पर अजय भी बड़ा हरामी था...उसका लंड अभी तक रोड की तरह अकड़ा
हुआ खड़ा था...उसने भी अपने ठरकीपन की कसम खाई की आज जो भी हो
जाए वो अपनी सास के साथ मज़े लेकर ही रहेगा.
बस फिर क्या था, वो इंतजार करने लगा...एक बार फिर से प्राची के सो जाने का..
उन दोनो के जाने के काफ़ी देर तक तो अजय अपने कमरे में टहलता रहा...बार
-2 उसकी नज़र घड़ी पर जा रही थी...साढ़े ग्यारह बज चुके थे..उसका दिमाग़
इस वक़्त चाचा चौधरी से भी तेज चल रहा था..एक के बाद एक तरकीब उसके
दिमाग़ में आती जा रही थी...और वो उन सभी को साकार करने के सपने
देखता हुआ अपने लंड को रगड़ता हुआ घूम रहा था रूम में । पर इन सबके बीच
सबसे बड़ी प्राब्लम उसकी बीबी भी थी...जो उसी रूम में सो रही थी..और
वैसे भी उसकी सास ने भी अपनी तरफ से कोई पहल नही की थी..वरना
उसकी चूत के बाल पकड़कर वो उसे वापिस अपने कमरे में घसीट लाता और
चोद देता उस हुस्न से लदी औरत को..
आख़िरकार करीब 12:30 के आस पास उसने अपना इरादा पक्का कर ही
लिया और धीरे से वो अपने कमरे से बाहर निकला..पूरे घर में सन्नाटा छाया
हुआ था..अजय उनके कमरे में पहुँचा तो उसकी बीबी के खर्राटों की आवाज़
उसे सुनाई दे गयी...प्राची के ऐसे खर्राटे सॉफ दर्शाते है की वो कितनी
गहरी नींद में है..इसलिए उसकी तरफ से बेख़बर होकर वो अंदर घुस गया...पर
उसकी बदक़िस्मती तो देखो, कमरे में दाखिल होते ही साइड टेबल से उसका
पैर टकराया और उसपर रखा स्टील का ग्लास नीचे गिर गया..
पूरे कमरे का सन्नाटा भंग हो गया...प्राची के खर्राटे भी एकदम से बंद हो
गये..और अजय को उस वक़्त कुछ नही सूझा तो वो कुत्ते की तरह अपने हाथ
और पैर पर बैठ गया..बेड की आड़ लेकर..पर शुक्र था की उन दोनो में से कोई
भी उठा नही..अजय की तो फट कर हाथ में आ गयी थी..एक पल के लिए तो
उसने सोचा की वापिस चला जाए पर अगले ही पल उसके दिमाग़ में आया
की जब इतनी तेज आवाज़ से उन दोनो की नींद नही खुली तो कुछ करने के
बाद कैसे खुलेगी..इसलिए वो डॉगी स्टाइल में चलता हुआ धीरे-2 बेड के
दूसरी तरफ पहुँच गया..जहाँ उसकी सास रजनी सो रही थी.
वहां पहुँचकर उसने अपना मुँह उपर करते हुए उन दोनो के चेहरे को देखा, हल्की
रोशनी में सही से तो दिखा नही पर दोनो की आँखे बंद ही थी..उसने तो
ख़ासकर अपनी बीबी के चेहरे को घूरकर देखा क्योंकि वो सुनिश्चित कर
लेना चाहता था की वो सो रही है...और फिर अपनी सास के चेहरे को
देखा..सोते हुए वो बड़ी मासूम सी लग रही थी...चादर नीचे गिर चुकी थी,
इसलिए उसकी उठी हुई चुचियों को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया..
और
उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ आगे किया और धीरे से उनपर रख दिया.
उनकी तरफ से कोई हरकत नही हुई तो उसने अपने हाथ का शिकंजा बड़ा
दिया और अपनी उंगलियाँ अपनी सास की मक्खन जैसी चुचियों के अंदर
घुसा दी...
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़......क्या फीलिंग थी...इतनी
मुलायम....इतनी मजेदार....ऐसा लग रहा था जैसे बड़े से पानी भरे गुब्बारे को
दबा रहा हो वो..
अचानक उसकी हथेली में उसे अपनी सास का निप्पल चुभने लगा...जो
धीरे-2 खड़ा हो चुका था...अजय ने एकदम से रजनी के चेहरे की तरफ देखा..पर
वो तो गहरी नींद में सो रही थी...यानी नींद में वो उत्तेजित हो रही
थी..भले ही वो नींद में थी पर अजय के स्पर्श से उसका शरीर जवाब दे रहा था..
अजय के चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गयी, अब उसकी हिम्मत भी बढ़ चुकी
थी...उसने धीरे से अपनी सास के नाइट सूट की शर्ट का बटन खोल
दिया..एक के बाद दूसरा खोलते ही उसका आधे से ज़्यादा मुम्मा नज़र आ
गया उसे...अब वो धीरे से उपर उठा और अपनी तेज सांसो को संभालते हुए
अपने चेहरे को उन पहाड़ियों के करीब ले गया और झोंक दिया अपने पूरे चेहरे
को उनपर...और उन मुम्मों के नरमपन को महसूस करते ही उसके हाथ हरकत में आ
गये और उसने तेज़ी से दो और बटन खोल डाले..
और ऐसा करते ही उन तरबूजों को संभाल कर रखने वाला बाँध टूट गया और
दोनो बिफर कर आज़ाद हो गये..
अजय ने दोनो को हाथों में पकड़ा और
अपना मुँह खोलकर उन दोनो निप्पल्स को एक-2 करके चाटने लगा...पहले
लेफ्ट वाले को और फिर राइट वाले को...
और दूसरे को मुँह में लेते ही ना जाने उसके अंदर कौन सा जानवर जाग गया
उसने जोरों से चूस्कर उसपर अपने दाँत से काट लिया..
और यही वो मौका था जब अपने निप्पल पर इतना ख़तरनाक हमला महसूस
करते हुए रजनी की नींद खुल गयी...और उसने अपना दूध पीता हुआ दामाद
उसने रंगे हाथों पकड़ लिया...
उसके तो होश ही उड़ गये...उसने तो सोचा भी नही था की अजय ऐसी
हरकत कर सकता है...अभी कुछ देर पहले उसने जो कमरे में किया था उसे भुलाते
हुए बड़ी मुश्किल से वो सोई थी...पर उसे ये नही मालूम था की अजय की
इतनी हिम्मत हो जाएगी की अपनी बीबी के होते हुए वो वहाँ आकर उसके
निप्पल को कटोच लेगा...भले ही वो नाजायज़ संबंधो से परहेज नही करती
थी और अजय के साथ उसने थोड़ा बहुत फ्लर्ट भी किया था..पर जब वो सब
होने के बाद रजनी ने आराम से बैठकर सोचा तो उसे लगा की जो भी वो
करने जा रही थी वो ग़लत था...अपनी ही बेटी का घर वो बर्बाद नही कर
सकती..चुदवाने के लिए उसे और बहुत से लंड मिल जाएँगे,पर अजय से चुदवा कर
और वो भी इस वक़्त जब उसकी बेटी प्रेगनेंट है वो कोई ख़तरा मौल नही
लेना चाहती थी प्राची के लिए...ऐसे में अगर प्राची को उनके संबंधो के
बारे में पता चल गया तो वो अपने होने वाले बच्चे की परवाह किए बिना
अजय को छोड़कर चली जाएगी और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेगी...और
कोई भी माँ ऐसा कभी नही चाहती की ऐसे मौके में उसकी बेटी का
तलाक़ हो जब वो माँ बनने जा रही हो..
पर ये बात अजय को कौन समझाए...वो तो ठरकी सा बनकर उसके कमरे में आ
पहुँचा है...और अपनी बीबी की परवाह किए बिना वो उसके बूब्स को चूसने
में लगा हुआ था...भले ही रजनी को मज़ा आ रहा था पर फिर भी उसने
अपनी पूरी ताक़त लगा कर एक ही झटके में उसे पीछे धक्का दे दिया
और गुस्से वाले स्वर में फुसफुसाई : "ये क्या कर रहे हो अजय....होश में आओ...मैं
तुम्हारी सास हूँ ...ये सब प्राची ने देख लिया तो क्या होगा..''
और उसने जल्दी -2 अपने बटन बंद करके अपने तरबूजों को गेराज में बंद कर दिया.
अजय तो पहले से ही ये सोचकर आया था की उसकी सास भले ही उठ जाए
पर बीबी नही उठनी चाहिए..और अगर सास उठ गयी तो उसको कैसे हेंडल
करना है ये भी उसके दिमाग़ में पहले से रिकॉर्ड था.
वो बोला : "मुझसे अब रहा नही जा रहा ... जब आप अपने जीजू को खुश कर
सकती हो तो मुझे क्यो नही...मैने सब देखा था उस रात , किस तरह से उन्होने
आपकी गांड मारी थी उस कमरे में ...जैसे प्राची सो रही है इसी तरह मौसी
भी सो रही थी, पर उन्हे बेहोशी की दवा सूँघाकार मौसा जी ने आपकी
जमकर चुदाई की थी...अगर वो बात प्राची को पता चल जाए तो क्या
होगा...ये सोचा है आपने...''
रजनी का चेहरा एक दम से पीला पड़ गया...उसके तने हुए निप्पल एक पल में
ही मुरझा गये...अजय को ये सब मालूम था..उसने देखा भी था...हे भगवान
,उसने इतनी बड़ी ग़लती कैसे कर दी...अपनी ही बेटी के घर आकर अपने जीजा
से चुदवाकर वो बुरी तरह से फँस चुकी थी..इतने दिनों तक अजय शायद ऐसे ही
किसी मौके की तलाश में बैठा था..वरना अपने जीजू से चुदवाये हुए तो उसे
हफ्ते से ज़्यादा हो चुका था...बीच में तो अजय ने ऐसा कुछ नही दर्शाया
की वो सब कुछ जानता है...हाँ उसकी नज़र में कुछ बदलाव ज़रूर महसूस किए थे
उसने पर उन नज़रों को अपने शरीर पर महसूस करके उसे भी मस्ती चढ़ती
थी..पर वो मस्ती का अंत ऐसा होगा ये उसने नही सोचा था.
भले ही उसके मन में भी ऐसे जवान और हेंडसम इंसान से चुदवाने का लालच था,
पर जैसा की वो कुछ देर पहले तक अपनी बेटी के बारे में सोच रही थी उसके
बाद उसके विचार बदल चुके थे...इसलिए वो पीछे हट रही थी और अजय को
भी ऐसा करने से रोक रही थी...पर अजय तो उन बातों का इस्तेमाल करके
उसे ब्लेककमेल कर रहा था..उसकी बेटी को उसके और जीजू के अफेयर के बारे
में बताकर वो अपना रास्ता क्लियर कर रहा था.
अब कैसे समझाए वो अपने इस ठरकी दामाद को...वो तो सब कुछ सोचकर
आया हुआ था...
रजनी ने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करते हुए कहा : "उन बातों का तुमसे कोई
मतलब नही है अजय...वो मेरी लाइफ है, मैं जो भी करू तुम्हे कोई हक़ नही
पहुँचता मेरे साथ ये सब करने का..तुम चुपचाप अपने कमरे में जाओ और मुझे भी
सोने दो...''
वो दोनो बड़ी धीरे-2 और फुसफुसाकर ये सब बातें कर रहे थे..ताकि प्राची
की नींद ना खुल जाए. अजय इसके लिए भी तैयार था.
वो उठकर बाहर निकलने की एक्टिंग करते हुए बोला : "ठीक है, अगर आपको
इन बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता तो मैं कल ही किसी बहाने से ये बातें
प्राची को..पापा जी को, पूजा को...और रिया को बता दूँगा...उसके बाद
आप जानो और आपकी लाइफ...''
अजय के ऐसा बोलते ही रजनी के सिर के चारों तरफ चाँद सितारे घूमने
लगे...और उसने जाते हुए अजय का हाथ पकड़ लिया और बोली : "नही
बेटा....ऐसा मत करना प्लीज़....पर जो तुम करना चाह रहे हो वो भी तो
सही नही है ना...एक ग़लत काम को छुपाने के लिए मैं दूसरा ग़लत काम नही
करना चाहती..और इस काम से तो मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है..''
अजय झट से बेड पर बैठ गया और अपनी सास को समझाने लगा : "आप उसकी
चिंता मत करो..ये बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच ही रहेगी..और 1 पर्सेंट
प्राची को पता चल भी गया तो मैं सब संभाल लूँगा..मैं आपकी बेटी से बहुत
प्यार करता हू, उसे मैं पूरी जिंदगी छोड़ने वाला नही हूँ ..मेरा विश्वास करो..''
वो अपनी सास की जांघों को सहलाते हुए ये बातें बड़े प्यार से उन्हे समझा रहा था..
एक तो उसकी बातों का जादू और दूसरा समझाने का ये तरीका...रजनी
तो पिघलती चली गयी अपने दामाद की लच्छेदार बातें सुनकर...
वो सोचने लगी...और अजय के हाथ धीरे-2 उपर खिसकने लगे..और आग की
भट्टी के बिल्कुल करीब पहुँचकर तो उससे रहा ही नही गया और उसने अपना
पंजा आगे करते हुए अपनी सास की चूत को दबोच लिया..रजनी ने
सिसकारी मारते हुए उसकी तरफ दयनीय दृष्टि से देखा पर वो जानती थी
की अब ये मानने वाला नही है...गर्म तो वो भी हो रही थी...उसकी चूत से
निकल रही गर्मी को महसूस करके ये बात अजय अच्छी तरह से जान चुका था.
रजनी (धीरे से) : "अच्छा ..ठीक है...पर एकदम से ये सब तुम्हारे साथ करना मुझे
कुछ ठीक नही लग रहा...धीरे-2 ही आगे बढ़ना तुम...मेरे कहे अनुसार...अगर मुझे
ठीक लगता गया तो मैं तुम्हे अगली बार थोड़ा और आगे बढ़ने का मौका
दूँगी...वरना नही...''
अब ऐसी शर्त रखकर कुछ मिलने वाला तो नही था रजनी को...और ना ही
अजय रुकने वाला था ऐसी बंदिशों को सुनकर...पर फिर भी इस खेल को
धीरे-2 आगे बढ़ाने की सोचकर उसके अंदर भी रोमांच भर गया...और उसने हाँ
कर दी.
अजय : "ठीक है...जैसा आप कहो...मुझे कोई प्रॉब्लम नही है...
इतना कहकर उसने रजनी का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में चलने के लिए
कहा..पर रजनी ने मना कर दिया और बोली : "नही...जो करना है,यही कर
लो...प्राची की नींद फिर से खुल गयी तो मुश्किल हो जाएगी...एक ही
रात में दूसरी बार मुझे तुम्हारे कमरे में एकसाथ देखकर वो सब समझ जाएगी...''
प्राची का तो बहाना था, वो वहीं रुकने की बात इसलिए कर रही थी
क्योंकि वो नही चाहती थी की अजय अपनी हद से आगे बड़े ...प्राची के
होते हुए वो वैसे भी कुछ भी ज़्यादा करने से रहा ....इसलिए वो उसी कमरे मे
रुकने की ज़िद कर रही थी.
और अजय भी इतना भोंदू तो था नही जो इस बात को ना समझता...वैसे तो
उसी कमरे में रुककर कुछ मस्ती करने की बात उसे रोमांचित कर रही थी
क्योंकि अपनी पत्नी के होते हुए वो उसकी माँ के साथ जो काम करने
वाला था उसमे ख़तरा तो था पर ये ख़तरा उठाने के लिए भी वो तैयार था...
अजय मुस्कुराता हुआ वहीँ रुक गया और आगे बढ़कर उसने अपने हाथ सीधा
अपनी सास की ब्रेस्ट पर रख दिए...और उसके हाथ को महसूस करते ही रजनी
की आँखे बंद हो गयी...और वो धीरे से सिसक उठी..
उम्म्म्मममममममम...... धीरे अजय...धीरे...
पर अजय ने कभी कोई काम धीरे किया है जो आज कर देता...वो तो अपनी
सास के फूले हुए बूब्स को ज़ोर-2 से दबा कर उनमे और हवा भर रहा था...और
ऐसा करते-2 उसके हाथों ने फिर से वो बटन खोल दिए जो रजनी ने कुछ देर
पहले लगाए थे..
और इस बार रजनी चाह कर भी उसे रोकना नही चाहती थी...क्योंकि
उसकी योनि पूरी भीग कर नीचे की चादर को गीला कर रही थी.
रजनी ने अजय के हाथों को पकड़ लिया और उनपर दबाव डालकर अपनी
छातियों को और ज़ोर से दबवा लिया...
ऐसा करते हुए उसके दिल की धड़कन और तेज हो गयी जिसे अजय सॉफ महसूस
कर पा रहा था...अजय बेड के साइड में खड़ा हुआ ये सब कर रहा था...उसने
अपने लंड वाला हिस्सा धीरे-2 रजनी के कंधे पर रगड़ना शुरू कर दिया...खड़े
लंड की महक और स्पर्श इतने करीब से मिलता देखकर रजनी के अंदर की भूखी
औरत जाग उठी...उसने एक नज़र अपनी बेटी को देखा जो पहले की तरह
खर्राटे भरने लगी थी और फिर गर्दन घूमाकर अजय की तरफ की और उसके
पायजामे के उपर से ही उसने उसके खड़े हुए लंड को दांतो के बीच दबोच लिया..
''आआआआआआहह धीरे.....''
उनके दाँत सच में तेज थे काफ़ी...कपड़े को भेदकर स्किन पर महसूस हो रहे थे.
अजय ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को उनके मुँह से निकलवाया और फिर
अपना पयज़ामा नीचे करके अपना नंगा लंड उन्हे परोस दिया..
और जैसे ही वो रजनी के मुँह से टकराया,उसने बिना किसी देरी के उसे
निगल लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगी.
कुछ देर पहले तक अपनी शर्तें गिनवा रही रजनी अब बावली सी होकर अजय
के लंड को चूस रही थी.
अजय भी अपनी आँखे बंद किए अपनी सास के गर्म मुँह को अपने लंड पर महसूस
करता हुआ उनके मुम्मे दबा रहा था...
अजय तो काफ़ी देर से उत्तेजित था, इसलिए उसे देर नही लगी झड़ने में
...रजनी के तजुर्बेकार होंठों के सामने वैसे भी वो ज़्यादा देर तक टिक नही
पाया...और भरभराकर उनके मुँह के अंदर झड़ गया.
''आआआआआआआआआआहह ओह मों .................
एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... पी जाओ सारा का सारा......''
अपने दामाद की बात एक सास भला कैसे ठुकरा सकती है, उसने वो सारी
दही पी डाली.
अजय हांफता हुआ अपनी सास के उपर गिर गया...और उन्हे बिस्तर पर लिटा
कर उनके दोनो तरफ टांगे कर ली और अपने होंठों को उनके होंठों पर लगा
कर चूसने लगा.
उसे एक पल के लिए भी नहीं लगा की वो अपनी सास को चूम रहा है...ऐसा
लग रहा था जैसे वो प्राची ही है...दोनो के होंठों की नर्माहट और स्मेल
लगभग एक जैसी ही थी..पर दोनो के चूसने में काफ़ी फ़र्क था...रजनी थोड़ा
ज़्यादा ही ज़ोर से चूस रही थी...और ऐसा करना हर मर्द को अच्छा फील
करवाता है...अजय ने भी अपने आप को अपनी सास के हवाले छोड़ दिया
और वो भूखी लोमड़ी की तरह उसके होंठों को .-चूस्कर उनका रस निगल रही थी.
अजय को रजनी ने साइड की तरफ लिटा लिया, क्योंकि वो बड़ी देर से
अपना भार उनपर डालकर चड़ा हुआ था...अब अजय बीच मे था और उसके एक
तरफ प्राची और दूसरी तरफ उसकी सास थी.
प्राची दूसरी तरफ करवट लेकर सो रही थी..इसलिए उसकी तरफ से
निश्चिन्त होकर अजय अपनी सास के मुम्मों से खेलने लगा...उसने एक-2 करके
सारे बटन खोल दिए..और नीचे हाथ करके उनका पायजामा भी घुटनो तक
कर दिया...अब वो अपने हाथों को उपर से नीचे तक बिना किसी रोक-टोक
के घुमा रहा था.
उनके बड़े-2 मुम्मे ,थोड़ा बड़ा हुआ सा पेट और नीचे की तरफ बिना हलके
बालों वाली चूत की गर्मी को महसूस करते हुए अजय का लंड एक बार फिर से
तैयार हो गया.
अजय पीठ के बल लेट गया और उसकी सास के हाथ एक बार फिर से अपने
दामाद के लंड की सेवा करने लगे...अजय तो अपनी आँखे बंद करके जमाई
राजा बना हुआ सा अपनी सेवा करवा रहा था...की अचानक प्राची के
खर्राटे बंद हो गये...ऐसा तभी होता था जब उसकी नींद खुलने वाली होती
थी, दोनो की साँसे उपर की उपर रह गयी...रजनी ने फटाफट अपने कपड़े
ठीक किए और पलटकर दूसरी तरफ मुँह कर लिया...और ये काम बिजली की
तेज़ी से किया उसने...और अजय ने भी अपना खड़ा हुआ लंड फिर से पायजामे
के अंदर ठूस लिया..और ऐसा करने के अगले ही पल प्राची ने करवट ली और
अपना हाथ अजय के उपर रख दिया..वो हाथ उसकी छातियों पर आया
था...उसने कुछ टटोला और एकदम से अपनी आँखे खोल दी..और अजय को
अपनी बगल मे लेटा हुआ देखकर वो हैरान रह गयी और दबे हुए स्वर मे बोली :
"अजय !!!!!!!!!! तुम और यहा....''
अजय ने भी अपनी आँखे खोल दी और खिसियानी हँसी हँसता हुआ वो
प्राची को देखने लगा.
अजय की तो दिल की धड़कन इतनी तेज चल रही थी की उसे खुद ही सुनाई दे
रही थी...बस वो किसी तरह अपनी घबराहट को अपने चेहरे पर नही आने दे
रहा था..
प्राची उसे कुछ देर तक तो एकटक देखती रही और फिर उसके चेहरे पर एक
शरारती मुस्कान आ गयी और वो धीरे से फुसफुसाई : "निन्नी नही आ रही
थी ना मेरे गन्दू को मेरे बिना....हम्म्म्म ...''
और इतना कहकर वो झुकी और उसने एक गीली सी किस्सस कर दी अजय के
चेहरे पर.
अजय ने कुछ राहत की साँस ली...और अपने आप को संभालकर बोला : "हाँ
मेरी जान....तुम तो जानती हो की तुम्हारे बिना मैं एक रात भी नही रह
सकता....और डॉक्टर ने तो ना जाने कितने महीने का परहेज बता दिया
है...''
प्राची हंस दी और बोली : "मुझे पता था, इस बात का सबसे ज़्यादा दुख
आपको ही होगा...पर डोंट वरी डार्लिंग,उसका भी कोई ना कोई जुगाड़
निकाल ही लेंगे...सिर्फ़ एक ही रास्ता तो बंद हुआ है...बाकी के तो खुले
है...''
इतना कहते हुए प्राची का दाँया हाथ अजय के लंड की तरफ सरक गया....
उसके उफान मारते हुए लंड को उसने एक ही झटके मे पकड़कर नींबू की तरह
निचोड़ दिया..
''आआआआआआआआआअहह धीरे करो....धीरे....''
प्राची : "ओहो.....तो जनाब पूरे तैयार होकर आए हो....मेरी मेहनत बच गयी
वरना तुम्हारा लंड चूसकर इसको उठाना पड़ता....''
अजय का डिल धक् से रह गया...क्योंकि वो जानता था की वो जो भी
बातें कर रहे हैं,वो उसकी सास सुन रही होगी..
अब प्राची बेचारी को कौन समझाए की ये उसकी वजह से नहीं बल्कि माँ
की मेहनत की वजह से खड़ा हुआ है
अजय : "सुनो ना....चलो दूसरे रूम में चलते हैं.....यहा माँ सो रही है तुम्हारी...''
प्राची : "अच्छा जी....जब तुम अपने आप आए थे तो माँ की चिंता नही
थी...अब क्यों डर रहे हो...यही लेटे रहो चुपचाप....मैं भी तो देखूँ की अपनी
सास के रहते हुए तुम्हारे लंड में वो कड़कपन रहता है या नही...जो होना
चाहिए..वैसे भी बुड्ढी एक बार सो जाए तो सुबह से पहले उठने वाली नही
है...तुम फ़िक्र मत करो.''
अजय के साथ-2 रजनी भी अपनी बेटी के मुँह से अपने लिए ऐसी बात सुनकर
हैरान रह गयी ...क्योंकि आज से पहले प्राची ने इस तरह से कभी सम्बोधित
नही किया था अपनी माँ को.
अजय : "ये क्या बोल रही हो...थोड़ी तमीज़ से बोलो, आख़िर तुम्हारी माँ है ये...''
अजय तो अपनी तरफ से इसलिए अपनी सास की तरफ से बोल रहा था
क्योंकि उसे तो लेनी थी उसकी बाद में , ऐसे में अपनी बीबी के साथ
मिलकर वो भी अगर उसे बेइज्जत करने लगता तो बाद मे उसकी चूत मारनी
मुश्किल हो जाती..
प्राची : "ओहो....देखो तो ....अपनी सास के लिए कितना प्यार उमड़ रहा है
मेरे राजा के दिल मे...कही इनके उपर बुरी नज़र तो नही है ना तुम्हारे लंड
की....हैं....बोलो ....ही ही....''
बेचारे अजय का चेहरा लाल सा हो गया, आज पता नही हुआ क्या था
प्राची को, ऐसी बातें उसने आज से पहले कभी नही की थी...और आज कर
भी रही थी तो अपनी सोती हुई माँ के सामने, जो असल में जाग रही थी...
अजय : "न .... नही तो....ये कैसा सवाल है....तुम भी ना....''
प्राची भी मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी...वैसे भी सोने से पहले उसकी चूत में
काफ़ी खुजली हो रही थी...पर अपनी माँ के होते हुए उसने बड़ी मुश्किल से
उस खुजली को रोका था...इसलिए उसे आज अपनी लाइफ मे पहली बार
अपनी माँ के उपर गुस्सा आ रहा था जो उसकी देखभाल का बहाना करके
उसके पास सो रही थी आज की रात.....
अब आधी रात के समय अजय को अपने बिस्तर पर पाकर प्राची की चूत फिर
से कुलबुलाने लगी..पर डॉक्टर की हिदायत भी उसे याद थी, इसलिए उसने
अब तक रोका हुआ था अपने आप को...वरना अजय के कड़क लंड पर हाथ
लगाने के बाद एक सेकेंड की देरी किए बिना वो उसपर सवार हो चुकी होती...
और अब अजय को अपनी माँ की वजह से ऐसे शरमाता हुआ देखकर उसे बड़ा
मज़ा आ रहा था...
प्राची : "अच्छा , लेकिन ऐसा हो जाए तो पता भी नही चलेगा, देखो तो
ज़रा,मेरी माँ को....उनके बदन को देखकर लगता ही नही है की ये नानी बनने
वाली हैं...''
प्राची का इशारा अपनी माँ की उभरी हुई गांड की तरफ था...और उसके
उपर उनकी लहलराती हुई कमर का कटाव भी बड़ा कातिल लग रहा था इस वक़्त...
आज से पहले प्राची हमेशा से अजय को इधर-उधर मुँह मारने से रोकती
थी...और आज ना जाने क्यो खुद ही अपनी माँ के बदन की तारीफ करके
उसके खड़े हुए लंड में और कड़कपन भर रही थी...
पर वो जो भी कर रही थी अपनी मस्ती के लिए ही....वरना उसे भी पता
था की अपने पति को ऐसी छूट देकर उसका ही नुकसान होगा.
रजनी भी अपना दम साधे दूसरी तरफ मुँह करके अपनी बेटी के मुँह से ऐसी
बातें सुनकर हैरान थी....आज से पहले उसने कोई भी गंदी बात नही सुनी थी
उसके मुँह से...पर आज वो बड़ी आसानी से लंड , चूत और चुदाई की बातें कर
रही थी...और साथ ही साथ उसके बदन की तारीफ भी,अपने पति के सामने,
ये बात रजनी को भी हजम नही हो रही थी.
प्राची के हाथ में अभी तक अजय का लंड था....उसने अजय के पायजामे को
नीचे खिसका दिया और उसके नंगे लंड को पकड़ लिया.
वो अभी तक थोड़ा सा गीला था...रजनी कुछ देर पहले तक तो उसको चूस
रही थी,उसकी वजह से..
प्राची को लगा की शायद अंदर रहने की वजह से उसे पसीना आ गया है...वो
बड़े आराम से उसके लंड को मसलकर उसकी नमीं का एहसास लेती रही और
फिर धीरे से नीचे की तरफ खिसक कर उसने अजय के लंड को मुँह मे भर
लिया...5 मिनट पहले जिस लंड को अजय की सास चूस रही थी वही लंड अब
उसकी बेटी यानी अजय की पत्नी चूस रही थी..
और दोनो के होंठों का दबाव लगभग एक समान ही था...उनकी नर्माहट
और सकिंग करने की शक्ति भी लगभग एक जैसी ही थी...जैसी माँ ....वैसी बेटी.
अजय ने एक हाथ प्राची के चेहरे पर रख दिया और उसके लंबे बालों को
सहलाने लगा...और दबाव डालकर अपने लंड को और अंदर घुसाने लगा उसके मुँह में .
ऐसा करते हुए वो जान बूझकर अपने मुँह से ऐसी आवाज़ें निकाल रहा था
ताकि उसकी सास समझ जाए की उस बिस्तर पर क्या शुरू हो चुका है...अब
रजनी भी इतनी बुद्धू नही थी जो ये ना समझ सकती...अजय की
सिसकारियाँ बता रही थी की उसके लंड को प्राची इस वक़्त कितनी
निर्दयता से चूस रही है...ऐसी आवाज़ें निकाल कर अजय अपनी सास को
भी उत्तेजित कर देना चाहता था...ताकि अगला मौका मिलते ही वो
अपनी चूत लेकर खुद उसके सामने पहुँच जाए...
और तभी अजय के दिमाग़ मे एक आइडिया आया....उसने प्राची के बालों
को फेलाकर उसके चेहरे को पूरा ढक दिया ताकि उसे पीछे की तरफ का कुछ
दिखाई ना दे...और फिर अगले ही पल उसने अपना दूसरा हाथ अपनी सास
की तरफ बड़ा दिया और उसे आगे की तरफ लेजाकर उनकी मोटी ब्रेस्ट को
दबाने लगा...
रजनी भी एकदम से अपने दामाद के हाथ को अपनी छातियाँ मसलते देखकर
चोंक गयी...वो एकदम से पलटी और अपनी आश्चर्यचकित आँखो से अजय को
देखा और फिर प्राची को जो किसी पालतू कुतिया की तरह अजय के लंड
को चूस रही थी...
रजनी का चेहरा लाल हो उठा...ये पहली बार था जब वो किसी और का
लाईव सेक्स शो इतनी करीब से देख रही थी...शर्म भी आ रही थी उसको
क्योंकि वो उसकी खुद की ही बेटी थी जो अपने पति का लंड चूस रही थी
इस वक़्त...और उत्तेजना के मारे वो मना भी नही कर रही थी अजय को,
उसके हाथ को...बस उन दोनो को एकटक होकर निहारती रही ....बिना कुछ बोले...
दूसरी तरफ अपनी काली घटाओं की आढ़ में प्राची तो दीन-दुनिया से
बेख़बर होकर अपने पति की सेवा कर रही थी..अपना पत्नी धर्म निभा रही
थी...और साथ ही साथ अपनी चूत को अपने हाथ से मसल कर अपनी खुजली
भी मिटा रही थी...
उसे तो पता भी नही था की उसका पति इस वक़्त डबल गेम खेल रहा है....एक
तरफ अपना लंड उसके मुँह में देकर दूसरी तरफ उसकी माँ के मुम्मे दबा कर उसे
भी मस्ती में सराबोर कर रहा है.
और ऐसा करते हुए अजय भी काफ़ी सावधान था...उसकी पेनी नज़र प्राची
पर ही थी और उसके हाथ का दबाव उसके सिर पर ताकि एकदम से वो पलट
ना जाए...ऐसा करते ही उसने अपनी सास के उपर से हाथ हटा लेना था...पर
वो नही जानता था की उसके छाती मर्दन का क्या असर हो रहा है इस
वक़्त रजनी पर...
रजनी कुछ देर तक तो बेड पर मचलती रही फिर उसने अपना उपर का बटन एक
बार फिर से खोला और अजय के हाथ को पकड़कर अंदर धकेल दिया...अजय के
मुँह से जो आवाज़ें लंड चुसाई की वजह से निकल रही थी उनमे और बढ़ोतरी
हो गयी,अपनी सास के नंगे मुम्मो को महसूस करके...उसके सुलग रहे बुलेट जैसे
निप्पल्स पर हाथ रखकर...उन्हे मसलकर...मन तो उसका कर रहा था की दूसरी
तरफ झुके और उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चबा जाए...पर इस वक़्त ऐसा
करना संभव नही था....पर जो भी इस वक़्त हो रहा था उससे उसे और उसकी
सास को एक अलग ही तरह का रोमांच प्राप्त हो रहा था....जिसे बयान
करना मुश्किल था.
अचानक प्राची ने अपने सिर को पीछे करना चाहा...अजय ने भी अपने हाथ
का दबाव कम करने से पहले अपना हाथ अपनी सास की छातियों से वापिस
खींच लिया...रजनी भी तेज़ी से वापिस दूसरी तरफ पलट कर सो गयी...पर
जल्दबाज़ी मे अपने बटन बंद नही कर पाई....
अब वो दूसरी तरफ मुँह करके लेटी थी पर उसकी छातियाँ उसके नाइट सूट से
बाहर निकल कर लटक रही थी.ऐसे में अगर प्राची घूमकर उनकी तरफ चली
जाती तो सारा खेल बिगड़ जाना था.
खैर,प्राची ने ऐसा कुछ नही किया...अब तो वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी
थी...अपने पति के लंड को स्टील रोड जैसा कर दिया था उसने चूसकर ...और
अपनी चूत में आग सी लगा थी थी उसे मसलकर....अब तो उसे ये भी याद नही
था की उसकी माँ भी उसी पलंग पर सो रही है जिसपर वो चुदने की तैयारी
कर रही है...
वो झट से उछलकर बैठी और अपनी टी शर्ट को उसने उतार दिया...और अगले
ही पल आनी ब्रा को भी...क्योंकि उसे अच्छी तरह से पता था की अजय
को बूब्स चूसना कितना पसंद है...फिर वो उठी और अपने पयज़ामे को भी
उतार दिया, और हमेशा की तरह उसने आज भी पेंटी नही पहनी हुई थी...
अब वो पूरी नंगी थी अजय के सामने.
और हल्की रोशनी मे उसका दूधिया बदन कमाल का लग रहा था.
अजय ने भी अपना पायजामा नीचे खिसका दिया...और प्राची उसकी
गोद में दोनो तरफ लातें करके बैठ गयी...उसके पेट पर उसकी चूत वाला
हिस्सा था...और वहां से मिल रही गर्मी से अजय के पेट पर हल्के फुल्के से जो
बाल थे वो झुलस कर रह गये...गीले से हो गये वहां से निकल रहे गर्म पानी से...
अजय ने उसकी कमर मे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और उसकी उभरी हुई
ब्रेस्ट को मुँह मे लेकर किसी अबोध बालक की तरह उसके चुचूक चूसने लगा..
प्राची ने उसके सिर के बालों को ज़ोर से पकड़कर और ज़ोर से उसे अपने अंदर
घुसा लिया और चिल्लाई : "सक्क मी बैबी....पी ले मम्मा का सारा दूधु...''
अजय ऐसी बातें सुनकर ज़्यादा उत्तेजित हो जाया करता था जिसमे
प्राची कोई रोल प्ले करती थी...इस वक़्त वो प्राची का बेटा बनकर
उसका दूध पी रहा था..
प्राची : "उम्म्म्म......बस कुछ महीने के बाद इस दूध का असली हक़दार आ
जाएगा....''
अजय ने अपना मुँह बाहर निकाला और बड़े प्यार से बोला : "एक तरफ से उसे
पिलाना,और दूसरी तरफ से मुझे....मैं नही मानने वाला बिना पिए....''
प्राची उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी...
और बगल मे अपनी आँखे मूंद कर लेटी हुई रजनी के निप्पल्स में भी तरंगे सी उठने
लगी....काश इस वक़्त अजय उसका दूध भी पी सकता....और उन तरंगो को
चबाकर ख़त्म कर सकता...
अजय ने बड़ी चालाकी से प्राची को अपनी तरफ पूरा चिपका लिया...और
एक बार फिर से अपने दूसरे हाथ को अपनी सास की तरफ ले गया...और
सीधा लेजाकर उनकी ब्रेस्ट को फिर से मसलने लगा...
रजनी मन ही मन बुदबुदाई 'शुक्र है, मेरी याद तो आई इसको...'
और फिर वैसी ही सीधी हो गयी और अपनी उभरी हुई छातियों को अपने
दामाद के हवाले कर के उसी मर्दन का आनंद उठाने लगी जो कुछ देर पहले तक
अजय उसे दे रहा था.
अजय का मुँह तो अपनी बीबी की ब्रेस्ट पर चल रहा था पर असली मज़ा उसे
अपने हाथों के थ्रू ही मिल रहा था जिनमे उसकी सास की ब्रेस्ट थी इस
वक़्त....उसे वो कहावत याद आ गयी, 'पाँचो उंगलियाँ घी में और मुँह कड़ाई
मे'..कुछ ऐसा ही हाल था इस वक़्त अजय का भी...
प्राची की चूत की खुजली बढ़ने लगी और वो धीरे-2 खिसक कर अजय के लंड
की तरफ जाने लगी...अजय को भी जब ये एहसास हुआ तो उसने उसे रोक
दिया...और बड़े ही प्यार से बोला : "बैबी....डॉक्टर ने अभी कुछ हफ्तों के
लिए बिल्कुल मना किया है....प्लीज़...कुछ दिन रुक जाओ बस...अभी तुमने
ही कहा था ना की दूसरे भी तरीके है...''
प्राची को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...पर शायद उसपर चुदासी चढ़
गयी थी इसलिए वो उसमे बहकति चली गयी ...पर अजय के समझाने पर वो
मान भी गयी....वो नीचे झुकी और उसने अजय को चूम लिया...अजय का
हाथ तब तक रजनी की छातियों से वापिस आ चुका था...और वो एक बार
फिर से दूसरी तरफ चेहरा करके लेट चुकी थी....
अजय ने प्राची को नीचे लिटाया और खुद उसके साइड में घुटनो के बल खड़ा
हो गया...
उसका लंबा लॅंड अब प्राची के चेहरे के सामने लहरा रहा था...पहले तो उसने
सोचा की 69 करके दोनो एक साथ मज़े ले लेते हैं, पर फिर कुछ सोचकर उसने
वो करना भी ठीक नही समझा..और अपना लंड नीचे करके प्राची के मुँह में
डाल दिया...उसने भी बड़ी व्याकुलता से उसे पकड़ कर निगल लिया....और
अजय ने अपने लंबे हाथों का इस्तेमाल करते हुए अपने हाथ की उंगलियाँ
उसकी चूत के अंदर दाखिल कर दी....वहां से निकल रहा गरमा गरम पानी
अजय को ऐसा लगा जैसे उबलता हुआ लावा हो...उसकी उंगलियाँ गरमा
सी गयी...पर फिर भी उसने अपनी बीच की तीन उंगलियाँ उसकी चूत के
अंदर उतार दी और फिर अपना अंगूठा भी अंदर डालकर उसकी क्लिट को
पकड़ा और उसे सहलाने लगा...
ऐसा करते ही प्राची का बदन अकड़ने सा लगा....उसने कमान की तरह अपनी
कमर हवा मे उठा ली और अजय के लंड को और ज़ोर-2 से चूसने लगी...
अजय भी अपनी उंगलियों का जादू उसकी चूत में दिखाने लगा...तेज़ी से
अंदर बाहर करता हुआ वो अपनी सास को ही देखे जा रहा था....जो बड़ी
तेज़ी से साँस लेती हुई अपने आप को नियंत्रित करके लेटी हुई थी.
अचानक प्राची का बदन पूरा अकड़ गया और फिर अगले ही पल वो
भरभराती हुई झड़ने लगी....
अजय का लंड था उसके मुँह में इसलिए सिर्फ़ गु-गु की आवाज़ें निकल कर रह
गयी....
और धीरे-2 उसकी गांड ने बेड पर लेंड कर दिया.
अजय ने उसके सेक्सी से चेहरे को देखकते हुए अपना लंड बाहर निकाला...और
अपने हाथों से हिलाने लगा....
और अगले ही पल वो अपने लंड से सफेद पानी उसके चेहरे पर स्प्रे करने लगा....
और जान बूझकर उसने एक -2 मोटी पिचकारियाँ अपनी सास की तरफ भी
छोड़ दी....जो सीधा उनके गालों पर जाकर गिरी...
प्राची तो अजय के माल को अपने चेहरे और छाती पर महसूस करके पगला सी
गयी...और उसकी बूँद-2 को अपनी उंगलियों से समेटकर निगल गयी...
पर अजय की नज़रें तो उसकी सास की तरफ थी...जो कुछ देर तक तो बिना
हीले लेटी रही पर फिर धीरे से अपना हाथ अपने गालों तक लेजाकर वहाँ
पड़ी मलाई को अपनी उंगलियों से समेटा और अपने मुँह में लेजाकर निगल गयी..
आआआआआहह कितना मजेदार स्वाद था अजय के माल का....काश वो पूरा
का पूरा निगल पाती ..और इस वक़्त र बेटी से किसी सौतन
जैसी ईर्ष्या हो रही थी....
अजय भी अपनी सास के द्वारा अपने माल को निगलता देखकर यही सोच
रहा था की अब जल्द ही ऐसा दिन आएगा जब इस माल को पूरा उसकी
सास निगलेगी...
और ये वक़्त जल्द ही आने वाला था