन में प्राची का
चेहरा नज़र आने लगा...उसे लगा की प्राची बाहर छुपकर उनका ये खेल देख रही है....
उसने झट से अजय को पीछे धक्का दिया...और अपनी साड़ी नीचे गिरा
दी....और अजय के नंगे लंड की तरफ बिना देखे वो बोलती हुई बाहर निकल
गयी : "नही अजय....ये सही मौका नही है...यहाँ नही....ऐसे नही....''
और वो सीधा प्राची के कमरे में पहुँच गयी...जो अभी तक खर्राटे मारकर
सो रही थी.उसने उसे जाकर उठा दिया...और नहाने के लिए बोली..
पीछे बेचारा अजय अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रह गया...पूरा का पूरा
नंगा...उसकी तो समझ में नही आया की एकदम से उसकी सास को हुआ क्या
है...पर ये बात तो वो भी समझता था की जो वो करने जा रहा था उसमे
कितना रिस्क था...पूरी चुदाई या गांड मराई तो इस वक़्त संभव ही नही
थी...शायद इसलिए उसकी सास ने ऐसा किया....पर एक बात तो तो समझ
चुका था की ऐसे मौके अब अक्सर आते रहेंगे...और हर बार उसके खड़े लंड पर
धोखा नही होगा...