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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


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Well-Known Member
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई
मजा आ गया
नागराज सर्पटा क्या नागमणी हासील कर पायेगा या चोर मंगूस नागेंद्र के पास से वो चुरा लेगा
वैसे सर्पटा विरा के वार से कैसे बचा और बचाने वाला कौन है
क्या रंगा की ये आखरी रात कहा की है जेल की या जिंदगी की
कही वो अनजान महिला रंगा को तो बचाने के लिये तो नहीं आयी है
देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

andypndy

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Daroga ko mariyega mat bas ranga chhute ya mare par daroga nahi please.

Aapki story jaisa aap thik samajhe andypndyji
Hahahaha.... लगता है दरोगा का जुड़ाव है आप से, अब कहानी कि जो मांग है वो तो पूरी करनी ही होंगी.
इतना जरूर है कि रंगा बिल्ला के हाथो नहीं मरेगा दरोगा.😀
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Bhai ekdum Dhasu story hai. Maza Aagaya. Waiting for next . Dekhte Hai naagmani kise milti hai or kaamvati ki chudai kon karta hai.
 

andypndy

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हेलो दोस्तों... माफ़ी चाहूंगा कि कल अपडेट नहीं दे पाया फैमली हॉलिडे पे आया हूँ तो संभव नहीं हो पाया.
आज शाम तक अपडेट देने कि कोशिश रहेगी मेरी.
बने रहिये... कथा जारी है 👍
 

xxxlove

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चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट 38

सूरज सर पे चढ़ आया था रुखसाना हाफ़ती थकी मांदी अपने घर पहुंच चुकी थी जहाँ बिल्ला मरणासान अवस्था मे पड़ा था,
रुखसाना :- ये लीजिये बाबा दवाई ले आई मै जल्दी से बिल्ला के जख्मो पे लगा दीजिये
ओर साथ ही असलम का वीर्य भी लाइ हूँ. वो आवेश मे अपनी सलवार खोल देती है और वही जमीन पे पैरो के बल बैठ के पास पडे कटोरे मे अपनी चुत को ढीला छोड़ देती है भल भला के डॉ. असलम का वीर्य चुने लगता है उसकी गोरी चिकनी चुत से, बचा खुचा वीर्य रुखसाना ऊँगली डाल के कटोरे मे निकाल लेती है
039adc45be85ba3af8f1da03e1f1fe0e-18.jpg

... पूरा वीर्य निकलने के बाद वो उठ खड़ी होती है "ये लीजिये बाबा असलम का वीर्य "
अब मेरा काम कर दीजिये

मौलाना :- बेटा अभी तक सिर्फ 6 लोगो का ही वीर्य मिला है 7वा वीर्य किसी जमींदार ठाकुर पुरुष का चाहिए.
तभी मै अपनी शक्ति से वो कमाल कर पाउँगा.
रुखसाना निराशा से अपना सर झुका लेती है मन मे बदबूदाते "कब मिलोगे तुम? रुखसाना कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही है, तुम्हे जिन्दा होना ही होगा " उसकी आँखों मे आँसू थे, नहाने चल पड़ती है.
मौलाना बिल्ला के जख्मो मे दवाई लगा देता है. बिल्ला अभी भी बेहोश ही पड़ा था.
उधर रंगा भी बेसुध अधमरी हालत मे था, दरोगा वीर प्रताप ने अपने जीवन का सारा गुस्सा उस पे ही निकाल दिया था मार मार के अधमरा कर दिया था रंगा को, फिर भी उसके होंठ शरारती अंदाज़ मे मुस्कुरा रहे थे ना जाने क्या विश्वास था उसे.
और रंगा कि मुश्कुराहट ही वीर प्रताप कि चिढ़ बन गई थी.

गांव विष रूप मे
ठाकुर ज़ालिम सिंह अपने तीनो सेवक कालू बिल्लू रामु के साथ नगर भर्मण पे निकला था
वो अपनी जमीन जायदाद का जायजा ले रहा था.
पीछे बिल्लू फुसफुसाते हुए "यार ये ठाकुर कब से हमें घुमाये जा रहा है, नई जवान बीवी आई है उसे जम के चोदना चाहिए उल्टा बुढ़ऊ हम तीनो को अपने पीछे घुमा रहा है ना खुद चोद रहा ना हम भूरी को चोद पा रहे.
तीनो हलकी हसीं हस देते है.
ठाकुर :- क्यों बे हरामखोरो बड़ी हसीं आ रही है हरामियोंकोई काम होता नहीं तुमसे यहाँ तुम्हे हसवा लो.
आज से रात को खेतो कि चौकीदारी करना और कालू तू हवेली मे रहना.
रामु :- मरवा दिया ना साले
बात भले आई गई हो गई परन्तु ठाकुर ने थोड़ी सी फुसफुसाहट सुनी थी " वैसे लड़के सही ही कह रहे है मेरी नई बीवी है मुझे अभी वंश बढ़ाने पे ध्यान देना चाहिए.
ऐसा सोच वो घर कि और चल पड़ता है साँझ हो चली थी.
हवेली मे कामवती बोर हो गई थी, भूरी से थोड़ी बात चीत हुई अब भला एक जवान कुंवारी कन्या भूरी से क्या बात करती.
तभी ठाकुर हवेली पे प्रवेश करते है...
ठाकुर :- हाँ तो ठकुराइन कैसा रहा आज का दिन?
कामवती :- क्या कैसा दिन मै तो अकेली उदास हो गई
कामवती कि मासूमियत देख ठाकुर को हसीं आ जाती है.
आओ हमारे पूर्वजों कि तस्वीरें दिखाता हूँ. कामवती ठाकुर के पीछे चल देती है,
ठाकुर किसी तस्वीर को ओर इशारा करता है "ये देखिये ये मेरे परदादा है ठाकुर जलन सिंह, कहते है इन्होने ही विष रूप से साँपो का खात्मा किया और यहाँ इंसान रहने लगे "
कामवती कि नजर जैसे ही तस्वीर पे पड़ती है उसके मस्तिष्क मे कुछ दृश्य चलने लगते है वो तस्वीर वाला आदमी उसे जाना पहचाना लग रहा था.
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कोई स्त्री बिल्कुल नंगन अवस्था मे जोर जोर से चिल्ला रही थी, ठाकुर जलन सिंह हस रहा था हा... हाहाहा.... बहुत शौक है ना चुदाई का तुझे?
कामवती.... ओ कामवती.. कहाँ खो गई, ठाकुर उसका कन्धा पकड़ के हिलाता है.
सारे दृश्य एकाएक गायब हो जाते है.
ठाकुर अपने खानदान कि तस्वीर दिखाता चला जाता है परन्तु कामवती के दिमाग़ मे वही ज़ालिम सिंह कि भयानक हसीं ही दौड़ रही थी.
ऐसा विचार क्यों आया मुझे?
ठाकुर कमरे से बाहर निकलते हुये, अभी तो खाना खिलाओ भूख लगी है ठकुराइन
कामवती अपने विचारों से बाहर आ जाती है.
रात घिर आई थी, आज ठाकुर ने आसलम के द्वारा दी गई दवाई खा ली थी क्युकी वो कामवती को अच्छे से चोदना चाहता था.
भूरी अपने कमरे मे तड़प रही थी उसके पास और कोई चारा भी नहीं था क्युकी बिल्लू रामु को ठाकुर ने खेतो कि रखवाली के लिए छोड़ दिया था.आज उसे ऊँगली से ही काम चलाना पड़ेगा.
बेचारी भूरी....
कामवती दूध का गिलास लिए कमरे मे अति है.
ठाकुर :-कहाँ रह गई थी कामवती ठकुराइन.
यहाँ पास आओ बैठो, कामवती लाजती शर्माती बिस्तर पे बैठ जातीहै
ठाकुर थोड़ा करीब खिसक आता है उसका लंड तो शाम से ही तनतना रहा था.
ठाकुर :- कामवती हमें जल्दी से पुत्र रत्न दे दो,
कामवती सुन के शर्मा जाती है और अपना चेहरा दूसरी और घुमा लेती है.
ठाकुर उसका चेहरा अपनी ओर घूमाता है "कल रात कैसा लगा था कामवती "
कामवती :- कल कब ठाकुर साहेब?
कल रात
कामवती :- अच्छा था
"सिर्फ अच्छा?"
कामवती क्या जानती थी कामकला के बारे मे उसके लिए तो ठाकुर के द्वारा दी गई छुवन ही सम्भोग था.
"बहुत मजा हुआ था ठाकुर साहेब "
इतना सुन ना था कि ठाकुर उसकी चुनरी निकाल देता है उसके स्तन अर्ध नग्न हो जाते है गोरे दूधिया सुडोल स्तन
"तुम कितनी सुन्दर हो कामवती " ठाकुर स्तनो को ही निहारे जा रहा था.
उसका लंड दवाई के असर से फटने पे आतुर था वो तुरंत कामवती को लेता के उसका लहंगा ऊपर कर देता है ओर अपना पजामा सरका के चढ़ पड़ता है कामवती पे.
ना जाने लंड कहाँ गया था, अंदर गया भी था कि नहीं 5-6 धक्को मे तो ठाकुर ऐसे हांफने लगा जैसे उसके प्राण ही निकल जायेंगे.
हुआ भी यही... आअह्ह्ह..... उम्म्म्म..... कामवती मे गया मुझे पुत्र ही चाहिए.
ठाकुर का पतला सा वीर्य बहता हुआ बिस्तर मे कही गायब हो गया था.
ठाकुर के भारी वजन से कामवती कि सांसे चल रही थी जिस वजह से उसके स्तन उठ गिर रहे थे.
कामवती को गहरी सांस लेते देख ठाकुर गर्व से बोलता है " ऐसे सम्भोग कि आदत डाल लो ठकुराइन, तुम्हारा पाला असली मर्द से पड़ा है "
अपनी लुल्ली पे घमंड करता ठाकुर सो जाता है,
कामवती भी लहंगा नीचे किये करवट ले आंखे बंद कर लेती है उसके मन मे कोई विचार नहीं थे.
परन्तु विचार किसी ओर के मन मे जरूर थे जो ये सब खिड़की से छुप के देख रहा था.
"साला ये ठाकुर अपनी लुल्ली पे घमंड कर रहा है, हरामी ऐसी खबसूरत कामुक स्त्री का अपमान है ये तो "
खेर अभी अपनी तलाश मे निकलता हूँ, ठाकुर कि ईट से ईट बजा देनी है.
ऐसा सोच मंगूस पूरी हवेली मे घूमता है आज ही मौका था उसके पास हवेली खाली थी.

दूर कही किसी अँधेरी गुफा से किसी के फुसफुसाने कि आवाज़ आ रही थी, जैसे कोई भयानक सांप फूंकार रहा हो.
नहीं कामरूपा नहीं... नागेंद्र को जल्दी ही ढूंढो वो वही कही हवेली मे है,
उसकी नागमणि मुझे किसी भी कीमत पे चाहिए क्युकी वो इस पृथ्वी पे आखरी बचा इच्छाधारी नाग है.
उस नागमणि कि सहायता से मुझे वापस सर्प राज स्थापित करना है.

तुमने मुझे बचा तो लिया था परन्तु मेरी शक्ति चली गई मै मरे के सामान ही हूँ.
कामरूपा :- मै प्रयास कर रही हो नाग सम्राट सर्पटा

सर्पटा :- अब प्रयास नहीं कामरूपा प्रयास नहीं परिणाम चाहिए.
हरामी वीरा कि बहन घुड़वती कि गंध महसूस कि है मैंने.
इस बार उसके भाई के सामने ही उसकी गांड मे लंड डाल के अताड़िया बाहर निकल लूंगा मै. उसके बाद वीरा भी खतम सिर्फ और सिर्फ नाग प्रजाति बचेगी इस पपृथ्वी पे. हाहाहाहाहा......
एक भयानक हसीं गूंज उठती है... एक बार को तो कामरूपा भी काँप जाती है ऐसी जहरीली हसीं से.
कामरूपा वहां से चल देती है....
सुबह कि लाल रौशनी वातावरण मे फ़ैल गई थी एक स्त्री नुमा साया हवेली मे प्रवेश कर गायब हो गया था.
नागेंद्र अपनी नागमणि बचा पायेगा?
बने रहिये... कथा जारी है
Jabardast update bhai......
 
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