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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


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बहुत ही सुंदर गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
भुरी काकी को रामू बिल्लू और कालू के बडे बडे लंड का चस्का लग गया है उसका दिल है की मानता नहीं
और ठाकूर तो साला नल्ला हैं
ये नागेंद्र और कामवती प्रेमी कैसे इसका खुलासा बाकी है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

andypndy

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चैप्टर-3 नागमणि कि खोज अपडेट -34

विष रूप मे ही कही
ठाक ठाक ठाक..... धम...
अरे इतनी रात कौन आ टपका अच्छा खासा चुदाई के सपने देख रहा था,
डॉ. असलम बड़बड़ाते हुए अपने बिस्तर से उठा,
उसे उठने कि इच्छा नहीं थी वो सपने मे रतिवती को पेल रहा था उसकीचुदाई कि सुनहरी याद सपने मे चल रही थी, उसका लोड़ा पूरी तरह तना हुआ लुंगी मे तनाव पैदा कर रहा था.
तभी फिर से... ठाक ठाक ठाक.... "कौन बेशर्म इंसान है ये "
डॉ. असलम धाड़ से दरवाज़ा खोल देता है
सामने बुरखे मे एक औरत खड़ी थी
डॉ. असलम :- मोहतरमा आप कौन है? इतनी रात गए मेरा दरवाज़ा क्यों पिट रही है?
महिला :- क्या ये डॉ. असलम का घर है?
असलम :- हाँ मै ही हूँ डॉ. असलम बोलो क्या बात है? वो बेरुखी से खीझता हुआ बात कर रहा था उसे लगा गांव कि ही कोई बुड्ढी महिला होंगी, जवान लड़किया तो उसके रंग रूप से ही डरती थी तो कोई आता नहीं था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब मुझे बचा लीजिये मै मर ना जाऊ कही?
डॉ. असलम :- अरी हुआ क्या है, क्यों मरे जा रही है ये तो बता,गुस्सा बरकरारा था उसकी आवाज़ मे वो इतना हसीन सपना देख रहा था रतिवती के कि उसे ये सब बकवास मे कोई दिलचस्पी नहीं थी.
महिला :- यही बता दू क्या?
असलम ना चाहते हुए भी महिला को अंदर आने को कहता है "लगता है ये बुढ़िया मेरी रात बर्बाद करेगी इसे जल्दी से भगाना पड़ेगा "
महिला और असलम अंदर आ जाते है, बुरखा पहनी महिला कुर्सी पर बैठती है परन्तु दर्द से तुरंत खड़ी हो जाती है.
आअह्ह्ह..... मर गई
असलम :- क्या हुआ मोहतरमा?
महिला :- दर्द है डॉ. साहेब
असलम :- अच्छा मै दवाई लिख़ देता हूँ ले लेना ठीक हो जायेगा.
असलम अपनी टेबल कि तरफ मुड़ जाता है और किसी कागज़ पे दवाई लिख़ के जैसे ही वापस मुड़ता है तो उसके होश फाकता हो जाते है
कमरा एक रूहानी रौशनी से भर गया था.
सामने वो महिला अपना बुरखा उतार रही थी उसका गोरा चेहरा दमक रहा था, गोरे बड़े स्तन ब्लाउज मे कैद ऊपर को झाँक रहे थे, कमर से बुरखे का कपड़ा बिल्कुल चिपका हुआ था जो गोल नाभी का अहसास करा रहा था.
नीचे सलवार कूल्हे पे चोडी हो रही थी जिस से साफ मालूम पड़ता था कि महिला बड़ी गांड कि मालकिन है.
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असलम तो मुँह बाएं उसे देखता ही रह गया उसके हाथ से पर्ची छूट के ना जाने कहाँ चली गई थी.
तभी महिला के होंठ हिलते है...
डॉ. साहेब चोट तो देख लेते?
डॉ. असलम तो सोच रहा था कि कोई बुढ़िया होंगी परन्तु उसके सामने तो साक्षात् कामदेवी खड़ी थी ऐसा कातिलाना बदन कि क्या कहने "हान ... हान ..... बताओ क्या हुआ था.
असलम अपनी लुंगी मे उठते तूफान को छुपाने के लिए तुरंत पास मे पड़ी कुर्सी पे बैठ जाता है और एक टांग के ऊपर दूसरी टांग रखे लंड को जांघो के बीच दबा लेता है.
महिला :- ज़ी मेरा नाम रुखसाना है पास के गांव से ही आई हूँ विष रूप आते वक़्त जंगल मे मुझे जोर से पेशाब आया तो मै झाड़ी मे बैठ गई लेकिन बैठते ही लगा जैसे कुछ कांटा लग गया हो वहाँ.
कही कोई कीड़े ने तो नहीं काट लिया? डॉ. साहेब मै मरना नहीं चाहती मुझे बचा लीजिये.
असलम तो वही कुर्सी पे बैठा बैठा पथरा गया था रुखसाना जैसी कामुक बदन वाली महिला के मुँह से पेशाब शब्द सुन के उसके रोंगटे खड़े हो गये थे, आखिर उसके जीवन मे सम्भोग कि शुरुआत भी रतिवती के पेशाब करने से ही हुई थी.
असलम कि बांन्छे खिल उठी, वो हकलाता हुआ... वहा.... वहा..लेट जाओ आप मै देखता हूँ कि क्या हुआ है? उसका गुस्सा खीझ गायब हो गई थी,
असलम भले रतिवती को चोद चूका था फिर भी उसमे आत्मविश्वास कि बहुत कमी थी क्युकी उसे यकीन ही नहीं होता था कि कोई लड़की उसके पास आ भी सकती है.
रुखसाना :- लेकिन डॉ. साहेब मै आपके सामने कैसे?.. मेरा मतलब आप मेरी चोट कैसे देखेंगे?
रुखसाना जानबूझ के शर्माने और डरने का नाटक कर रही थी वो मजबूर औरत दिखना चाहती थी.
असलम :- देखो यहाँ कोई महिला डॉक्टर तो है नहीं मुझे ही देखना होगा, कही किसी जहरीले कीड़े ने ना काटा हो.
रुखसाना असलम कि बात सुन के डर जाती है.
रुखसाना :- नहीं नही डॉ.साहेब मुझे मरना नहीं है मुझे बचा लो अल्लाह के लिए मुझे बचा लो.
असलम को लगता है कि ये महिला बहुत डर गई है कुछ काम बन सकता है.
बेचारा भोला असलम अब उसे कौन बताये कि असलम जैसे को तो रुखसाना भोसड़े मे ले के घूमती है.
खेर रुखसाना डरी सहमी पास पड़ी पलंग पे लेट जाती है.... उसकी कमीज़ पसीने से तर हो गई थी लेटने से स्तन गले कि तरफ से बाहर निकलने को आतुर थे.
रुखसाना खींच खींच के सांस ले रही थी जिस वजह से उसके स्तन धाड़ धाड़ करते हुए कभी उठ रहे थे कभी हीर रहे थे....

उधर हवेली मे भूरी कि सांसे भी चढ़ी हुई थी उसे आज चुदाई कि ही जरुरत थी और आज तीन मजबत हाथ उसे रगड़ रहे थे
भूरी कि चुत से निकली पेशाब कि एक एक बून्द को कालू चाट चूका था.
भूरी के स्तन आज़ाद हो चुके थे, उसका ब्लाउज ना जाने कब बड़े स्तनो का साथ छोड़ के नीचे धूल चाट रहा था.पीछे से बिल्लू के मजबूत हाथ भूरी के स्तन को पकड़ पकड़ के रगड़ रहे थे, उसके होंठ लगातार भूरी कि गर्दन को चाट रहे रहे
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आह्हः.... बिल्लू आह्हः... नोचो इसे कल से मौका नहीं मिलेगा
भूरी खुल चुकी थी पिछली चुदाई के बाद अब उसे कोई शर्म नहीं थी,

रामु भूरी के सपाट पेट पे टूट पड़ता है उसकी नाभी मे अपनी जीभ चला रहा था.
वही पीछे झाड़ी मे "ओह्म.. मदरचोद.. ये क्या देख रहा हूँ मै, यहाँ तो नंगा नाच हो रहा है भूरी काकी को तो मै कोई बूढ़ी औरत समझ रहा था साली ने तो किसी जवान को भी फ़ैल कर दिया क्या बदन है इसका और ये तीनो जमुरे इसके यार लगते है, अबतो मेरा काम आसन है "
मंगूस इस चुदाई का सीधा प्रसारण देख रहा था भूरी के कामुक बदन से उसका लंड भी कड़क हो चला था लेकिन ये वक़्त चुदाई का नहीं था उसे तो भूरी को पटाने का मस्त विचार मिल गया था.

बिल्लू ने निप्पल पकड़ के खींच दिया...
सिसकारी पूरी हवेली मे गूंज उठी.. आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... लेकिन किसी के कान मे ना पड़ी
अंदर ठाकुर तो घोड़े बेच के सोया था कामवती अपनी नाकामयाब सुहागरात मना के सौ चुकी थी.
मैदान खाली था जहाँ तीन घोड़े एक पुरानी नशीली घोड़ी पे चढाई कर रहे थे.
नीचे कालू चुत मे जीभ से धक्के मारे जा रहा था भूरी कि चुत भर भर के रस छोड़ रही थी जो कि अमृत सामान था कालू के लिए जितना पिता उतनी ही हवा बढ़ती जाती उसकी.
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उस से रहा नहीं गया पक्क से दो ऊँगली भूरी कि गीली चुत मे डाल आगे पीछे करने लगा, और चुत के दाने को जीभ से चुबलाने लगा.

निप्पल लाल हो चुके थे, उनका तनाव बारकरारा था, नाभी लगातार चाटे जाने से गीली हो गई थी, नीचे चुत मे दो उंगलियां खेल खेल रही थी
तभी ऊपर बिल्लू दोनों निप्पल को अपनी ऊँगली मे पकड़ के मरोड़ देता है, नीचे कालू चुत के दाने को दाँत मे पकड़ के दबा देता है
आअह्ह्ह..... मै मरी... भूरी ये हमाला ना झेल सकी वो भरभरा के झड़ने लगी उसकी चुत से तेज़ फव्वारा निकल के कालू के मुँह को भिगोने लगा...
भूरी धड़ाम से पीठ के बल वही बिल्लू के ऊपर ढह गई बिल्लू उसका वजन ना संभाल सका वो उसी के साथ नीचे घाँस ोे गिरता चला गया
गिरने से भूरी कि दोनों टांगे फ़ैल गई उसकी चुत से निकले पानी ने गांड को पूरी तरह भीगा दिया था, भूरी अपना पूरा वजन लिए बिल्लू पे गिरी... बिल्लू का लंड पहले से ही भूरी कि गांड कि खाई मे था जैसे ही वो गिरी उसका लंड सरसराता भूरी कि गांड मे समता चला गया एक मादक चीख उसके मुँह से निकली भूरी दूसरी बार अपना कामरस फेंकने लगी...
इस तरह तो कभी नहीं झाड़ी थी भूरी मात्र 5सेकंड मे दूसरी बार उसकी चुत छल छला गई थी..
भूरी कि सांसे उखाड़ गई थी.

परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...
 
Last edited:

Mickay-M

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परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...
Yes sir waiting ................ :yourock:
 
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बहुत ही जबरदस्त अपडेट है । कहानी में पूरा मजा आ रहा है । एक तरफ रुखसाना डॉ असलम को रिझाने में लगी है । वही दूसरी तरफ ऐसा लगता है कि ठाकुर की नाकामी की वजह से चोर मंगुस कामवती के साथ सुहागरात मनाने में कामयाब हो जाएगा। उधर भूरी काकी के तो सभी छेदों की बढ़िया सर्विस हो जाएगी
 

Nevil singh

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विष रूप मे ही कही
ठाक ठाक ठाक..... धम...
अरे इतनी रात कौन आ टपका अच्छा खासा चुदाई के सपने देख रहा था,
डॉ. असलम बड़बड़ाते हुए अपने बिस्तर से उठा,
उसे उठने कि इच्छा नहीं थी वो सपने मे रतिवती को पेल रहा था उसकीचुदाई कि सुनहरी याद सपने मे चल रही थी, उसका लोड़ा पूरी तरह तना हुआ लुंगी मे तनाव पैदा कर रहा था.
तभी फिर से... ठाक ठाक ठाक.... "कौन बेशर्म इंसान है ये "
डॉ. असलम धाड़ से दरवाज़ा खोल देता है
सामने बुरखे मे एक औरत खड़ी थी
डॉ. असलम :- मोहतरमा आप कौन है? इतनी रात गए मेरा दरवाज़ा क्यों पिट रही है?
महिला :- क्या ये डॉ. असलम का घर है?
असलम :- हाँ मै ही हूँ डॉ. असलम बोलो क्या बात है? वो बेरुखी से खीझता हुआ बात कर रहा था उसे लगा गांव कि ही कोई बुड्ढी महिला होंगी, जवान लड़किया तो उसके रंग रूप से ही डरती थी तो कोई आता नहीं था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब मुझे बचा लीजिये मै मर ना जाऊ कही?
डॉ. असलम :- अरी हुआ क्या है, क्यों मरे जा रही है ये तो बता,गुस्सा बरकरारा था उसकी आवाज़ मे वो इतना हसीन सपना देख रहा था रतिवती के कि उसे ये सब बकवास मे कोई दिलचस्पी नहीं थी.
महिला :- यही बता दू क्या?
असलम ना चाहते हुए भी महिला को अंदर आने को कहता है "लगता है ये बुढ़िया मेरी रात बर्बाद करेगी इसे जल्दी से भगाना पड़ेगा "
महिला और असलम अंदर आ जाते है, बुरखा पहनी महिला कुर्सी पर बैठती है परन्तु दर्द से तुरंत खड़ी हो जाती है.
आअह्ह्ह..... मर गई
असलम :- क्या हुआ मोहतरमा?
महिला :- दर्द है डॉ. साहेब
असलम :- अच्छा मै दवाई लिख़ देता हूँ ले लेना ठीक हो जायेगा.
असलम अपनी टेबल कि तरफ मुड़ जाता है और किसी कागज़ पे दवाई लिख़ के जैसे ही वापस मुड़ता है तो उसके होश फाकता हो जाते है
कमरा एक रूहानी रौशनी से भर गया था.
सामने वो महिला अपना बुरखा उतार रही थी उसका गोरा चेहरा दमक रहा था, गोरे बड़े स्तन ब्लाउज मे कैद ऊपर को झाँक रहे थे, कमर से बुरखे का कपड़ा बिल्कुल चिपका हुआ था जो गोल नाभी का अहसास करा रहा था.
नीचे सलवार कूल्हे पे चोडी हो रही थी जिस से साफ मालूम पड़ता था कि महिला बड़ी गांड कि मालकिन है.
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असलम तो मुँह बाएं उसे देखता ही रह गया उसके हाथ से पर्ची छूट के ना जाने कहाँ चली गई थी.
तभी महिला के होंठ हिलते है...
डॉ. साहेब चोट तो देख लेते?
डॉ. असलम तो सोच रहा था कि कोई बुढ़िया होंगी परन्तु उसके सामने तो साक्षात् कामदेवी खड़ी थी ऐसा कातिलाना बदन कि क्या कहने "हान ... हान ..... बताओ क्या हुआ था.
असलम अपनी लुंगी मे उठते तूफान को छुपाने के लिए तुरंत पास मे पड़ी कुर्सी पे बैठ जाता है और एक टांग के ऊपर दूसरी टांग रखे लंड को जांघो के बीच दबा लेता है.
महिला :- ज़ी मेरा नाम रुखसाना है पास के गांव से ही आई हूँ विष रूप आते वक़्त जंगल मे मुझे जोर से पेशाब आया तो मै झाड़ी मे बैठ गई लेकिन बैठते ही लगा जैसे कुछ कांटा लग गया हो वहाँ.
कही कोई कीड़े ने तो नहीं काट लिया? डॉ. साहेब मै मरना नहीं चाहती मुझे बचा लीजिये.
असलम तो वही कुर्सी पे बैठा बैठा पथरा गया था रुखसाना जैसी कामुक बदन वाली महिला के मुँह से पेशाब शब्द सुन के उसके रोंगटे खड़े हो गये थे, आखिर उसके जीवन मे सम्भोग कि शुरुआत भी रतिवती के पेशाब करने से ही हुई थी.
असलम कि बांन्छे खिल उठी, वो हकलाता हुआ... वहा.... वहा..लेट जाओ आप मै देखता हूँ कि क्या हुआ है? उसका गुस्सा खीझ गायब हो गई थी,
असलम भले रतिवती को चोद चूका था फिर भी उसमे आत्मविश्वास कि बहुत कमी थी क्युकी उसे यकीन ही नहीं होता था कि कोई लड़की उसके पास आ भी सकती है.
रुखसाना :- लेकिन डॉ. साहेब मै आपके सामने कैसे?.. मेरा मतलब आप मेरी चोट कैसे देखेंगे?
रुखसाना जानबूझ के शर्माने और डरने का नाटक कर रही थी वो मजबूर औरत दिखना चाहती थी.
असलम :- देखो यहाँ कोई महिला डॉक्टर तो है नहीं मुझे ही देखना होगा, कही किसी जहरीले कीड़े ने ना काटा हो.
रुखसाना असलम कि बात सुन के डर जाती है.
रुखसाना :- नहीं नही डॉ.साहेब मुझे मरना नहीं है मुझे बचा लो अल्लाह के लिए मुझे बचा लो.
असलम को लगता है कि ये महिला बहुत डर गई है कुछ काम बन सकता है.
बेचारा भोला असलम अब उसे कौन बताये कि असलम जैसे को तो रुखसाना भोसड़े मे ले के घूमती है.
खेर रुखसाना डरी सहमी पास पड़ी पलंग पे लेट जाती है.... उसकी कमीज़ पसीने से तर हो गई थी लेटने से स्तन गले कि तरफ से बाहर निकलने को आतुर थे.
रुखसाना खींच खींच के सांस ले रही थी जिस वजह से उसके स्तन धाड़ धाड़ करते हुए कभी उठ रहे थे कभी हीर रहे थे....

उधर हवेली मे भूरी कि सांसे भी चढ़ी हुई थी उसे आज चुदाई कि ही जरुरत थी और आज तीन मजबत हाथ उसे रगड़ रहे थे
भूरी कि चुत से निकली पेशाब कि एक एक बून्द को कालू चाट चूका था.
भूरी के स्तन आज़ाद हो चुके थे, उसका ब्लाउज ना जाने कब बड़े स्तनो का साथ छोड़ के नीचे धूल चाट रहा था.पीछे से बिल्लू के मजबूत हाथ भूरी के स्तन को पकड़ पकड़ के रगड़ रहे थे, उसके होंठ लगातार भूरी कि गर्दन को चाट रहे रहे
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आह्हः.... बिल्लू आह्हः... नोचो इसे कल से मौका नहीं मिलेगा
भूरी खुल चुकी थी पिछली चुदाई के बाद अब उसे कोई शर्म नहीं थी,

रामु भूरी के सपाट पेट पे टूट पड़ता है उसकी नाभी मे अपनी जीभ चला रहा था.
वही पीछे झाड़ी मे "ओह्म.. मदरचोद.. ये क्या देख रहा हूँ मै, यहाँ तो नंगा नाच हो रहा है भूरी काकी को तो मै कोई बूढ़ी औरत समझ रहा था साली ने तो किसी जवान को भी फ़ैल कर दिया क्या बदन है इसका और ये तीनो जमुरे इसके यार लगते है, अबतो मेरा काम आसन है "
मंगूस इस चुदाई का सीधा प्रसारण देख रहा था भूरी के कामुक बदन से उसका लंड भी कड़क हो चला था लेकिन ये वक़्त चुदाई का नहीं था उसे तो भूरी को पटाने का मस्त विचार मिल गया था.

बिल्लू ने निप्पल पकड़ के खींच दिया...
सिसकारी पूरी हवेली मे गूंज उठी.. आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... लेकिन किसी के कान मे ना पड़ी
अंदर ठाकुर तो घोड़े बेच के सोया था कामवती अपनी नाकामयाब सुहागरात मना के सौ चुकी थी.
मैदान खाली था जहाँ तीन घोड़े एक पुरानी नशीली घोड़ी पे चढाई कर रहे थे.
नीचे कालू चुत मे जीभ से धक्के मारे जा रहा था भूरी कि चुत भर भर के रस छोड़ रही थी जो कि अमृत सामान था कालू के लिए जितना पिता उतनी ही हवा बढ़ती जाती उसकी.
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उस से रहा नहीं गया पक्क से दो ऊँगली भूरी कि गीली चुत मे डाल आगे पीछे करने लगा, और चुत के दाने को जीभ से चुबलाने लगा.

निप्पल लाल हो चुके थे, उनका तनाव बारकरारा था, नाभी लगातार चाटे जाने से गीली हो गई थी, नीचे चुत मे दो उंगलियां खेल खेल रही थी
तभी ऊपर बिल्लू दोनों निप्पल को अपनी ऊँगली मे पकड़ के मरोड़ देता है, नीचे कालू चुत के दाने को दाँत मे पकड़ के दबा देता है
आअह्ह्ह..... मै मरी... भूरी ये हमाला ना झेल सकी वो भरभरा के झड़ने लगी उसकी चुत से तेज़ फव्वारा निकल के कालू के मुँह को भिगोने लगा...
भूरी धड़ाम से पीठ के बल वही बिल्लू के ऊपर ढह गई बिल्लू उसका वजन ना संभाल सका वो उसी के साथ नीचे घाँस ोे गिरता चला गया
गिरने से भूरी कि दोनों टांगे फ़ैल गई उसकी चुत से निकले पानी ने गांड को पूरी तरह भीगा दिया था, भूरी अपना पूरा वजन लिए बिल्लू पे गिरी... बिल्लू का लंड पहले से ही भूरी कि गांड कि खाई मे था जैसे ही वो गिरी उसका लंड सरसराता भूरी कि गांड मे समता चला गया एक मादक चीख उसके मुँह से निकली भूरी दूसरी बार अपना कामरस फेंकने लगी...
इस तरह तो कभी नहीं झाड़ी थी भूरी मात्र 5सेकंड मे दूसरी बार उसकी चुत छल छला गई थी..
भूरी कि सांसे उखाड़ गई थी.

परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...
Jabardast update dost
 

andypndy

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रुखसाना पलंग पे लेती थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने से स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,
ये उठाव गिरावट असलम को बेचैन कर रहा था वो वैसे ही सम्भोग के हसीन खाब देख रहा था कि सामने जन्नत कि परी आ गई.
असलम आगे बढ़ता है और रुखसाना के पैर के पास टॉर्च ले के खड़ा हो जाता है.
असलम :- हाँ तो मोहतरमा आपका नाम क्या है? और चोट कहाँ लगी है दिखाइए?
चोट दिखाने के नाम पे रुखसाना कि तो हवा ही टाइट हो गई.... हाकलने लगी
वो.. वोवो..... डॉ. साहेब रुख... रुखसाना नाम है मेरा.
और चोट वहाँ लगी है नीचे
असलम समझ तो रहा था परन्तु उसे मजा आ रहा था रुखसाना कि हालत पे रतिवती के सम्भोग ने उसे लालची और निडर बना दिया था ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता था.
उसकी नजात मे रुखसाना कोई भोली भाली लड़की थी जिसे भोगने कि कोशिश कि जा सकती थी.
असलम उसके पैरो को छू लेता है और अपने हाथ वहाँ पे फेरने लगता है बिल्कुल होले से
असलम :- यहाँ दर्द है आपको?
रुखसाना शरमाते हुए पसीने से भीगी चली जाती है, "नहीं डॉ. साहेब वहाँ नहीं, यहाँ है '
इस बार वो अपनी ऊँगली से नीचे कि और इशारा करती है.
असलम अनजान बनते हुए कहाँ यहा असलम घुटने पे हाथ रख पूछता है उसका हाथ लगातर हरकत कर रहा था.
असलम के कड़क मजबूत हाथ रुखसाना के बदन मे हालचाल पैदा कर रहे थे.
रुखसाना सिसकती हुई.... थोड़ी ऊपर डॉ. साहेब जहाँ से पेशाब करते है
इसससस... ऐसा कह के रुखसाना शर्मा जाती है और दूसरी तरफ मुँह फेर लेती है
असलम इस अदा से मोहित हो जाता है इतना सुंदर मुखड़ा शर्मा रहा था, पेशाब शब्द जब जब सुनता उसकी मन मे तरंग उठ पड़ती थी.
असलम मन मे " साली ये लड़की तो मस्त है क्या बदन है, थोड़ी सी कोशिश से गरम हो सकती है "
असलम :- देखिये पहले तो आप शर्मानाछोड़िये
मुझे वो जहाग देखती होंगी
रुखसाना आश्चर्य भरी नजर से असलम को देखती है इसमें भी एक कामुक अदा थी.
असलम :- डॉ. से शर्माना कैसा? देखूंगा नहीं तो इलाज कैसे करूंगा आप ही बताइये?
रुखसानाऐसे दिखाती है जैसे बहुत गहरी सोच मे हो,
वो होले से अपनी गर्दन हाँ मे हिला देती है.
असलम बुरखे को पकड़ के धीरे धीरे ऊपर उठता है, जैसे जैसे पर्दा हटता जाता है गोरी टांगे उभरती चली जाती है...
आह्हः.... क्या चिकनी गोरी टांगे है एक दम मक्खन
असलम हैरान था उसके हाथ काँप रहे थे
बुरखे को जांघो तक ऊपर उठा देता है, क्या जाँघ थी मोटी गोरी चिकनी जैसे किसी ने केले के तने को कपड़े मे रख दिया हो.
जाँघ से ऊपर बुरखा नहीं जा पा रहा था ये वो बॉर्डर थी जिसे एक बार पार कर लिया तो समझो किला फतह था.
रुखसाना गर्म होनर लगी थी, वो सामने नहीं दिल्ली रही थी आंखे बंद किये सांसे दुरुस्त कर रही थी.
असलम :- मोहतरमा....
कोई जवाब नहीं...
असलम :- मोहतरमा अपने नीतम्ब ऊपर कीजिये कपड़ा फस गया है,
रुखसाना के कान मे ये शब्द हलचल मचा देते है
डॉ. साहेब मेरा वो अंग आज तक किसी ने नहीं देखा, उसके शब्दों मे शर्माहाट मदहोसी मिली हुई थी.
सांसे चढ़ रही थी.
असलम को ये देख मजा आने लगा, "सिर्फ ऊपर ऊपर से मना कर रही है मुझे थोड़ी कोशिश करनी होंगी '
असलम :- मै कोई पराया मर्द नहीं हूँ मोहतरमा, मै एक डॉ. हूँ
और डॉ. से शरमाते नहीं मुझे डॉ. कि नजर से ही देखे.
असलम अपने शब्दों के जाल मे रुखसाना को फ़साये जा रहा था.
भोला असलम... कौन बताये कि वो खुद ही फसे जा रहा है.
रुखसाना ना नुकुर करती अपनी भरी भरकम गद्देदार गांड होले से ऊपर उठा देती है
यही मौका है... असलम झट से बुर्के को कमर से ऊपर नाभी तक एक ही बार मे खींच देता है
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नजारा देख वो गिरने को ही था... रतिवती के साथ उसने सम्भोग किया था परन्तु सब आनन फानन मे हुआ था असलम कभी रतिवती के कामुक अंगों का दीदार नहीं कर पाया था.
परन्तु आज पहली बार किसी जवान कामुक औरत के कामुक और मादक अंग इतने पास से देख पा रहा था.
उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे बंद हो गई है.... बेचारा सांस लेना ही भूल गया था.
जब अवस्था मे एक टक वो जांघो के बीच उभरी हुई लकीर को निहारे जा रहा था, एक दम गोरी फूली हुई चुत बालो का कोई नामोनिशान नहीं...
रुखसाना :- डॉ. साहेब... डॉ. असलम
असलम जड़ खड़ा, आंखे फ़ैल चुकी थी

रुखसाना :- डॉ. साहेब चोट देखिये ना? आप क्या देख रहे है
असलम :- वो मै.... वो... वो... मै कुछ नहीं
चोट तो नहीं दिख रही कही मुझे?
असलम जैसे तैसे खुद को संभालता है.
रुखसाना :- दर्द तो मुझे अपनी जांघो के बीच ही हो रहा है.
असलम अब संभाल चूका था " फिर तो आपको अपनी जाँघे खोलनी होंगी ताकि चोट देख सकूँ "
रुखसाना घन घना गई पराये मर्द के सामने टांगे खोल के दिखाने का सोच के ही
आलम को मंजिल नजदीक नजर आ रही थी
रुखसाना असलम कि तरफ सुनी आँखों से देखती है जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो या फिर दुविधा मे हो.
असलम :- देखो रुखसाना मुझ पे भरोसा रखो, मै सिर्फ इलाज करूंगा, मुझसे डरने या लजाने कि आवशयकता नहीं है
असलम अब उसे नाम से बुला रहा था वो रुखसाना का विश्वास जीत लेना चाहता था.
रुखसाना अपनी गोरी मोटी जाँघे धीरे से खोल देती है.
असलम को धीरे से चुत का दरवाजा खुलता दीखता है, चुत कि खिड़की के दोनों पाट थोड़े से अलग होते है चुत का उभरा हुआ दाना दिखने लगता है.
असलम मन्त्रमुग्ध सा दृश्य देख रहा था उसकी लुंगी मे तूफान मचा हुआ था, लंड झटके पे झटके मार रहा था.

लंड तो बिल्लू का भी झटके लगा रहा था भूरी कि गोरी गांड मे, भूरी दो बार झड़ के अपनी ताकत गवा चुकी थी बिल्लू के ऊपर गीर पड़ी थी, गांड का छेद गिल्ला चिकना होने से बिल्लू का लंड सीधा भूरी कि गांड चिरता अंदर समा गया था,
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भूरी चिहूक उठती है परन्तु कोई विरोध नहीं करती
बिल्लू भी गरम था नीचे से अपनी जाँघ उठा के धचा धच धक्के मारने शुरू कर दिए थे...
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चुत से निकलता पानी गांड रुपी खाई से होता हुआ बिल्लू के टट्टो को भिगो रहा था.
कालू रामु भी ये मौका नहीं गांवना चाहते थे.
कालू सीधा भूरी को गर्दन थाम के अपनी लंड पे झुका देता है
गांड मे पड़ते धक्को से भूरी गरमानें लगी थी एक बार मे ही कालू का लंड मुँह मे भर लेती है हवस मे डूबी भूरी को कोई तकलीफ नहीं होती, मुँह मे लंड लिए चुबलाने लगती है उसे परम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
कालू इस प्रकार के मुख मैथुन से भूरी का दीवाना हो उठा

कालू :- क्या चूसती हो काकी, बोल के गले तक लंड को धकेल देता है.
अब ये किस्सा यु ही शुरू हो चला कभी लंड बाहर खिंचता तो कभी वापस गले तक धकेल देता.
नीचे गाड़ पे पड़ता लंड मधुर संगीत पैदा कर रहा था.
इस संगीत से वहाँ मौजूद हर एक शख्स प्रभावित रहा, फच फच.... पच का संगीत सभी के लंडो को झकझोड़ रहा था.
झाड़ी मे छुपा बैठा चोर मंगूस भी इस रासलीला का लुत्फ़ उठा रहा था उसका लंड परिपक्व बदन को चुदता देख आनंद के सागर मे लोड़ा पकड़े गोते खा रहा था.
रामु जब से खड़ा भूरी को चुदता देख लंड हिला रहा था उसका सब्र जवाब देने लगा वो भी आगे बढ़ जाता है और बिल्लू भूरी के पैरो के बीच घुटने टिका के बैठ जाता है.
बिल्लू के चेहरे पे मुस्कान थी... भूरी लंड चूसने मे व्यस्त थी वो जैसे ही रामु कि तरफ देखती है....
अरे.. रे रे ... ये क्या भूरी विलम्भ हो गई
फचक.... से एक झटका पड़ता है औररामु का लंड पूरा का पूरा जड़ टक भूरी कि चुत मे समा गया था...
भूरी चीखने को हुई कि तभी गले मे कालू का लंड उयार गया.
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अब तीनो तरफ से धक्का मुक्की चालू हो चुकी थी,
बिल्लू और रामु के लंड एक सतब बाहर आते फिर एक साथ अंदर जड़तक समा जाते.
दोनों के टट्टे आपस मे टकरा जाते... ये हर बार और जोरसे होता जैसे कोई दुश्मन आपस मे टक्कर मार के एक दूसरे को धाराशाई कर देना चाहते हो.
और इस टक्कर का अंजाम सीधा भूरी कि कामुक बदन पे हो रहा था उसके मुँह से कामुक सिसकारिया निकल रही थी, दोनों के लंड सिर्फ पतली झिल्ली से अलग थे वरना तो ऐसे लगता था जैसे एक साथ दो लंड अंदर घुसे हो...
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यहाँ तो खुल के बेशर्मी से चुदाई चालू हो चुकी थी.
परन्तु अभी आलसम का किला फतह करना बाक़ी था.
बने रहिये
अगला अपडेट आज रात ही मिलेगा
कथा जारी है...
 
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Nevil singh

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रुखसाना पलंग पे लेती थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने से स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,
ये उठाव गिरावट असलम को बेचैन कर रहा था वो वैसे ही सम्भोग के हसीन खाब देख रहा था कि सामने जन्नत कि परी आ गई.
असलम आगे बढ़ता है और रुखसाना के पैर के पास टॉर्च ले के खड़ा हो जाता है.
असलम :- हाँ तो मोहतरमा आपका नाम क्या है? और चोट कहाँ लगी है दिखाइए?
चोट दिखाने के नाम पे रुखसाना कि तो हवा ही टाइट हो गई.... हाकलने लगी
वो.. वोवो..... डॉ. साहेब रुख... रुखसाना नाम है मेरा.
और चोट वहाँ लगी है नीचे
असलम समझ तो रहा था परन्तु उसे मजा आ रहा था रुखसाना कि हालत पे रतिवती के सम्भोग ने उसे लालची और निडर बना दिया था ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता था.
उसकी नजात मे रुखसाना कोई भोली भाली लड़की थी जिसे भोगने कि कोशिश कि जा सकती थी.
असलम उसके पैरो को छू लेता है और अपने हाथ वहाँ पे फेरने लगता है बिल्कुल होले से
असलम :- यहाँ दर्द है आपको?
रुखसाना शरमाते हुए पसीने से भीगी चली जाती है, "नहीं डॉ. साहेब वहाँ नहीं, यहाँ है '
इस बार वो अपनी ऊँगली से नीचे कि और इशारा करती है.
असलम अनजान बनते हुए कहाँ यहा असलम घुटने पे हाथ रख पूछता है उसका हाथ लगातर हरकत कर रहा था.
असलम के कड़क मजबूत हाथ रुखसाना के बदन मे हालचाल पैदा कर रहे थे.
रुखसाना सिसकती हुई.... थोड़ी ऊपर डॉ. साहेब जहाँ से पेशाब करते है
इसससस... ऐसा कह के रुखसाना शर्मा जाती है और दूसरी तरफ मुँह फेर लेती है
असलम इस अदा से मोहित हो जाता है इतना सुंदर मुखड़ा शर्मा रहा था, पेशाब शब्द जब जब सुनता उसकी मन मे तरंग उठ पड़ती थी.
असलम मन मे " साली ये लड़की तो मस्त है क्या बदन है, थोड़ी सी कोशिश से गरम हो सकती है "
असलम :- देखिये पहले तो आप शर्मानाछोड़िये
मुझे वो जहाग देखती होंगी
रुखसाना आश्चर्य भरी नजर से असलम को देखती है इसमें भी एक कामुक अदा थी.
असलम :- डॉ. से शर्माना कैसा? देखूंगा नहीं तो इलाज कैसे करूंगा आप ही बताइये?
रुखसानाऐसे दिखाती है जैसे बहुत गहरी सोच मे हो,
वो होले से अपनी गर्दन हाँ मे हिला देती है.
असलम बुरखे को पकड़ के धीरे धीरे ऊपर उठता है, जैसे जैसे पर्दा हटता जाता है गोरी टांगे उभरती चली जाती है...
आह्हः.... क्या चिकनी गोरी टांगे है एक दम मक्खन
असलम हैरान था उसके हाथ काँप रहे थे
बुरखे को जांघो तक ऊपर उठा देता है, क्या जाँघ थी मोटी गोरी चिकनी जैसे किसी ने केले के तने को कपड़े मे रख दिया हो.
जाँघ से ऊपर बुरखा नहीं जा पा रहा था ये वो बॉर्डर थी जिसे एक बार पार कर लिया तो समझो किला फतह था.
रुखसाना गर्म होनर लगी थी, वो सामने नहीं दिल्ली रही थी आंखे बंद किये सांसे दुरुस्त कर रही थी.
असलम :- मोहतरमा....
कोई जवाब नहीं...
असलम :- मोहतरमा अपने नीतम्ब ऊपर कीजिये कपड़ा फस गया है,
रुखसाना के कान मे ये शब्द हलचल मचा देते है
डॉ. साहेब मेरा वो अंग आज तक किसी ने नहीं देखा, उसके शब्दों मे शर्माहाट मदहोसी मिली हुई थी.
सांसे चढ़ रही थी.
असलम को ये देख मजा आने लगा, "सिर्फ ऊपर ऊपर से मना कर रही है मुझे थोड़ी कोशिश करनी होंगी '
असलम :- मै कोई पराया मर्द नहीं हूँ मोहतरमा, मै एक डॉ. हूँ
और डॉ. से शरमाते नहीं मुझे डॉ. कि नजर से ही देखे.
असलम अपने शब्दों के जाल मे रुखसाना को फ़साये जा रहा था.
भोला असलम... कौन बताये कि वो खुद ही फसे जा रहा है.
रुखसाना ना नुकुर करती अपनी भरी भरकम गद्देदार गांड होले से ऊपर उठा देती है
यही मौका है... असलम झट से बुर्के को कमर से ऊपर नाभी तक एक ही बार मे खींच देता है
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नजारा देख वो गिरने को ही था... रतिवती के साथ उसने सम्भोग किया था परन्तु सब आनन फानन मे हुआ था असलम कभी रतिवती के कामुक अंगों का दीदार नहीं कर पाया था.
परन्तु आज पहली बार किसी जवान कामुक औरत के कामुक और मादक अंग इतने पास से देख पा रहा था.
उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे बंद हो गई है.... बेचारा सांस लेना ही भूल गया था.
जब अवस्था मे एक टक वो जांघो के बीच उभरी हुई लकीर को निहारे जा रहा था, एक दम गोरी फूली हुई चुत बालो का कोई नामोनिशान नहीं...
रुखसाना :- डॉ. साहेब... डॉ. असलम
असलम जड़ खड़ा, आंखे फ़ैल चुकी थी

रुखसाना :- डॉ. साहेब चोट देखिये ना? आप क्या देख रहे है
असलम :- वो मै.... वो... वो... मै कुछ नहीं
चोट तो नहीं दिख रही कही मुझे?
असलम जैसे तैसे खुद को संभालता है.
रुखसाना :- दर्द तो मुझे अपनी जांघो के बीच ही हो रहा है.
असलम अब संभाल चूका था " फिर तो आपको अपनी जाँघे खोलनी होंगी ताकि चोट देख सकूँ "
रुखसाना घन घना गई पराये मर्द के सामने टांगे खोल के दिखाने का सोच के ही
आलम को मंजिल नजदीक नजर आ रही थी
रुखसाना असलम कि तरफ सुनी आँखों से देखती है जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो या फिर दुविधा मे हो.
असलम :- देखो रुखसाना मुझ पे भरोसा रखो, मै सिर्फ इलाज करूंगा, मुझसे डरने या लजाने कि आवशयकता नहीं है
असलम अब उसे नाम से बुला रहा था वो रुखसाना का विश्वास जीत लेना चाहता था.
रुखसाना अपनी गोरी मोटी जाँघे धीरे से खोल देती है.
असलम को धीरे से चुत का दरवाजा खुलता दीखता है, चुत कि खिड़की के दोनों पाट थोड़े से अलग होते है चुत का उभरा हुआ दाना दिखने लगता है.
असलम मन्त्रमुग्ध सा दृश्य देख रहा था उसकी लुंगी मे तूफान मचा हुआ था, लंड झटके पे झटके मार रहा था.

लंड तो बिल्लू का भी झटके लगा रहा था भूरी कि गोरी गांड मे, भूरी दो बार झड़ के अपनी ताकत गवा चुकी थी बिल्लू के ऊपर गीर पड़ी थी, गांड का छेद गिल्ला चिकना होने से बिल्लू का लंड सीधा भूरी कि गांड चिरता अंदर समा गया था,
20210802-133534.jpg

भूरी चिहूक उठती है परन्तु कोई विरोध नहीं करती
बिल्लू भी गरम था नीचे से अपनी जाँघ उठा के धचा धच धक्के मारने शुरू कर दिए थे...
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चुत से निकलता पानी गांड रुपी खाई से होता हुआ बिल्लू के टट्टो को भिगो रहा था.
कालू रामु भी ये मौका नहीं गांवना चाहते थे.
कालू सीधा भूरी को गर्दन थाम के अपनी लंड पे झुका देता है
गांड मे पड़ते धक्को से भूरी गरमानें लगी थी एक बार मे ही कालू का लंड मुँह मे भर लेती है हवस मे डूबी भूरी को कोई तकलीफ नहीं होती, मुँह मे लंड लिए चुबलाने लगती है उसे परम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
कालू इस प्रकार के मुख मैथुन से भूरी का दीवाना हो उठा

कालू :- क्या चूसती हो काकी, बोल के गले तक लंड को धकेल देता है.
अब ये किस्सा यु ही शुरू हो चला कभी लंड बाहर खिंचता तो कभी वापस गले तक धकेल देता.
नीचे गाड़ पे पड़ता लंड मधुर संगीत पैदा कर रहा था.
इस संगीत से वहाँ मौजूद हर एक शख्स प्रभावित रहा, फच फच.... पच का संगीत सभी के लंडो को झकझोड़ रहा था.
झाड़ी मे छुपा बैठा चोर मंगूस भी इस रासलीला का लुत्फ़ उठा रहा था उसका लंड परिपक्व बदन को चुदता देख आनंद के सागर मे लोड़ा पकड़े गोते खा रहा था.
रामु जब से खड़ा भूरी को चुदता देख लंड हिला रहा था उसका सब्र जवाब देने लगा वो भी आगे बढ़ जाता है और बिल्लू भूरी के पैरो के बीच घुटने टिका के बैठ जाता है.
बिल्लू के चेहरे पे मुस्कान थी... भूरी लंड चूसने मे व्यस्त थी वो जैसे ही रामु कि तरफ देखती है....
अरे.. रे रे ... ये क्या भूरी विलम्भ हो गई
फचक.... से एक झटका पड़ता है औररामु का लंड पूरा का पूरा जड़ टक भूरी कि चुत मे समा गया था...
भूरी चीखने को हुई कि तभी गले मे कालू का लंड उयार गया.
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अब तीनो तरफ से धक्का मुक्की चालू हो चुकी थी,
बिल्लू और रामु के लंड एक सतब बाहर आते फिर एक साथ अंदर जड़तक समा जाते.
दोनों के टट्टे आपस मे टकरा जाते... ये हर बार और जोरसे होता जैसे कोई दुश्मन आपस मे टक्कर मार के एक दूसरे को धाराशाई कर देना चाहते हो.
और इस टक्कर का अंजाम सीधा भूरी कि कामुक बदन पे हो रहा था उसके मुँह से कामुक सिसकारिया निकल रही थी, दोनों के लंड सिर्फ पतली झिल्ली से अलग थे वरना तो ऐसे लगता था जैसे एक साथ दो लंड अंदर घुसे हो...
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यहाँ तो खुल के बेशर्मी से चुदाई चालू हो चुकी थी.
परन्तु अभी आलसम का किला फतह करना बाक़ी था.
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कथा जारी है...
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वाह क्या बात है बहुत ही गरमागरम और जबरदस्त
चुदाई का जोरदार घमासान मचा हुवा हैं
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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