अपडेट -87
इंस्पेक्टर काम्या और बहादुर जब तक घटना स्थल पे पहुंचते, सुबह कि पहली किरण चारों तरफ फैली हुई थी.
"मैडम.....ये....ये..तो किसी आदमी कि लाश है सर कटी लाश " बहादुर ने निरक्षण कर बताया.
काम्या भी नजदीक गई " खबर तो ठीक ही थी, लेकीन ये दूसरी क़ब्र क्यों खुदी हुई है? लाश तो एक ही है "
ये प्रश्न वहाँ मौजूद सभी के दिमाग़ मे कोंध रहा था.
"मममममम.....मैडम मैंने इस आदमी के कपड़े कहीं देखे है " अचानक ही रामलखन के दिमाग़ मे कुछ उपजा.
"कौन है ये? कहाँ देखे है?" काम्या का दिल भी कोतुहाल से धाड़ धाड़ कर रहा था.
"ये...ये....ठाकुर साहेब को लाश है मैडम, मै जब उन्हें रंगा बिल्ला के अड्डे से ले के निकला था तब भी उन्होंने यहीं कपड़े पहने थे " रामलखन ने खुलासा कर दिया.
काम्या का दिमाग़ सकते मे आ गया था,क्यूंकि अभी तक ठकुराइन कामवती कि भी कोई खबर नहीं थी " कहीं...ये दूसरी कब्र कामवती के लिए तो नहीं थी " काम्या ने शक जाहिर किया
"लेकीन मैडम ये तो खाली पड़ी है,इस कब्र को तो सिर्फ खोद के छोड़ दिया गया,जैसे किसी के लिए खोदी तो थी लेकीन इसमे लाश दबाई ही नहीं,ठाकुर साहेब कि कब्र उबाड़ खबड़ पड़ी है " बहादुर ने भी अपना दिमाग़ दौड़ाया.
"जरूर कोई बहुत बड़ी गड़बड़ चल रही है यहाँ,हमें तुरंत विषरूप ठाकुर कि हवेली पे जाना होगा "
बहादुर ने तुरंत ही जीप स्टार्ट कि " रामलखन तुम ठाकुर साहेब कि लाश को लाने का प्रबंध करो हम देख के आते है आखिर माजरा क्या है "
बहादुर ने जीप हवेली कि तरफ दौड़ा दि.
काम्या बेचैन थी,उसे लगा था रंगा बिल्ला के खात्मे के साथ सब सही हो गया है लेकिन ठाकुर कि मौत ने सब बिगाड़ के रख दिया.
ठाकुर कि हवेली अभी दूर थी लेकीन रूपवती कि हवेली मे अभी भी सभी चिंता मे डूबे हुए थे
घुड़वती के आगमन से जहाँ सभी खुश थे,वही रूपवती कि चिंता उसे खाई जा रही थी
"आप व्यर्थ ही चिंता कर रही है ठकुराइन हम दोनों है ना सर्पटा और ज़ालिम सिंह का सामना कर लेंगे " घुड़वती ने रूपवती को समझाया.
"तुम लोग समझते क्यों नहीं हो मै अपने भाई को खो चुकी हूँ,अब तुम.लोग ही मेरा परिवार हो अब और किसी को नहीं खोना चाहती " रूपवती जरुरत के सामान समेट रही थी.
कामवती और नागेंद्र असहाय थे,उनके तो सबकुछ समझ से परे थे हालांकि वो लोग भी यहाँ से भाग निकलने के ही विचार मे थे.
वीरा :- हमने भागना नहीं सीखा ठकुराइन,यहाँ किसी कि मौत नहीं होंगी,मरेंगे तो सिर्फ वो दोनों, इन बाजुओं मे अभी भी वो ताकत है कि उन दोनों को अकेले धाराशाई कर दूंगा,वीरा ने अपनी बाजुए फाड़काई.
घुड़वती :- भाई सही कह रहे है, सर्पटा कि मौत मेरे हाथ ही लिखी है ठकुराइन
नागेंद्र :- तुम लोग समझते क्यों नहीं आज अमावस्या का दिन है, आज रात उनकी शक्ति प्रबल होंगी.
नागमणि भी उनके पास है कैसे सामना करेंगे हम लोग?
नागेंद्र कि चिंता व्यर्थ नहीं थी.
वीरा :- तो क्या मंगूस कि मौत को बर्बाद हो जाने दें, ठकुराइन क्या आपको गुस्सा नहीं आ रहा, क्या आप अपने भाई कि मौत का बदला नहीं लेना चाहती.
रूपवती:- चाहती हूँ.....रूपवती चिल्ला उठी...."लेकीन वीरा तुम्हारी मौत के बदले मै बदला लेना नहीं चाहती, भाई को खो दिया है तुम जैसा दोस्त,कामवती जैसी बहन को कहना नहीं चाहती, वैसे ही मेरे लालच मे सब ख़त्म कर दिया मेरा परिवार ख़त्म हो गया..रूपवती फफ़क़ फफ़क़ के रो पड़ी....
"मेरी कुरूप काया ही मेरा भाग्य है,मेरे प्यारे भाई कि मौत का कारण "
मंगूस कि मौत ने रूपवती को तोड़ के रख दिया था.
नगेन्द्र :- नहीं ठकुराइन इस बार आप गलत है,कोई इच्छा रखना गलत नहीं हो सकता, आपके साथ गलत हुआ,पक्षपात हुआ.
आखिर स्त्री का सौंदर्य ही सब कुछ नहीं होता.
आप चिंता ना करे अब चाहे जो हो जाये हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी, मेरा दिन कहता है नागमणि मेरे पास ही होंगी.
आपकी कुरूप काया को भी मै ही हर लूँगा.
नागेंद्र सरसराता हुआ रूपवती के पेट से होता हुआ सीने पे जा लिपटा.
ना जाने नागेंद्र के स्पर्श ने ऐसा क्या अहसास था,रूपवती के आँसू थमने लगे, एक आत्माविश्वास जागने लगा.
रूपवती :- तुम ठीक कहते हो नागेंद्र,वीरा हम ऐसे नहीं जा सकते ये गांव हमारा है,ये हवेली हमारी है
सभी लोग आत्मविश्वास से भरे थे.
नागेंद्र :- जो काम ताकत नहीं कर सकती वो बुद्धि करती है मेरे पास एक योजना है, सुनिए.अमावस्या कि रात का अंधेरा ही हमारे लिए वरदान है.....फुस.....गुस्स्सस्स्स.....फुसससस.....
नागेंद्र कुछ फुसफुसाने लगा.
उसकी योजना सुन सभी के चेहरे पे मुस्कान तैर गई.
घुड़वती :- वाह नागेंद्र क्या बात है.....अब देखते है सर्पटा कैसे बचता है.
योजना तैयार थी इंतज़ार था तो सर्फ रात का
परन्तु काम्या को इंतज़ार नहीं था उनकी जीप विषरूप हवेली के बाहर खड़ी थी.
"ठक....ठक......ठाक.....कोई है " बहादुर ने जोर से दरवाजा खड़काया.
परन्तु नतीजा शून्य
फिर थकठाकया.....नतीजा कुछ नहीं.
"कहाँ मर गए सब...ठाकुर के आदमी भी नहीं दिख रहे " काम्या ने कदम अंदर कि तरफ बड़ा दिये.
जैसे ही आंगन मे पहुंची उसका कलेजा कांप गया,बहादुर को तो उल्टी ही आ गई.
सामने ही हवन कुंड मे ठाकुर का काटा हुआ सर अर्ध जली हालत मे पड़ा था.
काम्या ये दृश्य देख सकते मे आ गई " हे भगवान क्या हुआ है यहाँ " काम्या तुरंत दौड़ती हुई सभी कमरों के चक्कर लगा आई कोई नहीं था हवेली मे.
"कहाँ गए सब के सब....? इस वक़्त सबसे बड़ा सवाल ही यहीं था जिसका कोई जवाब नहीं था.
काम्या और बहादुर तुरंत ही हवेली से बाहर निकले,काम्या को किसी बड़ी अनहोनी कि आशंका ने घेर लिया था.
बाहर निकलते ही आस पास पूछताछ करने पे कोई नतीजा सामने नहीं आया.
सूरज सर पे चढ़ आया था.....
"क्या हुआ इंस्पेक्टर साहेब किसे ढूंढ़ रहे है " भीड़ जमा हो चुकी थी,ठाकुर कि मौत कि खबर पुरे गांव मे फ़ैल गई थी
काम्या अभी कुछ बोलती ही कि "बेचारी ठकुराइन रूपवती को तो पता भी नहीं होगा कि वो विधवा हो गई " भीड़ मे से कुछ आवाज़ आई.
चौंकने कि बारी काम्या कि थी रूपवती? कौन रूपवती? " ऐ तुम इधर आओ
भीड़ मे से एक बूढ़ी महिलाओ निकल के बाहर आई " कहिए साहब "
"रूपवती कौन है?" काम्या ने पूछा.
"ठाकुर साहेब कि पहली बीवी,घुड़पुर घराने कि राजकुमारी है हमारी ठकुराइन, बेचारी किस्मत कि मारी " महिला रूआसी हो गई.
"माता जी इन सब का वक़्त नहीं है, कामवती भी लापता है, कहाँ मिलेगी रूपवती?" काम्या ने दनादन सवाल दाग़ दिये
क्यूंकि उसकी खुराफ़ात बुद्धि कहती थी कि दोनों ठकुराइन को जान का खतरा है.
"और कहाँ मिलेगी अभागी अपनी हवेली पे ही होंगी,घुड़पुर मे " महिला ने बोला
"कहाँ है घुड़पुर "
"दूर है साहेब यहाँ से, विषरूप के जंगल के पार "
"चल बहादुर रात होने से पहले पहुंचना होगा हमें " काम्या तुरंत जीप मे सवार हो गई
अब किसी कि मौत बर्दाश्त नहीं होगी मुझे,तेज़ चला बहादुर
जीप भरभरा के घुड़पुर कि तरफ दौड़ पड़ी.....रास्ते मे पड़ता था विषरूप का जंगल जहाँ एकजुट हो चुके थे सर्पटा और ठाकुर ज़ालिम सिंह.
सभी कि मंजिल थी घुड़पुर रूपवती कि हवेली.
देखना था पहले कौन पहुंचेगा?
क्या नागेंद्र कि योजना उसको विजय दिलाएगी?
काम्या क्या कर पायेगी?
बने रहिये कथा जारी है