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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


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andypndy

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क्या वेटिंग दोस्तों
अब ये स्टोरी आगे नहीं बढ़ पायेगी, क्युकी स्टोरी इच्छाधारी जानवरो कि है वही मेन चरित्र है कहानी के.
और xforum के रूल्स के मुताबिक मै जानवरो और इंसानों कि sex लाइफ पे बेस्ड स्टोरी नहीं लिख़ सकता.
आज ही रूल्स का हवाला देते हुए मुझे वार्निंग दी गई है.
24 घंटे का टाइम है मेरे पास एडिट नहीं किया तो मेरी कहानी हटा दी जाएगी 😔
अब या तो मुझे कहानी ही रोकनी होंगी या फिर कहानी का पूरा प्लॉट चेंज करना होगा जिसने वीरा, सर्पटा, घुड़वती जैसे charectr हट जायेंगे.
बताइये क्या करू मै अब?
 
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andypndy

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Very different outlook. Well defined characters. Good scope to be an erotic novel.
धन्यवाद दोस्त.... शानदार कहानी बने ऐसी ही कामना है मेरी
 

andypndy

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दोस्तों वीरा और रूपवती का सम्भोग सीन हटा रहा हूँ.
जिसने नहीं पड़ा है वो स्क्रीनशॉट ले ले या फिर कॉपी कर ले.
आज शाम को वीरा और रूपवती का सम्भोग वाला अपडेट -20 हटा दूंगा.
और कहानी मे थोड़ा चेंज ये रहेगा कि जो भी इच्छाधारी चरित्र है उनका सम्भोग इंसानी रूप मे ही दिखाया जायेगा.
 

Kapil Bajaj

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OK ठीक है बड़े भाई जैसा आपको सही लगे वैसा करो पर कहानी बंद मत करना बड़े भाई कहानी में हल्का सा चेंज ला दो
 

andypndy

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Dont worry दोस्तों मुझे रास्ता मिल गया है, मै कहानी बंद नहीं कर रहा हूँ
बस थोड़ा सा चेंज आएगा कहानी मे लेकिन चरित्र सब वही रहेंगे.
जो कहानी चल रही है वही चलेगी.
अभी एक छोटा अपडेट दे रहा हूँ.
बाक़ी रात मे.... अभी पिछले अपडेट को थोड़ा सा चेंज करूंगा.
जो चेंज होगा वो आप लोगो को बता दूंगा.
साथ बने रहने के लिए धन्यवाद
👍
कथा जारी है....
 

andypndy

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चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -37

सुबह हो चली थी सुबह कि किरण कामवती के सुन्दर मुख पे गिर रही थी,
वो आंखे मसलती उठ बैठती है उसे अच्छी नींद आईथी मखमली बिस्तर पे.
उसकी नजर ठाकुर पे पड़ती है जो कि घोड़े बैच के किसी बोर कि तरह खर्राटे मार रहा था उसे देख कामवती कि हसीं फुट पड़ती है.
कितनी हसीन लगती है कामवती हसती हुई किसी स्वर्ग कि अप्सरा को भी ईर्ष्या हो जाये उसे हसता देख के.
चोर मंगूस अपनी तलाश मे सुबह सुबह ही लग गया था.वो हवेली मे कुछ ढूंढ़ रहा था भूरी काकी रात भर कि थकी चुदी हुई सोइ थी.
कामवती बिस्तर से उठ जाती है ऊसर तेज़ पेशाब आया था सहना मुश्किल था.
वो एक कमरे कि और चल पड़ती है जो गुसालखाने जैसा ही था परन्तु ऊपर से खुला ही था,
पहले के ज़माने मे घर के अंदर ही गुसालखाना हो ऐसा अच्छा नहीं मना जाता था.
कामवती जल्दी जल्दी चलती हुई वहाँ पहुंच जाती है, पैरो मे पड़ी पायल के छन छानहत मंगूस के कानो मे पड़ती है वो जल्दी से उसी गुसालखाने नुमा कमरे किऔर भागता है...
वही पायल का मधुर संगीत नागेंद्र के कानो मे भी पड़ता है वो तुरंत सरसरा जाता है आवाज़ कि दिशा मे.
वो अपनी प्रेमिका को निहारने का एक भी मौका नहीं खोना चाहता था.
कामवती इन सब से अनजान गुसालखाने मे पहुंचती है अच्छा बना हुआ था परदे लगे हुए थे, वो इधर उधर देख के अपना पेटीकोट ऊपर कर देती है और नीचे बैठ जाती है...
आअह्ह्ह.... सुकून मिला कामवती के मुख से फुट पड़ता है
वही दो जोड़ी आंखे ये दृश्य देख पथरा गई थी.
कामवती कि गांड कि तरफ मंगूस कही छुपा बैठा था उसके सामने कामवती कि बड़ी गोरी गांड थी.
मंगूस :- साला इस घर मे सब कि सब एक से बढकर एक गांड है.
20210906-142358.jpg

कल रात वो भूरी आज ये जवान कामुक कामवती, इसकी गांड भी लुटनी पड़ेगी लगता है.
तभी मंगूस कि नजर कामवती से होती हुई सामने जाती है जहाँ एक सांप दुबका पड़ा था वो हिल दुल नहीं रहा था.
सांप कि नजर कामवती कि पेशाब करती चुत मे जमीं हुई थी ऐसा लगता था जैसे वो साँप चुत से निकलते मधुर संगीत मे कही खो गया है.
20210802-222001.jpg

नागेंद्र को सामने से कामवती कि चिपकी हुई चुत से पानी कि तेज़ धार निकलती दिख रही थी उसका बस चलता तो वो इस झरने मे डूब डूब के नहाता.
कामवती का ध्यान बिल्कुल भी सामने नहीं था नहीं तो नागेंद्र उसे दिख जाता, उसे तेज पेशाब लगा था इसलिए वो पेशाब करने के आनद मे खोई हुई थी.
नागेंद्र :- फुसससस.... बस मुझे इसी प्यारी सी चुत मे घुस के काटना है, ताकि कामवती का श्राप खत्म हो और मेरी शक्ति लौट आये, फिर उस घोड़े वीरा कि खेर नहीं ये सब सोचता नागेंद्र आगे को चुत चूमने के लिए बढ़ता है तभी पीछे से सरसरहत से कामवती चौक जाती है,
डर से वो खड़ी हो जाती है उसका मूत रूक जाता है, उसे लगता है जैसे परदे के पीछे से कोई उसे देख रहा है.
वो डरती हुई परदे तक जाती है और झट से पर्दा हटा देती है...
परन्तु वहाँ कोई नहीं था, मंगूस छलवा था गायब हो गया.
कामवती चैन को सांस लेती है...
कामवती.... अरी ठकुराइन बाहर से ठाकुर ज़ालिम कि आवाज़ अति.
कामवती :- ज़ी आई ठाकुर साहेब.
कामवती बाहर कि ओर निकल जाती है.
नागेंद्र फिर से नाकाम रहता है.....
वही मंगूस के दिमाग़ मे बहुत से विचार दौड़ रहे थे.
वो सांप कौन था? भला कोई सांप किसी लड़की कि चुत क्यों देखेगा?
सांप है तो नागमणि भी होंगी?
इसी सांप पे काबू पाना होगा सच जानना होगा मुझे.
चल बेटा मंगूस.... मंगूस हवेली के बाहर निकल जाता है.

कथा जारी है.... बने रहिये 😀
 
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Nevil singh

Well-Known Member
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Dont worry दोस्तों मुझे रास्ता मिल गया है, मै कहानी बंद नहीं कर रहा हूँ
बस थोड़ा सा चेंज आएगा कहानी मे लेकिन चरित्र सब वही रहेंगे.
जो कहानी चल रही है वही चलेगी.
अभी एक छोटा अपडेट दे रहा हूँ.
बाक़ी रात मे.... अभी पिछले अपडेट को थोड़ा सा चेंज करूंगा.
जो चेंज होगा वो आप लोगो को बता दूंगा.
साथ बने रहने के लिए धन्यवाद
👍
कथा जारी है....
Ok bhai
 
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