चैप्टर :-3 नागमणि की खोज अपडेट -45
कामरूपा सफलता की सीढ़ी चढ़ रही थी
वही थाने मे दरोगा नाकामयाबी की गहराई मे गिरता जा रहा था,रुखसाना की जांघो के बिच मुँह फ़साये अमृत पान कर रहा था.
लाप लाप....लप चाटे जा रहा था चुतरस था की खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था,रुखसाना की चुत जीभ की खुदरन से अति उत्तेजित हो के खुल बंद हो रही थी उसकी चुत का दाना पूरी तरह उभार के बाहर निकाल आया था जिसे दरोगा मे अपने होंठो के बिच भर लिया और चुभलाने लगा, यही वो छड़ था जहा रुखसाना अपना सब्र खो देती है उसकी चुत एक तेज़ पिचकारी के साथ दरोगा को दूर फेंक देती है दरोगा पीछे को और लुढ़क जाता है रुखसाना लगातार कामरस और पेशाब को धार दरोगा की छाती पे छोड़ती चली जा रही थी...
थाने का कमरा चीख से गूंज उठा था...आआहहहहह....दरोगा साहेब....उम्मम्मम...
रुखसाना हाथ को चुत पे रख निकलते झरने को रोकने का भरसक प्रयास करती है किन्तु आज जैसे रुखसाना झड़ी थी वैसा कभी नहीं हुआ था हाथ से लग के पेशाब इधर उधर बिखरने लगा.
आअह्ह्ह....
आआहहहह..उम्मम्मम.....माँ आअह्ह्ह....
इस आखरी चीख के साथ सब शांत हो गया था अजीब सन्नाटा पसर गया चारो और सिर्फ गिलापन था मादक खुसबू फैली हुई
थी.
निचे गिरा दरोगा हैरानी से आंखे फाडे इस बला के कामुक खूबसूरत औरत को सख्तीलित होते देख रहा था ऐसा नजारा ऐसा दृश्य उसने कभी सपने मे भी नहीं देखा था,"भला कोई स्त्री ऐसे भी झड़ सकती है "
आज जीवन मे कुछ नया सीखा था दरोगा ने.
रुखसाना कुर्सी पे पूर्णनग्न अवस्था मे बैठी थी, बैठी क्या थी झूल गई थी हाथ पाव ढीले पड़ गए थे चुत से अभी भी बून्द बून्द अमृत टपक रहा था फूल के पाव रोटी बन गई थी चुत.
शहर मे
सुलेमान भी दरोगा की बीवी पे टुटा हुआ था सुलेमान जितना मजबूत और काम क्रिया मे माहिर था उतनी ही कलावती भी जटिल औरत थी आसानी से झड़ने का नाम ही नहीं लेती थी.
सुलेमान चुत और गांड को चाट चाट के बिलकुल गिला कर चूका था,चुत चाटता तो ऊँगली गांड मे धसा देता, गांड चाटता तो चुत मे ऊँगली फसा देता,
कलावती इस क्रिया से मरी जा रही थी उसकी उत्तेजना का कोई ठिकाना ही नहीं था दोनों हाथो से अपने स्तन को मसले जा रही थी.जितनी ताकत से भींच सकती थी भींच रही थी,अपनी गांड उठा उठा के सुलेमान के मुँह पे पटक रही थी.
उस से रहा नहीं जाता वो उठ बैठती है और सुलेमान को निचे गिरा उसके मुँह मे गांड रख के बैठ जाती है.
कलावती शेरनी थी जब सम्भोग पे अति थी ये बात सुलेमान भी अच्छे से जनता था इसलिए वो पहले ही तैयार था निचे गिरते ही वो अपना मुँह खोल चूका तो और एक लम्बी सांस ले ली थी क्युकी अब अगली सांस लेने का मौका कब मिलेगा वो कलावती की मर्ज़ी पे निर्भर था.
कलावती अपनी गांड सुलेमान के खुले मुँह पे रख देती है उसकी चुत सुलेमान की नाक पे दब गई थी और मुँह मे गांड का छेद भरा था.
सुलेमान को सांस लेने की कोई जगह नहीं थी.
अब सुलेमान को जिन्दा बचने का एक ही तरीका पता था वो था कलावती को जल्द से जल्द सख्तीलित करवाना.
सुलेमान अपना पूरा मुँह खोले कलावती की गांड के बड़े छेद को चूस रहा था चाट रहा था उसकी नाक चुत मे घुसी हुई थी चुत से निकलती मादक महक सीधा नाक मे घुसती चली जा रही थी इसका असर ये हुआ की सुलेमानी काला बड़ा लंड पूरी तरह फन फनाने लगा,
कलावती आंख बंद किये हुए अपने स्तन मसल रही थी उसको जितनी उत्तेजना बढ़ती इतना ही दबाव सुलेमान के मुँह पे बढ़ता चला जाता.
नाक से गर्म सांसे सीधा चुत मे प्रवेश कर रही थी, सुलेमान ने जीभ गोल कर सीधा गांड मे घुसा दी एक मादक कसैला स्वाद मुँह मे घुलता चला गया,इस स्वाद ने सिर्फ मदकता थी जो सुलेमान को और ज्यादा उकसा रही थी,
सुलेमान जितना हो सकता था उतनी जीभ गांड के अंदर डाल देता है उसके होंठ गांड के चारो ओर चिपक गए थे थूक रिसता हुआ बाहर आ रहा था,ऊपर से कळवती की चुत लगातर पानी छोड़ रही थी जो निचे रिसता नाक से होता हुआ सुलेमान के मुँह मे समता जा रहा था.
सांसे थमने ही वाली थी की सुलेमान अपने मुँह को पूरी ताकत से भींच लेता है.
गांड के छेद को दांतो तले दबा के बाहर को खिंचता है...
आआआआह्हः.....उम्मम्मम कलावती दर्द ओर काम उन्माद मे तड़प उठती है उसकी चुत से अमृत धारा छूट पड़ती है.
आअह्ह्हम....सुलेमान मै गई सुलेमान उम्म्म्म....
भलभला के झड़ने लगी ढेर सारे सफ़ेद पानी से सुलेमान का चेहरा भीगने लगा काली दाढ़ी पूरी चिपचिपी हो गई. उन्माद और दर्द से कालावती अपनी गांड सुलेमान के चेहरे पे रागड़ने लगती है.
परन्तु सुलेमान अभी भी गुदाछिद्र को मुँह मे दबोच रखा.
तभी गांड से एक तेज़ हवा निकली...पुररररररर.....फुससससस...इसी के साथ कालावती आज़ाद हो गई ओर धड़ाम से पेट के बल गिर पडी.
गांड के छेद के चारो ओर दांतो के निशान थे,सुलेमान का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.
सुलेमान :- साली रांड मै मर जाता अभी तक तो...
कालावती सिर्फ मुस्कुरा दी उसकी तरफ देख के एक हसीन औरत गांड बाहर निकाले चूड़ी छानछनाती उसे देखे जा रही थी सांसे दुरुस्त कर रही थी.
उसकी इस मुस्कुराहट से सुलेमान का पारा सातवे आसमान पे चढ़ गया.
उसने आव देखा ना ताव पलट के कालावती के पीछे आ गया और एक ही बार मे बिना किसी चेतावनी के पूरा 9इंची मुसल लंड सीधा गांड मे पेल दिया उसके टट्टे बहती चुत से टकरा गए.
थाअप्प्प....की आवाज़ के साथ साथ ही एक जोरदार चीख भी गूंज उठी ये चीख कालावती के खूबसूरत हलक से निकली थी...
आअह्ह्हम......हरामखोर जानवर ऐसे कौन चोदता है,छोड़ मुझे छोड़ साले..
कालावती की चीख पुकार का कोई असर नहीं था सुलेमान पे.
वो पूरी ताकत से कालावती की कमर पकड़ लेता है और लंड बाहर खिंच लेता है...लंड के साथ साथ गांड का मांस भी बाहर आने लगता है की तभी धाप....थप्पप....से लंड वापस जड़ तक अंदर डाल देता है टट्टे फिर चुत ले चोट कर देते है.
आअह्ह्ह....सुलेमान....आअह्ह्ह....
इस बार सिर्फ सिसकारी थी.
गांड के चारो और दाँत से कटे गए निशान का घेरा रहा उस की बिच लाल छेद मे एक काला मुसल फसा हुआ था
लगता था जैसे किसी ने चक्रवयूह की रचना की हो और किसी बलशाली योद्धा को बीच मे फसा लिया हो.
आज ये युद्ध जीतना है तो चक्रव्यूह तोडना होगा.
सुलेमान वो योद्धा था जो गुस्से मे पागल हो चूका था....धाड़ धाड़..धप धप घप....लगातार लंड बाहर आता और तुरंत अंदर तक घुस जाता.
चाटे जाने और कालावती के झड़ने से से गांड गीली थी इसलिए लंड घुस भी गया वरना मृत्यु पक्की थी कलावती की.
ऐसे ही बेदर्दी से लंड गांड की दिवार को तोड़ता रहा फाड़ता रहा....टट्टे लगातार चुत पे हमला कर रहे थे परिणाम स्वरूप चुत पानी छोड़ने लगी.
रस तपकने लगा सुलेमान के टट्टे होने उद्देश्य मे कामयाब हो गए थे.
आआहहब्ब.....सुलेमान फाड़ो मेरी गांड मारो और तेज़ और तेज़ मारो कस के चोदो मुझे.
इतनी बड़ी गांड कर दो की दरोगा इसी मे समा जाये.
आअह्ह्ह....उम्मम्मम...
काम पिपशु औरत क्या नहीं करती अभी दर्द मे चिल्ला रही थी अब उसी गांड को फाड़ देने की बात कर रही थी.
सुलेमान को ये शब्द ताकत दे रहे थे.
सुलेमान...फचा फच फचा फच....कालावती के बाल और गला पकड़े चोदे जा रहा था काला भयानक लड़का एक भरी हुई संस्कारी पूरी सजी धजी स्त्री की गांड की धज्जिया उड़ा रहा था.
सुलेमान,कालावती की हिम्मत और कामवासना देख के अचंभित था
हैरान अचंभित तो चोर मंगूस भी था
कामरूपा के कामुक अवतार को देख के,कामरूपा अपने यौवन और गद्दाराये बदन से सालो से सोये लंड को जगा चुकी थी, जगाया ही नहीं अपितु उस बड़े काले लंड को अपने स्तनों मे पनाह भी दे रखी थी वो लगातर तांत्रिक के लंड को घिसे जा रही रही जब भी लंड दोनों स्तन की घाटी से बाहर आता कामरूपा अपनी जीभ बाहर निकाल के लंड के टोपे को चाट लेती.
उलजुलूल लगातार घायल होता जा रहा था उसकी तपस्या,साधना पल पल टूटती जा रही थी.
कामरूपा :- कैसा लग रहा है उलजुलूल? सम्भोग ही असली सुख है
तांत्रिक :- हम्म.....आअह्ह्ह....सिसक रहा था.
कामरूपा :- बता कहाँ है वो नागमणि?
तांत्रिक झटके से पीछे हट जाता है नीच औरत तू मुझे फसा रही है ये सब कर तू मुझसे कुछ नहीं उगलवा सकती.
लेकिन कामरूपा एक स्त्री थी वो भी कामुक गदराई स्त्री मादकता कूट कूट के भरी थी
चिंगारी तो लगा ही दी थी अब आग लगाने का समय था.
कामरूपा तांत्रिक की आँखों मे देखती हु खड़ी हो जाती है.उसके चेहरे बहुत ही खौफनाक, रहस्यमयी और कुटिल मुस्कान थी
कामरूपा :- तुझे बताना ही होगा उलजुलूल..इसी के साथ उसके हाथ कमर मे बँधी लहंगे की डोरी पे आ जाते है और पल भर मे एक डोरी खिंच जाती है.
कामरूपा का लहंगा सरसरते हुए पैरो मे इकठा होता चला जाता है.
अब जो नजारा गुफा मे प्रस्तुत था वो किसी की भी जान ले सकता था.
बड़ी से गांड जिसपे कोई दाग़ नहीं था मांगूस उस गांड के दर्शन कर पा रहा था.
आगे तांत्रिक का रहा साहब विरोध धवस्त होता चला गया उसका लंड एक दम कड़क हो गया.
उसकी आंखे सपाट पेट गोल नाभि के निचे छोटी सी लकीर देख के फटी जा रही थी.
हलके बाल जो चुत का ताज बने हुए थे
तांत्रिक और चोर मंगूस के हलक सुख गए थे.
तो क्या तांत्रिक टूट जायेगा?
मांगूस और कामरूपा नागमणि खोज लेंगे?
बने रहिये..कथा जारी है....