चैप्टर-3 नागमणी की खोज अपडेट -42
रात गहरा गई थी सभी लोग अपनी अपनी कौशिश में लगे हुए थे
रुखसाना रंगा को छुड़ाने की फिराक में थी वहीं विष रूप ठाकुर की हवेली में नागमणी की खोज जारी थी
उसने पूरी हवेली छान मारी थी परन्तु नागमणी का कोई नामोनिशान नहीं था ,
भूरी काकी के कमरे के पास में ही चोर मंगूस खोज में लगा था कि उसकी नजर एक काले साए पे पड़ती है मंगुस सांस रोके खड़ा हो जाता है ,
वो साया इधर उधर देखता है और हवेली के पिछ्ले हिस्से की और चल पड़ता है
चोर मंगूस- ये इतनी रात को हवेली से बाहर कौन जा रहा है ?
मुझे पता लगाना होगा ये सोच मंगूस भी उस साए के पीछे लगा जाता।
जरूर ये साया किसी औरत का है ,साए के हिलते स्तन और मतकती गांड इस बात के सबूत थे कि साया किसी मादक भारी हुई स्त्री का ही है।
साया हवेली से बाहर निकाल के चलता ही जा रहा था दूर बहुत दूर ,
मंगूस- कौन है ?जब से चली ही जा रही है ,ये तो काली पहाड़ी का सुनसान इलाका आ गया चक्कर क्या है ?
वो साया एक गुफा नुमा कमरे में प्रवेश करता चला जाता है ,मंगूस भी दीवार के सहारे चिपक के अंदर झांकने की कौशिश करता है साफ कुछ दिख नहीं रहा था शायद सुनाई से सके।
अंदर गुफा में एक पूर्ण नग्न व्यक्ति तपस्या की अवस्था में बैठा हुआ था उसका बड़ा सा काला भयानक लंड चट्टान से नीचे की तरफ झुल रहा था।
साया :- हम्ममम।। प्रणाम स्वामी महान तांत्रिक उलजुलूल
इस नाचीज़ का प्रणाम स्वीकार करे ।
तांत्रिक उलजुलुल इस आवाज से भलीभांति परिचित था वो तुरंत बेचैनी से आंखे खोल देता है।
तांत्रिक :- तू....तू....तुम....इतने सालो बाद ? तांत्रिक की आंखे उस साए को देख पूरी बाहर को आ गई थी।
वो हद से ज्यादा हैरान था।
साया :- हां मेरे स्वामी मै..आपकी धर्म पत्नी कामरूपा
तांत्रिक उठ खड़ा होता है "चुप कर रंडी मत कह मुझे अपना स्वामी अपनी गंदी जबान से वरना जबान खींच लूंगा तेरी "
कामरूपा:- क्यों नाराज होते है प्राणनाथ ? वो बला की खूबसूरत औरत एक कामुक मुस्कान बिखेर देती h
और अपनी मादक चाल चलती हुई तांत्रिक उल्जुलुल के पास पहुंच जाती है।
तांत्रिक उस अपने इतने पास पाकर पिघले लगता h।
बहार मंगु्स ये सब देख सुन के हैरान था "मादरचोद ये चल क्या रहा है यहां में नागमणी ढूंढ रहा हूं और यह अलग ही चोद चल रही है "
तांत्रिक :- दूर रह मुझसे नापाक पापी औरत जरूर तुझे कोई काम होगा मुझसे तभी मेरे पास आई है ?
कामरूपा:- आप तो सब जानते h स्वामी फिर भी पूछते है ?
तांत्रिक:- तू तो हजार साल पहले मुझे छोड़ के उस नीच पापी सर्पटा के पास चली गई थी, तू मेरे सच्चे प्यार से खुश नहीं थी
तेरे जाने के बियोग में मैंने अपना पूरा जीवन इस तांत्रिक जीवन में ही लगा दिया।
कामरूपा:- मै क्या करती मुझे सदा जवान रहना था और ऐसा सिर्फ सर्पटा ही कर सकता था.
तुम मे वो बात नहीं जो सर्पटा मे है उसका वीर्य मुझे जवान रखता है, तुम्हारे वीर्य मे ऐसी ताकत कहा? सर्पटा के वीर्य के बिना देखो मै कैसे बूढ़ी होती जा रही हु.
उलजूलुल बुरी तरह शर्मिंदा था शर्म से उसका चेहरा नीचे झुक गया था
तांत्रिक:-नीच स्वार्थी औरत क्या चाहती हो तुम ? क्या सिर्फ मेरी मर्दानगी का मजाक उड़ाने ही आई हो इतने सालो बाद ?
कामरूपा:- नहीं स्वामी.....मुझे नागमणी चाहिए ।मुझे उसका पता बताओ कहा है नागेन्द्र और उसकी नागमणी ?
तांत्रिक हैरान था " क्या??? क्यों चाहिए तुम्हें नागमणी ?
और तुम तो मुझसे भी बड़ी तांत्रिक हुआ करती थी खुद क्यों नहीं ढूंढ लेती मेरे पास आने का क्या तात्पर्य है ?
कामरूपा:- सर्पटा के लिए
तांत्रिक :- क्या?? डर और आतंक से उलजुलूलू की आंखे कटोरे से बाहर आ गई थी.
ये ये ये...क्या कह रही हो तुम? सर्पटा तो मर चूका है वीरा ने खुद अपनी बहन का बदला दिया था उस से,उस का सर धड से अलग कर दिया था.
कामरूपा:-हाहाहाहाहा...... मेरे होते ऐसा कैसे हो सकता था,मत भूलो की सर्पटा साँपो का राजा है महाशक्ति धारक है,वीरा के जाते ही मै झरने के किनारे पहुंच गई थी,जहा सर्पटा का धड तड़प रहा था उसमे अभी प्राण बाकि थे,मेरी सारी शक्ति सर्पटा को जिंदा करने में चली गई ,सर्पटा जी तो उठा परन्तु उसमे रत्तीभर शक्ति भी नहीं बची थी.
मुझे उसका वीर्य चाहिए था परन्तु वो इस हालत मे ही नहीं है की सम्भोग कर सके.
मुझे जवान होना है उलजुलूल मुझे जवान होना है मुझे उस नागमणि का पता बताओ.
तांत्रिक:- मुर्ख औरत तुझे पता है तू क्या बोल रही है,तेरी हवस और इच्छा क्या कहर ढाएगी पता है तुझे?
कामरूपा :- मुझे कुछ नहीं पता मुझे बस अपनी जवानी चाहिए.
तांत्रिक :- ऐसा नहीं हो सकता,सर्पटा की शक्ति वापस आ गई तो वो दुनिया मे कोहराम मचा देगा,मानव जाती का सम्पूर्ण विनाश कर देगा सिर्फ सर्प प्रजाति है रह पायेगी धरती पे.
कामरूपा भी जिद पेअड़ी थी और यदि कोई औरत जिद पे आ जाये तो कोई कुछ नहीं कर सकता...
कामरूपा :- मुझे लता है मेरे पतिदेव तुम आसानी से नहीं मानोगे.
मै भी जानती हु तुम्हारी कमजोरी..
ऐसा बोल कामरूपा अपनी ब्लाउज एक ही झटके मे खोल फेंकती है उसके मदमस्त सुडोल बड़े स्तन बाहर को छलक जाते है.
पीछे मंगूस नंगी पीठ देख के हैरान था गोरी एक दम चिकनी कैसी हुई पीठ और कमर उसके निचे लहंगे मे कैद बड़े से हिलती गांड.
आगे उलजुलूल की भी हालत ठीक नहीं थी वो सालो बाद अपनी पत्नी को इस रूप मे देख रहा था,भले कामरूपा उसे छोड़ के चली गई थी परन्तु उलजुलूल के मन मे कामरूपा ही बस्ती थी.
उसका जवान जिस्म मदमस्त अंग चोड़े चूतड.
बड़े स्तन चिकना पेट,गहरी नाभि आज भी कामरूपा किसो अप्सरा से काम नहीं है.
"नहीं नहीं...ये मै क्या सोच रहा हु मै सन्यास ले चूका हु,ये पाप है "
तांत्रिक आज खुद से लड रहा था..
उधर थाने मे रुखसाना नशे और मदहोशी से लड़ रही थी,वो खुद को सँभालने की भरसक कोशिश कर रही थी परन्तु दरोगा की छुवन उसे वापस मदहोशी की खाई मे धकेल देती...
बने रहिये कथा जारी है....