चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -36
रुखसाना हलकी सी टांग खोले असलम के सामने नीचेसे नंगी लेटी हुई थी, असलम के लंड का हाल बुरा था उसका धैर्य ऐसी मक्खन जैसी चुत देख के खो रहा था.
असलम, रुखसाना वो विश्वास मे ले चूका था,
टॉर्च पकड़े वो चोट को देखने कि कोशिश कर रहा था परन्तु अभी भी जांघो के बीच झाँकना मुश्किल था.
असलम :- रुखसाना अपनी जाँघ थोड़ा और खोलिये कुछ दिख नहीं रहा है.
रुखसाना का लज्जत के मारे बुरा हाल था वो कुछ नहीं बोल रही थी धीरे से अपनी जाँघ थोड़ा और खोल देती है, असलम को चुत के रसीले छेद के नीचे कुछ लाल लाल सा दीखता है,
ओह तो यहाँ है चोट... ऐसा बोल असलमरुखसाना कि जाँघ पे हाथ रख देता है और तजोड़ा जोर से पकड़ के बाहर को खिंचता है.... रुखसाना गांड और चुत को भींचलेती है.
आअह्ह्ह..... डॉ. साहेब दर्द हो रहा है.
असलम :- आराम से रुखसाना अपने शरीर को ढीला छोड़ दो मुझे चोट तो दिख गई है परन्तु कितनी गहरी है ये देखने के लिए तुम्हे अपनी पूरी टांग खोलनी पड़ेगी...
रुखसाना ये सुन के ही सिहर उठती है.
रुखसाना :- आह्हः.... डॉ. साहब आप ये क्या बोल रहे है.
असलम भी खुमारी मे था रुखसाना के कामुक अंग देखने कि तम्मना ने उसे पागल बना दिया था.
वो कुछ नहीं बोलता... दोनों हाथ से रुखसाना कि जांघो को पकड़ के अलग कर देता है
चुत और गांड खुल के सामने आ जाती है जिसे देख असलम का लंड बगावत करने पे उतारू था.
रुखसाना शर्म के मरे आंखे बंद कर लेती है,
"ये क्या किया अपने डॉ. साहेब " उसके स्तन धड़ा धड उछल रहे थे उसकी सांस बेकाबू होने लगी थी
शर्मा तो रही थी परन्तु उसने ना तो चुत ढकने का कोई प्रयास किया ना ही वापस अपनी जाँघे बंद कि.
असलम टॉर्च कि रौशनी उस दरिया मे डालने लगा ये वो दरिया है जहाँ अच्छे अच्छे डूब मरना चाहते थे ये तो फिर भी असलम था जिसे कभी किसी काणी, लुंली लंगड़ी लड़की ने भी भाव ना दिया.
अब कहाँ वो एक कामुक हसीन जवान लड़की कि चुत गांड के दीदार कर रहा है.
असलम अपने हाथ आगे बड़ा देता है और रुखसाना कि गरम चुत पे रख के फांके फैला देता है,
आअह्ह्ह..... रुखसाना के जिस्म मे हलकी से दर्द और बहुत सारी वासना कि लहर दौड़ पड़ती है.
रुखसाना के मुँह से काम भरी हलकी सी सिसकारी निकल पड़ती है.
जिसे असलम सुन लेता है उसे समझते देर ना लगी कि रुखसाना गरम हो रही है.
असलम :-दर्द हो रहा है क्या आपको?
रुखसाना :- हाँ डॉ. साहेब हल्का दर्द है.
असलम को चोट नजर आ गई थी फिर भी वो अनजान बनते हुए "आपकी योनि तो कमाल है... म... मा..... मेरा मतलब योनि तो बिल्कुल साफ दिख रही है चोट का कोई निशान नहीं है.
रुखसाना खुद कि तारीफ सुन प्रसन्न होती है "डॉ को काबू करना आसन रहेगा ये तो वैसे ही मुझ पे फ़िदा लगता है"
असलम :- रुखसाना अपने पैर ऊपर कीजिये चोट नहीं दिख पा रही.
रुखसाना इसी इंतज़ार मे थी वो धीरे से शर्माती हुई अपने पैरो को घुटनो से मोड के स्तन पे चिपका लेती है.
अब तो असलम कि लुंगी कि गांठ ही ढीली होने लगी थी ये दृश्य देख के.
चुत और गांडका लाल छेद खुल के सामने आ जाता है, चुत थोड़ी गीली ही चली थी हालांकि रुखसाना नाटक कर रही थी फिर भी खुद को एक पराये मर्द के सामने नंगा कर उसकी चुत बगावत पे आ गई थी
उसके मन मे कामवासना घर करने लगी थी.
परन्तु असलम नाटा सा भद्दा दिखने वाला व्यक्ति था, "इसका लंड भी इसकी तरह है लुल्ली होगा " ऐसा सोच रुखसाना मुस्कुरा देती है.
असलम, रुखसाना कि कि गांड के पीछे आ जाता है और चोट देखने के बहाने चुत पे झुकता चला जाता है चुत और गांड पसीने से भीगी थी एक मदहोश मादक सा भभका असलमकि नाक से टकराता है असलम गहरी सांस खिंचता है.. सससनीफ़्फ़्फ़.... उसका रोम रोम खड़ा हो जाता है चुत कि खुशबू से.
असलम सांस वापस छोड़ता है ज सीधा गरम चुत कि फांको पे पड़ती है
रुखसाना गर्म हवा को अपनी नंगी चुत पे महसूस कर मचल उठती है बिस्तर पे ही कसमसाने लगती है
हवस कि आग दोनों ओर जलने लगी थी वो अपनी जाँघ आपस मे भींचना चाहती थी कि कही ये गरम हवा चुत मे ही ना घुस जाये, परन्तु असलम ने ऐसा नहीं करने दिया उसने मजबूती से रुखसाना कि जाँघ को दबा लिया.
वो मदहोश हुआ चुत कि गंध को सुंघे जा रहा था उसके लंड से वीर्य कि कुछ बुँदे छलक उठती है.
रुखसाना :- खुद को सँभालते हुए " चोट दिखी डॉ. साहेब? "
असलम:- होश मे आते हुए हाँ.... वो... म... हाँ दिखी
मन मे साली चोट के नाम पे सिर्फ एक खरोच भर है, लेकिन डरी हुई लगती है यहाँ फायदा उठाया जा सकता है. " चोट तो दिखी लगता है किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया है जहर निकालना पड़ेगा वरना पुरे शरीर मे फ़ैल सकता है.
रुखसाना :- हाय राम डॉ. साहेब मै मर तो नहीं जाउंगी ना... जल्दी कुछ कीजिये जो करना है कीजिये आप जहर निकालिये
रुखसाना मन मे "साला डॉ. तो ठरकी निकला खुद मेरे जाल मे फसने को तैयार है,
असलम मन मे :- कितनी नादान लड़की है इसे पता ही नहीं है कि जहरीले कीड़े ने काटा होता तो अब तक तो अल्लाह को प्यारी हो गई होती.
दोनों के चेहरे पे एक दूसरे को बेवकूफ बनाने कि खुशी थी.
असलम :- मुझे चूस के जहर निकालना पड़ेगा.
रुखसाना :- जो करना है जल्दी कीजिये डॉ. साहेब
असलम तो पहले से लोड़ा खड़े हुए खड़ा था उसको तो सब्र ही नहीं हो रहा था वो तेज़ी से अपना मुँह रुखसाना कि चुत पे रख देता है ओर जोरदार तरीके से चाट लेता है.
आअह्ह्ह..... डॉ. साहेब रुखसाना के मुँह से सिर्फ यही निकल पाता है वो अपना धड उठा देती है ओर कोहनी के बल उठ जाती है.
वो देखना चाहती थी कि असलम जहर कैसे चूस रहा है.
असलम अंपी नजर ऊपर उठा के देखता है तो सीधी नजर रुखसाना से टकरा जाती है
दोनों कि ही नजर मे मौन स्वकृति थी.
असलम वापस से जीभ को नीचे कि ओर ला के ऊपर बड़ा देता है.
वो लपा लप चुत चाट रहा था... कभी होंठ को गोल कर के चुत के छेद पे भिड़ा के जोर से अंदर खींचता जैसे वाकई जहर चूस रहा हो.... अब जहर तो था नहीं..
अंदर तो मादक काम रस भरा पड़ा था तो वही निकल. निकल के असलम के मुँह मे समाने लगा.
रुखसाना बेचैनी से तड़पे जा रही थी
रुखसाना :- डॉ. साहेब जहर निकला?
असलम :- अभी गांड मे से भी निकालना पड़ेगा हो सकता है कुछ जहर वहाँ भी गया हो.
ऐसा करो तुम पीछे कि तरफ घूम जाओ ओर अपनी गांड ऊपर उठा लो जहर निकालने मे आसानी होंगी.
रुखसाना मासूम चेहरा बनाये पीछे घूम के घोड़ी बन जाती है.
रुखसाना कि गोरी बड़ी गांड. उभर के बाहर को आ चुकी थी दोनों गांड कि घाटी मे एक लाल छेद दिख रहा था सीकूड़ा हुआ.
असलम अपनी नाक गांड के छेद पे टिका देता है ओर जोरदार सांस खींच लेता है... आअह्ह्हभ..... क्या खुशबू है
रुखसाना :- अपने कुछ कहाँ डॉ.साहेब? सुना तो रुखसाना ने बखूबी था फिर भी अनजान बनी बैठी थी.
असलम :- नहीं तो... मै तो कह रहा था कि जहर कि वजह से तुम्हारी गांड का छेद बिल्कुल लाल हो गया है.
परन्तु चिंता मत करो मै बिल्कुल ठीक कर दूंगा.
असलम अपने होंठो को गोल कर के गांड के छेद पे चिपका देता है,और बाहर कि और पकड़ के खींचने लगता है
रुखसाना ने खूब गांड मरवाई थी परन्तु ये अहसास नया था उसका मन अबडोलने लगा था उसके प्लान मे चुदाई नहीं थी वो सिर्फ रिझा के असलम से दवाइया ले जाना चाहती थी
परन्तु असलम चुसाई कुछ अलग ही कर रही थी.
रुखसाना को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड से कुछ निकल के बाहर आ जायेगा वो दम लगा के अपनी गांड को भींच लेती तभी असलम दम लगा के गांड के छेद को चूसता.
दोनों मे एक रस्साकस्सी शुरू हो गई थी.... नतीजा रुखसाना कि चुत बहने लगी थी उसकी सांसे उखाड़ रहीथी.
गांड से थूक निकल निकल के चुत को भीगाये जा रहा था, चोट का क्या हुआ कुछ नहीं पता..
अब असलम से रहा नहीं गया उसने अपनी पूरी जबान निकल के चुत के दाने पे रख ऊपर गांड टक चाट लिया.
रुखसाना बस सिसक रही थी उसकी तरफ से कोई ना नहीं थी... असलम का ये दौर शुरू हो गया वो गांड और चुत एक साथ चाट रहा था, असलम का पूरा मुँह चुत के रस से भीग चूका था.
आलम चाटे चूसे जा रहा था....रुखसाना के पैर काँपने लगे, स्तन उखाड़ आने पे उतारू थे, सर इधर उधर पटक रही थी.
असलम गांड को अपने सख्त हाथो मे दबोच चाटा चट चाटे जा रहा था....
अपनी जबान को गांड मे घुसाए जा रहा था जैसे तो उसमे से कोई अमृत निकल रहा हो
आआआहहहह..... डॉ. साहेब रुखसाना भल भला के झड़ने लगी उसकी चुत से ऐसा फव्वारा निकला कि असलम पूरा नहा गया..
रुखसाना पेट के बल धड़ाम से गिर पड़ी उसकी सांसे उखड़ी हुई थी.
असलम खड़ा होते हुए, जहर निकल गया है रुखसाना अब तुम ठीक हो. मै दवाई लगा देता हूँ.
रुखसाना स्सखालन के बाद और गरम हो चली थी
असलम दवाई लेने पास के टेबल पे जाता है और जैसे ही दवाई ले के मुड़ता है रुखसाना के होश उड़ जाते है.
रुखसाना लगभग चीखती हुई "ये.... ये.... क्या है डॉ. साहेब?"
असलम खुद ले ध्यान देता है तो पाता है कि उसकी लुंगी नहीं है लोड़ा पूरा तन तना के सलामी दे रहा है कला मोटा लम्बा लंड..
वो वो.... वो... रुखसाना तुम इतनी सुन्दर हो, तुम्हारा जिस्म इतना कामुक है कि ये खुद को रोक ही नहीं पाया, अब बताओ तुम भी कहाँ रुक पाई...
रुखसाना सुनते है शर्मा जाती है, वो भी तो बहकगई थी असलम कि चुसाई से..
मन मे "इतना मोटा लंड तो रंगा बिल्ला का भी नहीं है लगता है सारी खूबसूरती अल्लाह ने लंड मे ही भर दी है "
असलम दवाई लिए रुखसाना के पास आ जाता है
असलम :- ये दवाइयां है लगा लेना जख्म पे ठीक हो जायेगा, वैसे मेरे पास इस से भी अच्छी दवा है तुम चाहो तो वो ले सकती हो..?
रुखसाना :- तो दीजिये ना दवाई
असलम :- वो तो तुम्हे निकालनी पड़ेगी?
रुखसाना :- मै समझी नहीं डॉ. साहेब एक अदा के साथ ऍबे होंठ दबाते हुए बोलती है वो अभी भी नीचे से नंगी थी.
असलम होने लंड कि और इशारा कर के बोलता है इसमें से निकलनी होंगी तुम्हे वो दवाई?
रुखसाना अनजान बनती हुई "इसमें से कैसे "
असलम रुखसाना के मुँह के लास पहुंच जाता है रुखसाना अभी भी पेट के बल लेती हुई थी.
असलम का लंड रुखसाना के होंठो के पास झूल रहा था लंड कि गंध रुखसाना के बदन को गरमा रही थी उसकी जीभ स्वतः ही बाहर को निकल आई और असलम के लंड को छू गई...
आअह्ह्ह..... उम्म्म्म... असलम कि सिसकारी से कमरा हिल गया.
रुखसाना :- इसमें से तो कुछ नहीं निकला डॉ. साहेब मसूम चेहरे से ऐसा प्रश्न पूछ के रुखसाना ने कहर ही ढा दिया था.
असलम :- ऐसे नहीं रुखसाना अपना मुँह खोलो
असलम जो सिर्फ रतिवती को चोद पाया था वो रुखसाना को सीखा रहा था कि लंड कैसे चूसना है.
रुखसाना अपना मुँह खोल देती है..
असलम इतना बेसब्र था कि एक ही झटके मे रुखाना के खुले गरम मुँह मे लंड पेल देता है..
रुखसाना लंड लेते ही वापस हटा लेती है,
"लगता है नादान है ये लड़की " असलम उसके बाल पकड़ के अपने लंड कि ओर खींचता है.
फिर.... पच पच....
पच पच पच.... कि आवाज़ के साथ रुखसाना का थूक बाहर को गिरने लगता है
उसके रंगा बिल्ला का लंड खूब चूसा था परन्तु असलम का लंड बहुत मोटा था अंदर जा के गले मे फस रहा था बाहर आता तो ढेर सारा थूक भी ले आता...
असलम का मकसद पूरा होता दिख रहा था. रुखसाना अब अपनी औकात पे आ गई थी उसने असलम के टट्टे पकड़ लिए और धचा धच अपना मुँह टट्टो कि जड़ तक मारने लगी
असलम म टट्टे थूक से सन गये थे कमरे मे सिर्फ फच फच फच.... कि आवाज़ थी.
थोड़ी देर बाद असलमको अहसास हुआ कि उसका लंड कभी भी जवाब दे सकता है तो वो खुद को अलग करता है
असलम :- दवाई का वक़्त हो चला है रुखसाना.
असलम तुरंत रुखसाना को पीठ के बल लेता देता है और घुटने स्तन पे चिपका देता है.
असलम :- रुखसाना देखो दवाई निकालने मे तुम्हे थोड़ा दर्द होगा लेकिन तुम जल्दी ठीक हो जाओगी.
रुखसाना :- ज़ी ठाकुर साहेब
रुखसाना कि चुत बिल्कुल पनिया गई थी,
उसकीचुत कि खास बात ही यही थी कि इसे जितना चोदो उसकी चुत कसी हुई ही रहती थी
ना जाने क्या वरदान था उसे.
असलम अपना लंड रुखसाना कि चुत पे टिका देता है.
और मसल देता है
रुखसाना इस अहसास को पा के घन घना जाती है, इतनी देर होती चुसाई से वो भी अब चुदना चाहती थी आखिर चुदने मे बुराई ही क्या है.
ये सोच वो मुस्कुरा जाती है.
असलम धीरे धीरे लंड को अंदर पेलने लगता है....
रुखसाना के चेहरे पे दर्द कि लकीर उठती है
आआहहहह..... डॉ साहेब
असलम :- सब्र रखो रुखसाना
धाड़..... ठप... कि आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे रुखसाना कि चुत मे समा जाता है.
टट्टे गांड के छेद पे दस्तक देने लगते है.
रुखसाना वाकई चीख पड़ती है गजब मोटा लंड था असलम का.
ठप ठाप......ठप के मधुर संगीत के साथ रुखसाना कि चुत को पिटा जा रहाथा, उसके टट्टे गांड के छेद पे हमला बोल रहे थेरुखसाना असीम आनंद कि गहराई मे डूबने लगी थी
चोट का दर्द तो था ही नहीं चोट तो चुत से निकले पानी से ही ठीक हो गई थी, वहाँ चोट का कोई नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था अब...
असलम बड़ी सिद्दत से रुखसाना को पेले जा रहा था...
अंदर हवेली मे भी भूरी कि हालत ख़राब थी बिल्लू रामु कालू उसे बुरी तरहपेले जा रहे थे.
अभी उसकी गांड मे दो लंड एक साथ घुसे थे और एक लंड चुत मे था,
उसके मुँह से सिर्फ कामुक सिसकारी निकले जा रही थी....
आअह्ह्ह..... चोदो मुझे और चोदी..... फाड़ो मेरी गांड
कब से प्यासी है तुम्हारी काकी. कस के मारो सालो हिजड़ो जान नहीं है क्या तुम्हारे लंड मे.
ये सुनना था कि तीनो गुस्से से भर गये.. चटाक चटाक... दो थप्पड़ गांड पे पडे भूरी के
और कालू बिल्लू ने अपना लंड एक साथ भूरी कि चुत मे घुसा दिया उसकी तो जान ही निकल गई उसका मुँह खुला रह गया उतने मे रामु उठ के अपना लंड भूरी के हलक मे ठूस देता है.
लंड अभी अभी चुत से निकला था... भूरी का पूरा मुँह थूक और चुत रस से सना हुआ था.
दोनों जगह चुदाई का युद्ध चलता रहा
सुबह होने को आई थी अब तक तीनो ही 2बार भूरी के ऊपर झड़ चुके थे और भूरी तो ना जाने कितनी बार झाड़ी थी इसका हिसाब ही नहीं था, भूरी पूरी वीर्य और थूक से सनी हुई थी.
उसकने आज जी भर के वीर्य सेवन किया था.
भूरी वीर्य और थूक से सनी हवेली मे अपने कमरे कि और बढ़ चली थी और तीनो जमुरे बेसुध वही घास मे किसी मरे के सामान पडे अपनी सांसे दुरुस्त कर रहे थे.
झाड़ी मे बैठा मंगूस " क्या औरत है ये रण्डी " तीन तीन बड़े मोटे लंड भी इसका कुछ ना बिगाड़ पाए.
मजा आएगा इस हवेली मे...
वही असलम भी झड़ने कि कगार पे था चुत से रिसता पानी बिस्तर गिला कर चूका था...
तभी आआहहहहह.... रुखसाना असलम झड़ने वाला था
तभी रुखसाना अपनी चुत को टाइट कर लेती है, और असलम म लंड को जकड लेती है. ये कसाव असलम ना सहन कर सका.
भल भला के झड़ने लगा.... आह्हब..... उम्म्म्म...
असलम का वीर्य रुखसाना कि योनि मे भरता चला गया पुक कि आवाज़ के साथ असलम का लंड बाहर आ गया.
चुत से कुछ बून्द वीर्य कि बाहर भी छलक आई
असलम हांफ रहा था, रुखसाना तुरंत अपनी जाँघ बंद कर लेती है और बुरखा नीचे सरका देती है जैसे कुछ छुपा रही हो.
उसने एक बून्द वीर्य भी चुत से बाहर नहीं आने दिया था. जो थोड़ा बाहर बाहर निकला था उसे भी ऊँगली से वापस अपनी चुत मे धकेल दिया था. ये काम उसने असलम कि नजर बचाते हुए बुरखा नीचे सरकते वक़्त कर दिया था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब सुबह हो चली है दवाई दे दीजिये मै चलती हूँ.
असलम के कुछ बोलने से पहले ही रुखसाना वहाँ रखी दवाई उठा लेती है और बाहर कि ओर चल देती है
असलम सांसे भरता लंड पकड़े उस मोटी गांड कि औरत को जाते देखता ही रह जाता है.
असलम :- क्या औरत है साली जान निकल दी
सूरज निकल चूका था....
आज का दिन क्या गुल खिलायेगा?
बने रहिये कथा जारी